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तनाव बढ़ाने का इरादा नहीं, लेकिन अब हमला हुआ तो बहुत मजबूती से देंगे जवाब, एस जयशंकर की चेतावनी

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत दुनियाभर में अपने संदेश को मजबूती से रख रहा है। भारत ने विश्व पटल पर एक बार फिर से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में की गई कार्रवाई एकदम सटीक है। आज विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची के साथ दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक की। उन्होंने कहा कि आप ऐसे समय में भारत आ रहे हैं जब हमने 22 अप्रैल को भारतीय संघ शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में हुए एक विशेष रूप से बर्बर हमले का जवाब दिया है। इस हमले ने हमें 7 मई को सीमा पार आतंकवादी ठिकाने पर हमला करके जवाब देने के लिए मजबूर किया।

बहुत कड़ा और निर्णायक जवाब की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास से द्विपक्षीय बैठक में कहा कि पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई सोची-समझी और सीमित थी। उसका इरादा तनाव बढ़ाने का नहीं है, लेकिन अगर भारत पर कोई सैन्य हमला होता है, तो उसका जवाब बहुत कड़ा और निर्णायक होगा। उन्होंने कहा- एक पड़ोसी और अहम साझेदार होने के नाते ईरान को हालात को लेकर स्पष्ट और सही जानकारी होना जरूरी है, ताकि किसी तरह की गलतफहमी न हो।

चीन तक भी पहुंचाई बात

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चीन से भी अपने इरादे साफ कर चुका है। जयशंकर ने चीन को कहा था कि पाकिस्तान अगर जवाबी कार्रवाई करेगा तो भारत इसका मुंहतोड़ जवाब देगा। जयशंकर ने बुधवार को आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख को दोहराया था। जयशंकर ने एक्स' पर लिखा था कि दुनिया को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए।

पहलगाम के हर दोषी को सजा दिलाकर रहेंगे', अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत में जयशंकर ने साफ की मंशा

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पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान अब चारों तरफ से घिरता दिख रहा है। अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (विदेश मंत्री) मार्को रुबियो ने इस आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से बात की है। इस बातचीत के दौरान रुबियो ने इस आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बात की है।मार्को रुबियो ने पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के प्रति दुख व्यक्त किया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

जयशंकर की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को साफ तौर पर कह दिया है कि पहलगाम आतंकी हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरें में लाया जाना चाहिए। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 'एक्स' पर पोस्ट कर लिखा, 'कल अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ पहलगाम आतंकवादी हमले पर चर्चा की। इसके अपराधियों, समर्थकों और योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।'

यूएस ने की तनाव कम करने की अपील

इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान से भारत के साथ बढ़ते तनाव को कम करने का आह्वान किया। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के पीएम से इस अमानवीय हमले की जांच में हर संभव सहयोग देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को भारत से बढ़ते तनाव को कम करने, बातचीत फिर से स्थापित करने और दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है।

क्या भारत करेगा पाकिस्तान के साथ सहयोग

हालांकि, आतंकवाद के पनाहगार के तौर पर जगजाहिर देश पाकिस्तान के साथ सहयोग की किसी भी गुंजाइश से भारत ने किनारा कर रखा है। उसका एकमात्र मकसद आतंकवाद का जड़ से सफाया और पहलगाम के पीड़ितों को न्याय दिलाना है।

शाह और जयशंकर ने की राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात, पहलगाम अटैक के बीच लाल फाइल दे रही खास संकेत

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पहलगाम हमले के बाद केन्द्र सरकार पूरी तरह से एक्शन मोड में है। देश की राजधानी में घटनाएं तेजी से घट रही है। दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की है। सर्वदलीय बैठक से पहले अमित शाह और विदेश मंत्री जयशंकर इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।

लाल रंग की फाइलें क्या कह रही?

राष्ट्रपति भवन ने बैठक की एक तस्वीर शेयर करते हुए 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।'

इस तस्वीर में अमित शाह और जयशंकर जब राष्‍ट्रपत‍ि से मुलाकात कर रहे थे तो उनके हाथ में लाल रंग की फाइलें देखी गईं। आमतौर पर सरकारी बैठकों में लाल या हरी रंग फाइलें बेहद संवेदनशील और सीक्रेट डॉक्‍यूमेंट के ल‍िए होती हैं।

पीएम मोदी ने दी चेतावनी

गृहमंत्री और विदेश मंत्री एक साथ राष्ट्रपति से मिलते हैं, खासकर ऐसे समय में जब पीएम ने कड़ा बयान दिया है। गुरूवार को बिहार के मधुबनी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, देश के दुश्मनों ने भारत की आस्था पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने यह हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र का एक्शन जारी

वहीं, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमले के बाद बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने कई अहम फैसले लिए हैं। इसमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। वहीं अटारी बॉर्डर को भी बंद कर दिया गया है। जबकि भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ पाकिस्तान के राजनायिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही सेना को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है।

आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाया जा रहा”, टैरिफ वॉर के बीच जयशंकर का बड़ा बयान

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से पूरी दुनिया हिली हुई है। खासकर चीन की तो हालत खराब हो गई है। टैरिफ की सबसे ज्यादा मार तो चीन पर ही पड़ी है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने इकोनॉमी को हथ‍ियार के रूप में इस्‍तेमाल करने पर चिंता जताई। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाई जा सके जो देश के आर्थिक हितों के साथ-साथ इसकी रणनीतिक प्राथमिकताओं के लिए आवश्यक है। विदेश मंत्री ने इंडिया-इटली बिजनेस, साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम में यह टिप्पणी की। इसमें इतालवी उपप्रधानमंत्री एंटोनियो तजानी ने भी हिस्सा लिया।

जयशंकर ने कहा कि भले ही हम महामारी, यूरोप, पश्चिम एशिया और एशिया में कई संघर्षों से उबर रहे हों, हमें यह पहचानना होगा कि हमारी सप्लाई चेन अधिक नाजुक हो गई हैं और हमारा समुद्री नौवहन बाधित हो गया है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है क्योंकि बाजार हिस्सेदारी का लाभ उठाया जा रहा है और आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाया जा रहा है।

विदेश मंत्री ने कहा कि उद्योग और सरकारें तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण और तकनीकी बदलावों के प्रभाव से तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जो व्यापार बाधाओं और निर्यात नियंत्रण के कारण और भी बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देश मजबूत राजनीतिक और आर्थिक साझेदारी बनाकर, अपने मैन्युफैक्चरिंग और व्यापार भागीदारों में विविधता लाकर इनोवेशन और रिसर्च में निवेश करके जोखिम कम कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि हम दोनों ही अपने अपने देश (भारत और इटली) में इन प्रवृत्तियों को देख रहे हैं।

जयशंकर ने कहा कि भारत हाल के वर्षों में ऐसी लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाने के लिए समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए इस सूची में इटली का स्थान सबसे ऊपर है। कई क्षेत्रों में एक स्वाभाविक पूरकता है जिसका हमें दोहन करने की आवश्यकता है।

इससे पहले जयशंकर ने कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में ह‍िस्‍सा ल‍िया। वहीं, एस जयशंकर ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के लिए अधिक तत्परता से तैयार है। जयशंकर ने कहा कि भारत के व्यापार सौदे बहुत चुनौतीपूर्ण होंगे और जब व्यापार सौदों की बात आती है, तो हमें एक-दूसरे के साथ बहुत कुछ करना होता है। मेरा मतलब है कि ये लोग अपने खेल में बहुत आगे हैं, जो हासिल करना चाहते हैं, उसको लेकर बहुत महत्वाकांक्षी है और वैश्विक परिदृश्य एक साल पहले की तुलना में बहुत अलग है।

टैरिफ वॉर के बीच एस जयशंकर और मार्को रुबियो के बीच हुई बातचीत, क्या मिलेगी राहत?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत 100 से ज्यादा देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है। जिसके बाद से दुनियाभर के बाजारों में इसका जोरदार असर देखा जा रहा है। ट्रंप के जवाबी टैरिफ लगाए जाने को लेकर वैश्विक चिंताओं के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष मार्को रुबियो से बात की है। एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच फोन पर बातचीत हुई।

जयशंकर ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि उन्होंने और रुबियो ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने की अहमियत पर बात की। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि इस व्यापार समझौते को जल्दी से अंतिम रूप दिया जाए। जयशंकर ने कहा, हमने द्विपक्षीय व्यापार समझौते की जल्द समाप्ति पर बात की है। मुझे उम्मीद है कि हम इस दिशा में जल्द आगे बढ़ेंगे।उन्होंने यह भी कहा कि वह रुबियो के साथ संपर्क में बने रहेंगे। 

जयशंकर और रुबियो के बीच यह बातचीत उस दिन हुई जब ट्रंप की ओर से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने और संभावित व्यापार युद्ध की आशंका के चलते वैश्विक बाजार में गिरावट दर्ज की गई। यह अमेरिका द्वारा पिछले सप्ताह भारत सहित कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (भारत पर 26%) लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च स्तरीय बातचीत थी।

बता दें कि चीन और कुछ अन्य देशों के उलट भारत ने रेसिप्रोकल टैरिफ नहीं लगाया है और इसके बजाय ऐसा व्यापार समझौता करने का रास्ता चुना है जो दोनों देशों के हितों और संवेदनशीलताओं को साध सके। चल रही बातचीत का मुख्य फोकस बाजार तक पहुंच बढ़ाने, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने और सप्लाई चेन के एकीकरण को मजबूत करने पर है।

ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत उन सभी देशों और साझेदारों पर जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो अमेरिका से आयातित सामान पर टैरिफ लगा रहे हैं। इस फैसले के पीछे ट्रंप प्रशासन का मकसद व्यापार घाटे को कम करना और निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना है। भारत पर अमेरिका ने 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो पहले से लागू शुल्क के ज्यादा होगा।

एस जयशंकर ने यूएन महासचिव के विशेष दूत से की मुलाकात, म्यांमार को लेकर हुई चर्चा l

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दक्षिण-पूर्वी एशिया का एक छोटा सा देश म्यांमार जो आंतरिक कलह से जूझ रहा है। भारत का ये पड़ोसी देश लोकतंत्र की बहाली को लेकर जद्दोजहद कर रहा है। 2021 में सेना ने लोकतांत्रिक तरीके़ से चुनी हुई सरकार का तख़्तापलट किया था। जिसके बाद से म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत की अपने पड़ोसी देश म्यांमार की स्थिती पर हमेशा से नजरें लगी हुईं हैं। इसी क्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत जूली बिशप ने मंगलवार को म्यांमार में तेजी से बदलते हालात पर चर्चा की। पिछले साल अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बिशप को म्यांमार के लिए अपना विशेष दूत नियुक्त किया था। बिशप इन दिनों भारत की यात्रा पर आई हैं।

जयशंकर ने एक्स पर कहा कि मंगलवार शाम दिल्ली में म्यांमार के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत जूली बिशप से मिलकर खुशी हुई। उन्होंने कहा कि सीमा पर स्थिरता, शरणार्थियों की स्थिति, म्यांमार से अंजाम दिए जा रहे अंतरराष्ट्रीय अपराध तथा देश को आर्थिक सहायता प्रदान करने के बारे में चर्चा हुई। राजनीतिक हालात पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।

म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसियों में से एक है और यह उग्रवाद प्रभावित नागालैंड और मणिपुर सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। सीमा पर बढ़ती हिंसा और अस्थिरता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनवरी में सीमा पर बाड़ लगाने की योजना की घोषणा की थी।

इस साल फरवरी में, भारत और म्यांमार ने फार्मास्यूटिकल्स, दालों और बीन्स, पेट्रोलियम उत्पादों और हाल ही में शुरू किए गए रुपया-क्यात व्यापार निपटान तंत्र के अधिक उपयोग के क्षेत्रों में संभावनाओं पर चर्चा की ताकि आपसी विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

दोनों देशों के बीच चर्चा में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद और म्यांमार के वाणिज्य मंत्रालय के उप मंत्री महामहिम यू मिन मिन ने भाग लिया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की संभावनाओं पर जोर दिया। बैठक के दौरान भारत और म्यांमार के नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया और सड़कों के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के महत्व को भी स्वीकार किया और इस मुद्दे पर कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।

नेपाल के विदेश मंत्री देउबा ने एस जयशंकर से की मुलाकात, नेपाल में राजशाही को लेकर पूछ लिया सवाल

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रायसीना डायलॉग में शामिल होने दिल्ली पहुंची नेपाल की विदेश मंत्री डॉ आरजू राणा ने मंगलवार शाम को भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर से मुलाकात की। उन्होंने कई मुद्दों पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की है। इस दौरान नेपाल में राजशाही के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों पर भी चर्चा हुई है। इस दौरान नेपाल की विदेश मंत्री डॉ राणा ने अपने भारतीय समकक्षी से हुई मुलाकात को लेकर बताया है कि यह बैठक नेपाल और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री के साथ हुए मुलाकात को अत्यधिक उपयोगी बताते हुए भारत की नेपाल नीति के प्रति आभार व्यक्त किया।

नेपाल की विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा ने रायसीना डायलॉग से इतर द्विपक्षीय बैठक की। एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में देउबा ने कहा, हमारा मुख्य ध्यान जलविद्युत और व्यापार के संयुक्त विकास पर है। इसलिए ये वे मुद्दे थे जिन पर हमने आज मुख्य रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत और नेपाल अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं। हम अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं जो कुछ समय से रुकी हुई थीं। देउबा ने कहा कि बैठकें बाढ़, व्यापार, सुरक्षा और जल संसाधनों के बंटवारे जैसे मुद्दों पर हुईं।

आरजू राणा ने जयशंकर से नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को लेकर भी सवाल किया। नेपाली विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने नई दिल्ली में 10वें रायसीना डायलॉग के दौरान एस जयशंकर से मुलाकात की तो उनको बताया कि काठमांडू और भारत में कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को भारत का समर्थन है।

जयशंकर ने साफ किया भारत ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं है। देउबा के अनुसार, जयशंकर ने इन दावों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि हमारी बिल्कुल कोई भूमिका नहीं है। भारत ने साफतौर पर नेपाल में राजशाही समर्थक गतिविधियों से खुद को अलग किया है। दरअसल, काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ भारतीय विशेषज्ञ नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र के समर्थन में हो रहे आंदोलन के पक्ष में बात कर रहे हैं।

पाकिस्तान का नाम लिए बिना एस जयशंकर ने साधा निशाना, पश्चिमी देशों को भी सुना डाला

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भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर अपने लाजवाब करने वाले बयानों के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए ऐसी बात कह दी कि पड़ोसी देश तिलमिला जाए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रायसीना डायलॉग के दूसरे दिन बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा। जयशंकर ने कहा कि एक अंतर्राष्ट्रीय ऑर्डर न होने की वजह से न सिर्फ बड़े देशों को फायदा मिलता है, बल्कि दूसरे अतिवादी रुख अपनाने वाले देश इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं।

जयशंकर ने कहा हम सभी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की बात करते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी अन्य देश द्वारा किसी क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जे का उदाहरण भारत के कश्मीर से जुड़ा है। हमने संयुक्त राष्ट्र का रुख किया पर आक्रमण को विवाद बना दिया गया। हमलावर और पीड़ित को बराबर रखा गया।

अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता जयशंकर ने स्पष्ट किया कि एक प्रभावी वैश्विक व्यवस्था दुनिया के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी किसी देश के लिए घरेलू शासन व्यवस्था। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यवस्था नहीं होगी, तो सिर्फ बड़े देशों को ही लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि वे देश भी जिनका चरमपंथी रुख है, अव्यवस्था को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे।’ उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि जोखिम भरा देश होने के लिए बड़ा होना जरूरी नहीं, कुछ छोटे देश भी इसी रास्ते पर चल रहे हैं।

कश्मीर पर अवैध कब्जे का जिक्र

विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की आक्रामकता का उदाहरण देते हुए कहा कि कश्मीर में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जा रहा। उन्होंने बताया कि जब भारत ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाया, तो हमलावर और पीड़ित दोनों को समान रूप से दिखाया गया, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में विसंगतियां उत्पन्न हुईं।

पश्चिमी देशों पर निशाना

जयशंकर ने पाकिस्तान के संदर्भ में पश्चिमी देशों, जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया, पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, पश्चिमी देश अन्य देशों के लोकतंत्र को लेकर चिंता जताते हैं, लेकिन जब हम उनके देशों में लोकतंत्र की स्थिति पर सवाल उठाते हैं, तो वह इसे गलत हस्तक्षेप मानते हैं। विदेश मंत्री ने वैश्विक व्यवस्था के हिसाब-किताब की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि दुनिया में न्यायपूर्ण और सशक्त व्यवस्था स्थापित की जा सके।

न्यायसंगत और निष्पक्ष संस्था पर दिया जोर

जयशंकर ने कहा कि अगर दुनिया में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था नहीं होगी तो कई तरह के खतरे पैदा हो जाएंगे। पुरानी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था अपने वक्त का प्रोडक्ट थी। उस व्यवस्था में नियम बनाने वाले और नियम का पालन करने वालों के अपने अलग नजरिए थे। जयशंकर ने कहा कि दुनिया के काम का हिसाब किताब रखने के लिए एक मजबूत यूएन की जरूरत है, लेकिन ये एक न्यायसंगत संस्था होनी चाहिए, निष्पक्ष होनी चाहिए। एक मजबूत ग्लोबल ऑर्डर में मानकों को लेकर एक निरंतरता कायम रहनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि पड़ोसी देश म्यांमार में मिलिट्री तख्तापलट होता हैं, तो वो किसी को मंजूर नहीं, लेकिन पश्चिम में नियमित तौर पर ऐसे तख्तापलट दिखते हैं, तब सवाल नहीं उठता। उन्होंने तालिबान का भी ज़िक्र किया और कहा कि जब आपको सही लगता है तो तालिबान सही हो जाता है और जब आपको ग़लत लगता है तो तालिबान ग़लत हो जाता है।

एस जयशंकर की सुरक्षा में चूक की गूंज ब्रिटिश संसद में, विपक्षी सांसद बॉब ब्लैकमैन ने उठाया मुद्दा

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विदेश मंत्री एस जयशंकर की लंदन यात्रा के दौरान सुरक्षा में चूक का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। लंदन में विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा में चूक का मुद्दा ब्रिटिश पार्लियामेंट में भी गूंजा। ब्रिटेन की विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने हाउस ऑफ कॉमन्स में इस मामले को उठाया। ब्लैकमैन ने इसे ‘खालिस्तानी गुंडों’ की ओर से हमला बताया। बता दें कि 6 मार्च यानी बुधवार की शाम को सेंट्रल लंदन में चैथम हाउस के बाहर खालुस्तानी समर्थक ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के बाद जयशंकर के बाहर निकलते समय उनकी कार के सामलने आने की कोशिश की थी।

न्यूज एंजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ब्लैकमैन ने कहा, कल भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पर उस समय हमला हुआ, जब वो एक सार्वजनिक जगह पर भारतीय लोगों को संबोधित करने के बाद निकल रहे थे। उन पर खालिस्तानी गुंडों ने हमला किया। यह जिनेवा कन्वेंशन के खिलाफ है। ऐसा लगता है कि पुलिस और सुरक्षा बल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहे। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा दोबारा ना हो।

विपक्षी सांसद के जवाब में सरकार की ओर हाउस ऑफ कॉमन्स की नेता लूसी पॉवेल ने चिंता जताई। उन्होंने कहा, मुझे यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि भारतीय संसद के सदस्य पर लंदन में हमला हुआ। यह पूरी तरह अस्वीकार्य है और हम अपने देश में आने वाले नेताओं के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं चाहते हैं। ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय की ओर से भी इसकी निंदा की गई थी, जिसमें कहा गया, सार्वजनिक कार्यक्रमों को डराने, धमकाने या बाधित करने का कोई भी प्रयास पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

भारत ने जताई आपत्ति

इससे पहले भारत ने विदेश मंत्री की सुरक्षा में चूक पर कड़ी आपत्ति जाहिर की थी। भारत ने कहा था कि वह उम्मीद करता है कि मेजबान सरकार ऐसे मामलों में अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।भारत ने खालिस्तानियों को जिक्र करते हुए कहा था कि वह लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा में सेंध की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं।

पहले भी हुई थी घटना

खालिस्तानी तत्वों द्वारा सुरक्षा भंग करने की यह पहली घटना नहीं थी। इसके पहले मार्च 2023 में खालिस्तानी तत्वों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग पर राष्ट्रीय ध्वज उतार दिया था, जिस पर भारत की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया जताई गई थी।घटना के बाद, भारत ने दिल्ली में सबसे वरिष्ठ ब्रिटिश राजनयिक को तलब किया था। भारत ब्रिटेन से ब्रिटिश धरती से सक्रिय खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लंबे वक्त से कह रहा है।

लंदन में एस जयशंकर की कार के सामने खालिस्तानियों का हंगामा, तिरंगे का अपमान

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय लंदन में हैं। जयशंकर लंदन में कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय विदेश मंत्री ने चैथम हाउस थिंक टैंक में एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम के बाद जयशंकर पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमले की कोशिश की।यह घटना तब हुई जब वे चैथम हाउस थिंक टैंक में कार्यक्रम के बाद अपनी कार से जा रहे थे। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

वीडियो में देका जा सकता है कि एक व्यक्ति जयशंकर की गाड़ी की ओर भागते हुए आता है।हमलावर तेजी से भागकर विदेश मंत्री की गाड़ी के सामने आकर खाड़ा हो जाता है और तिरंगा फाड़ देता है। लंदन पुलिस ने इस शख्स को काबू करते हुए जयशंकर को वहां से सुरक्षित निकाला। वीडियो में खालिस्तानी समर्थक प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल के बाहर आपत्तिजनक नारेबाजी करते सुने जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार ने इस घटना को यूके के सामने उठाते हुए अपना विरोध दर्ज कराया है।

भारतीय विदेश मंत्री ने इस घटना पर अपने बयान में कहा, हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा भंग होने की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं। हम ऐसे तत्वों के लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे मामलों में यूके सरकार अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने लंदन के चाथम हाउस थिंक टैंक में 'भारत का उदय और विश्व में इसकी भूमिका' विषय पर बोलते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कश्मीर, धारा-370 हटाने, आर्थिक सुधारों और उच्च मतदान के साथ हुए चुनावों पर अपने विचार साझा किए। जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार ने कश्मीर में ज्यादातर समस्याओं का हल कर लिया है। उन्होंने बताया कि धारा-370 को हटाना पहला कदम था, इसके बाद वहां आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को बहाल किया गया।

तनाव बढ़ाने का इरादा नहीं, लेकिन अब हमला हुआ तो बहुत मजबूती से देंगे जवाब, एस जयशंकर की चेतावनी

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत दुनियाभर में अपने संदेश को मजबूती से रख रहा है। भारत ने विश्व पटल पर एक बार फिर से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में की गई कार्रवाई एकदम सटीक है। आज विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची के साथ दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक की। उन्होंने कहा कि आप ऐसे समय में भारत आ रहे हैं जब हमने 22 अप्रैल को भारतीय संघ शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में हुए एक विशेष रूप से बर्बर हमले का जवाब दिया है। इस हमले ने हमें 7 मई को सीमा पार आतंकवादी ठिकाने पर हमला करके जवाब देने के लिए मजबूर किया।

बहुत कड़ा और निर्णायक जवाब की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास से द्विपक्षीय बैठक में कहा कि पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई सोची-समझी और सीमित थी। उसका इरादा तनाव बढ़ाने का नहीं है, लेकिन अगर भारत पर कोई सैन्य हमला होता है, तो उसका जवाब बहुत कड़ा और निर्णायक होगा। उन्होंने कहा- एक पड़ोसी और अहम साझेदार होने के नाते ईरान को हालात को लेकर स्पष्ट और सही जानकारी होना जरूरी है, ताकि किसी तरह की गलतफहमी न हो।

चीन तक भी पहुंचाई बात

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चीन से भी अपने इरादे साफ कर चुका है। जयशंकर ने चीन को कहा था कि पाकिस्तान अगर जवाबी कार्रवाई करेगा तो भारत इसका मुंहतोड़ जवाब देगा। जयशंकर ने बुधवार को आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख को दोहराया था। जयशंकर ने एक्स' पर लिखा था कि दुनिया को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए।

पहलगाम के हर दोषी को सजा दिलाकर रहेंगे', अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत में जयशंकर ने साफ की मंशा

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पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान अब चारों तरफ से घिरता दिख रहा है। अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट (विदेश मंत्री) मार्को रुबियो ने इस आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ से बात की है। इस बातचीत के दौरान रुबियो ने इस आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बात की है।मार्को रुबियो ने पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के प्रति दुख व्यक्त किया और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ सहयोग करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

जयशंकर की चेतावनी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को साफ तौर पर कह दिया है कि पहलगाम आतंकी हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरें में लाया जाना चाहिए। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने 'एक्स' पर पोस्ट कर लिखा, 'कल अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ पहलगाम आतंकवादी हमले पर चर्चा की। इसके अपराधियों, समर्थकों और योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।'

यूएस ने की तनाव कम करने की अपील

इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान से भारत के साथ बढ़ते तनाव को कम करने का आह्वान किया। विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के पीएम से इस अमानवीय हमले की जांच में हर संभव सहयोग देने की बात कही है। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को भारत से बढ़ते तनाव को कम करने, बातचीत फिर से स्थापित करने और दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित भी किया है।

क्या भारत करेगा पाकिस्तान के साथ सहयोग

हालांकि, आतंकवाद के पनाहगार के तौर पर जगजाहिर देश पाकिस्तान के साथ सहयोग की किसी भी गुंजाइश से भारत ने किनारा कर रखा है। उसका एकमात्र मकसद आतंकवाद का जड़ से सफाया और पहलगाम के पीड़ितों को न्याय दिलाना है।

शाह और जयशंकर ने की राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात, पहलगाम अटैक के बीच लाल फाइल दे रही खास संकेत

#shahjaishankarmeet_president

पहलगाम हमले के बाद केन्द्र सरकार पूरी तरह से एक्शन मोड में है। देश की राजधानी में घटनाएं तेजी से घट रही है। दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की है। सर्वदलीय बैठक से पहले अमित शाह और विदेश मंत्री जयशंकर इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।

लाल रंग की फाइलें क्या कह रही?

राष्ट्रपति भवन ने बैठक की एक तस्वीर शेयर करते हुए 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।'

इस तस्वीर में अमित शाह और जयशंकर जब राष्‍ट्रपत‍ि से मुलाकात कर रहे थे तो उनके हाथ में लाल रंग की फाइलें देखी गईं। आमतौर पर सरकारी बैठकों में लाल या हरी रंग फाइलें बेहद संवेदनशील और सीक्रेट डॉक्‍यूमेंट के ल‍िए होती हैं।

पीएम मोदी ने दी चेतावनी

गृहमंत्री और विदेश मंत्री एक साथ राष्ट्रपति से मिलते हैं, खासकर ऐसे समय में जब पीएम ने कड़ा बयान दिया है। गुरूवार को बिहार के मधुबनी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, देश के दुश्मनों ने भारत की आस्था पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने यह हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र का एक्शन जारी

वहीं, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमले के बाद बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने कई अहम फैसले लिए हैं। इसमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। वहीं अटारी बॉर्डर को भी बंद कर दिया गया है। जबकि भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ पाकिस्तान के राजनायिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही सेना को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है।

आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाया जा रहा”, टैरिफ वॉर के बीच जयशंकर का बड़ा बयान

#s_jaishankar_expresses_concern_over_economy_as_weapon

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से पूरी दुनिया हिली हुई है। खासकर चीन की तो हालत खराब हो गई है। टैरिफ की सबसे ज्यादा मार तो चीन पर ही पड़ी है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने इकोनॉमी को हथ‍ियार के रूप में इस्‍तेमाल करने पर चिंता जताई। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाई जा सके जो देश के आर्थिक हितों के साथ-साथ इसकी रणनीतिक प्राथमिकताओं के लिए आवश्यक है। विदेश मंत्री ने इंडिया-इटली बिजनेस, साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम में यह टिप्पणी की। इसमें इतालवी उपप्रधानमंत्री एंटोनियो तजानी ने भी हिस्सा लिया।

जयशंकर ने कहा कि भले ही हम महामारी, यूरोप, पश्चिम एशिया और एशिया में कई संघर्षों से उबर रहे हों, हमें यह पहचानना होगा कि हमारी सप्लाई चेन अधिक नाजुक हो गई हैं और हमारा समुद्री नौवहन बाधित हो गया है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है क्योंकि बाजार हिस्सेदारी का लाभ उठाया जा रहा है और आर्थिक गतिविधियों को हथियार बनाया जा रहा है।

विदेश मंत्री ने कहा कि उद्योग और सरकारें तेजी से हो रहे डिजिटलीकरण और तकनीकी बदलावों के प्रभाव से तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जो व्यापार बाधाओं और निर्यात नियंत्रण के कारण और भी बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देश मजबूत राजनीतिक और आर्थिक साझेदारी बनाकर, अपने मैन्युफैक्चरिंग और व्यापार भागीदारों में विविधता लाकर इनोवेशन और रिसर्च में निवेश करके जोखिम कम कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि हम दोनों ही अपने अपने देश (भारत और इटली) में इन प्रवृत्तियों को देख रहे हैं।

जयशंकर ने कहा कि भारत हाल के वर्षों में ऐसी लचीली और भरोसेमंद साझेदारी बनाने के लिए समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए इस सूची में इटली का स्थान सबसे ऊपर है। कई क्षेत्रों में एक स्वाभाविक पूरकता है जिसका हमें दोहन करने की आवश्यकता है।

इससे पहले जयशंकर ने कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में ह‍िस्‍सा ल‍िया। वहीं, एस जयशंकर ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के लिए अधिक तत्परता से तैयार है। जयशंकर ने कहा कि भारत के व्यापार सौदे बहुत चुनौतीपूर्ण होंगे और जब व्यापार सौदों की बात आती है, तो हमें एक-दूसरे के साथ बहुत कुछ करना होता है। मेरा मतलब है कि ये लोग अपने खेल में बहुत आगे हैं, जो हासिल करना चाहते हैं, उसको लेकर बहुत महत्वाकांक्षी है और वैश्विक परिदृश्य एक साल पहले की तुलना में बहुत अलग है।

टैरिफ वॉर के बीच एस जयशंकर और मार्को रुबियो के बीच हुई बातचीत, क्या मिलेगी राहत?

#s_jaishankar_called_the_us_foreign_minister

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत 100 से ज्यादा देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की है। जिसके बाद से दुनियाभर के बाजारों में इसका जोरदार असर देखा जा रहा है। ट्रंप के जवाबी टैरिफ लगाए जाने को लेकर वैश्विक चिंताओं के बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष मार्को रुबियो से बात की है। एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच फोन पर बातचीत हुई।

जयशंकर ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि उन्होंने और रुबियो ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने की अहमियत पर बात की। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि इस व्यापार समझौते को जल्दी से अंतिम रूप दिया जाए। जयशंकर ने कहा, हमने द्विपक्षीय व्यापार समझौते की जल्द समाप्ति पर बात की है। मुझे उम्मीद है कि हम इस दिशा में जल्द आगे बढ़ेंगे।उन्होंने यह भी कहा कि वह रुबियो के साथ संपर्क में बने रहेंगे। 

जयशंकर और रुबियो के बीच यह बातचीत उस दिन हुई जब ट्रंप की ओर से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने और संभावित व्यापार युद्ध की आशंका के चलते वैश्विक बाजार में गिरावट दर्ज की गई। यह अमेरिका द्वारा पिछले सप्ताह भारत सहित कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (भारत पर 26%) लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च स्तरीय बातचीत थी।

बता दें कि चीन और कुछ अन्य देशों के उलट भारत ने रेसिप्रोकल टैरिफ नहीं लगाया है और इसके बजाय ऐसा व्यापार समझौता करने का रास्ता चुना है जो दोनों देशों के हितों और संवेदनशीलताओं को साध सके। चल रही बातचीत का मुख्य फोकस बाजार तक पहुंच बढ़ाने, टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने और सप्लाई चेन के एकीकरण को मजबूत करने पर है।

ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत उन सभी देशों और साझेदारों पर जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो अमेरिका से आयातित सामान पर टैरिफ लगा रहे हैं। इस फैसले के पीछे ट्रंप प्रशासन का मकसद व्यापार घाटे को कम करना और निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना है। भारत पर अमेरिका ने 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो पहले से लागू शुल्क के ज्यादा होगा।

एस जयशंकर ने यूएन महासचिव के विशेष दूत से की मुलाकात, म्यांमार को लेकर हुई चर्चा l

#jaishankar_meets_un_secretary_general_s_special_envoy_on_myanmar

दक्षिण-पूर्वी एशिया का एक छोटा सा देश म्यांमार जो आंतरिक कलह से जूझ रहा है। भारत का ये पड़ोसी देश लोकतंत्र की बहाली को लेकर जद्दोजहद कर रहा है। 2021 में सेना ने लोकतांत्रिक तरीके़ से चुनी हुई सरकार का तख़्तापलट किया था। जिसके बाद से म्यांमार में लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत की अपने पड़ोसी देश म्यांमार की स्थिती पर हमेशा से नजरें लगी हुईं हैं। इसी क्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत जूली बिशप ने मंगलवार को म्यांमार में तेजी से बदलते हालात पर चर्चा की। पिछले साल अप्रैल में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बिशप को म्यांमार के लिए अपना विशेष दूत नियुक्त किया था। बिशप इन दिनों भारत की यात्रा पर आई हैं।

जयशंकर ने एक्स पर कहा कि मंगलवार शाम दिल्ली में म्यांमार के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत जूली बिशप से मिलकर खुशी हुई। उन्होंने कहा कि सीमा पर स्थिरता, शरणार्थियों की स्थिति, म्यांमार से अंजाम दिए जा रहे अंतरराष्ट्रीय अपराध तथा देश को आर्थिक सहायता प्रदान करने के बारे में चर्चा हुई। राजनीतिक हालात पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।

म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसियों में से एक है और यह उग्रवाद प्रभावित नागालैंड और मणिपुर सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। सीमा पर बढ़ती हिंसा और अस्थिरता को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनवरी में सीमा पर बाड़ लगाने की योजना की घोषणा की थी।

इस साल फरवरी में, भारत और म्यांमार ने फार्मास्यूटिकल्स, दालों और बीन्स, पेट्रोलियम उत्पादों और हाल ही में शुरू किए गए रुपया-क्यात व्यापार निपटान तंत्र के अधिक उपयोग के क्षेत्रों में संभावनाओं पर चर्चा की ताकि आपसी विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

दोनों देशों के बीच चर्चा में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद और म्यांमार के वाणिज्य मंत्रालय के उप मंत्री महामहिम यू मिन मिन ने भाग लिया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की संभावनाओं पर जोर दिया। बैठक के दौरान भारत और म्यांमार के नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया और सड़कों के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के महत्व को भी स्वीकार किया और इस मुद्दे पर कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।

नेपाल के विदेश मंत्री देउबा ने एस जयशंकर से की मुलाकात, नेपाल में राजशाही को लेकर पूछ लिया सवाल

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रायसीना डायलॉग में शामिल होने दिल्ली पहुंची नेपाल की विदेश मंत्री डॉ आरजू राणा ने मंगलवार शाम को भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर से मुलाकात की। उन्होंने कई मुद्दों पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की है। इस दौरान नेपाल में राजशाही के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों पर भी चर्चा हुई है। इस दौरान नेपाल की विदेश मंत्री डॉ राणा ने अपने भारतीय समकक्षी से हुई मुलाकात को लेकर बताया है कि यह बैठक नेपाल और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री के साथ हुए मुलाकात को अत्यधिक उपयोगी बताते हुए भारत की नेपाल नीति के प्रति आभार व्यक्त किया।

नेपाल की विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा ने रायसीना डायलॉग से इतर द्विपक्षीय बैठक की। एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में देउबा ने कहा, हमारा मुख्य ध्यान जलविद्युत और व्यापार के संयुक्त विकास पर है। इसलिए ये वे मुद्दे थे जिन पर हमने आज मुख्य रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत और नेपाल अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं। हम अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं जो कुछ समय से रुकी हुई थीं। देउबा ने कहा कि बैठकें बाढ़, व्यापार, सुरक्षा और जल संसाधनों के बंटवारे जैसे मुद्दों पर हुईं।

आरजू राणा ने जयशंकर से नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को लेकर भी सवाल किया। नेपाली विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने नई दिल्ली में 10वें रायसीना डायलॉग के दौरान एस जयशंकर से मुलाकात की तो उनको बताया कि काठमांडू और भारत में कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को भारत का समर्थन है।

जयशंकर ने साफ किया भारत ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं है। देउबा के अनुसार, जयशंकर ने इन दावों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि हमारी बिल्कुल कोई भूमिका नहीं है। भारत ने साफतौर पर नेपाल में राजशाही समर्थक गतिविधियों से खुद को अलग किया है। दरअसल, काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ भारतीय विशेषज्ञ नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र के समर्थन में हो रहे आंदोलन के पक्ष में बात कर रहे हैं।

पाकिस्तान का नाम लिए बिना एस जयशंकर ने साधा निशाना, पश्चिमी देशों को भी सुना डाला

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भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर अपने लाजवाब करने वाले बयानों के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए ऐसी बात कह दी कि पड़ोसी देश तिलमिला जाए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रायसीना डायलॉग के दूसरे दिन बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा। जयशंकर ने कहा कि एक अंतर्राष्ट्रीय ऑर्डर न होने की वजह से न सिर्फ बड़े देशों को फायदा मिलता है, बल्कि दूसरे अतिवादी रुख अपनाने वाले देश इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं।

जयशंकर ने कहा हम सभी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की बात करते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी अन्य देश द्वारा किसी क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जे का उदाहरण भारत के कश्मीर से जुड़ा है। हमने संयुक्त राष्ट्र का रुख किया पर आक्रमण को विवाद बना दिया गया। हमलावर और पीड़ित को बराबर रखा गया।

अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता जयशंकर ने स्पष्ट किया कि एक प्रभावी वैश्विक व्यवस्था दुनिया के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी किसी देश के लिए घरेलू शासन व्यवस्था। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यवस्था नहीं होगी, तो सिर्फ बड़े देशों को ही लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि वे देश भी जिनका चरमपंथी रुख है, अव्यवस्था को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे।’ उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि जोखिम भरा देश होने के लिए बड़ा होना जरूरी नहीं, कुछ छोटे देश भी इसी रास्ते पर चल रहे हैं।

कश्मीर पर अवैध कब्जे का जिक्र

विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की आक्रामकता का उदाहरण देते हुए कहा कि कश्मीर में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जा रहा। उन्होंने बताया कि जब भारत ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाया, तो हमलावर और पीड़ित दोनों को समान रूप से दिखाया गया, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में विसंगतियां उत्पन्न हुईं।

पश्चिमी देशों पर निशाना

जयशंकर ने पाकिस्तान के संदर्भ में पश्चिमी देशों, जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया, पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, पश्चिमी देश अन्य देशों के लोकतंत्र को लेकर चिंता जताते हैं, लेकिन जब हम उनके देशों में लोकतंत्र की स्थिति पर सवाल उठाते हैं, तो वह इसे गलत हस्तक्षेप मानते हैं। विदेश मंत्री ने वैश्विक व्यवस्था के हिसाब-किताब की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि दुनिया में न्यायपूर्ण और सशक्त व्यवस्था स्थापित की जा सके।

न्यायसंगत और निष्पक्ष संस्था पर दिया जोर

जयशंकर ने कहा कि अगर दुनिया में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था नहीं होगी तो कई तरह के खतरे पैदा हो जाएंगे। पुरानी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था अपने वक्त का प्रोडक्ट थी। उस व्यवस्था में नियम बनाने वाले और नियम का पालन करने वालों के अपने अलग नजरिए थे। जयशंकर ने कहा कि दुनिया के काम का हिसाब किताब रखने के लिए एक मजबूत यूएन की जरूरत है, लेकिन ये एक न्यायसंगत संस्था होनी चाहिए, निष्पक्ष होनी चाहिए। एक मजबूत ग्लोबल ऑर्डर में मानकों को लेकर एक निरंतरता कायम रहनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि पड़ोसी देश म्यांमार में मिलिट्री तख्तापलट होता हैं, तो वो किसी को मंजूर नहीं, लेकिन पश्चिम में नियमित तौर पर ऐसे तख्तापलट दिखते हैं, तब सवाल नहीं उठता। उन्होंने तालिबान का भी ज़िक्र किया और कहा कि जब आपको सही लगता है तो तालिबान सही हो जाता है और जब आपको ग़लत लगता है तो तालिबान ग़लत हो जाता है।

एस जयशंकर की सुरक्षा में चूक की गूंज ब्रिटिश संसद में, विपक्षी सांसद बॉब ब्लैकमैन ने उठाया मुद्दा

#uk_mp_raises_alarm_over_s_jaishankar_london_security_breach

विदेश मंत्री एस जयशंकर की लंदन यात्रा के दौरान सुरक्षा में चूक का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। लंदन में विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा में चूक का मुद्दा ब्रिटिश पार्लियामेंट में भी गूंजा। ब्रिटेन की विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने हाउस ऑफ कॉमन्स में इस मामले को उठाया। ब्लैकमैन ने इसे ‘खालिस्तानी गुंडों’ की ओर से हमला बताया। बता दें कि 6 मार्च यानी बुधवार की शाम को सेंट्रल लंदन में चैथम हाउस के बाहर खालुस्तानी समर्थक ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के बाद जयशंकर के बाहर निकलते समय उनकी कार के सामलने आने की कोशिश की थी।

न्यूज एंजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ब्लैकमैन ने कहा, कल भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पर उस समय हमला हुआ, जब वो एक सार्वजनिक जगह पर भारतीय लोगों को संबोधित करने के बाद निकल रहे थे। उन पर खालिस्तानी गुंडों ने हमला किया। यह जिनेवा कन्वेंशन के खिलाफ है। ऐसा लगता है कि पुलिस और सुरक्षा बल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहे। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा दोबारा ना हो।

विपक्षी सांसद के जवाब में सरकार की ओर हाउस ऑफ कॉमन्स की नेता लूसी पॉवेल ने चिंता जताई। उन्होंने कहा, मुझे यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि भारतीय संसद के सदस्य पर लंदन में हमला हुआ। यह पूरी तरह अस्वीकार्य है और हम अपने देश में आने वाले नेताओं के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं चाहते हैं। ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय की ओर से भी इसकी निंदा की गई थी, जिसमें कहा गया, सार्वजनिक कार्यक्रमों को डराने, धमकाने या बाधित करने का कोई भी प्रयास पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

भारत ने जताई आपत्ति

इससे पहले भारत ने विदेश मंत्री की सुरक्षा में चूक पर कड़ी आपत्ति जाहिर की थी। भारत ने कहा था कि वह उम्मीद करता है कि मेजबान सरकार ऐसे मामलों में अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।भारत ने खालिस्तानियों को जिक्र करते हुए कहा था कि वह लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा में सेंध की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं।

पहले भी हुई थी घटना

खालिस्तानी तत्वों द्वारा सुरक्षा भंग करने की यह पहली घटना नहीं थी। इसके पहले मार्च 2023 में खालिस्तानी तत्वों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग पर राष्ट्रीय ध्वज उतार दिया था, जिस पर भारत की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया जताई गई थी।घटना के बाद, भारत ने दिल्ली में सबसे वरिष्ठ ब्रिटिश राजनयिक को तलब किया था। भारत ब्रिटेन से ब्रिटिश धरती से सक्रिय खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लंबे वक्त से कह रहा है।

लंदन में एस जयशंकर की कार के सामने खालिस्तानियों का हंगामा, तिरंगे का अपमान

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय लंदन में हैं। जयशंकर लंदन में कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय विदेश मंत्री ने चैथम हाउस थिंक टैंक में एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम के बाद जयशंकर पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमले की कोशिश की।यह घटना तब हुई जब वे चैथम हाउस थिंक टैंक में कार्यक्रम के बाद अपनी कार से जा रहे थे। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

वीडियो में देका जा सकता है कि एक व्यक्ति जयशंकर की गाड़ी की ओर भागते हुए आता है।हमलावर तेजी से भागकर विदेश मंत्री की गाड़ी के सामने आकर खाड़ा हो जाता है और तिरंगा फाड़ देता है। लंदन पुलिस ने इस शख्स को काबू करते हुए जयशंकर को वहां से सुरक्षित निकाला। वीडियो में खालिस्तानी समर्थक प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल के बाहर आपत्तिजनक नारेबाजी करते सुने जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार ने इस घटना को यूके के सामने उठाते हुए अपना विरोध दर्ज कराया है।

भारतीय विदेश मंत्री ने इस घटना पर अपने बयान में कहा, हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा भंग होने की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं। हम ऐसे तत्वों के लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे मामलों में यूके सरकार अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने लंदन के चाथम हाउस थिंक टैंक में 'भारत का उदय और विश्व में इसकी भूमिका' विषय पर बोलते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कश्मीर, धारा-370 हटाने, आर्थिक सुधारों और उच्च मतदान के साथ हुए चुनावों पर अपने विचार साझा किए। जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार ने कश्मीर में ज्यादातर समस्याओं का हल कर लिया है। उन्होंने बताया कि धारा-370 को हटाना पहला कदम था, इसके बाद वहां आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को बहाल किया गया।