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नेपाल के विदेश मंत्री देउबा ने एस जयशंकर से की मुलाकात, नेपाल में राजशाही को लेकर पूछ लिया सवाल

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रायसीना डायलॉग में शामिल होने दिल्ली पहुंची नेपाल की विदेश मंत्री डॉ आरजू राणा ने मंगलवार शाम को भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर से मुलाकात की। उन्होंने कई मुद्दों पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की है। इस दौरान नेपाल में राजशाही के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों पर भी चर्चा हुई है। इस दौरान नेपाल की विदेश मंत्री डॉ राणा ने अपने भारतीय समकक्षी से हुई मुलाकात को लेकर बताया है कि यह बैठक नेपाल और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री के साथ हुए मुलाकात को अत्यधिक उपयोगी बताते हुए भारत की नेपाल नीति के प्रति आभार व्यक्त किया।

नेपाल की विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा ने रायसीना डायलॉग से इतर द्विपक्षीय बैठक की। एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में देउबा ने कहा, हमारा मुख्य ध्यान जलविद्युत और व्यापार के संयुक्त विकास पर है। इसलिए ये वे मुद्दे थे जिन पर हमने आज मुख्य रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत और नेपाल अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं। हम अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं जो कुछ समय से रुकी हुई थीं। देउबा ने कहा कि बैठकें बाढ़, व्यापार, सुरक्षा और जल संसाधनों के बंटवारे जैसे मुद्दों पर हुईं।

आरजू राणा ने जयशंकर से नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को लेकर भी सवाल किया। नेपाली विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने नई दिल्ली में 10वें रायसीना डायलॉग के दौरान एस जयशंकर से मुलाकात की तो उनको बताया कि काठमांडू और भारत में कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को भारत का समर्थन है।

जयशंकर ने साफ किया भारत ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं है। देउबा के अनुसार, जयशंकर ने इन दावों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि हमारी बिल्कुल कोई भूमिका नहीं है। भारत ने साफतौर पर नेपाल में राजशाही समर्थक गतिविधियों से खुद को अलग किया है। दरअसल, काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ भारतीय विशेषज्ञ नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र के समर्थन में हो रहे आंदोलन के पक्ष में बात कर रहे हैं।

पाकिस्तान का नाम लिए बिना एस जयशंकर ने साधा निशाना, पश्चिमी देशों को भी सुना डाला

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भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर अपने लाजवाब करने वाले बयानों के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए ऐसी बात कह दी कि पड़ोसी देश तिलमिला जाए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रायसीना डायलॉग के दूसरे दिन बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा। जयशंकर ने कहा कि एक अंतर्राष्ट्रीय ऑर्डर न होने की वजह से न सिर्फ बड़े देशों को फायदा मिलता है, बल्कि दूसरे अतिवादी रुख अपनाने वाले देश इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं।

जयशंकर ने कहा हम सभी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की बात करते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी अन्य देश द्वारा किसी क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जे का उदाहरण भारत के कश्मीर से जुड़ा है। हमने संयुक्त राष्ट्र का रुख किया पर आक्रमण को विवाद बना दिया गया। हमलावर और पीड़ित को बराबर रखा गया।

अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता जयशंकर ने स्पष्ट किया कि एक प्रभावी वैश्विक व्यवस्था दुनिया के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी किसी देश के लिए घरेलू शासन व्यवस्था। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यवस्था नहीं होगी, तो सिर्फ बड़े देशों को ही लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि वे देश भी जिनका चरमपंथी रुख है, अव्यवस्था को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे।’ उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि जोखिम भरा देश होने के लिए बड़ा होना जरूरी नहीं, कुछ छोटे देश भी इसी रास्ते पर चल रहे हैं।

कश्मीर पर अवैध कब्जे का जिक्र

विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की आक्रामकता का उदाहरण देते हुए कहा कि कश्मीर में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जा रहा। उन्होंने बताया कि जब भारत ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाया, तो हमलावर और पीड़ित दोनों को समान रूप से दिखाया गया, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में विसंगतियां उत्पन्न हुईं।

पश्चिमी देशों पर निशाना

जयशंकर ने पाकिस्तान के संदर्भ में पश्चिमी देशों, जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया, पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, पश्चिमी देश अन्य देशों के लोकतंत्र को लेकर चिंता जताते हैं, लेकिन जब हम उनके देशों में लोकतंत्र की स्थिति पर सवाल उठाते हैं, तो वह इसे गलत हस्तक्षेप मानते हैं। विदेश मंत्री ने वैश्विक व्यवस्था के हिसाब-किताब की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि दुनिया में न्यायपूर्ण और सशक्त व्यवस्था स्थापित की जा सके।

न्यायसंगत और निष्पक्ष संस्था पर दिया जोर

जयशंकर ने कहा कि अगर दुनिया में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था नहीं होगी तो कई तरह के खतरे पैदा हो जाएंगे। पुरानी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था अपने वक्त का प्रोडक्ट थी। उस व्यवस्था में नियम बनाने वाले और नियम का पालन करने वालों के अपने अलग नजरिए थे। जयशंकर ने कहा कि दुनिया के काम का हिसाब किताब रखने के लिए एक मजबूत यूएन की जरूरत है, लेकिन ये एक न्यायसंगत संस्था होनी चाहिए, निष्पक्ष होनी चाहिए। एक मजबूत ग्लोबल ऑर्डर में मानकों को लेकर एक निरंतरता कायम रहनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि पड़ोसी देश म्यांमार में मिलिट्री तख्तापलट होता हैं, तो वो किसी को मंजूर नहीं, लेकिन पश्चिम में नियमित तौर पर ऐसे तख्तापलट दिखते हैं, तब सवाल नहीं उठता। उन्होंने तालिबान का भी ज़िक्र किया और कहा कि जब आपको सही लगता है तो तालिबान सही हो जाता है और जब आपको ग़लत लगता है तो तालिबान ग़लत हो जाता है।

एस जयशंकर की सुरक्षा में चूक की गूंज ब्रिटिश संसद में, विपक्षी सांसद बॉब ब्लैकमैन ने उठाया मुद्दा

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विदेश मंत्री एस जयशंकर की लंदन यात्रा के दौरान सुरक्षा में चूक का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। लंदन में विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा में चूक का मुद्दा ब्रिटिश पार्लियामेंट में भी गूंजा। ब्रिटेन की विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने हाउस ऑफ कॉमन्स में इस मामले को उठाया। ब्लैकमैन ने इसे ‘खालिस्तानी गुंडों’ की ओर से हमला बताया। बता दें कि 6 मार्च यानी बुधवार की शाम को सेंट्रल लंदन में चैथम हाउस के बाहर खालुस्तानी समर्थक ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के बाद जयशंकर के बाहर निकलते समय उनकी कार के सामलने आने की कोशिश की थी।

न्यूज एंजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ब्लैकमैन ने कहा, कल भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पर उस समय हमला हुआ, जब वो एक सार्वजनिक जगह पर भारतीय लोगों को संबोधित करने के बाद निकल रहे थे। उन पर खालिस्तानी गुंडों ने हमला किया। यह जिनेवा कन्वेंशन के खिलाफ है। ऐसा लगता है कि पुलिस और सुरक्षा बल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहे। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा दोबारा ना हो।

विपक्षी सांसद के जवाब में सरकार की ओर हाउस ऑफ कॉमन्स की नेता लूसी पॉवेल ने चिंता जताई। उन्होंने कहा, मुझे यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि भारतीय संसद के सदस्य पर लंदन में हमला हुआ। यह पूरी तरह अस्वीकार्य है और हम अपने देश में आने वाले नेताओं के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं चाहते हैं। ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय की ओर से भी इसकी निंदा की गई थी, जिसमें कहा गया, सार्वजनिक कार्यक्रमों को डराने, धमकाने या बाधित करने का कोई भी प्रयास पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

भारत ने जताई आपत्ति

इससे पहले भारत ने विदेश मंत्री की सुरक्षा में चूक पर कड़ी आपत्ति जाहिर की थी। भारत ने कहा था कि वह उम्मीद करता है कि मेजबान सरकार ऐसे मामलों में अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।भारत ने खालिस्तानियों को जिक्र करते हुए कहा था कि वह लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा में सेंध की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं।

पहले भी हुई थी घटना

खालिस्तानी तत्वों द्वारा सुरक्षा भंग करने की यह पहली घटना नहीं थी। इसके पहले मार्च 2023 में खालिस्तानी तत्वों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग पर राष्ट्रीय ध्वज उतार दिया था, जिस पर भारत की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया जताई गई थी।घटना के बाद, भारत ने दिल्ली में सबसे वरिष्ठ ब्रिटिश राजनयिक को तलब किया था। भारत ब्रिटेन से ब्रिटिश धरती से सक्रिय खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लंबे वक्त से कह रहा है।

लंदन में एस जयशंकर की कार के सामने खालिस्तानियों का हंगामा, तिरंगे का अपमान

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय लंदन में हैं। जयशंकर लंदन में कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय विदेश मंत्री ने चैथम हाउस थिंक टैंक में एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम के बाद जयशंकर पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमले की कोशिश की।यह घटना तब हुई जब वे चैथम हाउस थिंक टैंक में कार्यक्रम के बाद अपनी कार से जा रहे थे। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

वीडियो में देका जा सकता है कि एक व्यक्ति जयशंकर की गाड़ी की ओर भागते हुए आता है।हमलावर तेजी से भागकर विदेश मंत्री की गाड़ी के सामने आकर खाड़ा हो जाता है और तिरंगा फाड़ देता है। लंदन पुलिस ने इस शख्स को काबू करते हुए जयशंकर को वहां से सुरक्षित निकाला। वीडियो में खालिस्तानी समर्थक प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल के बाहर आपत्तिजनक नारेबाजी करते सुने जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार ने इस घटना को यूके के सामने उठाते हुए अपना विरोध दर्ज कराया है।

भारतीय विदेश मंत्री ने इस घटना पर अपने बयान में कहा, हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा भंग होने की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं। हम ऐसे तत्वों के लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे मामलों में यूके सरकार अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने लंदन के चाथम हाउस थिंक टैंक में 'भारत का उदय और विश्व में इसकी भूमिका' विषय पर बोलते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कश्मीर, धारा-370 हटाने, आर्थिक सुधारों और उच्च मतदान के साथ हुए चुनावों पर अपने विचार साझा किए। जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार ने कश्मीर में ज्यादातर समस्याओं का हल कर लिया है। उन्होंने बताया कि धारा-370 को हटाना पहला कदम था, इसके बाद वहां आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को बहाल किया गया।

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी हैरान नहीं जयशंकर, इसे क्यों अच्छा बता रहे हैं विदेश मंत्री?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भी टैरिफ की धमकी दी है। ये खबर भारत के लिए तनाव बढ़ाने वाली कही जा रही है। अमेरिका की तरफ से लगाया जाने वाला रेसिप्रोकल टैरिफ भारत के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। भारत के कई उद्योगों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर की मानें तो यह आश्चर्यजनक नहीं है। जयशंकर ने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में जो भी फैसले लिए जा रहे हैं, वो भारत के हितों के अनुकूल है।

लंदन दौरे पर गए विदेश एस जयशंकर से जब उनसे ये पूछा गया कि आप अमेरिका की नई विदेश नीति के पहले 41 दिनों के बारे में क्या सोचते हैं? क्या यह भारत के लिए अच्छा है? क्या यह दुनिया के लिए सही है?

इस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। पिछले कुछ हफ्तों में हमने जो कुछ देखा और सुना है, उससे मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ है लेकिन क्या यह सही है तो अब मैं कहूंगा कि इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। हमारे राजनीतिक रिश्ते अच्छे हैं। कम से कम हाल के दिनों में इस पर कोई बोझ नहीं है।

अमेरिकी विदेश नीति भारत के लिए अच्छी है?

डॉ जयशंकर के सोशल मीडिया पेज पर जारी एक वीडियो में उन्होंने कहा, 'अब, ऐसा कहा जा रहा है कि क्या वर्तमान अमेरिकी विदेश नीति भारत के लिए अच्छी है? इस पर कई मायनों में मैं कहूंगा हां... यह आप भी जानते हैं...' लंदन के चाथम हाउस में एक बातचीत के दौरान जयशंकर ने कहा, 'हमारे अपने (भारत-ब्रिटेन) राजनीतिक संबंधों को बहुत ईमानदारी से देखें। कम से कम हाल के दिनों में, हमें अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ कभी कोई समस्या नहीं हुई है। ऐसा कोई बोझ नहीं है, जिसे हम ढोते हैं या जो संबंधों पर बोझ है।

भारत के लिए कैसे “अवसर”

जयशंकर ने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन क्वाड को मजबूत करने के पक्ष में है और अमेरिका भारत के लिए तकनीकी और व्यापारिक दृष्टिकोण से कई अवसर उपलब्ध करा सकता है। उन्होंने कहा, ट्रंप ने ऊर्जा की कीमतों को स्थिर बनाए रखा। वह टेक्नोलॉजी और विकास को प्राथमिकता देते हैं, जो भारत के लिए लाभकारी है। वह कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए भी खुले हैं, जिसमें भारत की गहरी रुचि है। हां, उनके पास व्यापार को लेकर एक निश्चित दृष्टिकोण है। हमने इस पर खुली बातचीत की और नतीजा यह रहा कि हम दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की आवश्यकता पर सहमत हुए। हमारे व्यापार मंत्री इस पर अमेरिका में चर्चा कर रहे हैं।

PoK को लेकर एस जयशंकर का बड़ा बयान, सुनकर पाकिस्तान को लगेगी मिर्ची

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर 5 दिनों के विदेश दौरे पर हैं। एस जयशंकर अभी ब्रिटेन में हैं। विदेशी धरती से एस जयशंकर ने पाकिस्तान को सीधा और सख्त संदेश दिया है। लंदन के चैथम हाउस में कश्मीर मुद्दे पर सवाल पूछा तो डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) की वापसी से कश्मीर मुद्दा पूरी तरह से हल हो जाएगा

जयशंकर बुधवार को लंदन में चैथम हाउस में आयोजित ‘भारत का उदय और विश्व में उसकी भूमिका’ सत्र में अपनी बात रख रहे थे। जयशंकर ने कश्मीर की स्थिति और भारत सरकार की ओ से उठाए गए कदमों के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना, कश्मीर में विकास व आर्थिक गतिविधि, सामाजिक न्याय की बहाली और साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने जैसे मुद्दों पर बात की। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर का केवल वह हिस्सा समस्याओं के पूर्ण समाधान से बचा हुआ है।

कश्मीर समस्या पूरी तरह हल करने का दिया भरोसा

जयशंकर ने कहा, कश्मीर में हमने ज्यादातर समस्याओं का समाधान कर लिया है। मेरा मानना है कि अनुच्छेद 370 को हटाना पहला कदम था। उसके बाद कश्मीर में आर्थिक गतिविधियों और सामाजिक न्याय की बहाली दूसरा कदम था। उच्च मतदान प्रतिशत के साथ सफलतापूर्वक चुनाव कराना तीसरा कदम था। इसके साथ ही उन्होंने कहा, हम जिस हिस्से का इंतजार कर रहे हैं, वह कश्मीर का वो हिस्सा है जो अवैध रूप से पाकिस्तान के कब्जे में है। जब वो वापस आएगा, तो मैं आपको भरोसा देता हूं, कश्मीर समस्या पूरी तरह हल हो जाएगी।

पीओके को लेकर पहले भी जता चुके हैं मंशा

इससे पहले 9 मई 2024 को विदेश मंत्री जयशंकर ने जोर देकर कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का हिस्सा है। उन्होंने कहा था कि हर भारतीय राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके भारत को वापस मिले। दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज, नई दिल्ली के छात्रों के साथ बातचीत के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था, मैं पीओके के बारे में बस इतना ही कह सकता हूं कि इस देश का हर राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके, जो भारत का हिस्सा है, भारत को वापस मिले। यह हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से मिले एस जयशंकर, जानें क्या हुई बात

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विदेश मंत्री जयशंकर इन दिनों ब्रिटेन के आधिकारिक दौर पर हैं। यहां उन्होंने मंगलवार शाम को ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से उनके आवास पर मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के साथ उनकी मुलाकात में द्विपक्षीय सहयोग तथा रूस-यूक्रेन संघर्ष पर ब्रिटेन के दृष्टिकोण संबंधी मुद्दे रहे।

एस जयशंकर ने अपनी इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं। तस्वीरों में दिख रहा था कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री खुद आगे बढ़कर जयशंकर का गर्मजोशी से स्वागत कर रहे हैं। जयशंकर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि हमारे द्विपक्षीय, आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने और एक दूसरे के यहां लोगों की आवाजाही बढ़ाने पर चर्चा हुई। पीएम स्टार्मर ने यूक्रेन संघर्ष पर ब्रिटेन के नजरिए को भी साझा किया।

इस मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत हुई। जयशंकर ने भारत की स्थिति को स्पष्ट किया कि भारत किसी गुट में शामिल नहीं होगा और हमेशा शांति का पक्षधर रहेगा। सूत्रों के अनुसार भारत ने ये साफ कर दिया है कि वह अपने फैसले खुद लेता है और अपनी नीति पर चलता है।

इससे पहले, उन्होंने ब्रिटेन और आयरलैंड को कवर करते हुए अपनी छह दिवसीय यात्रा के पहले दिन मंत्रिस्तरीय वार्ता की। इस क्रम में ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स के साथ बैठक के दौरान उन्होंने भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ता की प्रगति पर चर्चा की। जयशंकर ने रेनॉल्ड्स के साथ अपनी बैठक के बाद एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि हमने एफटीए वार्ता की प्रगति पर चर्चा की।

जयशंकर ने ब्रिटेन की गृह मंत्री यवेटे कूपर से मुलाकात की और लोगों के बीच आदान-प्रदान, तस्करी और उग्रवाद से निपटने के संयुक्त प्रयासों पर चर्चा की। उन्होंने व्यापार विभाग के सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स से भी मुलाकात की और एफटीए वार्ता में प्रगति पर चर्चा की।

यूएनएचआरसी से विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो टूक, बोले-आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा भारत
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 58वें सत्र को अपने संबोधन में मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन के लिए देश की प्रतिबद्धता दोहराई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 58वें सत्र में एक वर्चुअल संबोधन किया। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रूख को साफ किया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा ही आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की वकालत करेगा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, दुनिया को एक नई बहुपक्षीय प्रणाली की स्पष्ट और तत्काल जरूरत है जो समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाती हो, क्योंकि पिछले कुछ सालों में मौजूदा संरचनाओं की गंभीर रूप से कमी सामने आई है। विदेश मंत्री ने कहा कि मौजूदा चुनौतियों के बीच यह परिस्थितियां और अधिक विकृत, अनिश्चित और अस्थिर होती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें और तैयारी की जरूरत है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए फिट होना जरूरी है। अब हमें बहुआयामी प्रणाली की जरूरत है जो समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं के अनुरूप हों।

एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की मौजूदा व्यवस्था पर इशारा करते हुए कहा कि जब विश्व को इनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी तब यह खुद अभावग्रस्त व लाचार थे। जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा से वैश्विक प्रोन्नति और मानवाधिकार की रक्षा में अहम भूमिका निभाता रहा है। हमने हमेशा ही वित्तीय जिम्मेदारी के सिद्धांतों, पारदर्शिता और निरंतरता का पालन किया है। इस प्रतिबद्धता के साथ भारत ने हमेशा ही विभिन्न देशों के साथ विकास की साझेदारी निभाई है। लेकिन इसी के साथ भारत ने बिना किसी समझौते के आतंकवाद का मुकाबला किया है।

उन्होंने कहा, हम आतंकवाद का मुकाबला करने में दृढ़ और अडिग रहे हैं। भारत हमेशा आतंकवाद के लिए कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति की वकालत करेगा और इसे सामान्य बनाने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगा। हम वसुधैव कुटुम्बकम यानी दुनिया को एक परिवार मानने की बात केवल बोलते नहीं हैं, बल्कि इसके अनुसार जीते हैं और आज, पहले से कहीं अधिक, इस दृष्टिकोण की तत्काल जरूरत है।
जयशंकर ने यूनुस सरकार को सुनाई खरी-खरी, बोले- तय कर लो करना क्या है

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बीते साल अगस्त से भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तल्खी देखी जा रही है। मतलब साफ है शेख हसीने के सत्ता से बेदखल होन के बाद और अंतरिम सरकार के चीफ के तौर पर मोहम्‍मद यूनुस के आने के बाद हालात काफी बदल गए हैं। एक तरफ बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। वहीं, दूसरी तरफ यूनुस भारत से अच्‍छे रिश्‍तों की बात भी करते हैं। इस बीच भारत की बातों को विश्व पटल पर बेबाकी से रखने वाले विदेश एस जयशंकर बड़ा बयान दिया है। एस जयशंकर ने कहा है कि बांग्लादेश को तय करना होगा कि वह भारत के साथ कैसा रिश्ता चाहते है?

जयशंकर ने शनिवार को एक सार्वजनिक प्रोग्राम में कहा कि बांग्लादेश एक तरफ तो भारत से अच्छे रिश्तों की बात करता है, लेकिन दूसरी तरफ हर समस्या के लिए भारत को दोषी ठहराता है। उन्होंने कहा,'अगर हर दिन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का कोई न कोई व्यक्ति भारत को हर समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराता है, तो यह सही नहीं है। कुछ आरोप तो इतने बेबुनियाद होते हैं कि वे हास्यास्पद लगते हैं।

एस जयशंकर ने बांग्लादेश को लेकर कहा, आप यह नहीं कह सकते कि आप भारत से अच्छे संबंध चाहते हैं, लेकिन हर सुबह उठकर भारत को दोष देते हैं। उन्हें खुद तय करना होगा कि वे हमसे कैसे रिश्ते रखना चाहते हैं। जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के रिश्तों में दो बड़े मुद्दे सामने आ रहे हैं। पहला, बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले, जो भारत के लिए चिंता का विषय हैं। यह एक गंभीर मसला है और हम इस पर अपनी बात रखेंगे।

बता दें कि मस्कट में अपने बांग्लादेशी समकक्ष तौहीद हुसैन से मुलाकात के एक हफ्ते बाद एस जयशंकर ने ये बातें कही हैं। दरअसल, युनूस प्रशासन के आने के बाद बांग्लादेश से भारत के संबंधों में तेजी से बदलाव आया है। शेख हसीना के प्रत्यर्पण से लेकर बॉर्डर पर फेंसिंग के मसले तक बांग्लादेश और भारत असहज डिप्लोमेसी में उलझे हैं। वहीं दूसरीतरफ बांग्लादेश और पाकिस्तान जिस तेजी से संबंध बेहतर कर रहे हैं, वो भारत के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है।

जयशंकर ने रूस-चीन के अपने समकक्षों से की मुलाकात, जानें क्या हुई बात

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका की दो दिवसीय यात्रा पर जोहानिसबर्ग में हैं।जयशंकर ने बृहस्पतिवार को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दीं।भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने बीस देशों के समूह (जी-20) के विदेशमंत्रियों की बैठक में वैश्विक भूमिका पर भारत का पक्ष रखा। साथ ही अपने समकक्षों से मुलाकात भी की। एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय हित सबसे पहले है।

जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर जयशंकर ने कई अहम वैश्विक नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और सऊदी विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान के साथ बातचीत की। इसके अलावा जयशंकर ने सिंगापुर, ब्राजील और इथियोपिया के अपने समकक्षों से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।

जयशंकर ने जी-20 सदस्य देशों के अपने समकक्षों से मुलाकात के फोटो भी साझा किए। उन्होंने रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि सर्गेई से मिलकर खुशी हुई। इस दौरान भारत-रूस द्विपक्षीय सहयोग की निरंतर प्रगति की समीक्षा की। रियाद बैठक सहित यूक्रेन संघर्ष से संबंधित हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की।

नेपाल के विदेश मंत्री देउबा ने एस जयशंकर से की मुलाकात, नेपाल में राजशाही को लेकर पूछ लिया सवाल

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रायसीना डायलॉग में शामिल होने दिल्ली पहुंची नेपाल की विदेश मंत्री डॉ आरजू राणा ने मंगलवार शाम को भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर से मुलाकात की। उन्होंने कई मुद्दों पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से बातचीत की है। इस दौरान नेपाल में राजशाही के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों पर भी चर्चा हुई है। इस दौरान नेपाल की विदेश मंत्री डॉ राणा ने अपने भारतीय समकक्षी से हुई मुलाकात को लेकर बताया है कि यह बैठक नेपाल और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री के साथ हुए मुलाकात को अत्यधिक उपयोगी बताते हुए भारत की नेपाल नीति के प्रति आभार व्यक्त किया।

नेपाल की विदेश मंत्री आरज़ू राणा देउबा ने रायसीना डायलॉग से इतर द्विपक्षीय बैठक की। एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में देउबा ने कहा, हमारा मुख्य ध्यान जलविद्युत और व्यापार के संयुक्त विकास पर है। इसलिए ये वे मुद्दे थे जिन पर हमने आज मुख्य रूप से चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत और नेपाल अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं। हम अब बहुत सारी बैठकें कर रहे हैं जो कुछ समय से रुकी हुई थीं। देउबा ने कहा कि बैठकें बाढ़, व्यापार, सुरक्षा और जल संसाधनों के बंटवारे जैसे मुद्दों पर हुईं।

आरजू राणा ने जयशंकर से नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को लेकर भी सवाल किया। नेपाली विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा ने नई दिल्ली में 10वें रायसीना डायलॉग के दौरान एस जयशंकर से मुलाकात की तो उनको बताया कि काठमांडू और भारत में कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि नेपाल में राजशाही और हिंदू समर्थक आंदोलन को भारत का समर्थन है।

जयशंकर ने साफ किया भारत ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं है। देउबा के अनुसार, जयशंकर ने इन दावों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि हमारी बिल्कुल कोई भूमिका नहीं है। भारत ने साफतौर पर नेपाल में राजशाही समर्थक गतिविधियों से खुद को अलग किया है। दरअसल, काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ भारतीय विशेषज्ञ नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र के समर्थन में हो रहे आंदोलन के पक्ष में बात कर रहे हैं।

पाकिस्तान का नाम लिए बिना एस जयशंकर ने साधा निशाना, पश्चिमी देशों को भी सुना डाला

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भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर अपने लाजवाब करने वाले बयानों के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए ऐसी बात कह दी कि पड़ोसी देश तिलमिला जाए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रायसीना डायलॉग के दूसरे दिन बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा। जयशंकर ने कहा कि एक अंतर्राष्ट्रीय ऑर्डर न होने की वजह से न सिर्फ बड़े देशों को फायदा मिलता है, बल्कि दूसरे अतिवादी रुख अपनाने वाले देश इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करते हैं।

जयशंकर ने कहा हम सभी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की बात करते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी अन्य देश द्वारा किसी क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जे का उदाहरण भारत के कश्मीर से जुड़ा है। हमने संयुक्त राष्ट्र का रुख किया पर आक्रमण को विवाद बना दिया गया। हमलावर और पीड़ित को बराबर रखा गया।

अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता जयशंकर ने स्पष्ट किया कि एक प्रभावी वैश्विक व्यवस्था दुनिया के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी किसी देश के लिए घरेलू शासन व्यवस्था। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यवस्था नहीं होगी, तो सिर्फ बड़े देशों को ही लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि वे देश भी जिनका चरमपंथी रुख है, अव्यवस्था को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे।’ उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि जोखिम भरा देश होने के लिए बड़ा होना जरूरी नहीं, कुछ छोटे देश भी इसी रास्ते पर चल रहे हैं।

कश्मीर पर अवैध कब्जे का जिक्र

विदेश मंत्री ने पाकिस्तान की आक्रामकता का उदाहरण देते हुए कहा कि कश्मीर में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जा रहा। उन्होंने बताया कि जब भारत ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाया, तो हमलावर और पीड़ित दोनों को समान रूप से दिखाया गया, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में विसंगतियां उत्पन्न हुईं।

पश्चिमी देशों पर निशाना

जयशंकर ने पाकिस्तान के संदर्भ में पश्चिमी देशों, जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया, पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, पश्चिमी देश अन्य देशों के लोकतंत्र को लेकर चिंता जताते हैं, लेकिन जब हम उनके देशों में लोकतंत्र की स्थिति पर सवाल उठाते हैं, तो वह इसे गलत हस्तक्षेप मानते हैं। विदेश मंत्री ने वैश्विक व्यवस्था के हिसाब-किताब की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि दुनिया में न्यायपूर्ण और सशक्त व्यवस्था स्थापित की जा सके।

न्यायसंगत और निष्पक्ष संस्था पर दिया जोर

जयशंकर ने कहा कि अगर दुनिया में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था नहीं होगी तो कई तरह के खतरे पैदा हो जाएंगे। पुरानी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था अपने वक्त का प्रोडक्ट थी। उस व्यवस्था में नियम बनाने वाले और नियम का पालन करने वालों के अपने अलग नजरिए थे। जयशंकर ने कहा कि दुनिया के काम का हिसाब किताब रखने के लिए एक मजबूत यूएन की जरूरत है, लेकिन ये एक न्यायसंगत संस्था होनी चाहिए, निष्पक्ष होनी चाहिए। एक मजबूत ग्लोबल ऑर्डर में मानकों को लेकर एक निरंतरता कायम रहनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि पड़ोसी देश म्यांमार में मिलिट्री तख्तापलट होता हैं, तो वो किसी को मंजूर नहीं, लेकिन पश्चिम में नियमित तौर पर ऐसे तख्तापलट दिखते हैं, तब सवाल नहीं उठता। उन्होंने तालिबान का भी ज़िक्र किया और कहा कि जब आपको सही लगता है तो तालिबान सही हो जाता है और जब आपको ग़लत लगता है तो तालिबान ग़लत हो जाता है।

एस जयशंकर की सुरक्षा में चूक की गूंज ब्रिटिश संसद में, विपक्षी सांसद बॉब ब्लैकमैन ने उठाया मुद्दा

#uk_mp_raises_alarm_over_s_jaishankar_london_security_breach

विदेश मंत्री एस जयशंकर की लंदन यात्रा के दौरान सुरक्षा में चूक का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। लंदन में विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा में चूक का मुद्दा ब्रिटिश पार्लियामेंट में भी गूंजा। ब्रिटेन की विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने हाउस ऑफ कॉमन्स में इस मामले को उठाया। ब्लैकमैन ने इसे ‘खालिस्तानी गुंडों’ की ओर से हमला बताया। बता दें कि 6 मार्च यानी बुधवार की शाम को सेंट्रल लंदन में चैथम हाउस के बाहर खालुस्तानी समर्थक ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम के बाद जयशंकर के बाहर निकलते समय उनकी कार के सामलने आने की कोशिश की थी।

न्यूज एंजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ब्लैकमैन ने कहा, कल भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पर उस समय हमला हुआ, जब वो एक सार्वजनिक जगह पर भारतीय लोगों को संबोधित करने के बाद निकल रहे थे। उन पर खालिस्तानी गुंडों ने हमला किया। यह जिनेवा कन्वेंशन के खिलाफ है। ऐसा लगता है कि पुलिस और सुरक्षा बल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहे। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा दोबारा ना हो।

विपक्षी सांसद के जवाब में सरकार की ओर हाउस ऑफ कॉमन्स की नेता लूसी पॉवेल ने चिंता जताई। उन्होंने कहा, मुझे यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि भारतीय संसद के सदस्य पर लंदन में हमला हुआ। यह पूरी तरह अस्वीकार्य है और हम अपने देश में आने वाले नेताओं के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं चाहते हैं। ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय की ओर से भी इसकी निंदा की गई थी, जिसमें कहा गया, सार्वजनिक कार्यक्रमों को डराने, धमकाने या बाधित करने का कोई भी प्रयास पूरी तरह से अस्वीकार्य है।

भारत ने जताई आपत्ति

इससे पहले भारत ने विदेश मंत्री की सुरक्षा में चूक पर कड़ी आपत्ति जाहिर की थी। भारत ने कहा था कि वह उम्मीद करता है कि मेजबान सरकार ऐसे मामलों में अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।भारत ने खालिस्तानियों को जिक्र करते हुए कहा था कि वह लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा में सेंध की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं।

पहले भी हुई थी घटना

खालिस्तानी तत्वों द्वारा सुरक्षा भंग करने की यह पहली घटना नहीं थी। इसके पहले मार्च 2023 में खालिस्तानी तत्वों ने लंदन में भारतीय उच्चायोग पर राष्ट्रीय ध्वज उतार दिया था, जिस पर भारत की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया जताई गई थी।घटना के बाद, भारत ने दिल्ली में सबसे वरिष्ठ ब्रिटिश राजनयिक को तलब किया था। भारत ब्रिटेन से ब्रिटिश धरती से सक्रिय खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लंबे वक्त से कह रहा है।

लंदन में एस जयशंकर की कार के सामने खालिस्तानियों का हंगामा, तिरंगे का अपमान

#khalistanis_supporter_attack_on_s_jaishankar_in_london

विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय लंदन में हैं। जयशंकर लंदन में कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय विदेश मंत्री ने चैथम हाउस थिंक टैंक में एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम के बाद जयशंकर पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमले की कोशिश की।यह घटना तब हुई जब वे चैथम हाउस थिंक टैंक में कार्यक्रम के बाद अपनी कार से जा रहे थे। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

वीडियो में देका जा सकता है कि एक व्यक्ति जयशंकर की गाड़ी की ओर भागते हुए आता है।हमलावर तेजी से भागकर विदेश मंत्री की गाड़ी के सामने आकर खाड़ा हो जाता है और तिरंगा फाड़ देता है। लंदन पुलिस ने इस शख्स को काबू करते हुए जयशंकर को वहां से सुरक्षित निकाला। वीडियो में खालिस्तानी समर्थक प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल के बाहर आपत्तिजनक नारेबाजी करते सुने जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार ने इस घटना को यूके के सामने उठाते हुए अपना विरोध दर्ज कराया है।

भारतीय विदेश मंत्री ने इस घटना पर अपने बयान में कहा, हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा भंग होने की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं। हम ऐसे तत्वों के लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे मामलों में यूके सरकार अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने लंदन के चाथम हाउस थिंक टैंक में 'भारत का उदय और विश्व में इसकी भूमिका' विषय पर बोलते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कश्मीर, धारा-370 हटाने, आर्थिक सुधारों और उच्च मतदान के साथ हुए चुनावों पर अपने विचार साझा किए। जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार ने कश्मीर में ज्यादातर समस्याओं का हल कर लिया है। उन्होंने बताया कि धारा-370 को हटाना पहला कदम था, इसके बाद वहां आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को बहाल किया गया।

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी हैरान नहीं जयशंकर, इसे क्यों अच्छा बता रहे हैं विदेश मंत्री?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भी टैरिफ की धमकी दी है। ये खबर भारत के लिए तनाव बढ़ाने वाली कही जा रही है। अमेरिका की तरफ से लगाया जाने वाला रेसिप्रोकल टैरिफ भारत के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। भारत के कई उद्योगों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर की मानें तो यह आश्चर्यजनक नहीं है। जयशंकर ने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में जो भी फैसले लिए जा रहे हैं, वो भारत के हितों के अनुकूल है।

लंदन दौरे पर गए विदेश एस जयशंकर से जब उनसे ये पूछा गया कि आप अमेरिका की नई विदेश नीति के पहले 41 दिनों के बारे में क्या सोचते हैं? क्या यह भारत के लिए अच्छा है? क्या यह दुनिया के लिए सही है?

इस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। पिछले कुछ हफ्तों में हमने जो कुछ देखा और सुना है, उससे मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ है लेकिन क्या यह सही है तो अब मैं कहूंगा कि इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। हमारे राजनीतिक रिश्ते अच्छे हैं। कम से कम हाल के दिनों में इस पर कोई बोझ नहीं है।

अमेरिकी विदेश नीति भारत के लिए अच्छी है?

डॉ जयशंकर के सोशल मीडिया पेज पर जारी एक वीडियो में उन्होंने कहा, 'अब, ऐसा कहा जा रहा है कि क्या वर्तमान अमेरिकी विदेश नीति भारत के लिए अच्छी है? इस पर कई मायनों में मैं कहूंगा हां... यह आप भी जानते हैं...' लंदन के चाथम हाउस में एक बातचीत के दौरान जयशंकर ने कहा, 'हमारे अपने (भारत-ब्रिटेन) राजनीतिक संबंधों को बहुत ईमानदारी से देखें। कम से कम हाल के दिनों में, हमें अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ कभी कोई समस्या नहीं हुई है। ऐसा कोई बोझ नहीं है, जिसे हम ढोते हैं या जो संबंधों पर बोझ है।

भारत के लिए कैसे “अवसर”

जयशंकर ने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन क्वाड को मजबूत करने के पक्ष में है और अमेरिका भारत के लिए तकनीकी और व्यापारिक दृष्टिकोण से कई अवसर उपलब्ध करा सकता है। उन्होंने कहा, ट्रंप ने ऊर्जा की कीमतों को स्थिर बनाए रखा। वह टेक्नोलॉजी और विकास को प्राथमिकता देते हैं, जो भारत के लिए लाभकारी है। वह कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए भी खुले हैं, जिसमें भारत की गहरी रुचि है। हां, उनके पास व्यापार को लेकर एक निश्चित दृष्टिकोण है। हमने इस पर खुली बातचीत की और नतीजा यह रहा कि हम दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की आवश्यकता पर सहमत हुए। हमारे व्यापार मंत्री इस पर अमेरिका में चर्चा कर रहे हैं।

PoK को लेकर एस जयशंकर का बड़ा बयान, सुनकर पाकिस्तान को लगेगी मिर्ची

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर 5 दिनों के विदेश दौरे पर हैं। एस जयशंकर अभी ब्रिटेन में हैं। विदेशी धरती से एस जयशंकर ने पाकिस्तान को सीधा और सख्त संदेश दिया है। लंदन के चैथम हाउस में कश्मीर मुद्दे पर सवाल पूछा तो डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) की वापसी से कश्मीर मुद्दा पूरी तरह से हल हो जाएगा

जयशंकर बुधवार को लंदन में चैथम हाउस में आयोजित ‘भारत का उदय और विश्व में उसकी भूमिका’ सत्र में अपनी बात रख रहे थे। जयशंकर ने कश्मीर की स्थिति और भारत सरकार की ओ से उठाए गए कदमों के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना, कश्मीर में विकास व आर्थिक गतिविधि, सामाजिक न्याय की बहाली और साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने जैसे मुद्दों पर बात की। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर का केवल वह हिस्सा समस्याओं के पूर्ण समाधान से बचा हुआ है।

कश्मीर समस्या पूरी तरह हल करने का दिया भरोसा

जयशंकर ने कहा, कश्मीर में हमने ज्यादातर समस्याओं का समाधान कर लिया है। मेरा मानना है कि अनुच्छेद 370 को हटाना पहला कदम था। उसके बाद कश्मीर में आर्थिक गतिविधियों और सामाजिक न्याय की बहाली दूसरा कदम था। उच्च मतदान प्रतिशत के साथ सफलतापूर्वक चुनाव कराना तीसरा कदम था। इसके साथ ही उन्होंने कहा, हम जिस हिस्से का इंतजार कर रहे हैं, वह कश्मीर का वो हिस्सा है जो अवैध रूप से पाकिस्तान के कब्जे में है। जब वो वापस आएगा, तो मैं आपको भरोसा देता हूं, कश्मीर समस्या पूरी तरह हल हो जाएगी।

पीओके को लेकर पहले भी जता चुके हैं मंशा

इससे पहले 9 मई 2024 को विदेश मंत्री जयशंकर ने जोर देकर कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का हिस्सा है। उन्होंने कहा था कि हर भारतीय राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके भारत को वापस मिले। दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज, नई दिल्ली के छात्रों के साथ बातचीत के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था, मैं पीओके के बारे में बस इतना ही कह सकता हूं कि इस देश का हर राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके, जो भारत का हिस्सा है, भारत को वापस मिले। यह हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से मिले एस जयशंकर, जानें क्या हुई बात

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विदेश मंत्री जयशंकर इन दिनों ब्रिटेन के आधिकारिक दौर पर हैं। यहां उन्होंने मंगलवार शाम को ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से उनके आवास पर मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के साथ उनकी मुलाकात में द्विपक्षीय सहयोग तथा रूस-यूक्रेन संघर्ष पर ब्रिटेन के दृष्टिकोण संबंधी मुद्दे रहे।

एस जयशंकर ने अपनी इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं। तस्वीरों में दिख रहा था कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री खुद आगे बढ़कर जयशंकर का गर्मजोशी से स्वागत कर रहे हैं। जयशंकर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि हमारे द्विपक्षीय, आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने और एक दूसरे के यहां लोगों की आवाजाही बढ़ाने पर चर्चा हुई। पीएम स्टार्मर ने यूक्रेन संघर्ष पर ब्रिटेन के नजरिए को भी साझा किया।

इस मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत हुई। जयशंकर ने भारत की स्थिति को स्पष्ट किया कि भारत किसी गुट में शामिल नहीं होगा और हमेशा शांति का पक्षधर रहेगा। सूत्रों के अनुसार भारत ने ये साफ कर दिया है कि वह अपने फैसले खुद लेता है और अपनी नीति पर चलता है।

इससे पहले, उन्होंने ब्रिटेन और आयरलैंड को कवर करते हुए अपनी छह दिवसीय यात्रा के पहले दिन मंत्रिस्तरीय वार्ता की। इस क्रम में ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स के साथ बैठक के दौरान उन्होंने भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ता की प्रगति पर चर्चा की। जयशंकर ने रेनॉल्ड्स के साथ अपनी बैठक के बाद एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि हमने एफटीए वार्ता की प्रगति पर चर्चा की।

जयशंकर ने ब्रिटेन की गृह मंत्री यवेटे कूपर से मुलाकात की और लोगों के बीच आदान-प्रदान, तस्करी और उग्रवाद से निपटने के संयुक्त प्रयासों पर चर्चा की। उन्होंने व्यापार विभाग के सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स से भी मुलाकात की और एफटीए वार्ता में प्रगति पर चर्चा की।

यूएनएचआरसी से विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो टूक, बोले-आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा भारत
#s_jaishankar_un_india_will_advocate_zero_tolerance_for_terrorism


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 58वें सत्र को अपने संबोधन में मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन के लिए देश की प्रतिबद्धता दोहराई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 58वें सत्र में एक वर्चुअल संबोधन किया। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रूख को साफ किया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा ही आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की वकालत करेगा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, दुनिया को एक नई बहुपक्षीय प्रणाली की स्पष्ट और तत्काल जरूरत है जो समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाती हो, क्योंकि पिछले कुछ सालों में मौजूदा संरचनाओं की गंभीर रूप से कमी सामने आई है। विदेश मंत्री ने कहा कि मौजूदा चुनौतियों के बीच यह परिस्थितियां और अधिक विकृत, अनिश्चित और अस्थिर होती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें और तैयारी की जरूरत है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए फिट होना जरूरी है। अब हमें बहुआयामी प्रणाली की जरूरत है जो समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं के अनुरूप हों।

एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की मौजूदा व्यवस्था पर इशारा करते हुए कहा कि जब विश्व को इनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी तब यह खुद अभावग्रस्त व लाचार थे। जयशंकर ने कहा कि भारत हमेशा से वैश्विक प्रोन्नति और मानवाधिकार की रक्षा में अहम भूमिका निभाता रहा है। हमने हमेशा ही वित्तीय जिम्मेदारी के सिद्धांतों, पारदर्शिता और निरंतरता का पालन किया है। इस प्रतिबद्धता के साथ भारत ने हमेशा ही विभिन्न देशों के साथ विकास की साझेदारी निभाई है। लेकिन इसी के साथ भारत ने बिना किसी समझौते के आतंकवाद का मुकाबला किया है।

उन्होंने कहा, हम आतंकवाद का मुकाबला करने में दृढ़ और अडिग रहे हैं। भारत हमेशा आतंकवाद के लिए कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति की वकालत करेगा और इसे सामान्य बनाने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगा। हम वसुधैव कुटुम्बकम यानी दुनिया को एक परिवार मानने की बात केवल बोलते नहीं हैं, बल्कि इसके अनुसार जीते हैं और आज, पहले से कहीं अधिक, इस दृष्टिकोण की तत्काल जरूरत है।
जयशंकर ने यूनुस सरकार को सुनाई खरी-खरी, बोले- तय कर लो करना क्या है

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बीते साल अगस्त से भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तल्खी देखी जा रही है। मतलब साफ है शेख हसीने के सत्ता से बेदखल होन के बाद और अंतरिम सरकार के चीफ के तौर पर मोहम्‍मद यूनुस के आने के बाद हालात काफी बदल गए हैं। एक तरफ बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। वहीं, दूसरी तरफ यूनुस भारत से अच्‍छे रिश्‍तों की बात भी करते हैं। इस बीच भारत की बातों को विश्व पटल पर बेबाकी से रखने वाले विदेश एस जयशंकर बड़ा बयान दिया है। एस जयशंकर ने कहा है कि बांग्लादेश को तय करना होगा कि वह भारत के साथ कैसा रिश्ता चाहते है?

जयशंकर ने शनिवार को एक सार्वजनिक प्रोग्राम में कहा कि बांग्लादेश एक तरफ तो भारत से अच्छे रिश्तों की बात करता है, लेकिन दूसरी तरफ हर समस्या के लिए भारत को दोषी ठहराता है। उन्होंने कहा,'अगर हर दिन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का कोई न कोई व्यक्ति भारत को हर समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराता है, तो यह सही नहीं है। कुछ आरोप तो इतने बेबुनियाद होते हैं कि वे हास्यास्पद लगते हैं।

एस जयशंकर ने बांग्लादेश को लेकर कहा, आप यह नहीं कह सकते कि आप भारत से अच्छे संबंध चाहते हैं, लेकिन हर सुबह उठकर भारत को दोष देते हैं। उन्हें खुद तय करना होगा कि वे हमसे कैसे रिश्ते रखना चाहते हैं। जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के रिश्तों में दो बड़े मुद्दे सामने आ रहे हैं। पहला, बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले, जो भारत के लिए चिंता का विषय हैं। यह एक गंभीर मसला है और हम इस पर अपनी बात रखेंगे।

बता दें कि मस्कट में अपने बांग्लादेशी समकक्ष तौहीद हुसैन से मुलाकात के एक हफ्ते बाद एस जयशंकर ने ये बातें कही हैं। दरअसल, युनूस प्रशासन के आने के बाद बांग्लादेश से भारत के संबंधों में तेजी से बदलाव आया है। शेख हसीना के प्रत्यर्पण से लेकर बॉर्डर पर फेंसिंग के मसले तक बांग्लादेश और भारत असहज डिप्लोमेसी में उलझे हैं। वहीं दूसरीतरफ बांग्लादेश और पाकिस्तान जिस तेजी से संबंध बेहतर कर रहे हैं, वो भारत के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है।

जयशंकर ने रूस-चीन के अपने समकक्षों से की मुलाकात, जानें क्या हुई बात

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका की दो दिवसीय यात्रा पर जोहानिसबर्ग में हैं।जयशंकर ने बृहस्पतिवार को दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं दीं।भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर ने बीस देशों के समूह (जी-20) के विदेशमंत्रियों की बैठक में वैश्विक भूमिका पर भारत का पक्ष रखा। साथ ही अपने समकक्षों से मुलाकात भी की। एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय हित सबसे पहले है।

जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर जयशंकर ने कई अहम वैश्विक नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और सऊदी विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान के साथ बातचीत की। इसके अलावा जयशंकर ने सिंगापुर, ब्राजील और इथियोपिया के अपने समकक्षों से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।

जयशंकर ने जी-20 सदस्य देशों के अपने समकक्षों से मुलाकात के फोटो भी साझा किए। उन्होंने रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि सर्गेई से मिलकर खुशी हुई। इस दौरान भारत-रूस द्विपक्षीय सहयोग की निरंतर प्रगति की समीक्षा की। रियाद बैठक सहित यूक्रेन संघर्ष से संबंधित हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की।