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चुनाव आयोग ला रहा है एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म, मतदाताओं और अधिकारियों के लिए होगा ‘वन-स्टॉप सॉल्यूशन’

लखनऊ। भारत निर्वाचन आयोग चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, सरल और डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है। आयोग एक नया एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म 'ईसीआई-नेट' विकसित कर रहा है, जो मतदाताओं, चुनाव अधिकारियों, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज को एक ही मंच पर चुनाव से जुड़ी सभी सुविधाएं देगा।

यह 'वन-स्टॉप प्लेटफ़ॉर्म' आयोग के 40 से अधिक मौजूदा मोबाइल और वेब एप्लिकेशनों को एकीकृत कर उपयोगकर्ताओं को सरल, सुरक्षित और यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस प्रदान करेगा। इस प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को अलग-अलग ऐप डाउनलोड करने, लॉगिन करने और जटिल नेविगेशन से राहत मिलेगी।

इस अभिनव प्लेटफ़ॉर्म की परिकल्पना भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा मार्च 2025 में मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के सम्मेलन के दौरान की गई थी, जिसमें निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधु और डॉ. विवेक जोशी भी मौजूद थे।

इस प्लेटफॉर्म में वोटर हेल्पलाइन, सी-विजिल, सुविधा 2.0, सक्षम, ईएसएमएस, केवाईसी जैसे ऐप्स शामिल होंगे, जिन्हें अब तक 5.5 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है। इससे न केवल लगभग 100 करोड़ मतदाताओं, बल्कि देश भर के 10.5 लाख बीएलओ, 15 लाख बीएलए, 45 लाख मतदान अधिकारी और हजारों रजिस्ट्रेशन व जिला अधिकारी भी लाभान्वित होंगे।

-- विकास के अंतिम चरण में, सख्त परीक्षण और परामर्श जारी

ईसीआई-नेट फिलहाल विकास के उन्नत चरण में है और इसकी सुचारु कार्यप्रणाली, साइबर सुरक्षा, और उपयोगकर्ता अनुभव की जांच के लिए कठोर परीक्षण किए जा रहे हैं। इसे सभी 36 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के सीईओ, 767 डीईओ और 4,123 ईआरओ की सक्रिय भागीदारी और 9,000 पृष्ठों के 76 प्रकाशनों की समीक्षा के आधार पर विकसित किया गया है।

-- कानूनी ढांचे के भीतर डेटा की उपलब्धता

ईसीआई-नेट पर उपलब्ध सभी आंकड़े और सेवाएं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम 1960, और निर्वाचन संचालन नियम 1961 के अंतर्गत और आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही संचालित होंगी।

राज्य को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में आबकारी विभाग की अहम भूमिका : नितिन अग्रवाल

-- उत्तर प्रदेश आबकारी विभाग ने अप्रैल में अर्जित किया 4319.46 करोड़ का राजस्व, अवैध शराब पर सख्ती से मिला बड़ा लाभ

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य की दिशा में राज्य का आबकारी विभाग तेजी से अग्रसर है। विभाग न केवल राजस्व संग्रहण में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है, बल्कि अवैध शराब के खिलाफ सख्त कार्रवाई से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है।

अप्रैल 2025 में आबकारी विभाग ने 4600 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 4319.46 करोड़ रुपये (93.9 प्रतिशत) राजस्व अर्जित किया है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष अप्रैल 2024 के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक है, जब विभाग ने 4300 करोड़ रुपये के लक्ष्य के सापेक्ष 3313.43 करोड़ रुपये ही जुटाए थे।

प्रदेश के आबकारी एवं मद्यनिषेध राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नितिन अग्रवाल ने इस उपलब्धि को विभाग की अवैध शराब के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति और तकनीकी नवाचारों का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि "क्यूआर कोड आधारित ट्रैकिंग सिस्टम, सघन छापेमारी और तस्करी पर प्रभावी नियंत्रण ने उपभोक्ता विश्वास को मजबूत किया है।"

मंत्री ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभाग ने 63,000 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य तय किया है, जो राज्य की विकास योजनाओं, बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को गति देने में सहायक होगा। राज्यमंत्री ने कहा कि यह नतीजे इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि विभाग सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और प्रदेश के आर्थिक विकास में अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से निभा रहा है।

सीएम योगी का जनता दर्शन: फरियादियों से की मुलाकात, दिए तत्काल कार्रवाई के निर्देश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को राजधानी में आयोजित 'जनता दर्शन' कार्यक्रम में 60 से अधिक फरियादियों से मुलाकात की। उन्होंने एक-एक कर सभी की समस्याएं सुनीं, कुशलक्षेम पूछी और संबंधित अधिकारियों को त्वरित समाधान के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि, "प्रदेश के हर नागरिक के चेहरे पर खुशहाली लाना ही सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए राज्य सरकार पहले दिन से ही कार्य कर रही है।"

जनता दरबार में पुलिस, राजस्व, चिकित्सा सहायता, वृद्धावस्था पेंशन, सड़क निर्माण समेत विभिन्न विभागों से जुड़े मामले आए। मुख्यमंत्री ने प्रत्येक प्रार्थना पत्र को गंभीरता से लिया और संबंधित अधिकारियों को तत्काल संज्ञान लेकर निस्तारण करने को कहा।

मुख्यमंत्री योगी ने प्रतापगढ़ के कुंडा में हाल ही में हुई घटना का संज्ञान लेते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि "इस घटना के आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा।" जनता दर्शन में दो महिलाओं ने पुलिस से संबंधित शिकायतें कीं, जिन्हें मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया और तत्काल आवश्यक कदम उठाने को कहा।

-- जन-समस्याओं को प्राथमिकता

मड़ियाव थाना क्षेत्र के एक राजमिस्त्री वृद्धावस्था पेंशन की फरियाद लेकर पहुंचे, जिस पर मुख्यमंत्री ने नियमानुसार कार्रवाई का भरोसा दिलाया। खेत की पैमाइश, चकरोड, अवैध कब्जा, आरटीई, आवास और बिजली कनेक्शन जैसे कई मुद्दों को लेकर लोग पहुंचे थे, जिनके समाधान का आश्वासन मुख्यमंत्री ने दिया।

-- बच्चों को दिया दुलार और चॉकलेट

जनता दर्शन में आए पीड़ित परिवारों के साथ बच्चों को देखकर मुख्यमंत्री ने उन्हें दुलारा, उनकी पढ़ाई की जानकारी ली और चॉकलेट भी दी। सीएम योगी ने बच्चों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि "मन लगाकर पढ़ो, भविष्य उज्ज्वल बनेगा।"

इस कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं का कौशल विकास के साथ ही आय के बेहतर साधन उपलब्ध होंगे : जयवीर सिंह

-- उत्तर प्रदेश में ग्रामीण पर्यटन को नया आयाम: 18 जिलों के समन्वयकों को लखनऊ में मिला व्यावहारिक प्रशिक्षण

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा मान्यवर कांशीराम पर्यटन प्रबंधन संस्थान (एमकेआईटीएम), लखनऊ में पाँच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम ग्रामीण पर्यटन परियोजना (एग्री-रूरल एवं गंगे ग्राम रूरल टूरिज्म) के अंतर्गत प्रदेश के 18 जिलों से चयनित 29 ग्राम समन्वयकों के लिए आयोजित किया गया।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने जानकारी दी कि प्रशिक्षण का उद्देश्य ग्राम समन्वयकों को ग्रामीण पर्यटन के विभिन्न पहलुओं में दक्ष बनाना है, ताकि वे होम-स्टे इकाइयों और स्थानीय समुदाय के साथ मिलकर पर्यटकों को एक प्रामाणिक और समृद्ध अनुभव प्रदान कर सकें। प्रशिक्षण में व्यक्तित्व विकास, पारंपरिक भोजन, लोककला, जैविक खेती, डिजिटल भुगतान, कचरा प्रबंधन, सोशल मीडिया मार्केटिंग, स्वच्छता, योग और ध्यान जैसे विषयों पर गहन जानकारी दी गई। प्रतिभागियों को लखनऊ के पास कठवारा पर्यटन ग्राम में एक्सपोजर विजिट भी कराया गया, जहां 10 होम-स्टे इकाइयों को विकसित किया जा रहा है।

जयवीर सिंह ने कहा कि यह परियोजना स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के अवसर देने के साथ-साथ प्रदेश में सतत एवं समुदाय आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। भविष्य में और अधिक गांवों को इस परियोजना से जोड़ा जाएगा, ताकि उन्हें पर्यटन गांवों के रूप में विकसित किया जा सके और स्थानीय परंपराओं, कला एवं संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया जा सके।

यूपी : बहराइच में सैयद सालार मसूद गाज़ी दरगाह पर इस बार नहीं लगेगा जेठ मेला, प्रशासन ने नहीं दी अनुमति

लखनऊ/ बहराइच। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में सैयद सालार मसूद गाजी दरगाह पर इस वर्ष जेठ मेला आयोजित नहीं होगा। जिला प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए दरगाह प्रबंध समिति को अनुमति देने से इंकार कर दिया है। प्रशासनिक फैसले के बाद जायरीनों और स्थानीय लोगों में निराशा है, वहीं सोशल मीडिया पर भी इस निर्णय को लेकर चर्चाएं तेज हैं।

गोपनीय सूचना इकाई (LIU) की एक रिपोर्ट वायरल होने के बाद प्रशासन हरकत में आया और मेले को स्थगित करने का निर्णय लिया गया। यह रिपोर्ट कमिश्नर और अन्य उच्च अधिकारियों को भेजी गई थी, जिसमें 15 मई से शुरू होने वाले मेले और 18 मई से बारातों के आगमन को लेकर सुरक्षा चिंताओं का जिक्र था। प्रशासन को भारी संख्या में जायरीनों के आगमन, उनके ठहराव, स्थानीय व्यवस्थाएं और सुरक्षा प्रबंधन को लेकर संभावित अव्यवस्थाओं की आशंका थी। इसी के चलते दरगाह प्रबंध समिति को मेले की इजाजत नहीं दी गई।

सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर ने जानकारी दी कि दरगाह प्रबंध समिति की ओर से मेले के आयोजन के लिए पत्र प्राप्त हुआ था। इस पर रिपोर्ट तलब की गई, लेकिन किसी भी संबंधित अधिकारी ने आयोजन की संस्तुति नहीं दी। क्षेत्राधिकारी ने बताया कि हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को देखते हुए प्रशासन सतर्क है। चूंकि जेठ मेले में हर वर्ष पांच लाख से अधिक जायरीन आते हैं, ऐसे में कानून-व्यवस्था को संभालना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसी कारण से आयोजन को अनुमति नहीं दी गई। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जनसुरक्षा और कानून व्यवस्था सर्वोच्च प्राथमिकता है, और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

विकास प्राधिकरणों में भवन मानचित्रों के लंबित मामलों का एकमुश्त समाधान हो: योगी

-- मुख्यमंत्री ने कानपुर, आगरा और लखनऊ मेट्रो परियोजनाओं को निर्धारित समय सीमा में पूर्ण करने के दिए निर्देश 

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को आवास एवं शहरी नियोजन विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में शहरी विकास से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं की प्रगति का आकलन करते हुए उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि विकास प्राधिकरणों में लंबित भवन मानचित्रों के मामलों का त्वरित निस्तारण किया जाए। उन्होंने दो टूक कहा कि बार-बार आपत्तियां लगाने की प्रवृत्ति अनुचित है और एक ही बार में मामलों का निष्पक्ष समाधान किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि नगरों की जीआईएस आधारित मास्टर प्लान को मई माह के अंत तक अनिवार्य रूप से अनुमोदित करा लिया जाए। अब तक 59 नगरों में से 42 की महायोजनाएं अनुमोदित हो चुकी हैं, जबकि शेष 4 नगरों- झांसी, मैनपुरी, फर्रुखाबाद-फतेहगढ़ एवं बहराइच- की प्रक्रिया को भी इसी माह में पूरा करने के निर्देश दिए गए।

बैठक में मेट्रो परियोजनाओं की स्थिति पर जानकारी दी गई कि कानपुर मेट्रो के मोतीझील से सेंट्रल स्टेशन तक 6.7 किमी अंडरग्राउंड सेक्शन का कार्य पूर्ण हो गया है। दोनों कॉरीडोर 2025 के अंत तक पूर्ण हो जाएंगे। इसी प्रकार आगरा मेट्रो का पहला कॉरिडोर दिसंबर 2025 और दूसरा 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। लखनऊ मेट्रो के चारबाग से बसंतकुंज तक का कार्य (11.165 किमी) भी तेजी से जारी है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने लखनऊ विकास प्राधिकरण की सीमा विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया और जेपीएनआईएसी को शीघ्र एलडीए को हस्तांतरित करने का निर्देश भी दिया।

बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि मुख्यमंत्री शहरी विस्तार योजना के तहत झांसी, बरेली, अलीगढ़, सहारनपुर, आगरा, कानपुर, मथुरा, मुरादाबाद, बुलंदशहर, गाज़ियाबाद, मेरठ और लखनऊ में जून से दिसंबर 2025 के बीच चरणबद्ध रूप से योजनाएं लॉन्च की जाएंगी।

900 करोड़ की लागत से विकसित हो रहे 32.50 एकड़ में फैले इंटरनेशनल एक्जीबिशन-कम-कन्वेंशन सेंटर की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने इसे अधिकतम दो वर्षों में पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, यह केंद्र “नए लखनऊ की वैश्विक पहचान” बनेगा।

-- नीतिगत बदलाव और पारदर्शी शहरी प्रशासन पर बल

मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि: भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 पर जनसामान्य से सुझाव लेकर अंतिम रूप दिया जाए। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिनियम-2025, लैंड पूलिंग पॉलिसी-2025 और इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति को शीघ्र लागू किया जाए। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल, प्रवासी श्रमिकों के लिए विशेष आवासीय योजनाएं, ग्रीन बिल्डिंग प्रमाणीकरण, सोलर रूफटॉप, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग और अपशिष्ट प्रबंधन को अनिवार्य शहरी मानक बनाया जाए। यूपी आवास ऐप और रेरा पोर्टल को और अधिक सुगम व पारदर्शी बनाया जाए।

"राजस्व सुधार को मिली रफ्तार: सीएम ने दिया लैंड रिकॉर्ड डिजिटलीकरण में तेजी लाने का निर्देश"

- मुख्यमंत्री योगी ने की राजस्व विभाग की समीक्षा, कहा, तय समयसीमा में ही हो जनहित के मामलों का निस्तारण

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को राजस्व विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की और विभागीय कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने दो प्रमुख विषयों—राजस्व वादों का समयबद्ध निस्तारण और भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण—को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए कहा कि ये राज्य के विकास, जनविश्वास और निवेश के लिए अनिवार्य हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि संबंधी विवादों का शीघ्र समाधान पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन की नींव रखता है। उन्होंने निर्देश दिया कि शहरी लैंड रिकॉर्ड को प्राथमिकता के आधार पर पोर्टल पर सार्वजनिक किया जाए और शेष भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण जल्द से जल्द पूर्ण किया जाए।

मुख्यमंत्री ने राजस्व परिषद के पोर्टल को अधिक उपयोगकर्ता अनुकूल बनाने और आयुक्त से लेकर लेखपाल स्तर तक एकीकृत डैशबोर्ड विकसित करने के निर्देश दिए, जिससे विभागीय निगरानी को और सरल बनाया जा सके। साथ ही, लैंडयूज डेटा को खतौनी पर प्रदर्शित करने और धारा 80 के अंतर्गत भूमि उपयोग परिवर्तन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने का भी आदेश दिया।

उन्होंने नामांतरण वादों की पूर्णतः ऑटोमेशन पर बल दिया, जिससे नागरिकों को त्वरित और सुगम न्याय मिल सके। चकबंदी प्रक्रिया में तकनीकी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के साथ, मुख्यमंत्री ने सावधान किया कि इसकी जटिलता से सामाजिक तनाव उत्पन्न हो सकते हैं, अतः संवेदनशीलता के साथ निपटान किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अविवादित वरासत मामलों का निस्तारण अधिकतम 15 कार्यदिवसों में किया जाए और रियल टाइम खतौनी, आधार सीडिंग, किसान रजिस्ट्री और पैमाइश जैसे कार्यों को तय समय सीमा में पूर्ण किया जाए। इसके लिए अतिरिक्त मानव संसाधन की व्यवस्था सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया।

बैठक में जानकारी दी गई कि पिछले वर्ष 36 लाख से अधिक प्रमाण पत्र जारी किए गए, जिनमें से 85% आवेदन सात दिन के भीतर ऑनलाइन निस्तारित हुए। मुख्यमंत्री ने इस प्रगति की सराहना करते हुए सेवा वितरण को और अधिक प्रभावी बनाने पर बल दिया।

प्राकृतिक आपदा राहत की बात करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि 2023-24 में 3.5 लाख से अधिक प्रभावित परिवारों को DBT के माध्यम से सहायता दी गई। साथ ही, मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के सभी लंबित मामलों को 10 कार्यदिवसों में निस्तारित करने के निर्देश भी दिए।

युवाओं को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने हेतु प्रदेश में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का होगा आयोजन, इच्छुक संस्थाएं करें पंजीकरण

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की संस्कृति विभाग ने प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आम जनता, विशेष रूप से युवाओं और विद्यार्थियों तक पहुंचाने के उद्देश्य से बड़े स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाई है। इस पहल के अंतर्गत प्रदेशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रायोजित किए जाएंगे, जिसमें विभाग में पंजीकृत कलाकारों की प्रस्तुति कराई जाएगी और उन्हें मानदेय, प्रवास व आवास जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि ऐसे सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी, गैर-सरकारी संगठन, सार्वजनिक उपक्रम, नगर निकाय, पंचायतीराज संस्थाएं, शैक्षणिक संस्थान एवं विश्वविद्यालय जो 'नो प्रॉफिट-नो लॉस' आधार पर भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु कार्यरत हैं, वे इन आयोजनों के लिए आवेदन कर सकते हैं। ये आयोजन जैसे मेले, पर्व, त्योहार, वार्षिक उत्सव, सम्मेलन, सेमिनार आदि कॉमर्शियल प्रकृति के नहीं होने चाहिए तथा इनमें देश-विदेश से सहभागिता होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि गैर-सरकारी संस्थानों/संगठनों को संस्कृति विभाग की वेबसाइट [https://upculture.up.nic.in/hi/registration-2025] (https://upculture.up.nic.in/hi/registration-2025) पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है, जबकि सरकारी संस्थाएं निदेशक, संस्कृति को पत्र के माध्यम से अनुरोध भेजकर कार्यक्रम हेतु आवेदन कर सकती हैं।

प्रायोजित कार्यक्रमों में किसी भी गैर-सरकारी संस्था को सीधे कोई धनराशि नहीं दी जाएगी, बल्कि पंजीकृत कलाकारों को सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान किया जाएगा। कार्यक्रमों से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश विभाग की वेबसाइट https://upculture.up.nic.in/hi पर उपलब्ध हैं।

"ट्रेज इंडिया-2025 में यूपी के इको-टूरिज्म की धूम, अमेरिका-जर्मनी समेत कई देशों के टूर ऑपरेटर हुए प्रभावित"

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पर्यटन को वैश्विक मानचित्र पर सशक्त पहचान दिलाने की दिशा में एक और कदम तब जुड़ा, जब नई दिल्ली में आयोजित 'ट्रेज इंडिया-2025' में यूपी की इको-टूरिज्म संभावनाओं ने विदेशी टूर ऑपरेटरों को प्रभावित किया।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने जानकारी दी कि इस आयोजन में 'यूएसए, जर्मनी, फ्रांस, यूके, ऑस्ट्रेलिया' जैसे देशों के टूर ऑपरेटरों के साथ-साथ देश के शीर्ष ट्रैवल एजेंट्स और डेस्टिनेशन मैनेजमेंट कंपनियों ने भाग लिया। इसमें बुंदेलखंड क्षेत्र को विशेष रुचि मिली, जिससे इस क्षेत्र में पर्यटन को नया आयाम मिलने की संभावना है।

-- उत्तर प्रदेश बना घरेलू पर्यटन का अग्रणी राज्य

श्री सिंह ने बताया कि यूपी देश का नंबर-1 घरेलू पर्यटन गंतव्य है, और अब विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के प्रयास तेज किए जा रहे हैं। ट्रेज इंडिया-2025 इस दिशा में एक प्रभावशाली मंच साबित हो रहा है। इस दो दिवसीय आयोजन में 50 अंतरराष्ट्रीय टूर ऑपरेटर, 80 डेस्टिनेशन मैनेजमेंट कंपनियाँ, 40 लक्ज़री घरेलू ट्रैवल एजेंट्स, और प्रभावशाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शामिल हुए।

-- स्थानीय उद्यमियों और अधिकारियों की सहभागिता

इस आयोजन में राज्य के पर्यटन उद्यमियों जैसे अमरेश प्रताप सिंह (प्लांटर्स बंगला), शैलेंद्र सिंह (माय मॉम्स विलेज), दिव्योदित सिंह (तिरवा कोठी), दीपक गुप्ता (गुलमोहर रिसॉर्ट)और अली खान (महमूदाबाद एस्टेट) सहित विभागीय अधिकारी भी मौजूद रहे।

-- पर्यटन मंत्री ने की आयोजन की सराहना

मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि ट्रेज इंडिया-2025 यूपी की सांस्कृतिक विरासत, आध्यात्मिक स्थलों और अनुभवात्मक पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का सशक्त अवसर है। उन्होंने इसे हरित और प्लास्टिक-मुक्त आयोजन बताते हुए कहा कि यह पहल स्थानीय समुदायों और परंपराओं को भी सशक्त बनाने में मददगार है।

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"सिर्फ डिग्री नहीं, हुनर भी जरूरी": योगी आदित्यनाथ

* मुख्यमंत्री ने कहा- एनबीए, एआईआरएफ एवं नैक मूल्यांकन के लिए संस्थान स्वप्रेरणा से आगे बढ़ें, पूर्ण तैयारी के साथ आवेदन करें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार, गुणवत्तापरक प्रशिक्षण और उद्योग से जुड़ाव को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने शुक्रवार को संबंधित विभागों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए स्पष्ट किया कि शिक्षा को केवल प्रमाण-पत्र तक सीमित न रखते हुए इसे व्यवहारिक, कौशल-आधारित और रोजगारोन्मुखी बनाया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत आठ वर्षों में राज्य सरकार ने तकनीकी शिक्षा को अधिक सुलभ, नवाचारपरक और परिणामोन्मुखी बनाने के लिए अनेक ठोस प्रयास किए हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम अब सामने आ रहे हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी प्राविधिक संस्थान नैक, एनबीए तथा एनआईआरएफ जैसे मूल्यांकन ढाँचों में भाग लें, लेकिन इससे पहले व्यापक तैयारी सुनिश्चित की जाए।

बैठक में उन्होंने राज्य संस्थागत रैंकिंग रूपरेखा के अंतर्गत राजकीय एवं अनुदानित पॉलिटेक्निक की रैंकिंग की सराहना की तथा निजी संस्थानों को भी इसमें शामिल करने के निर्देश दिए, जिससे गुणवत्ता के एक समान मानक विकसित हो सकें।

-- औद्योगिक इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप पर विशेष जोर

मुख्यमंत्री ने प्रत्येक छात्र के लिए औद्योगिक इंटर्नशिप को अनिवार्य बनाने के निर्देश दिए, ताकि छात्रों को व्यावसायिक अनुभव मिल सके। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024-25 में 1.25 लाख से अधिक प्रशिक्षुओं को अप्रेंटिसशिप और रोजगार मिला है। प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना में 30,000 से अधिक छात्रों ने आवेदन किया है।

सीएसआर फंड के माध्यम से 37 जिलों में औद्योगिक इकाइयों द्वारा आधुनिक कौशल प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। एनपीएस और सीएमएपीएस योजनाओं के तहत पिछले पांच वर्षों में 2.67 लाख अप्रेंटिस नियुक्त किए गए हैं।

-- आत्मनिर्भर भारत" की दिशा में ठोस कदम

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की युवा शक्ति को तकनीकी रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने अधिकारियों से सभी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिए, ताकि हर युवा को उसके कौशल के अनुसार अवसर मिल सके और 'आत्मनिर्भर भारत' का सपना साकार किया जा सके।

--- नई पहलें और डिजिटल शिक्षा का समावेश

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में कुल 2139 पॉलीटेक्निक संस्थान कार्यरत हैं, जिनमें डिजिटल कक्षाएं, बायोमैट्रिक उपस्थिति और फ्रंटियर टेक्नोलॉजी जैसे ड्रोन टेक्नोलॉजी, डेटा साइंस, साइबर सिक्योरिटी और मशीन लर्निंग जैसे विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। 2017 के बाद से 39 नए राजकीय पॉलीटेक्निक स्थापित किए गए हैं और 13,000 से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया है। राज्य में वर्तमान में 324 राजकीय और 2982 निजी आईटीआई संचालित हैं, जिनमें से 212 को टाटा टेक्नोलॉजी लिमिटेड के सहयोग से उन्नत किया गया है।