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केंद्र ने वक्फ अधिनियम कानून का किया बचाव, सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून का बचाव कया है। केन्द्र ने वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल किया है। वक्फ कानून में लाए गए संशोधनों का बचाव करते हुए, केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा धर्म और संपत्ति के आधार पर चुनौतियों की सुनवाई के दौरान प्रावधानों पर किसी भी अंतरिम रोक के खिलाफ तर्क दिया। सरकार ने कहा है कि अदालत वक्फ मामले पर अंतरिम रोक न लगाते हुए पूरी सुनवाई कर अंत में कोई फैसला ले।

याचिकाओं में लगाए गए सभी आरोपों को नकारा

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने सर्वोच्च अदालत में हलफनामा दायर किया है जिसमें अदालत में दायर याचिकाओं में लगाए गए सभी आरोपों को नकारा है। केंद्र ने कहा कि याचिकाएं इस झूठे आधार के साथ लगाई गई हैं कि संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लेंगे। सुप्रीम कोर्ट विधायी क्षमता, अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर कानून की समीक्षा कर सकता है। संसदीय पैनल की ओर से व्यापक, गहन, विश्लेषणात्मक अध्ययन के बाद संशोधन किया गया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता के खिलाफ याचिकाओं को खारिज करने की मांग की।

संसद से पारित कानून पर रोक लगाना ठीक नहीं

केंद्र ने अधिनियम के किसी भी प्रावधान पर रोक लगाने का विरोध करते हुए कहा, कानून में यह स्थापित स्थिति है कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगी। अदालतें मामले पर अंतिम रूप से निर्णय लेंगी। सरकार ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के पास संवैधानिकता को जांचने की ताकत है लेकिन संसद ने जिस कानून को पारित किया है, उस पर रोक लगाना ठीक नहीं है।

'वक्फ-बाय-यूजर' पर बोली सरकार

केंद्र ने कहा कि वक्फ-बाय-यूजर को वैधानिक संरक्षण से वंचित करने से मुस्लिम समुदाय के किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने से वंचित नहीं किया जा सकता है। यहां एक जानबूझकर, उद्देश्यपूर्ण और भ्रामक कहानी बहुत ही शरारती तरीके से बनाई गई है, जिससे यह धारणा बनाई गई है कि जिन वक्फों ('वक्फ-बाय-यूजर' सहित) के पास अपने दावों का समर्थन करने के लिए दस्तावेज नहीं हैं, वे प्रभावित होंगे। यह न केवल असत्य और गलत है, बल्कि जानबूझकर इस अदालत को गुमराह करने वाला है।

पिछली सुनवाई में क्या हुआ?

इस महीने की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने 'वक्फ बाय यूजर' को हटाने, वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने और विवादित सरकारी भूमि पर वक्फ की स्थिति निर्धारित करने के मामले में कलेक्टर की शक्तियों पर चिंता जताई थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने अधिनियम के कुछ प्रावधानों को चिह्नित करते हुए कहा था कि हम आम तौर पर चुनौती के इस चरण में किसी कानून पर रोक नहीं लगाते हैं, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में ऐसा न हो। यह एक अपवाद प्रतीत होता है। हमारी चिंता यह है कि अगर वक्फ-बाय-यूजर को गैर-अधिसूचित किया जाता है, तो इसके बहुत बड़े परिणाम हो सकते हैं।

ट्रंप के टैरिफ से आंध्र के सीएम की क्यों बढ़ी टेंशन? केंद्र सरकार चिट्ठी लिखकर की बड़ी मांग

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ घोषणाओं ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा रखा है। भारत पर भी ट्रंप ने 26 फीसदी का जवाबी शुल्क लगाया है। इस बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र को पत्र लिखकर राज्य के मछली पालन उत्पादों के लिए मदद मांगी है। नायडू ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि झींगा जैसे उत्पादों को अतिरिक्त शुल्क से छूट दी जाए।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। इस पक्ष के जरिए नायडू ने उनसे राज्य के जलीय कृषि क्षेत्र को अपना समर्थन देने का आग्रह किया है, जिसे अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के कारण भारी नुकसान हो रहा है।

ट्रंप के टैरिफ से नायडू क्यों परेशान?

अमेरिका द्वारा लागू किए गए इस नए टैरिफ ने भारतीय झींगा निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी नुकसान में डाल दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, एक्वा किसान और झींगा और मछली निर्यातक 5 से 6 प्रतिशत मार्जिन पर काम करते हैं। ट्रंप प्रशासन ने भारत से एक्वा निर्यात पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इसके अलावा अमेरिकी वाणिज्य विभाग की ओर से 5.77% प्रतिपूरक शुल्क और 1.38% एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया गया है। इससे निर्यात की लागत में भारी वृद्धि होगी।

झींगा मछली की बिक्री पर क्या होगा असर?

वहीं, दूसरी तरफ भारत के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले देशों, खासकर इक्वाडोर को कम टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अमेरिका दक्षिण अमेरिकी देश पर केवल 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इससे भारतीय जलीय किसानों के हितों को नुकसान पहुंचेगा। नए टैरिफ की भरपाई के लिए, एक्वा उत्पाद निर्यातकों को कीमतें बढ़ानी होंगी। इससे इक्वाडोर, वियतनाम और ताइवान जैसे देशों की तुलना में भारत से झींगा और मछली अधिक महंगी हो जाएगी।

किसानों के सामने बड़ा संकट

निर्यात में गिरावट आती है, तो भारतीय किसानों को उत्पादन कम करना होगा। आंध्र प्रदेश में 5 लाख से अधिक एक्वा किसान काम करते हैं, जिनमें से अधिकांश पूर्व अविभाजित पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी जिलों में हैं। अगर राज्य को उत्पादन कम करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इन किसानों और उनके परिवारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

आंध्र प्रदेश झींगा उत्पादन में अग्रणी राज्य

बता दें कि आंध्र प्रदेश भारत के झींगा उत्पादन में अग्रणी राज्य है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा योगदान देता है। 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 2.55 बिलियन डॉलर मूल्य के समुद्री उत्पाद निर्यात किए, जिसमें झींगा 92% हिस्सा रखता है। इस उद्योग का राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में लगभग 8-11% योगदान है। इससे करीब 50 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं।

गोंडा : डिजिटल मॉनिटरिंग में खुली ग्रामसभा खैरा की पोल, डीएम नेहा शर्मा ने सचिव व एडीओ पंचायत से मांगा जवाब

गोंडा। जिला प्रशासन द्वारा गांवों की साफ-सफाई, सार्वजनिक सुविधाओं और विकास कार्यों की निगरानी के लिए शुरू की गई डिजिटल मॉनिटरिंग व्यवस्था ने ग्रामसभा खैरा (विकासखंड पंडरी कृपाल) की लापरवाही को उजागर कर दिया है।

डिजिटल मॉनिटरिंग के दौरान सामने आया कि ग्रामसभा खैरा में बनाए गए Resource Recovery Centre (RRC) में दो-तीन माह से कूड़ा नहीं डाला गया है। वहीं गांव के रामलीला मैदान, पोखरे के किनारे और अन्य जगहों पर खुले में कूड़ा फेंका जा रहा है।

डिजिटल मॉनिटरिंग रिपोर्ट पर तत्काल संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने ग्राम पंचायत सचिव के विरुद्ध कार्रवाई और एडीओ पंचायत (पंडरी कृपाल) से स्पष्टीकरण तलब करने के निर्देश दिए हैं।

सिर्फ सफाई ही नहीं, बल्कि पोखरे के सुंदरीकरण कार्य में भी अनियमितता पाई गई है। बिना सरिया लगाए पावा (बाउंड्री) बनाई गई थी, जो कुछ ही दिनों में गिर गई। साथ ही सार्वजनिक शौचालय में अनियमितता सामने आई।

डीएम ने इस पूरे प्रकरण की डिजिटल ट्रैकिंग कराते हुए संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही आज आयोजित होने वाली डिजिटल मॉनिटरिंग की बैठक में इस मामले को प्राथमिकता से रखने के निर्देश दिए गए हैं।

डीएम ने कहा कि डिजिटल मॉनिटरिंग के माध्यम से अब गांवों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। लापरवाही पाए जाने पर जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई तय है।

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एनईपी विवाद पर कमल हासन का बयान: 'वे हिंदीया बनाना चाहते हैं'

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ANI

मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के अध्यक्ष कमल हासन ने बुधवार को परिसीमन और भाषा विवाद को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया और दावा किया कि केंद्र भारत के बजाय 'हिंदिया' बनाने की कोशिश कर रहा है। 

इस मुद्दे पर एमके स्टालिन द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में बोलते हुए, हासन ने कहा कि केंद्र का परिसीमन प्रस्ताव भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करता है और "हिंदिया" की एकरूप दृष्टि को थोपने का जोखिम उठाता है। "हम एक समावेशी भारत की कल्पना करते हैं, लेकिन वे 'हिंदिया' बनाना चाहते हैं। जो चीज टूटी नहीं है उसे ठीक करने की कोशिश क्यों करें? एक कार्यशील लोकतंत्र को बार-बार बाधित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। चाहे निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से कैसे भी बनाया जाए, सबसे अधिक प्रभावित हमेशा गैर-हिंदी भाषी राज्य ही होंगे। यह कदम संघवाद को कमजोर करता है और पूरी तरह से अनावश्यक है," हासन ने कहा। हासन ने कहा कि लोकतंत्र, संघवाद और भारत की विविधता को बनाए रखने के लिए संसदीय प्रतिनिधियों की संख्या अपरिवर्तित रखना महत्वपूर्ण है।

MNM की यह तीखी टिप्पणी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में की गई। अभिनेता से नेता बने हासन ने दर्शकों को पिछले प्रधानमंत्रियों द्वारा लिए गए पिछले फैसलों की याद दिलाई। उन्होंने कहा, "1976 और फिर 2001 में, अलग-अलग विचारधाराओं वाले अलग-अलग राजनीतिक दलों से होने के बावजूद, उस समय के प्रधानमंत्रियों ने संघवाद का सम्मान किया और जनसंख्या के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करने से परहेज किया।"

हिंदी भाषा विवाद पर कमल हासन

एनईपी को लेकर स्टालिन सरकार और केंद्र के बीच चल रहे विवाद के बीच, एमएनएम प्रमुख हासन ने सरकार पर "तीन-भाषा नीति" की आड़ में हिंदी थोपने का प्रयास करने और अनुपालन से जुड़ी वित्तीय सहायता से राज्य सरकारों को धमकाने का भी आरोप लगाया। हासन ने कहा, "यह मनमाना निर्णय उसी पैटर्न का हिस्सा है।" उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सरकार ने कोविड-19 का हवाला देते हुए जनगणना क्यों नहीं की और अब 2026 में परिसीमन लागू करने की योजना क्यों बना रही है। उन्होंने कहा, "इसके पीछे असली मकसद हिंदी भाषी राज्यों में सत्ता को मजबूत करना और निर्णायक चुनावी जीत सुनिश्चित करना है।"

*Bengal Global Business Summit 2025 concluded today*

Desk : Finally, the Bengal Global Business Summit 2025 concluded with a Valedictory Session today at the Biswa Bangla Convention Centre.

The total investment proposals received in this eighth edition of BGBS come to Rupees 4 Lakh 40 thousand 595 crores.

Our mission is to create more and more employment and eliminate poverty in the State. Due to our continuous efforts, 1.72 crore individuals have been brought out of poverty in West Bengal.

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विष्णुदेव साय कैबिनेट की बैठक खत्म, पढ़िये कैबिनेट के सभी बड़े फैसले
रायपुर- नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय चुनाव से पहले साय कैबिनेट की अंतिम बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
- कैबिनेट की बैठक में किसानों के हित में आज एक बड़ा निर्णय लिया गया। इस निर्णय के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के अनुरूप इस साल भी समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले राज्य के लगभग 27 लाख किसानों को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा घोषित दर के अनुसार 3100 रूपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा। इस साल किसानों से केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य 2300 रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीदी की जा रही है, जिसका भुगतान किसानों को किया जा रहा है तथा प्रति क्विंटल अंतर की राशि 800 रूपए छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को आदान सहायता के रूप में एकमुश्त फरवरी 2025 में प्रदान करेगी।
- कैबिनेट ने खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में उपार्जित धान में से अतिशेष धान की नीलामी को ऑनलाईन प्लेटफार्म के माध्यम से निराकरण करने का निर्णय लिया है।
- छत्तीसगढ़ राज्य में एचव्ही-4 श्रेणी के विद्युत उपभोक्ता-मिनी स्टील प्लांट, स्टील उद्योग को जिनके कैप्टिव पावर प्लांट नहीं है या एक मेगा वॉट से कम है तथा उनका लोड 2.5 एमव्हीए से अधिक है को औद्योगिक एवं आर्थिक मंदी के कारण उन्हें प्रतिस्पर्धा में बनाए रखने तथा राहत देने के उद्देश्य से कैबिनेट द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए विशेष राहत पैकेज अंतर्गत ऊर्जा प्रभार में 01 अक्टूबर 2024 से 31 मार्च 2025 तक अधिकतम एक रूपए प्रति यूनिट छूट देने का निर्णय लिया गया।
- कैबिनेट ने विधानसभा सत्र में किए गए घोषणा के अनुपालन में राज्य के कलाकारों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। अर्थाभावग्रस्त लेखकों और कलाकारों एवं उनके आश्रितों को वित्तीय सहायता देने के लिए संस्कृति विभाग द्वारा संचालित छत्तीसगढ़ कलाकार कोष नियम 1982 में संशोधन कर राज्य के कलाकारों को 25 हजार रूपए के स्थान पर अब अधिकतम 50 हजार रूपए की सहायता एवं मृत्यु होने पर 01 लाख रूपए की आर्थिक सहायता राशि प्रदान किए जाने का निर्णय लिया है।
- छत्तीसगढ़ राज्य के युवाओं को वित्तीय बाजारों, निवेश के साधनों एवं वित्तीय नियोजन के क्षेत्र में उपयुक्त कौशल तथा आवश्यक ज्ञान उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा छात्र स्किलिंग प्रोग्राम (एसएसपी) के तहत नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के साथ एमओयू करने का निर्णय लिया गया है। यह प्रशिक्षण हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल तथा कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए संचालित किया जाएगा।
- वाणिज्यिक कर (आबकारी) विभाग में अपर आयुक्त आबकारी का एक नवीन पद (वेतन मेट्रिक्स लेवल-15) का सृजन करने का निर्णय लिया गया।
- नवा रायपुर अटल नगर में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रयोजन हेतु श्री सत्य सांई हेल्थ एवं एजुकेशन ट्रस्ट को अतिरिक्त 05 एकड़ भूमि निःशुल्क आबंटित करने का निर्णय लिया गया।
- छत्तीसगढ़ विशेष क्षेत्र (अचल संपत्ति का व्ययन) नियम, 2008 के तहत् नवा रायपुर अटल नगर में The Art of Living Centre की स्थापना हेतु 40 एकड़ भूमि रियायती दर पर आबंटित करने का निर्णय लिया गया।
- नया रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण की नया रायपुर आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति, 2017 में संशोधन करने का निर्णय लिया गया।
- छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल के द्वारा निर्मित 5 वर्ष से अधिक समय से नहीं बिके हुए आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों को (One time settlement) एकमुश्त निपटान हेतु लागत मूल्य (बेस रेट) से 10 प्रतिशत, 20 प्रतिशत तथा 30 प्रतिशत छूट देकर विक्रय करने का निर्णय लिया गया।
- प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 अंतर्गत एक लाख 32 हजार हितग्राहियों को लाभान्वित करने के लिए कुल अनुदान राशि 3938.80 करोड़ है, जिसमें अनिवार्य राज्यांश 1450 करोड़ रूपए एवं अतिरिक्त राज्यांश 538 करोड़, जो कि मकान पूर्ण करने अथवा गृह प्रवेश पर दिया जाएगा, का अनुमोदन किया गया।
- कैबिनेट ने महिला स्व-सहायता समूह के हित को ध्यान में रखते हुए रेडी टू ईट निर्माण का काम महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपने का निर्णय लिया है। पहले चरण में रेडी टू ईट निर्माण का कार्य 5 जिलों में महिला स्व-सहायता समूहों को दिया जाएगा।
- छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व एवं आरक्षण संबंधी प्रावधानों में संशोधन किए जाने हेतु विभिन्न धाराओं में संशोधन संबंधी जारी अध्यादेश की समयावधि को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
जाते-जाते भारत पर मेहरबान हुई बाइडेन सरकार, भाभा समेत 3 परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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अमेरिका की जो बाइडन सरकार ने जाते-जाते भारत पर तोहफों की बारिश की है। अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं पर 20 साल से लगा प्रतिबंध हटाया। इसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ (IRE) के नाम हैं। वहीं, अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चाइना की 11 संस्थाओं को प्रतिबंध की लिस्ट में जोड़ा है। यूनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (बीआईएस) ने इसकी पुष्टि की है।

बीआईएस के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं।

बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अमेरिका ने पहले ही दिया था संकेत

अमेरिका का ये फैसला अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन के 6 जनवरी के हुए भारत दौरे के बाद आया।सुलिवन ने दिल्ली आईआईटी में कहा था कि अमेरिका उन नियमों को हटाएगा जो भारतीय परमाणु संस्थाओं और अमेरिकी कंपनियों के बीच सहयोग में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने कहा था कि लगभग 20 साल पहले पूर्व राष्ट्रपति बुश और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परमाणु समझौते की एक दूरदर्शी सोच की नींव रखी थी, जिसे हमें अब पूरी तरह हकीकत बनाना है।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

चीन पर गिराई गाज

जहां अमेरिका ने भारत के लिए ये रियायतें दी हैं, वहीं चीन के 11 संगठनों को 'एंटिटी लिस्ट' में जोड़ा गया है. यह कदम अमेरिका की उस नीति का हिस्सा है, जो चीन और अन्य विरोधियों की एडवांस सेमीकंडक्टर और AI तकनीकों तक पहुंच को सीमित करना चाहती है

बांग्लादेश से जो वापस भारत आना चाहते उन्हें आने दे केन्द्र”, ममता बनर्जी की मोदी सरकार से अपील*
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बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ पिछले पांच महीनों से खुला अत्याचार हो रहा है। हिंदुओं की टारगेट किलिंग और लूटपाट की खबरों के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र से बड़ी अपील की है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को केंद्र सरकार से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की और यह भी कहा कि जो लोग वापस भारत आना चाहते हैं, उन्हें वापस लाया जाए। बनर्जी ने यह बात दीघा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। मुख्यमंत्री जगन्नाथ मंदिर के निर्माण की समीक्षा के लिए दीघा के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि केंद्र को हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देनी चाहिए और जो लोग लौटना चाहते हैं उन्हें वापस लाना चाहिए। सीएम ने कहा कि हम बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चाहते हैं। केंद्र को इस मामले में कदम उठाना चाहिए। इस दौरान ममता ने आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर फर्जी वीडियो फैलाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के फर्जी वीडियो से समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा, जो कि ठीक नहीं। इससे देश का माहौल खराब होगा। *पहले भी कर चुकीं है अपील* ससे पहले भी ममता बनर्जी बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर केंद्र से हस्तक्षेप की गुहार लगा चुकीं हैं। दिसंबर के शुरूआत में उन्होंने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश में हमारे परिवार और प्रियजन हैं। हम भारत सरकार की ओर से लिए गए किसी भी रुख को स्वीकार करते हैं। हम दुनिया में कहीं भी धार्मिक आधार पर अत्याचारों की निंदा करते हैं। साथ ही, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। ममता बनर्जी ने भी नरेंद्र मोदी सरकार से संयुक्त राष्ट्र के जरिये हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी।बनर्जी ने कहा था कि भारत सरकार इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठा सकती है ताकि शांति सेना भेजी जा सके। *बांग्लादेश में हिंसा का असर कोलकाता में* बांग्लादेश में करीब 1.31 करोड़ हिंदू रहते हैं और यह देश की कुल आबादी का 7.96 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल का करीब 2,217 किलोमीटर का बॉर्डर बांग्लादेश से जुड़ता है। इसके अलावा त्रिपुरा, असम और मिजोरम से भी बांग्लादेश की सीमा जुड़ती है, मगर वहां हो रही हिंसा का असर पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक है। कोलकाता की सड़कों पर हिंदुओं को समर्थन में रैलियां और शांति मार्च निकाली जा रही हैं। गुस्से का आलम यह है कि कोलकाता और अगरतला के डॉक्टरों के बड़े समूह ने बांग्लादेशियों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। 2023 में 4.49 लाख बांग्लादेशी मरीज भारत इलाज के लिए आए, जिनमें से अधिकतर कोलकाता पहुंचे। *बांग्लादेश में दहशत में है हिंदू समुदाय* बता दें कि शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद पड़ोसी राज्य में धार्मिक उन्माद चरम पर है। मंदिरों पर हमले हो रहे हैं। आरती और पूजा पाठ को भी कट्टरपंथियों ने प्रतिबंधित कर दिया है। हिंदू महिलाओं के साथ बदसलूकी और अल्पसंख्यकों को डराने-धमकाने की खबरें भी आ रही हैं। हाल ही में इस्कॉन के संत और हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को भी देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया। इसके अलावा उनके तीन सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है। भारत आ रहे इस्कॉन के 63 संतों को भी बॉर्डर पर रोका गया।
केंद्र ने वक्फ अधिनियम कानून का किया बचाव, सुप्रीम कोर्ट में दायर किया हलफनामा

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून का बचाव कया है। केन्द्र ने वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल किया है। वक्फ कानून में लाए गए संशोधनों का बचाव करते हुए, केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा धर्म और संपत्ति के आधार पर चुनौतियों की सुनवाई के दौरान प्रावधानों पर किसी भी अंतरिम रोक के खिलाफ तर्क दिया। सरकार ने कहा है कि अदालत वक्फ मामले पर अंतरिम रोक न लगाते हुए पूरी सुनवाई कर अंत में कोई फैसला ले।

याचिकाओं में लगाए गए सभी आरोपों को नकारा

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने सर्वोच्च अदालत में हलफनामा दायर किया है जिसमें अदालत में दायर याचिकाओं में लगाए गए सभी आरोपों को नकारा है। केंद्र ने कहा कि याचिकाएं इस झूठे आधार के साथ लगाई गई हैं कि संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लेंगे। सुप्रीम कोर्ट विधायी क्षमता, अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर कानून की समीक्षा कर सकता है। संसदीय पैनल की ओर से व्यापक, गहन, विश्लेषणात्मक अध्ययन के बाद संशोधन किया गया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता के खिलाफ याचिकाओं को खारिज करने की मांग की।

संसद से पारित कानून पर रोक लगाना ठीक नहीं

केंद्र ने अधिनियम के किसी भी प्रावधान पर रोक लगाने का विरोध करते हुए कहा, कानून में यह स्थापित स्थिति है कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगी। अदालतें मामले पर अंतिम रूप से निर्णय लेंगी। सरकार ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के पास संवैधानिकता को जांचने की ताकत है लेकिन संसद ने जिस कानून को पारित किया है, उस पर रोक लगाना ठीक नहीं है।

'वक्फ-बाय-यूजर' पर बोली सरकार

केंद्र ने कहा कि वक्फ-बाय-यूजर को वैधानिक संरक्षण से वंचित करने से मुस्लिम समुदाय के किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने से वंचित नहीं किया जा सकता है। यहां एक जानबूझकर, उद्देश्यपूर्ण और भ्रामक कहानी बहुत ही शरारती तरीके से बनाई गई है, जिससे यह धारणा बनाई गई है कि जिन वक्फों ('वक्फ-बाय-यूजर' सहित) के पास अपने दावों का समर्थन करने के लिए दस्तावेज नहीं हैं, वे प्रभावित होंगे। यह न केवल असत्य और गलत है, बल्कि जानबूझकर इस अदालत को गुमराह करने वाला है।

पिछली सुनवाई में क्या हुआ?

इस महीने की शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट ने 'वक्फ बाय यूजर' को हटाने, वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने और विवादित सरकारी भूमि पर वक्फ की स्थिति निर्धारित करने के मामले में कलेक्टर की शक्तियों पर चिंता जताई थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने अधिनियम के कुछ प्रावधानों को चिह्नित करते हुए कहा था कि हम आम तौर पर चुनौती के इस चरण में किसी कानून पर रोक नहीं लगाते हैं, जब तक कि असाधारण परिस्थितियों में ऐसा न हो। यह एक अपवाद प्रतीत होता है। हमारी चिंता यह है कि अगर वक्फ-बाय-यूजर को गैर-अधिसूचित किया जाता है, तो इसके बहुत बड़े परिणाम हो सकते हैं।

ट्रंप के टैरिफ से आंध्र के सीएम की क्यों बढ़ी टेंशन? केंद्र सरकार चिट्ठी लिखकर की बड़ी मांग

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ घोषणाओं ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा रखा है। भारत पर भी ट्रंप ने 26 फीसदी का जवाबी शुल्क लगाया है। इस बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र को पत्र लिखकर राज्य के मछली पालन उत्पादों के लिए मदद मांगी है। नायडू ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि झींगा जैसे उत्पादों को अतिरिक्त शुल्क से छूट दी जाए।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। इस पक्ष के जरिए नायडू ने उनसे राज्य के जलीय कृषि क्षेत्र को अपना समर्थन देने का आग्रह किया है, जिसे अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के कारण भारी नुकसान हो रहा है।

ट्रंप के टैरिफ से नायडू क्यों परेशान?

अमेरिका द्वारा लागू किए गए इस नए टैरिफ ने भारतीय झींगा निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी नुकसान में डाल दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, एक्वा किसान और झींगा और मछली निर्यातक 5 से 6 प्रतिशत मार्जिन पर काम करते हैं। ट्रंप प्रशासन ने भारत से एक्वा निर्यात पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इसके अलावा अमेरिकी वाणिज्य विभाग की ओर से 5.77% प्रतिपूरक शुल्क और 1.38% एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया गया है। इससे निर्यात की लागत में भारी वृद्धि होगी।

झींगा मछली की बिक्री पर क्या होगा असर?

वहीं, दूसरी तरफ भारत के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले देशों, खासकर इक्वाडोर को कम टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अमेरिका दक्षिण अमेरिकी देश पर केवल 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इससे भारतीय जलीय किसानों के हितों को नुकसान पहुंचेगा। नए टैरिफ की भरपाई के लिए, एक्वा उत्पाद निर्यातकों को कीमतें बढ़ानी होंगी। इससे इक्वाडोर, वियतनाम और ताइवान जैसे देशों की तुलना में भारत से झींगा और मछली अधिक महंगी हो जाएगी।

किसानों के सामने बड़ा संकट

निर्यात में गिरावट आती है, तो भारतीय किसानों को उत्पादन कम करना होगा। आंध्र प्रदेश में 5 लाख से अधिक एक्वा किसान काम करते हैं, जिनमें से अधिकांश पूर्व अविभाजित पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी जिलों में हैं। अगर राज्य को उत्पादन कम करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इन किसानों और उनके परिवारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

आंध्र प्रदेश झींगा उत्पादन में अग्रणी राज्य

बता दें कि आंध्र प्रदेश भारत के झींगा उत्पादन में अग्रणी राज्य है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा योगदान देता है। 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 2.55 बिलियन डॉलर मूल्य के समुद्री उत्पाद निर्यात किए, जिसमें झींगा 92% हिस्सा रखता है। इस उद्योग का राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में लगभग 8-11% योगदान है। इससे करीब 50 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं।

गोंडा : डिजिटल मॉनिटरिंग में खुली ग्रामसभा खैरा की पोल, डीएम नेहा शर्मा ने सचिव व एडीओ पंचायत से मांगा जवाब

गोंडा। जिला प्रशासन द्वारा गांवों की साफ-सफाई, सार्वजनिक सुविधाओं और विकास कार्यों की निगरानी के लिए शुरू की गई डिजिटल मॉनिटरिंग व्यवस्था ने ग्रामसभा खैरा (विकासखंड पंडरी कृपाल) की लापरवाही को उजागर कर दिया है।

डिजिटल मॉनिटरिंग के दौरान सामने आया कि ग्रामसभा खैरा में बनाए गए Resource Recovery Centre (RRC) में दो-तीन माह से कूड़ा नहीं डाला गया है। वहीं गांव के रामलीला मैदान, पोखरे के किनारे और अन्य जगहों पर खुले में कूड़ा फेंका जा रहा है।

डिजिटल मॉनिटरिंग रिपोर्ट पर तत्काल संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने ग्राम पंचायत सचिव के विरुद्ध कार्रवाई और एडीओ पंचायत (पंडरी कृपाल) से स्पष्टीकरण तलब करने के निर्देश दिए हैं।

सिर्फ सफाई ही नहीं, बल्कि पोखरे के सुंदरीकरण कार्य में भी अनियमितता पाई गई है। बिना सरिया लगाए पावा (बाउंड्री) बनाई गई थी, जो कुछ ही दिनों में गिर गई। साथ ही सार्वजनिक शौचालय में अनियमितता सामने आई।

डीएम ने इस पूरे प्रकरण की डिजिटल ट्रैकिंग कराते हुए संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही आज आयोजित होने वाली डिजिटल मॉनिटरिंग की बैठक में इस मामले को प्राथमिकता से रखने के निर्देश दिए गए हैं।

डीएम ने कहा कि डिजिटल मॉनिटरिंग के माध्यम से अब गांवों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। लापरवाही पाए जाने पर जिम्मेदारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई तय है।

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एनईपी विवाद पर कमल हासन का बयान: 'वे हिंदीया बनाना चाहते हैं'

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ANI

मक्कल नीधि मैयम (एमएनएम) के अध्यक्ष कमल हासन ने बुधवार को परिसीमन और भाषा विवाद को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया और दावा किया कि केंद्र भारत के बजाय 'हिंदिया' बनाने की कोशिश कर रहा है। 

इस मुद्दे पर एमके स्टालिन द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में बोलते हुए, हासन ने कहा कि केंद्र का परिसीमन प्रस्ताव भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करता है और "हिंदिया" की एकरूप दृष्टि को थोपने का जोखिम उठाता है। "हम एक समावेशी भारत की कल्पना करते हैं, लेकिन वे 'हिंदिया' बनाना चाहते हैं। जो चीज टूटी नहीं है उसे ठीक करने की कोशिश क्यों करें? एक कार्यशील लोकतंत्र को बार-बार बाधित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। चाहे निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से कैसे भी बनाया जाए, सबसे अधिक प्रभावित हमेशा गैर-हिंदी भाषी राज्य ही होंगे। यह कदम संघवाद को कमजोर करता है और पूरी तरह से अनावश्यक है," हासन ने कहा। हासन ने कहा कि लोकतंत्र, संघवाद और भारत की विविधता को बनाए रखने के लिए संसदीय प्रतिनिधियों की संख्या अपरिवर्तित रखना महत्वपूर्ण है।

MNM की यह तीखी टिप्पणी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में की गई। अभिनेता से नेता बने हासन ने दर्शकों को पिछले प्रधानमंत्रियों द्वारा लिए गए पिछले फैसलों की याद दिलाई। उन्होंने कहा, "1976 और फिर 2001 में, अलग-अलग विचारधाराओं वाले अलग-अलग राजनीतिक दलों से होने के बावजूद, उस समय के प्रधानमंत्रियों ने संघवाद का सम्मान किया और जनसंख्या के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करने से परहेज किया।"

हिंदी भाषा विवाद पर कमल हासन

एनईपी को लेकर स्टालिन सरकार और केंद्र के बीच चल रहे विवाद के बीच, एमएनएम प्रमुख हासन ने सरकार पर "तीन-भाषा नीति" की आड़ में हिंदी थोपने का प्रयास करने और अनुपालन से जुड़ी वित्तीय सहायता से राज्य सरकारों को धमकाने का भी आरोप लगाया। हासन ने कहा, "यह मनमाना निर्णय उसी पैटर्न का हिस्सा है।" उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सरकार ने कोविड-19 का हवाला देते हुए जनगणना क्यों नहीं की और अब 2026 में परिसीमन लागू करने की योजना क्यों बना रही है। उन्होंने कहा, "इसके पीछे असली मकसद हिंदी भाषी राज्यों में सत्ता को मजबूत करना और निर्णायक चुनावी जीत सुनिश्चित करना है।"

*Bengal Global Business Summit 2025 concluded today*

Desk : Finally, the Bengal Global Business Summit 2025 concluded with a Valedictory Session today at the Biswa Bangla Convention Centre.

The total investment proposals received in this eighth edition of BGBS come to Rupees 4 Lakh 40 thousand 595 crores.

Our mission is to create more and more employment and eliminate poverty in the State. Due to our continuous efforts, 1.72 crore individuals have been brought out of poverty in West Bengal.

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विष्णुदेव साय कैबिनेट की बैठक खत्म, पढ़िये कैबिनेट के सभी बड़े फैसले
रायपुर- नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय चुनाव से पहले साय कैबिनेट की अंतिम बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
- कैबिनेट की बैठक में किसानों के हित में आज एक बड़ा निर्णय लिया गया। इस निर्णय के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के अनुरूप इस साल भी समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले राज्य के लगभग 27 लाख किसानों को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा घोषित दर के अनुसार 3100 रूपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा। इस साल किसानों से केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य 2300 रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीदी की जा रही है, जिसका भुगतान किसानों को किया जा रहा है तथा प्रति क्विंटल अंतर की राशि 800 रूपए छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को आदान सहायता के रूप में एकमुश्त फरवरी 2025 में प्रदान करेगी।
- कैबिनेट ने खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में उपार्जित धान में से अतिशेष धान की नीलामी को ऑनलाईन प्लेटफार्म के माध्यम से निराकरण करने का निर्णय लिया है।
- छत्तीसगढ़ राज्य में एचव्ही-4 श्रेणी के विद्युत उपभोक्ता-मिनी स्टील प्लांट, स्टील उद्योग को जिनके कैप्टिव पावर प्लांट नहीं है या एक मेगा वॉट से कम है तथा उनका लोड 2.5 एमव्हीए से अधिक है को औद्योगिक एवं आर्थिक मंदी के कारण उन्हें प्रतिस्पर्धा में बनाए रखने तथा राहत देने के उद्देश्य से कैबिनेट द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए विशेष राहत पैकेज अंतर्गत ऊर्जा प्रभार में 01 अक्टूबर 2024 से 31 मार्च 2025 तक अधिकतम एक रूपए प्रति यूनिट छूट देने का निर्णय लिया गया।
- कैबिनेट ने विधानसभा सत्र में किए गए घोषणा के अनुपालन में राज्य के कलाकारों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। अर्थाभावग्रस्त लेखकों और कलाकारों एवं उनके आश्रितों को वित्तीय सहायता देने के लिए संस्कृति विभाग द्वारा संचालित छत्तीसगढ़ कलाकार कोष नियम 1982 में संशोधन कर राज्य के कलाकारों को 25 हजार रूपए के स्थान पर अब अधिकतम 50 हजार रूपए की सहायता एवं मृत्यु होने पर 01 लाख रूपए की आर्थिक सहायता राशि प्रदान किए जाने का निर्णय लिया है।
- छत्तीसगढ़ राज्य के युवाओं को वित्तीय बाजारों, निवेश के साधनों एवं वित्तीय नियोजन के क्षेत्र में उपयुक्त कौशल तथा आवश्यक ज्ञान उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा छात्र स्किलिंग प्रोग्राम (एसएसपी) के तहत नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के साथ एमओयू करने का निर्णय लिया गया है। यह प्रशिक्षण हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल तथा कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए संचालित किया जाएगा।
- वाणिज्यिक कर (आबकारी) विभाग में अपर आयुक्त आबकारी का एक नवीन पद (वेतन मेट्रिक्स लेवल-15) का सृजन करने का निर्णय लिया गया।
- नवा रायपुर अटल नगर में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रयोजन हेतु श्री सत्य सांई हेल्थ एवं एजुकेशन ट्रस्ट को अतिरिक्त 05 एकड़ भूमि निःशुल्क आबंटित करने का निर्णय लिया गया।
- छत्तीसगढ़ विशेष क्षेत्र (अचल संपत्ति का व्ययन) नियम, 2008 के तहत् नवा रायपुर अटल नगर में The Art of Living Centre की स्थापना हेतु 40 एकड़ भूमि रियायती दर पर आबंटित करने का निर्णय लिया गया।
- नया रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण की नया रायपुर आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति, 2017 में संशोधन करने का निर्णय लिया गया।
- छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल के द्वारा निर्मित 5 वर्ष से अधिक समय से नहीं बिके हुए आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों को (One time settlement) एकमुश्त निपटान हेतु लागत मूल्य (बेस रेट) से 10 प्रतिशत, 20 प्रतिशत तथा 30 प्रतिशत छूट देकर विक्रय करने का निर्णय लिया गया।
- प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 अंतर्गत एक लाख 32 हजार हितग्राहियों को लाभान्वित करने के लिए कुल अनुदान राशि 3938.80 करोड़ है, जिसमें अनिवार्य राज्यांश 1450 करोड़ रूपए एवं अतिरिक्त राज्यांश 538 करोड़, जो कि मकान पूर्ण करने अथवा गृह प्रवेश पर दिया जाएगा, का अनुमोदन किया गया।
- कैबिनेट ने महिला स्व-सहायता समूह के हित को ध्यान में रखते हुए रेडी टू ईट निर्माण का काम महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपने का निर्णय लिया है। पहले चरण में रेडी टू ईट निर्माण का कार्य 5 जिलों में महिला स्व-सहायता समूहों को दिया जाएगा।
- छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व एवं आरक्षण संबंधी प्रावधानों में संशोधन किए जाने हेतु विभिन्न धाराओं में संशोधन संबंधी जारी अध्यादेश की समयावधि को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
जाते-जाते भारत पर मेहरबान हुई बाइडेन सरकार, भाभा समेत 3 परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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अमेरिका की जो बाइडन सरकार ने जाते-जाते भारत पर तोहफों की बारिश की है। अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं पर 20 साल से लगा प्रतिबंध हटाया। इसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ (IRE) के नाम हैं। वहीं, अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चाइना की 11 संस्थाओं को प्रतिबंध की लिस्ट में जोड़ा है। यूनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (बीआईएस) ने इसकी पुष्टि की है।

बीआईएस के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं।

बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अमेरिका ने पहले ही दिया था संकेत

अमेरिका का ये फैसला अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन के 6 जनवरी के हुए भारत दौरे के बाद आया।सुलिवन ने दिल्ली आईआईटी में कहा था कि अमेरिका उन नियमों को हटाएगा जो भारतीय परमाणु संस्थाओं और अमेरिकी कंपनियों के बीच सहयोग में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने कहा था कि लगभग 20 साल पहले पूर्व राष्ट्रपति बुश और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परमाणु समझौते की एक दूरदर्शी सोच की नींव रखी थी, जिसे हमें अब पूरी तरह हकीकत बनाना है।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

चीन पर गिराई गाज

जहां अमेरिका ने भारत के लिए ये रियायतें दी हैं, वहीं चीन के 11 संगठनों को 'एंटिटी लिस्ट' में जोड़ा गया है. यह कदम अमेरिका की उस नीति का हिस्सा है, जो चीन और अन्य विरोधियों की एडवांस सेमीकंडक्टर और AI तकनीकों तक पहुंच को सीमित करना चाहती है

बांग्लादेश से जो वापस भारत आना चाहते उन्हें आने दे केन्द्र”, ममता बनर्जी की मोदी सरकार से अपील*
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बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ पिछले पांच महीनों से खुला अत्याचार हो रहा है। हिंदुओं की टारगेट किलिंग और लूटपाट की खबरों के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र से बड़ी अपील की है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को केंद्र सरकार से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की और यह भी कहा कि जो लोग वापस भारत आना चाहते हैं, उन्हें वापस लाया जाए। बनर्जी ने यह बात दीघा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। मुख्यमंत्री जगन्नाथ मंदिर के निर्माण की समीक्षा के लिए दीघा के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि केंद्र को हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देनी चाहिए और जो लोग लौटना चाहते हैं उन्हें वापस लाना चाहिए। सीएम ने कहा कि हम बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा चाहते हैं। केंद्र को इस मामले में कदम उठाना चाहिए। इस दौरान ममता ने आरोप लगाया कि कुछ लोग जानबूझकर फर्जी वीडियो फैलाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के फर्जी वीडियो से समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा, जो कि ठीक नहीं। इससे देश का माहौल खराब होगा। *पहले भी कर चुकीं है अपील* ससे पहले भी ममता बनर्जी बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर केंद्र से हस्तक्षेप की गुहार लगा चुकीं हैं। दिसंबर के शुरूआत में उन्होंने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश में हमारे परिवार और प्रियजन हैं। हम भारत सरकार की ओर से लिए गए किसी भी रुख को स्वीकार करते हैं। हम दुनिया में कहीं भी धार्मिक आधार पर अत्याचारों की निंदा करते हैं। साथ ही, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। ममता बनर्जी ने भी नरेंद्र मोदी सरकार से संयुक्त राष्ट्र के जरिये हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी।बनर्जी ने कहा था कि भारत सरकार इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठा सकती है ताकि शांति सेना भेजी जा सके। *बांग्लादेश में हिंसा का असर कोलकाता में* बांग्लादेश में करीब 1.31 करोड़ हिंदू रहते हैं और यह देश की कुल आबादी का 7.96 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल का करीब 2,217 किलोमीटर का बॉर्डर बांग्लादेश से जुड़ता है। इसके अलावा त्रिपुरा, असम और मिजोरम से भी बांग्लादेश की सीमा जुड़ती है, मगर वहां हो रही हिंसा का असर पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक है। कोलकाता की सड़कों पर हिंदुओं को समर्थन में रैलियां और शांति मार्च निकाली जा रही हैं। गुस्से का आलम यह है कि कोलकाता और अगरतला के डॉक्टरों के बड़े समूह ने बांग्लादेशियों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। 2023 में 4.49 लाख बांग्लादेशी मरीज भारत इलाज के लिए आए, जिनमें से अधिकतर कोलकाता पहुंचे। *बांग्लादेश में दहशत में है हिंदू समुदाय* बता दें कि शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद पड़ोसी राज्य में धार्मिक उन्माद चरम पर है। मंदिरों पर हमले हो रहे हैं। आरती और पूजा पाठ को भी कट्टरपंथियों ने प्रतिबंधित कर दिया है। हिंदू महिलाओं के साथ बदसलूकी और अल्पसंख्यकों को डराने-धमकाने की खबरें भी आ रही हैं। हाल ही में इस्कॉन के संत और हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को भी देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया। इसके अलावा उनके तीन सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है। भारत आ रहे इस्कॉन के 63 संतों को भी बॉर्डर पर रोका गया।