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भारत की अंतरिक्ष में बड़ी छलांग, इसरो ने रचा इतिहास, ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट सफलतापूर्वक स्थापित

#isrohistoricalmissionlvm3rocketsuccessfullylaunch

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर दुनिया को अपनी ताकत और भरोसे का एहसास करा दिया है। कम बजट, सटीक तकनीक और बड़ी जिम्मेदारी के साथ इसरो ने अपनी ताकत दिखाई है। इसरो ने बुधवार सुबह 8:54 बजे अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम3-एम6) से अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के नेक्स्ट-जेनरेशन कम्युनिकेशन सैटेलाइट ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में लॉन्च किया। यह मिशन न सिर्फ तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक विश्वसनीय वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करता है।

यह लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 8:55 बजे हुई। इसरो के मुताबिक, करीब 15 मिनट की उड़ान के बाद कम्युनिकेशन सैटेलाइट रॉकेट से अलग होकर लगभग 520 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया।

इसरो ने बताया कि रॉकेट के उड़ान के रास्ते में मलबा होने या अन्य उपग्रहों से टकराने की संभावना को देखते हुए सतर्कता बरता गया है. लॉन्च व्हीकल मार्क 3 एम6 की उड़ान को 90 सेकंड के लिए स्थगित किया गया है यानी कि पहले इसे श्रीहरिकोटा से सुबह 8:54 बजे उड़ान भरनी थी, लेकिन अब इसका नया समय सुबह 8 बजकर 55 मिनट और 30 सेकंड है।

पीएम मोदी ने दी बधाई

इसरो का यह मिशन भारत के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित होने वाला है। पीएम मोदी ने इस सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'भारत ने अंतरिक्ष में एक बड़ी छलांग लगाई है। LVM3-M6 मिशन की सफलता के साथ, भारत ने अपने धरती से अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट लॉन्च किया है। यह सैटेलाइट अमेरिका का BlueBird Block-2 है, जिसे उसकी सही कक्षा में स्थापित किया गया है। यह भारत के लिए एक गर्व का पल है।'

'बाहुबली' रॉकेट से लॉन्च

यह मिशन न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और अमेरिका की AST स्पेसमोबाइल (AST and Science, LLC) के बीच हुए कॉमर्शियल समझौते का हिस्सा है। इसरो ने इसकी लॉन्चिंग के लिए अपने एलवीएम3 रॉकेट का इस्तेमाल किया, जो कि इस लॉन्च व्हीकल की छठवीं उड़ान रही और वाणिज्यिक मिशन के लिए तीसरी। भारत के इस लॉन्च व्हीकल को पहले ही इसकी क्षमताओं के लिए 'बाहुबली' नाम दिया जा चुका है।

मोबाइल टावर के बिना 4G-5G कनेक्टिविटी

ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बिना मोबाइल टावर या एकस्ट्रा एंटीना के सीधे स्मार्टफोन पर 4G और 5G नेटवर्क उपलब्ध कराएगा। यह तकनीक हिमालय, रेगिस्तान, समुद्र और हवाई जहाज जैसी जगहों पर भी बिना रुके कनेक्टिविटी देने में सक्षम है।

आपदा के समय बनेगा कम्युनिकेशन की रीढ़

बाढ़, भूकंप या तूफान जैसी आपदाओं में जब जमीनी नेटवर्क पूरी तरह ठप हो जाता है, तब यह सैटेलाइट कम्युनिकेशन को जिंदा रखेगा। आपातकालीन हालात में यह नेटवर्क जीवनरेखा साबित हो सकता है।

ISRO के राष्ट्रीय आउटरीच प्रोग्राम नेटवर्क से जुड़ा इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला लखनऊ

*ISRO–IIRS  आउटरीच नोडल संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त*

*उत्तर प्रदेश में अंतरिक्ष आधारित शिक्षा और अनुसंधान को नई दिशा*

*राज्य सरकार की पहल से युवाओं को मिलेगा अत्याधुनिक अंतरिक्ष तकनीक प्रशिक्षण*

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के अंतर्गत संचालित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला, लखनऊ को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS), देहरादून के आउटरीच नोडल नेटवर्क संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। इस मान्यता के साथ नक्षत्रशाला अब ISRO के राष्ट्रीय आउटरीच प्रोग्राम नेटवर्क से औपचारिक रूप से जुड़ गया है। यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश में विज्ञान, तकनीक एवं अंतरिक्ष शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। नक्षत्रशाला अब एस्ट्रोफिजिक्स, रिमोट सेंसिंग, जीआईएस, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, फोटोमेट्री तथा अन्य अनुप्रयोगों पर आधारित पाठ्यक्रमों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन करेगी।

प्रमुख सचिव (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) और महानिदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश आईएएस पंधारी यादव ने इस उपलब्धि पर कहा कि इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला, लखनऊ को यह मान्यता उत्तर प्रदेश के बढ़ते वैज्ञानिक वातावरण का प्रमाण है। इससे विद्यार्थियों में अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी अनुसंधान के प्रति रुचि बढ़ेगी तथा राज्य में वैज्ञानिक नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

विशेष सचिव (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) आईएएस शीलधर सिंह यादव ने कहा कि इंदिरा गांधी तारामंडल का ISRO–IIRS  आउटरीच नेटवर्क में शामिल होना परिषद के उस उद्देश्य के अनुरूप है, जिसके तहत राज्य में विज्ञान, नवाचार और वैज्ञानिक चेतना का प्रसार किया जा रहा है।

डॉ. सुमित कुमार श्रीवास्तव वैज्ञानिक एवं मीडिया प्रभारी ने बताया कि यह इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला, लखनऊ के लिए गौरव का विषय है कि हमें ISRO के प्रतिष्ठित IIRS नेटवर्क से जोड़ा गया है। इससे विद्यार्थी और शोधार्थी उन्नत तकनीकों से परिचित होंगे और भारत के अंतरिक्ष अभियानों में योगदान दे सकेंगे। इच्छुक विद्यार्थी एवं जनसामान्य नक्षत्रशाला से संपर्क कर निःशुल्क ऑनलाइन प्रशिक्षण में भाग ले सकते हैं।

इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला ने IIRS–ISRO  के ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों हेतु पंजीकरण प्रारंभ कर दिया है, जिसके सफल समापन पर प्रतिभागियों को IIRS–ISRO  द्वारा प्रमाणपत्र (E-Certificate) प्रदान किया जाएगा। यह सहयोग उत्तर प्रदेश में अंतरिक्ष आधारित शिक्षा, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस अनुप्रयोगों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कलाकार रवीन्द्र कुशवाहा गोरखपुर के इण्टरनेशनल फ्रेंडशिप आर्ट वर्कशॉप और सेमिनार में आमंत्रित कलाकार।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।अंतर्राष्ट्रीय कला जगत में प्रयागराज एवं भारत का नाम रोशन करने वाले प्रयागराज के मशहूर चित्रकार रवीन्द्र कुशवाहा को गोरखपुर में आयोजित वसुधैव कुटुंबकम् चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मित्रता कला शिविर एवं सगोष्ठी में सादर आमंत्रित किया गया है।अभी-अभी रवीन्द्र कुशवाहा की अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी अमेरिका के जर्मनटाउन में धूम मचाकर आई है तथा अगली अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी इनकी नार्वे स्वीडन में आयोजित है।

ललितकला संस्थान ललिता ए ट्रस्ट ऑफ फाइन आर्ट, फोक आर्ट, परफॉर्मिंग आर्ट एंड कल्चर तथा राज्य ललित कला अकादमी संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित 6 देशों के 64 प्रख्यात कलाकार जो चार दिवसीय इंटरनेशनल फ्रेंडशिप आर्ट कैम्प एण्ड सेमिनार में अपनी रचनात्मक कला व भावपूर्ण चित्रण का जलवा बिखेरेंगे ।

दिसंबर में इसरो लॉन्च करेगा पहला गगनयान परीक्षण मिशन, इसरो चीफ ने दी जानकारी

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भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान दिसंबर में लॉन्च किया जाएगा। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान घोषणा की। इस प्रेस कॉन्फेंस में हाल में अतंरिक्ष यात्रा से लौटे शुभांशु शुक्ला और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे।

दिल्ली में मंगलवार को भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और इसरो प्रमुख वी. नारायण ने एक साथ मीडिया से बात की। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने की। इसरो प्रमुख ने गगनयान मिशन को लेकर भी एक बड़ा अपडेट दिया। उन्होंने कहा कि इस मिशन के हर स्तर पर हम तेजी से काम कर रहे हैं। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रहा है कि हम इस प्रोग्राम के लिए 80 फीसदी काम पूरा कर चुके हैं।

वी. नारायणन ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रगति अभूतपूर्व और तीव्र रही है। 2015 से 2025 तक पूरे किए गए मिशन 2005 से 2015 तक पूरे किए गए मिशनों की तुलना में लगभग दोगुने हैं। पिछले 6 महीनों के दौरान तीन महत्वपूर्ण मिशन पूरे किए गए हैं। एक्सिओम-4 मिशन एक प्रतिष्ठित मिशन है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जाए गए और सुरक्षित वापस लाए गए पहले भारतीय शुभांशु शुक्ला हैं।

इस दौरान शुभांशु ने गगनयान मिशन पर कहा कि जल्द ही भारत अपने रॉकेट और कैप्सूल से अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इसरो दिसंबर तक पहला गगनयान परीक्षण मिशन लॉन्च करेगा। जिसके तहत 2027 में भारतीय वायुसेना के तीन पायलटों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। ये पायलट 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में तीन दिन रहेंगे और इसके बाद हिंद महासागर में सुरक्षित लैंडिंग कराई जाएगी। मिशन की कुल लागत लगभग 20,193 करोड़ रुपए है। शुक्ला ने कहा कि गगनयान की तैयारी के लिए पहले दो खाली टेस्ट फ्लाइट भेजी जाएंगी, इसके बाद एक फ्लाइट में रोबोट भेजा जाएगा। जब यह सब सफल हो जाएगा, तब इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

अंतरिक्ष में भारत रचने जा रहा एक और इतिहास, दुनिया के सबसे दमदार राडार निसार की लॉन्चिंग आज

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दुनिया की दो सबसे ताकतवर स्पेस एजेंसी का ज्वाइंट प्रोजेक्ट है, नासा इसरो सेंथिटिक एपर्चर राडार यानी निसार। नासा और इसरो इस प्रोजेक्ट पर एक साथ काम कर रहे है। यह पहली बार है, जब भारतीय एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने साथ मिलकर संयुक्त रूप से इस सैटेलाइट का निर्माण किया है। अब तक का सबसे महंगा और सबसे पावरफुल अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट निसार आज यानी, बुधवार 30 जुलाई को लॉन्च होगा। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे जीएसएलवी-F16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।

इस मिशन की अवधि 5 साल

यह उपग्रह अंतरिक्ष की खोज की दिशा में भारत और अमेरिका के सहयोग से पूरा होने वाला एक महत्वपूर्ण स्पेस मिशन है। इसके लिए दोनों स्पेस एजेंसियों के बीच एक दशक से भी ज्यादा समय तक मानवीय तालमेल के अलावा सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जुगलबंदी हुई है, तब जाकर यह दिन देखने को मिला है। निसार उपग्रह का उद्देश्य सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट से संपूर्ण पृथ्वी का अध्ययन करना है। ये रॉकेट निसार को 743 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूरज के साथ तालमेल वाली सन-सिंक्रोनस कक्षा में स्थापित करेगा, जिसका झुकाव 98.4 डिग्री होगा। इसमें करीब 18 मिनट लगेंगे। निसार 747 किलोमीटर की ऊंचाई पर पोलर ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। पोलर ऑर्बिट एक ऐसी कक्षा है जिसमें सैटेलाइट धरती के ध्रुवों (उत्तर और दक्षिण) के ऊपर से गुजरता है। इस मिशन की अवधि 5 साल है।

धरती पर होने वाली हर हलचल का पता चलेगा

स्पेस में ऑपरेशनल हो जाने के बाद ये उपग्रह अपने उन्नत राडार से इमेजिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए पूरी धरती की हाई क्वालिटी इमेंज लेगा। ये धरती पर होने वाली हर तरह की हलचल का पता लगा सकेगा। आर्कटिक और अंटार्कटिंक एरिया में जो बर्फ की चादरें पिघल रही है। अर्थ की सिसनिक प्लेटों में हो रही गतिविधि का पता चल सकेगा। जिससे भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा को रोका जा सकेगा। ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्र और सागर की गहराई की हर जानकारी देगा। इसकी मदद से आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर काम किए जा सकेंगे। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यह उपग्रह वनों पर पड़ने वाले मौसमी प्रभाव, पहाड़ों में बदलाव, ग्लेशियर की गतिविधियों की जानकारी जुटाएगा। इसके तहत इसका ध्यान मूल रूप से हिमालय और अंटार्टिका के अलावा उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र में रहेगा

निसार के लॉन्च के बाद का प्लान

लॉन्च के बाद पहले 90 दिन कमीशनिंग या ऑर्बिट में इसकी गतिविधियों की निगरानी होगी। इसरो के अनुसार ऑर्बिट में छानबीन से ऑब्जर्वेटरी को वैज्ञानिक कार्यों की तैयारी करने में सहायता मिलेगी। निसार मिशन को दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के ग्राउंड स्टेशन की सहायता मिलेगी। यहीं पर इससे प्राप्त इमेज को डाउनलोड किया जा सकेगा, जिन्हें आवश्यक प्रोसेसिंग के बाद उपयोगकर्ता तक पहुंचाया जाएगा।

हमारे सैनिक ही नहीं इसरो की 10 आंखों भी कर रहीं थीं देश की निगरानी, पाकिस्तान से विवाद के बीच इसरो चीफ का बयान

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पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान को सबक सिखाया। आतंकियों को पालने वाले पाकिस्तान पर भारतीय सेना कहर बनकर टूटी। भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।भारत की ओर से जारी ऑपरेशन सिंदूर के तहत किए गए सटीक हमलों में 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया। भारत की इस कार्वाई से बौखलाए पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया, जिसका जवाब भारतीय एयरफोर्स ने बखूबी दिया और उसके एयरबेस को नुकसान पहुंचाया। साथ ही साथ रडार सिस्टम को भी ध्वस्त कर दिया। सेना के इस एक्शन को पूरा देश सराह रहा है। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख वी नारायणन का बड़ा बयान सामने आया है।

‘आप सभी हमारे पड़ोसियों के बारे में जानते हैं’

इसरो के चेयरमैन वी नारायणन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक उद्देश्य से 10 सेटेलाइट चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी हमारे पड़ोसियों के बारे में जानते हैं। ऐसे में हमें देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैटेलाइट्स की मदद लेनी पड़ती है। हम 7000 किलोमीटर का इलाका कवर कर रहे हैं। साथ ही पूरे उत्तर पूर्व पर भी लगातार निगरानी की जा रही है और बिना सैटेलाइट्स और ड्रोन की मदद ली जा रही है।

‘सैटेलाइट और ड्रोन बहुत कुछ हासिल नहीं कर सकते’

अगरतला में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा, अगर हम अपने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो हमें अपने उपग्रहों के माध्यम से सेवा करनी होगी। हमें अपने 7,000 किलोमीटर के समुद्री इलाकों की निगरानी करनी है। सैटेलाइट और ड्रोन तकनीक के बिना हम बहुत कुछ हासिल नहीं कर सकते।

9 आतंकी ठिकाने में 100 से दहशतगर्द ढेर

बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें सवाई नल्ला, सरजाल, मुरीदके, कोटली, कोटली गुलपुर, महमूना जोया, भीमबर और बहावलपुर शामिल हैं। इन ठिकानों में चार पाकिस्तान में और पांच पीओके में थे। प्रमुख स्थलों में बहावलपुर, जैश-ए-मोहम्मद का अड्डा और मुरीदके शामिल थे। वहीं, भारत की ओर से जारी ऑपरेशन सिंदूर के तहत किए गए सटीक हमलों में 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया। जिसके बाद पाकिस्तान ने भी भारत पर हमला कर दिया। हालांकि, से करारा जवाब दिया गया।

इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन का निधन, 84 साल की आयु में ली अंतिम सांस

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। बेंगलुरु स्थित आवास पर उन्होंने 84 साल की आयु में अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनका पार्थिव शरीर 27 अप्रैल को अंतिम दर्शन के लिए रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) में रखा जाएगा।

पूर्व इसरो प्रमुख के निधन पर पीएम मोदी ने शोक जताया। पीएम मोदी ने कहा कि के कस्तूरीरंगन ने इसरो में बहुत परिश्रम से काम किया और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए भारत हमेशा डॉ. कस्तूरीरंगन का आभारी रहेगा।

कस्तूरीरंगन सबसे लम्बे समय तक इसरो चीफ के पद पर कार्यरत रहे हैं। वह 10 साल तक इसरो के चेयरमैन रहे। इसके अलावा कस्तूरी रंगन के सरकारी नीतियों के फार्मूलेशन में भी योगदान दिया। डॉ कस्तूरीरंगन ने 27 अगस्त, 2003 को रिटायरमेंट से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग में भारत सरकार के सचिव के रूप में 9 वर्षों से अधिक समय तक काम किया।

कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो ने रचा इतिहास

डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो ने भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के सफल प्रक्षेपण और संचालन सहित कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की। डॉ. कस्तूरीरंगन ने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) के पहले सफल उड़ान परीक्षण की भी देखरेख की। उनके कार्यकाल में आईआरएस-1सी और 1डी सहित प्रमुख उपग्रहों का विकास और प्रक्षेपण और दूसरी और तीसरी पीढ़ी के इनसैट उपग्रहों की शुरुआत हुई। इन प्रगति ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में मजबूती से स्थापित कर दिया।

इसरो के अध्यक्ष बनने से पहले डॉ. कस्तूरीरंगन इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक थे, जहां उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इनसैट-2) और भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों (आईआरएस-1ए और आईआरएस-1बी) जैसे अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष यान के विकास का नेतृत्व किया। उपग्रह आईआरएस-1ए के विकास में उनका योगदान भारत की उपग्रह क्षमताओं के विस्तार में महत्वपूर्ण था।

एनईपी मसौदा समिति के अध्यक्ष रहे

इसरो के पूर्व प्रमुख महत्वाकांक्षी नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को तैयार करने वाली मसौदा समिति के अध्यक्ष थे। कस्तूरीरंगन ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और कर्नाटक नॉलेज कमीशन के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था।

2003 से 2009 तक रहे राज्यसभा सदस्य

कस्तूरीरंगन 2003 से 2009 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। भारत के तत्कालीन योजना आयोग के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दी थीं। कस्तूरीरंगन अप्रैल 2004 से 2009 तक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, बेंगलुरु के निदेशक भी रहे थे।

सरगुजा के लाल का ISRO के युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम के लिए हुआ चयन, विशेष प्रशिक्षण शिविर में होंगे शामिल

अंबिकापुर- सरगुजा के लाल ने कमाल कर दिखाया है. जवाहर नवोदय विद्यालय, सरगुजा में दसवीं कक्षा के छात्र हर्षित राज का चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के “युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम – युविका 2025” के लिए हुआ है. 

हर्षित “सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा” में 12 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण शिविर में भाग लेंगे, जहाँ उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान, तकनीकी खोजों एवं वैज्ञानिक सोच से सीधे रू-ब-रू होने का अवसर मिलेगा.

विद्यालय परिवार इस उपलब्धि से गौरवान्वित है. विद्यालय के प्राचार्य डॉ. एसके सिन्हा ने हर्षित को बधाई देते हुए अन्य विद्यार्थियों को भी वैज्ञानिक सोच एवं अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.

कार्यक्रम के समन्वयक एवं रसायन शास्त्र के प्रवक्ता राहुल मुद्गल ने हर्षित की इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं. हर्षित राज की इस उपलब्धि ने विद्यालय एवं जिले का नाम रोशन किया है.

286 दिन बाद धरती पर लौटी सुनीता विलियम्स, CM विष्णुदेव साय ने दी बधाई, कहा- कठिनाइयों के बावजूद डटे रहना ही सफलता की असली पहचान

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भारतीय मूल की प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को उनके ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन की सफल समाप्ति और पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी पर हार्दिक बधाई दी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह असाधारण अभियान सुनीता विलियम्स के धैर्य, साहस और विज्ञान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की अद्भुत मिसाल है, जो पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने संदेश में कहा कि नभ के पार गई नारी ने धैर्य को अपना हथियार बनाया और साहस, संकल्प एवं स्वाभिमान से नव इतिहास रच दिया। कठिनाइयों के बावजूद डटे रहना ही सफलता की असली पहचान है। सुनीता विलियम्स ने इस मिशन के माध्यम से विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि जोड़ी है। उनकी यह यात्रा न केवल भारत, बल्कि समूचे विश्व के लिए प्रेरणादायी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि सुनीता विलियम्स की सफलता नारी शक्ति के अदम्य साहस और अटूट इच्छाशक्ति का प्रतीक है। उनकी यह उपलब्धि भारत की बेटियों और युवाओं को उनके सपनों को ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए प्रेरित करेगी। यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान और अनुसंधान में एक नए युग का संकेत देता है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा।

अंतरिक्ष अन्वेषण और विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की नारी शक्ति हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही है और यह मिशन इस बात का प्रमाण है कि महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने अंतरिक्ष अनुसंधान और वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय वैज्ञानिक समुदाय और इसरो (ISRO) के योगदान की भी सराहना की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हम सभी को सुनीता विलियम्स पर गर्व है। उनकी असाधारण उपलब्धि से भारत का नाम एक बार फिर अंतरिक्ष जगत में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हुआ है। उनकी यह यात्रा विज्ञान और अनुसंधान में एक नई ऊर्जा का संचार करेगी।

अंतरिक्ष में इसरो की एक और छलांग, स्पैडेक्स उपग्रह सफलतापूर्वक अनडॉक, जानें क्या होगा फायदा

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अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक नया आयाम कायम किया है।इसरो ने स्पेडेक्स मिशन में अनडॉकिंग को सफलतापूर्वक अंजाम दे दिया है। इसके साथ ही चंद्रयान-4 के लिए रास्ता साफ हो गया है। दरअसल, अंतरिक्ष को उपग्रहों को एक साथ जोड़ने की प्रक्रिया को डॉकिंग और अलग करने की प्रक्रिया को अनडॉकिंग कहते हैं। मिशन की लॉन्चिंग के बाद 2 अलग-अलग सेटेलाइट्स को स्पेस में आपस मे जोड़कर इसरो ने इतिहास लिखा था। आपस में जुड़े इन दो सेटेलाइट्स को आज फिर से सफलता पूर्वक अलग कर दिया गया।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने इस कामयाबी के लिए इसरों को बधाई दी। उन्होंने 'एक्स' पर पोस्ट किया, 'इसरो टीम को बधाई। यह हर भारतीय के लिए खुशी की बात है। स्पैडेक्स उपग्रहों ने अविश्वसनीय डी-डॉकिंग को पूरा कर लिया गया है। इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान समेत भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों में काफी मदद मिलेगी। इन मिशनों को आगे बढ़ाने का मार्ग भी इससे प्रशस्त होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निरंतर संरक्षण इस उत्साह को बढ़ाता है।'

इसरो ने 30 दिसंबर 2024 की रात 10 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र यानी शार से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) लॉन्च किया था।16 जनवरी को भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और लंबी छलांग लगाकर विश्व के चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया था।

इसरो ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पेडेक्स) के तहत उपग्रहों की ‘डॉकिंग’ सफलतापूर्वक की थी। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा था, 'भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है। सुप्रभात भारत, इसरो के स्पेडेक्स मिशन ने ‘डॉकिंग’ में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। इस क्षण का गवाह बनकर गर्व महसूस हो रहा है।' इसके साथ ही अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया था।

स्पेडेक्स मिशन पीएसएलवी द्वारा लॉन्च किए गए दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए एक लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शक मिशन है। यह टेक्नोलॉजी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं, जैसे चंद्रमा पर भारतीय के जोन, चंद्रमा से नमूना वापसी, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) के निर्माण और संचालन आदि के लिए जरूरी है। जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेटों के लॉन्चिंग की आवश्यकता होती है, तब इन-स्पेस डॉकिंग टेक्नोलॉजी अनिवार्य होती है।

भारत की अंतरिक्ष में बड़ी छलांग, इसरो ने रचा इतिहास, ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट सफलतापूर्वक स्थापित

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर दुनिया को अपनी ताकत और भरोसे का एहसास करा दिया है। कम बजट, सटीक तकनीक और बड़ी जिम्मेदारी के साथ इसरो ने अपनी ताकत दिखाई है। इसरो ने बुधवार सुबह 8:54 बजे अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम3-एम6) से अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के नेक्स्ट-जेनरेशन कम्युनिकेशन सैटेलाइट ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में लॉन्च किया। यह मिशन न सिर्फ तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक विश्वसनीय वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करता है।

यह लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 8:55 बजे हुई। इसरो के मुताबिक, करीब 15 मिनट की उड़ान के बाद कम्युनिकेशन सैटेलाइट रॉकेट से अलग होकर लगभग 520 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया।

इसरो ने बताया कि रॉकेट के उड़ान के रास्ते में मलबा होने या अन्य उपग्रहों से टकराने की संभावना को देखते हुए सतर्कता बरता गया है. लॉन्च व्हीकल मार्क 3 एम6 की उड़ान को 90 सेकंड के लिए स्थगित किया गया है यानी कि पहले इसे श्रीहरिकोटा से सुबह 8:54 बजे उड़ान भरनी थी, लेकिन अब इसका नया समय सुबह 8 बजकर 55 मिनट और 30 सेकंड है।

पीएम मोदी ने दी बधाई

इसरो का यह मिशन भारत के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित होने वाला है। पीएम मोदी ने इस सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'भारत ने अंतरिक्ष में एक बड़ी छलांग लगाई है। LVM3-M6 मिशन की सफलता के साथ, भारत ने अपने धरती से अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट लॉन्च किया है। यह सैटेलाइट अमेरिका का BlueBird Block-2 है, जिसे उसकी सही कक्षा में स्थापित किया गया है। यह भारत के लिए एक गर्व का पल है।'

'बाहुबली' रॉकेट से लॉन्च

यह मिशन न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) और अमेरिका की AST स्पेसमोबाइल (AST and Science, LLC) के बीच हुए कॉमर्शियल समझौते का हिस्सा है। इसरो ने इसकी लॉन्चिंग के लिए अपने एलवीएम3 रॉकेट का इस्तेमाल किया, जो कि इस लॉन्च व्हीकल की छठवीं उड़ान रही और वाणिज्यिक मिशन के लिए तीसरी। भारत के इस लॉन्च व्हीकल को पहले ही इसकी क्षमताओं के लिए 'बाहुबली' नाम दिया जा चुका है।

मोबाइल टावर के बिना 4G-5G कनेक्टिविटी

ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बिना मोबाइल टावर या एकस्ट्रा एंटीना के सीधे स्मार्टफोन पर 4G और 5G नेटवर्क उपलब्ध कराएगा। यह तकनीक हिमालय, रेगिस्तान, समुद्र और हवाई जहाज जैसी जगहों पर भी बिना रुके कनेक्टिविटी देने में सक्षम है।

आपदा के समय बनेगा कम्युनिकेशन की रीढ़

बाढ़, भूकंप या तूफान जैसी आपदाओं में जब जमीनी नेटवर्क पूरी तरह ठप हो जाता है, तब यह सैटेलाइट कम्युनिकेशन को जिंदा रखेगा। आपातकालीन हालात में यह नेटवर्क जीवनरेखा साबित हो सकता है।

ISRO के राष्ट्रीय आउटरीच प्रोग्राम नेटवर्क से जुड़ा इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला लखनऊ

*ISRO–IIRS  आउटरीच नोडल संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त*

*उत्तर प्रदेश में अंतरिक्ष आधारित शिक्षा और अनुसंधान को नई दिशा*

*राज्य सरकार की पहल से युवाओं को मिलेगा अत्याधुनिक अंतरिक्ष तकनीक प्रशिक्षण*

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के अंतर्गत संचालित इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला, लखनऊ को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS), देहरादून के आउटरीच नोडल नेटवर्क संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। इस मान्यता के साथ नक्षत्रशाला अब ISRO के राष्ट्रीय आउटरीच प्रोग्राम नेटवर्क से औपचारिक रूप से जुड़ गया है। यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश में विज्ञान, तकनीक एवं अंतरिक्ष शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। नक्षत्रशाला अब एस्ट्रोफिजिक्स, रिमोट सेंसिंग, जीआईएस, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, फोटोमेट्री तथा अन्य अनुप्रयोगों पर आधारित पाठ्यक्रमों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन करेगी।

प्रमुख सचिव (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) और महानिदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश आईएएस पंधारी यादव ने इस उपलब्धि पर कहा कि इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला, लखनऊ को यह मान्यता उत्तर प्रदेश के बढ़ते वैज्ञानिक वातावरण का प्रमाण है। इससे विद्यार्थियों में अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी अनुसंधान के प्रति रुचि बढ़ेगी तथा राज्य में वैज्ञानिक नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

विशेष सचिव (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) आईएएस शीलधर सिंह यादव ने कहा कि इंदिरा गांधी तारामंडल का ISRO–IIRS  आउटरीच नेटवर्क में शामिल होना परिषद के उस उद्देश्य के अनुरूप है, जिसके तहत राज्य में विज्ञान, नवाचार और वैज्ञानिक चेतना का प्रसार किया जा रहा है।

डॉ. सुमित कुमार श्रीवास्तव वैज्ञानिक एवं मीडिया प्रभारी ने बताया कि यह इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला, लखनऊ के लिए गौरव का विषय है कि हमें ISRO के प्रतिष्ठित IIRS नेटवर्क से जोड़ा गया है। इससे विद्यार्थी और शोधार्थी उन्नत तकनीकों से परिचित होंगे और भारत के अंतरिक्ष अभियानों में योगदान दे सकेंगे। इच्छुक विद्यार्थी एवं जनसामान्य नक्षत्रशाला से संपर्क कर निःशुल्क ऑनलाइन प्रशिक्षण में भाग ले सकते हैं।

इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला ने IIRS–ISRO  के ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों हेतु पंजीकरण प्रारंभ कर दिया है, जिसके सफल समापन पर प्रतिभागियों को IIRS–ISRO  द्वारा प्रमाणपत्र (E-Certificate) प्रदान किया जाएगा। यह सहयोग उत्तर प्रदेश में अंतरिक्ष आधारित शिक्षा, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस अनुप्रयोगों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कलाकार रवीन्द्र कुशवाहा गोरखपुर के इण्टरनेशनल फ्रेंडशिप आर्ट वर्कशॉप और सेमिनार में आमंत्रित कलाकार।

संजय द्विवेदी प्रयागराज।अंतर्राष्ट्रीय कला जगत में प्रयागराज एवं भारत का नाम रोशन करने वाले प्रयागराज के मशहूर चित्रकार रवीन्द्र कुशवाहा को गोरखपुर में आयोजित वसुधैव कुटुंबकम् चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मित्रता कला शिविर एवं सगोष्ठी में सादर आमंत्रित किया गया है।अभी-अभी रवीन्द्र कुशवाहा की अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रदर्शनी अमेरिका के जर्मनटाउन में धूम मचाकर आई है तथा अगली अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी इनकी नार्वे स्वीडन में आयोजित है।

ललितकला संस्थान ललिता ए ट्रस्ट ऑफ फाइन आर्ट, फोक आर्ट, परफॉर्मिंग आर्ट एंड कल्चर तथा राज्य ललित कला अकादमी संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित 6 देशों के 64 प्रख्यात कलाकार जो चार दिवसीय इंटरनेशनल फ्रेंडशिप आर्ट कैम्प एण्ड सेमिनार में अपनी रचनात्मक कला व भावपूर्ण चित्रण का जलवा बिखेरेंगे ।

दिसंबर में इसरो लॉन्च करेगा पहला गगनयान परीक्षण मिशन, इसरो चीफ ने दी जानकारी

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भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान दिसंबर में लॉन्च किया जाएगा। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान घोषणा की। इस प्रेस कॉन्फेंस में हाल में अतंरिक्ष यात्रा से लौटे शुभांशु शुक्ला और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे।

दिल्ली में मंगलवार को भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और इसरो प्रमुख वी. नारायण ने एक साथ मीडिया से बात की। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने की। इसरो प्रमुख ने गगनयान मिशन को लेकर भी एक बड़ा अपडेट दिया। उन्होंने कहा कि इस मिशन के हर स्तर पर हम तेजी से काम कर रहे हैं। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रहा है कि हम इस प्रोग्राम के लिए 80 फीसदी काम पूरा कर चुके हैं।

वी. नारायणन ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रगति अभूतपूर्व और तीव्र रही है। 2015 से 2025 तक पूरे किए गए मिशन 2005 से 2015 तक पूरे किए गए मिशनों की तुलना में लगभग दोगुने हैं। पिछले 6 महीनों के दौरान तीन महत्वपूर्ण मिशन पूरे किए गए हैं। एक्सिओम-4 मिशन एक प्रतिष्ठित मिशन है। अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ले जाए गए और सुरक्षित वापस लाए गए पहले भारतीय शुभांशु शुक्ला हैं।

इस दौरान शुभांशु ने गगनयान मिशन पर कहा कि जल्द ही भारत अपने रॉकेट और कैप्सूल से अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इसरो दिसंबर तक पहला गगनयान परीक्षण मिशन लॉन्च करेगा। जिसके तहत 2027 में भारतीय वायुसेना के तीन पायलटों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। ये पायलट 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में तीन दिन रहेंगे और इसके बाद हिंद महासागर में सुरक्षित लैंडिंग कराई जाएगी। मिशन की कुल लागत लगभग 20,193 करोड़ रुपए है। शुक्ला ने कहा कि गगनयान की तैयारी के लिए पहले दो खाली टेस्ट फ्लाइट भेजी जाएंगी, इसके बाद एक फ्लाइट में रोबोट भेजा जाएगा। जब यह सब सफल हो जाएगा, तब इंसानों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

अंतरिक्ष में भारत रचने जा रहा एक और इतिहास, दुनिया के सबसे दमदार राडार निसार की लॉन्चिंग आज

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दुनिया की दो सबसे ताकतवर स्पेस एजेंसी का ज्वाइंट प्रोजेक्ट है, नासा इसरो सेंथिटिक एपर्चर राडार यानी निसार। नासा और इसरो इस प्रोजेक्ट पर एक साथ काम कर रहे है। यह पहली बार है, जब भारतीय एजेंसी इसरो और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने साथ मिलकर संयुक्त रूप से इस सैटेलाइट का निर्माण किया है। अब तक का सबसे महंगा और सबसे पावरफुल अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट निसार आज यानी, बुधवार 30 जुलाई को लॉन्च होगा। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5:40 बजे जीएसएलवी-F16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।

इस मिशन की अवधि 5 साल

यह उपग्रह अंतरिक्ष की खोज की दिशा में भारत और अमेरिका के सहयोग से पूरा होने वाला एक महत्वपूर्ण स्पेस मिशन है। इसके लिए दोनों स्पेस एजेंसियों के बीच एक दशक से भी ज्यादा समय तक मानवीय तालमेल के अलावा सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जुगलबंदी हुई है, तब जाकर यह दिन देखने को मिला है। निसार उपग्रह का उद्देश्य सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट से संपूर्ण पृथ्वी का अध्ययन करना है। ये रॉकेट निसार को 743 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूरज के साथ तालमेल वाली सन-सिंक्रोनस कक्षा में स्थापित करेगा, जिसका झुकाव 98.4 डिग्री होगा। इसमें करीब 18 मिनट लगेंगे। निसार 747 किलोमीटर की ऊंचाई पर पोलर ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। पोलर ऑर्बिट एक ऐसी कक्षा है जिसमें सैटेलाइट धरती के ध्रुवों (उत्तर और दक्षिण) के ऊपर से गुजरता है। इस मिशन की अवधि 5 साल है।

धरती पर होने वाली हर हलचल का पता चलेगा

स्पेस में ऑपरेशनल हो जाने के बाद ये उपग्रह अपने उन्नत राडार से इमेजिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए पूरी धरती की हाई क्वालिटी इमेंज लेगा। ये धरती पर होने वाली हर तरह की हलचल का पता लगा सकेगा। आर्कटिक और अंटार्कटिंक एरिया में जो बर्फ की चादरें पिघल रही है। अर्थ की सिसनिक प्लेटों में हो रही गतिविधि का पता चल सकेगा। जिससे भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा को रोका जा सकेगा। ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्र और सागर की गहराई की हर जानकारी देगा। इसकी मदद से आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बेहतर काम किए जा सकेंगे। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यह उपग्रह वनों पर पड़ने वाले मौसमी प्रभाव, पहाड़ों में बदलाव, ग्लेशियर की गतिविधियों की जानकारी जुटाएगा। इसके तहत इसका ध्यान मूल रूप से हिमालय और अंटार्टिका के अलावा उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र में रहेगा

निसार के लॉन्च के बाद का प्लान

लॉन्च के बाद पहले 90 दिन कमीशनिंग या ऑर्बिट में इसकी गतिविधियों की निगरानी होगी। इसरो के अनुसार ऑर्बिट में छानबीन से ऑब्जर्वेटरी को वैज्ञानिक कार्यों की तैयारी करने में सहायता मिलेगी। निसार मिशन को दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के ग्राउंड स्टेशन की सहायता मिलेगी। यहीं पर इससे प्राप्त इमेज को डाउनलोड किया जा सकेगा, जिन्हें आवश्यक प्रोसेसिंग के बाद उपयोगकर्ता तक पहुंचाया जाएगा।

हमारे सैनिक ही नहीं इसरो की 10 आंखों भी कर रहीं थीं देश की निगरानी, पाकिस्तान से विवाद के बीच इसरो चीफ का बयान

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पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान को सबक सिखाया। आतंकियों को पालने वाले पाकिस्तान पर भारतीय सेना कहर बनकर टूटी। भारतीय सेना ने एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।भारत की ओर से जारी ऑपरेशन सिंदूर के तहत किए गए सटीक हमलों में 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया। भारत की इस कार्वाई से बौखलाए पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया, जिसका जवाब भारतीय एयरफोर्स ने बखूबी दिया और उसके एयरबेस को नुकसान पहुंचाया। साथ ही साथ रडार सिस्टम को भी ध्वस्त कर दिया। सेना के इस एक्शन को पूरा देश सराह रहा है। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के प्रमुख वी नारायणन का बड़ा बयान सामने आया है।

‘आप सभी हमारे पड़ोसियों के बारे में जानते हैं’

इसरो के चेयरमैन वी नारायणन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक उद्देश्य से 10 सेटेलाइट चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी हमारे पड़ोसियों के बारे में जानते हैं। ऐसे में हमें देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैटेलाइट्स की मदद लेनी पड़ती है। हम 7000 किलोमीटर का इलाका कवर कर रहे हैं। साथ ही पूरे उत्तर पूर्व पर भी लगातार निगरानी की जा रही है और बिना सैटेलाइट्स और ड्रोन की मदद ली जा रही है।

‘सैटेलाइट और ड्रोन बहुत कुछ हासिल नहीं कर सकते’

अगरतला में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा, अगर हम अपने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो हमें अपने उपग्रहों के माध्यम से सेवा करनी होगी। हमें अपने 7,000 किलोमीटर के समुद्री इलाकों की निगरानी करनी है। सैटेलाइट और ड्रोन तकनीक के बिना हम बहुत कुछ हासिल नहीं कर सकते।

9 आतंकी ठिकाने में 100 से दहशतगर्द ढेर

बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें सवाई नल्ला, सरजाल, मुरीदके, कोटली, कोटली गुलपुर, महमूना जोया, भीमबर और बहावलपुर शामिल हैं। इन ठिकानों में चार पाकिस्तान में और पांच पीओके में थे। प्रमुख स्थलों में बहावलपुर, जैश-ए-मोहम्मद का अड्डा और मुरीदके शामिल थे। वहीं, भारत की ओर से जारी ऑपरेशन सिंदूर के तहत किए गए सटीक हमलों में 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया गया। जिसके बाद पाकिस्तान ने भी भारत पर हमला कर दिया। हालांकि, से करारा जवाब दिया गया।

इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन का निधन, 84 साल की आयु में ली अंतिम सांस

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। बेंगलुरु स्थित आवास पर उन्होंने 84 साल की आयु में अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनका पार्थिव शरीर 27 अप्रैल को अंतिम दर्शन के लिए रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) में रखा जाएगा।

पूर्व इसरो प्रमुख के निधन पर पीएम मोदी ने शोक जताया। पीएम मोदी ने कहा कि के कस्तूरीरंगन ने इसरो में बहुत परिश्रम से काम किया और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए भारत हमेशा डॉ. कस्तूरीरंगन का आभारी रहेगा।

कस्तूरीरंगन सबसे लम्बे समय तक इसरो चीफ के पद पर कार्यरत रहे हैं। वह 10 साल तक इसरो के चेयरमैन रहे। इसके अलावा कस्तूरी रंगन के सरकारी नीतियों के फार्मूलेशन में भी योगदान दिया। डॉ कस्तूरीरंगन ने 27 अगस्त, 2003 को रिटायरमेंट से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग में भारत सरकार के सचिव के रूप में 9 वर्षों से अधिक समय तक काम किया।

कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो ने रचा इतिहास

डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो ने भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के सफल प्रक्षेपण और संचालन सहित कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की। डॉ. कस्तूरीरंगन ने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) के पहले सफल उड़ान परीक्षण की भी देखरेख की। उनके कार्यकाल में आईआरएस-1सी और 1डी सहित प्रमुख उपग्रहों का विकास और प्रक्षेपण और दूसरी और तीसरी पीढ़ी के इनसैट उपग्रहों की शुरुआत हुई। इन प्रगति ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में मजबूती से स्थापित कर दिया।

इसरो के अध्यक्ष बनने से पहले डॉ. कस्तूरीरंगन इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक थे, जहां उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इनसैट-2) और भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों (आईआरएस-1ए और आईआरएस-1बी) जैसे अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष यान के विकास का नेतृत्व किया। उपग्रह आईआरएस-1ए के विकास में उनका योगदान भारत की उपग्रह क्षमताओं के विस्तार में महत्वपूर्ण था।

एनईपी मसौदा समिति के अध्यक्ष रहे

इसरो के पूर्व प्रमुख महत्वाकांक्षी नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को तैयार करने वाली मसौदा समिति के अध्यक्ष थे। कस्तूरीरंगन ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और कर्नाटक नॉलेज कमीशन के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था।

2003 से 2009 तक रहे राज्यसभा सदस्य

कस्तूरीरंगन 2003 से 2009 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। भारत के तत्कालीन योजना आयोग के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दी थीं। कस्तूरीरंगन अप्रैल 2004 से 2009 तक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, बेंगलुरु के निदेशक भी रहे थे।

सरगुजा के लाल का ISRO के युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम के लिए हुआ चयन, विशेष प्रशिक्षण शिविर में होंगे शामिल

अंबिकापुर- सरगुजा के लाल ने कमाल कर दिखाया है. जवाहर नवोदय विद्यालय, सरगुजा में दसवीं कक्षा के छात्र हर्षित राज का चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के “युवा वैज्ञानिक कार्यक्रम – युविका 2025” के लिए हुआ है. 

हर्षित “सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा” में 12 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण शिविर में भाग लेंगे, जहाँ उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान, तकनीकी खोजों एवं वैज्ञानिक सोच से सीधे रू-ब-रू होने का अवसर मिलेगा.

विद्यालय परिवार इस उपलब्धि से गौरवान्वित है. विद्यालय के प्राचार्य डॉ. एसके सिन्हा ने हर्षित को बधाई देते हुए अन्य विद्यार्थियों को भी वैज्ञानिक सोच एवं अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.

कार्यक्रम के समन्वयक एवं रसायन शास्त्र के प्रवक्ता राहुल मुद्गल ने हर्षित की इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं. हर्षित राज की इस उपलब्धि ने विद्यालय एवं जिले का नाम रोशन किया है.

286 दिन बाद धरती पर लौटी सुनीता विलियम्स, CM विष्णुदेव साय ने दी बधाई, कहा- कठिनाइयों के बावजूद डटे रहना ही सफलता की असली पहचान

रायपुर-  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भारतीय मूल की प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को उनके ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन की सफल समाप्ति और पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी पर हार्दिक बधाई दी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह असाधारण अभियान सुनीता विलियम्स के धैर्य, साहस और विज्ञान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की अद्भुत मिसाल है, जो पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने संदेश में कहा कि नभ के पार गई नारी ने धैर्य को अपना हथियार बनाया और साहस, संकल्प एवं स्वाभिमान से नव इतिहास रच दिया। कठिनाइयों के बावजूद डटे रहना ही सफलता की असली पहचान है। सुनीता विलियम्स ने इस मिशन के माध्यम से विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि जोड़ी है। उनकी यह यात्रा न केवल भारत, बल्कि समूचे विश्व के लिए प्रेरणादायी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि सुनीता विलियम्स की सफलता नारी शक्ति के अदम्य साहस और अटूट इच्छाशक्ति का प्रतीक है। उनकी यह उपलब्धि भारत की बेटियों और युवाओं को उनके सपनों को ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए प्रेरित करेगी। यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान और अनुसंधान में एक नए युग का संकेत देता है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा।

अंतरिक्ष अन्वेषण और विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की नारी शक्ति हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही है और यह मिशन इस बात का प्रमाण है कि महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने अंतरिक्ष अनुसंधान और वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय वैज्ञानिक समुदाय और इसरो (ISRO) के योगदान की भी सराहना की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हम सभी को सुनीता विलियम्स पर गर्व है। उनकी असाधारण उपलब्धि से भारत का नाम एक बार फिर अंतरिक्ष जगत में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हुआ है। उनकी यह यात्रा विज्ञान और अनुसंधान में एक नई ऊर्जा का संचार करेगी।

अंतरिक्ष में इसरो की एक और छलांग, स्पैडेक्स उपग्रह सफलतापूर्वक अनडॉक, जानें क्या होगा फायदा

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अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक नया आयाम कायम किया है।इसरो ने स्पेडेक्स मिशन में अनडॉकिंग को सफलतापूर्वक अंजाम दे दिया है। इसके साथ ही चंद्रयान-4 के लिए रास्ता साफ हो गया है। दरअसल, अंतरिक्ष को उपग्रहों को एक साथ जोड़ने की प्रक्रिया को डॉकिंग और अलग करने की प्रक्रिया को अनडॉकिंग कहते हैं। मिशन की लॉन्चिंग के बाद 2 अलग-अलग सेटेलाइट्स को स्पेस में आपस मे जोड़कर इसरो ने इतिहास लिखा था। आपस में जुड़े इन दो सेटेलाइट्स को आज फिर से सफलता पूर्वक अलग कर दिया गया।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने इस कामयाबी के लिए इसरों को बधाई दी। उन्होंने 'एक्स' पर पोस्ट किया, 'इसरो टीम को बधाई। यह हर भारतीय के लिए खुशी की बात है। स्पैडेक्स उपग्रहों ने अविश्वसनीय डी-डॉकिंग को पूरा कर लिया गया है। इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान समेत भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों में काफी मदद मिलेगी। इन मिशनों को आगे बढ़ाने का मार्ग भी इससे प्रशस्त होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निरंतर संरक्षण इस उत्साह को बढ़ाता है।'

इसरो ने 30 दिसंबर 2024 की रात 10 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र यानी शार से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) लॉन्च किया था।16 जनवरी को भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और लंबी छलांग लगाकर विश्व के चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया था।

इसरो ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पेडेक्स) के तहत उपग्रहों की ‘डॉकिंग’ सफलतापूर्वक की थी। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा था, 'भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है। सुप्रभात भारत, इसरो के स्पेडेक्स मिशन ने ‘डॉकिंग’ में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। इस क्षण का गवाह बनकर गर्व महसूस हो रहा है।' इसके साथ ही अमेरिका, रूस, चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया था।

स्पेडेक्स मिशन पीएसएलवी द्वारा लॉन्च किए गए दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए एक लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शक मिशन है। यह टेक्नोलॉजी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं, जैसे चंद्रमा पर भारतीय के जोन, चंद्रमा से नमूना वापसी, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) के निर्माण और संचालन आदि के लिए जरूरी है। जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेटों के लॉन्चिंग की आवश्यकता होती है, तब इन-स्पेस डॉकिंग टेक्नोलॉजी अनिवार्य होती है।