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अफगानिस्तान में पाक की एयर स्ट्राइक, अब तक 15 की मौत, क्या उठ रहे सवाल?

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पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर बड़ा एयर स्ट्राइक किया है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की तरफ से की गई ये एयर स्ट्राइक पक्तिका प्रांत के बरमल जिले में कई गई है। इस एयरस्ट्राइक में महिलाओं और बच्चों समेत 15 लोगों के मारे जाने की खबर है। तालिबान ने पाकिस्तान के हमले की कड़ी निंदा की है और उसने जवाबी कार्रवाई की बात कही है।तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि बमबारी में ‘वजीरिस्तानी शरणार्थियों’ को निशाना बनाया गया। ये वही लोग हैं जो पाकिस्तान से अफगानिस्तान पहुंचे थे। मरने वालों में बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तानी फाइटर जेट्स ने अफगानिस्तान के इलाकों में बमबारी की है। इन हवाई हमलों में बड़े पैमाने पर तबाही मची है। पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक के बाद क्षेत्र में तनाव काफी बढ़ गया है। पाकिस्तान की इस एयर स्ट्राइक में अभी तक 15 लोगों के मारे जाने की बात सामने आ रही है। मरने वालों में खास तौर पर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। भी भी कई इलाकों में राहत और बचाव कार्य जारी है। जबकि कई घायलों की हालत बेहद गंभीर है, जिनका फिलहाल अस्पताल में इलाज चल रहा है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इस एयर स्ट्राइक की वजह से कई लोगों की इलाज के दौरान भी मौत हो सकती है।

हमले का करारा जवाब देने की चेतावनी

तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने बरमल, पक्तिका पर रात में पाकिस्तान की ओर से किए गए एयर स्ट्राइक को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। अफगानिस्तानी मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को इस हमले का करारा जवाब दिया जाएगा। हालांकि मंत्रालय ने अपनी भूमि और संप्रभुता की रक्षा के अधिकार पर जोर दिया है। मंत्रालय की कहा, ‘पाकिस्तान की एय़र स्ट्राइक में वजीरिस्तानी शरणार्थियों को निशाना बनाया गया है। ये वो लोग हैं जो पाकिस्तान से शरणार्थी के रूप में अफगानिस्तान पहुंचे थे। इस हमले में मरने वालों में कई बच्चे और महिलाएं भी शामिल है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हमला कर अपने ही लोगों क मार दिया है।

पाकिस्तान और तालिबान के बीच क्यों तनाव?

तालिबान वजीरिस्तानी शरणार्थियों को आदिवासी क्षेत्रों से आए आम नागरिक मानता है, जो पाकिस्तानी सेना की ओर से सैन्य अभियानों के कारण विस्थापित हुए हैं। हालांकि, पाकिस्तानी सरकार का दावा है कि दर्जनों टीटीपी कमांडर और लड़ाके अफगानिस्तान भाग गए हैं और सीमावर्ती प्रांतों में अफगान तालिबान उनकी सुरक्षा कर रहे हैं। तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है, खासकर अफगानिस्तान के दक्षिणी प्रांतों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की मौजूदगी को लेकर, जबकि पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर टीटीपी आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है। तालिबान इन दावों को खारिज करता आया है और जोर देकर कहता रहा है कि वे समूह के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं।

पाकिस्तान को बड़ा झटकाः ब्रिक्स के पार्टनर कंट्रीज की लिस्ट में भी नहीं मिली जगह, भारत के वीटो के आगे हुआ पस्त

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ब्रिक्स में सदस्यता पाने का ख्वाब देखने वाले पाकिस्तान का सपना चूर हो गया है। पाकिस्तान की ब्रिक्स की सदस्यता पाने की उम्मीदों को भारत के सख्त विरोध ने चकनाचूर कर दिया है। भारत के कड़े विरोध की वजह से पाकिस्तान न सिर्फ ब्रिक्स की सदस्यता से वंचित हुआ, बल्कि उसे पार्टनर कंट्रीज की सूची में भी जगह नहीं मिल पाई। इस बीच, तुर्किए ने खुद को ब्रिक्स पार्टनर कंट्रीज की सूची में शामिल कराकर महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त किया है।

रूस ने हाल ही में 13 नए पार्टनर कंट्रीज की घोषणा की है। रूस ने इन 13 देशों को ब्रिक्‍स में पार्टनर कंट्री बनने का न्‍योता भेजा है जिसमें से 9 ने इसकी पुष्टि कर दी है। ये नौ देश हैं- बेलारूस, बोलविया, इंडोनेशिया, कजाखस्‍तान, क्‍यूबा, मलेशिया, थाइलैंड, यूगांडा, उज्‍बेकिस्‍तान। ये पार्टनर कंट्रीज आगे चलकर ब्रिक्‍स के सदस्‍य बनेंगे। ये देश 1 जनवरी 2025 से ब्रिक्स के पार्टनर कंट्रीज बनेंगे

चीन-रूस का समर्थन भी नहीं आया काम

हालांकि, इन 13 देशों में पाकिस्‍तान का नाम नहीं है। पाकिस्तान, जो चीन और रूस के समर्थन से ब्रिक्स में प्रवेश की कोशिश कर रहा था, इस सूची में अपनी जगह बनाने में असफल रहा।

ब्रिक्स में भारत का सख्त रुख

भारत का विरोध पाकिस्तान की ब्रिक्स में सदस्यता के प्रयासों के लिए सबसे बड़ा अवरोध साबित हुआ। पाकिस्तान ने ब्रिक्स में शामिल होने के लिए चीन और रूस से समर्थन प्राप्त किया था, लेकिन भारत ने साफ तौर पर इसका विरोध किया। ब्रिक्स के नए सदस्य देशों को शामिल करने के लिए सभी संस्थापक सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। भारत ने पाकिस्तान की दावेदारी का कड़ा विरोध किया, जिससे उसके लिए दरवाजे बंद हो गए। भारत का यह विरोध पाकिस्तान की विदेश नीति के कमजोर पक्ष को उजागर करता है। भारत के सख्त रुख के कारण पाकिस्तान के लिए ब्रिक्स का दरवाजा बंद हो गया।

कश्‍मीर को लेकर तुर्की के बदले रूख का असर?

ब्रिक्‍स के 13 नए पार्टनर कंट्रीज का ऐलान हो गया है जिसमें सबसे बड़ा फायदा तुर्की को हुआ है। इन दिनों कश्‍मीर मुद्दे को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर उठाने से परहेज कर रहे तुर्की को पार्टनर कंट्रीज में जगह मिल गई है। माना जा रहा है कि कश्‍मीर को लेकर तुर्की के राष्‍ट्रपति एर्दोगन के रुख में आए बदलाव की वजह से भारत ने ब्रिक्‍स में उसकी दावेदारी का विरोध नहीं किया।

राजनयिक लचीलापन और रणनीतिक समायोजन

विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की की ब्रिक्‍स में भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि कूटनीतिक लचीलापन और रणनीतिक समायोजन के माध्यम से देशों को महत्वपूर्ण कूटनीतिक लाभ मिल सकता है। तुर्की ने अपने कूटनीतिक रिश्तों में लचीलापन दिखाते हुए भारत के साथ अपने पुराने मतभेदों को सुलझाने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप भारत ने तुर्की के पक्ष में सहमति जताई। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने अपने राजनयिक प्रयासों में उस लचीलापन और समायोजन का इस्तेमाल नहीं किया, जिससे उसे इस अवसर का लाभ मिल सकता था। पाकिस्तान को अब अपनी कूटनीतिक रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।

ब्रिक्‍स में पाकिस्‍तान की बड़ी व‍िफलता

ब्रिक्स के पार्टनर कंट्रीज में भी पाकिस्तान को जगह नहीं मिलने की बड़ी वजह उसकी विदेश नीति है। कुछ पाकिस्‍तानी विश्लेषकों भी ये बात मानते हैं। पाकिस्‍तान की विदेश मामलों की जानकार और चर्चित पत्रकार मरियाना बाबर ने एक्‍स पर लिखा', ' यह पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय की पूरी तरह से विफलता है। वह भी तब जब इशाक डार विदेश मंत्री हैं जिनकी विदेशी मामलों में सबसे कम रुच‍ि है। यहां तक कि नाइजीरिया ने पाकिस्‍तान से बेहतर किया है। पाकिस्‍तान को रूस, चीन और भारत ने ब्रिक्‍स से बाहर रखा।' बता दें कि इशाक डार नवाज शरीफ के समधी और मरियम नवाज के ससुर हैं। इशाक डार पहले वित्‍त मंत्री हुआ करते थे लेकिन अब उन्‍हें शहबाज शरीफ के विरोध के बाद मजबूरन विदेश मंत्रालय से संतोष करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान के लिए क्यों जरूरी थी ब्रिक्स की सदस्यता

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान को अगर ब्रिक्स में सदस्यता मिल जाती, तो इसके माध्यम से उसे कई लाभ मिल सकते थे। ब्रिक्स के सदस्य देशों के साथ पाकिस्तान को व्यापार और निवेश के क्षेत्र में नए अवसर मिल सकते थे। ब्रिक्स का सदस्य बनने से पाकिस्तान को विभिन्न वैश्विक मंचों पर भी अधिक प्रभाव मिल सकता था। इसके अलावा, ब्रिक्स के सदस्य देशों से आर्थिक सहायता और सहयोग पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद कर सकता था।

विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान को अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव लाने की जरूरत है। इसे अपनी विदेश नीति को अधिक लचीला और समायोजनीय बनाना होगा, ताकि भविष्य में इसे इस तरह के अवसरों से वंचित नहीं होना पड़े।

बांग्लादेश में फिर करवट लेने लगा ISI, भारत के लिए कितना बड़ा खतरा
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बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता के पतन के बाद पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ एक बार फिर से अपने पुराने संबंधों को सुधारने की कोशिश में लगा हुआ है। पाकिस्तान का ध्यान इस बार मुख्य रूप से व्यापार, संस्कृति और खेल पर है। लेकिन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई बांग्लादेश में फिर से एक बार सक्रिय होने की ताक में है। जो कि भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

बांग्लादेश में अशांति के बीच पश्चिम बंगाल एसटीएफ ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अब्बास और मिनारुल से पूछताछ के बाद खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली है कि बांग्लादेश में आशांति का लाभ उठाकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने उत्तर बंगाल और नेपाल में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। उसने अपने स्लीपर सेल को फिर से सक्रिय कर दिया है।

खुफिया विभाग का कहना है कि गिरफ्तार आतंकियों के संबंध बांग्लादेश के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम से है। आतंकियों से पूछताछ से यह जानकारी मिली है कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई नेपाल में एक बार फिर सक्रिय हो गई है। उग्रवादी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के 8 सदस्यों से पूछताछ की गई और पाक समर्थन के प्रत्यक्ष सबूत मिले हैं।आतंकियों की योजना नेपाल से उत्तरी बंगाल के चिकन नेक तक हथियारों की तस्करी करने की थी। वहां से हथियार बांग्लादेश, असम और बंगाल पहुंचाए जाने थे।

शेख हसीना के सत्ता से हटते ही पाकिस्तान ने बांग्लादेश से संबंध सुधारने की कोशिशें तेज कर दी हैं, जिससे आईएसआई का नेटवर्क फिर से सक्रिय हो गया है। यह नेटवर्क भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। 1991-96 और 2001-06 के बीच, जब बांग्लादेश में बीएनपी-जमात सत्ता में थी, तब आईएसआई ने भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया, जिसमें पूर्वोत्तर विद्रोही समूहों और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन और धन मुहैया कराया गया।
पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला, खैबर पख्तूनख्वा में हुए धमाके में 16 सैनिकों की मौत

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पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। खैबर पख्तूनख्वा में हुए इस हमले में 16 सैनिकों की मौत हो गई है जबकि 8 घायल बताए जा रहे हैं। यह हमला दक्षिण वजीरिस्तान के माकिन के लिटा सर इलाके में पाकिस्तान की सुरक्षा चौकी पर हुआ है। हमले के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और तलाशी अभियान जारी है।

किसी भी संगठन ने फिलहाल इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पाकिस्तान में अफगानिस्तान से लगती सीमा पर लगातार आतंकी हमले देखे जा रहे हैं। यहां तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के आतंकी आए दिन हमला करते रहते हैं। इससे पहले 5 अक्तूबर को कई आतंकी हमलों में 16 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी। खुर्रम जिले में हमले में सात सैनिक मारे गए थे, वहीं दो लोग घायल हुए थे। विश्व स्तर पर नामित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने कथित तौर पर हिंसा की जिम्मेदारी ली थी।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक खैबर पख्तूनख्वा में टीटीपी के नेतृत्व वाले तीव्र हमलों और बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी जातीय बलूच विद्रोहियों के परिणामस्वरूण अकेले इसी साल सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों की जान चली गई।

पाकिस्तान इन हमलों के लिए तहरीक ए तालिबान को ठहराता रहा है। साथ ही यह भी आरोप लगाता है कि अफगान तालिबान सरकार अफगानिस्तान में टीटीपी के लड़ाकों को पनाह दे रहे हैं। हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने कहा था कि अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान सरकार के साथ बातचीत ही क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने का एकमात्र तरीका है।

पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइल के खिलाफ क्यों हो गया अमेरिका, खुद के लिए किस खतरे की कर रहा बात?

#americasaidweareindangerfrompakistansmissile_program

पाकिस्तान अब अमेरिका के लिए बड़ा खतरा बन रहा है। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल विकसित कर रहा है। वह ऐसी मिसाइलें बनाने में लगा है जिसमें दक्षिण एशिया के बाहर अमेरिका पर भी हमला करने की क्षमता हो। जिसके बाद अमेरिका ने एक अहम फैसले में पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में शामिल चार संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के उप सलाहकार जॉन फाइनर ने कहा कि पाकिस्तान की गतिविधियां उसके इरादों पर गंभीर सवाल उठाती हैं। कार्नेगी एंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में एक भाषण के दौरान जॉन फाइनर ने कहा, 'साफ तौर पर हमें पाकिस्तान की गतिविधियां अमेरिका के लिए एक उभरते हुए खतरे के रूप में ही दिखाई देती हैं।'

फाइनर के मुताबिक ऐसे सिर्फ तीन ही देश हैं जिनके पास परमाणु हथियार और अमेरिका तक मिसाइल हमला करने की क्षमता है। इनमें रूस, चीन और नॉर्थ कोरिया शामिल हैं। ये तीनों ही देश अमेरिका के विरोधी हैं। ऐसे में पाकिस्तान के ये कदम अमेरिका के लिए एक नई चुनौती बनते जा रहे हैं।

फाइनर ने कहा,पाकिस्तान का ये कदम चौंकाने वाला है, क्योंकि वह अमेरिका का सहयोगी देश रहा है। हमने पाकिस्तान के सामने कई बार अपनी चिंता जाहिर की है। हमने उसे मुश्किल समय में समर्थन दिया है और आगे भी संबंध बनाए रखने की इच्छा रखते हैं। ऐसे में पाकिस्तान का ये कदम हमें ये सवाल करने पर मजबूर करता है कि वह ऐसी क्षमता हासिल क्यों करना चाहता है, जिसका इस्तेमाल हमारे खिलाफ किया जा सकता है।

एक दिन पहले ही अमेरिकी विदेश विभाग ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल से जुड़ी चार संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। विदेश विभाग की वेबसाइट पर जारी बयान में कहा गया है कि यह निर्णय पाकिस्तान की लंबी दूरी की मिसाइलों के विकास से होने वाले खतरे को देखते हुए लिया गया है।अमेरिका ने गुरुवार को बताया कि चार संस्थाओं को कार्यकारी आदेश 13382 के तहत प्रतिबंधित किया गया है, जो विनाशकारी हथियारों और उनके वितरण के साधनों के प्रसार से जुड़े लोगों पर लागू होता है। बयान के मुताबिक पाकिस्तान की 'नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स' और उससे जुड़ी अन्य संस्थाएं जैसे अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड और रॉकसाइड एंटरप्राइज पर पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम के लिए उपकरण आपूर्ति करने का आरोप है।

पाकिस्तान ने बैन को बताया पक्षपातपूर्ण

अमेरिका के प्रतिबंधों की पाकिस्तान ने कड़ी निंदा करते हुए इसे पक्षपाती करार दिया है और कहा कि यह फैसला क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरनाक परिणाम लाएगा। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा, 'पाकिस्तान की रणनीतिक क्षमताएं उसकी संप्रभुता की रक्षा और दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए हैं। प्रतिबंध शांति और सुरक्षा के उद्देश्य को विफल करते हैं।

चीन की 3 कंपनियों पर लगाया था बैन

इससे पहले इसी साल अप्रैल में अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए तकनीक सप्लाई करने पर चीन की 3 कंपनियों पर बैन लगा दिया था। इस लिस्ट में बेलारूस की भी एक कंपनी शामिल थी।

80 के दशक में शुरू हुआ पाकिस्तान का मिसाइल प्रोग्राम

पाकिस्तान ने 1986-87 में अपने मिसाइल प्रोग्राम हत्फ की शुरुआत की थी। भारत के मिसाइल प्रोग्राम का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के नेतृत्व में इसकी शुरुआत हुई थी।

हत्म प्रोग्राम में पाक रक्षा मंत्रालय को फौज से सीधा समर्थन हासिल था। इसके तहत पाकिस्तान ने सबसे पहले हत्फ-1 और फिर हत्फ-2 मिसाइलों का सफल परीक्षण किया था। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, हत्फ-1 80 किमी और वहीं हत्फ-2 300 किमी तक मार करने में सक्षम थी।

यह दोनों मिसाइलें 90 के दशक में सेना का हिस्सा बनी थीं। इसके बाद हत्फ-1 को विकसित कर उसकी मारक क्षमता को 100 किलोमीटर बढ़ाया गया। 1996 में पाकिस्तान ने चीन की मदद से बैलिस्टिक मिसाइल की तकनीक हासिल की।

फिर 1997 में हत्फ-3 का सफल परीक्षण हुआ, जिसकी मार 800 किलोमीटर तक थी। साल 2002 से 2006 तक भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा मिसाइलों की टेस्टिंग की थी।

पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को लगा झटका, अमेरिका ने तीन कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध

#usadditionalsanctionsonentitiescontributingtopakistanballisticmissileprogram

अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को बड़ा झटका दिया है।अमेरिका ने बुधवार को पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में योगदान देने वाली तीन संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। इसमें पाकिस्तानी सरकार के स्वामित्व वाले राष्ट्रीय विकास परिसर (एनडीसी) और उससे जुड़ी कराची स्थित तीन कंपनियों पर प्रतिबंध शामिल है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने खुलासा किया कि प्रतिबंध एक कार्यकारी आदेश के तहत जारी किए गए थे।

विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक बयान में कहा कि नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स और तीन कंपनियों पर लगाए गए ये प्रतिबंध एक कार्यकारी आदेश के तहत लगाए गए हैं। प्रतिबंधों के तहत लक्षित संस्थाओं से संबंधित किसी भी अमेरिकी संपत्ति को जब्त कर लिया जाएगा तथा अमेरिकियों को उनके साथ व्यापार करने से रोक दिया जाएगा। इसका उद्देश्य सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और उन्हें वितरित करने के लिए इस्तेमाल की जानी वाली टेक्नोलॉजी पर अंकुश लगाना था।

पाक ने कहा कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण और पक्षपातपूर्ण

इधर, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिका की कार्रवाई “दुर्भाग्यपूर्ण और पक्षपातपूर्ण” है और “सैन्य विषमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से” क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचाएगी, जो परमाणु-सशस्त्र भारत के साथ देश की प्रतिद्वंद्विता का स्पष्ट संदर्भ है। विदेश विभाग के एक बयान में कहा गया है कि इस्लामाबाद स्थित एनडीसी ने देश के लंबी दूरी के बैलिस्टिक-मिसाइल कार्यक्रम और मिसाइल-परीक्षण उपकरणों के लिए कंपोनेंट्स प्राप्त करने की मांग की है।

पाकिस्तान के पास 170 परमाणु बम

बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स के शोध से पता चलता है कि पाकिस्तान के हथियार भंडार में अब लगभग 170 परमाणु बम हैं। पाकिस्तान ने 1998 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया। पाकिस्तान परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने से जुड़े अंतरराष्ट्रीय समझौता से बाहर है। प्रतिबंधों में तीन निजी कंपनियों-एफिलिएट्स इंटरनेशनल, अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड और रॉकसाइड एंटरप्राइज शामिल हैं। इन पर एनडीसी के मिसाइल कार्यक्रम के लिए उपकरण हासिल करने में मदद का आरोप है।

आज तक हमारे किसी सांसद ने ऐसी हिम्मत नहीं दिखाई', जानें प्रियंका गांधी की पाकिस्तान में क्यों हो रही तारीफ ?

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कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा सोमवार को संसद में एक हैंडबैग के साथ पहुंचीं। उस बैग पर सबकी नजर टिक गई। उस पर लिखा था पेलेस्टाइन यानी फिलिस्तीन। यह कदम फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन और एकजुटता प्रदर्शित करने के रूप में देखा जा रहा है। प्रियंका गांधी के इस कदम पर पाकिस्तान में भी चर्चा शुरू हो गई है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के संसद में फिलिस्तीन लिखा बैग ले जाने पर पाकिस्तान के पूर्व मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने उनकी सराहना की है।

बौनों के बीच प्रियंका गांधी तनकर खड़ी-फवाद चौधरी

पाकिस्तानी नेता फवाद चौधरी ने एक्स पर पोस्ट में प्रियंका की तारीफ की। फवाद हसन चौधरी ने प्रियंका गांधी की तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की। उन्होंने लिखा कि जवाहरलाल नेहरू जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी की पोती से हम और क्या उम्मीद कर सकते हैं? बौनों के बीच प्रियंका गांधी तनकर खड़ी हैं। यह शर्म की बात है कि आज तक किसी पाकिस्तानी संसद सदस्य ने ऐसा साहस नहीं दिखाया है।

पहले भी कर चुकीं हैं फिलिस्तीन का समर्थन

प्रियंका गांधी की यह वायरल तस्वीर सोमवार की है, जब वे संसद पहुंची थीं। पहले भी कई मौकों पर कांग्रेस और प्रियंका गांधी फिलिस्तीन के समर्थन में आवाज उठा चुकी हैं। फिलिस्तीन के राजदूत से प्रियंका ने मुलाकात भी की थी। प्रियंका गांधी वाड्रा फिलिस्तीनियों के संघर्ष में अपने समर्थन की बात कह चुकी हैं।

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने आजादी हासिल करने के लिए फिलिस्तीनी लोगों के संघर्ष के लिए अपने समर्थन की बात कही थी। उन्होंने कहा था, वो बचपन से ही फिलिस्तीनी हितों के लिए जी रही हैं न्याय में यकीन रखती हैं। उन्होंने बचपन में फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात की भारत यात्रा के दौरान कई बार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से उनकी मुलाकात का भी जिक्र किया था।

क्या पाकिस्तान के करीब जा रहा बांग्लादेश, जानें भारत के लिए क्यों है टेंशन की बात?

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बांग्लादेश लगातार भारत के साथ अपना संबंध खराब कर रहा है। हाल के दिनों में बांग्लादेश ने जिस तरह के फैसले लिए हैं उससे साफ झलक रहा है कि बांग्लादेश भारत से फासले बढ़ा रहा है और पाकिस्तान के नजदीक जा रहा है।कभी भारत ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराया। 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के लिए भारत ने जंग लड़ी। पूरा बांग्लादेश पाकिस्तान से आज़ादी के लिए लड़ रहा था लेकिन 64 साल बाद फिर से बांग्लादेश पाकिस्तान की चाल में फस रहा है।

ढाका-इस्लामाबाद हो रहें करीब

इसी साल सितंबर में पाकिस्तान ने घोषणा की थी कि बांग्लादेशी बिना किसी वीजा शुल्क के पड़ोसी देश की यात्रा कर सकेंगे। इसके बाद इसके बाद अंतरिम सरकार ने बांग्लादेशी वीजा के लिए आवेदन करने से पहले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सुरक्षा मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता को हटा दिया है। इसके अलावा दोनों देशों में सीधी उड़ाने फिर से शुरू करने की भी घोषणा की गई है। दोनों देशों के बीच आखिरी सीधी उड़ान 2018 में पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस द्वारा संचालित की गई थी। वीजा छूट से लेकर रक्षा सौदों और समुद्री मार्गों की बहाली तक, ये ऐसे कदम हैं, जो ढाका को इस्लामाबाद के ज्यादा करीब लेकर जा रहे हैं।

2019 में शेख हसीना के शासनकाल में बांग्लादेश ने यह अनिवार्य कर दिया था कि उनके देश आने की इच्छा रखने वाले सभी पाकिस्तानी नागरिकों को बांग्लादेश के सुरक्षा सेवा प्रभाग से 'अनापत्ति' मंजूरी लेनी होगी। हालांकि, अब इसकी आवश्यकता नहीं होगी। 

बांग्लादेश-पाकिस्तान सीधा समुद्री मार्ग

वीजा नियमों में बदलाव दोनों देशों के बीच संबंधों में आई नरमी का एकमात्र संकेत नहीं है। इससे पहले नवंबर में, कराची से एक पाकिस्तानी मालवाहक जहाज बांग्लादेश के दक्षिणपूर्वी चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा, जिसने 47 वर्षों के बाद दोनों देशों के बीच सीधे समुद्री संपर्क की फिर से स्थापना को चिह्नित किया। सितंबर में, बांग्लादेश ने पाकिस्तानी सामानों पर आयात प्रतिबंध भी हटा दिए। इससे पहले, पाकिस्तान से आने वाले सभी सामानों को बांग्लादेश आने से पहले दूसरे जहाजों - ज्यादातर श्रीलंका या मलेशिया के बंदरगाहों पर उतारना पड़ता था। इन जहाजों को बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा अनिवार्य जांच की भी आवश्यकता होती थी।

हथियारों का व्यापार

वहीं, शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के ठीक तीन सप्ताह बाद, ढाका ने पाकिस्तान से तोपखाना गोला-बारूद की नई आपूर्ति का ऑर्डर दिया। भारत सरकार के सूत्रों ने द ट्रिब्यून को बताया कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 40,000 राउंड तोपखाना गोला-बारूद, 2,000 राउंड टैंक गोला-बारूद, 40 टन RDX विस्फोटक और 2,900 उच्च-तीव्रता वाले प्रोजेक्टाइल मंगाए थे। सूत्रों ने कहा कि हालांकि यह गोला-बारूद का पहला ऐसा ऑर्डर नहीं था, लेकिन संख्या सामान्य से कहीं ज़्यादा थी। उदाहरण के लिए, 2023 में, ढाका ने 12,000 राउंड गोला-बारूद का ऑर्डर दिया था।

'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन शुरू

बांग्लादेश में लगातार चल रही हिंदू विरोधी हिंसा और मंदिरों में तोड़फोड़ के बीच वहां 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन भी शुरू हुआ है। बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने ढाका में अपने कार्यकर्ताओं के साथ भारत विरोधी प्रदर्शन किया था। इसमें रिजवी ने अपनी पत्नी की भारत से खरीदी गईं साड़ियों को जलाते हुए 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन शुरू किया था। रिजवी ने भारतीय प्रॉडक्ट्स के बहिष्कार की अपील की थी। रिजवी ने कहा,'हम एक समय खाना नहीं खाएंगे, लेकिन भारत के सामने नहीं झुकेंगे। हमारी माताएं-बहनें भारतीय साड़ियां नहीं पहनेंगी और वहां के साबुन-टूथपेस्ट नहीं इस्तेमाल करेंगी। बांग्लादेश आत्मनिर्भर है। हम अपनी आवश्यकता के सारे सामान का उत्पादन कर सकते हैं। भारत से आने वाली चीजों को मत खरीदिए, जो बांग्लादेशी संप्रभुता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा

मसूद अजहर को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच एक कूटनीतिक संघर्ष और पाकिस्तान का दोहरा चरित्र

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Masood Azhar

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के प्रमुख मसूद अजहर, भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव का केंद्रीय मुद्दा बने हुए हैं। भारत ने शुक्रवार को पाकिस्तान से जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा। ऐसी खबरें सामने आई हैं कि उसने हाल ही में पाकिस्तान के शहर बहावलपुर में एक सार्वजनिक सभा में भाषण दिया है। नई दिल्ली ने कहा कि पाकिस्तान का दोहरा चरित्र उजागर हो गया है।अजहर, जो भारत में 2001 के संसद हमले और 2019 के पुलवामा हमले जैसे कई प्रमुख हमलों में शामिल रहे हैं, दोनों देशों के रिश्तों में तनाव का मुख्य कारण हैं। 

पृष्ठभूमि और बढ़ता तनाव

मसूद अजहर ने 2000 में जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की थी, और इस समूह को भारत में कई आतंकवादी हमलों से जोड़ा गया है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद, जिसमें 40 से अधिक भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जैश ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान में जैश के प्रशिक्षण शिविरों पर एयरस्ट्राइक की, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव बढ़ गया।

संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंध और भारत की कूटनीतिक सफलता

भारत ने लंबे समय से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करने की मांग की थी। मई 2019 में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया, जो एक कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया। इस कदम ने अजहर की संपत्तियों को फ्रीज़ कर दिया और यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिए। यह कदम भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता था, जिसे वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत कदम माना गया।

कूटनीतिक चुनौतियां और पाकिस्तान का रुख

हालांकि, यह कदम केवल एक कूटनीतिक जीत थी, मसूद अजहर का प्रभाव और जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियां अब भी एक गंभीर समस्या बनी हुई हैं। पाकिस्तान ने बार-बार यह दावा किया है कि वह अजहर और उसके समूह पर नियंत्रण नहीं रखता, लेकिन भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मानना है कि पाकिस्तान के सैन्य और खुफिया तंत्र ने इन आतंकवादी समूहों को समर्थन दिया है। भारत अब भी पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है कि वह आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए।

भारत-पाकिस्तान संबंधों पर प्रभाव

मसूद अजहर पाकिस्तान के लिए केवल एक आतंकी नेता नहीं, बल्कि कश्मीर में आतंकवाद और संघर्ष का प्रतीक बन चुके हैं। भारत के लिए, अजहर पाकिस्तानी आतंकवाद को रोकने में पाकिस्तान की विफलता का प्रतीक बन गए हैं। भारत अब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बना रहा है कि पाकिस्तान जैश और अन्य आतंकी समूहों के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए। मसूद अजहर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच जटिल और संवेदनशील संबंधों का एक मुख्य कारण बना हुआ है। हालांकि भारत ने UNSC में अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर कूटनीतिक सफलता प्राप्त की है, लेकिन अजहर और जैश-ए-मोहम्मद से संबंधित आतंकवाद की समस्या अब भी बरकरार है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका और भारत के कूटनीतिक प्रयास इस मुद्दे के समाधान के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

अचानक पाकिस्तान क्यों पहुंचे चीनी आर्मी प्रमुख, क्या सिक्योरिटी फोर्सेस की तैनाती पर बनी बात?
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चीन और पाकिस्तान अच्छे दोस्त माने जाते हैं। हालांकि, पाकिस्तान में लगातार हो रहे चीनी नागरिकों और वर्कर्स पर हमलों को लेकर चीन नाराज हो गया है। अब चीन वहां अपनी सेना तैनात करना चाहता है। बताया जा रहा है कि चीन की सिक्योरिटी फोर्सेस को तैनात करने की मंजूरी के लिए पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। इस बीच चीनी सेना के प्रमुख जनरल बुधवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंचे। उनके साथ एक बड़ा प्रतिनिधि मंडल भी इस्लामाबाद आया है। चीनी सेना के प्रमुख जनरल झांग योशिया ने बुधवार को पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनिर से बातचीत की। पाकिस्तानी न्यूज पोर्टल डॉन के अनुसार दोनों देशों के के बीच में क्षेत्रीय सुरक्षा, स्थिरता और आपसी रक्षा सहयोग को बढ़ाने को लेकर चर्चा की गई। वहीं, कुछ सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना के प्रमुख जनरल झांग ने आतंकवाद के खिलाफ चल रहे अभियानों और चीनी नागरिकों पर पाकिस्तान में हमलों को लेकर उन्होंने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिम मुनिर से पूछा कि इन घटनाओं पर लगाम कैसे लगेगी। डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान में अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर अधिक सक्रिय भूमिका की मांग की। बीजिंग इस बात पर जोर दे रहा है कि पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों के लिए सुरक्षा उपाय और मजबूत किए जाएं। हालांकि, पाकिस्तान ने स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच आतंकवाद रोधी सहयोग "आपसी संप्रभुता और सम्मान" के सिद्धांतों पर आधारित रहेगा। बैठक में भारत की क्षेत्रीय भूमिका और अफगानिस्तान के हालात, विशेषकर आतंकवादी समूहों की सक्रियता, पर गहन चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए मिलकर प्रयास करना जरूरी है। वहीं, पाकिस्तानी सेना की ओर से भी इस मुलाकात को लेकर बयान जारी किया गया है।पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय का कहना है कि दोनों देशों के बीच बातचीत के दौरान अफगानिस्तान और इस क्षेत्र में भारत की भूमिका पर चर्चा की गई। विशेषकर अफगानिस्तान के सक्रिय आतंकवादी संगठनों को लेकर भी चर्चा की गई है।बैठक में इन विषयों पर हुई चर्चा:- • आतंकवाद से निपटने के उपाय:** पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हमलों को लेकर चिंता जताई गई। • क्षेत्रीय सुरक्षा:** भारत की भूमिका और अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों की मौजूदगी पर विचार-विमर्श किया गया। • द्विपक्षीय रक्षा सहयोग:** दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। • राष्ट्रीय सुरक्षा:** क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सामूहिक कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
अफगानिस्तान में पाक की एयर स्ट्राइक, अब तक 15 की मौत, क्या उठ रहे सवाल?

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पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर बड़ा एयर स्ट्राइक किया है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की तरफ से की गई ये एयर स्ट्राइक पक्तिका प्रांत के बरमल जिले में कई गई है। इस एयरस्ट्राइक में महिलाओं और बच्चों समेत 15 लोगों के मारे जाने की खबर है। तालिबान ने पाकिस्तान के हमले की कड़ी निंदा की है और उसने जवाबी कार्रवाई की बात कही है।तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि बमबारी में ‘वजीरिस्तानी शरणार्थियों’ को निशाना बनाया गया। ये वही लोग हैं जो पाकिस्तान से अफगानिस्तान पहुंचे थे। मरने वालों में बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तानी फाइटर जेट्स ने अफगानिस्तान के इलाकों में बमबारी की है। इन हवाई हमलों में बड़े पैमाने पर तबाही मची है। पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक के बाद क्षेत्र में तनाव काफी बढ़ गया है। पाकिस्तान की इस एयर स्ट्राइक में अभी तक 15 लोगों के मारे जाने की बात सामने आ रही है। मरने वालों में खास तौर पर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। भी भी कई इलाकों में राहत और बचाव कार्य जारी है। जबकि कई घायलों की हालत बेहद गंभीर है, जिनका फिलहाल अस्पताल में इलाज चल रहा है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इस एयर स्ट्राइक की वजह से कई लोगों की इलाज के दौरान भी मौत हो सकती है।

हमले का करारा जवाब देने की चेतावनी

तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने बरमल, पक्तिका पर रात में पाकिस्तान की ओर से किए गए एयर स्ट्राइक को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। अफगानिस्तानी मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान को इस हमले का करारा जवाब दिया जाएगा। हालांकि मंत्रालय ने अपनी भूमि और संप्रभुता की रक्षा के अधिकार पर जोर दिया है। मंत्रालय की कहा, ‘पाकिस्तान की एय़र स्ट्राइक में वजीरिस्तानी शरणार्थियों को निशाना बनाया गया है। ये वो लोग हैं जो पाकिस्तान से शरणार्थी के रूप में अफगानिस्तान पहुंचे थे। इस हमले में मरने वालों में कई बच्चे और महिलाएं भी शामिल है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हमला कर अपने ही लोगों क मार दिया है।

पाकिस्तान और तालिबान के बीच क्यों तनाव?

तालिबान वजीरिस्तानी शरणार्थियों को आदिवासी क्षेत्रों से आए आम नागरिक मानता है, जो पाकिस्तानी सेना की ओर से सैन्य अभियानों के कारण विस्थापित हुए हैं। हालांकि, पाकिस्तानी सरकार का दावा है कि दर्जनों टीटीपी कमांडर और लड़ाके अफगानिस्तान भाग गए हैं और सीमावर्ती प्रांतों में अफगान तालिबान उनकी सुरक्षा कर रहे हैं। तालिबान और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है, खासकर अफगानिस्तान के दक्षिणी प्रांतों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की मौजूदगी को लेकर, जबकि पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर टीटीपी आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है। तालिबान इन दावों को खारिज करता आया है और जोर देकर कहता रहा है कि वे समूह के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं।

पाकिस्तान को बड़ा झटकाः ब्रिक्स के पार्टनर कंट्रीज की लिस्ट में भी नहीं मिली जगह, भारत के वीटो के आगे हुआ पस्त

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ब्रिक्स में सदस्यता पाने का ख्वाब देखने वाले पाकिस्तान का सपना चूर हो गया है। पाकिस्तान की ब्रिक्स की सदस्यता पाने की उम्मीदों को भारत के सख्त विरोध ने चकनाचूर कर दिया है। भारत के कड़े विरोध की वजह से पाकिस्तान न सिर्फ ब्रिक्स की सदस्यता से वंचित हुआ, बल्कि उसे पार्टनर कंट्रीज की सूची में भी जगह नहीं मिल पाई। इस बीच, तुर्किए ने खुद को ब्रिक्स पार्टनर कंट्रीज की सूची में शामिल कराकर महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त किया है।

रूस ने हाल ही में 13 नए पार्टनर कंट्रीज की घोषणा की है। रूस ने इन 13 देशों को ब्रिक्‍स में पार्टनर कंट्री बनने का न्‍योता भेजा है जिसमें से 9 ने इसकी पुष्टि कर दी है। ये नौ देश हैं- बेलारूस, बोलविया, इंडोनेशिया, कजाखस्‍तान, क्‍यूबा, मलेशिया, थाइलैंड, यूगांडा, उज्‍बेकिस्‍तान। ये पार्टनर कंट्रीज आगे चलकर ब्रिक्‍स के सदस्‍य बनेंगे। ये देश 1 जनवरी 2025 से ब्रिक्स के पार्टनर कंट्रीज बनेंगे

चीन-रूस का समर्थन भी नहीं आया काम

हालांकि, इन 13 देशों में पाकिस्‍तान का नाम नहीं है। पाकिस्तान, जो चीन और रूस के समर्थन से ब्रिक्स में प्रवेश की कोशिश कर रहा था, इस सूची में अपनी जगह बनाने में असफल रहा।

ब्रिक्स में भारत का सख्त रुख

भारत का विरोध पाकिस्तान की ब्रिक्स में सदस्यता के प्रयासों के लिए सबसे बड़ा अवरोध साबित हुआ। पाकिस्तान ने ब्रिक्स में शामिल होने के लिए चीन और रूस से समर्थन प्राप्त किया था, लेकिन भारत ने साफ तौर पर इसका विरोध किया। ब्रिक्स के नए सदस्य देशों को शामिल करने के लिए सभी संस्थापक सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। भारत ने पाकिस्तान की दावेदारी का कड़ा विरोध किया, जिससे उसके लिए दरवाजे बंद हो गए। भारत का यह विरोध पाकिस्तान की विदेश नीति के कमजोर पक्ष को उजागर करता है। भारत के सख्त रुख के कारण पाकिस्तान के लिए ब्रिक्स का दरवाजा बंद हो गया।

कश्‍मीर को लेकर तुर्की के बदले रूख का असर?

ब्रिक्‍स के 13 नए पार्टनर कंट्रीज का ऐलान हो गया है जिसमें सबसे बड़ा फायदा तुर्की को हुआ है। इन दिनों कश्‍मीर मुद्दे को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर उठाने से परहेज कर रहे तुर्की को पार्टनर कंट्रीज में जगह मिल गई है। माना जा रहा है कि कश्‍मीर को लेकर तुर्की के राष्‍ट्रपति एर्दोगन के रुख में आए बदलाव की वजह से भारत ने ब्रिक्‍स में उसकी दावेदारी का विरोध नहीं किया।

राजनयिक लचीलापन और रणनीतिक समायोजन

विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की की ब्रिक्‍स में भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि कूटनीतिक लचीलापन और रणनीतिक समायोजन के माध्यम से देशों को महत्वपूर्ण कूटनीतिक लाभ मिल सकता है। तुर्की ने अपने कूटनीतिक रिश्तों में लचीलापन दिखाते हुए भारत के साथ अपने पुराने मतभेदों को सुलझाने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप भारत ने तुर्की के पक्ष में सहमति जताई। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने अपने राजनयिक प्रयासों में उस लचीलापन और समायोजन का इस्तेमाल नहीं किया, जिससे उसे इस अवसर का लाभ मिल सकता था। पाकिस्तान को अब अपनी कूटनीतिक रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।

ब्रिक्‍स में पाकिस्‍तान की बड़ी व‍िफलता

ब्रिक्स के पार्टनर कंट्रीज में भी पाकिस्तान को जगह नहीं मिलने की बड़ी वजह उसकी विदेश नीति है। कुछ पाकिस्‍तानी विश्लेषकों भी ये बात मानते हैं। पाकिस्‍तान की विदेश मामलों की जानकार और चर्चित पत्रकार मरियाना बाबर ने एक्‍स पर लिखा', ' यह पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय की पूरी तरह से विफलता है। वह भी तब जब इशाक डार विदेश मंत्री हैं जिनकी विदेशी मामलों में सबसे कम रुच‍ि है। यहां तक कि नाइजीरिया ने पाकिस्‍तान से बेहतर किया है। पाकिस्‍तान को रूस, चीन और भारत ने ब्रिक्‍स से बाहर रखा।' बता दें कि इशाक डार नवाज शरीफ के समधी और मरियम नवाज के ससुर हैं। इशाक डार पहले वित्‍त मंत्री हुआ करते थे लेकिन अब उन्‍हें शहबाज शरीफ के विरोध के बाद मजबूरन विदेश मंत्रालय से संतोष करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान के लिए क्यों जरूरी थी ब्रिक्स की सदस्यता

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान को अगर ब्रिक्स में सदस्यता मिल जाती, तो इसके माध्यम से उसे कई लाभ मिल सकते थे। ब्रिक्स के सदस्य देशों के साथ पाकिस्तान को व्यापार और निवेश के क्षेत्र में नए अवसर मिल सकते थे। ब्रिक्स का सदस्य बनने से पाकिस्तान को विभिन्न वैश्विक मंचों पर भी अधिक प्रभाव मिल सकता था। इसके अलावा, ब्रिक्स के सदस्य देशों से आर्थिक सहायता और सहयोग पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद कर सकता था।

विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान को अपनी कूटनीतिक रणनीति में बदलाव लाने की जरूरत है। इसे अपनी विदेश नीति को अधिक लचीला और समायोजनीय बनाना होगा, ताकि भविष्य में इसे इस तरह के अवसरों से वंचित नहीं होना पड़े।

बांग्लादेश में फिर करवट लेने लगा ISI, भारत के लिए कितना बड़ा खतरा
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बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता के पतन के बाद पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ एक बार फिर से अपने पुराने संबंधों को सुधारने की कोशिश में लगा हुआ है। पाकिस्तान का ध्यान इस बार मुख्य रूप से व्यापार, संस्कृति और खेल पर है। लेकिन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई बांग्लादेश में फिर से एक बार सक्रिय होने की ताक में है। जो कि भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

बांग्लादेश में अशांति के बीच पश्चिम बंगाल एसटीएफ ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से दो संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अब्बास और मिनारुल से पूछताछ के बाद खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली है कि बांग्लादेश में आशांति का लाभ उठाकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने उत्तर बंगाल और नेपाल में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। उसने अपने स्लीपर सेल को फिर से सक्रिय कर दिया है।

खुफिया विभाग का कहना है कि गिरफ्तार आतंकियों के संबंध बांग्लादेश के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम से है। आतंकियों से पूछताछ से यह जानकारी मिली है कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई नेपाल में एक बार फिर सक्रिय हो गई है। उग्रवादी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के 8 सदस्यों से पूछताछ की गई और पाक समर्थन के प्रत्यक्ष सबूत मिले हैं।आतंकियों की योजना नेपाल से उत्तरी बंगाल के चिकन नेक तक हथियारों की तस्करी करने की थी। वहां से हथियार बांग्लादेश, असम और बंगाल पहुंचाए जाने थे।

शेख हसीना के सत्ता से हटते ही पाकिस्तान ने बांग्लादेश से संबंध सुधारने की कोशिशें तेज कर दी हैं, जिससे आईएसआई का नेटवर्क फिर से सक्रिय हो गया है। यह नेटवर्क भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। 1991-96 और 2001-06 के बीच, जब बांग्लादेश में बीएनपी-जमात सत्ता में थी, तब आईएसआई ने भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया, जिसमें पूर्वोत्तर विद्रोही समूहों और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन और धन मुहैया कराया गया।
पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला, खैबर पख्तूनख्वा में हुए धमाके में 16 सैनिकों की मौत

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पाकिस्तान में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। खैबर पख्तूनख्वा में हुए इस हमले में 16 सैनिकों की मौत हो गई है जबकि 8 घायल बताए जा रहे हैं। यह हमला दक्षिण वजीरिस्तान के माकिन के लिटा सर इलाके में पाकिस्तान की सुरक्षा चौकी पर हुआ है। हमले के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी है और तलाशी अभियान जारी है।

किसी भी संगठन ने फिलहाल इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। पाकिस्तान में अफगानिस्तान से लगती सीमा पर लगातार आतंकी हमले देखे जा रहे हैं। यहां तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के आतंकी आए दिन हमला करते रहते हैं। इससे पहले 5 अक्तूबर को कई आतंकी हमलों में 16 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी। खुर्रम जिले में हमले में सात सैनिक मारे गए थे, वहीं दो लोग घायल हुए थे। विश्व स्तर पर नामित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने कथित तौर पर हिंसा की जिम्मेदारी ली थी।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक खैबर पख्तूनख्वा में टीटीपी के नेतृत्व वाले तीव्र हमलों और बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी जातीय बलूच विद्रोहियों के परिणामस्वरूण अकेले इसी साल सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों की जान चली गई।

पाकिस्तान इन हमलों के लिए तहरीक ए तालिबान को ठहराता रहा है। साथ ही यह भी आरोप लगाता है कि अफगान तालिबान सरकार अफगानिस्तान में टीटीपी के लड़ाकों को पनाह दे रहे हैं। हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने कहा था कि अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान सरकार के साथ बातचीत ही क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने का एकमात्र तरीका है।

पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइल के खिलाफ क्यों हो गया अमेरिका, खुद के लिए किस खतरे की कर रहा बात?

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पाकिस्तान अब अमेरिका के लिए बड़ा खतरा बन रहा है। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल विकसित कर रहा है। वह ऐसी मिसाइलें बनाने में लगा है जिसमें दक्षिण एशिया के बाहर अमेरिका पर भी हमला करने की क्षमता हो। जिसके बाद अमेरिका ने एक अहम फैसले में पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में शामिल चार संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के उप सलाहकार जॉन फाइनर ने कहा कि पाकिस्तान की गतिविधियां उसके इरादों पर गंभीर सवाल उठाती हैं। कार्नेगी एंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में एक भाषण के दौरान जॉन फाइनर ने कहा, 'साफ तौर पर हमें पाकिस्तान की गतिविधियां अमेरिका के लिए एक उभरते हुए खतरे के रूप में ही दिखाई देती हैं।'

फाइनर के मुताबिक ऐसे सिर्फ तीन ही देश हैं जिनके पास परमाणु हथियार और अमेरिका तक मिसाइल हमला करने की क्षमता है। इनमें रूस, चीन और नॉर्थ कोरिया शामिल हैं। ये तीनों ही देश अमेरिका के विरोधी हैं। ऐसे में पाकिस्तान के ये कदम अमेरिका के लिए एक नई चुनौती बनते जा रहे हैं।

फाइनर ने कहा,पाकिस्तान का ये कदम चौंकाने वाला है, क्योंकि वह अमेरिका का सहयोगी देश रहा है। हमने पाकिस्तान के सामने कई बार अपनी चिंता जाहिर की है। हमने उसे मुश्किल समय में समर्थन दिया है और आगे भी संबंध बनाए रखने की इच्छा रखते हैं। ऐसे में पाकिस्तान का ये कदम हमें ये सवाल करने पर मजबूर करता है कि वह ऐसी क्षमता हासिल क्यों करना चाहता है, जिसका इस्तेमाल हमारे खिलाफ किया जा सकता है।

एक दिन पहले ही अमेरिकी विदेश विभाग ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल से जुड़ी चार संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। विदेश विभाग की वेबसाइट पर जारी बयान में कहा गया है कि यह निर्णय पाकिस्तान की लंबी दूरी की मिसाइलों के विकास से होने वाले खतरे को देखते हुए लिया गया है।अमेरिका ने गुरुवार को बताया कि चार संस्थाओं को कार्यकारी आदेश 13382 के तहत प्रतिबंधित किया गया है, जो विनाशकारी हथियारों और उनके वितरण के साधनों के प्रसार से जुड़े लोगों पर लागू होता है। बयान के मुताबिक पाकिस्तान की 'नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स' और उससे जुड़ी अन्य संस्थाएं जैसे अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड और रॉकसाइड एंटरप्राइज पर पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम के लिए उपकरण आपूर्ति करने का आरोप है।

पाकिस्तान ने बैन को बताया पक्षपातपूर्ण

अमेरिका के प्रतिबंधों की पाकिस्तान ने कड़ी निंदा करते हुए इसे पक्षपाती करार दिया है और कहा कि यह फैसला क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरनाक परिणाम लाएगा। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा, 'पाकिस्तान की रणनीतिक क्षमताएं उसकी संप्रभुता की रक्षा और दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए हैं। प्रतिबंध शांति और सुरक्षा के उद्देश्य को विफल करते हैं।

चीन की 3 कंपनियों पर लगाया था बैन

इससे पहले इसी साल अप्रैल में अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए तकनीक सप्लाई करने पर चीन की 3 कंपनियों पर बैन लगा दिया था। इस लिस्ट में बेलारूस की भी एक कंपनी शामिल थी।

80 के दशक में शुरू हुआ पाकिस्तान का मिसाइल प्रोग्राम

पाकिस्तान ने 1986-87 में अपने मिसाइल प्रोग्राम हत्फ की शुरुआत की थी। भारत के मिसाइल प्रोग्राम का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के नेतृत्व में इसकी शुरुआत हुई थी।

हत्म प्रोग्राम में पाक रक्षा मंत्रालय को फौज से सीधा समर्थन हासिल था। इसके तहत पाकिस्तान ने सबसे पहले हत्फ-1 और फिर हत्फ-2 मिसाइलों का सफल परीक्षण किया था। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, हत्फ-1 80 किमी और वहीं हत्फ-2 300 किमी तक मार करने में सक्षम थी।

यह दोनों मिसाइलें 90 के दशक में सेना का हिस्सा बनी थीं। इसके बाद हत्फ-1 को विकसित कर उसकी मारक क्षमता को 100 किलोमीटर बढ़ाया गया। 1996 में पाकिस्तान ने चीन की मदद से बैलिस्टिक मिसाइल की तकनीक हासिल की।

फिर 1997 में हत्फ-3 का सफल परीक्षण हुआ, जिसकी मार 800 किलोमीटर तक थी। साल 2002 से 2006 तक भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा मिसाइलों की टेस्टिंग की थी।

पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम को लगा झटका, अमेरिका ने तीन कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध

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अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को बड़ा झटका दिया है।अमेरिका ने बुधवार को पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में योगदान देने वाली तीन संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। इसमें पाकिस्तानी सरकार के स्वामित्व वाले राष्ट्रीय विकास परिसर (एनडीसी) और उससे जुड़ी कराची स्थित तीन कंपनियों पर प्रतिबंध शामिल है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने खुलासा किया कि प्रतिबंध एक कार्यकारी आदेश के तहत जारी किए गए थे।

विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक बयान में कहा कि नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स और तीन कंपनियों पर लगाए गए ये प्रतिबंध एक कार्यकारी आदेश के तहत लगाए गए हैं। प्रतिबंधों के तहत लक्षित संस्थाओं से संबंधित किसी भी अमेरिकी संपत्ति को जब्त कर लिया जाएगा तथा अमेरिकियों को उनके साथ व्यापार करने से रोक दिया जाएगा। इसका उद्देश्य सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और उन्हें वितरित करने के लिए इस्तेमाल की जानी वाली टेक्नोलॉजी पर अंकुश लगाना था।

पाक ने कहा कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण और पक्षपातपूर्ण

इधर, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अमेरिका की कार्रवाई “दुर्भाग्यपूर्ण और पक्षपातपूर्ण” है और “सैन्य विषमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से” क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचाएगी, जो परमाणु-सशस्त्र भारत के साथ देश की प्रतिद्वंद्विता का स्पष्ट संदर्भ है। विदेश विभाग के एक बयान में कहा गया है कि इस्लामाबाद स्थित एनडीसी ने देश के लंबी दूरी के बैलिस्टिक-मिसाइल कार्यक्रम और मिसाइल-परीक्षण उपकरणों के लिए कंपोनेंट्स प्राप्त करने की मांग की है।

पाकिस्तान के पास 170 परमाणु बम

बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स के शोध से पता चलता है कि पाकिस्तान के हथियार भंडार में अब लगभग 170 परमाणु बम हैं। पाकिस्तान ने 1998 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया। पाकिस्तान परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने से जुड़े अंतरराष्ट्रीय समझौता से बाहर है। प्रतिबंधों में तीन निजी कंपनियों-एफिलिएट्स इंटरनेशनल, अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड और रॉकसाइड एंटरप्राइज शामिल हैं। इन पर एनडीसी के मिसाइल कार्यक्रम के लिए उपकरण हासिल करने में मदद का आरोप है।

आज तक हमारे किसी सांसद ने ऐसी हिम्मत नहीं दिखाई', जानें प्रियंका गांधी की पाकिस्तान में क्यों हो रही तारीफ ?

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कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा सोमवार को संसद में एक हैंडबैग के साथ पहुंचीं। उस बैग पर सबकी नजर टिक गई। उस पर लिखा था पेलेस्टाइन यानी फिलिस्तीन। यह कदम फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन और एकजुटता प्रदर्शित करने के रूप में देखा जा रहा है। प्रियंका गांधी के इस कदम पर पाकिस्तान में भी चर्चा शुरू हो गई है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के संसद में फिलिस्तीन लिखा बैग ले जाने पर पाकिस्तान के पूर्व मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने उनकी सराहना की है।

बौनों के बीच प्रियंका गांधी तनकर खड़ी-फवाद चौधरी

पाकिस्तानी नेता फवाद चौधरी ने एक्स पर पोस्ट में प्रियंका की तारीफ की। फवाद हसन चौधरी ने प्रियंका गांधी की तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की। उन्होंने लिखा कि जवाहरलाल नेहरू जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी की पोती से हम और क्या उम्मीद कर सकते हैं? बौनों के बीच प्रियंका गांधी तनकर खड़ी हैं। यह शर्म की बात है कि आज तक किसी पाकिस्तानी संसद सदस्य ने ऐसा साहस नहीं दिखाया है।

पहले भी कर चुकीं हैं फिलिस्तीन का समर्थन

प्रियंका गांधी की यह वायरल तस्वीर सोमवार की है, जब वे संसद पहुंची थीं। पहले भी कई मौकों पर कांग्रेस और प्रियंका गांधी फिलिस्तीन के समर्थन में आवाज उठा चुकी हैं। फिलिस्तीन के राजदूत से प्रियंका ने मुलाकात भी की थी। प्रियंका गांधी वाड्रा फिलिस्तीनियों के संघर्ष में अपने समर्थन की बात कह चुकी हैं।

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने आजादी हासिल करने के लिए फिलिस्तीनी लोगों के संघर्ष के लिए अपने समर्थन की बात कही थी। उन्होंने कहा था, वो बचपन से ही फिलिस्तीनी हितों के लिए जी रही हैं न्याय में यकीन रखती हैं। उन्होंने बचपन में फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात की भारत यात्रा के दौरान कई बार पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से उनकी मुलाकात का भी जिक्र किया था।

क्या पाकिस्तान के करीब जा रहा बांग्लादेश, जानें भारत के लिए क्यों है टेंशन की बात?

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बांग्लादेश लगातार भारत के साथ अपना संबंध खराब कर रहा है। हाल के दिनों में बांग्लादेश ने जिस तरह के फैसले लिए हैं उससे साफ झलक रहा है कि बांग्लादेश भारत से फासले बढ़ा रहा है और पाकिस्तान के नजदीक जा रहा है।कभी भारत ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराया। 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के लिए भारत ने जंग लड़ी। पूरा बांग्लादेश पाकिस्तान से आज़ादी के लिए लड़ रहा था लेकिन 64 साल बाद फिर से बांग्लादेश पाकिस्तान की चाल में फस रहा है।

ढाका-इस्लामाबाद हो रहें करीब

इसी साल सितंबर में पाकिस्तान ने घोषणा की थी कि बांग्लादेशी बिना किसी वीजा शुल्क के पड़ोसी देश की यात्रा कर सकेंगे। इसके बाद इसके बाद अंतरिम सरकार ने बांग्लादेशी वीजा के लिए आवेदन करने से पहले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सुरक्षा मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता को हटा दिया है। इसके अलावा दोनों देशों में सीधी उड़ाने फिर से शुरू करने की भी घोषणा की गई है। दोनों देशों के बीच आखिरी सीधी उड़ान 2018 में पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस द्वारा संचालित की गई थी। वीजा छूट से लेकर रक्षा सौदों और समुद्री मार्गों की बहाली तक, ये ऐसे कदम हैं, जो ढाका को इस्लामाबाद के ज्यादा करीब लेकर जा रहे हैं।

2019 में शेख हसीना के शासनकाल में बांग्लादेश ने यह अनिवार्य कर दिया था कि उनके देश आने की इच्छा रखने वाले सभी पाकिस्तानी नागरिकों को बांग्लादेश के सुरक्षा सेवा प्रभाग से 'अनापत्ति' मंजूरी लेनी होगी। हालांकि, अब इसकी आवश्यकता नहीं होगी। 

बांग्लादेश-पाकिस्तान सीधा समुद्री मार्ग

वीजा नियमों में बदलाव दोनों देशों के बीच संबंधों में आई नरमी का एकमात्र संकेत नहीं है। इससे पहले नवंबर में, कराची से एक पाकिस्तानी मालवाहक जहाज बांग्लादेश के दक्षिणपूर्वी चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा, जिसने 47 वर्षों के बाद दोनों देशों के बीच सीधे समुद्री संपर्क की फिर से स्थापना को चिह्नित किया। सितंबर में, बांग्लादेश ने पाकिस्तानी सामानों पर आयात प्रतिबंध भी हटा दिए। इससे पहले, पाकिस्तान से आने वाले सभी सामानों को बांग्लादेश आने से पहले दूसरे जहाजों - ज्यादातर श्रीलंका या मलेशिया के बंदरगाहों पर उतारना पड़ता था। इन जहाजों को बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा अनिवार्य जांच की भी आवश्यकता होती थी।

हथियारों का व्यापार

वहीं, शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के ठीक तीन सप्ताह बाद, ढाका ने पाकिस्तान से तोपखाना गोला-बारूद की नई आपूर्ति का ऑर्डर दिया। भारत सरकार के सूत्रों ने द ट्रिब्यून को बताया कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 40,000 राउंड तोपखाना गोला-बारूद, 2,000 राउंड टैंक गोला-बारूद, 40 टन RDX विस्फोटक और 2,900 उच्च-तीव्रता वाले प्रोजेक्टाइल मंगाए थे। सूत्रों ने कहा कि हालांकि यह गोला-बारूद का पहला ऐसा ऑर्डर नहीं था, लेकिन संख्या सामान्य से कहीं ज़्यादा थी। उदाहरण के लिए, 2023 में, ढाका ने 12,000 राउंड गोला-बारूद का ऑर्डर दिया था।

'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन शुरू

बांग्लादेश में लगातार चल रही हिंदू विरोधी हिंसा और मंदिरों में तोड़फोड़ के बीच वहां 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन भी शुरू हुआ है। बीएनपी के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रूहुल कबीर रिजवी ने ढाका में अपने कार्यकर्ताओं के साथ भारत विरोधी प्रदर्शन किया था। इसमें रिजवी ने अपनी पत्नी की भारत से खरीदी गईं साड़ियों को जलाते हुए 'बॉयकॉट इंडिया' कैंपेन शुरू किया था। रिजवी ने भारतीय प्रॉडक्ट्स के बहिष्कार की अपील की थी। रिजवी ने कहा,'हम एक समय खाना नहीं खाएंगे, लेकिन भारत के सामने नहीं झुकेंगे। हमारी माताएं-बहनें भारतीय साड़ियां नहीं पहनेंगी और वहां के साबुन-टूथपेस्ट नहीं इस्तेमाल करेंगी। बांग्लादेश आत्मनिर्भर है। हम अपनी आवश्यकता के सारे सामान का उत्पादन कर सकते हैं। भारत से आने वाली चीजों को मत खरीदिए, जो बांग्लादेशी संप्रभुता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा

मसूद अजहर को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच एक कूटनीतिक संघर्ष और पाकिस्तान का दोहरा चरित्र

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Masood Azhar

पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के प्रमुख मसूद अजहर, भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव का केंद्रीय मुद्दा बने हुए हैं। भारत ने शुक्रवार को पाकिस्तान से जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा। ऐसी खबरें सामने आई हैं कि उसने हाल ही में पाकिस्तान के शहर बहावलपुर में एक सार्वजनिक सभा में भाषण दिया है। नई दिल्ली ने कहा कि पाकिस्तान का दोहरा चरित्र उजागर हो गया है।अजहर, जो भारत में 2001 के संसद हमले और 2019 के पुलवामा हमले जैसे कई प्रमुख हमलों में शामिल रहे हैं, दोनों देशों के रिश्तों में तनाव का मुख्य कारण हैं। 

पृष्ठभूमि और बढ़ता तनाव

मसूद अजहर ने 2000 में जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की थी, और इस समूह को भारत में कई आतंकवादी हमलों से जोड़ा गया है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद, जिसमें 40 से अधिक भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जैश ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान में जैश के प्रशिक्षण शिविरों पर एयरस्ट्राइक की, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव बढ़ गया।

संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंध और भारत की कूटनीतिक सफलता

भारत ने लंबे समय से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करने की मांग की थी। मई 2019 में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया, जो एक कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया। इस कदम ने अजहर की संपत्तियों को फ्रीज़ कर दिया और यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिए। यह कदम भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता था, जिसे वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत कदम माना गया।

कूटनीतिक चुनौतियां और पाकिस्तान का रुख

हालांकि, यह कदम केवल एक कूटनीतिक जीत थी, मसूद अजहर का प्रभाव और जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियां अब भी एक गंभीर समस्या बनी हुई हैं। पाकिस्तान ने बार-बार यह दावा किया है कि वह अजहर और उसके समूह पर नियंत्रण नहीं रखता, लेकिन भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मानना है कि पाकिस्तान के सैन्य और खुफिया तंत्र ने इन आतंकवादी समूहों को समर्थन दिया है। भारत अब भी पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है कि वह आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए।

भारत-पाकिस्तान संबंधों पर प्रभाव

मसूद अजहर पाकिस्तान के लिए केवल एक आतंकी नेता नहीं, बल्कि कश्मीर में आतंकवाद और संघर्ष का प्रतीक बन चुके हैं। भारत के लिए, अजहर पाकिस्तानी आतंकवाद को रोकने में पाकिस्तान की विफलता का प्रतीक बन गए हैं। भारत अब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बना रहा है कि पाकिस्तान जैश और अन्य आतंकी समूहों के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए। मसूद अजहर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच जटिल और संवेदनशील संबंधों का एक मुख्य कारण बना हुआ है। हालांकि भारत ने UNSC में अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर कूटनीतिक सफलता प्राप्त की है, लेकिन अजहर और जैश-ए-मोहम्मद से संबंधित आतंकवाद की समस्या अब भी बरकरार है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका और भारत के कूटनीतिक प्रयास इस मुद्दे के समाधान के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

अचानक पाकिस्तान क्यों पहुंचे चीनी आर्मी प्रमुख, क्या सिक्योरिटी फोर्सेस की तैनाती पर बनी बात?
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चीन और पाकिस्तान अच्छे दोस्त माने जाते हैं। हालांकि, पाकिस्तान में लगातार हो रहे चीनी नागरिकों और वर्कर्स पर हमलों को लेकर चीन नाराज हो गया है। अब चीन वहां अपनी सेना तैनात करना चाहता है। बताया जा रहा है कि चीन की सिक्योरिटी फोर्सेस को तैनात करने की मंजूरी के लिए पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है। इस बीच चीनी सेना के प्रमुख जनरल बुधवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंचे। उनके साथ एक बड़ा प्रतिनिधि मंडल भी इस्लामाबाद आया है। चीनी सेना के प्रमुख जनरल झांग योशिया ने बुधवार को पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनिर से बातचीत की। पाकिस्तानी न्यूज पोर्टल डॉन के अनुसार दोनों देशों के के बीच में क्षेत्रीय सुरक्षा, स्थिरता और आपसी रक्षा सहयोग को बढ़ाने को लेकर चर्चा की गई। वहीं, कुछ सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना के प्रमुख जनरल झांग ने आतंकवाद के खिलाफ चल रहे अभियानों और चीनी नागरिकों पर पाकिस्तान में हमलों को लेकर उन्होंने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिम मुनिर से पूछा कि इन घटनाओं पर लगाम कैसे लगेगी। डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान में अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर अधिक सक्रिय भूमिका की मांग की। बीजिंग इस बात पर जोर दे रहा है कि पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों के लिए सुरक्षा उपाय और मजबूत किए जाएं। हालांकि, पाकिस्तान ने स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच आतंकवाद रोधी सहयोग "आपसी संप्रभुता और सम्मान" के सिद्धांतों पर आधारित रहेगा। बैठक में भारत की क्षेत्रीय भूमिका और अफगानिस्तान के हालात, विशेषकर आतंकवादी समूहों की सक्रियता, पर गहन चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए मिलकर प्रयास करना जरूरी है। वहीं, पाकिस्तानी सेना की ओर से भी इस मुलाकात को लेकर बयान जारी किया गया है।पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय का कहना है कि दोनों देशों के बीच बातचीत के दौरान अफगानिस्तान और इस क्षेत्र में भारत की भूमिका पर चर्चा की गई। विशेषकर अफगानिस्तान के सक्रिय आतंकवादी संगठनों को लेकर भी चर्चा की गई है।बैठक में इन विषयों पर हुई चर्चा:- • आतंकवाद से निपटने के उपाय:** पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हमलों को लेकर चिंता जताई गई। • क्षेत्रीय सुरक्षा:** भारत की भूमिका और अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों की मौजूदगी पर विचार-विमर्श किया गया। • द्विपक्षीय रक्षा सहयोग:** दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। • राष्ट्रीय सुरक्षा:** क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सामूहिक कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।