/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz s:pakistan
ट्रेन हाईजैक के आरोपों पर पाक को भारत का जवाब, कहा-दुनिया जानती है ग्लोबल आतंकवाद का केंद्र कहां

#pakistantrainhijackindiamearejectspaki_allegations

पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत में ट्रेन हाईजैक की घटना के पीछे भारत का हाथ बताया है। शहबाज सरकार की ओर से लगाए गए इस आरोप पर भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा लगाए गए उन आरोपों का जोरदार खंडन किया है। भारत ने कहा है कि पूरी दुनिया को पता है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से आरोप लगाए गए थे कि जाफर एक्सप्रेस हमले मामले में भारत का हाथ हो सकता है।

“अपने अंदर झांकना चाहिए”

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम पाकिस्तान के निराधार आरोपों को दृढ़ता से खंडन करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? पाकिस्तान को अपनी अंदरूनी समस्याओं और विफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने और दोष मढ़ने के बजाय अपने अंदर झांकना चाहिए।

पाक ने क्या कहा था?

इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने दावा किया था कि जाफर एक्सप्रेस पर हमले में शामिल विद्रोही अफगानिस्तान में मौजूद सरगनाओं के संपर्क में थे।शफकत अली खान ने अपने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, भारत पाकिस्तान में आतंकवाद में शामिल रहा है। जाफर एक्सप्रेस पर विशेष हमले में आतंकवादी अफगानिस्तान में मौजूद अपने आकाओं और सरगनाओं के संपर्क में थे। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध सीमा पर लगातार झड़पों और इस्लामाबाद के दावों के कारण तनावपूर्ण हो गए हैं।

पाकिस्तान में 11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का हाईजैक हुआ। जाफ़र एक्सप्रेस की घटना में 450 से अधिक यात्री शामिल थे, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 21 यात्री, चार सैनिक और अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के 33 आतंकवादी शामिल थे। पाकिस्तान लगातार भारत पर बलूचिस्तान में अशांति पैदा करने के लिए बीएलए जैसे समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाता है, इन आरोपों का भारत ने खंडन किया है।

पाकिस्तान से क्यों अलग होना चाहते हैं बलूच? आजादी की लड़ाई नाजुक मोड़ पर

#whybaluchistananxioustobefreefrom_pakistan

बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैकिंग कांड ने बलूचियों और पाकिस्तानियों के बीच के पुराने संघर्ष को उजागर कर दिया है। अपने खोए अस्‍तित्‍व वापस पाने के लिए बलूचिस्‍तान लिब्रेशन आर्मी (बीएलए) ने एक बार फिर पाकिस्‍तानी सेना के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। बलूचों ने ठान लिया है कि वो आजादी हासिल करके रहेंगे। जबरन पाकिस्‍तान मिलाने का दर्द उस वक्‍त बलूचियों के लिए नासूर बना गया, जब पाकिस्‍तान ने उनकी प्राकृतिक संपदा का दोहन शुरू कर दिया।

पाकिस्तान का सबसे संपन्न लेकिन पिछड़ा राज्य

बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है और 44 फीसदी हिस्सा कवर करता है। जर्मनी के आकार का होने का बावजूद यहां की आबादी सिर्फ डेढ़ करोड़ है, जर्मनी से 7 करोड़ कम। बलूचिस्तान तेल, सोना, तांबा और अन्य खदानों से सम्पन्न है। इन संसाधनों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान अपनी जरूरतें पूरी करता है। इसके बाद भी ये इलाका सबसे पिछड़ा है। यही वजह है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ नफरत बढ़ रही है।

आधुनिक बलूचिस्तान की कहानी

बलूचिस्तान कभी भी पाकिस्तान का अंग नहीं बनना चाहता था। जबरन पाकिस्‍तान मिलाने का दर्द बलूचियों के लिए नासूर बना गया है। अब बलूचों की आजादी की लड़ाई नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है। आधुनिक बलूचिस्तान की कहानी 1876 से शुरू होती है। तब बलूचिस्तान पर कलात रियासत का शासन था। भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश हुकूमत शासन कर रही थी। इसी साल ब्रिटिश सरकार और कलात के बीच संधि हुई।

संधि के मुताबिक अंग्रेजों ने कलात को सिक्किम और भूटान की तरह प्रोटेक्टोरेट स्टेट का दर्जा दिया। यानी भूटान और सिक्किम की तरह कलात के आंतरिक मामलों में ब्रिटिश सरकार का दखल नहीं था, लेकिन विदेश और रक्षा मामलों पर उसका नियंत्रण था

भारत-पाक की तरह कलात में भी आजादी की मांग

1947 में भारतीय उपमहाद्वीप में आजादी की प्रक्रिया की शुरुआत हुई। भारत और पाकिस्तान की तरह कलात में भी आजादी की मांग तेज हो गई। जब 1946 में ये तय हो गया कि अंग्रेज भारत छोड़ रहे हैं, तब कलात के खान यानी शासक मीर अहमद खान ने अंग्रेजों के सामने अपना पक्ष रखने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को सरकारी वकील बनाया। बलूचिस्तान नाम से एक नया देश बनाने के लिए 4 अगस्त 1947 को दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई। इसमें मीर अहमद खान के साथ जिन्ना और जवाहर लाल नेहरू भी शामिल हुए। बैठक में जिन्ना ने कलात की आजादी की वकालत की।

बैठक में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भी माना कि कलात को भारत या पाकिस्तान का हिस्सा बनने की जरूरत नहीं है। तब जिन्ना ने ही ये सुझाव दिया कि चार जिलों- कलात, खरान, लास बेला और मकरान को मिलाकर एक आजाद बलूचिस्तान बनाया जाए

आजादी की घोषणा के एक महीने बाद बदले हालात

11 अगस्त 1947 को कलात और मुस्लिम लीग के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसके साथ ही बलूचिस्तान एक अलग देश बन गया। हालांकि, इसमें एक पेंच ये था कि बलूचिस्तान की सुरक्षा पाकिस्तान के हवाले थी। आखिरकार कलात के खान ने 12 अगस्त को बलूचिस्तान को एक आजाद देश घोषित कर दिया। बलूचिस्तान में मस्जिद से कलात का पारंपरिक झंडा फहराया गया। कलात के शासक मीर अहमद खान के नाम पर खुतबा पढ़ा गया।

लेकिन, आजादी घोषित करने के ठीक एक महीने बाद 12 सितंबर को ब्रिटेन ने एक प्रस्ताव पारित किया और कहा कि बलूचिस्तान एक अलग देश बनने की हालत में नहीं है। वह अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां नहीं उठा सकता।

बलूचिस्तान जबरन पाकिस्‍तान में मिला दिया

कलात के खान ने अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान का दौरा किया। उन्हें उम्मीद थी कि जिन्ना उनकी मदद करेंगे। जब खान कराची पहुंचे तो वहां मौजूद हजारों बलूच लोगों ने उनका स्वागत बलूचिस्तान के राजा की तरह किया, लेकिन उनका स्वागत करने पाकिस्तान का कोई बड़ा अधिकारी नहीं पहुंचा।पाकिस्तान के इरादे में बदलाव का यह बड़ा संकेत था। बलूचिस्तान जबरन पाकिस्‍तान में मिला दिया गया। इसी के साथ पाकिस्‍तान ने उनकी प्राकृतिक संपदा का दोहन शुरू कर दिया। बदले में बलूचिस्‍तान को ना ही विकास मिला और ना ही उनके प्राकृतिक संपदा के दोहन से होने वाले फायदे में कोई हिस्‍सा। देखते ही देखते, बलूचिस्‍तान की प्राकृतिक संपदा पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ बन चुकी थी, लेकिन बलूचिस्‍तान कंगाली की गर्त में जा गिरा था।

1948 से जारी है विद्रोह

बलूचिस्‍तान की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा शुरू से ही स्वतंत्रता और स्वायत्तता की मांग करता रहा है। उन्होंने 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ पहला विद्रोह शुरू किया। पाकिस्तान ने 1948 के विद्रोह को कुचल दिया। विद्रोह को तब भले ही दबा दिया गया, लेकिन ये कभी खत्म नहीं हुआ। बलूचिस्तान की आजादी के लिए शुरू हुए इस विद्रोह को नए नेता मिलते रहे। 1950, 1960 और 1970 के दशक में वे पाकिस्तान सरकार के लिए चुनौती बनते रहे। 2000 तक पाकिस्तान के खिलाफ चार बलूच विद्रोह हुए।

पाकिस्तान ट्रेन हाईजैकःसेना ने 100 से ज्यादा बंधकों को छुड़ाया, अब भी कैद में कई जिंदगियां

#pakistan_train_hijack

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक ट्रेन को हाईजैक कर लिया गया है। यह हाईजैक बलूच विद्रोहियों ने की है। पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक हुए 20 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन पाकिस्तानी सेना अब तक बलूच विद्रोहियों के कब्जे से इस जफर एक्सप्रेस ट्रेन को छुड़ा नहीं पाई है। इस ट्रेन में सवार लोगों को बचाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने पूरा जोर लगा दिया है। बलोच विद्रोहियों ने दावा किया है कि पाकिस्तान के 30 सैनिकों को मारा गया है। इस बीच पाकिस्तान सेना ने बड़ा एक्शन लिया है और 104 बंधकों को छुड़ा लिया है और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार अभी भी 100 लोग हाईजैकर्स की कैद में हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने बीएलए की ओर से बंधक बनाए गए 104 लोगों को बचा लिया है। बचाए गए लोगों में 58 पुरुष, 31 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल हैं। साथ ही सुरक्षाकर्मी शेष यात्रियों को सुरक्षित बचाने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं। सेना की अब तक की कार्रवाई में बीएलए के 23 लड़ाकों को मार गिराया गया, जबकि कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं।

मालूम हो कि मंगलवार को क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस को बलूच लिबरेशन आर्मी ने हाईजैक कर लिया था। नौ डिब्बों वाली इस ट्रेन में लगभग 500 यात्री सवार थे। जाफर एक्सप्रेस क्वेटा से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही थी तभी मंगलवार सुबह गुदलार और पीरू कोनेरी इलाकों के बीच उस पर गोलीबारी की गई। बलोच विद्रोहियों ने गुडालार और पीरू कुनरी के पहाड़ी इलाके में एक सुरंग के अंदर रोक लिया। आतंकियों के कब्जे के बाद इलाके में भारी गोलीबारी और धमाकों की आवाजें गूंज उठीं। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

बता दें कि डेढ़ महीने बंद रहने के बाद बीते अक्तूबर में ही क्वेटा-पेशावर मार्ग पर रेल यातायात बहाल हुआ था। इस मार्ग पर ट्रेनों को रॉकेटों, रिमोट कंट्रोल वाले बमों से निशाना बनाया जाता रहा है और हर बार बीएलए ने ही हमलों की जिम्मेदारी ली है। बलूचिस्तान की आजादी को लेकर लड़ रहे बीएलए को पाकिस्तान, ब्रिटेन और अमेरिका ने प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की सूची में डाल रखा है। अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित बलूचिस्तान, पाकिस्तान की सरकार के लिए लगातार सिरदर्द बना हुआ है। नवंबर में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर धमाके में 26 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 62 घायल हुए थे।

पाकिस्तान में मारा गया बारत का एक और दुश्मन, कुलभूषण जाधव के आरोपी की हत्या

#mufti_shah_mir_shot_dead_in_pakistan

पाकिस्तान में भारत का एक और दुश्मन ढेर हो गया है। बलूचिस्तान के तुर्बत में मुफ्ती शाह मीर की गोली मारकर हत्या कर दी। शाह मीर मस्जिद के बाहर हमला हुआ। इस दौरान हमलावरों ने उस पर अंधाधुंल गोलियां बरसा दीं। बताया जा रहा है कि शाह मीर भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के अपहरण में भी शामिल था।

शाह मीर शुक्रवार को नमाज पढ़कर के बाद मस्जिद से बाहर आ रहा था। इसी दौरान हमलावरों ने उस पर अंधाधुंल गोलियां बरसा दीं। शाह को गंभीर हालत में तुर्बत के अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। स्थानीय पुलिस का कहना है कि घटना की जांच की जा रही है और हमलावरों की तलाश के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया है। अभी तक इस हत्या के पीछे का मकसद पता नहीं चल सका है।

पाकिस्तान की मीडिया ने मुफ्ती शाह मीर को तुर्बत और बलूचिस्तान का जानामाना धार्मिक विद्वान बताया है। शाह को पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के मेंबर और सीनियर नेता मौलाना फजलुर्रहमान का करीबी माना जाता था। दूसरी ओर ये दावा भी किया जाता है कि शाह पर बलूचिस्तान में आतंक को बढ़ावा देने के आरोप थे। वह पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट के तौर पर काम करता था। आईएसआई के एजेंट के तौर पर भारत के नेवी अफसर कुलभूषण जाधव को ईरान से अगवा कर पाकिस्तान लाने में भी उसका हाथ होने का दावा किया जाता है।

मुफ्ती शाह मीर ने आईएसआई के इशारे पर अफगानिस्तान में भी अपनी पैठ बनाई थी। वहां उसने खुद को एक आतंकवादी के रूप में पेश किया और पाकिस्तानी फौज को सटीक जानकारियां दीं। पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई लड़ रहे गुटों से जुड़ी सटीक जानकारी शाह मीर ने आईएसआई को दी। इन्हीं जानकारियों के आधार पर पाकिस्तानी फौज ने हाल के दिनों में इन गुटों पर बड़ी कार्रवाई भी की।

किसी को 'मियां-तियां' या पाकिस्तानी कहना अपराध नहीं', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी


#calling_someone_miyan_tian_and_pakistani_is_not_crime_supreme_court 

सुप्रीम कोर्ट ने 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहने के आरोपी को राहत दी है। कोर्ट ने धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में दर्ज केस निरस्त कर दिया है। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने इस तरह की बात कहने को असभ्यता कहा है, लेकिन उसके चलते मुकदमा चलाने को सही नहीं माना।

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से शब्द आदि बोलना) के तहत आरोप से एक व्यक्ति को मुक्त कर दिया।कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता पर उसे 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहकर उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है। अदालत ने कहा कि निस्संदेह, दिए गए कथन गलत है। हालाँकि, इससे याचिकाकर्ता की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुचती है।

जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच झारखंड उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ दायर अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ता को आरोप मुक्त करने से इनकार कर दिया गया था। मामला उप-विभागीय कार्यालय, चास में एक उर्दू अनुवादक और कार्यवाहक क्लर्क (सूचना का अधिकार) की तरफ से दर्ज एफआईआर से जुड़ा था।

यह मामला उस समय शुरू हुआ जब एक सरकारी कर्मचारी, जो कि उर्दू अनुवादक और सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत कार्यरत था, ने एक आदेश के तहत हरी नंदन सिंह को कुछ दस्तावेज सौंपे। आरोप के मुताबिक सिंह ने दस्तावेज स्वीकार करने में अनिच्छा दिखाई और इसके बाद कर्मचारी के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग किया। यह भी कहा गया कि उन्होंने सरकारी कर्मचारी को 'पाकिस्तानी' कहकर संबोधित किया और उसे डराने का प्रयास किया।

इस घटना के बाद सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। हरी नंदन सिंह ने इस मामले में पहले सेशन कोर्ट और फिर राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन दोनों अदालतों ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया। आखिर में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतिश चंद्र शर्मा की बेंच ने फैसला सुनाया कि इस मामले में धारा 298 लागू नहीं होती क्योंकि आरोपी की टिप्पणियां भले ही अनुचित थीं, लेकिन वे किसी विशेष धर्म के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण तरीके से नहीं कही गई थीं।

भारत ने पाकिस्तान को बताया “असफल राष्ट्र”, संयुक्त राष्ट्र में पड़ोसी देश को धो डाला

#indiasaidpakistanisafailedcountry

भारत ने अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान की एक बार फिर जमकर क्लास लगाई है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत पर आए दिन आरोप लगाता रहा है। इस पर भारत ने भी वैश्विक मंच से पाकिस्तान को “असफल राष्ट्र” करार दिया। भारत ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की बैठक में पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई है।

पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप

यूएन में भारत के स्थायी मिशन के अधिकारी क्षितिज त्यागी ने जेनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 58वें सत्र की सातवीं बैठक में अपनी बात रखी। भारत ने पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया और उसे एक असफल राष्ट्र बताया जो केवल अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है। क्षितिज त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा कश्मीर और भारत के बारे में झूठ फैलाता आ रहा है। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि पाकिस्तान के नेता अपने सैन्य-आतंकवादी परिसर से झूठ फैलाना जारी रखते हैं।

पाकिस्तान को अपने हालात देखने की सलाह

पाकिस्तान ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) को अपना मुखपत्र बताकर संगठन का मजाक उड़ा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संगठन का समय एक असफल राज्य द्वारा बर्बाद किया जा रहा है। पाकिस्तान पहले अपने यहां के हालात देखे क्षितिज त्यागी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की तरफ से लगाए गए आरोपों पर कहा- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा थे, हैं और रहेंगे। पाकिस्तान को भारत के बजाय अपने देश के हालात बदलना चाहिए।

पाखंड की बू आती है-भारत

त्यागी ने ये भी कहा, इनकी (पाकिस्तान) बयानबाजी में पाखंड की बू आती है। इसकी हरकतें अमानवीय हैं और ये शासन व्यवस्था चलाने में अक्षमता हैं। भारत लोकतंत्र, प्रगति और अपने लोगों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग

भारत के रुख की पुष्टि करते हुए त्यागी ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के साथ हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहे हैं। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने इन क्षेत्रों में हुए कामों की ओर ध्यान भी दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति हुई है। ये सफलताएं दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जख्मी क्षेत्र में सरकार की ओर से सामान्य स्थिति लाने की प्रतिबद्धता पर लोगों के भरोसे का प्रमाण हैं। पाकिस्तान को भारत के प्रति अपनी नफरत से आगे बढ़ना चाहिए और उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए। भारत अपने लोगों के लिए लोकतंत्र, प्रगति और सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। ये ऐसे मूल्य हैं, जिनसे पाकिस्तान को सीखना चाहिए।

भारत में मानवाधिकारों के हनन का आरोप

इससे पहले यूएनएचआरसी को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के कानून, न्याय और मानवाधिकार मंत्री आजम नजीर तरार ने दावा किया कि कश्मीर में लोगों के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।

पाकिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों को लेकर बड़ा फैसला, जानें क्या है पड़ोसी देश की सरकार का प्लान?

#templesrenovationinpakistanfund_release

अब पाकिस्तान में भी हिंदुओं और पंजाबियों के धार्मिक स्थलों को संवारा जाएगा। पाकिस्तान सरकार ने मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है। इस के तहत 1 अरब पाकिस्तानी रुपये से इन धार्मिक स्थलों को सजाया और संवारा जाएगा। यह निर्णय यहां ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ की बैठक में शनिवार को इसके प्रमुख सैयद अतउर रहमान की अध्यक्षता में लिया गया।

इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करने वाले सैयद अताउर रहमान ने जानकारी देते हुए बताया कि मास्टर प्लान के तहत मंदिरों और गुरुद्वारों को सजाया जाएगा और विकास कार्य कराए जाएंगे। इस पर 1 अरब पाकिस्तानी रुपया खर्च किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों के पूजा स्थलों का विशेष ध्यान दिया जाएगा। रहमान ने बताया कि इस साल ईटीपीबी को 1 अरब रुपये का राजस्व मिला था। इस बैठक में देशभर से हिंदू और सिख प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में मौजूद बोर्ड सचिव फरीद इकबाल ने इस योजना में कुछ बदलावों का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वर्षों से अनुपयोगी पड़ी ट्रस्ट की संपत्तियों को विकास कार्यों में लगाने से राजस्व में कई गुना वृद्धि होगी। इसके अलावा बोर्ड ने मंदिरों और गुरुद्वारों में चल रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा की और परियोजना प्रबंधन इकाई करतारपुर कॉरिडोर के संचालन के लिए एक परियोजना निदेशक की नियुक्ति का भी निर्णय लिया।

इस फैसले के पीछे की मजबूरी

पाकिस्तान में मंदिरों के संरक्षण को लेकर यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार का यह कदम वास्तव में अल्पसंख्यकों की भलाई से ज्यादा आर्थिक लाभ और वैश्विक छवि सुधारने की रणनीति का हिस्सा है। लंबे समय से पाकिस्तान पर धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय साख प्रभावित हुई है। ऐसे में मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार की घोषणा कर सरकार निवेश और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच सीधे व्यापार शुरू, 1971 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, भारत पर होगा असर?

#pakistanandbangladeshresumedirect_trade 

शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में गरमाहट आई है। भारत के दोनों पड़ोसी देशों के बीच सुधरते रिश्ते नया आयाम गढ़ रहे हैं। अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा व्यापार शुरू हो चुका है।पाकिस्तान और बांग्लादेश ने 1971 के विभाजन के बाद पहली बार प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंधों की बहाली की है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत,पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद पहला मालवाहक जहाज बांग्लादेश के लिए रवाना हुआ है। 

पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से पहली बार सरकार से मंजूरी मिला हुआ माल रवाना किया गया है। बांग्लादेश ने ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ पाकिस्तान के माध्यम से 50,000 टन पाकिस्तानी चावल खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते को फरवरी की शुरुआत में अंतिम रूप दिया गया था। चावल की खेप को दो चरणों में पहुंचाया जाएगा, जिसमें 25000 टन की पहली खेप बांग्लादेश के रास्ते में है। दूसरी खेप मार्च की शुरुआत में रवाना होने वाली है।

हसीना के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आई नरमी

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पिछले वर्ष शेख हसीना को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नरमी आई। अखबार ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शांति प्रस्ताव पेश किया, जिस पर पाकिस्तान ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

यह पहली बार होगा जब सरकारी माल ले जाने वाला पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कॉरपोरेशन का जहाज बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉक करेगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क बीते साल ही हुआ था, जब पाकिस्तानी जहाज माल लेकर बांग्लादेश पहुंचा था, लेकिन वह निजी कंपनी का जहाज था।

क्षेत्रीय राजनीति होगी प्रभावित

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम को आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और दशकों से निष्क्रिय व्यापार मार्गों को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नवीनतम व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और प्रत्यक्ष नौवहन मार्ग सुगम होंगे। हालांकि, इस घटनाक्रम का क्षेत्रीय राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत-बांग्लादेश व्यापार पर असर

बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक परिवर्तन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों के कारण भारत जरूर प्रभावित होगा। पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ने की दशा में भारत से बांग्लादेश का व्यापार कमजोर होने की आशंका है। बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात बांग्लादेश भारत से करता रहा है, लेकिन अब वह पाकिस्तान के ज्यादा करीब जा रहा है। ऐसे में भारत के नजरिए से क्षेत्रीय व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इस कदम का भारत पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।

बांग्लादेश में “करवट” ले रहा आईएसआई

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। इसमें पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाना भी शामिल है। इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश की सेना के एक टॉप रैंकिंग जनरल ने पाकिस्तान का दौरान किया था, जहां पाकिस्तानी आर्मी चीफ सैयद आसिफ मुनीर समेत अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। इसके ठीक बाद पाकिस्तान की आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश का दौरा किया था।

रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी आईएसआई एक बार फिर से बांग्लादेश में 1971 के पहले के रणनीतिक ठिकानों का एक्टिव करना चाहती है। पाकिस्तान का उद्येश्य बांग्लादेश के पड़ोसी भारतीय राज्यों में उग्रवादियों को मदद पहुंचाकर दिल्ली को चोट देना है। मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाली कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी इसमें पूरा साथ देने के लिए तैयार है।

भारत और पाकिस्तान के बीच फ्लैग मीटिंग, लगभग 75 मिनट हुई चर्चा, इन मुद्दों पर बनी सहमति

#india_pakistan_hold_flag_meeting_in_poonch

जम्मू-कश्मीर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच शुक्रवार को फ्लैग मीटिंग हुई। यह मीटिंग पुंछ सेक्टर के चाका दा बाग में आयोजित की गई। जिसमें दोनों सेनाओं के ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी शामिल हुए। बैठक 75 मिनट तक चली, जिसमें दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने की बात कही बता दें कि पिछले चार सालों में दोनों देशों के बीच इस तरह की पहली मीटिंग है। आखिरी फ्लैग मीटिंग 2021 में हुई थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ब्रिगेड कमांडर स्तर की ‘फ्लैग मीटिंग’ ‘चक्कन-दा-बाग क्रॉसिंग प्वाइंट’ क्षेत्र में हुई। भारत की तरफ से पुंछ ब्रिगेड के कमांडर और पाकिस्तानी सेना की दो पाक ब्रिगेड के कमांडर फ्लैग मीटिंग में शामिल हुए। जिसमें दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि 75 मिनट तक चली बैठक करीब 11 बजे शुरू हुई। सूत्रों ने बताया कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और दोनों पक्ष सीमा पर शांति के व्यापक हित में संघर्ष विराम समझौते का सम्मान करने पर सहमत हुए।

पाकिस्तान और भारत के बीच पिछले कई सालों से फ्लैग मीटिंग नहीं हुई है। साल 2021 में आखिरी फ्लैग मीटिंग हुई थी। पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर लगातार नापाक हरकतें की जा रही हैं। 11 फरवरी को जम्मू जिले में नियंत्रण रेखा के अखनूर सेक्टर में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट में एक कैप्टन समेत दो जवान शहीद हो गए थे।

LoC पर आज भारत-पाक का “आमना-सामना”, 2021 के बाद पहली बार फ्लैग मीटिंग

#india_and_pakistan_will_be_face_to_face_on_the_issue_of_loc

भारत के उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान के संबंध किसी से छुपे नहीं है। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच के रिश्ते हमेशा से तल्ख रहे हैं। उसपर पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे आतंकी “प्रहार” ने हमेशा आग में घी डालने का काम किया है। हालांकि, कई बार तनाव को कम करने की कोशिश हुई है। इसी बीच जम्मू-कश्मीर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच पुंछ सेक्टर में फ्लैग मीटिंग होने जा रही है। पिछले चार सालों में दोनों देशों के बीच इस तरह की पहली मीटिंग होगी। आखिरी बार 2021 में फ्लैग मीटिंग हुई थी।

दोनों सेनाओं के बीच यह बैठक पुंछ/रावलकोट मीटिंग प्वाइंट पर होगी। इस बैठक में भारतीय सेना की तरफ से एलओसी पर पाकिस्तान की तरफ से की गई सीजफायर उल्लंघन रहेगा। नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने को लेकर यह बैठक हो रही है।

दरअसल, जब दोनों पक्षों के बीच बॉर्डर पर तनाव बढ़ जाता है तो फ्लैग मीटिंग आयोजित की जाती है। तनाव बढ़ने की स्थिति को यह एक तरह से माहौल को शांत करने का उपाय है। इस मीटिंग में दोनों देशों के सैनिक हाथ में अपने देश का झंडा लिए हुए बॉर्डर पर मिलते हैं।

नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ाने की साजिश पाकिस्तान लगातार कर रहा है। जम्मू और कश्मीर में पिछले कई हफ्तों से एलओसी पर तनाव बना हुआ है। हाल के दिनों में उसने एलओसी पर जबरदस्त तरीके से सीजफायर का उल्लंघन किया है। सेना ने 4 फरवरी को 7 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया था। वहीं 13 फरवरी को भी पाकिस्तान सैनिकों के सीजफायर तोड़ने की खबर आई थी। सेना ने बाद में इसका खंडन किया था।

ट्रेन हाईजैक के आरोपों पर पाक को भारत का जवाब, कहा-दुनिया जानती है ग्लोबल आतंकवाद का केंद्र कहां

#pakistantrainhijackindiamearejectspaki_allegations

पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत में ट्रेन हाईजैक की घटना के पीछे भारत का हाथ बताया है। शहबाज सरकार की ओर से लगाए गए इस आरोप पर भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा लगाए गए उन आरोपों का जोरदार खंडन किया है। भारत ने कहा है कि पूरी दुनिया को पता है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से आरोप लगाए गए थे कि जाफर एक्सप्रेस हमले मामले में भारत का हाथ हो सकता है।

“अपने अंदर झांकना चाहिए”

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम पाकिस्तान के निराधार आरोपों को दृढ़ता से खंडन करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? पाकिस्तान को अपनी अंदरूनी समस्याओं और विफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने और दोष मढ़ने के बजाय अपने अंदर झांकना चाहिए।

पाक ने क्या कहा था?

इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने दावा किया था कि जाफर एक्सप्रेस पर हमले में शामिल विद्रोही अफगानिस्तान में मौजूद सरगनाओं के संपर्क में थे।शफकत अली खान ने अपने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, भारत पाकिस्तान में आतंकवाद में शामिल रहा है। जाफर एक्सप्रेस पर विशेष हमले में आतंकवादी अफगानिस्तान में मौजूद अपने आकाओं और सरगनाओं के संपर्क में थे। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध सीमा पर लगातार झड़पों और इस्लामाबाद के दावों के कारण तनावपूर्ण हो गए हैं।

पाकिस्तान में 11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का हाईजैक हुआ। जाफ़र एक्सप्रेस की घटना में 450 से अधिक यात्री शामिल थे, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 21 यात्री, चार सैनिक और अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के 33 आतंकवादी शामिल थे। पाकिस्तान लगातार भारत पर बलूचिस्तान में अशांति पैदा करने के लिए बीएलए जैसे समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाता है, इन आरोपों का भारत ने खंडन किया है।

पाकिस्तान से क्यों अलग होना चाहते हैं बलूच? आजादी की लड़ाई नाजुक मोड़ पर

#whybaluchistananxioustobefreefrom_pakistan

बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैकिंग कांड ने बलूचियों और पाकिस्तानियों के बीच के पुराने संघर्ष को उजागर कर दिया है। अपने खोए अस्‍तित्‍व वापस पाने के लिए बलूचिस्‍तान लिब्रेशन आर्मी (बीएलए) ने एक बार फिर पाकिस्‍तानी सेना के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। बलूचों ने ठान लिया है कि वो आजादी हासिल करके रहेंगे। जबरन पाकिस्‍तान मिलाने का दर्द उस वक्‍त बलूचियों के लिए नासूर बना गया, जब पाकिस्‍तान ने उनकी प्राकृतिक संपदा का दोहन शुरू कर दिया।

पाकिस्तान का सबसे संपन्न लेकिन पिछड़ा राज्य

बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है और 44 फीसदी हिस्सा कवर करता है। जर्मनी के आकार का होने का बावजूद यहां की आबादी सिर्फ डेढ़ करोड़ है, जर्मनी से 7 करोड़ कम। बलूचिस्तान तेल, सोना, तांबा और अन्य खदानों से सम्पन्न है। इन संसाधनों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान अपनी जरूरतें पूरी करता है। इसके बाद भी ये इलाका सबसे पिछड़ा है। यही वजह है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ नफरत बढ़ रही है।

आधुनिक बलूचिस्तान की कहानी

बलूचिस्तान कभी भी पाकिस्तान का अंग नहीं बनना चाहता था। जबरन पाकिस्‍तान मिलाने का दर्द बलूचियों के लिए नासूर बना गया है। अब बलूचों की आजादी की लड़ाई नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है। आधुनिक बलूचिस्तान की कहानी 1876 से शुरू होती है। तब बलूचिस्तान पर कलात रियासत का शासन था। भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश हुकूमत शासन कर रही थी। इसी साल ब्रिटिश सरकार और कलात के बीच संधि हुई।

संधि के मुताबिक अंग्रेजों ने कलात को सिक्किम और भूटान की तरह प्रोटेक्टोरेट स्टेट का दर्जा दिया। यानी भूटान और सिक्किम की तरह कलात के आंतरिक मामलों में ब्रिटिश सरकार का दखल नहीं था, लेकिन विदेश और रक्षा मामलों पर उसका नियंत्रण था

भारत-पाक की तरह कलात में भी आजादी की मांग

1947 में भारतीय उपमहाद्वीप में आजादी की प्रक्रिया की शुरुआत हुई। भारत और पाकिस्तान की तरह कलात में भी आजादी की मांग तेज हो गई। जब 1946 में ये तय हो गया कि अंग्रेज भारत छोड़ रहे हैं, तब कलात के खान यानी शासक मीर अहमद खान ने अंग्रेजों के सामने अपना पक्ष रखने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को सरकारी वकील बनाया। बलूचिस्तान नाम से एक नया देश बनाने के लिए 4 अगस्त 1947 को दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई। इसमें मीर अहमद खान के साथ जिन्ना और जवाहर लाल नेहरू भी शामिल हुए। बैठक में जिन्ना ने कलात की आजादी की वकालत की।

बैठक में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भी माना कि कलात को भारत या पाकिस्तान का हिस्सा बनने की जरूरत नहीं है। तब जिन्ना ने ही ये सुझाव दिया कि चार जिलों- कलात, खरान, लास बेला और मकरान को मिलाकर एक आजाद बलूचिस्तान बनाया जाए

आजादी की घोषणा के एक महीने बाद बदले हालात

11 अगस्त 1947 को कलात और मुस्लिम लीग के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसके साथ ही बलूचिस्तान एक अलग देश बन गया। हालांकि, इसमें एक पेंच ये था कि बलूचिस्तान की सुरक्षा पाकिस्तान के हवाले थी। आखिरकार कलात के खान ने 12 अगस्त को बलूचिस्तान को एक आजाद देश घोषित कर दिया। बलूचिस्तान में मस्जिद से कलात का पारंपरिक झंडा फहराया गया। कलात के शासक मीर अहमद खान के नाम पर खुतबा पढ़ा गया।

लेकिन, आजादी घोषित करने के ठीक एक महीने बाद 12 सितंबर को ब्रिटेन ने एक प्रस्ताव पारित किया और कहा कि बलूचिस्तान एक अलग देश बनने की हालत में नहीं है। वह अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां नहीं उठा सकता।

बलूचिस्तान जबरन पाकिस्‍तान में मिला दिया

कलात के खान ने अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान का दौरा किया। उन्हें उम्मीद थी कि जिन्ना उनकी मदद करेंगे। जब खान कराची पहुंचे तो वहां मौजूद हजारों बलूच लोगों ने उनका स्वागत बलूचिस्तान के राजा की तरह किया, लेकिन उनका स्वागत करने पाकिस्तान का कोई बड़ा अधिकारी नहीं पहुंचा।पाकिस्तान के इरादे में बदलाव का यह बड़ा संकेत था। बलूचिस्तान जबरन पाकिस्‍तान में मिला दिया गया। इसी के साथ पाकिस्‍तान ने उनकी प्राकृतिक संपदा का दोहन शुरू कर दिया। बदले में बलूचिस्‍तान को ना ही विकास मिला और ना ही उनके प्राकृतिक संपदा के दोहन से होने वाले फायदे में कोई हिस्‍सा। देखते ही देखते, बलूचिस्‍तान की प्राकृतिक संपदा पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ बन चुकी थी, लेकिन बलूचिस्‍तान कंगाली की गर्त में जा गिरा था।

1948 से जारी है विद्रोह

बलूचिस्‍तान की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा शुरू से ही स्वतंत्रता और स्वायत्तता की मांग करता रहा है। उन्होंने 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ पहला विद्रोह शुरू किया। पाकिस्तान ने 1948 के विद्रोह को कुचल दिया। विद्रोह को तब भले ही दबा दिया गया, लेकिन ये कभी खत्म नहीं हुआ। बलूचिस्तान की आजादी के लिए शुरू हुए इस विद्रोह को नए नेता मिलते रहे। 1950, 1960 और 1970 के दशक में वे पाकिस्तान सरकार के लिए चुनौती बनते रहे। 2000 तक पाकिस्तान के खिलाफ चार बलूच विद्रोह हुए।

पाकिस्तान ट्रेन हाईजैकःसेना ने 100 से ज्यादा बंधकों को छुड़ाया, अब भी कैद में कई जिंदगियां

#pakistan_train_hijack

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में एक ट्रेन को हाईजैक कर लिया गया है। यह हाईजैक बलूच विद्रोहियों ने की है। पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक हुए 20 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन पाकिस्तानी सेना अब तक बलूच विद्रोहियों के कब्जे से इस जफर एक्सप्रेस ट्रेन को छुड़ा नहीं पाई है। इस ट्रेन में सवार लोगों को बचाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने पूरा जोर लगा दिया है। बलोच विद्रोहियों ने दावा किया है कि पाकिस्तान के 30 सैनिकों को मारा गया है। इस बीच पाकिस्तान सेना ने बड़ा एक्शन लिया है और 104 बंधकों को छुड़ा लिया है और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार अभी भी 100 लोग हाईजैकर्स की कैद में हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरक्षाबलों ने बीएलए की ओर से बंधक बनाए गए 104 लोगों को बचा लिया है। बचाए गए लोगों में 58 पुरुष, 31 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल हैं। साथ ही सुरक्षाकर्मी शेष यात्रियों को सुरक्षित बचाने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं। सेना की अब तक की कार्रवाई में बीएलए के 23 लड़ाकों को मार गिराया गया, जबकि कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं।

मालूम हो कि मंगलवार को क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस को बलूच लिबरेशन आर्मी ने हाईजैक कर लिया था। नौ डिब्बों वाली इस ट्रेन में लगभग 500 यात्री सवार थे। जाफर एक्सप्रेस क्वेटा से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही थी तभी मंगलवार सुबह गुदलार और पीरू कोनेरी इलाकों के बीच उस पर गोलीबारी की गई। बलोच विद्रोहियों ने गुडालार और पीरू कुनरी के पहाड़ी इलाके में एक सुरंग के अंदर रोक लिया। आतंकियों के कब्जे के बाद इलाके में भारी गोलीबारी और धमाकों की आवाजें गूंज उठीं। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

बता दें कि डेढ़ महीने बंद रहने के बाद बीते अक्तूबर में ही क्वेटा-पेशावर मार्ग पर रेल यातायात बहाल हुआ था। इस मार्ग पर ट्रेनों को रॉकेटों, रिमोट कंट्रोल वाले बमों से निशाना बनाया जाता रहा है और हर बार बीएलए ने ही हमलों की जिम्मेदारी ली है। बलूचिस्तान की आजादी को लेकर लड़ रहे बीएलए को पाकिस्तान, ब्रिटेन और अमेरिका ने प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की सूची में डाल रखा है। अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित बलूचिस्तान, पाकिस्तान की सरकार के लिए लगातार सिरदर्द बना हुआ है। नवंबर में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर धमाके में 26 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 62 घायल हुए थे।

पाकिस्तान में मारा गया बारत का एक और दुश्मन, कुलभूषण जाधव के आरोपी की हत्या

#mufti_shah_mir_shot_dead_in_pakistan

पाकिस्तान में भारत का एक और दुश्मन ढेर हो गया है। बलूचिस्तान के तुर्बत में मुफ्ती शाह मीर की गोली मारकर हत्या कर दी। शाह मीर मस्जिद के बाहर हमला हुआ। इस दौरान हमलावरों ने उस पर अंधाधुंल गोलियां बरसा दीं। बताया जा रहा है कि शाह मीर भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के अपहरण में भी शामिल था।

शाह मीर शुक्रवार को नमाज पढ़कर के बाद मस्जिद से बाहर आ रहा था। इसी दौरान हमलावरों ने उस पर अंधाधुंल गोलियां बरसा दीं। शाह को गंभीर हालत में तुर्बत के अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। स्थानीय पुलिस का कहना है कि घटना की जांच की जा रही है और हमलावरों की तलाश के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया है। अभी तक इस हत्या के पीछे का मकसद पता नहीं चल सका है।

पाकिस्तान की मीडिया ने मुफ्ती शाह मीर को तुर्बत और बलूचिस्तान का जानामाना धार्मिक विद्वान बताया है। शाह को पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के मेंबर और सीनियर नेता मौलाना फजलुर्रहमान का करीबी माना जाता था। दूसरी ओर ये दावा भी किया जाता है कि शाह पर बलूचिस्तान में आतंक को बढ़ावा देने के आरोप थे। वह पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट के तौर पर काम करता था। आईएसआई के एजेंट के तौर पर भारत के नेवी अफसर कुलभूषण जाधव को ईरान से अगवा कर पाकिस्तान लाने में भी उसका हाथ होने का दावा किया जाता है।

मुफ्ती शाह मीर ने आईएसआई के इशारे पर अफगानिस्तान में भी अपनी पैठ बनाई थी। वहां उसने खुद को एक आतंकवादी के रूप में पेश किया और पाकिस्तानी फौज को सटीक जानकारियां दीं। पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई लड़ रहे गुटों से जुड़ी सटीक जानकारी शाह मीर ने आईएसआई को दी। इन्हीं जानकारियों के आधार पर पाकिस्तानी फौज ने हाल के दिनों में इन गुटों पर बड़ी कार्रवाई भी की।

किसी को 'मियां-तियां' या पाकिस्तानी कहना अपराध नहीं', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी


#calling_someone_miyan_tian_and_pakistani_is_not_crime_supreme_court 

सुप्रीम कोर्ट ने 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहने के आरोपी को राहत दी है। कोर्ट ने धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में दर्ज केस निरस्त कर दिया है। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने इस तरह की बात कहने को असभ्यता कहा है, लेकिन उसके चलते मुकदमा चलाने को सही नहीं माना।

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से शब्द आदि बोलना) के तहत आरोप से एक व्यक्ति को मुक्त कर दिया।कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता पर उसे 'मियां-तियां' और 'पाकिस्तानी' कहकर उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है। अदालत ने कहा कि निस्संदेह, दिए गए कथन गलत है। हालाँकि, इससे याचिकाकर्ता की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुचती है।

जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच झारखंड उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ दायर अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें अपीलकर्ता को आरोप मुक्त करने से इनकार कर दिया गया था। मामला उप-विभागीय कार्यालय, चास में एक उर्दू अनुवादक और कार्यवाहक क्लर्क (सूचना का अधिकार) की तरफ से दर्ज एफआईआर से जुड़ा था।

यह मामला उस समय शुरू हुआ जब एक सरकारी कर्मचारी, जो कि उर्दू अनुवादक और सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत कार्यरत था, ने एक आदेश के तहत हरी नंदन सिंह को कुछ दस्तावेज सौंपे। आरोप के मुताबिक सिंह ने दस्तावेज स्वीकार करने में अनिच्छा दिखाई और इसके बाद कर्मचारी के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग किया। यह भी कहा गया कि उन्होंने सरकारी कर्मचारी को 'पाकिस्तानी' कहकर संबोधित किया और उसे डराने का प्रयास किया।

इस घटना के बाद सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। हरी नंदन सिंह ने इस मामले में पहले सेशन कोर्ट और फिर राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन दोनों अदालतों ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया। आखिर में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतिश चंद्र शर्मा की बेंच ने फैसला सुनाया कि इस मामले में धारा 298 लागू नहीं होती क्योंकि आरोपी की टिप्पणियां भले ही अनुचित थीं, लेकिन वे किसी विशेष धर्म के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण तरीके से नहीं कही गई थीं।

भारत ने पाकिस्तान को बताया “असफल राष्ट्र”, संयुक्त राष्ट्र में पड़ोसी देश को धो डाला

#indiasaidpakistanisafailedcountry

भारत ने अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान की एक बार फिर जमकर क्लास लगाई है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत पर आए दिन आरोप लगाता रहा है। इस पर भारत ने भी वैश्विक मंच से पाकिस्तान को “असफल राष्ट्र” करार दिया। भारत ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की बैठक में पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई है।

पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप

यूएन में भारत के स्थायी मिशन के अधिकारी क्षितिज त्यागी ने जेनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 58वें सत्र की सातवीं बैठक में अपनी बात रखी। भारत ने पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया और उसे एक असफल राष्ट्र बताया जो केवल अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है। क्षितिज त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा कश्मीर और भारत के बारे में झूठ फैलाता आ रहा है। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि पाकिस्तान के नेता अपने सैन्य-आतंकवादी परिसर से झूठ फैलाना जारी रखते हैं।

पाकिस्तान को अपने हालात देखने की सलाह

पाकिस्तान ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) को अपना मुखपत्र बताकर संगठन का मजाक उड़ा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संगठन का समय एक असफल राज्य द्वारा बर्बाद किया जा रहा है। पाकिस्तान पहले अपने यहां के हालात देखे क्षितिज त्यागी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की तरफ से लगाए गए आरोपों पर कहा- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा थे, हैं और रहेंगे। पाकिस्तान को भारत के बजाय अपने देश के हालात बदलना चाहिए।

पाखंड की बू आती है-भारत

त्यागी ने ये भी कहा, इनकी (पाकिस्तान) बयानबाजी में पाखंड की बू आती है। इसकी हरकतें अमानवीय हैं और ये शासन व्यवस्था चलाने में अक्षमता हैं। भारत लोकतंत्र, प्रगति और अपने लोगों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग

भारत के रुख की पुष्टि करते हुए त्यागी ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के साथ हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहे हैं। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने इन क्षेत्रों में हुए कामों की ओर ध्यान भी दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति हुई है। ये सफलताएं दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जख्मी क्षेत्र में सरकार की ओर से सामान्य स्थिति लाने की प्रतिबद्धता पर लोगों के भरोसे का प्रमाण हैं। पाकिस्तान को भारत के प्रति अपनी नफरत से आगे बढ़ना चाहिए और उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए। भारत अपने लोगों के लिए लोकतंत्र, प्रगति और सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। ये ऐसे मूल्य हैं, जिनसे पाकिस्तान को सीखना चाहिए।

भारत में मानवाधिकारों के हनन का आरोप

इससे पहले यूएनएचआरसी को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के कानून, न्याय और मानवाधिकार मंत्री आजम नजीर तरार ने दावा किया कि कश्मीर में लोगों के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।

पाकिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों को लेकर बड़ा फैसला, जानें क्या है पड़ोसी देश की सरकार का प्लान?

#templesrenovationinpakistanfund_release

अब पाकिस्तान में भी हिंदुओं और पंजाबियों के धार्मिक स्थलों को संवारा जाएगा। पाकिस्तान सरकार ने मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है। इस के तहत 1 अरब पाकिस्तानी रुपये से इन धार्मिक स्थलों को सजाया और संवारा जाएगा। यह निर्णय यहां ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ की बैठक में शनिवार को इसके प्रमुख सैयद अतउर रहमान की अध्यक्षता में लिया गया।

इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करने वाले सैयद अताउर रहमान ने जानकारी देते हुए बताया कि मास्टर प्लान के तहत मंदिरों और गुरुद्वारों को सजाया जाएगा और विकास कार्य कराए जाएंगे। इस पर 1 अरब पाकिस्तानी रुपया खर्च किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों के पूजा स्थलों का विशेष ध्यान दिया जाएगा। रहमान ने बताया कि इस साल ईटीपीबी को 1 अरब रुपये का राजस्व मिला था। इस बैठक में देशभर से हिंदू और सिख प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में मौजूद बोर्ड सचिव फरीद इकबाल ने इस योजना में कुछ बदलावों का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वर्षों से अनुपयोगी पड़ी ट्रस्ट की संपत्तियों को विकास कार्यों में लगाने से राजस्व में कई गुना वृद्धि होगी। इसके अलावा बोर्ड ने मंदिरों और गुरुद्वारों में चल रहे निर्माण कार्यों की समीक्षा की और परियोजना प्रबंधन इकाई करतारपुर कॉरिडोर के संचालन के लिए एक परियोजना निदेशक की नियुक्ति का भी निर्णय लिया।

इस फैसले के पीछे की मजबूरी

पाकिस्तान में मंदिरों के संरक्षण को लेकर यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार का यह कदम वास्तव में अल्पसंख्यकों की भलाई से ज्यादा आर्थिक लाभ और वैश्विक छवि सुधारने की रणनीति का हिस्सा है। लंबे समय से पाकिस्तान पर धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं जिससे उसकी अंतरराष्ट्रीय साख प्रभावित हुई है। ऐसे में मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार की घोषणा कर सरकार निवेश और पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच सीधे व्यापार शुरू, 1971 के बाद पहली बार हुआ ऐसा, भारत पर होगा असर?

#pakistanandbangladeshresumedirect_trade 

शेख हसीना के तख्तापलट के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों में गरमाहट आई है। भारत के दोनों पड़ोसी देशों के बीच सुधरते रिश्ते नया आयाम गढ़ रहे हैं। अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच सीधा व्यापार शुरू हो चुका है।पाकिस्तान और बांग्लादेश ने 1971 के विभाजन के बाद पहली बार प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंधों की बहाली की है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत,पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से सरकारी स्वीकृति मिलने के बाद पहला मालवाहक जहाज बांग्लादेश के लिए रवाना हुआ है। 

पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के कासिम बंदरगाह से पहली बार सरकार से मंजूरी मिला हुआ माल रवाना किया गया है। बांग्लादेश ने ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ पाकिस्तान के माध्यम से 50,000 टन पाकिस्तानी चावल खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। इस समझौते को फरवरी की शुरुआत में अंतिम रूप दिया गया था। चावल की खेप को दो चरणों में पहुंचाया जाएगा, जिसमें 25000 टन की पहली खेप बांग्लादेश के रास्ते में है। दूसरी खेप मार्च की शुरुआत में रवाना होने वाली है।

हसीना के बाद द्विपक्षीय संबंधों में आई नरमी

पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पिछले वर्ष शेख हसीना को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के साथ द्विपक्षीय संबंधों में नरमी आई। अखबार ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शांति प्रस्ताव पेश किया, जिस पर पाकिस्तान ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।

यह पहली बार होगा जब सरकारी माल ले जाने वाला पाकिस्तान नेशनल शिपिंग कॉरपोरेशन का जहाज बांग्लादेश के बंदरगाह पर डॉक करेगा। हालांकि, दोनों देशों के बीच पहला सीधा समुद्री संपर्क बीते साल ही हुआ था, जब पाकिस्तानी जहाज माल लेकर बांग्लादेश पहुंचा था, लेकिन वह निजी कंपनी का जहाज था।

क्षेत्रीय राजनीति होगी प्रभावित

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हालिया घटनाक्रम को आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने और दशकों से निष्क्रिय व्यापार मार्गों को दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नवीनतम व्यापार समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध मजबूत होंगे और प्रत्यक्ष नौवहन मार्ग सुगम होंगे। हालांकि, इस घटनाक्रम का क्षेत्रीय राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत-बांग्लादेश व्यापार पर असर

बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक परिवर्तन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों के कारण भारत जरूर प्रभावित होगा। पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ने की दशा में भारत से बांग्लादेश का व्यापार कमजोर होने की आशंका है। बड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थों का आयात बांग्लादेश भारत से करता रहा है, लेकिन अब वह पाकिस्तान के ज्यादा करीब जा रहा है। ऐसे में भारत के नजरिए से क्षेत्रीय व्यापारिक संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। इस कदम का भारत पर कई प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।

बांग्लादेश में “करवट” ले रहा आईएसआई

बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारत विरोध के सारे पैतरे आजमाने में लगी है। इसमें पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाना भी शामिल है। इसी साल की शुरुआत में बांग्लादेश की सेना के एक टॉप रैंकिंग जनरल ने पाकिस्तान का दौरान किया था, जहां पाकिस्तानी आर्मी चीफ सैयद आसिफ मुनीर समेत अन्य शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। इसके ठीक बाद पाकिस्तान की आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश का दौरा किया था।

रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तानी आईएसआई एक बार फिर से बांग्लादेश में 1971 के पहले के रणनीतिक ठिकानों का एक्टिव करना चाहती है। पाकिस्तान का उद्येश्य बांग्लादेश के पड़ोसी भारतीय राज्यों में उग्रवादियों को मदद पहुंचाकर दिल्ली को चोट देना है। मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाली कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी इसमें पूरा साथ देने के लिए तैयार है।

भारत और पाकिस्तान के बीच फ्लैग मीटिंग, लगभग 75 मिनट हुई चर्चा, इन मुद्दों पर बनी सहमति

#india_pakistan_hold_flag_meeting_in_poonch

जम्मू-कश्मीर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच शुक्रवार को फ्लैग मीटिंग हुई। यह मीटिंग पुंछ सेक्टर के चाका दा बाग में आयोजित की गई। जिसमें दोनों सेनाओं के ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी शामिल हुए। बैठक 75 मिनट तक चली, जिसमें दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने की बात कही बता दें कि पिछले चार सालों में दोनों देशों के बीच इस तरह की पहली मीटिंग है। आखिरी फ्लैग मीटिंग 2021 में हुई थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ब्रिगेड कमांडर स्तर की ‘फ्लैग मीटिंग’ ‘चक्कन-दा-बाग क्रॉसिंग प्वाइंट’ क्षेत्र में हुई। भारत की तरफ से पुंछ ब्रिगेड के कमांडर और पाकिस्तानी सेना की दो पाक ब्रिगेड के कमांडर फ्लैग मीटिंग में शामिल हुए। जिसमें दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि 75 मिनट तक चली बैठक करीब 11 बजे शुरू हुई। सूत्रों ने बताया कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और दोनों पक्ष सीमा पर शांति के व्यापक हित में संघर्ष विराम समझौते का सम्मान करने पर सहमत हुए।

पाकिस्तान और भारत के बीच पिछले कई सालों से फ्लैग मीटिंग नहीं हुई है। साल 2021 में आखिरी फ्लैग मीटिंग हुई थी। पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर लगातार नापाक हरकतें की जा रही हैं। 11 फरवरी को जम्मू जिले में नियंत्रण रेखा के अखनूर सेक्टर में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट में एक कैप्टन समेत दो जवान शहीद हो गए थे।

LoC पर आज भारत-पाक का “आमना-सामना”, 2021 के बाद पहली बार फ्लैग मीटिंग

#india_and_pakistan_will_be_face_to_face_on_the_issue_of_loc

भारत के उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान के संबंध किसी से छुपे नहीं है। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच के रिश्ते हमेशा से तल्ख रहे हैं। उसपर पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे आतंकी “प्रहार” ने हमेशा आग में घी डालने का काम किया है। हालांकि, कई बार तनाव को कम करने की कोशिश हुई है। इसी बीच जम्मू-कश्मीर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच पुंछ सेक्टर में फ्लैग मीटिंग होने जा रही है। पिछले चार सालों में दोनों देशों के बीच इस तरह की पहली मीटिंग होगी। आखिरी बार 2021 में फ्लैग मीटिंग हुई थी।

दोनों सेनाओं के बीच यह बैठक पुंछ/रावलकोट मीटिंग प्वाइंट पर होगी। इस बैठक में भारतीय सेना की तरफ से एलओसी पर पाकिस्तान की तरफ से की गई सीजफायर उल्लंघन रहेगा। नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने को लेकर यह बैठक हो रही है।

दरअसल, जब दोनों पक्षों के बीच बॉर्डर पर तनाव बढ़ जाता है तो फ्लैग मीटिंग आयोजित की जाती है। तनाव बढ़ने की स्थिति को यह एक तरह से माहौल को शांत करने का उपाय है। इस मीटिंग में दोनों देशों के सैनिक हाथ में अपने देश का झंडा लिए हुए बॉर्डर पर मिलते हैं।

नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ाने की साजिश पाकिस्तान लगातार कर रहा है। जम्मू और कश्मीर में पिछले कई हफ्तों से एलओसी पर तनाव बना हुआ है। हाल के दिनों में उसने एलओसी पर जबरदस्त तरीके से सीजफायर का उल्लंघन किया है। सेना ने 4 फरवरी को 7 पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया था। वहीं 13 फरवरी को भी पाकिस्तान सैनिकों के सीजफायर तोड़ने की खबर आई थी। सेना ने बाद में इसका खंडन किया था।