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सुअर की किडनी इंसान में प्रत्यारोपित, मरीज ठीक नई तकनीक से किडनी फेल्योर के मरीजों को मिली उम्मीद


दुनिया में इस वक्त 'विज्ञान' की दिन दूनी रात चौगुनी गति से प्रगति हो रही है. कुछ वक्त पहले तक असंभव सी लगने वाली चीजें आज बढ़ती आधुनिकता की सहायता से आसानी से अच्छे परिणाम तक पहुंच रही हैं. खास तौर पर चिकित्सा के क्षेत्र में वैज्ञानिक हर रोज असंभव चीजों को संभव करने में लगे हुए हुए हैं. वहीं, हाल ही में वैज्ञानिकों ने सुअर के जीन में बदलाव कर उसकी किडनी इंसान में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित की है.

 मरीज पूरी तरह से सेहतमंद है और हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने वाले हैं. इस कामयाबी से न सिर्फ मेडिकल के क्षेत्र में, बल्कि दुनिया भर में किडनी फेल्योर का सामना कर रहे लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की एक किरण जगी

दरअसल, न्यू हैम्पशायर के 66 साल के टिम एंड्रयूज़ ने सुअर की किडनी प्रत्यारोपण करवाने के लिए महीनों तक कड़ी मेहनत की और आखिरकार उन्हें इसमें सफलता भी मिली मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल ने शुक्रवार को घोषणा की कि एंड्रयूज़ अब डायलिसिस से मुक्त हैं और उनकी सर्जरी 25 जनवरी को हुई . सर्जरी के बाद, वह तेजी से ठीक हुए कि एक हफ्ते के भीतर अस्पताल से छुट्टी मिल गई.

एंड्रयूज़ ने कहा, 'जब मैं ऑपरेशन के बाद होश में आया, तो मैं खुद को एक नया इंसान महसूस कर रहा था.'

सुअर के अंगों से जीवनदान की नई उम्मीद

जानवरों से इंसानों में अंग प्रत्यारोपण (ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन) को लेकर वैज्ञानिक सालों से रिसर्च कर रहे हैं, ताकि मानव अंगों की कमी को दूर किया जा सके. अमेरिका में 1 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यारोपण लिस्ट में हैं, जिनमें से ज्यादातर को किडनी की 9जरूरत है, लेकिन अंग न मिलने की वजह से हजारों लोग हर साल मर जाते हैं.

हालांकि, अब तक चार लोगों में सूअर के अंग प्रत्यारोपित किए गए थे, जिनेमें दो दिल और दो किडनी, लेकिन ये प्रत्यारोपण ज्यादा वक्त तक नहीं टिक सके. हालांकि, न्यूयॉर्क की 54 साल टोवाना लूनी को नवंबर में सूअर की किडनी लगाई गई थी, और वह 2.5 महीने से सेहतमंद हैं. यह संकेत देता है कि यह तकनीक सफल हो सकती है.

अब, एंड्रयूज़ पर प्रयोग के बाद, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने मैस जनरल हॉस्पिटल को दो और मरीजों पर यह प्रयोग करने की इजाजत दी है. इसके अलावा, यूनाइटेड थेरेप्यूटिक्स नामक कंपनी को भी इसी साल 6 मरीजों पर सूअर की किडनी ट्रांसप्लांट करने की अनुमति दी गई है. अगर इसके बाद वे छह महीने तक स्वस्थ रहते हैं, तो 50 और मरीजों को यह प्रत्यारोपण करने के लिए मिलेगा.

एंड्रयूज़ की संघर्ष भरी कहानी

एंड्रयूज़ की किडनी दो साल पहले अचानक खराब हो गई थी और डायलिसिस पर निर्भर थे. डॉक्टरों ने बताया कि उनके खून के समूह (ब्लड ग्रुप) के कारण इंसानी किडनी मिलने में 7 साल तक का वक्त लग सकता है, जबकि डायलिसिस पर इंसानों के जीवीत रहने की संभावना सिर्फ 50 फीसदी है. बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और सुअर की किडनी अपने शरीर में प्रत्यारोपण करवाने के लिए जद्दोजहद करने लगे.

आखिरकार डॉक्टरों ने इसके लिए उनकी फिटनेस की जांच की और पाया कि वह बहुत कमजोर थे, साथ ही उन्हें डायबिटीज़ और दिल की भी बीमारी थी. लेकिन एंड्रयूज़ ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने छह महीने तक कड़ी मेहनत की, 30 पाउंड (लगभग 13 किलो) वजन कम किया, और अपनी फिटनेस में सुधार किया. डॉक्टरों ने जब फिर से टेस्ट किया तो पाया कि वे अब प्रत्यारोपण करवा सकते हैं.

सफल प्रत्यारोपण और नई उम्मीद

डॉक्टरों के सर्जरी के दौरान जैसे ही सुअर की किडनी को उनके शरीर में प्रत्यारोपण किया, तुरंत वह गुलाबी हो गई और यूरिन बनाने लगी. सफलर सर्जरी के बाद अब तक उनकी किडनी सही तरीके से काम कर रही है. एंड्रयूज़ अब जल्द ही अपने घर लौटने वाले हैं. 

भविष्य की संभावनाएं

मैस जनरल के डॉक्टरों का कहना है कि अभी देखना होगा कि एंड्रयूज़ की किडनी कितने वक्त तक काम करती है. अगर किसी कारण से यह किडनी फेल होती है, तो एंड्रयूज़ के शरीर में इंसानी किडनी प्रत्यारोपित की जाएगी.

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के डॉक्टर रॉबर्ट मोंटगोमरी का मानना है कि इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा उन मरीजों को मिलेगा जो बहुत ज्यादा बीमार नहीं हैं, लेकिन इंसानी किडनी के लिए ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते. अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो यह लाखों लोगों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आएगा, जिससे अंग प्रत्यारोपण की समस्या हल हो सकती है.

एक्स पर अर्जुन मुंडा ने पोस्ट कर महाकुंभ में बेहतर इंतजाम-भव्य आयोजन के लिये दी बधाई

रांची :-झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचे. विशेषता यह रही कि बिलकुल सामान्य यात्री की तरह. उनके साथ उनकी पत्नी मीरा मुंडा भी थी. दोनों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. इसके बाद पति-पत्नी प्रयागराज स्टेशन पहुंचे. अर्जुन मुंडा ने सोशल मीडिया एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया है. वीडियो में अकेले वह साल लिए रेलवे स्टेशन पर बैठे है. कुछ देर बाद उनकी पत्नी मीरा मुंडा भी दिखाई दे रही है. वीडियो देखने से ऐसा लगता है कि अर्जुन मुंडा स्टेशन पर बैठकर ट्रेन का इंतजार कर रहे है. 

 उन्होंने लिखा है कि महाकुंभ में स्नान कर आज प्रयागराज से झारखंड लौटा हूं, महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकार को बहुत-बहुत बधाई. 

 इस आयोजन का संचालन सफलता पूर्वक किया जा रहा है. जिसमें करोड़ों श्रद्धालु आस्था के इस महापर्व में भाग लेने के लिए पूरे देश और विदेश से आ रहे है. श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो, इसके लिए सरकार के द्वारा सभी जगह पर बेहतर इंतजाम किए गए है. इस भव्य आयोजन की व्यवस्था में लगे सभी लोग बधाई के पात्र है. सभी का बहुत-बहुत आभार.

नियम के वाबजूद कोल इंडिया में 2017 से नहीं मिल रही अनुकम्पा पर नौकरी, राज्यसभा में सांसद संजय सिंह ने उठाया मामला


धनबाद: देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया में मेडिकल अनफिट पर नौकरी का नियम है, लेकिन नौकरी दी नहीं जा रही है. यह मुद्दा सोमवार को राज्यसभा में उठा. राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मामला उठाते हुए कहा कि नियम होने के बाद भी कोल इंडिया में मेडिकल बोर्ड की क्रियाशीलता नहीं है. उन्होंने आंकड़ा दिया कि 18 नवंबर 2017 से ही मेडिकल अनफिट की सुविधा कोयलाकर्मियों को नहीं मिल रही है. उन्होंने मांग की है कि इस मामले की जांच करा कर कोयलाकर्मियों के आश्रितों को अनुकंपा पर नौकरी दी जाए.

 बता दें कि कोल इंडिया के नियम के अनुसार यदि कोई कर्मचारी मेडिकल रूप से अनफिट हो जाता है, तो उसे सेवा से हटा दिया जाता है.  

नियम तो है लेकिन 2017 से नहीं हुई है नियुक्ति 

साथ ही उसकी जगह पर उसके आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने का प्रावधान है. मेडिकल अनफिट के पहले मेडिकल बोर्ड के गठन का नियम है. जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल होते है. पिछले 7 वर्षों से कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों में यह नियम अघोषित रूप से बंद है. इस वजह से कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों में हजारों मामले लंबित है. यह भी सूत्र बताते हैं कि एनसीडब्ल्यू ए-11 समझौता के समय कोल इंडिया प्रबंधन ने यह साफ किया था कि यह व्यवस्था यथावत चालू रहेगी. लेकिन व्यवहार और कागज में यह चालू नहीं है.

 कोयलाकर्मी और उनके आश्रित कोल इंडिया से लगातार गुहार लगा चुके हैं, फिर भी प्रबंधन टस से मस नहीं हुआ है.

कोल इंडिया ने कुछ दिन पहले अधिकारियों के आश्रितों के नियोजन नीति में किया था संशोधन 

 

बता दें कि कुछ दिनों पहले कोल इंडिया के कर्मचारियों के आश्रितों को नियोजन की नई नीति के बाद अधिकारियों के आश्रितों के नियोजन के नियम में भी संशोधन किया था. संशोधित नियम में कोयला अधिकारियों के आश्रितों को अनुकंपा पर नियोजन में बड़ी राहत मिली थी. प्रबंधन ने अधिकारियों के आश्रितों के अनुकंपा पर नियोजन संबंधी नीति में संशोधन करते हुए गैर अधिकारियों की तरह कम उम्र के बच्चे को लाइव रोस्टर में शामिल करने तथा परिवार में किसी आश्रित के नौकरी में रहने के बाद भी अनुकंपा पर दूसरे आश्रित को नौकरी देने पर सहमति दे दी थी . 

नियम कुछ इस तरह का किया गया था बदलाव 

 

पूर्व में अधिकारियों की मौत पर कम उम्र के बच्चे का नाम लाइव रोस्टर में शामिल करने का प्रावधान नहीं था. परिवार का कोई सदस्य यदि कहीं भी नौकरी में है, तो दूसरे आश्रित को नौकरी नहीं मिलती थी. संशोधित नीति में बताया गया था कि यदि किसी अधिकारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसके पति या पत्नी के पास अनुकंपा पर नौकरी का विकल्प होगा. शर्त यही होगी कि आयु 45 वर्ष से कम होनी चाहिए. 18 वर्ष से अधिक और 35 वर्ष से कम आयु वाले अधिकारियों के आश्रितों को भी अनुकंपा पर नौकरी दी जाएगी.

14 फरवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आ रही है रांची,सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने की पूरी तैयारी


झा. डेस्क 

रांची : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 14 फरवरी को रांची आ रही हैं. राष्ट्रपति के आगमन को लेकर रांची में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सुरक्षा तीन लेयर में की जा रही है. बता दें राष्ट्रपति बीआईटी मेसरा के हीरक जयंती समारोह में 15 फरवरी को शामिल होंगी. उनकी सुरक्षा में 1000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया जायेगा. सुरक्षा में 10 आइपीएस अधिकारी की भी तैनाती होगी.

ट्रैफिक व्यवस्था में होगा बदलाव

बता दें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन को लेकर रांची में ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो 14 व 15 फरवरी को ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव किया जायेगा. 14 फरवरी को राष्ट्रपति एयरपोर्ट से हरमू बाइपास होकर राजभवन पहुंचेंगी. इस दौरान आधा से एक घंटा पहले ट्रैफिक रोक दिया जायेगा.ट्रैफिक रोकने के लिए कई जगह बैरिकेडिंग भी की जायेगी. कई जगह ड्रॉप गेट बनाये जायेंगे.

1000 पुलिसकर्मियों की होगी तैनाती

ट्रैफिक संभालने के लिए ट्रैफिक डीएसपी, इंस्पेक्टर व पुलिसकर्मियों को हर रोड में तैनात किया जायेगा. उनकी सुरक्षा को लेकर डीआइजी सह एसएसपी, सिटी एसपी, ग्रामीण एसपी, ट्रैफिक एसपी, एएसपी सीसीआर सहित 10 आइपीएस, 20 से अधिक डीएसपी और काफी संख्या में जिला बल, स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर भी लगाये जायेंगे.

सुरक्षा में रांची पुलिस के अलावा अर्द्धसैनिक बल, सेना के जवान की भी तैनाती रहेंगे. रांची पुलिस, रैपिड एक्शन पुलिस, जैप, इको, जिला बल की लाठी पार्टी तैनात रहेगी. ऊंची इमारतों से भी सुरक्षाकर्मी निगहबानी में लगे रहेंगे. साथ ही स्पेशल ब्रांच के पुलिसकर्मी सादे लिबास में विभिन्न इलाकों में तैनात रहेंगे. सेना के जवान भी अपने स्तर से जगह-जगह तैनात रहेंगे.

बेटी भागी प्रेमी के साथ तो उसकी मां ने अपने आशिक के साथ मिलकर कर दी बेटी की सहेली की हत्या, पुलिस ने किया मामला का उदभेदन

गिरिडीह : बेटी भाग गयी थी प्रेमी के साथ, इसलिए गुस्साई मां ने अपने आशिक के साथ मिलकर बेटी की सहेली की जान ले ली। मामला झारखंड के गिरिडीह का है, जहां देवरी थाना क्षेत्र की एक छात्रा का शव मिला था।

पुलिस ने आरोपियों के पास से एक बाइक और दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। गिरफ्तार अभियुक्त राजकुमार हाजरा के विरूद्ध पूर्व से भी देवरी थाना में 6 कांड दर्ज है।

जानकारी के मुताबिक देवरी थाना क्षेत्र के चतरो के तुरियाटोला गांव की नाबालिग छात्रा की हत्या मामले में पुलिस ने अब बड़ा खुलासा किया है। नाबालिग छात्रा से जुड़े इस केस में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है।

पुलिस ने कहा है कि घर के पास रहने वाली एक महिला ने अपने प्रेमी के संग मिलकर घटना को अंजाम दिया था । वारदात के पीछे की वजह आपसी रंजिश है।उक्त महिला ने पुलिस को बताया कि कुछ साल पहले उसकी बेटी प्रेमी के साथ भाग गई थी।

इसमें इस नाबालिग छात्रा की संलिप्तता थी। इसी बदले की भावना से उसकी हत्या की गई। दरअसल गिरिडीह 27 जनवरी को देवरी थाना क्षेत्र के चतरो के तुरियाटोला गांव से नाबालिग छात्रा लापता हो गई थी। परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की।

3 फरवरी को देवघर के चितोलोढिया के नैयाडीह जंगल से पीड़िता का शव बरामद हुआ।जांच में पता चला कि आरोपी महिला ने अपने प्रेमी राज कुमार हाजरा के साथ मिलकर बदले की भावना से इस वारदात को अंजाम दिया।

खलारी में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के कैंप के सामने टीपीसी उग्रवादियों ने की फायरिंग,सीसीएल कर्मी को लगी गोली

झारखंड डेस्क 

झारखंड की राजधानी रांची के खलारी में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के कैंप के सामने टीपीसी उग्रवादियों ने फायरिंग की.घटना में सीसीएल कर्मी को गोली लगी है.

बताया जाता है कि है कि खलारी अंतर्गत चुरी माइंस के सामने सीआईएसएफ कैंप के सामने दहशत फैलाने के इरादे से गोलीबारी की गई जिसमें सीसीएल कर्मी प्रदीप साव घायल हो गए. उनके पैर में गोली लगी है.

घायल प्रदीप साव को इलाज किया जा रहा है. घटना सोमवार को तकरीबन 11 बजे की है. खलारी थाना प्रभारी को जैसे ही मामले की जानकारी मिली उन्होंने छानबीन शुरू कर दी है.

बाइक से आए थे अपराधी

बताया जाता है कि पल्सर बाइक से आए उग्रवादियों ने घटना को अंजाम दिया.प्रारंभिक जांच में यह संभावना जताई जा रही है कि बाइक से पहुंचे 2 अपराधियों में से एक टीपीसी का ऋषिकेश था. उसने ही दहशत फैलाने के उद्देश्य से फायरिंग की.

बताया जाता है कि फायरिंग की आवाज सुनकर वहां अफरा-तफरी मच गयी.प्रदीप साव वहीं खड़े थे. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उग्रवादियों ने प्रदीप साव से पहले कुछ पूछा और फिर पैर में गोली मार दी. उनको आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी हालत खतरे से बाहर है.

झारखंड को जल्द मिलेगी 1.36 लाख करोड़ की बकाया राशि, केंद्र सरकार ने दी सहमति….

रांची: झारखंड सरकार के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है. केंद्र सरकार झारखंड की 1.36 लाख करोड़ रुपये की बकाया राशि देने पर सहमत हो गई है. इस संबंध में झारखंड के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी से मुलाकात की. उन्होंने राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर चर्चा की और बकाया भुगतान की मांग करते हुए एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा. इस बैठक के दौरान केंद्रीय कोयला मंत्री ने मंत्रालय की अपर सचिव स्मिता प्रधान को निर्देश दिया कि वे कोयला मंत्रालय और झारखंड सरकार के खान विभाग के अधिकारियों की एक समिति गठित करें, जो बकाया राशि की गणना करेगी. समिति द्वारा तय की गई वास्तविक राशि को जल्द ही झारखंड सरकार को हस्तांतरित किया जाएगा.

केंद्र सरकार से झारखंड को जल्द मिलेगा आर्थिक सहयोग

बैठक के दौरान वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने झारखंड के आर्थिक विकास और आंतरिक संसाधनों में वृद्धि की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने स्रोतों से राजस्व बढ़ाने के प्रयास कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता के बिना समुचित विकास संभव नहीं है. उन्होंने मांग की कि झारखंड को उसकी पूरी 1.36 लाख करोड़ रुपये की बकाया राशि जल्द से जल्द दी जाए, जिससे राज्य में सामाजिक और आर्थिक योजनाओं को बल मिलेगा.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कोयला खदान बंद करने की चेतावनी का असर

गौरतलब है कि तीन दिन पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया, तो झारखंड में कोयला खदानों का संचालन बंद कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा था कि झारखंड के कोयले पर ही देशभर में बिजली उत्पादन निर्भर है, और अगर खनन बंद हुआ तो पूरे देश में बिजली संकट पैदा हो सकता है. मुख्यमंत्री की इस चेतावनी के बाद केंद्र सरकार ने इस मामले पर संज्ञान लिया और झारखंड के वित्त मंत्री को बैठक के लिए बुलाया गया. बैठक के बाद केंद्रीय कोयला मंत्री ने झारखंड को बकाया भुगतान का आश्वासन दिया.

झारखंड सरकार ने केंद्र से आर्थिक सहायता की भी मांग की

बैठक के दौरान वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी को सौंपे गए ज्ञापन में झारखंड की आर्थिक स्थिति और विकास से जुड़ी समस्याओं का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि झारखंड का समुचित विकास अब तक नहीं हो सका है. लगातार सूखे के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है और इसे मजबूत करने के लिए महिला सशक्तीकरण, कृषि, पशुपालन और अन्य विकास योजनाओं के लिए केंद्र सरकार की सहायता आवश्यक है.

कोयला कंपनियों पर भूमि अधिग्रहण और रॉयल्टी का भारी बकाया

मांग पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया कि झारखंड सरकार की आय का मुख्य स्रोत खनन क्षेत्र है. राज्य के कुल राजस्व का लगभग 80% हिस्सा कोयला खदानों से आता है. लेकिन, कोयला कंपनियों पर भूमि अधिग्रहण, धुले कोयले की रॉयल्टी और पर्यावरण मंजूरी सीमा तक खनन शुल्क का भारी बकाया है. आंकड़ों के अनुसार:

धुले कोयले की रॉयल्टी : 2,900 करोड़ रुपये बकाया

पर्यावरण मंजूरी सीमा तक खनन शुल्क – 32,000 करोड़ रुपये बकाया

भूमि अधिग्रहण का बकाया 1.01 लाख करोड़ रुपये

इस प्रकार कुल 1.36 लाख करोड़ रुपये की राशि झारखंड सरकार को मिलनी है. अगर केंद्र सरकार यह राशि जारी करती है, तो झारखंड के सामाजिक और आर्थिक विकास को नया बल मिलेगा.

झारखंड को जल्द मिलेगी बकाया राशि, केंद्र ने की समिति गठित करने की घोषणा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने इस बात पर सहमति जताई कि झारखंड की बकाया राशि का शीघ्र निपटारा किया जाएगा. इसके लिए कोयला मंत्रालय और झारखंड सरकार के खान विभाग की एक समिति बनाई जाएगी, जो यह गणना करेगी कि कितनी वास्तविक राशि राज्य सरकार को दी जानी चाहिए. इसके बाद तय की गई राशि को केंद्र सरकार जल्द से जल्द जारी करेगी. इससे झारखंड सरकार को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में सहायता मिलेगी.

झारखंड के विकास में मिलेगी तेजी

राज्य सरकार को उम्मीद है कि केंद्र सरकार से मिलने वाली इस 1.36 लाख करोड़ रुपये की राशि से झारखंड में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में बड़े बदलाव लाए जा सकेंगे. इससे राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकेगा और युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे. सरकार का मानना है कि इस वित्तीय सहायता से झारखंड देश के अन्य विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल हो सकेगा.

पिछले छह माह से इलाजरत वृद्ध के लिए बेबश परिजन अब उनके लिए इच्छा मृत्यु की कर रहे हैं मांग


धनबाद :SNMMCH में पिछले छह माह से इलाजरत वृद्ध के लिए बेबश परिजन अब उनके लिए इच्छा मृत्यु मांग रहे हैं। धनबाद सिनीडीह प्रेम नगर का रहनेवाला मोहन विश्वकर्मा है जोकि अपनी 70 वर्षीय वृद्ध मां रूपकलिया देवी का इलाज पैसे के आभाव में नहीं करा पा रहा है।

आयुष्मान योजना का नहीं मिल रहा है साथ

इस परिवार को आयुष्मान योजना का साथ भी नहीं मिल पा रहा है। छह माह से यह परिवार योजना के तहत राशि मिलने का इन्तेजार करता आ रहा है और आज 20 दिन पूर्व ही आयुष्मान योजना के तहत इन्हे 99 हजार राशि स्वीकृत भी हुई पर इलाज में कुल 1 लाख 20 हजार की जरूरत है। शेष राशि नहीं मिलने से वृद्धा का ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है।

ऐसे में यह परिवार आज धनबाद SNMMCH में इच्छा मृत्यु की तख्ती लेकर धरने पर बैठ गए हैं। समाजसेवी अंकित राजगढ़िया का कहना है कि उन्होंने परिजनों से बात की तो बताया गया कि वृद्धा का राशन कार्ड बिहार का है। आयुष्मान कार्ड भी वही से बना है। बिहार सरकार से योजना के तहत 99 हजार रु स्वीकृत भी कर दी गई है।

पोर्टल पर राशि एप्रूभ नहीं होने से हो रही दिक्कत

जबकि झारखण्ड के पोर्टल पर राशि एप्रूभ नहीं होने से धनबाद जिला आयुष्मान पदाधिकारी इस योजना के तहत इलाज कराने में असमर्थ है। विगत छह माह पूर्व मरीज 70 वर्षीय रूपकलिया देवी कुर्सी से गिर पड़ी थी जिसके कारण उनके कमर के नीचे कुल्हा टूट गया था।

इसके बाद से वृद्धा चलने फिरने में असमर्थ है। चिकित्सकों ने 1 लाख 20 हजार रु का खर्च बताया है। आयुष्मान योजना के पदाधिकारी ने फोन पर बताया कि एक दो दिनों में राशि एप्रूप हो जाने पर मरीज का ऑपरेशन करा दिया जायेगा।

उपायुक्त ने किया दवा खाकर फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का शुभारंभ


धनबाद: उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी सुश्री माधवी मिश्रा ने सोमवार को सदर अस्पताल में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए शुरू हुए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का शुभारंभ स्वयं डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की गोली खाकर किया।

इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि 11 से 25 फरवरी तक दवा प्रशासक द्वारा घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की खुराक खिलाई जाएगी। उन्होंने धनबाद को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए जिले वासियों से दवा प्रशासक को सहयोग करने और जरूर दवा लेने की अपील की। साथ ही कहा कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के दौरान वर्ष में एक बार डीईसी एवं एल्बेंडाजोल दवा का खुराक लेने से इस लाईलाज रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि 1 से 2 साल तक के बच्चे को एल्बेंडाजोल की आधी गोली (200 एमजी) पानी में घोलकर। 2 से 5 वर्ष तक को डीईसी की एक गोली (100 एमजी), एल्बेंडाजोल की एक गोली (400 एमजी), 6 वर्ष से 14 वर्ष तक डीईसी की 2 गोली (200 एमजी), एल्बेंडाजोल की एक गोली, 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन गोली 300 (एमजी) एवं एल्बेंडाजोल की एक गोली दवा प्रशासक द्वारा अपने सामने खिलाई जाएगी। जबकि एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं अत्यंत वृद्ध एवं गंभीर बीमार व्यक्तियों को दवा की खुराक नहीं दी जाएगी। किसी को भी यह दवा खाली पेट सेवन नहीं करनी है।

कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त ने फाइलेरिया से पीड़ित दो मरीजों को किट प्रदान की।

मौके पर सिविल सर्जन डॉ चंद्रभानु प्रतापन, सदर अस्पताल के नोडल डॉ राजकुमार सिंह, डब्ल्यूएचओ के सर्विलांस मेडिकल ऑफिसर डॉ अमित कुमार तिवारी, वीबीडी पदाधिकारी डॉ सुनिल कुमार, वीबीडी सलाहकार श्री रमेश कुमार सिंह, डीएलओ डॉ मंजू दास, श्री शुभम् कुमार व अन्य लोग मौजूद थे।

झारखंड भाजपा को मिलेगा 22 फरवरी तक नेता प्रतिपक्ष और 10 मार्च तक प्रदेश अध्यक्ष


झारखंड भाजपा को 22 फरवरी तक नेता प्रतिपक्ष और 10 मार्च तक प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा. इसी महीने बूथ, मंडल और जिलों के अध्यक्षों के चुनाव होने है. सांगठनिक चुनाव के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने की तैयारी में है.

नेता प्रतिपक्ष के लिए केंद्रीय संगठन की ओर से जल्द ही पर्यवेक्षक की नियुक्ति कर ली जाएगी. पर्यवेक्षक सभी विधायकों से एक एक कर बात करेंगे. फिर नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा करेंगें.

मिली जानकारी के अनुसार, भाजपा ने बूथ स्तर से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक के चुनाव मार्च के पहले सप्ताह तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है. मंडल और जिला अध्यक्ष के चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा. हालांकि इस पर भी अंतिम मुहर केंद्रीय नेतृत्व ही लगाएगा.

गौरतलब है कि दिल्ली चुनाव से पहले ये कहा जा रहा था कि दिल्ली चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद झारखंड में नेता प्रतिपक्ष का चयन कर लिया जाएगा.

ऐसे में कहा जा रहा है कि 22 फरवरी तक नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा कर ली जाएगी चूंकि 24 फरवरी से झारखंड विधानसभा में बजट सत्र शुरू हो रहा है.