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भारत सरकार की एक कूटनीतिक सफलता, 10 हजार और भारतीयों को हज वीजा देने पर सऊदी अरब सहमत


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भारत से हर साल बड़ी संख्या में लोग हज यात्रा के लिए जाते हैं। इसके लिए पहले से ही रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इस बीच हज पर जाने के इच्छा रखने वाले भारतीय के लिए अच्छी खबर आई है। सऊदी अरब के हज मंत्रालय ने 10,000 तीर्थयात्रियों के लिए हज (नुसुक) पोर्टल को फिर से खोलने का फैसला लिया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार बताया कि सऊदी सरकार ने 10,000 भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए हज पोर्टल फिर से खोल दिया है। जिसके बाद भारत के 10 हजार तीर्थयात्री हज जाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद सऊदी हज मंत्रालय भारत से 10 हजार और भारतीयों हज का वीजा देने के लिए राजी हो गया है। सऊदी सरकार इसके लिए कम्बाइंड हज ग्रुप ऑपरेटर्स (CHGOs) के लिए हज (नुसुक) पोर्टल को फिर से खोलने पर सहमति दे दी है, जो मिना में वर्तमान उपलब्धता पर आधारित है। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सभी हज कमेटियों को जल्द ही प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं, ताकि तय समय के अंदर सारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा सकें

52 हजार हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने की थी खबर

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लगभग 52,000 भारतीय हज यात्री इस बार नहीं जा सकते हैं, क्योंकि सऊदी अरब ने मीना में उन क्षेत्रों को रद्द कर दिया है, जो पहले निजी टूर ऑपरेटरों को आवंटित किए गए थे।

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने जताई थी चिंता

इससे पहले विपक्षी नेताओं ने भारत के हजारों हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने को लेकर केंद्र सरकार से दखल की मांग की थी। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘52,000 से अधिक भारतीय हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने की खबर अत्यंत चिंताजनक है। इनमें से कई यात्रियों ने भुगतान भी कर दिया है। मैं विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से अपील करता हूं कि सऊदी अधिकारियों से शीघ्र संपर्क कर इस मुद्दे का समाधान करें।’

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी कहा था, ‘सऊदी अरब से चिंताजनक खबरें आ रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के निजी हज कोटे का 80% हिस्सा अचानक कट गया है। यह निर्णय हाजियों और टूर ऑपरेटर्स के लिए भारी परेशानी का कारण बन रहा है। विदेश मंत्रालय से निवेदन है कि तत्काल सऊदी सरकार से संपर्क कर समाधान निकाले।’

12 साल से कम उम्र के बच्चों को हज करने की इजाजत नहीं, 291 भारतीय बच्चों का वीजा रिजेक्ट

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सऊदी अरब ने इस साल होने वाले हज के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। हज की तैयारी के तहत सऊदी के गृह मंत्रालय ने हाजियों लिए नए नियम जारी किए हैं। हज यात्रा के नियमों में बदलाव का असर बच्चों को झेलना पड़ेगा। इस साल हज यात्रा की ख्वाहिश रखने वाले 12 साल से कम उम्र के बच्चों को झटका लगा है। सऊदी अरब सरकार ने इस आयु वर्ग के बच्चों को वीजा जारी करने से इनकार कर दिया है, जिसके चलते भारत के 291 बच्चों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं।

क्यों नहीं दी गई बच्चों को इजाजत?

हर साल लाखों की तादाद में तीर्थयात्री हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं। इस मौके पर कई लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी लेकर जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा करने की इजाजत नहीं दी गई है। सऊदी सरकार ने यह फैसला बच्चों की सुरक्षा को देख कर लिया है। हज 2024 में भारी भीड़ जुटी थी और हीटवेव के चलते लगभग 1200 लोगों की मौत दर्ज की थी। इसी के बाद से इन हालातों को देखने के बाद सऊदी अरब ने नियमों में कुछ बदलाव किए।

भारतीय हज समिति ने 13 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी कर सऊदी सरकार के फैसले को सूचित किया है। इसी के साथ हज समिति ने घोषणा की है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हज के लिए किए गए भुगतान को वापस किया जाएगा। इसी के साथ जानकारी दी गई कि सऊदी अरब के निर्णय के चलते 291 आवेदक बच्चों का हज आवेदन रद्द कर दिया गया है।

मक्का आने वालों की बढ़ेगी निगरानी

सऊदी सरकार ने कहा है कि 23 अप्रैल से मक्का में आने-जाने पर कड़ी निगरानी शुरू की जाएगी। मक्का में एंट्री करने के लिए काम करने का परमिट, मक्का का पहचान पत्र या हज का परमिट दिखाना जरूरी होगा। इनके अलावा किसी को एंट्री नहीं मिलेगी। सऊदी अरब में रहने वाले विदेशी नागरिक, जो मक्का में नहीं रहते हैं, उन्हें भी मक्का में आने के लिए परमिट लेना होगा। टूरिस्ट वीजा पर आए विदेशियों या देश के दूसरे हिस्से से आए लोगों को बिना रजिस्ट्रेशन हज में शामिल होने से रोकने के लिए ये नियम बनाए गए हैं।

स्थानीय और विदेशी नागरिकों पर विशेष निगरानी

सऊदी सरकार इस बार स्थानीय और विदेशी दोनों नागरिकों की मक्का यात्रा पर कड़ी निगरानी रखेगी। विशेष रूप से मक्का के गैर-निवासी विदेशी नागरिकों को भी परमिट लेना जरूरी होगा। देश के अन्य शहरों से मक्का आने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जाएगी। बिना अनुमति के किसी भी गतिविधि को नियम उल्लंघन माना जाएगा। यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि हज के दौरान लाखों लोग मक्का आते हैं, और हर साल किसी न किसी कारणवश अव्यवस्था की स्थिति बनती है। इसलिए सरकार पहले से तैयार रहना चाहती है।

यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए सऊदी अरब में अमेरिका-रूस के बीच बातचीत शुरू, जेलेंस्की को न्योता नहीं

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यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के मकसद से अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब में वार्ता शुरू हो गई है।यह वार्ता अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हो रही है। हालांकि, इस वार्ता में यूक्रेन की तरफ से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं है। दरअसल, यूक्रेन को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया है। खुद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है।

अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और पश्चिम एशिया के लिए डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विट्कॉफ बैठक में मौजूद रहे। जबकि रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लावरोव करेंगे और उसमें पुतिन के सलाहकार यूरी यूशाकोव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। वहीं, यूक्रेन को इस बैठक में नहीं बुलाया गया है। जबकि यह बातचीत यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के उद्देश्य से हो रही है। रूस और अमेरिका इस बैठक के दो पक्ष हैं और सऊदी मध्यस्थ की भूमिका मे है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका देश युद्ध समाप्त करने के लिए इस सप्ताह अमेरिका-रूस वार्ता में भाग नहीं लेगा। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि यूक्रेन इस वार्ता में भाग नहीं लेगा इसलिए वह वार्ता के नतीजों को भी स्वीकार नहीं करेगा। यूएई में एक कांफ्रेंस कॉल के दौरान जेलेंस्की ने पत्रकारों से कहा, उनकी सरकार को सऊदी अरब में मंगलवार की नियोजित वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था।

यूरोपीय संघ को भी चर्चा में शामिल नहीं किया गया है। यूरोपीय नेताओं ने इस पर एतराज जताते हुए किसी भी शांति वार्ता में अपनी भागीदारी की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक निष्पक्ष और स्थायी शांति के लिए उनकी मौजूदगी जरूरी है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में यह बैठक यूक्रेन पर रूसी हमले के तीन साल बाद हो रही है। अमेरिका की शांति समझौते में भूमिका की वजह से इसे अहम माना जा रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग और रूस के अधिकारियों में बातचीत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में फोन पर चर्चा के बाद हो रही है। 12 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेढ़ घंटे तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर वार्ता कर संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। फोन पर दोनों नेताओं ने यूक्रेन पर तुरंत शांति वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई थी।

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद रूस को अलग-थलग करने की अमेरिकी नीति में बदलाव किया है। इससे पहले अमेरिका यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसे अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा था। अब दोनों देश को शीर्ष अधिकारी मिले हैं। यह बातचीत डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक का रास्ता भी खोल सकती है।

सऊदी अरब ने 14 देशों के मल्टीपल वीजा रोके, लिस्ट में भारत का नाम भी

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सऊदी अरब ने अपने वीजा नियमों में बदलाव किया है। सऊदी सरकार ने भारत समेत 14 देशों के यात्रियों को अब केवल सिंगल एंट्री वीजा का ऐलान किया है। यानी इन देशों के लिए मल्टीपल एंट्री वीजा पर रोक लगाई गई है। यह नियम 1 फरवरी, 2025 से लागू कर दिया गया है। सऊदी ने अपने वीजा नियमों में बदलाव इसलिए किया है ताकि लंबी अवधि का वीजा लेकर देश में आने वाले लोग अनाधिकृत रूप से हज यात्रा न कर सकें।

सऊदी सरकार ने अल्जीरिया, बांग्लादेश, मिस्र, इथियोपिया, भारत, इंडोनेशिया, इराक, जॉर्डन, मोरक्को, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सूडान, ट्यूनीशिया और यमन के यात्रियों के लिए मल्टीपल वीजा पर रोक लगाई है। इन 14 देशों के लिए पर्यटन, व्यापार और पारिवारिक यात्राओं के लिए एक साल का मल्टीपल-एंट्री वीजा अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है। सऊदी अधिकारियों का कहना है कि इससे हज यात्रा को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

सऊदी के सामने हालिया वर्षों में अनाधिकृत हज यात्री एक बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। सऊदी अधिकारियों ने बताया कि मल्टीपल-एंट्री वीजा का दुरुपयोग हो रहा था। कुछ यात्री लंबी अवधि के वीजा पर आने के बाद बिना उचित अनुमति के हज करते थे।

सऊदी अरब हज यात्रा पर कड़ा नियंत्रण रखता है और प्रत्येक देश के लिए हज यात्रियों की एक निश्चित संख्या तय करता है। इसके बावजूद कई पर्यटक लंबी अवधि के वीजा का उपयोग करके इस सीमा को तोड़ते थे, जिससे हज में भीड़भाड़ बढ़ती थी। यह समस्या 2024 में विशेष रूप से गंभीर हो गई थी, जब अत्यधिक गर्मी और भीड़ के कारण 1,200 से अधिक हज यात्रियों की मौत हो गई थी।

सऊदी अरब के प्रिंस सलमान ने ट्रंप को दिया बड़ा ऑफर, 600 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान

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डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर लौटते ही सऊदी अरब ने अमेरिकी को खुश कर दिया है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका में 600 अरब डॉलर के निवेश और व्यापार करने की इच्छा जताई है। सऊदी अरब की सरकारी न्यूज़ एजेंसी ने जानकारी दी कि प्रिंस एमबीएस ने ट्रंप को उनके राष्ट्रपति बनने की बधाई दी और उनसे फोन पर बातचीत की। इसके साथ ही इतना बड़ा ऑफर दे डाला। इसके साथ ही सऊदी अरब और अमेरिका के बीच रिश्तों में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। दरअसल, इससे पहले जो बाइडन के राष्‍ट्रपति रहने के दौरान प्रिंस से उनके रिश्‍ते तल्‍ख बने हुए थे। दोनों के बीच मानवाधिकारों को सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्‍या को लेकर विवाद था।

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गुरुवार को डोनाल्ड ट्रम्प से बातचीत कर उन्हें दोबारा राष्ट्रपति बनने की बधाई दी। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रम्प के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद विदेशी नेताओं में सबसे पहले प्रिंस सलमान से बातचीत हुई। क्राउन प्रिंस ने ट्रम्प से कहा कि सऊदी अरब, अमेरिका में अगले 4 साल में 600 बिलियन डॉलर (52 लाख करोड़) का निवेश करने को तैयार है। प्रिंस सलमान ने कहा कि अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो यह निवेश और बढ़ भी सकता है।

सऊदी प्रिंस ने ट्रंप से कहा कि उनका देश नए प्रशासन के सुधार से पैदा होने वाले अवसरों का फायदा उठाना चाहता है और भागीदारी तथा निवेश करना चाहता है। उन्‍होंने कहा कि इन सुधारों से अप्रत्‍याशित समृद्धि आ सकती है। सऊदी एजेंसी ने यह नहीं बताया कि प्रिंस किन सुधारों की बात कर रहे हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल से ही सऊदी अरब और अमेरिका के बीच बहुत करीबी संबंध रहे थे। ट्रंप और सऊदी प्रिंस पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता लाना चाहते थे। साथ ही उनका इरादा आतंकवाद से मिलकर लड़ने का भी है।

सऊदी से हो सकती है ट्रंप की विदेश यात्रा की शुरुआत

अपने पिछले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों की पहली यात्रा पर ब्रिटेन जाने की परंपरा तोड़ते हुए, सऊदी अरब की पहली यात्रा की थी। इस बार भी वह ऐसा कर सकते हैं। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा था कि वह फिर से पहला विदेशी दौरा सऊदी अरब का कर सकते हैं, लेकिन इसकी कीमत देनी होगी। ट्रंप की टिप्पणी के बाद सऊदी प्रिंस ने अमेरिका में अरबों डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया है।

पहली बार विदेश दौरे पर सऊदी गए थे ट्रंप

अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के बाद कनाडा-मेक्सिको या फिर यूरोपीय देश की यात्रा करने की परंपरा है। पहली बार ट्रंप ने ही इस परंपरा को 2017 में तोड़ा था। ट्रम्प ने सोमवार को इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने पहले विदेशी दौरे के लिए सऊदी अरब को इसलिए चुना था, क्योंकि वहां से सैकड़ों अरब डॉलर की बिजनेस डील हुई थी। तब सऊदी अरब 450 अरब डॉलर की कीमत के अमेरिकी सामान खरीदने पर राजी हुआ था, इसके बाद उन्होंने वहां का दौरा किया। मैं फिर से वहां का दौरा कर सकता हूं लेकिन इसके लिए उन्हें अमेरिकी सामान खरीदना होगा। अगर सऊदी 450 या फिर 500 अरब डॉलर की बिजनेस डील के लिए तैयार होता है, तो मैं फिर से वहां जाने के लिए तैयार हूं।

सऊदी अरब की निवेश योजना के संभावित पहलू

• अमेरिका में निवेश: सऊदी अरब ने अगले चार वर्षों में 600 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, और तकनीकी क्षेत्रों पर जोर दिया जाएगा। यह प्रस्ताव अमेरिका और सऊदी अरब के बीच आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

• हथियार सौदे: सऊदी अरब और अमेरिका के बीच हमेशा हथियार सौदे महत्वपूर्ण रहे हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल में 450-500 अरब डॉलर के हथियार सौदे हुए थे। हालांकि, अब 600 अरब के निवेश में हथियार खरीदारी का हिस्सा बड़ा हो सकता है।

• मध्य पूर्व में स्थिरता: एमबीएस और ट्रंप दोनों पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता लाना चाहते हैं। ये आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने का इरादा भी इस साझेदारी को मजबूत करेगा।

सऊदी अरब में नए वीजा नियम लागू, भारतीयों पर क्या होगा असर
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सऊदी अरब में 14 जनवरी से वर्क वीजा के नियमों में संशोधन किया गया है। सऊदी अरब सरकार ने विदेशी कामगारों के लिए वीजा नियम कड़े कर दिए है। सऊदी अरब में काम करने जाने वाले भारतीयों के लिए शैक्षणिक और पेशेवर योग्यताओं का सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। छह महीने पहले प्रस्तावित यह नियम 14 जनवरी से लागू हो जाएगा। इससे वहां काम करने जाने वाले भारतीयों पर सीधा असर पड़ सकता है। इसके साथ ही सऊदी अरब ने प्रवासियों के लिए अपने इकामा (निवास परमिट) के नवीनीकरण करने के नियमों में भी बदलाव किया है।

सऊदी अरब मीडिया के अनुसार सरकार ने 2030 के विजन के मुताबिक श्रम क्षेत्र में सुधार शुरू किए हैं, ताकि प्रवासियों के लिए रोजगार अनुबंधों को और अधिक लचीला और आसान बनाया जा सके। सऊदी अरब के पासपोर्ट महानिदेशालय ने घोषणा की कि प्रवासियों के आश्रितों के साथ-साथ राज्य के बाहर स्थित घरेलू कामगार अब अपने इकामा को रिन्युअल कर सकते हैं। बता दें सऊदी अरब में इकामा प्राप्त करना काफी जरूरी होता है। दरअसल, यह राज्य में रहने और काम करने की अनुमति का प्रमाण होता है।

सऊदी अरब के अफसरों का कहना है कि इस पहल से भर्ती प्रक्रिया सुव्यवस्थित होने और कार्यबल की गुणवत्ता में वृद्धि की उम्मीद है। सऊदी मिशन की ओर से भारत में भी परिपत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया कि 14 जनवरी से कार्य वीजा जारी करने के लिए दस्तावेजों का सत्यापन अनिवार्य हो जाएगा।

*नए नियमों से आ सकती है कई परेशानियां*
केरल से राज्यसभा सांसद हारिस बीरन का कहना है नए नियमों से कई परेशानियां आ सकती हैं। देश में पर्याप्त परीक्षण केंद्र नहीं हैं, जहां आवेदक सत्यापन करवा सकें। कार चालकों के लिए परीक्षण केंद्र राजस्थान के अजमेर और सीकर में हैं। दक्षिण के आवेदकों को लंबी दूरी तय करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

*24 लाख से ज्यादा भारतीय कामगार*
2024 तक, सऊदी अरब में 24 लाख से ज्यादा भारतीय कामगार रहते हैं, जिनमें 16.4 लाख निजी क्षेत्र में और 7,85,000 घरेलू कामगार शामिल हैं। बांग्लादेश 26.9 लाख प्रवासी कामगारों के साथ सबसे आगे है। महिलाओं सहित भारतीय कामगार सऊदी अरब के श्रम बाजार का अहम हिस्सा बने हुए हैं और भारत में पैसे भेजते हैं। प्रतिष्ठान मालिकों और मानव संसाधन विभागों को प्रवासी कर्मचारियों द्वारा प्रदान किए गए प्रमाणपत्रों और सूचनाओं को सत्यापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस पहल से भर्ती को सुव्यवस्थित करने और सउदी में कार्यबल की गुणवत्ता बढ़ाने की उम्मीद है।
सऊदी अरब ने इमरान खान को सत्ता से हटवाया? बुशरा बीबी का बड़ा दावा

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पाकिस्तान और सऊदी अरब दोस्त माने जाते हैं। लेकिन सऊदी अरब पर ही पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से हटाने का आरोप लगा है। ये आरोप किसी और ने नहीं बल्कि इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने लगाया है। एक वीडियो संदेश में बुशरा बीबी ने साल 2022 में इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने में सऊदी अरब की भूमिका की बात कही है।वीडियो संदेश में बुशरा बीबी ने पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का भी नाम लिया है। बुशरा बीबी के वीडियो बयान को पाकिस्तान तहरीक के इंसाफ (पीटीआई) के आधिकारिक एक्स हैंडल से शेयर किया गया है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने पति की सत्ता से बाहर होने के मामले में बड़ा खुलासा करते हुए आरोप लगाया है कि सऊदी अरब ने उनके पति इमरान खान को सत्ता से हटाने में अहम भूमिका निभाई है। बुशरा बीबी ने इस मामले में एक वीडियो संदेश जारी कर कहा है कि सऊदी अधिकारियों ने पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) कमर जावेद बाजवा से संपर्क किया और खान के नेतृत्व पर चिंता जाहिर की। साथ ही कहा कि इमरान खान जैसे व्यक्ति को सत्ता में क्‍यों आने दिया गया।

बुशरा बीबी ने दावा किया कि सऊदी अधिकारियों ने बाजवा से कहा कि 'ये अपने साथ किस आदमी को उठा लाए हो... हम इस मुल्क में शरीयत का निजाम खत्म करना चाहते हैं और तुम शरीयत के ठेकेदारों को उठा लाए हो। हम ऐसे आदमी को नहीं चाहते।' उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद से उन्होंने हमारे खिलाफ 'बदनामी का अभियान शुरू कर दिया और इमरान को यहूदी एजेंट कहना शुरू कर दिया।

धरने में शामिल होने की अपील

बुशरा बीबी ने वीडियो संदेश में पीटीआई समर्थकों से 24 नवम्बर को इस्लामाबाद में होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पीटीआई संस्थापक ने संदेश भेजा है कि सभी 24 नवम्बर के विरोध प्रदर्शन में शामिल होना चाहिए। 'किसी भी हालत में तारीख नहीं बदली जाएगी।' उन्होंने कहा कि जब तक इमरान खान खुद बाहर आकर ऐलान नहीं करते, 24 नवम्बर के धरने की तारीख नहीं बदली जाएगी।

बुशरा बीबी के दावे पर बाजवा का जवाब

बुशरा बीबी के इन आरोपों पर पूर्व आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने जवाब दिया है। द एक्स्प्रेस ट्रिब्यून से बात करते हुए कमर बाजवा ने कहा कि कोई भी देश ऐसे दावे नहीं करेगा, खासकर वो देश जिसके साथ पाकिस्तान के लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हों। उन्होंने कहा कि बुशरा बीबी की सऊदी अरब यात्राओं के दौरान, जिनमें खान-ए-काबा और पैगंबर की मस्जिद जैसे पवित्र स्थलों की यात्राएं भी शामिल थीं, उनका बड़े सम्मान के साथ स्वागत किया गया और उन्हें कई महंगे गिफ्ट्स भी दिए गए थे। उन्होंने कहा कि “इस महिला के दावे (बुशरा बीबी) मुझे हैरान कर रहे हैं। ये 100 प्रतिशत झूठ हैं। ऐसा लगता है कि इमरान खान भी भविष्य में इस कथन का समर्थन करना शुरू कर सकते हैं।

सउदी अरब के साथ मिलकर क्या प्लानिंग कर रहा भारत? दोनों देशों के विदेश मंत्री के बीच हुई मुलाकात

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सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल-सऊद अपने दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर भारत पहुंचे हैं। जहां उन्होंने हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद से मुलाकात में एस जयशंकर ने कहा कि भारत गाजा में शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करता है और वह लगातार दो स्टेट सॉल्यूशन के माध्यम से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए खड़ा है। जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया की स्थिति खासकर गाजा में स्थिति गहरी चिंता का विषय है। विदेश मंत्री ने सऊदी अरब को क्षेत्र में स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत बताया।

दिल्ली के हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद से मुलाकात की। एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद के बीच बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया। एस जयशंकर ने कहा कि हमने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, विशेष रूप से पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष और विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर हमारे संयुक्त प्रयासों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। जयशंकर ने कहा कि भारत दो-राज्य समाधान के माध्यम से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए खड़ा है। फिलिस्तीनी संस्थाओं के निर्माण में योगदान दिया है।

इन मुद्दों पर हुई दोनों नेताओं की बात

जारी बयान में कहा गया है कि एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद ने व्यापार, रक्षा, निवेश, ऊर्जा, सुरक्षा और कांसुलर मुद्दों पर भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद (एसपीसी) की राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक (पीएसएससी) समिति की सह-अध्यक्षता करते हैं। इस दौरान दोनों ने सितंबर 2023 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की।

हम शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करते हैं’

एस जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया की स्थिति गहरी चिंता का विषय है। विशेषकर गाजा में संघर्ष. इस संबंध में भारत की स्थिति सैद्धांतिक और सुसंगत रही है। उन्होंने कहा, हालांकि हम आतंकवाद और बंधक बनाने के कृत्यों की निंदा करते हैं। हम निर्दोष नागरिकों की मौत से बहुत दुखी हैं। हम शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करते हैं।

सऊदी के साथ भारत की पार्टनरशिप

जयशंकर ने कहा कि सऊदी अरब का 'विजन 2030' और भारत का विकसित भारत 2047 दोनों देशों के उद्योगों के लिए नई पार्टनरशिप करने के लिए पूरक हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार और निवेश हमारी साझेदारी के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। हम प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन सहित नवीकरणीय ऊर्जा, कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित नए क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में भारतीय समुदाय की संख्या 26 लाख है।

नेतन्याहू की बढ़ेगी टेंशन! ईरानी विदेश मंत्री ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से की मुलाकात

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इजराइल 1 अक्टूबर को हुए ईरानी हमले के पलटवार की तैयारी कर रहा है। ईरान पर किस तरह का हमला हो, ये तय करने के लिए नेतन्याहू की कैबिनेट में वोटिंग होगी। इससे पहले इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार शाम अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से फोन पर बातचीत की। ईरान पर इजराइली हमले की आशंका के बीच ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। ये मुलाकात बुधवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हुई।

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची इजराइल के खिलाफ नया मोर्चा बनाने में जुटे हैं।इसके लिए वह इन दिनों क्षेत्र के खाड़ी अरब देशों के दौरे पर हैं। सऊदी अरब को इजराइल का दोस्त माना जाता है। लेकिन हाल ही में सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गाजा के मसले पर इजराइल को दो टूक कह दिया था कि आजाद फिलिस्तीन के बिना वो इजराइल को मान्यता नहीं देंगे। सऊदी अरब के इस रुख से ईरान की उम्मीदें बढ़ गईं हैं। लिहाजा वह अब इजराइल के खिलाफ सऊदी अरब को साधने की कोशिश में जुटा है।

इसी क्रम में ईरानी विदेश मंत्री अराघची सऊदी अरब पहुंचे और प्रिंस से मुलाकात की। सऊदी अरब के स्टेट मीडिया के मुताबिक इस बैठक के दौरान दोनों ने मिडिल-ईस्ट में बने हालातों पर चर्चा की है। ईरानी विदेश मंत्री ने सऊदी अरब में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के अलावा अपने समकक्ष प्रिंस फैजल बिन फरहान से भी मुलाकात की है। बुधवार को हुई इस मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों और कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा हुई है।

सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच क्षेत्र के ताजा हालात पर भी चर्चा हुई है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर पोस्ट कर लिखा है कि, ‘विदेश मंत्री के दौरे का मकसद क्षेत्र में यहूदी प्रशासन के नरसंहार और आक्रामकता को रोकना, साथ ही गाजा और लेबनान में हमाई भाइयों और बहनों के दर्द और पीड़ा को खत्म करना है।

बता दें कि एक अक्टूबर को ईरान ने इजराइल पर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया था, ईरान का कहना है कि उसने इस्माइल हानिया, हसन नसरल्लाह और आईआरजीसी के कमांडर निलफोरूशन की मौत का बदला लेने के लिए ये हमला किया था। वहीं अब इजराइल भी ईरान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इस हालात में ईरान-इजराइल के बीच युद्ध होता है तो क्षेत्र में मौजूद तमाम मुस्लिम देशों की भूमिका बेहद अहम होगी। हालांकि सऊदी अरब, जॉर्डन और इजिप्ट जैसे देश अब तक इस तनाव में तटस्थ नजर आए हैं।

*पाकिस्तान में सऊदी एयरलाइंस के प्लेन में लगी आग, 276 यात्री थे सवार

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सऊदी अरब के एक यात्री विमान में पाकिस्तान के पेशावर एयरपोर्ट पर लैंडिंग के वक्त आग लग गई। ये फ्लाइट सऊदी की राजधानी रियाद से पेशावर आई थी। फ्लाइट में करीब 300 लोग सवाल थे, सभी को समय रहते सुरक्षित निकाल लिया गया। 

पाकिस्तान के पेशावर हवाईअड्डे पर उतरते समय सऊदी एयरलाइंस की फ्लाइट SV792 में आग लग गई। लैंडिंग गियर में दिक्कत की वजह से टायर में आग लग गई। आग लगने के बावजूद किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। इसके अलावा सभी चालक दल और यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ्लाइट में सभी 276 यात्री और 21 चालक दल के सदस्य मौजूद थे।

पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएए) के प्रवक्ता सैफुल्लाह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जब फ्लाइट लैंड हो रही थी तो एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स ने विमान के बाईं ओर के लैंडिंग गियर से धुआं और चिंगारी निकलते देखी। इस पर तुरंत ही पायलटों को सतर्क करते हुए एयरपोर्ट की फायर ब्रिगेड और रेस्क्यू सर्विस को भी अलर्ट किया गया।

भारत सरकार की एक कूटनीतिक सफलता, 10 हजार और भारतीयों को हज वीजा देने पर सऊदी अरब सहमत


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भारत से हर साल बड़ी संख्या में लोग हज यात्रा के लिए जाते हैं। इसके लिए पहले से ही रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इस बीच हज पर जाने के इच्छा रखने वाले भारतीय के लिए अच्छी खबर आई है। सऊदी अरब के हज मंत्रालय ने 10,000 तीर्थयात्रियों के लिए हज (नुसुक) पोर्टल को फिर से खोलने का फैसला लिया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार बताया कि सऊदी सरकार ने 10,000 भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए हज पोर्टल फिर से खोल दिया है। जिसके बाद भारत के 10 हजार तीर्थयात्री हज जाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद सऊदी हज मंत्रालय भारत से 10 हजार और भारतीयों हज का वीजा देने के लिए राजी हो गया है। सऊदी सरकार इसके लिए कम्बाइंड हज ग्रुप ऑपरेटर्स (CHGOs) के लिए हज (नुसुक) पोर्टल को फिर से खोलने पर सहमति दे दी है, जो मिना में वर्तमान उपलब्धता पर आधारित है। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सभी हज कमेटियों को जल्द ही प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं, ताकि तय समय के अंदर सारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा सकें

52 हजार हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने की थी खबर

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लगभग 52,000 भारतीय हज यात्री इस बार नहीं जा सकते हैं, क्योंकि सऊदी अरब ने मीना में उन क्षेत्रों को रद्द कर दिया है, जो पहले निजी टूर ऑपरेटरों को आवंटित किए गए थे।

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने जताई थी चिंता

इससे पहले विपक्षी नेताओं ने भारत के हजारों हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने को लेकर केंद्र सरकार से दखल की मांग की थी। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा था, ‘52,000 से अधिक भारतीय हज यात्रियों के स्लॉट रद्द होने की खबर अत्यंत चिंताजनक है। इनमें से कई यात्रियों ने भुगतान भी कर दिया है। मैं विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से अपील करता हूं कि सऊदी अधिकारियों से शीघ्र संपर्क कर इस मुद्दे का समाधान करें।’

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी कहा था, ‘सऊदी अरब से चिंताजनक खबरें आ रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के निजी हज कोटे का 80% हिस्सा अचानक कट गया है। यह निर्णय हाजियों और टूर ऑपरेटर्स के लिए भारी परेशानी का कारण बन रहा है। विदेश मंत्रालय से निवेदन है कि तत्काल सऊदी सरकार से संपर्क कर समाधान निकाले।’

12 साल से कम उम्र के बच्चों को हज करने की इजाजत नहीं, 291 भारतीय बच्चों का वीजा रिजेक्ट

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सऊदी अरब ने इस साल होने वाले हज के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। हज की तैयारी के तहत सऊदी के गृह मंत्रालय ने हाजियों लिए नए नियम जारी किए हैं। हज यात्रा के नियमों में बदलाव का असर बच्चों को झेलना पड़ेगा। इस साल हज यात्रा की ख्वाहिश रखने वाले 12 साल से कम उम्र के बच्चों को झटका लगा है। सऊदी अरब सरकार ने इस आयु वर्ग के बच्चों को वीजा जारी करने से इनकार कर दिया है, जिसके चलते भारत के 291 बच्चों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं।

क्यों नहीं दी गई बच्चों को इजाजत?

हर साल लाखों की तादाद में तीर्थयात्री हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं। इस मौके पर कई लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी लेकर जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा करने की इजाजत नहीं दी गई है। सऊदी सरकार ने यह फैसला बच्चों की सुरक्षा को देख कर लिया है। हज 2024 में भारी भीड़ जुटी थी और हीटवेव के चलते लगभग 1200 लोगों की मौत दर्ज की थी। इसी के बाद से इन हालातों को देखने के बाद सऊदी अरब ने नियमों में कुछ बदलाव किए।

भारतीय हज समिति ने 13 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी कर सऊदी सरकार के फैसले को सूचित किया है। इसी के साथ हज समिति ने घोषणा की है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हज के लिए किए गए भुगतान को वापस किया जाएगा। इसी के साथ जानकारी दी गई कि सऊदी अरब के निर्णय के चलते 291 आवेदक बच्चों का हज आवेदन रद्द कर दिया गया है।

मक्का आने वालों की बढ़ेगी निगरानी

सऊदी सरकार ने कहा है कि 23 अप्रैल से मक्का में आने-जाने पर कड़ी निगरानी शुरू की जाएगी। मक्का में एंट्री करने के लिए काम करने का परमिट, मक्का का पहचान पत्र या हज का परमिट दिखाना जरूरी होगा। इनके अलावा किसी को एंट्री नहीं मिलेगी। सऊदी अरब में रहने वाले विदेशी नागरिक, जो मक्का में नहीं रहते हैं, उन्हें भी मक्का में आने के लिए परमिट लेना होगा। टूरिस्ट वीजा पर आए विदेशियों या देश के दूसरे हिस्से से आए लोगों को बिना रजिस्ट्रेशन हज में शामिल होने से रोकने के लिए ये नियम बनाए गए हैं।

स्थानीय और विदेशी नागरिकों पर विशेष निगरानी

सऊदी सरकार इस बार स्थानीय और विदेशी दोनों नागरिकों की मक्का यात्रा पर कड़ी निगरानी रखेगी। विशेष रूप से मक्का के गैर-निवासी विदेशी नागरिकों को भी परमिट लेना जरूरी होगा। देश के अन्य शहरों से मक्का आने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जाएगी। बिना अनुमति के किसी भी गतिविधि को नियम उल्लंघन माना जाएगा। यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि हज के दौरान लाखों लोग मक्का आते हैं, और हर साल किसी न किसी कारणवश अव्यवस्था की स्थिति बनती है। इसलिए सरकार पहले से तैयार रहना चाहती है।

यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए सऊदी अरब में अमेरिका-रूस के बीच बातचीत शुरू, जेलेंस्की को न्योता नहीं

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यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के मकसद से अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब में वार्ता शुरू हो गई है।यह वार्ता अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हो रही है। हालांकि, इस वार्ता में यूक्रेन की तरफ से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं है। दरअसल, यूक्रेन को वार्ता के लिए नहीं बुलाया गया है। खुद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है।

अमेरिका की ओर से विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और पश्चिम एशिया के लिए डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विट्कॉफ बैठक में मौजूद रहे। जबकि रूसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लावरोव करेंगे और उसमें पुतिन के सलाहकार यूरी यूशाकोव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। वहीं, यूक्रेन को इस बैठक में नहीं बुलाया गया है। जबकि यह बातचीत यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के उद्देश्य से हो रही है। रूस और अमेरिका इस बैठक के दो पक्ष हैं और सऊदी मध्यस्थ की भूमिका मे है।

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका देश युद्ध समाप्त करने के लिए इस सप्ताह अमेरिका-रूस वार्ता में भाग नहीं लेगा। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि यूक्रेन इस वार्ता में भाग नहीं लेगा इसलिए वह वार्ता के नतीजों को भी स्वीकार नहीं करेगा। यूएई में एक कांफ्रेंस कॉल के दौरान जेलेंस्की ने पत्रकारों से कहा, उनकी सरकार को सऊदी अरब में मंगलवार की नियोजित वार्ता के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था।

यूरोपीय संघ को भी चर्चा में शामिल नहीं किया गया है। यूरोपीय नेताओं ने इस पर एतराज जताते हुए किसी भी शांति वार्ता में अपनी भागीदारी की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक निष्पक्ष और स्थायी शांति के लिए उनकी मौजूदगी जरूरी है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में यह बैठक यूक्रेन पर रूसी हमले के तीन साल बाद हो रही है। अमेरिका की शांति समझौते में भूमिका की वजह से इसे अहम माना जा रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग और रूस के अधिकारियों में बातचीत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में फोन पर चर्चा के बाद हो रही है। 12 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डेढ़ घंटे तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर वार्ता कर संबंधों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। फोन पर दोनों नेताओं ने यूक्रेन पर तुरंत शांति वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई थी।

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद रूस को अलग-थलग करने की अमेरिकी नीति में बदलाव किया है। इससे पहले अमेरिका यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसे अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा था। अब दोनों देश को शीर्ष अधिकारी मिले हैं। यह बातचीत डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक का रास्ता भी खोल सकती है।

सऊदी अरब ने 14 देशों के मल्टीपल वीजा रोके, लिस्ट में भारत का नाम भी

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सऊदी अरब ने अपने वीजा नियमों में बदलाव किया है। सऊदी सरकार ने भारत समेत 14 देशों के यात्रियों को अब केवल सिंगल एंट्री वीजा का ऐलान किया है। यानी इन देशों के लिए मल्टीपल एंट्री वीजा पर रोक लगाई गई है। यह नियम 1 फरवरी, 2025 से लागू कर दिया गया है। सऊदी ने अपने वीजा नियमों में बदलाव इसलिए किया है ताकि लंबी अवधि का वीजा लेकर देश में आने वाले लोग अनाधिकृत रूप से हज यात्रा न कर सकें।

सऊदी सरकार ने अल्जीरिया, बांग्लादेश, मिस्र, इथियोपिया, भारत, इंडोनेशिया, इराक, जॉर्डन, मोरक्को, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सूडान, ट्यूनीशिया और यमन के यात्रियों के लिए मल्टीपल वीजा पर रोक लगाई है। इन 14 देशों के लिए पर्यटन, व्यापार और पारिवारिक यात्राओं के लिए एक साल का मल्टीपल-एंट्री वीजा अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है। सऊदी अधिकारियों का कहना है कि इससे हज यात्रा को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

सऊदी के सामने हालिया वर्षों में अनाधिकृत हज यात्री एक बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। सऊदी अधिकारियों ने बताया कि मल्टीपल-एंट्री वीजा का दुरुपयोग हो रहा था। कुछ यात्री लंबी अवधि के वीजा पर आने के बाद बिना उचित अनुमति के हज करते थे।

सऊदी अरब हज यात्रा पर कड़ा नियंत्रण रखता है और प्रत्येक देश के लिए हज यात्रियों की एक निश्चित संख्या तय करता है। इसके बावजूद कई पर्यटक लंबी अवधि के वीजा का उपयोग करके इस सीमा को तोड़ते थे, जिससे हज में भीड़भाड़ बढ़ती थी। यह समस्या 2024 में विशेष रूप से गंभीर हो गई थी, जब अत्यधिक गर्मी और भीड़ के कारण 1,200 से अधिक हज यात्रियों की मौत हो गई थी।

सऊदी अरब के प्रिंस सलमान ने ट्रंप को दिया बड़ा ऑफर, 600 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान

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डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर लौटते ही सऊदी अरब ने अमेरिकी को खुश कर दिया है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका में 600 अरब डॉलर के निवेश और व्यापार करने की इच्छा जताई है। सऊदी अरब की सरकारी न्यूज़ एजेंसी ने जानकारी दी कि प्रिंस एमबीएस ने ट्रंप को उनके राष्ट्रपति बनने की बधाई दी और उनसे फोन पर बातचीत की। इसके साथ ही इतना बड़ा ऑफर दे डाला। इसके साथ ही सऊदी अरब और अमेरिका के बीच रिश्तों में एक नया अध्याय शुरू हो गया है। दरअसल, इससे पहले जो बाइडन के राष्‍ट्रपति रहने के दौरान प्रिंस से उनके रिश्‍ते तल्‍ख बने हुए थे। दोनों के बीच मानवाधिकारों को सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्‍या को लेकर विवाद था।

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गुरुवार को डोनाल्ड ट्रम्प से बातचीत कर उन्हें दोबारा राष्ट्रपति बनने की बधाई दी। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रम्प के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद विदेशी नेताओं में सबसे पहले प्रिंस सलमान से बातचीत हुई। क्राउन प्रिंस ने ट्रम्प से कहा कि सऊदी अरब, अमेरिका में अगले 4 साल में 600 बिलियन डॉलर (52 लाख करोड़) का निवेश करने को तैयार है। प्रिंस सलमान ने कहा कि अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो यह निवेश और बढ़ भी सकता है।

सऊदी प्रिंस ने ट्रंप से कहा कि उनका देश नए प्रशासन के सुधार से पैदा होने वाले अवसरों का फायदा उठाना चाहता है और भागीदारी तथा निवेश करना चाहता है। उन्‍होंने कहा कि इन सुधारों से अप्रत्‍याशित समृद्धि आ सकती है। सऊदी एजेंसी ने यह नहीं बताया कि प्रिंस किन सुधारों की बात कर रहे हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल से ही सऊदी अरब और अमेरिका के बीच बहुत करीबी संबंध रहे थे। ट्रंप और सऊदी प्रिंस पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता लाना चाहते थे। साथ ही उनका इरादा आतंकवाद से मिलकर लड़ने का भी है।

सऊदी से हो सकती है ट्रंप की विदेश यात्रा की शुरुआत

अपने पिछले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों की पहली यात्रा पर ब्रिटेन जाने की परंपरा तोड़ते हुए, सऊदी अरब की पहली यात्रा की थी। इस बार भी वह ऐसा कर सकते हैं। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा था कि वह फिर से पहला विदेशी दौरा सऊदी अरब का कर सकते हैं, लेकिन इसकी कीमत देनी होगी। ट्रंप की टिप्पणी के बाद सऊदी प्रिंस ने अमेरिका में अरबों डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया है।

पहली बार विदेश दौरे पर सऊदी गए थे ट्रंप

अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के बाद कनाडा-मेक्सिको या फिर यूरोपीय देश की यात्रा करने की परंपरा है। पहली बार ट्रंप ने ही इस परंपरा को 2017 में तोड़ा था। ट्रम्प ने सोमवार को इस बात का खुलासा किया कि उन्होंने पहले विदेशी दौरे के लिए सऊदी अरब को इसलिए चुना था, क्योंकि वहां से सैकड़ों अरब डॉलर की बिजनेस डील हुई थी। तब सऊदी अरब 450 अरब डॉलर की कीमत के अमेरिकी सामान खरीदने पर राजी हुआ था, इसके बाद उन्होंने वहां का दौरा किया। मैं फिर से वहां का दौरा कर सकता हूं लेकिन इसके लिए उन्हें अमेरिकी सामान खरीदना होगा। अगर सऊदी 450 या फिर 500 अरब डॉलर की बिजनेस डील के लिए तैयार होता है, तो मैं फिर से वहां जाने के लिए तैयार हूं।

सऊदी अरब की निवेश योजना के संभावित पहलू

• अमेरिका में निवेश: सऊदी अरब ने अगले चार वर्षों में 600 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया है। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, और तकनीकी क्षेत्रों पर जोर दिया जाएगा। यह प्रस्ताव अमेरिका और सऊदी अरब के बीच आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

• हथियार सौदे: सऊदी अरब और अमेरिका के बीच हमेशा हथियार सौदे महत्वपूर्ण रहे हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल में 450-500 अरब डॉलर के हथियार सौदे हुए थे। हालांकि, अब 600 अरब के निवेश में हथियार खरीदारी का हिस्सा बड़ा हो सकता है।

• मध्य पूर्व में स्थिरता: एमबीएस और ट्रंप दोनों पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता लाना चाहते हैं। ये आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने का इरादा भी इस साझेदारी को मजबूत करेगा।

सऊदी अरब में नए वीजा नियम लागू, भारतीयों पर क्या होगा असर
#new_visa_rules_implemented_in_saudi_arabia_difficulties_for_indians
सऊदी अरब में 14 जनवरी से वर्क वीजा के नियमों में संशोधन किया गया है। सऊदी अरब सरकार ने विदेशी कामगारों के लिए वीजा नियम कड़े कर दिए है। सऊदी अरब में काम करने जाने वाले भारतीयों के लिए शैक्षणिक और पेशेवर योग्यताओं का सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। छह महीने पहले प्रस्तावित यह नियम 14 जनवरी से लागू हो जाएगा। इससे वहां काम करने जाने वाले भारतीयों पर सीधा असर पड़ सकता है। इसके साथ ही सऊदी अरब ने प्रवासियों के लिए अपने इकामा (निवास परमिट) के नवीनीकरण करने के नियमों में भी बदलाव किया है।

सऊदी अरब मीडिया के अनुसार सरकार ने 2030 के विजन के मुताबिक श्रम क्षेत्र में सुधार शुरू किए हैं, ताकि प्रवासियों के लिए रोजगार अनुबंधों को और अधिक लचीला और आसान बनाया जा सके। सऊदी अरब के पासपोर्ट महानिदेशालय ने घोषणा की कि प्रवासियों के आश्रितों के साथ-साथ राज्य के बाहर स्थित घरेलू कामगार अब अपने इकामा को रिन्युअल कर सकते हैं। बता दें सऊदी अरब में इकामा प्राप्त करना काफी जरूरी होता है। दरअसल, यह राज्य में रहने और काम करने की अनुमति का प्रमाण होता है।

सऊदी अरब के अफसरों का कहना है कि इस पहल से भर्ती प्रक्रिया सुव्यवस्थित होने और कार्यबल की गुणवत्ता में वृद्धि की उम्मीद है। सऊदी मिशन की ओर से भारत में भी परिपत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया कि 14 जनवरी से कार्य वीजा जारी करने के लिए दस्तावेजों का सत्यापन अनिवार्य हो जाएगा।

*नए नियमों से आ सकती है कई परेशानियां*
केरल से राज्यसभा सांसद हारिस बीरन का कहना है नए नियमों से कई परेशानियां आ सकती हैं। देश में पर्याप्त परीक्षण केंद्र नहीं हैं, जहां आवेदक सत्यापन करवा सकें। कार चालकों के लिए परीक्षण केंद्र राजस्थान के अजमेर और सीकर में हैं। दक्षिण के आवेदकों को लंबी दूरी तय करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

*24 लाख से ज्यादा भारतीय कामगार*
2024 तक, सऊदी अरब में 24 लाख से ज्यादा भारतीय कामगार रहते हैं, जिनमें 16.4 लाख निजी क्षेत्र में और 7,85,000 घरेलू कामगार शामिल हैं। बांग्लादेश 26.9 लाख प्रवासी कामगारों के साथ सबसे आगे है। महिलाओं सहित भारतीय कामगार सऊदी अरब के श्रम बाजार का अहम हिस्सा बने हुए हैं और भारत में पैसे भेजते हैं। प्रतिष्ठान मालिकों और मानव संसाधन विभागों को प्रवासी कर्मचारियों द्वारा प्रदान किए गए प्रमाणपत्रों और सूचनाओं को सत्यापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इस पहल से भर्ती को सुव्यवस्थित करने और सउदी में कार्यबल की गुणवत्ता बढ़ाने की उम्मीद है।
सऊदी अरब ने इमरान खान को सत्ता से हटवाया? बुशरा बीबी का बड़ा दावा

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पाकिस्तान और सऊदी अरब दोस्त माने जाते हैं। लेकिन सऊदी अरब पर ही पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से हटाने का आरोप लगा है। ये आरोप किसी और ने नहीं बल्कि इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने लगाया है। एक वीडियो संदेश में बुशरा बीबी ने साल 2022 में इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने में सऊदी अरब की भूमिका की बात कही है।वीडियो संदेश में बुशरा बीबी ने पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का भी नाम लिया है। बुशरा बीबी के वीडियो बयान को पाकिस्तान तहरीक के इंसाफ (पीटीआई) के आधिकारिक एक्स हैंडल से शेयर किया गया है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने पति की सत्ता से बाहर होने के मामले में बड़ा खुलासा करते हुए आरोप लगाया है कि सऊदी अरब ने उनके पति इमरान खान को सत्ता से हटाने में अहम भूमिका निभाई है। बुशरा बीबी ने इस मामले में एक वीडियो संदेश जारी कर कहा है कि सऊदी अधिकारियों ने पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) कमर जावेद बाजवा से संपर्क किया और खान के नेतृत्व पर चिंता जाहिर की। साथ ही कहा कि इमरान खान जैसे व्यक्ति को सत्ता में क्‍यों आने दिया गया।

बुशरा बीबी ने दावा किया कि सऊदी अधिकारियों ने बाजवा से कहा कि 'ये अपने साथ किस आदमी को उठा लाए हो... हम इस मुल्क में शरीयत का निजाम खत्म करना चाहते हैं और तुम शरीयत के ठेकेदारों को उठा लाए हो। हम ऐसे आदमी को नहीं चाहते।' उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद से उन्होंने हमारे खिलाफ 'बदनामी का अभियान शुरू कर दिया और इमरान को यहूदी एजेंट कहना शुरू कर दिया।

धरने में शामिल होने की अपील

बुशरा बीबी ने वीडियो संदेश में पीटीआई समर्थकों से 24 नवम्बर को इस्लामाबाद में होने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पीटीआई संस्थापक ने संदेश भेजा है कि सभी 24 नवम्बर के विरोध प्रदर्शन में शामिल होना चाहिए। 'किसी भी हालत में तारीख नहीं बदली जाएगी।' उन्होंने कहा कि जब तक इमरान खान खुद बाहर आकर ऐलान नहीं करते, 24 नवम्बर के धरने की तारीख नहीं बदली जाएगी।

बुशरा बीबी के दावे पर बाजवा का जवाब

बुशरा बीबी के इन आरोपों पर पूर्व आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने जवाब दिया है। द एक्स्प्रेस ट्रिब्यून से बात करते हुए कमर बाजवा ने कहा कि कोई भी देश ऐसे दावे नहीं करेगा, खासकर वो देश जिसके साथ पाकिस्तान के लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हों। उन्होंने कहा कि बुशरा बीबी की सऊदी अरब यात्राओं के दौरान, जिनमें खान-ए-काबा और पैगंबर की मस्जिद जैसे पवित्र स्थलों की यात्राएं भी शामिल थीं, उनका बड़े सम्मान के साथ स्वागत किया गया और उन्हें कई महंगे गिफ्ट्स भी दिए गए थे। उन्होंने कहा कि “इस महिला के दावे (बुशरा बीबी) मुझे हैरान कर रहे हैं। ये 100 प्रतिशत झूठ हैं। ऐसा लगता है कि इमरान खान भी भविष्य में इस कथन का समर्थन करना शुरू कर सकते हैं।

सउदी अरब के साथ मिलकर क्या प्लानिंग कर रहा भारत? दोनों देशों के विदेश मंत्री के बीच हुई मुलाकात

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सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल-सऊद अपने दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर भारत पहुंचे हैं। जहां उन्होंने हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद से मुलाकात में एस जयशंकर ने कहा कि भारत गाजा में शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करता है और वह लगातार दो स्टेट सॉल्यूशन के माध्यम से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए खड़ा है। जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया की स्थिति खासकर गाजा में स्थिति गहरी चिंता का विषय है। विदेश मंत्री ने सऊदी अरब को क्षेत्र में स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत बताया।

दिल्ली के हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद से मुलाकात की। एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद के बीच बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया। एस जयशंकर ने कहा कि हमने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों, विशेष रूप से पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष और विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर हमारे संयुक्त प्रयासों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। जयशंकर ने कहा कि भारत दो-राज्य समाधान के माध्यम से फिलिस्तीनी मुद्दे के समाधान के लिए खड़ा है। फिलिस्तीनी संस्थाओं के निर्माण में योगदान दिया है।

इन मुद्दों पर हुई दोनों नेताओं की बात

जारी बयान में कहा गया है कि एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद ने व्यापार, रक्षा, निवेश, ऊर्जा, सुरक्षा और कांसुलर मुद्दों पर भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। एस जयशंकर और प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद (एसपीसी) की राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक (पीएसएससी) समिति की सह-अध्यक्षता करते हैं। इस दौरान दोनों ने सितंबर 2023 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की।

हम शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करते हैं’

एस जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया की स्थिति गहरी चिंता का विषय है। विशेषकर गाजा में संघर्ष. इस संबंध में भारत की स्थिति सैद्धांतिक और सुसंगत रही है। उन्होंने कहा, हालांकि हम आतंकवाद और बंधक बनाने के कृत्यों की निंदा करते हैं। हम निर्दोष नागरिकों की मौत से बहुत दुखी हैं। हम शीघ्र युद्धविराम का समर्थन करते हैं।

सऊदी के साथ भारत की पार्टनरशिप

जयशंकर ने कहा कि सऊदी अरब का 'विजन 2030' और भारत का विकसित भारत 2047 दोनों देशों के उद्योगों के लिए नई पार्टनरशिप करने के लिए पूरक हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार और निवेश हमारी साझेदारी के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। हम प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन सहित नवीकरणीय ऊर्जा, कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित नए क्षेत्रों में अपने सहयोग को मजबूत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में भारतीय समुदाय की संख्या 26 लाख है।

नेतन्याहू की बढ़ेगी टेंशन! ईरानी विदेश मंत्री ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस से की मुलाकात

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इजराइल 1 अक्टूबर को हुए ईरानी हमले के पलटवार की तैयारी कर रहा है। ईरान पर किस तरह का हमला हो, ये तय करने के लिए नेतन्याहू की कैबिनेट में वोटिंग होगी। इससे पहले इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बुधवार शाम अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से फोन पर बातचीत की। ईरान पर इजराइली हमले की आशंका के बीच ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। ये मुलाकात बुधवार को सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हुई।

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची इजराइल के खिलाफ नया मोर्चा बनाने में जुटे हैं।इसके लिए वह इन दिनों क्षेत्र के खाड़ी अरब देशों के दौरे पर हैं। सऊदी अरब को इजराइल का दोस्त माना जाता है। लेकिन हाल ही में सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने गाजा के मसले पर इजराइल को दो टूक कह दिया था कि आजाद फिलिस्तीन के बिना वो इजराइल को मान्यता नहीं देंगे। सऊदी अरब के इस रुख से ईरान की उम्मीदें बढ़ गईं हैं। लिहाजा वह अब इजराइल के खिलाफ सऊदी अरब को साधने की कोशिश में जुटा है।

इसी क्रम में ईरानी विदेश मंत्री अराघची सऊदी अरब पहुंचे और प्रिंस से मुलाकात की। सऊदी अरब के स्टेट मीडिया के मुताबिक इस बैठक के दौरान दोनों ने मिडिल-ईस्ट में बने हालातों पर चर्चा की है। ईरानी विदेश मंत्री ने सऊदी अरब में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के अलावा अपने समकक्ष प्रिंस फैजल बिन फरहान से भी मुलाकात की है। बुधवार को हुई इस मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों और कई क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा हुई है।

सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच क्षेत्र के ताजा हालात पर भी चर्चा हुई है। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर पोस्ट कर लिखा है कि, ‘विदेश मंत्री के दौरे का मकसद क्षेत्र में यहूदी प्रशासन के नरसंहार और आक्रामकता को रोकना, साथ ही गाजा और लेबनान में हमाई भाइयों और बहनों के दर्द और पीड़ा को खत्म करना है।

बता दें कि एक अक्टूबर को ईरान ने इजराइल पर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया था, ईरान का कहना है कि उसने इस्माइल हानिया, हसन नसरल्लाह और आईआरजीसी के कमांडर निलफोरूशन की मौत का बदला लेने के लिए ये हमला किया था। वहीं अब इजराइल भी ईरान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इस हालात में ईरान-इजराइल के बीच युद्ध होता है तो क्षेत्र में मौजूद तमाम मुस्लिम देशों की भूमिका बेहद अहम होगी। हालांकि सऊदी अरब, जॉर्डन और इजिप्ट जैसे देश अब तक इस तनाव में तटस्थ नजर आए हैं।

*पाकिस्तान में सऊदी एयरलाइंस के प्लेन में लगी आग, 276 यात्री थे सवार

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सऊदी अरब के एक यात्री विमान में पाकिस्तान के पेशावर एयरपोर्ट पर लैंडिंग के वक्त आग लग गई। ये फ्लाइट सऊदी की राजधानी रियाद से पेशावर आई थी। फ्लाइट में करीब 300 लोग सवाल थे, सभी को समय रहते सुरक्षित निकाल लिया गया। 

पाकिस्तान के पेशावर हवाईअड्डे पर उतरते समय सऊदी एयरलाइंस की फ्लाइट SV792 में आग लग गई। लैंडिंग गियर में दिक्कत की वजह से टायर में आग लग गई। आग लगने के बावजूद किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। इसके अलावा सभी चालक दल और यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ्लाइट में सभी 276 यात्री और 21 चालक दल के सदस्य मौजूद थे।

पाकिस्तान के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण (सीएए) के प्रवक्ता सैफुल्लाह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जब फ्लाइट लैंड हो रही थी तो एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स ने विमान के बाईं ओर के लैंडिंग गियर से धुआं और चिंगारी निकलते देखी। इस पर तुरंत ही पायलटों को सतर्क करते हुए एयरपोर्ट की फायर ब्रिगेड और रेस्क्यू सर्विस को भी अलर्ट किया गया।