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रुपये सिंबल विवाद पर इसे डिजाइन करने वाले ने क्या है? डीएमके से है कनेक्शन

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तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने रुपये के चिन्ह '₹' को हटाकर 'ரூ' सिंबल से रिप्लेस कर दिया है। इस सिंबल का मतलब भी तमिल लिपी में 'रु' ही है। यह तमिल शब्द ‘रुबाई’ (रुपया) का पहला अक्षर है। ये बदलाव स्टालिन सरकार ने राज्य के बजट में किया है। बीजेपी ने स्टालिन सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया है। इस बीच तमिलनाडु सरकार के इस फैसले को लेकर रुपये सिंबल का डिजाइन बनाने वाले डी उदय कुमार का रिएक्शन आया है। उन्होंने कहा, सरकार ने बदलाव की जरूरत महसूस की और अपनी लिपि को शामिल किया। यह उनका निर्णय है, मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता।

स्टालिन भाषा विवाद को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। वह केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं। इसी क्रम में उनकी सरकार ने रुपये का सिंबल बदलने का फैसला किया। हालांकि शायद उनको यह मालूम नहीं होगा कि रुपये के '₹' सिंबल को तमिलनाडु में जन्मे व्यक्ति ने ही डिजाइन किया था और उनके पिता खुद डीएमके के विधायक थे।

आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी उदय कुमार ने तमिलनाडु सरकार की ओर से राज्य बजट के लिए रुपये का नया लोगो जारी किए जाने के कुछ ही घंटों बाद भाषा विवाद में पड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह महज संयोग है कि उनके पिता द्रमुक के विधायक थे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता बहुत पहले विधायक थे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता मेरे जन्म से पहले ही विधायक थे। अब वे गांव में शांति से रह रहे हैं। इसका इस फैसले से कोई लेना-देना नहीं है। डी उदय कुमार के पिता एन धर्मलिंगम 1971 में डीएमके के विधायक थे।

डी उदय कुमार ने 2010 में भारत सरकार द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता में भाग लिया था। उनका डिज़ाइन चुना गया और 15 जुलाई 2010 को इसे आधिकारिक तौर पर अपनाया गया। सरकारी पोर्टल ‘Know India’ के अनुसार, भारतीय रुपये का प्रतीक देवनागरी ‘र’ और रोमन ‘R’ का मिश्रण है। इसके ऊपर दो समानांतर रेखाएं हैं, जो राष्ट्रीय ध्वज और ‘बराबर’ के चिन्ह का प्रतीक हैं।

आपको बता दें कि तमिलनाडु सरकार 2025/26 के बजट को शुक्रवार को विधानसभा में पेश करने वाली है। उससे पहले रुपए के सिंबल को बदलने का ये फैसला सत्तारूढ़ द्रमुक ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रिभाषा फॉर्मूले के जरिए राज्य पर हिंदी थोपने के आरोप के बीच लिया है। तमिलनाडु देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां रुपए का सिंबल बदला गया है।

क्या बांग्लादेशी सेना में तख्तापलट की साजिश को भारत ने किया नाकाम? इसके पीछे था पाकिस्तान

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पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासती उथल-पुथल जारी है। बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बाद अब वर्तमान सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के तख्तापलट की साजिश के दावे किए जा रहे है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक बांग्लादेशी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान सेना की बागडोर संभालने की तैयारियों में जुटे हैं। इस साजिश में कई कट्टरपंथी अफसर भी शामिल हैं। अब खुफिया रिपोर्टों से पता चला है कि भारत की मदद से बांग्लादेश की सेना के अंदर तख्तापलट की साजिश नाकाम हो गई है। हालांकि बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज्जमान के ऊपर से अभी खतरा टला नहीं है।

स्‍वराज्‍य मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली ने ना सिर्फ सेना प्रमुख की कुर्सी को बचाने में मदद की, बल्कि भारत ने चरमपंथियों की सरकार चलाने में मोहम्मद यूनुस को बहुत बड़ा झटका भी दिया है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख के खिलाफ नाकाम तख्तापलट की कोशिश को लेकर अब रिपोर्ट्स से सामने आने लगे हैं। खुफिया जानकारियों से पता चलता है कि सैना प्रमुख की तख्तापलट की साजिश पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने तैयार की थी। आईएसआई, जनरल वकार-उज्जमान से इसलिए नाराज थी, क्योंकि आर्मी चीफ बांग्लादेश को पाकिस्तान के साथ बने रहे करीबी संबंध के बीच अवरोध बन रहे थे।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश आर्मी में पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी परस्त लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान ने अन्य जनरलों के समर्थन से बांग्लादेश आर्मी के मौजूदा चीफ जनरल वकार-उज-जमां को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने से यह नाकाम रहा। फैजुर रहमान ने पिछले हफ्ते ढाका में पाकिस्तान की सीक्रेट एजेंसी आईएसआई के प्रमुख और उसके प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी। इसके साथ ही वो बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी डीजीएफआई से समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकते हैं।

यह साजिश पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा रची गई थी। आईएसआई जनरल वाकर से नाराज थी क्योंकि उन्होंने भारत-बांग्लादेश के बीच मबूत सैन्य संबंधों के खिलाफ आवाज उठाई थी। दिलचस्प बात यह है कि बांग्लादेश के मौजूदा इस्लामवादी शासक भी आईएसआई की इस योजना का समर्थन कर रहे थे।

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साज़िश में बांग्लादेश आर्मी के कई अधिकारी कथित रूप से शामिल थे। जनरल ऑफिसर्स कमांडिंग (जीओसी) के 10 अधिकारियों का नाम इसमें आया है। इसमें मेजर जनरल मीर मुशफिक़ुर रहमान भी हैं, जो जीओसी के 24 इन्फैन्ट्री डिवीजन में हैं और वह चटगाँव के एरिया कमांडर हैं। रहमान लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का प्रमोशन चाहते हैं। इसके अलावा मेजर जनरल अबुल हसनत मोहम्मद तारिक़ भी हैं, जो जीओसी 33 इन्फैन्ट्री में हैं। ये सभी जनरल रहमान का समर्थन कर रहे हैं।

इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, बांग्लादेश के मौजूदा आर्मी प्रमुख जनरल वक़ार वैचारिक रूप से मध्यमार्गी माने जाते हैं। इन्हें भारत की तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है और बांग्लादेश में इस्लामिक दबदबे वाली सरकार के विरोधी रहे हैं।

बांग्लादेश की आर्मी ने रिपोर्ट को ख़ारिज किया

वहीं, बांग्लादेश आर्मी ने इस रिपोर्ट को खारिज कर चुकी है। बांग्लादेश आर्मी ने कहा है कि यह पूरी तरह से बेबुनियाद है। मंगलवार रात बांग्लादेश की इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन डायरेक्टोरेट यानी आईएसपीआर ने इस रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए विरोध दर्ज कराया है। आईएसपीआर ने अपने बयान में कहा है, बांग्लादेश आर्मी ने भारत के कुछ मीडिया आउटलेट्स में बेबुनियाद रिपोर्ट देखी हैं। इस रिपोर्ट में आर्मी के भीतर ही संभावित तख़्तापलट का दावा किया गया है।

वकार को माना जाता है हसीना और भारत का समर्थक

वकार-उज-जमान को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और भारत का समर्थक माना जाता है। उन्होंने 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना को बांग्लादेश से निकलने में मदद की थी। हाल ही में जनरल वक़ार ने संकेत दिया था कि बांग्लादेश में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने में सेना बड़ी भूमिका निभा सकती है। जबकि इसके उलट मोहम्मद फैजुर रहमान अपनी कट्टरपंथी सोच और पाकिस्तान समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं।

भारत पर ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका भी होगा परेशान, महंगी हो जाएंगी दवाएं

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दुनिया में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी से हड़कंप मचा हुआ है। अमेरिका ने भारत पर भी जवाबी शुल्‍क यानी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।ट्रंप ने घोषणा की है कि 2 अप्रैल से भारत से आयात पर भारी शुल्क लगाया जाएगा। इसका असर सिर्फ भारत पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि ट्रंप का टैरिफ अमेरिकियों के लिए गले की फांस बन सकता है। इससे अमेरिका में लाखों मरीजों को महंगी दवाओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि भारत का दवा उद्योग भी संकट में आ सकता है।

अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली लगभग आधी जेनेरिक दवाएं अकेले भारत से आती हैं। ये दवाएं ब्रांड नाम वाली दवाओं के मुकाबले काफी सस्ती होती हैं। अमेरिका में डॉक्टर मरीजों को जिन 10 दवाओं को लेने की सलाह देते हैं, उनमें से नौ दवाएं भारत जैसे देशों से आयात की जाती हैं। इससे वाशिंगटन को स्वास्थ्य सेवा लागत में अरबों की बचत होती है।

अमेरिका में उच्च रक्तचाप और मानसिक स्वास्थ्य की 60% से अधिक दवाएँ भारत से आती हैं। मिसाल के तौर पर सबसे ज्यादा सलाह दी गई दवा एंटी-डिप्रेसेंट सेरट्रालाइन की आपूर्ति में भारत की बड़ी भूमिका है, और ये दवाएं गैर-भारतीय कंपनियों की तुलना में आधी कीमत पर मिलती हैं।

उपभोक्ता हितों के लिए काम करने वाली संस्था पब्लिक सिटिजंस के वकील पीटर मेबार्डक ने बीबीसी से कहा कि अमेरिका में हर चार में से एक मरीज पहले ही दवाओं की ऊंची कीमतों के कारण उन्हें लेने में असमर्थ है। ट्रंप के टैरिफ़ से यह संकट और गहरा सकता है। अमेरिकी अस्पताल और जेनेरिक दवा निर्माता पहले से ही ट्रंप के चीन से आयात पर बढ़ाए गए टैरिफ़ से दबाव में हैं। दवाओं के लिए कच्चे माल का 87% हिस्सा अमेरिका के बाहर से आता है, जिसमें से 40% वैश्विक आपूर्ति चीन से होती है। ट्रंप के कार्यकाल में चीनी आयात पर टैरिफ़ 20% बढ़ने से कच्चे माल की लागत पहले ही बढ़ चुकी है।

भारतीय दवा कंपनियां बड़े पैमाने पर जेनेरिक दवाएं बेचती हैं। वे पहले से ही कम मार्जिन पर काम करती हैं और वे भारी कर का खर्च वहन नहीं कर पाएंगी। वे प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में बहुत कम कीमतों पर बेचती हैं। यही वजह है कि ये दुनिया के सबसे बड़े फार्मा बाजार में हृदय, मानसिक स्वास्थ्य, त्वचाविज्ञान और महिलाओं के स्वास्थ्य की दवाओं में लगातार प्रभुत्व हासिल कर रही हैं।

माना जा रहा है कि न तो अमेरिका और न ही भारत फार्मा आपूर्ति श्रृंखला में टूट का जोखिम उठा सकते हैं। इससे बचने के लिए भारत और अमेरिका एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इसका लक्ष्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाना है। पिछले सप्ताह वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अधिकारियों के साथ चर्चा के लिए अमेरिका की एक अनिर्धारित यात्रा की थी। इस यात्रा का उद्देश्य व्यापार समझौते पर सहमति बनाना था।

ट्रेन हाईजैक के आरोपों पर पाक को भारत का जवाब, कहा-दुनिया जानती है ग्लोबल आतंकवाद का केंद्र कहां

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पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत में ट्रेन हाईजैक की घटना के पीछे भारत का हाथ बताया है। शहबाज सरकार की ओर से लगाए गए इस आरोप पर भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा लगाए गए उन आरोपों का जोरदार खंडन किया है। भारत ने कहा है कि पूरी दुनिया को पता है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से आरोप लगाए गए थे कि जाफर एक्सप्रेस हमले मामले में भारत का हाथ हो सकता है।

“अपने अंदर झांकना चाहिए”

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम पाकिस्तान के निराधार आरोपों को दृढ़ता से खंडन करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? पाकिस्तान को अपनी अंदरूनी समस्याओं और विफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने और दोष मढ़ने के बजाय अपने अंदर झांकना चाहिए।

पाक ने क्या कहा था?

इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने दावा किया था कि जाफर एक्सप्रेस पर हमले में शामिल विद्रोही अफगानिस्तान में मौजूद सरगनाओं के संपर्क में थे।शफकत अली खान ने अपने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, भारत पाकिस्तान में आतंकवाद में शामिल रहा है। जाफर एक्सप्रेस पर विशेष हमले में आतंकवादी अफगानिस्तान में मौजूद अपने आकाओं और सरगनाओं के संपर्क में थे। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध सीमा पर लगातार झड़पों और इस्लामाबाद के दावों के कारण तनावपूर्ण हो गए हैं।

पाकिस्तान में 11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का हाईजैक हुआ। जाफ़र एक्सप्रेस की घटना में 450 से अधिक यात्री शामिल थे, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 21 यात्री, चार सैनिक और अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के 33 आतंकवादी शामिल थे। पाकिस्तान लगातार भारत पर बलूचिस्तान में अशांति पैदा करने के लिए बीएलए जैसे समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाता है, इन आरोपों का भारत ने खंडन किया है।

अश्विनी वैष्णव ने स्टारलिंक का किया स्वागत, फिर डिलीट क्यों किया पोस्ट

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भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर और इंटरनेट प्रोवाइडर एयरटेल और जियो ने सैटेलाइट-आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं की पेशकश करने के लिए स्टारलिंक के साथ समझौतों पर साइन किया है। इस बीच, रेल, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय बाजार में प्रवेश करने की तैयारी कर रहे स्पेसएक्स के स्टारलिंक का स्वागत किया। अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को सोशल मीडिया साइट पर एलन मस्क की कंपनी स्‍टारलिंक का भारत में स्वागत किया, हालांकि, फिर पोस्ट डिलीट कर दी।

सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म 'एक्‍स' पर पोस्ट में रेल मंत्री वैष्णव ने लिखा, 'स्‍टारलिंक भारत में आपका स्वागत है! दूर-दराज के रेलवे प्रोजेक्ट्स के लिए उपयोगी होगा।' लगभग एक घंटे बाद पोस्ट हटा दी गई। ऐसा उस वक्त हुआ, जब देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों एयरटेल और जियो ने स्‍टारलिंक के साथ करार किए हैं। ये करार स्‍टारलिंक की सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवाएं देने के लिए हैं। हालांकि, अब तक सरकार से इसकी मंजूरी मिली नहीं है।

इससे पहले मंगलवार को एयरटेल ने स्‍पेसएक्‍स के साथ समझौते की घोषणा की। स्‍पेसएक्‍स एलन मस्क की कंपनी है। इससे स्‍टारलिंक की सेवाएं भारत में आएंगी। दूर-दराज के इलाकों में स्कूल, अस्पताल और संस्थान जुड़ सकेंगे। भारती एयरटेल लिमिटेड के एमडी और वाइस चेयरमैन गोपाल विट्टल ने कहा, 'स्‍पेसएक्‍स के साथ मिलकर एयरटेल ग्राहकों को स्‍टारलिंक देना एक बड़ी उपलब्धि है। यह अगली पीढ़ी की सैटेलाइट कनेक्टिविटी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दिखाता है।' भारती एंटरप्राइजेज के संस्थापक और चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने कहा, '4G, 5G और आगे 6G की तरह अब हमारे पास एक और तकनीक होगी, यानी SAT-G।'

बुधवार को जियो प्‍लेटफॉर्म्‍स लिमिटेड ने स्‍टारलिंक के साथ अपने समझौते की घोषणा की। रिलायंस जियो ग्रुप के सीईओ मैथ्यू ओमन ने कहा, 'स्‍पेसएक्‍स के साथ हमारा सहयोग स्‍टारलिंक को भारत लाने के हमारे संकल्प को मजबूत करता है। यह सभी के लिए निर्बाध ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है।' उन्होंने आगे कहा, 'स्‍टारलिंक को जियो के ब्रॉडबैंड सिस्टम में जोड़कर हम अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं। इस AI युग में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड की विश्वसनीयता और उपलब्धता बेहतर कर रहे हैं। देश भर के समुदायों और व्यवसायों को सशक्त बना रहे हैं।'

वहीं, स्‍पेसएक्‍स की अध्यक्ष और सीओओ ग्वेने शॉटवेल ने कहा कि कंपनी भारत सरकार से मंजूरी मिलने का इंतजार कर रही है। उन्होंने कहा, 'हम भारत की कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के लिए जियो की प्रतिबद्धता की सराहना करते हैं। हम जियो के साथ काम करने और भारत सरकार से अधिक लोगों, संगठनों और व्यवसायों को स्‍टारलिंक की हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए प्राधिकरण प्राप्त करने के लिए तत्पर हैं।'

दूसरे देशों में फंसे भारतीयों को वापस ला रही सरकार, जानें कैसी आई ऐसी नौबत

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दुनियाभर में ऑनलाइन स्कैम का जाल तेजी से फैल रहे हैं। लोगों को आकर्षक नौकरी, निवेश या अन्य प्रलोभनों का लालच देते हैं और फिर उन्हें जबरन धोखाधड़ी वाले कामों में धकेल देते हैं। म्यांमार, कंबोडिया और कई अन्य देशों में ऐसे स्कैम हब फल-फूल रहे हैं। इसी तरह के गैर-कानूनी काम के चंगुल में फंसे 266 लोगों को भारत सरकार वापस लाई है।इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को दी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि भारत सरकार ने कल भारतीय वायुसेना के विमान से 266 भारतीयों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था की। जिन्हें दक्षिण पूर्व एशिया के साइबर अपराध केंद्रों से रिहा कराया गया। इससे पहले सोमवार को भी इसी तरह 283 भारतीयों को वापस लाया गया था। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय दूतावास ने म्यांमार और थाईलैंड सरकारों के साथ मिलकर उनकी रिहाई सुनिश्चित करने और उनके स्वदेश वापसी में सहायता करने के लिए काम किया है।

भारत सरकार ने सी-17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भेजकर इन लोगों को भारत वापस लाया, जिनमें 266 पुरुषों और 17 महिलाएं शामिल है। सभी लोगों इससे पहले सात बसों के जरिए थाईलैंड के माई सॉट हवाई अड्डे तक पहुंचाया। इसके अलावा, तीन बसों से उनके सामान को भी लाया गया। अब अगले दिन 257 और भारतीयों को वापस लाने की योजना है।

बीते कुछ हफ्तों में इन ऑनलाइन स्कैम सेंटरों से कम से कम 24 देशों के लगभग 7,000 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है । सैन्य शासन वाले म्यान्मार के इस हिस्से में कानून-व्यवस्था ढेर हो चुकी है। रिहा कराए गए लोगों में ज्यादातर चीनी नागरिक हैं। चीन अब तक 2,000 से ज्यादा नागरिकों को वापस ला चुका है और इन सभी को अपराधी मानते हुए हथकड़ी लगाकर लाया गया। चीन इन स्कैम नेटवर्क को खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई कर रहा है।

म्यांमार के अपराधग्रस्त सीमावर्ती इलाकों में ये ठगी के केंद्र बड़े पैमाने पर एक्टिव हैं। यहां लोगों को अच्छी नौकरी का झांसा देकर बुलाया जाता है, लेकिन वहां उन्हें ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसे रोमांस और इन्वेस्टमेंट स्कैम में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। कई लोग शोषण और दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। विदेशी दबाव के बाद म्यान्मार प्रशासन ने अरबों डॉलर के इस अवैध आपराधिक ‘उद्योग’ पर कार्रवाई की है। संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स एंड क्राइम्स ऑफिस का अनुमान है कि सिर्फ एशिया में ही साल 2023 में ऐसे ‘स्कैमों’ की वजह से लगभग 18 अरब डॉलर से लेकर 37 अरब डॉलर तक का संभावित नुकसान हुआ है।

भारत और मॉरीशस के बीच अहम समझौते, जानें किन मुद्दों पर बनी बात?

#agreementsbetweenindiaandmauritius

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्‍त मॉरिशस में हैं। पीएम मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने बुधवार को प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। इसके बाद दोनों की मौजूदगी में भारत और मॉरीशस के बीच अहम समझौते भी किए गए। दोनों देशों ने आज 8 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान दोनों नोताओं ने संयुक्त बयान भी जारी किया।

अपने मॉरीशस दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-मॉरीशस साझेदार नहीं, एक दूसरे का हमदर्द है। भारत और मॉरीशस साझेदारी को और मजबूत करेंगे। दोनों देशों का संबंध केवल हिंद महासागर से ही नहीं, बल्कि हमारी साझी सांस्कृतिक परंपराओं और मूल्यों से भी जुड़ा है। मॉरीशस के विकास योजनाओं में भारत बड़ी भूमिका निभाएगा। दोनों देशों के उभरते क्षेत्रों में हमारा दृष्टिकोण साझा है। पीएम मोदी ने कहा कि रक्षा हो या शिक्षा, भारत-मॉरीशस साथ खड़े हैं।

पीएम रामगुलाम के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा हो या कोविड की विपदा, हमने हमेशा एक दूसरे का साथ दिया है। रक्षा हो या शिक्षा, स्वास्थ्य हो या स्पेस, हम हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। पिछले 10 साल में हमने अपने संबंधों में कई नए आयाम जोड़े हैं। विकास सहयोग और क्षमता निर्माण में नए कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं और प्रधानमंत्री जी सहमत हैं कि रक्षा सहयोग और मैरीटाइम सिक्योरिटी हमारी स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का अहम हिस्सा है। फ्री, ओपन, सेक्योर एंड सेफ इंडियन ओसियन हमारी साझी प्राथमिकता है। हम मॉरीशस के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन की सुरक्षा में पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ग्लोबल साउथ हो, हिंद महासागर हो या अफ्रीकन भू-भाग, मॉरीशस हमारा महत्वपूर्ण साझीदार है। 10 साल पहले, विजन SAGAR यानि Security and Growth for All in the Region की आधारशिला यहीं मॉरीशस में रखी गई थी। इस पूरे क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि के लिए हम SAGAR विजन लेकर चले हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मॉरीशस में गति के लिए मेट्रो एक्सप्रेस, न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट भवन, सुखद प्रवास के लिए सोशल हाउसिंग, अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईएनटी अस्पताल, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए UPI और RUPAY कार्ड, सस्ती और बेहतर गुणवत्ता वाली दवाओं के लिए जन औषधि केंद्र, ऐसी अनेक जन केंद्रित पहल हैं, जिन्हें हमने समयबद्ध तरीके से पूरा किया है।

पीएम मोदी ने कहा, 'आज, प्रधानमंत्री नवीन चंद्र रामगुलाम और मैंने भारत-मॉरीशस साझेदारी को 'बढ़ी हुई रणनीतिक साझेदारी' का दर्जा देने का निर्णय लिया है। हमने निर्णय लिया है कि भारत मॉरीशस में नए संसद भवन के निर्माण में सहयोग करेगा। यह लोकतंत्र की जननी की ओर से मॉरीशस को एक भेंट होगी।

भारत और मॉरीशस ने इन आठ समझौता पर किए हस्ताक्षर

1. स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली पर मॉरीशस के केंद्रीय बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

2. पाइप बदलने के कार्यक्रम के तहत केंद्रीय जल प्राधिकरण की ओर से चल रही परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए मॉरीशस सरकार और भारतीय स्टेट बैंक के बीच ऋण सुविधा पर समझौता

3. राजनयिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम पर भारतीय विदेश सेवा संस्थान और मॉरीशस के विदेश, क्षेत्रीय एकीकरण और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन

4. भारतीय नौसेना और मॉरीशस पुलिस बल के बीच श्वेत शिपिंग सूचना साझा करने पर तकनीकी समझौता

5. मॉरीशस के वित्तीय अपराध आयोग और भारत के प्रवर्तन निदेशालय के बीच समझौता ज्ञापन

6. मॉरीशस के उद्योग, एसएमई और सहकारिता मंत्रालय तथा भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के बीच सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन

7. मॉरीशस के लोक सेवा और प्रशासनिक सुधार मंत्रालय तथा भारत के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के बीच लोक अधिकारियों के प्रशिक्षण पर समझौता ज्ञापन

8. भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और मॉरीशस के प्रधान मंत्री कार्यालय के महाद्वीपीय शेल्फ, समुद्री क्षेत्र प्रशासन और अन्वेषण विभाग के बीच समझौता ज्ञापन

पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक का ठीकरा भारत पर फोड़ा, शहबाज के सलाहकार ने उगला जहर

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पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मंगलवार को बलूच विद्रोहियों ने एक यात्री ट्रेन को हाईजैक कर लिया, जिसमें 500 से अधिक लोग सवार थे। अब पाकिस्तान ने ट्रेन हाईजैक का ठीकरा भारत पर फोड़ा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने ट्रेन हाईजैक को लेकर भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

पाकिस्तान, जो आतंकवादियों का सबसे सुरक्षित पनाहगाह है, जहां दर्जनों आतंकी संगठन फल-फूल रहे हैं, उसने भारत के खिलाफ हमेसा से जहर उगला है। अब जबकि पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक की जिम्मेदारी खुद बलूट विद्रोही ले चुके हैं, शहबाज शरीफ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने कहा है कि ट्रेन अपहरण कांड के पीछे भारत के हाथ हैं।

राणा सनाउल्लाह ने डॉन से बात करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान के अंदर से भारत इन्हें ऑपरेट कर रहा है। राणा सनाउल्लाह से डॉन के एंकर ने पूछा था कि क्या अफगानिस्तान के अंदर तहरीक-ए-तालिबान से बलूचों को मदद मिलती है, क्या इनके आपस में संबंध हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए राणा सनाउल्लाह ने कहा कि ये इंडिया कर रहा है। इसमें कोई शक नहीं है। और उसके बाद उन्हें सेफ हेवन अफगानिस्तान में मिला है।

राणा सनाउल्लाह ने आरोप लगाते हुए कहा कि हां, भारत दोनों (टीटीपी और बीएलए) का समर्थन कर रहा है और उनके पास अफगानिस्तान जैसा सुरक्षित ठिकाना है। अफगानिस्तान में घात लगाने की सुविधा होने के कारण उनके ऑपरेशन बढ़ गए हैं। तालिबान के सत्ता में आने से पहले ये घात लगाने की सुविधा उनके पास नहीं थी। हमने अफगानिस्तान को सरकार के स्तर पर कहा है कि वह यह सब बंद करे, नहीं तो हम वहां आकर इन घात लगाने वालों को निशाना बनाएंगे।

मंगलवार को एक सुरंग में बलूच आतंकवादियों की ओर से एक यात्री ट्रेन पर हमला किया गया। नौ डिब्बों में लगभग 500 यात्रियों को लेकर जफर एक्सप्रेस ट्रेन क्वेटा से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही थी। इसी दौरान हमला किया गया। जिनमें से सामान्य नागरिकों, महिलाओं और बच्चों को रिहा कर दिया गया है और पाकिस्तानी सेना के जवानों, खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों और पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों-कर्मचारियों को बंधक बनाकर रखा गया है। सुरक्षा बलों ने अभी तक 16 विद्रोहियों को मारने का दावा किया है, जबकि बलूचों ने 30 से ज्यादा पाकिस्तानी सेना के जवानों को मारने का दावा किया है। वहीं, बलूच विद्रोहियों ने 214 यात्रियों को बंधक बनाने का भी दावा किया है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस आने वाले हैं भारत, टैरिफ और इमिग्रेशन पर मचे हड़कंप के बीच दौरा कितना अहम?

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अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस जल्द भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उपराष्ट्रपति जे डी वेंस इस महीने के अंत में भारत की यात्रा कर सकते हैं। उनके साथ उनकी पत्नी अमेरिका की सेकंड लेडी उषा वेंस भी दौरे पर आएंगी। बता दें कि उषा वेंष भारतीय मूल की हैं।अमेरिका का उपराष्ट्रपति बनने के बाद जेडी वेंस की यह दूसरी विदेश यात्रा होगी। वेंस ने पिछले महीने फ्रांस और जर्मनी की अपनी पहली विदेश यात्रा की थी।

अमेरिकी मीडिया आउटलेट पॉलिटिको ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी है। पॉलिटिको की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वेंस अपनी पत्नी उषा वेंस के साथ इस महीने के अंत में भारत की यात्रा करेंगे। अखबार ने योजना की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है। भारत यात्रा के दौरान टैरिफ और आप्रवासन के मुद्दे पर बात हो सकती है।

इससे पहले पेरिस एआई एक्शन समिट के दौरान उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अपने परिवार के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान पीएम मोदी को उन्होंने दयालु बताया था। पीएम मोदी ने जेडी वेंस के बच्चों को उपहार भी दिया था।

बता दें कि जेडी वेंस की पत्नी उषा वेंस के माता-पिता कृष चिलुकुरी और लक्ष्मी चिलुकुरी 1970 के दशक के अंत में भारत से अमेरिका चले गए थे। ऐसे में उषा वेंस की अमेरिका की द्वितीय महिला के रूप में भारत की यह यात्रा अपने पैतृक देश की पहली यात्रा होगी। उषा और जेडी की मुलाकात येल लॉ स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई थी। उषा एक मुकदमेबाज हैं और उन्होंने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन जी रॉबर्ट्स और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया सर्किट के तत्कालीन अमेरिकी अपील कोर्ट के जज ब्रेट कैवनौघ के लिए क्लर्क का काम भी किया है। उनके पास येल विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री भी है, जहाँ वे गेट्स कैम्ब्रिज स्कॉलर थीं।

*एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने केयर टुडे के साथ मिलकर मेगा रक्तदान अभियान का आयोजन किया*

लखनऊ । एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स अपने "लाइफ्स गुड व्हेन लाइफ्स शेयर्ड" नामक पैन इंडिया मेगा रक्तदान अभियान के माध्यम से समुदाय में एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह पहल स्वैच्छिक रक्तदान को प्रेरित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है और अब तक भारत भर में 50 से अधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जा चुका है। फरवरी 2025 में ही लगभग 5,000 पंजीकरण किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 3,000 से अधिक रक्त यूनिट्स का दान हुआ। इस अभियान को युवाओं का व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ है, जिसमें छात्र, NSS सदस्य और यहां तक कि शिक्षकों ने भी इस नेक कार्य में सक्रिय रूप से भाग लिया है।

रक्तदान शिविर विभिन्न शहरों में आयोजित किए गए, जिनमें दिल्ली एनसीआर, राजस्थान, लुधियाना, चंडीगढ़, लखनऊ, रांची, सीकर, कोलकाता, मणिपाल, सूरत, राजकोट, अहमदाबाद और अन्य शहर शामिल हैं। यह शिविर मार्च 2025 तक आयोजित किए जाएंगे, ताकि यह पहल और भी अधिक समुदायों तक पहुंचे।

कुछ प्रमुख शैक्षिक संस्थान जिन्होंने इस अभियान का जबरदस्त समर्थन किया है, वे हैं:

- बीआईटीएस पिलानी

- चंडीगढ़ विश्वविद्यालय

- खालसा कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, मोहाली

- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी

- आलिया विश्वविद्यालय, कोलकाता

- हरिवंदना कॉलेज, राजकोट

- आईआईएमएसआर

- रामजस कॉलेज, दिल्ली

- नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (NUSRL), रांची

कैम्पस आधारित शिविरों के अतिरिक्त, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने सरकारी कार्यालयों में भी रक्तदान शिविरों का आयोजन किया है, जिनमें ITO कार्यालय और दिल्ली पुलिस मुख्यालय शामिल हैं।

महिला दिवस पर विशेष रक्तदान शिविर

समुदाय कल्याण के महत्व को और बढ़ावा देने के लिए, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स 8 मार्च 2025 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली के AIIMS में एक विशेष रक्तदान शिविर का आयोजन करेगा। यह कार्यक्रम एलजी इंडिया की निरंतर कोशिशों का हिस्सा है, जो लोगों को एक बड़ा उद्देश्य पाने के लिए रक्तदान करने के लिए प्रेरित करता है।

रक्तदान के प्रति जागरूकता अभियान

रक्तदान शिविरों के साथ-साथ, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स एक व्यापक जागरूकता अभियान भी चला रहा है, जिसका उद्देश्य लोगों को रक्तदान के महत्व के बारे में शिक्षित करना है। इसमें रेडियो, डिजिटल मीडिया, पोस्टर, बैनर और सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से कॉलेजों और संस्थानों के साथ सहयोग किया जा रहा है। इसका लक्ष्य लोगों को रक्तदान के जीवनरक्षक प्रभाव के बारे में जागरूक करना और स्वैच्छिक भागीदारी को बढ़ावा देना है।

समर्पित माइक्रोसाइट के माध्यम से आसान भागीदारी

भागीदारी की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने एक समर्पित माइक्रोसाइट लॉन्च किया है: [https://lg-india.com/blood-donation/](https://lg-india.com/blood-donation/)। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोग:

- इस कारण के लिए अपना समर्थन पंजीकृत कर सकते हैं

- आगामी रक्तदान शिविरों के लिए पंजीकरण कर सकते हैं

- अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं

- शिविरों के स्थान और दाता दिशानिर्देशों पर अपडेट प्राप्त कर सकते हैं

यह सीएसआर पहल, केयर टुडे फंड के साथ साझेदारी में, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की सामाजिक जिम्मेदारी और स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

रुपये सिंबल विवाद पर इसे डिजाइन करने वाले ने क्या है? डीएमके से है कनेक्शन

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तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने रुपये के चिन्ह '₹' को हटाकर 'ரூ' सिंबल से रिप्लेस कर दिया है। इस सिंबल का मतलब भी तमिल लिपी में 'रु' ही है। यह तमिल शब्द ‘रुबाई’ (रुपया) का पहला अक्षर है। ये बदलाव स्टालिन सरकार ने राज्य के बजट में किया है। बीजेपी ने स्टालिन सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया है। इस बीच तमिलनाडु सरकार के इस फैसले को लेकर रुपये सिंबल का डिजाइन बनाने वाले डी उदय कुमार का रिएक्शन आया है। उन्होंने कहा, सरकार ने बदलाव की जरूरत महसूस की और अपनी लिपि को शामिल किया। यह उनका निर्णय है, मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता।

स्टालिन भाषा विवाद को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। वह केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं। इसी क्रम में उनकी सरकार ने रुपये का सिंबल बदलने का फैसला किया। हालांकि शायद उनको यह मालूम नहीं होगा कि रुपये के '₹' सिंबल को तमिलनाडु में जन्मे व्यक्ति ने ही डिजाइन किया था और उनके पिता खुद डीएमके के विधायक थे।

आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी उदय कुमार ने तमिलनाडु सरकार की ओर से राज्य बजट के लिए रुपये का नया लोगो जारी किए जाने के कुछ ही घंटों बाद भाषा विवाद में पड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह महज संयोग है कि उनके पिता द्रमुक के विधायक थे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता बहुत पहले विधायक थे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता मेरे जन्म से पहले ही विधायक थे। अब वे गांव में शांति से रह रहे हैं। इसका इस फैसले से कोई लेना-देना नहीं है। डी उदय कुमार के पिता एन धर्मलिंगम 1971 में डीएमके के विधायक थे।

डी उदय कुमार ने 2010 में भारत सरकार द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता में भाग लिया था। उनका डिज़ाइन चुना गया और 15 जुलाई 2010 को इसे आधिकारिक तौर पर अपनाया गया। सरकारी पोर्टल ‘Know India’ के अनुसार, भारतीय रुपये का प्रतीक देवनागरी ‘र’ और रोमन ‘R’ का मिश्रण है। इसके ऊपर दो समानांतर रेखाएं हैं, जो राष्ट्रीय ध्वज और ‘बराबर’ के चिन्ह का प्रतीक हैं।

आपको बता दें कि तमिलनाडु सरकार 2025/26 के बजट को शुक्रवार को विधानसभा में पेश करने वाली है। उससे पहले रुपए के सिंबल को बदलने का ये फैसला सत्तारूढ़ द्रमुक ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रिभाषा फॉर्मूले के जरिए राज्य पर हिंदी थोपने के आरोप के बीच लिया है। तमिलनाडु देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां रुपए का सिंबल बदला गया है।

क्या बांग्लादेशी सेना में तख्तापलट की साजिश को भारत ने किया नाकाम? इसके पीछे था पाकिस्तान

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पड़ोसी देश बांग्लादेश में सियासती उथल-पुथल जारी है। बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बाद अब वर्तमान सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के तख्तापलट की साजिश के दावे किए जा रहे है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक बांग्लादेशी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान सेना की बागडोर संभालने की तैयारियों में जुटे हैं। इस साजिश में कई कट्टरपंथी अफसर भी शामिल हैं। अब खुफिया रिपोर्टों से पता चला है कि भारत की मदद से बांग्लादेश की सेना के अंदर तख्तापलट की साजिश नाकाम हो गई है। हालांकि बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज्जमान के ऊपर से अभी खतरा टला नहीं है।

स्‍वराज्‍य मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली ने ना सिर्फ सेना प्रमुख की कुर्सी को बचाने में मदद की, बल्कि भारत ने चरमपंथियों की सरकार चलाने में मोहम्मद यूनुस को बहुत बड़ा झटका भी दिया है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख के खिलाफ नाकाम तख्तापलट की कोशिश को लेकर अब रिपोर्ट्स से सामने आने लगे हैं। खुफिया जानकारियों से पता चलता है कि सैना प्रमुख की तख्तापलट की साजिश पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने तैयार की थी। आईएसआई, जनरल वकार-उज्जमान से इसलिए नाराज थी, क्योंकि आर्मी चीफ बांग्लादेश को पाकिस्तान के साथ बने रहे करीबी संबंध के बीच अवरोध बन रहे थे।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश आर्मी में पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी परस्त लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान ने अन्य जनरलों के समर्थन से बांग्लादेश आर्मी के मौजूदा चीफ जनरल वकार-उज-जमां को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन पर्याप्त समर्थन नहीं मिलने से यह नाकाम रहा। फैजुर रहमान ने पिछले हफ्ते ढाका में पाकिस्तान की सीक्रेट एजेंसी आईएसआई के प्रमुख और उसके प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी। इसके साथ ही वो बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी डीजीएफआई से समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकते हैं।

यह साजिश पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा रची गई थी। आईएसआई जनरल वाकर से नाराज थी क्योंकि उन्होंने भारत-बांग्लादेश के बीच मबूत सैन्य संबंधों के खिलाफ आवाज उठाई थी। दिलचस्प बात यह है कि बांग्लादेश के मौजूदा इस्लामवादी शासक भी आईएसआई की इस योजना का समर्थन कर रहे थे।

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साज़िश में बांग्लादेश आर्मी के कई अधिकारी कथित रूप से शामिल थे। जनरल ऑफिसर्स कमांडिंग (जीओसी) के 10 अधिकारियों का नाम इसमें आया है। इसमें मेजर जनरल मीर मुशफिक़ुर रहमान भी हैं, जो जीओसी के 24 इन्फैन्ट्री डिवीजन में हैं और वह चटगाँव के एरिया कमांडर हैं। रहमान लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का प्रमोशन चाहते हैं। इसके अलावा मेजर जनरल अबुल हसनत मोहम्मद तारिक़ भी हैं, जो जीओसी 33 इन्फैन्ट्री में हैं। ये सभी जनरल रहमान का समर्थन कर रहे हैं।

इकनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, बांग्लादेश के मौजूदा आर्मी प्रमुख जनरल वक़ार वैचारिक रूप से मध्यमार्गी माने जाते हैं। इन्हें भारत की तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है और बांग्लादेश में इस्लामिक दबदबे वाली सरकार के विरोधी रहे हैं।

बांग्लादेश की आर्मी ने रिपोर्ट को ख़ारिज किया

वहीं, बांग्लादेश आर्मी ने इस रिपोर्ट को खारिज कर चुकी है। बांग्लादेश आर्मी ने कहा है कि यह पूरी तरह से बेबुनियाद है। मंगलवार रात बांग्लादेश की इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन डायरेक्टोरेट यानी आईएसपीआर ने इस रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए विरोध दर्ज कराया है। आईएसपीआर ने अपने बयान में कहा है, बांग्लादेश आर्मी ने भारत के कुछ मीडिया आउटलेट्स में बेबुनियाद रिपोर्ट देखी हैं। इस रिपोर्ट में आर्मी के भीतर ही संभावित तख़्तापलट का दावा किया गया है।

वकार को माना जाता है हसीना और भारत का समर्थक

वकार-उज-जमान को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और भारत का समर्थक माना जाता है। उन्होंने 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना को बांग्लादेश से निकलने में मदद की थी। हाल ही में जनरल वक़ार ने संकेत दिया था कि बांग्लादेश में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने में सेना बड़ी भूमिका निभा सकती है। जबकि इसके उलट मोहम्मद फैजुर रहमान अपनी कट्टरपंथी सोच और पाकिस्तान समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं।

भारत पर ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका भी होगा परेशान, महंगी हो जाएंगी दवाएं

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दुनिया में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी से हड़कंप मचा हुआ है। अमेरिका ने भारत पर भी जवाबी शुल्‍क यानी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।ट्रंप ने घोषणा की है कि 2 अप्रैल से भारत से आयात पर भारी शुल्क लगाया जाएगा। इसका असर सिर्फ भारत पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि ट्रंप का टैरिफ अमेरिकियों के लिए गले की फांस बन सकता है। इससे अमेरिका में लाखों मरीजों को महंगी दवाओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि भारत का दवा उद्योग भी संकट में आ सकता है।

अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली लगभग आधी जेनेरिक दवाएं अकेले भारत से आती हैं। ये दवाएं ब्रांड नाम वाली दवाओं के मुकाबले काफी सस्ती होती हैं। अमेरिका में डॉक्टर मरीजों को जिन 10 दवाओं को लेने की सलाह देते हैं, उनमें से नौ दवाएं भारत जैसे देशों से आयात की जाती हैं। इससे वाशिंगटन को स्वास्थ्य सेवा लागत में अरबों की बचत होती है।

अमेरिका में उच्च रक्तचाप और मानसिक स्वास्थ्य की 60% से अधिक दवाएँ भारत से आती हैं। मिसाल के तौर पर सबसे ज्यादा सलाह दी गई दवा एंटी-डिप्रेसेंट सेरट्रालाइन की आपूर्ति में भारत की बड़ी भूमिका है, और ये दवाएं गैर-भारतीय कंपनियों की तुलना में आधी कीमत पर मिलती हैं।

उपभोक्ता हितों के लिए काम करने वाली संस्था पब्लिक सिटिजंस के वकील पीटर मेबार्डक ने बीबीसी से कहा कि अमेरिका में हर चार में से एक मरीज पहले ही दवाओं की ऊंची कीमतों के कारण उन्हें लेने में असमर्थ है। ट्रंप के टैरिफ़ से यह संकट और गहरा सकता है। अमेरिकी अस्पताल और जेनेरिक दवा निर्माता पहले से ही ट्रंप के चीन से आयात पर बढ़ाए गए टैरिफ़ से दबाव में हैं। दवाओं के लिए कच्चे माल का 87% हिस्सा अमेरिका के बाहर से आता है, जिसमें से 40% वैश्विक आपूर्ति चीन से होती है। ट्रंप के कार्यकाल में चीनी आयात पर टैरिफ़ 20% बढ़ने से कच्चे माल की लागत पहले ही बढ़ चुकी है।

भारतीय दवा कंपनियां बड़े पैमाने पर जेनेरिक दवाएं बेचती हैं। वे पहले से ही कम मार्जिन पर काम करती हैं और वे भारी कर का खर्च वहन नहीं कर पाएंगी। वे प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में बहुत कम कीमतों पर बेचती हैं। यही वजह है कि ये दुनिया के सबसे बड़े फार्मा बाजार में हृदय, मानसिक स्वास्थ्य, त्वचाविज्ञान और महिलाओं के स्वास्थ्य की दवाओं में लगातार प्रभुत्व हासिल कर रही हैं।

माना जा रहा है कि न तो अमेरिका और न ही भारत फार्मा आपूर्ति श्रृंखला में टूट का जोखिम उठा सकते हैं। इससे बचने के लिए भारत और अमेरिका एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इसका लक्ष्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाना है। पिछले सप्ताह वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अधिकारियों के साथ चर्चा के लिए अमेरिका की एक अनिर्धारित यात्रा की थी। इस यात्रा का उद्देश्य व्यापार समझौते पर सहमति बनाना था।

ट्रेन हाईजैक के आरोपों पर पाक को भारत का जवाब, कहा-दुनिया जानती है ग्लोबल आतंकवाद का केंद्र कहां

#pakistantrainhijackindiamearejectspaki_allegations

पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रांत में ट्रेन हाईजैक की घटना के पीछे भारत का हाथ बताया है। शहबाज सरकार की ओर से लगाए गए इस आरोप पर भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा लगाए गए उन आरोपों का जोरदार खंडन किया है। भारत ने कहा है कि पूरी दुनिया को पता है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से आरोप लगाए गए थे कि जाफर एक्सप्रेस हमले मामले में भारत का हाथ हो सकता है।

“अपने अंदर झांकना चाहिए”

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम पाकिस्तान के निराधार आरोपों को दृढ़ता से खंडन करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है? पाकिस्तान को अपनी अंदरूनी समस्याओं और विफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने और दोष मढ़ने के बजाय अपने अंदर झांकना चाहिए।

पाक ने क्या कहा था?

इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने दावा किया था कि जाफर एक्सप्रेस पर हमले में शामिल विद्रोही अफगानिस्तान में मौजूद सरगनाओं के संपर्क में थे।शफकत अली खान ने अपने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, भारत पाकिस्तान में आतंकवाद में शामिल रहा है। जाफर एक्सप्रेस पर विशेष हमले में आतंकवादी अफगानिस्तान में मौजूद अपने आकाओं और सरगनाओं के संपर्क में थे। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंध सीमा पर लगातार झड़पों और इस्लामाबाद के दावों के कारण तनावपूर्ण हो गए हैं।

पाकिस्तान में 11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन का हाईजैक हुआ। जाफ़र एक्सप्रेस की घटना में 450 से अधिक यात्री शामिल थे, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 21 यात्री, चार सैनिक और अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के 33 आतंकवादी शामिल थे। पाकिस्तान लगातार भारत पर बलूचिस्तान में अशांति पैदा करने के लिए बीएलए जैसे समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाता है, इन आरोपों का भारत ने खंडन किया है।

अश्विनी वैष्णव ने स्टारलिंक का किया स्वागत, फिर डिलीट क्यों किया पोस्ट

#ashwini_vaishnaw_welcomes_starlink_to_india_later_deletes_tweet

भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर और इंटरनेट प्रोवाइडर एयरटेल और जियो ने सैटेलाइट-आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं की पेशकश करने के लिए स्टारलिंक के साथ समझौतों पर साइन किया है। इस बीच, रेल, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय बाजार में प्रवेश करने की तैयारी कर रहे स्पेसएक्स के स्टारलिंक का स्वागत किया। अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को सोशल मीडिया साइट पर एलन मस्क की कंपनी स्‍टारलिंक का भारत में स्वागत किया, हालांकि, फिर पोस्ट डिलीट कर दी।

सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म 'एक्‍स' पर पोस्ट में रेल मंत्री वैष्णव ने लिखा, 'स्‍टारलिंक भारत में आपका स्वागत है! दूर-दराज के रेलवे प्रोजेक्ट्स के लिए उपयोगी होगा।' लगभग एक घंटे बाद पोस्ट हटा दी गई। ऐसा उस वक्त हुआ, जब देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों एयरटेल और जियो ने स्‍टारलिंक के साथ करार किए हैं। ये करार स्‍टारलिंक की सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवाएं देने के लिए हैं। हालांकि, अब तक सरकार से इसकी मंजूरी मिली नहीं है।

इससे पहले मंगलवार को एयरटेल ने स्‍पेसएक्‍स के साथ समझौते की घोषणा की। स्‍पेसएक्‍स एलन मस्क की कंपनी है। इससे स्‍टारलिंक की सेवाएं भारत में आएंगी। दूर-दराज के इलाकों में स्कूल, अस्पताल और संस्थान जुड़ सकेंगे। भारती एयरटेल लिमिटेड के एमडी और वाइस चेयरमैन गोपाल विट्टल ने कहा, 'स्‍पेसएक्‍स के साथ मिलकर एयरटेल ग्राहकों को स्‍टारलिंक देना एक बड़ी उपलब्धि है। यह अगली पीढ़ी की सैटेलाइट कनेक्टिविटी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दिखाता है।' भारती एंटरप्राइजेज के संस्थापक और चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने कहा, '4G, 5G और आगे 6G की तरह अब हमारे पास एक और तकनीक होगी, यानी SAT-G।'

बुधवार को जियो प्‍लेटफॉर्म्‍स लिमिटेड ने स्‍टारलिंक के साथ अपने समझौते की घोषणा की। रिलायंस जियो ग्रुप के सीईओ मैथ्यू ओमन ने कहा, 'स्‍पेसएक्‍स के साथ हमारा सहयोग स्‍टारलिंक को भारत लाने के हमारे संकल्प को मजबूत करता है। यह सभी के लिए निर्बाध ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है।' उन्होंने आगे कहा, 'स्‍टारलिंक को जियो के ब्रॉडबैंड सिस्टम में जोड़कर हम अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं। इस AI युग में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड की विश्वसनीयता और उपलब्धता बेहतर कर रहे हैं। देश भर के समुदायों और व्यवसायों को सशक्त बना रहे हैं।'

वहीं, स्‍पेसएक्‍स की अध्यक्ष और सीओओ ग्वेने शॉटवेल ने कहा कि कंपनी भारत सरकार से मंजूरी मिलने का इंतजार कर रही है। उन्होंने कहा, 'हम भारत की कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के लिए जियो की प्रतिबद्धता की सराहना करते हैं। हम जियो के साथ काम करने और भारत सरकार से अधिक लोगों, संगठनों और व्यवसायों को स्‍टारलिंक की हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए प्राधिकरण प्राप्त करने के लिए तत्पर हैं।'

दूसरे देशों में फंसे भारतीयों को वापस ला रही सरकार, जानें कैसी आई ऐसी नौबत

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दुनियाभर में ऑनलाइन स्कैम का जाल तेजी से फैल रहे हैं। लोगों को आकर्षक नौकरी, निवेश या अन्य प्रलोभनों का लालच देते हैं और फिर उन्हें जबरन धोखाधड़ी वाले कामों में धकेल देते हैं। म्यांमार, कंबोडिया और कई अन्य देशों में ऐसे स्कैम हब फल-फूल रहे हैं। इसी तरह के गैर-कानूनी काम के चंगुल में फंसे 266 लोगों को भारत सरकार वापस लाई है।इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को दी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि भारत सरकार ने कल भारतीय वायुसेना के विमान से 266 भारतीयों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था की। जिन्हें दक्षिण पूर्व एशिया के साइबर अपराध केंद्रों से रिहा कराया गया। इससे पहले सोमवार को भी इसी तरह 283 भारतीयों को वापस लाया गया था। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय दूतावास ने म्यांमार और थाईलैंड सरकारों के साथ मिलकर उनकी रिहाई सुनिश्चित करने और उनके स्वदेश वापसी में सहायता करने के लिए काम किया है।

भारत सरकार ने सी-17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भेजकर इन लोगों को भारत वापस लाया, जिनमें 266 पुरुषों और 17 महिलाएं शामिल है। सभी लोगों इससे पहले सात बसों के जरिए थाईलैंड के माई सॉट हवाई अड्डे तक पहुंचाया। इसके अलावा, तीन बसों से उनके सामान को भी लाया गया। अब अगले दिन 257 और भारतीयों को वापस लाने की योजना है।

बीते कुछ हफ्तों में इन ऑनलाइन स्कैम सेंटरों से कम से कम 24 देशों के लगभग 7,000 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है । सैन्य शासन वाले म्यान्मार के इस हिस्से में कानून-व्यवस्था ढेर हो चुकी है। रिहा कराए गए लोगों में ज्यादातर चीनी नागरिक हैं। चीन अब तक 2,000 से ज्यादा नागरिकों को वापस ला चुका है और इन सभी को अपराधी मानते हुए हथकड़ी लगाकर लाया गया। चीन इन स्कैम नेटवर्क को खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई कर रहा है।

म्यांमार के अपराधग्रस्त सीमावर्ती इलाकों में ये ठगी के केंद्र बड़े पैमाने पर एक्टिव हैं। यहां लोगों को अच्छी नौकरी का झांसा देकर बुलाया जाता है, लेकिन वहां उन्हें ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसे रोमांस और इन्वेस्टमेंट स्कैम में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। कई लोग शोषण और दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। विदेशी दबाव के बाद म्यान्मार प्रशासन ने अरबों डॉलर के इस अवैध आपराधिक ‘उद्योग’ पर कार्रवाई की है। संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स एंड क्राइम्स ऑफिस का अनुमान है कि सिर्फ एशिया में ही साल 2023 में ऐसे ‘स्कैमों’ की वजह से लगभग 18 अरब डॉलर से लेकर 37 अरब डॉलर तक का संभावित नुकसान हुआ है।

भारत और मॉरीशस के बीच अहम समझौते, जानें किन मुद्दों पर बनी बात?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्‍त मॉरिशस में हैं। पीएम मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने बुधवार को प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। इसके बाद दोनों की मौजूदगी में भारत और मॉरीशस के बीच अहम समझौते भी किए गए। दोनों देशों ने आज 8 सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान दोनों नोताओं ने संयुक्त बयान भी जारी किया।

अपने मॉरीशस दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत-मॉरीशस साझेदार नहीं, एक दूसरे का हमदर्द है। भारत और मॉरीशस साझेदारी को और मजबूत करेंगे। दोनों देशों का संबंध केवल हिंद महासागर से ही नहीं, बल्कि हमारी साझी सांस्कृतिक परंपराओं और मूल्यों से भी जुड़ा है। मॉरीशस के विकास योजनाओं में भारत बड़ी भूमिका निभाएगा। दोनों देशों के उभरते क्षेत्रों में हमारा दृष्टिकोण साझा है। पीएम मोदी ने कहा कि रक्षा हो या शिक्षा, भारत-मॉरीशस साथ खड़े हैं।

पीएम रामगुलाम के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा हो या कोविड की विपदा, हमने हमेशा एक दूसरे का साथ दिया है। रक्षा हो या शिक्षा, स्वास्थ्य हो या स्पेस, हम हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। पिछले 10 साल में हमने अपने संबंधों में कई नए आयाम जोड़े हैं। विकास सहयोग और क्षमता निर्माण में नए कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं और प्रधानमंत्री जी सहमत हैं कि रक्षा सहयोग और मैरीटाइम सिक्योरिटी हमारी स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का अहम हिस्सा है। फ्री, ओपन, सेक्योर एंड सेफ इंडियन ओसियन हमारी साझी प्राथमिकता है। हम मॉरीशस के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन की सुरक्षा में पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ग्लोबल साउथ हो, हिंद महासागर हो या अफ्रीकन भू-भाग, मॉरीशस हमारा महत्वपूर्ण साझीदार है। 10 साल पहले, विजन SAGAR यानि Security and Growth for All in the Region की आधारशिला यहीं मॉरीशस में रखी गई थी। इस पूरे क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि के लिए हम SAGAR विजन लेकर चले हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मॉरीशस में गति के लिए मेट्रो एक्सप्रेस, न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट भवन, सुखद प्रवास के लिए सोशल हाउसिंग, अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईएनटी अस्पताल, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए UPI और RUPAY कार्ड, सस्ती और बेहतर गुणवत्ता वाली दवाओं के लिए जन औषधि केंद्र, ऐसी अनेक जन केंद्रित पहल हैं, जिन्हें हमने समयबद्ध तरीके से पूरा किया है।

पीएम मोदी ने कहा, 'आज, प्रधानमंत्री नवीन चंद्र रामगुलाम और मैंने भारत-मॉरीशस साझेदारी को 'बढ़ी हुई रणनीतिक साझेदारी' का दर्जा देने का निर्णय लिया है। हमने निर्णय लिया है कि भारत मॉरीशस में नए संसद भवन के निर्माण में सहयोग करेगा। यह लोकतंत्र की जननी की ओर से मॉरीशस को एक भेंट होगी।

भारत और मॉरीशस ने इन आठ समझौता पर किए हस्ताक्षर

1. स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली पर मॉरीशस के केंद्रीय बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

2. पाइप बदलने के कार्यक्रम के तहत केंद्रीय जल प्राधिकरण की ओर से चल रही परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए मॉरीशस सरकार और भारतीय स्टेट बैंक के बीच ऋण सुविधा पर समझौता

3. राजनयिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम पर भारतीय विदेश सेवा संस्थान और मॉरीशस के विदेश, क्षेत्रीय एकीकरण और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन

4. भारतीय नौसेना और मॉरीशस पुलिस बल के बीच श्वेत शिपिंग सूचना साझा करने पर तकनीकी समझौता

5. मॉरीशस के वित्तीय अपराध आयोग और भारत के प्रवर्तन निदेशालय के बीच समझौता ज्ञापन

6. मॉरीशस के उद्योग, एसएमई और सहकारिता मंत्रालय तथा भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के बीच सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन

7. मॉरीशस के लोक सेवा और प्रशासनिक सुधार मंत्रालय तथा भारत के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के बीच लोक अधिकारियों के प्रशिक्षण पर समझौता ज्ञापन

8. भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और मॉरीशस के प्रधान मंत्री कार्यालय के महाद्वीपीय शेल्फ, समुद्री क्षेत्र प्रशासन और अन्वेषण विभाग के बीच समझौता ज्ञापन

पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक का ठीकरा भारत पर फोड़ा, शहबाज के सलाहकार ने उगला जहर

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पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मंगलवार को बलूच विद्रोहियों ने एक यात्री ट्रेन को हाईजैक कर लिया, जिसमें 500 से अधिक लोग सवार थे। अब पाकिस्तान ने ट्रेन हाईजैक का ठीकरा भारत पर फोड़ा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने ट्रेन हाईजैक को लेकर भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

पाकिस्तान, जो आतंकवादियों का सबसे सुरक्षित पनाहगाह है, जहां दर्जनों आतंकी संगठन फल-फूल रहे हैं, उसने भारत के खिलाफ हमेसा से जहर उगला है। अब जबकि पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक की जिम्मेदारी खुद बलूट विद्रोही ले चुके हैं, शहबाज शरीफ के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने कहा है कि ट्रेन अपहरण कांड के पीछे भारत के हाथ हैं।

राणा सनाउल्लाह ने डॉन से बात करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान के अंदर से भारत इन्हें ऑपरेट कर रहा है। राणा सनाउल्लाह से डॉन के एंकर ने पूछा था कि क्या अफगानिस्तान के अंदर तहरीक-ए-तालिबान से बलूचों को मदद मिलती है, क्या इनके आपस में संबंध हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए राणा सनाउल्लाह ने कहा कि ये इंडिया कर रहा है। इसमें कोई शक नहीं है। और उसके बाद उन्हें सेफ हेवन अफगानिस्तान में मिला है।

राणा सनाउल्लाह ने आरोप लगाते हुए कहा कि हां, भारत दोनों (टीटीपी और बीएलए) का समर्थन कर रहा है और उनके पास अफगानिस्तान जैसा सुरक्षित ठिकाना है। अफगानिस्तान में घात लगाने की सुविधा होने के कारण उनके ऑपरेशन बढ़ गए हैं। तालिबान के सत्ता में आने से पहले ये घात लगाने की सुविधा उनके पास नहीं थी। हमने अफगानिस्तान को सरकार के स्तर पर कहा है कि वह यह सब बंद करे, नहीं तो हम वहां आकर इन घात लगाने वालों को निशाना बनाएंगे।

मंगलवार को एक सुरंग में बलूच आतंकवादियों की ओर से एक यात्री ट्रेन पर हमला किया गया। नौ डिब्बों में लगभग 500 यात्रियों को लेकर जफर एक्सप्रेस ट्रेन क्वेटा से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही थी। इसी दौरान हमला किया गया। जिनमें से सामान्य नागरिकों, महिलाओं और बच्चों को रिहा कर दिया गया है और पाकिस्तानी सेना के जवानों, खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों और पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों-कर्मचारियों को बंधक बनाकर रखा गया है। सुरक्षा बलों ने अभी तक 16 विद्रोहियों को मारने का दावा किया है, जबकि बलूचों ने 30 से ज्यादा पाकिस्तानी सेना के जवानों को मारने का दावा किया है। वहीं, बलूच विद्रोहियों ने 214 यात्रियों को बंधक बनाने का भी दावा किया है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस आने वाले हैं भारत, टैरिफ और इमिग्रेशन पर मचे हड़कंप के बीच दौरा कितना अहम?

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अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस जल्द भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उपराष्ट्रपति जे डी वेंस इस महीने के अंत में भारत की यात्रा कर सकते हैं। उनके साथ उनकी पत्नी अमेरिका की सेकंड लेडी उषा वेंस भी दौरे पर आएंगी। बता दें कि उषा वेंष भारतीय मूल की हैं।अमेरिका का उपराष्ट्रपति बनने के बाद जेडी वेंस की यह दूसरी विदेश यात्रा होगी। वेंस ने पिछले महीने फ्रांस और जर्मनी की अपनी पहली विदेश यात्रा की थी।

अमेरिकी मीडिया आउटलेट पॉलिटिको ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी है। पॉलिटिको की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वेंस अपनी पत्नी उषा वेंस के साथ इस महीने के अंत में भारत की यात्रा करेंगे। अखबार ने योजना की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है। भारत यात्रा के दौरान टैरिफ और आप्रवासन के मुद्दे पर बात हो सकती है।

इससे पहले पेरिस एआई एक्शन समिट के दौरान उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने अपने परिवार के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की थी। इस दौरान पीएम मोदी को उन्होंने दयालु बताया था। पीएम मोदी ने जेडी वेंस के बच्चों को उपहार भी दिया था।

बता दें कि जेडी वेंस की पत्नी उषा वेंस के माता-पिता कृष चिलुकुरी और लक्ष्मी चिलुकुरी 1970 के दशक के अंत में भारत से अमेरिका चले गए थे। ऐसे में उषा वेंस की अमेरिका की द्वितीय महिला के रूप में भारत की यह यात्रा अपने पैतृक देश की पहली यात्रा होगी। उषा और जेडी की मुलाकात येल लॉ स्कूल में पढ़ाई के दौरान हुई थी। उषा एक मुकदमेबाज हैं और उन्होंने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जॉन जी रॉबर्ट्स और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया सर्किट के तत्कालीन अमेरिकी अपील कोर्ट के जज ब्रेट कैवनौघ के लिए क्लर्क का काम भी किया है। उनके पास येल विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री भी है, जहाँ वे गेट्स कैम्ब्रिज स्कॉलर थीं।

*एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने केयर टुडे के साथ मिलकर मेगा रक्तदान अभियान का आयोजन किया*

लखनऊ । एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स अपने "लाइफ्स गुड व्हेन लाइफ्स शेयर्ड" नामक पैन इंडिया मेगा रक्तदान अभियान के माध्यम से समुदाय में एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह पहल स्वैच्छिक रक्तदान को प्रेरित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है और अब तक भारत भर में 50 से अधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जा चुका है। फरवरी 2025 में ही लगभग 5,000 पंजीकरण किए गए, जिसके परिणामस्वरूप 3,000 से अधिक रक्त यूनिट्स का दान हुआ। इस अभियान को युवाओं का व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ है, जिसमें छात्र, NSS सदस्य और यहां तक कि शिक्षकों ने भी इस नेक कार्य में सक्रिय रूप से भाग लिया है।

रक्तदान शिविर विभिन्न शहरों में आयोजित किए गए, जिनमें दिल्ली एनसीआर, राजस्थान, लुधियाना, चंडीगढ़, लखनऊ, रांची, सीकर, कोलकाता, मणिपाल, सूरत, राजकोट, अहमदाबाद और अन्य शहर शामिल हैं। यह शिविर मार्च 2025 तक आयोजित किए जाएंगे, ताकि यह पहल और भी अधिक समुदायों तक पहुंचे।

कुछ प्रमुख शैक्षिक संस्थान जिन्होंने इस अभियान का जबरदस्त समर्थन किया है, वे हैं:

- बीआईटीएस पिलानी

- चंडीगढ़ विश्वविद्यालय

- खालसा कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, मोहाली

- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी

- आलिया विश्वविद्यालय, कोलकाता

- हरिवंदना कॉलेज, राजकोट

- आईआईएमएसआर

- रामजस कॉलेज, दिल्ली

- नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (NUSRL), रांची

कैम्पस आधारित शिविरों के अतिरिक्त, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने सरकारी कार्यालयों में भी रक्तदान शिविरों का आयोजन किया है, जिनमें ITO कार्यालय और दिल्ली पुलिस मुख्यालय शामिल हैं।

महिला दिवस पर विशेष रक्तदान शिविर

समुदाय कल्याण के महत्व को और बढ़ावा देने के लिए, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स 8 मार्च 2025 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली के AIIMS में एक विशेष रक्तदान शिविर का आयोजन करेगा। यह कार्यक्रम एलजी इंडिया की निरंतर कोशिशों का हिस्सा है, जो लोगों को एक बड़ा उद्देश्य पाने के लिए रक्तदान करने के लिए प्रेरित करता है।

रक्तदान के प्रति जागरूकता अभियान

रक्तदान शिविरों के साथ-साथ, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स एक व्यापक जागरूकता अभियान भी चला रहा है, जिसका उद्देश्य लोगों को रक्तदान के महत्व के बारे में शिक्षित करना है। इसमें रेडियो, डिजिटल मीडिया, पोस्टर, बैनर और सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से कॉलेजों और संस्थानों के साथ सहयोग किया जा रहा है। इसका लक्ष्य लोगों को रक्तदान के जीवनरक्षक प्रभाव के बारे में जागरूक करना और स्वैच्छिक भागीदारी को बढ़ावा देना है।

समर्पित माइक्रोसाइट के माध्यम से आसान भागीदारी

भागीदारी की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने एक समर्पित माइक्रोसाइट लॉन्च किया है: [https://lg-india.com/blood-donation/](https://lg-india.com/blood-donation/)। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोग:

- इस कारण के लिए अपना समर्थन पंजीकृत कर सकते हैं

- आगामी रक्तदान शिविरों के लिए पंजीकरण कर सकते हैं

- अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं

- शिविरों के स्थान और दाता दिशानिर्देशों पर अपडेट प्राप्त कर सकते हैं

यह सीएसआर पहल, केयर टुडे फंड के साथ साझेदारी में, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की सामाजिक जिम्मेदारी और स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।