पोषण भी पढ़ाई भी" ईसीसीई नई पाठयक्रम की रूपरेखा विषयक पर 2 दिसंबर से 21 दिसंबर तक दिए जाएंगे प्रशिक्षण
 
  
 
हज़ारीबाग : पोषण भी पढ़ाई भी ईसीसीई नई पाठयक्रम की रूपरेखा विषयक पर दिनांक-02.12.2024 से 21.12.2024 तक सुबह 10 से 5 बजे तक प्रशिक्षण का आयोजन सूचना भवन, हजारीबाग में किया जा रहा है। प्रशिक्षण का शुभांरभ जिला समाज कल्याण पदाधिकारी शिप्रा सिन्हा द्वारा किया गया है। प्रत्येक 6 बैच में 100-100 आँगनबाड़ी सेविकाआ को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें कुल 600 आँगनबाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षित किया जाना है। 
प्रांरभिक बचपन की शिक्षा एवं पोषण में सुधार के उद्देश्य से पोषण भी पढ़ाई भी अभियान की शुरूआत की गई है। इस अवसर पर आँगनबाड़ी सेविकाओं को स्कूल पूर्व शिक्षा के दौरान तमाम जानकारियाँ प्रदान की जा रही है, जैसे सेविकाओं को पोषण ट्रैकर एप्प म लाभुकों को शत्-प्रतिशत प्रविष्टि, आधार सत्यापन, आधारभूत संरचना की प्रविष्टि, कम जगह में पोषण वाटिका का निर्माण, केन्द्रों की साफ-सफाई, बच्चों के प्रांरभिक बाल्यवस्था में देखभाल और शिक्षा तथा पोषण सेवा प्रदान करने में उनकी क्षमता का निर्माण किया जा सके। 
इस अवसर पर निपसीड, लखनऊ से प्रशिक्षण प्राप्त मास्टर प्रशिक्षकों के द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस अभियान के तहत शून्य से 6 वर्ष वर्ग तक के बच्चें को केन्द्रित किया जा रहा है। अभियान के तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति साक्षरता और संख्यात्मक कौशल में एक मजबूत नींव विकसित बुनियादी तोर पर किये जाने को लेकर प्राथमिकता तय की गई है। इसके लिए बेहत्तर बुनियादी ढ़ांचे के साथ आँगनबाड़ी केन्द्रों को भी से ब्रांडिग करना, आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों और सहायकों को बाल देखभाल कार्यकर्ताओं के रूप में नामित करना, तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए शिशु गृह सुविधाएँ प्रदान करना, विभिन्न मॉडलों में एक सामान्य पाठ्यक्रम विकसित करना और बच्चे की मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया जाना है। साथ ही बताना है कि आँगनबाडी केन्द्र बाल दखभाल सुविधओं के अलावा सरकार और ग्रामीण समुदायों के बीच एक आवश्यक कड़ी के रूप में काम करती है।
 विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं एवं 6 वर्ष के कम उम्र के बच्चों को इससे जोड़ा गया है। आँगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से गावों में रहनेवाली महिलाओं और बच्चों को मौलिक स्वास्थ्य देखभाल, पोषण और प्रांरभिक बचपन की शिक्षा सेवाएँ प्रदान करना है। प्रार्थामक बाल संरक्षण और शिक्षा के तहत प्राथमिक स्कूल के लिए बच्चों को तैयारो से आग जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चे के सामाजिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और शारीरिक आवश्यकताओं का समग्र विकास है। इस अभियान के तहत संकल्प 4.2 का लक्ष्य 2030 तक सभी बालक-बालिकाओं को गुणवत्ता युक्त प्राथमिक बाल विकास, देखभाल और पूर्व प्राथमिक शिक्षा की पहुंच प्रदान करना है।
 इस अवसर पर मुख्य रूप से अनुभा श्वेता होरो सहित अन्य महिला पर्यवेक्षिकाएँ शामिल है।
Dec 09 2024, 15:58
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
3.1k