नहाय खाय के साथ आज से छठ महापर्व शुरू, जानें पर्व की महिमा
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। आज से नहाय खाय के साथ छठ महापर्व शुरू हो चुका है। हर साल छठ पर्व और भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार छठ का महापर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है। इस खास मौके पर छठी मैया की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
छठ पूजा के दौरान चार दिनों तक सूर्य देव की विशेष पूजा करने की परंपरा है। सेवा के दौरान साफ-सफाई और पवित्रता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।पंचांग के अनुसार, छठ पूजा के पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है। वहीं, इस त्योहार का समापन सप्तमी तिथि पर होता है। ऐसे में छठ महापर्व 05 नवंबर से लेकर 08 नवंबर तक मनाया जाएगा।
छठ पूजा की शुरुआत दिवाली के बाद कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि से होती है।
यह सूर्य देव को समर्पित विशेष पर्व है। इस दौरान श्रद्धालु अपने प्रियजनों की सुख, समृद्धि और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करते हैं। छठ पूजा के शुभ अवसर पर सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा, प्रत्युषा की विधिपूर्वक उपासना करने का विधान है। मान्यता है कि पूजा करने से जातक को छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है। सनातन शास्त्रों छठी मैया को संतानों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। इसलिए छठ पूजा के दिन छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व है।सुन ल अरजिया हमार, हे छठी मैया...के गीत गाकर मंगलवार से सूर्योपासना का महापर्व कार्तिक छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय से शुरू होगा। पहले दिन छठ व्रती महिलाएं गंगा में स्नान करेंगी। इसके बाद लोहंडा खरना पर पूरे दिन उपवास कर शाम में सूर्य देव की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी। बृहस्पतिवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आयु-आरोग्यता, यश, संपदा का आशीष लेते हुए पर्व का समापन होगा। खरना कार्तिक शुक्ल पंचमी तिथि बुधवार को सर्वार्थ सिद्ध योग में होगा। व्रत का समापन धनिष्ठा नक्षत्र में होगा।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पर्व में सूर्योपासना से छठी माता प्रसन्न होती हैं। परिवार में सुख, शांति और धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। सूर्य देव के प्रिय तिथि पर पूजा, अनुष्ठान से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। इनकी उपासना से रोग, कष्ट, शत्रु का नाश, सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आचार्य शरद पांडेय ने बताया कि धृति योग, जयद योग और रवि योग में व्रती नहाय-खाय करेंगे। इस दिन गंगा में स्नान कर पवित्रता से तैयार प्रसाद स्वरूप अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवले की चटनी ग्रहण कर अनुष्ठान आरंभ करेंगे। इस दिन गेहूं को गंगाजल से धोने के बाद सूखाया जाएगा। गेहूं में कोई पक्षी, कीड़े का स्पर्श न हो, इसके लिए व्रती व स्वजन पारंपरिक गीत गाते हुए रखवाली करेंगे।
Nov 05 2024, 17:37