भदोही में आस्था संग पूजे गए चित्रगुप्त सुख-समृद्धि की मंगल कामना
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। चित्रगुप्त पूजा 3 नवंबर को मनाया जा रहा है। हालांकि इस संबंध में अब तक यही माना जाता रहा है कि दीपावली के एक दिन के बाद चित्रगुप्त पूजा मनाया जाता है, लेकिन इस बार उदय तिथि में कार्तिक शुक्लपक्ष यम द्वितीया 3 नवंबर को है इसलिए रविवार को चित्रगुप्त पूजा के साथ-साथ भैया दूज भी मनाई जा रही है।
कायस्थ समाज द्वारा रविवार को भगवान चित्रगुप्त का विधि-विधान से पूजन अर्चन कर सुख व समृद्धि की कामना की गई। मान्यता है कि कायस्थ समाज के लोग भैया- दूज के दिन कलम- दवात का पूजन कर भगवान चित्रगुप्त का विधि- विधान से पूजन करते हैं। इससे पूरे वर्ष तक सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। नगर के बालीपुर में
मनोज अम्बष्ट के आवास पर सुबह से ही पूजन अर्चन की तैयारी शुरू हो गई थी।
पूजा में जुटे बड़ी संख्या में समाज की महिला- पुरुष श्रद्धालुओं ने पूजन-अर्चन किया। इस दौरान उमड़ी भीड़ ने हवन यज्ञ भी किया।धर्मग्रंथों के अनुसार जब सृष्टि की रचना हुई तो कुछ ही वर्षों के बाद यमराज ब्रह्मा जी के पास पहुंच गए और उनसे कहा कि प्रभु सृष्टि के सभी लोगों के कर्म का हिसाब रखना मेरे वश की बात नहीं है। यह काम हमसे मत करवाइए। आपने स्वर्ग और नरक का निर्माण कर दिया है, लेकिन किन लोगों को स्वर्ग और किन को नर्क भेजना है, इस बात की गलती मुझसे हो जाती है। इसलिए इसका कोई मार्ग निकालें ताकि पुण्य करने वाले लोगों को स्वर्ग भेजा सके और पाप करने वालों को नर्क भेजा जा सके। ब्रह्मा जी ने कहा कि रुको मुझे सोचने दो, यह कहकर वह ध्यान में चले गए। और इस तरह ब्रह्मा जी 11,000 साल तक ध्यान में रहे। उसके बाद जब उन्होंने आंख खोल तो सामने में चित्रगुप्त महाराज खड़े थे। ब्रह्मा जी ने चित्रगुप्त भगवान् से पूछा कि कौन हो तुम? तब चित्रगुप्त भगवान ने कहा कि आप ही के काया से मेरा जन्म हुआ है। आप ही ने मुझे बुलाया है। मैं आपका पुत्र हूं और आपके आदेश के पालन के लिए मैं यहां खड़ा हूं। तभी ब्रम्हा जी ने कहा कि जब मेरे ही काया से तुम्हारा जन्म हुआ है, तब तुम आज से कायस्थ तुम्हारी संज्ञा है और पृथ्वी पर तुम चित्रगुप्त के नाम से विख्यात होगे गौड़, माथुर, भटनागर, सेनक, अस्ठाना, श्रीवास्तव, अम्बष्ठ और कर्ण आदि उनके पुत्र हुए।
Nov 03 2024, 16:59