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*भदोही में जेसीबी संचालकों का कलेक्ट्रेट पर धरना:डीएम को सौंपा ज्ञापन, बोले-हम भुखमरी के कगार पर हैं*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही जिले के जेसीबी संचालकों ने आज कलेक्ट्रेट पर पहुंचकर धरना दिया। जिला अधिकारी को ज्ञापन शौप कर बेरोजगारी और भुखमरी से निजात दिलाने की मांग किया। कलेक्ट्रेट पहुंचे जेसीबी संचालकों ने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि हम सभी लोग बेरोजगारी को देखकर जीविकोपार्जन के लिए बैंक द्वारा कर्ज लेकर जेसीबी मशीन खरीदा था। जेसीबी मशीन से कृषी कार्य हेतु जमीन को समतल एवं मिट्टी निकाल कर किसान के घर बनवाने का कार्य करते हैं। जिससे हुई इनकम हम लोगों का परिवार का भरण पोषण चलता है और जेसीबी का ऋण भी अदा करते हैं। लेकिन खनन अधिकारी द्वारा पिछले दो माह से जेसीबी मशीन नहीं चलने दिया जा रहा है । हम लोग भुखमरी के कगार पर आ चुके हैं और बैंक कर्मी द्वारा जेसीबी का किस्त ना दिये जाने पर परेशान किया जा रहा है । अब हम लोगों के पास कोई मार्ग नहीं दिखाई दे रहा है जिससे हम लोगों का रोजगार चल सके। जेसीबी संचालकों ने डीएम से समस्या से निजात पाने व रोजगार के लिए ठोस कदम उठाने की मांग किया।

इस अवसर पर मुनीब कुमार ,विकास यादव, जेपी गुप्ता ,हरिओम ,अनिल कुमार ,गोवर्धन ,माधव यादव, महेंद्र, संतोष सिंह ,राजेंद्र कुमार ,जेपी यादव सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
*आत्महत्या करने वालों में 65 फीसदी युवा-* *सामाजिक और कैरियर के दबाव को नहीं झेल पा रहे युवा*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिले में हर महीने आठ से सात आत्महत्या के प्रकरण सामने आ रहे हैं। इससे भी गंभीर बात यह है कि आत्महत्या करने वालों में 65 फीसदी 25 से 40 के बीच के युवाओं की है। कालीन नगरी में जनवरी से लेकर अब तक 69 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। जिसमें 47 लोग ऐसे शामिल रहे हैं। जिनकी उम्र 25 से 40 के बीच या उससे भी कम रही है। मनोवैज्ञानिक के अनुसार बदलती जीवनशैली में सामंजस्य स्थापित न कर पाने और बढ़ते दबाव के कारण युवा ऐसा कदम उठा रहे हैं। आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं समाज के लिए चिंता का सबब बनती रही है। खासतौर से किशोर व युवा वर्ग में इस प्रवृत्ति को बदलती जीवनशैली, सोशल मीडिया के गहरे लगाव और अपनों से दूरी को कारण मान जा रहा है। जिले में साल दर साल आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही है। वर्ष 2021 में 76 घटनाएं सामने आई थी तो वर्ष 2022 में यह संख्या बढ़कर 84 हो गई। वर्ष 2023 में भी 92 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। इस साल अब तक 69 मामले आ चुके हैं। इसमें भी युवाओं द्वारा आत्महत्या जैसे कदम उठाना खतरानाक बनता जा रहा है। मनोवैज्ञानिक के अनुसार वर्तमान दौर में युवा वर्ग में आत्मविश्वास और धैर्य की कमी आ गई है। वे जल्द ही सफल होना चाहते हैं।‌ सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म उन्हें खुद को दूसरे से कमतर आंकने को प्रोत्साहित कर रहे हैं। जिससे किसी कठिन परिस्थिति में वे टूट जाते हैं और खतरनाक कदम उठा लेते हैं।




आत्महत्या अचानक से उठाया गया कदम नहीं: डॉ अभिनव जिला अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के डाॅ अभिनव पांडेय बताते हैं कि प्रकोष्ठ की ओर से मानसिक स्वास्थ्य को लेकर तरह - तरह के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। फिलहाल औसतन हर दिन 15 से 20 लोग मानसिक सेहत का उपचार कराने आते हैं। युवाओं में बढ़ते आत्महत्या की प्रवृत्ति को लेकर उनका कहना है कैरियर और समाज का दबाव उन्हें मानसिक अवसाद की राह पर ढकेल रहा है। बताया कि आत्महत्या अचानक से उठाया जाने वाला कदम नहीं है। इससे पहले व्यक्ति क‌ई दिनों तक ऐसे हालात से गुजरता है, जिसमें उसे खुद का जीना मुश्किल लगता है। समय रहते इसकी पहचान करना जरूरी है।
*जिले को 400 हेक्टेयर आलू की खेती का मिला लक्ष्य धान की रोपाई नहीं कर सके किसान उठा सकते हैं आलू की खेती का फायदा*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जून - जुलाई में अच्छी बारिश न होने के कारण किसानों का एक तबका धान की रोपाई नहीं कर सका है। जिससे किसानों के खेत खाली पड़े हैं। ऐसे किसान धान की भरपाई का नुकसान अगैती आलू की खेती कर सकते हैं। आलू बीज का शोधन करके बोआई करने से फसल की पैदावार बेहतर होगी। इस साल जिले को करीब 400 हेक्टेयर में आलू की खेती का लक्ष्य मिला है। इस साल जिले में लक्ष्य के सापेक्ष काफी कम बारिश हुई। जून में 108 और जुलाई में 283 एम‌एम औसत बारिश होती है। लेकिन इस साल जून में केवल 45 एमएम और जुलाई में 165 एमएम बारिश हुई थी। वहीं अगस्त महीने में औसत 286 एस‌एम से करीब 24 एम‌एम बारिश अधिक 309.8 एम‌एम बारिश हुई है। इस साल तीन महीनों में औसतन 677.1 एम‌एम के सापेक्ष केवल 519 एम‌एम बारिश हो सकी है। औसत से कम बारिश होने के कारण किसानों का एक तबका धान की रोपाई नहीं कर सका है। जिससे उसके खेत खाली है। अब खाली पड़े खेत में किसान आलू की खेती कर सकते हैं। किसान उद्यान विभाग से शोधित आलू बीज प्राप्त कर सकते हैं। बीते साल 50 क्विंटल आलू के बीच बांटे गए थे। इस साल शासन से लक्ष्य नहीं मिला है। आलू खेती के पूर्व किसान बीज शोधन जरुर करें। इससे फसल का पैदावार उत्तम होता है। इससे किसानों की आमदनी बेहतर होंगी। शोधित बीज फसल को क‌ई बीमारियों से बचाता है।


सितंबर अंत या अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में किसान आलू की बोआई कर सकते हैं। अगैती आलू की खेती कर किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। ममता सिंह यादव जिला उद्यान अधिकारी
*10 दिन में दो हादसे 11 बच्चे घातक, फिर भी दौड़ रही खराट स्कूली बसें*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में बीते 10 दिनों में दो स्कूली बसें पलट चुकी है। इन घटनाओं में 11 मायूस घायल हो चुके हैं। लेकिन इससे बाद भी सड़क पर निलंबित बसें फर्राटा भर रही है। एक के एक बाद एक हादसे होने के बाद भी न तो स्कूल संचालक चेत रहे हैं और नचु ही परिवहन विभाग फिटनेस फेल 100 स्कूली वाहनों से बच्चों को ढोया जा रहा है। जिले में करीब 80 से अधिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां स्कूलों में बच्चों को लाने - ले जाने के लिए बसें अथवा वैन संचालित होते हैं। यह सुविधा भले ही अभिभावकों को राहत पहुंचाने के लिए है, लेकिन स्कूल प्रबंधन की लापरवाही अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बन गया है। परिवहन विभाग की ओर से माह भर पूर्व फिटनेस न कराने वाली 122 छोटी और बड़ी स्कूली बसों का पंजीयन निलंबित कर दिया था। मियाद पूरी चुकी खटारा बसों बसों में भी आए घटना की संभावना बनी रहती है। 122 स्कूलों बसों और वाहनों के फिटनेस फेल होने के उनके पंजीयन निलंबित किए जा चुके हैं। इसमें 22 बसों ने फिटनेस करा लिया है।

वाहनों का नंबर सार्वजनिक किया गया है। अगर किसी भी बस से जान-माल का खतरा होगा तो स्कूल संचालक के खिलाफ हत्या का मुकदमा के खिलाफ हत्या का मुकदमा कराया जाएगा। कुछ स्कूल नजर में है जिनके संचालन पर कार्रवाई हो सकती है। राम सिंह एआरटीओ
*पीएम सम्मान निधि के 16 हजार किसानों का होगा सत्यापन 546 ग्राम पंचायत में होगा डिजिटल सर्वे, सर्वेयर तैयार*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में प्रधानमंत्री आवास प्लस ( ग्रामीण) योजना के तहत न‌ए सिरे से सर्वे की तैयारी है। इसके 546 ग्राम पंचायतों में एक-एक सर्वेयर लगाए गए हैं। वर्ष 2024-25 में न‌‌ए डिजिटल सर्वे के आधार पर पात्रों को प्रधानमंत्री आवास प्लस योजना का लाभ दिया जाएगा। जिले में 2016 से लेकर अब तक करीब 39 हजार पात्रों को योजना का लाभ दिया जा चुका है। अब छुटे हुए पात्रों के चयन की तैयारी शुरू कर दी गई है। न‌ए सर्वे के आधार पर जनपद में 2028-29 तक पात्रों को आवास आवंटन किए जाएंगे। अब तक 2018 की सर्वे सूची के आधार पर पात्रों पीएम आवास योजना का लाभ दिया जा रहा था। सर्वे का डेटा आवास प्लस एप पर अपलोड रहेगा। प्रत्येक गांव से एक शिकायत रजिस्टर होगी। इस रजिस्टर को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण लाभार्थी चयन - 2024 रजिस्टर नाम दिया गया है। रजिस्टर बनाने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत सचिव को दी गई है। परियोजना निदेशक डीआरडीए आदित्य कुमार ने बताया कि चयन से जुड़ी सभी प्रकिया रजिस्टर में दर्ज की जाएगी। संबंधित गांव के बीडीओ रजिस्टर देखेंगे,जो भी प्रार्थना - पत्र प्राप्त होंगे, उसकी अलग पत्रावली बनाकर निस्तारित किया आएगा। वहीं वर्तमान में सर्वेयरों को ब्लॉक स्तर पर ट्रेनिंग दी जा रही आयोजन करके ग्रामीणों को योजना के बारे में जानकारी दी जा रही है। उन्हें शासन की ओर से जारी किए गए मानक के बारे में भी अवगत कराया जा रहा है। सर्वे के बाद पात्रता सूची जारी की जाएगी, इसी आधार पर शासन की ओर से जिला ग्राम्य विकास अभिकरण को प्रधानमंत्री आवास प्लस योजना के तहत आवास आवंटित करने का लक्ष्य दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिले में अब तक योजना का लाभ 38 हजार 795 पात्रों ने लिया है।
*जिले के हर ब्लाॅक में बनेगा स्टेडियम* *युवा कल्याण विभाग की ओर से तैयार किया गया प्रस्ताव*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले के प्रत्येक ब्लाॅक में खेल को बढ़ावा देने के लिए स्टेडियम बनाएं जाएंगे। इसके लिए भूमि की तलाश शुरू कर दी गई है। जिलाधिकारी ने संबंधित एसडीएम को जमीन की तलाश कर युवा कल्याण विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। एक स्टेडियम के लिए तीन एकड़ भूमि की जरूरत होगी। ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाएं निखर सके और उन्हें प्रैक्टिस के अधिक मौके मिल सके। इसके लिए शासन स्तर से तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। प्रत्येक गांवों में खेल मैदान के साथ -साथ ब्लाॅक व जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है। जिससे युवा प्रतिभाओं में निखर आता है। क‌ई बार संसाधन न मिलने के कारण प्रतिभाएं दम तोड़ देती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब इस दिशा में शासन की ओर से विशेष पहल करते हुए ब्लाॅक में स्टेडियम का निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिसके लिए तीन - तीन एकड़ भूमि की जरूरत है। स्टेडियम के लिए जमीन चिह्नित किए जाने के बाद विभाग की आगे की प्रक्रिया पर कदम बढ़ाएगा।


जिला युवा कल्याण अधिकारी दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि डीघ ब्लाॅक के चकमांधाता गांव में मिनी स्टेडियम है। इसके अलावा ज्ञानपुर, भदोही, सुरियावां,औराई,व अभोली ब्लॉक में स्टेडियम के निर्माण का प्रस्ताव तैयार कर जिलाधिकारी को भेज दिया गया है। जहां से संबंधित एसडीएम के माध्यम से जमीन की तलाश की जा रही है।
*गांजा तस्कर का वाहन छोड़ने में एस‌ओजी- ऊंज थाना प्रभारी निलंबित*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। हाईवे पर गांजा तस्करी के वाहन को छोड़ने के मामले में आखिरकार ऊंज थाना प्रभारी और एसओजी प्रभारी को पुलिस अधीक्षक डॉ. मीनाक्षी कात्यायन ने निलंबित कर दिया। दो दिन पूर्व पुलिस लाइन में समीक्षा बैठक के दौरान एडीजी के समक्ष शिकायत आने पर वह नाराज हो गईं। इसके बाद यह कार्रवाई की गई। उक्त कार्रवाई से पुलिस महकमें के साथ ही एसओजी टीम में खलबली मच गई।जिले में मादक पदार्थ की तस्करी के रोकथाम का दावा तो किया जाता है, लेकिन हाईवे से लेकर अन्य ग्रामीण मार्गों से प्रतिदिन कई वाहनों से गांजा की तस्करी की जाती है। करीब 10 से 12 दिन पूर्व हाईवे पर ऊंज थाना के समीप थाना प्रभारी राजेश प्रताप सिंह और एसओजी प्रभारी शाबान खान के नेतृत्व में कई क्विंटल अवैध गांजा लेकर जा रहे वाहन को पकड़ा गया। कुछ समय बाद एक फोन आने पर उसे छोड़ दिया गया। एडीजी पीयूष मोर्डिया पुलिस लाइन में बैठक ले रहे थे।उसी दौरान पुलिस महकमें से ही कुछ प्रभारी निरीक्षकों ने शिकायत दर्ज कराई। इसे लेकर एडीजी नाराज हो गए। उन्होंने पुलिस अधीक्षक के खिलाफ नाराजगी जताई और लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। एसपी ने प्रभारी निरीक्षक ऊंज राजेश प्रताप सिंह और एसओजी प्रभारी शाबान खान को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। माना जा रहा है कि जल्द ही प्रकरण में एसओजी की पूरी टीम पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। पहले भी विवादों में रहे एसओजी प्रभारी एसओजी टीम पहली बार चर्चा में नहीं है। कुछ को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर प्रभारियों पर दाग लगते रहे हैं। पूर्व प्रभारी विनोद दूबे पर जहां कार्रवाई की गाज गिरी, वहीं अब शबान खान नप गए। शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए पूर्व एसपी डॉ. अनिल कुमार ने शाबान खान समेत एसओजी टीम के कई पुलिसकर्मियों को पूर्व में हटा दिया था, लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद फिर पूरी टीम वहीं आ गई। दो से ढाई साल में शाबान को तीन बार प्रभार दिया गया। अब सवाल यह है कि जिनके दामन पहले से ही दागदार हैं उन्हें बार-बार जिम्मेदारी क्यों सौंपी गई।
*1533 टीमें घर-घर ढूढेंगी टीबी मरीज*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में 11 दिवसीय सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान की शुरुआत आज यानी सोमवार से हो जाएगी। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत घर-घर संदिग्ध टीबी मरीजों की पहचान के लिए 1533 टीमें लगाई गई हैं। जिलाधिकारी विशाल सिंह अभियान को लेकर बेहद सजग हैं। उन्होंने अभियान में किसी भी तरह की लापरवाही न बरतने के निर्देश दिए हैं। डीएम के निर्देश के बाद स्वास्थ्य महकमा अलर्ट मोड में है। टीबी अभियान में 1350 आशा, 183 एएनएम की टीम लगी हैं। इनकी निगरानी के लिए छह पर्वेक्षक भी लगाए गए हैं जो हर दिन रिपोर्ट सीएचसी अधीक्षक को भेजेंगे। सीएमओ डॉ. एसके चक ने बताया कि 11 दिवसीय अभियान के दौरान घर-घर स्वास्थ्यकर्मी पहुंच कर टीबी मरीजो की पहचान करेंगे। मरीजों में लक्षण मिलने पर जांच कर दवा उपलब्ध कराई जाएगी।

सीएमओ ने बताया कि अभियान के लिए स्वास्थ्यकर्मी को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। टीबी एक जटिल बीमारी है। समय रहते पहचान होने पर इसका उपचार आसानी से किया जा सकता है। बताया कि टीबी की पहचान होने पर मरीजों को हर महीने 500 रुपये पौष्टिक आहार के लिए दिया जाता है।
*3.92 करोड़ से 50 अन्नपूर्णा भवन तैयार, होंगे लोकार्पित*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले की 50 ग्राम पंचायतों में 3.92 लाख की लागत से अन्नपूर्णा मॉडल शॉप का भवन बनकर तैयार हो गए हैं। अब इन भवनों से कार्डधारकों को राशन का वितरण किया जाएगा। 2022 में चयनित 75 भवनों में 12 का संचालन पहले शुरू हो चुका है, जबकि शेष के लिए जमीन न मिलने से काम आगे नहीं बढ़ सका। मॉडल शॉप को सीएससी के रूप में भी विकसित किया जाना है। इससे कोटेदार राशन वितरित करने के साथ प्रमाणपत्र आदि भी बनाएंगे। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत जिले के छह ब्लॉकों में 75 अन्नपूर्णा उचित दर की दुकान (मॉडल शॉप) बनाई जानी हैं। 2022 में स्वीकृति मिलने के बाद जमीन का चयन किया गया। जिसके बाद मनरेगा से इन भवनों का निर्माण शुरू कराया गया। 7.84 लाख की लागत से बनने वाले मॉडल शाप के भवन में 12 कुछ माह पूर्व बन गए थे। इसे ग्राम पंचायतों को हैंडओवर कर दिया गया। अब 50 भवन को पूरा कर लिया गया है। नवरात्र से पहले इन भवनों को हैंडओवर करने की तैयारी में विभाग जुट गया है। उपायुक्त मनरेगा राजाराम ने बताया कि 50 मॉडल शॉप का निर्माण पूर्ण हो चुका है। इसे जल्द ही हैंडओवर किया जाएगा। जिले में मॉडल शॉप के लिए डीघ ब्लाॅक से 10, औराई से 15, अभोली से 5, सुरियावां से 15, भदोही से 15, ज्ञानपुर से 15 कोटे की दुकानों का चयन किया गया है। बताते चलें कि जिले में कुल 724 कोटे की दुकानें हैं। इसमें 2.97 लाख कार्डधारक राशन लेते हैं। कोटेदार बदलेंगे, लेकिन नहीं बदलेगी दुकान राशन वितरण की व्यवस्था अभी तक कोटेदार घरों से करते थे। कोटेदार के बदलने पर दुकान भी बदल जाती थी पर अब ऐसा नहीं होगा। राशन वितरण कोटेदार के घर न होकर अब मॉडल शॉप से होगा। सरकारी राशन गोदाम से सीधे मॉडल शॉप पर पहुंचेगा। कोटेदार बदलते रहेंगे, लेकिन दुकान नहीं बदलेगी। यहां दुकानों पर तेल, नमक, साबुन समेत अन्य सामग्री की भी बिक्री होगी। सीएससी सेंटर के रूप में विकसित होने के कारण इन भवनों में ऑनलाइन कार्यों का भी संचालन होना है।
*गोपीगंज सीएचसी पर 14 साल से हड्डी के चिकित्सक नहीं*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले के सबसे अधिक ओपीडी वाले गोपीगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर हड्डी के डाॅक्टर न होने से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। हाईवे पर होने के कारण यहां दुर्घटना के अधिक मामले पहुंचते हैं। हड्डी विशेषज्ञ के न होने के कारण मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है। यहां 14 साल पहले 2010 में आखिरी बार हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती हुई थी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोपीगंज जिले का सबसे अधिक ओपीडी वाला सीएचसी है। यहां हर दिन 400 से 500 मरीजों का उपचार होता है। वहीं वाराणसी - प्रयागराज हाईवे पर होने के कारण हाईवे पर होने वाली सड़क दुघर्टनाओं में सबसे अधिक मामले वहां पहुंचते हैं। गोपीगंज सीएचसी से पश्चिमी छोर पर प्रयागराज की सीमा के पास ऊंज और पूर्वी छोर पर लालानगर पटेल प्लाजा तक होने वाली सड़क दुघर्टना के घायल मरीजों को पहुंचाया जाता है। वहीं दक्षिणी छोर की बात करें तो धनतुलसी तक के घायल मरीज अस्पताल पहुंचाए जाते हैं। जहां उनका उपचार होता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां हर महीने आने वाले 80 से 90 दुघर्टना के मामलों में 60 फीसदी तक मरीजों को रेफर कर दिया जाता है।‌


अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ की जरूरत है। इसके लिए समय-समय पर पत्र भी लिखा जाता है। कोई ज्यादा गंभीर है तो रेफर करना हमारी मजबूरी है। डॉ आशुतोष पाण्डेय सीएचसी अधीक्षक गोपीगंज