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भाजपा ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए 25 सूत्री चुनावी घोषणापत्र जारी किया

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर भाजपा प्रमुख रविंदर रैना और पार्टी के अन्य नेता भी मौजूद थे। घोषणापत्र जारी करते हुए अमित शाह ने कहा, "आजादी के बाद से ही जम्मू-कश्मीर का मुद्दा हमारी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण रहा है और हमने हमेशा इस क्षेत्र को भारत के साथ रखने की कोशिश की है।"

उन्होंने कहा, "पंडित प्रेम नाथ डोगरा के संघर्ष से लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान तक, इस संघर्ष को पहले जनसंघ और फिर भाजपा ने आगे बढ़ाया, क्योंकि हमारा मानना ​​है कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है और रहेगा।" केंद्रीय गृह मंत्री ने क्षेत्र में आतंकवाद और अलगाववाद के दीर्घकालिक मुद्दों पर भी बात की और कहा कि जम्मू-कश्मीर को 2014 तक विभिन्न राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं द्वारा अस्थिरता का सामना करना पड़ा। अन्य सभी सरकारों ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति से निपटने के लिए तुष्टिकरण की राजनीति की। हालांकि, जब भी भारत और जम्मू-कश्मीर का इतिहास लिखा जाएगा, तो 2014 से 2024 के बीच का समय सुनहरे शब्दों में लिखा जाएगा," शाह ने कहा।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणापत्र और उसके सहयोगी कांग्रेस के "मूक समर्थन" पर निशाना साधते हुए, अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 "इतिहास बन चुका है, यह कभी वापस नहीं आएगा और हम ऐसा नहीं होने देंगे।" "अनुच्छेद 370 वह चीज थी जिसने युवाओं के हाथों में हथियार और पत्थर दिए..." भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में सत्ता में आने पर 'माँ सम्मान योजना' के तहत हर परिवार की सबसे बड़ी महिला को प्रति वर्ष ₹18,000 देने का वादा किया है। "हम उज्ज्वला योजना के तहत प्रति वर्ष दो मुफ्त सिलेंडर देंगे। प्रगति शिक्षा योजना के तहत, हम कॉलेज के छात्रों को प्रति वर्ष यात्रा भत्ते के रूप में ₹3,000 प्रदान करेंगे।" शाह ने कहा कि भाजपा जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का पूरी तरह सफाया सुनिश्चित करेगी।

गृह मंत्री ने क्षेत्र में आतंकवाद के उदय में शामिल लोगों की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक श्वेत पत्र लाने का भी वादा किया। भाजपा के 25 सूत्री घोषणापत्र के अनुसार, दूरदराज के क्षेत्रों में छात्रों को टैबलेट या लैपटॉप मिलेंगे, जबकि कॉलेज के छात्रों को प्रगति शिक्षा योजना के तहत 3,000 रुपये वार्षिक यात्रा भत्ता मिलेगा। जम्मू शहर में आईटी के लिए एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड), श्रीनगर में एक मनोरंजन पार्क और गुलमर्ग और पहलगाम को आधुनिक पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करना केंद्र शासित प्रदेश में आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के विकास के प्रमुख तत्व होंगे।

पार्टी का लक्ष्य जम्मू में तवी रिवरफ्रंट को अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट की तर्ज पर विकसित करना और श्रीनगर में डल झील के आसपास जल क्रीड़ा और पर्यटन को बढ़ावा देना है। छोटे व्यापारियों और एमएसएमई के लिए, भाजपा ने भूमि पहुंच, उपयोगिता सेवाओं और लीज डीड के आसपास मौजूदा मुद्दों को हल करने का संकल्प लिया है। इन उपायों से स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा मिलने और आर्थिक विकास को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

घोषणापत्र में बकाया बिजली और पानी के बिलों से राहत, पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना के तहत मुफ़्त बिजली और ‘हर घर नल से जल’ योजना के ज़रिए पीने का पानी देने का वादा किया गया है। इसके अलावा, भाजपा ने बुज़ुर्गों, विधवाओं और विकलांगों के लिए पेंशन को तीन गुना करने का वादा किया है, जो ₹1,000 से बढ़कर ₹3,000 हो जाएगा, ताकि कमज़ोर समूहों के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित हो सके।

भाजपा ने किसानों की सहायता के लिए विभिन्न उपायों की रूपरेखा तैयार की है, जिसमें पीएम किसान सम्मान निधि भुगतान में ₹4,000 की वृद्धि करना शामिल है, जिससे कुल वार्षिक लाभ ₹10,000 हो जाएगा। कृषि गतिविधियों के लिए बिजली शुल्क में 50% तक की कमी की जाएगी, और घोषणापत्र में ‘हर सुरंग तेज पहल’ योजना के तहत 10,000 किलोमीटर नई ग्रामीण सड़कें बनाने की योजना शामिल है, जिससे क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार होगा।

भाजपा ने टीका लाल टपलू विस्थापित समाज पुनर्वास योजना के तहत कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का भी वादा किया, साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) के शरणार्थियों और वाल्मीकि और गोरखा समुदायों जैसे आंतरिक रूप से उपेक्षित समूहों के लिए सहायता में तेजी लाने का भी वादा किया। जम्मू और कश्मीर से अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी बस्तियों को हटाने के लिए एक ठोस अभियान भाजपा की योजना में एक और प्राथमिकता है।

विनेश और बजरंग पुनिया कांग्रेस के लिए इतने जरूरी क्यों हुए, क्या हरियाणा विधानसभा तुनाव में मिलेगा लाभ?

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पहलवान विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। विनेश के साथ पहलवान बजरंग पूनिया ने भी “सियासी दंगल” में प्रवेश कर लिया। ओलंपिक में पदक से चूकने के बाद ही विनेश ने खेल से संन्यास की घोषणा कर दी थी। इसके बाद ही उनके और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया के राजनीतिक दंगल में उतरने की अटकलें शुरू हो गई थीं। आज कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही इस पर विराम लग गया।

दोनों खिलाड़ियों के कांग्रेस का हाथ थामने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल है कि भारत से कई खिलाड़ी ओलंपिक में गए हैं लेकिन कांग्रेस ने उनमें से केवल विनेश फोगाट और बजरंग पांजा को ही अधिक महत्व क्यों दिया? इन दोनों पहलवानों के आने से कांग्रेस को इस चुनाव में कितना फायदा मिलेगा? दूसरे शब्दों में कहें तो कांग्रेस में इन दोनों खिलाड़ियों के शामिल होने से बीजेपी को कितना झटका लगेगा?

कांग्रेस में शामिल होने के बाद विनेश ने कहा कि सड़क से संसद तक महिलाओं के लिए लड़ने वाली पार्टी में शामिल होकर वह खुश हैं। बता दें कि विनेश महिला रेसलरों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ तत्कालीन डब्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के विरोध में लड़ाई लड़कर बीजेपी के विरोध की आवाज बन चुकी है। हरियाणा के चुनावों में वैसे तो कई मुद्दे होंगे पर विनेश फौगाट के बजरंग पूनिया ने जिस मुद्दे को लेकर सक्रिय हैं वो सभी मुद्दों पर भारी पड़ सकता है।

विनेश को ओलंपिक में सफलता मिलने के बाद जिस तरह हाथ से पदक फिसल गए उससे आम लोगों में उनको लेकर जबरदस्त संवेदना है। दिल्ली में कई बार विरोध प्रदर्शनों के दौरान और ओलंपिक में फाइनल नहीं खेलने दिए जाने के बाद से विनेश फोगाट को लेकर हरियाणा समेत देशभर में सहानुभूति की जबरदस्त लहर दिखाई दी थी. पेरिस से खाली हाथ मायूस होकर दिल्ली लौटीं विनेश फोगाट को देखकर कई खेलप्रेमियों के आंसू छलक पड़े थे. इसके बाद टीवी, रेडियो, अखबारों और सोशल मीडिया में विनेश फोगाट की तस्वीरों की लहर चल पड़ी. ज्यादातर तस्वीरों में उनके साथ बजरंग पूनिया भी दिखे थे। विनेश के राजनीतिक अखाड़े में उतरने से जाहिर है कि ब्रजभूषण शरण सिंह विवाद की फिर से हर गली चौक चौबारे पर चर्चा होगी। जो चुनाव परिणाम के लिए गेमचेंजर भी साबित हो सकता है।जो मौजूदा सरकार के खिलाफ किसानों की नाराजगी, जाटों की नाराजगी आदि को और बल प्रदान करेगा।

महिला, खिलाड़ियों, युवाओं को संदेश

राजनीति के जानकारों का मानना है कि विनेश के कांग्रेस में आने से महिला वोटरों खासकर युवा लड़कियों को भी कांग्रेस की तरफ से एक संदेश जाएगा। पार्टी विनेश और बजरंग के जरिये जाट वोटरों में मजबूती के साथ ही महिलाओं के अलावा युवाओं और खिलाड़ियों को भी अपने पाले में लाने में कामयाब होती दिख रही है। इसका असर चुनाव पर दिखना स्वाभाविक है।

राजनीति में असरदार जाट बिरादरी का मिलेगा साथ!

पिछले साल पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था। बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था। एनडीए और कांग्रेस दोनों को 5-5 सीटों पर जीत मिली थी। हरियाणा की राजनीति में जाटों की अहम भूमिका है। जाटों की आबादी 22 फीसदी से अधिका है। विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया दोनों हरियाणा की राजनीति में असरदार जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं। हरियाणा में रोहतक, सोनीपत, हिसार, भिवानी, जींद, कैथल, चरखी दादरी और सिरसा तक जाट समुदाय ही कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का फैसला करता है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से इन इलाकों की 36 विधानसभा सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक साबित होते हैं। इसलिए कांग्रेस ने हुड्डा परिवार की पैरवी, सहानुभूति लहर और जाट समुदाय के वोटों की उम्मीद में विनेश फोगाट के पक्ष में दांव लगाया है।

बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल, अब हरियाणा चुनाव में दिखाएंगे दम

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ओलंपियन पहलवान बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की मौजूदगी में दोनों पहलवान कांग्रेस में शामिल हुए। इस मौके पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, पार्टी नेता पवन खेड़ा, हरियाणा कांग्रेस प्रमुख उदय भान और हरियाणा प्रभारी दीपक बाबरिया भी मौजूद रहे। इससे पहले दोनों रेसलर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से उनके आवास पर मिले। इसके बाद कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे। विनेश का जुलाना सीट से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। वहीं बजरंग के भी चुनाव लड़ने की अटकलें हैं।

कांग्रेस ज्वॉइन करने के बाद बोलीं विनेश फोगाट

कांग्रेस में शामिल होने के बाद विनेश ने कहा कि जब रोड पर घसीटे जा रहे थे तो भाजपा के अलावा सभी पार्टियां साथ में खड़ीं थी। मुझे खुशी है कि मैं ऐसी पार्टी में आई जो महिलाओं की आवाज उठाती है। कांग्रेस ने हमारे आंसुओं को समझा। बुरे टाइम में पता चलता है कि आपका कौन है। भाजपा आईटी सेल ने जला हुआ कारतूस कहा। मेरे लिए बहुत गर्व की बात है कि मैं एक नई पारी शुरु करने जा रही हूं। विनेश ने कहा कि बजरंग ने हमारे साथ आवाज उठाई, उस पर डोप टेस्ट को लेकर चार साल का बैन लगा दिया।

विनेश फोगाट ने कहा कि जो लड़ाई थी वह खत्म नहीं हुई है। कोर्ट में हमारा केस चल रहा है। वह लड़ाई भी हम जीतेंगे। खेल में जैसे हमने कभी हार नहीं मानी वैसे ही इस नए प्लेटफॉर्म(पार्टी में) पर भी हम हार नहीं मानेंगे। अपने लोगों के बीच में रहेंगे, दिल से मेहनत करेंगे। मैं कहना चाहूंगी आपकी बहन आपके साथ हमेशा खड़ी रहेगी।

पुनिया ने कहा-कांग्रेस और देश को मजूबत करेंगे

वहीं बजरंग पूनिया ने कहा कि कांग्रेस और देश को मजूबत करेंगे। भाजपा हमारे साथ खड़ी नहीं हुई। कांग्रेस में आने पर आलोचना हो रही है। आज कहा जा रहा है कि हमारा मकसद सिर्फ राजनीति करना था। हमने उन्हें (बीजेपी) लेटर भेजा था। जो अत्याचार बेटियों के साथ हुआ था, कांग्रेस पार्टी हमारे साथ खड़ी रही। हमने जितनी मेहनत कुश्ती, किसान आंदोलन, अपने आंदोलन में की, उतनी ही मेहनत यहां भी करेंगे। विनेश के साथ ओलिंपिक में जो हुआ, पूरा देश दुखी था, हालांकि कुछ लोग खुशी मना रहे थे। ये गलत था। जैसा की विनेश ने कहा कि हम सभी देश की बेटियों के साथ हैं। विनेश जब फाइनल में गई पूरा देश खुश था सब जश्न मना रहे थे, लेकिन जब विनेश डिस्क्वालीफाई हुई तो पूरा देश दुखी था लेकिन भाजपा आईटी सेल ही था जो जश्न मना रहा था।

क्या भारत और बांग्लादेश के बीच सुलझेगा तीस्ता जल विवाद? जानें बांग्लादेश के केयरटेकर सरकार की राय

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जब भी भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय वार्ता होती है, तीस्ता नदी विवाद हर बार सुर्खियों में रहता है। विवाद तीस्ता नदी के जल बंटवारे को लेकर है। भारत और बांग्लादेश से होकर बहने वाली तीस्ता नदी जल बंटवारे से संबंधित मुद्दों के कारण दोनों देशों के बीच विवाद का स्रोत रही है। अब बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने इस विवाद को लेकर बड़ी बात कही है। मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि अंतरिम सरकार भारत के साथ तीस्ता जल बंटवारा संधि पर लंबित मुद्दों को सुलझाने के तरीकों पर काम करेगी। इस मुद्दे को वर्षों तक टालने से किसी को फायदा नहीं होगा।

शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की आंतरिक सरकार भारत के साथ संबंधों को और सुधारने के लिए कदम उठा रही है। अब उसने फैसला लिया है कि वह तीस्ता जल बंटवारा संधि पर मतभेदों को सुलझाने के लिए भारत के साथ काम करेगी। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस का कहना है कि अंतरिम सरकार भारत के साथ वार्ता फिर से शुरू करना चाहती है। मुहम्मद यूनुस ने कहा, इस मुद्दे (पानी के बंटवारे) को निपटाने के लिए काम नहीं करने से कोई फायदा नहीं होगा। भले ही मैं खुश ना भी होऊं और हस्ताक्षर कर दूं, लेकिन यदि मुझे पता होगा कि मुझे कितना पानी मिलेगा, तो यह बेहतर होगा। इस मुद्दे को सुलझाना होगा।

“बंटवारे के लिए अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का पालन करना चाहिए”

मुहम्मद यूनुस ने कहा कि नदी के ऊपरी और निचले तटवर्ती देशों को जल बंटवारे के अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। मुख्य सलाहकार का कहना है कि दोनों देशों के बीच जल-बंटवारे के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार हल किया जाना चाहिए। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेश जैसे निचले तटवर्ती देशों के पास विशिष्ट अधिकार हैं, जिन्हें वे बनाए रखना चाहते हैं।

क्या है तिस्ता विवाद

बता दें कि भारत और बांग्लादेश साल 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान तीस्ता जल बंटवारे पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार थे, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने राज्य में पानी की कमी का हवाला देते हुए इसका समर्थन करने से इनकार कर दिया था।जिसके बाद से यह समझौता स्थगित कर दिया गया और पश्चिम बंगाल की आपत्तियों के कारण इस पर हस्ताक्षर नहीं हो सके।

इस हिन्दू सरकार को उखाड़ना है..', 2019 में बांग्लादेश बनाने की साजिश, अब खुला चिट्ठा

दिल्ली पुलिस ने 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़ी बड़ी साजिश के मामले में गुरुवार को अदालत में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने पर अपनी दलीलें शुरू कीं। पुलिस ने कहा कि यह दंगे 4 दिसंबर 2019 को संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पेश किए जाने के बाद रची गई गहरी साजिश का परिणाम थे। कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपी व्यक्तियों, जिनमें शरजील इमाम, उमर खालिद, ताहिर हुसैन, नताशा नरवाल, देवांगना कलिता, गुलफिशा फातिमा, सफूरा जरगर, इशरत जहां, मेरान हैदर, आसिफ इकबाल तन्हा और अन्य शामिल हैं, के खिलाफ आरोपों पर दलीलें सुननी शुरू कर दी हैं। इससे पहले की सुनवाइयों में अदालत स्पष्ट रूप से कह चुकी है कि दंगाइयों का मकसद हिन्दुओं को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाना था। दंगों का मास्टरमाइंड और आम आदमी पार्टी (AAP) का तत्कालीन पार्षद ताहिर हुसैन भी कबूल चुका है कि उसने हिन्दुओं को सबक सिखाने के लिए ये साजिश रची थी। गौर करें, इन हिन्दुओं में सभी जाति के हिन्दू शामिल थे, किसी विशेष जाति को दंगाई छोड़ने वाले नहीं थे।

विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने अपने तर्क में आरोप पत्र का हवाला देते हुए कहा कि यह साजिश पिंजरा तोड़, आजमी, एसआईओ, एसएफआई जैसे विभिन्न संगठनों द्वारा रची गई थी, जो विरोध प्रदर्शनों और हिंसा में शामिल थे। उन्होंने यह भी कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप चैट और गवाहों के बयानों का इस्तेमाल करके यह साबित किया जाएगा कि साजिश का उद्देश्य मुस्लिम बहुल इलाकों में चक्का जाम (सड़क अवरोध) लगाकर शहर को बाधित करना था और इससे हिंसा भड़काई जा सके। इसके तहत 23 विरोध स्थल बनाए गए थे, जहां नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए गए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) समीर बाजपेयी ने दिल्ली पुलिस की दलीलें शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दीं। वहीं, सलीम खान की जमानत याचिका पर अदालत सोमवार को सुनवाई करेगी।

अभियोजन पक्ष ने यह भी प्रस्तुत किया कि इस दंगे की साजिश दिसंबर 2019 में शुरू हुई थी, और इससे पहले एक छोटा दंगा भी हुआ था, लेकिन उसी कार्यप्रणाली के साथ। एसपीपी अमित प्रसाद ने यह भी कहा कि यह विरोध प्रदर्शन जैविक नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी, जिसे जैविक प्रदर्शन की तरह दिखाने का प्रयास किया गया था। शरजील इमाम और उमर खालिद की साजिश के बारे में बात करते हुए अभियोजन ने JACT, DPSG, JCC जैसी संस्थाओं का उल्लेख किया और कहा कि इन संगठनों ने भी इस साजिश में भाग लिया था। साथ ही, इस साजिश को महिलाओं द्वारा संचालित विरोध के रूप में पेश करने की भी योजना बनाई गई थी। प्रस्तावित घटनाओं का क्रम यह दर्शाता है कि कैसे सब कुछ योजनाबद्ध था। महिलाओं और बच्चों को शाहीन बाग से लेकर जहाँगीरपुरी और जाफराबाद तक विरोध के लिए शामिल किया गया। तारीख का चुनाव भी उस समय किया गया, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दिल्ली आने वाले थे। इस पूरी साजिश में विपक्षी नेताओं ने भी कट्टरपंथियों का भरपूर साथ दिया, आखिर सत्ता उनके हाथ जो आने वाली थी, फिर चाहे देश जल जाए।

दिल्ली पुलिस ने डीपीएसजी व्हाट्सएप चैट का हवाला देते हुए कहा कि दंगों के दौरान और बाद में आरोपियों ने कैसे योजना बनाई, कॉल की बाढ़ और व्हाट्सएप ग्रुप डिलीट करना जैसे कदम उठाए। संरक्षित गवाहों सहित कई गवाहों के बयानों को पढ़ा गया, जिसमें षड्यंत्रकारी बैठकें और किस प्रकार उत्तर-पूर्वी दिल्ली के प्रवेश और निकास बिंदु पूरी तरह से अवरुद्ध किए गए, यह बताया गया। वीडियो में यह दिखाया गया कि चांद बाग इलाके के सीसीटीवी कैमरों को कैसे व्यवस्थित तरीके से हटाया गया ताकि दंगों की फुटेज सामने न आए। अभियोजन पक्ष का कहना है कि 4 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक के पास होने के बाद यह साजिश शुरू हुई थी, और यह साजिश 24 फरवरी 2020 के भीषण दंगों में परिणत हुई। शरजील इमाम इस साजिश का प्रमुख व्यक्ति बताया गया है, जो 5/6 दिसंबर 2019 को जेएनयू के मुस्लिम छात्रों के एक समूह के साथ जुड़ा था और विघटनकारी चक्काजाम का विचार प्रसारित किया था।

यह भी आरोप है कि 5/6 दिसंबर 2019 की रात को जेएनयू के मुस्लिम छात्रों का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था, जिसमें शरजील इमाम प्रमुख सदस्य था और उमर खालिद भी इसका हिस्सा था। यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (UAH) ने 7 दिसंबर 2019 को जंतर-मंतर पर एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था, जिसमें शरजील इमाम ने जामिया, दिल्ली यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों को शामिल करने का प्रयास किया। अभियोजन पक्ष ने कहा कि चक्का जाम का विचार यहीं से उभरा था, हालांकि यह अनुमान मात्र है कि उमर खालिद ने शरजील इमाम को योगेंद्र यादव से मिलवाया था। शरजील इमाम ने 7 दिसंबर 2019 को MSJ के मुख्य सदस्यों को मीडिया सहयोग और विरोध प्रदर्शन के आह्वान के बारे में जानकारी दी। 8 दिसंबर 2019 को एक बैठक जंगपुरा कार्यालय में हुई, जिसमें योगेंद्र यादव, उमर खालिद, शरजील और खालिद सैफी सहित अन्य लोग शामिल हुए। इसके बाद शरजील ने 11 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का दौरा किया और चक्का जाम का प्रस्ताव रखा।

शरजील इमाम ने 12/13 दिसंबर 2019 को मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑफ जेएनयू नामक एक और व्हाट्सएप ग्रुप बनाया। इस ग्रुप में कई लोगों को जोड़ा गया और विरोध प्रदर्शन के आयोजन में मदद की गई। 13 दिसंबर 2019 को संसद मार्च के समर्थन के लिए जामिया में एक देशद्रोही भाषण भी दिया गया, जिसमें दिल्ली को पानी और दूध की आपूर्ति को बाधित करने की योजना बनाई गई थी। जामिया नगर थाने में इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। दिसंबर 2019 में दिल्ली में हुई अन्य दंगों की घटनाओं के पीछे भी शरजील इमाम का भाषण और उसकी योजनाएँ थीं। अभियोजन पक्ष ने कहा कि 13 दिसंबर 2019 को उमर खालिद, शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और अन्य की मीटिंग के बाद चक्काजाम शुरू हुआ, जिसे बाद में दिल्ली के दूसरे इलाकों में फैलाया गया। उमर खालिद के निर्देश पर कई स्थानों पर चक्का जाम किया गया। उमर खालिद ने कहा कि यह सरकार मुसलमानों के खिलाफ है और उसे उखाड़ फेंकने की आवश्यकता है। 16 दिसंबर 2019 को उमर खालिद, सैफुल और आसिफ ने मिलकर जामिया समन्वय समिति (JCC) का गठन किया, जिसका उद्देश्य दिल्ली में विरोध प्रदर्शन और चक्का जाम का नेतृत्व करना था।

मुंबई के मलाड में 20वीं मंजिल से नीचे गिरे बिल्डिंग में काम कर रहे 6 मजदूर, 3 की मौत, तीन की हालत गंभीर

मुंबई के मलाड में पिछले बृहस्पतिवार एक बड़ी दुर्घटना हुई। मलाड ईस्ट इलाके की नवजीवन बिल्डिंग में निर्माण कार्य के चलते 20वीं मंजिल से गिरकर 6 मजदूर घायल हो गए, जिनमें से 3 की मौत हो गई। वहीं, अन्य तीन मजदूरों की हालत गंभीर है तथा उनका उपचार चल रहा है। इस दुर्घटना की वजह निर्माणाधीन बिल्डिंग का स्लैब गिरना बताया जा रहा है। इस घटना के सिलसिले में दिंडोशी पुलिस ने बीएनएस की धारा 106(1) और 125(अ) तथा 125(ब) के तहत 5 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इनमें साइट सुपरवाइजर, कॉन्ट्रैक्टर, ठेकेदार और अन्य लोग सम्मिलित हैं। हालांकि, पुलिस ने अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है।

बिल्डर एवं सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी बिल्डिंग में रहने वाले कमलेश यादव ने बताया कि सोसायटी का निर्माण कार्य चल रहा है तथा इस परियोजना की जिम्मेदारी देवेंद्र पाण्डेय नामक व्यक्ति के पास है। साइट पर देखा जा सकता है कि लोगों को बिल्डर के खिलाफ कई शिकायतें हैं। निर्माण की गुणवत्ता बेहद खराब है, एक स्लैब गिर गया है, तथा अब पुलिस ने FIR दर्ज की है।

बिल्डिंग में रहने वालों ने बताया कि केवल बिल्डर और ठेकेदार ही जिम्मेदार नहीं हैं। इसमें सम्मिलित इंजीनियर एवं गुणवत्ता की जांच करने वाले सुपरवाइजर भी जिम्मेदार थे, जिन्होंने अपना काम ठीक से नहीं किया। लोगों ने बिल्डर के साथ-साथ सरकार से भी नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में सरकार की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा तथा लोगों की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं की जा रही।

भारत को इस्लामिक बनाने के लिए बम बांधकर फट जाओ.., जंगलों में जिहादियों की ट्रेनिंग, रांची से पकड़ाए आतंकवादी ने दिल्ली पुलिस के समक्ष कबूला

झारखंड के रांची से पकड़े गए अल कायदा के आतंकवादी डॉक्टर इश्तियाक ने फिदायीन आतंकी दस्ते तैयार करने की योजना बनाई थी। इश्तियाक ने इस ट्रेनिंग के लिए एक पहाड़ी इलाका चुना था, जहां वह अपने साथी आतंकवादियों को हमले की ट्रेनिंग देने वाला था। बता दें कि, फिदायीन हमले में आतंकी अपने शरीर पर बम बांधकर लोगों के बीच फट जाते हैं, उन्हें ये कहकर ब्रेनवाश किया जाता है कि ऐसा करने से अल्लाह खुश होगा और उन्हें जन्नत में हूरें देगा। इसी बहकावे में आकर ये आतंकी अपनी जान देने और निर्दोष लोगों की जान लेने के लिए तैयार हो जाते हैं, भारत को इस्लामी देश बनाने के लिए भी उन्हें यही घुट्टी पिलाई गई थी।  इस मामले की जानकारी दिल्ली पुलिस को हाल ही में मिली, जब उन्होंने इश्तियाक और उसके अन्य साथी आतंकवादियों को रांची से गिरफ्तार किया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इश्तियाक के साथ उसके साथी आतंकवादियों इनामुल अंसारी, शाहबाज अंसारी, मोतिउर्रहमान और अल्ताफ को रांची से हाल ही में दिल्ली लाकर उनसे पूछताछ की। इन आतंकवादियों ने पुलिस को बताया कि वे रांची के चान्हो नकटा जंगल में ट्रेनिंग देने जाते थे। यह घना जंगल और बसी हुई जगह से दूर होने के कारण उन्हें ट्रेनिंग की गतिविधियाँ छिपाने में मदद करता था। इन आतंकवादियों ने यह भी खुलासा किया कि यहाँ उन्हें हथियार चलाने और फिदायीन बनने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। इस प्रक्रिया का संचालन डॉक्टर इश्तियाक के निर्देश पर हो रहा था, और सभी आतंकवादी इसी के आदेश पर काम कर रहे थे। उनका लक्ष्य भारत में इस्लामी शासन स्थापित करना था।

इश्तियाक और उसके साथी आतंकवादी रांची रैडिकल ग्रुप के सदस्य थे, जिसे इश्तियाक स्वयं संचालित करता था। इसके अलावा, कुछ आतंकवादियों को ट्रेनिंग के लिए राजस्थान भी भेजा गया था। दिल्ली पुलिस ने पहाड़ी इलाके के अलावा एक मदरसे में भी छानबीन की थी। 22 अगस्त 2024 को झारखंड एटीएस ने छापेमारी कर इश्तियाक और उसके साथियों को गिरफ्तार किया। ये सभी अल कायदा इंडिया सब-कॉन्टिनेंट (AQIS) से जुड़े हुए थे। गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस की टिप के आधार पर की गई थी। डॉक्टर इश्तियाक ने अपने आतंकी नेटवर्क को उत्तर प्रदेश और राजस्थान तक फैला रखा था। हथियारों की खरीदारी के लिए उसने बिहार के लखीसराय का इस्तेमाल किया। इस मामले में राजस्थान में भी छापेमारी की गई, जिसमें ए के 47 राइफल, प्वाइंट 38 बोर की रिवॉल्वर, कई कारतूस, डमी इंसास, एयर राइफल, आयरन पाइप, हैंड ग्रेनेड और अन्य सामग्री जब्त की गई।

'युद्ध के लिए तैयार रहो..', आर्मी कमांडर्स को राजनाथ सिंह ने दिया निर्देश, जानिए, इसके पीछे क्या है वजह

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि भारत हमेशा से शांति का पुजारी रहा है और यह उसकी नीति का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन उन्होंने यह भी जोर दिया कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए, भारतीय सेना को हर समय युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। यह बयान मौजूदा अंतरराष्ट्रीय और सीमा स्थितियों के बीच आया है, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

मीडिया से बातचीत के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, "भारत दुनिया का एकमात्र देश है जिसने 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी पूरी दुनिया को एक परिवार मानने का संदेश दिया है। भारत ने हमेशा शांति की वकालत की है और हमारी संस्कृति सदियों से शांति पर आधारित रही है। भारत सदैव शांति का पुजारी था, है और रहेगा। लेकिन, आज की वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए, मैंने अपने सेना कमांडरों को कहा कि हमें युद्ध के लिए हमेशा तत्पर और तैयार रहना चाहिए। यह इसलिए जरूरी है ताकि हमारे देश की शांति भंग न हो सके।"

यह बयान सुनने में सामान्य प्रतीत हो सकता है, लेकिन इसके पीछे की गहराई पर विचार करने पर सवाल उठते हैं। आखिर राजनाथ सिंह ने यह बात इस समय क्यों कही? क्या सरकार के पास कुछ विशेष खुफिया इनपुट हैं जो चीन और पाकिस्तान से जुड़ी सुरक्षा चुनौतियों की ओर इशारा कर रहे हैं? दरअसल, पिछले कुछ समय से, चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों में तनाव बढ़ा हुआ है। एक ओर चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ाया है, तो दूसरी ओर पाकिस्तान अपनी सीमाओं पर उग्रवादी गतिविधियों का समर्थन करता नजर आ रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या राजनाथ सिंह के इस बयान के पीछे इन दोनों देशों से मिल रही संभावित खुफिया जानकारी का कोई संबंध है?

भारत का रक्षा मंत्रालय लगातार पाकिस्तान द्वारा सीमापार से घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। वहीं, चीन के साथ भी भारत की कई बार टकराव की स्थिति बनी है, जिसमें गलवान घाटी की झड़प ने तनाव को और बढ़ाया है। राजनाथ सिंह का यह बयान शायद इन्हीं घटनाओं के संदर्भ में आया हो, जहां भारतीय सेना को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया है ताकि देश की सुरक्षा और शांति सुनिश्चित की जा सके।

इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हालात तेजी से बदल रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास युद्ध, सऊदी-ईरान टकराव, अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक तनाव और दुनिया के अन्य हिस्सों में हो रहे सैन्य संघर्षों ने वैश्विक सुरक्षा तंत्र को प्रभावित किया है। इन हालातों को देखते हुए, भारत को अपनी सीमाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, राजनाथ सिंह का यह बयान एक स्पष्ट संदेश देता है कि भारत शांति की अपनी नीति पर अडिग रहेगा, लेकिन अगर कोई इसे चुनौती देता है तो हमारी सेना पूरी तरह से तैयार है। यह बयान न केवल देशवासियों के लिए, बल्कि हमारे पड़ोसी देशों के लिए भी एक मजबूत संदेश हो सकता है कि भारत शांति चाहता है, लेकिन वह अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।

तो क्या यह सिर्फ एक सामान्य बयान था या इसके पीछे सीमा पर हो रही घटनाओं और संभावित खतरे का इशारा है? यह समय ही बताएगा। लेकिन एक बात साफ है कि भारत अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

'हम भगवान बनेंगे या नहीं ये लोग तय करेंगे', RSS चीफ मोहन भागवत ने कार्यकर्ताओं से कहा, बिजली नहीं दीपक की तरह बनें

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कार्यकर्ताओं को सलाह दी है कि वे यह न समझें कि वे भगवान बन गए हैं। पुणे में भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि विचार की गहराई काम की ऊंचाई को बढ़ाती है। भगवान बनने का सवाल जनता तय करेगी। उन्होंने कहा, "कुछ लोग सोचते हैं कि हमें सुलगने के बजाय बिजली की तरह चमकना चाहिए। किन्तु बिजली गिरने के बाद अंधेरा हो जाता है। इसलिए कार्यकर्ताओं को बिजली नहीं, बल्कि दीपक की तरह जलना चाहिए। जब जरूरी हो तब चमकें, लेकिन ध्यान रखें कि जब यह चमकेगा तो आपके सिर पर नहीं चढ़ेगा।"

मोहन भागवत ने सलाह दी कि विचार की गहराई काम की ऊंचाई को बढ़ाती है। मोहन यादव ने पूर्व सीमा विकास प्रतिष्ठान के कार्यक्रम में मणिपुर में हुई हिंसा पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "मणिपुर में स्थिति गंभीर है, क्योंकि वहां कोई सुरक्षा नहीं है। स्थानीय नागरिक भी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। ऐसी स्थिति में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक वहां डटे हुए हैं, वहां से भागे नहीं हैं।"

हाल ही में RSS ने जातीय जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया था। RSS ने इसे एक संवेदनशील मुद्दा बताया और कहा कि पंच परिवर्तन के तहत इस पर चर्चा की गई है। संगठन ने फैसला लिया है कि मास लेवल पर समरसता को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया जाएगा। RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने कहा कि समाज में जातिगत प्रतिक्रियाएं एक संवेदनशील मुद्दा हैं तथा यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जातीय जनगणना का उपयोग चुनाव प्रचार तथा चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

विनेश फोगाट का कांग्रेस में जाना तय, छोड़ी रेलवे की नौकरी

#phogat_resign_from_railway

भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने रेलवे से इस्तीफा दे दिया है। विनेश के रेलवे की नौकरी छोड़ने के बाद ये तय माना जा रहा है कि वो कांग्रेस में सामिल होनें वाली है साथ ही हरियाणा विधानसभा चुनाव के “दंगल” में दो-दो हाथ करती नजर आएंगी।

विनेश फोगाट ने रेलवे की सेवा छोड़ने की जानकारी साझा की है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा- "भारतीय रेलवे की सेवा मेरे जीवन का एक यादगार और गौरवपूर्ण समय रहा है। जीवन के इस मोड़ पर मैंने स्वयं को रेलवे सेवा से पृथक करने का निर्णय लेते हुए अपना त्यागपत्र भारतीय रेलवे के सक्षम अधिकारियों को सौप दिया है। राष्ट्र की सेवा में रेलवे द्वारा मुझे दिये गये इस अवसर के लिए मैं भारतीय रेलवे परिवार की सदैव आभारी रहूँगी।"

कुछ दिन पहले दोनों पहलवानों ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी जिसके बाद से दोनों के राजनीति में आने की चर्चाएं तेज हो गई थी। इस मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि विनेश जुलाना और बजरंग पूनिया बादली सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। या फिर दोनों में से कोई एक पहलवान चुनावी मैदान में आ सकता है। राहुल से मिलने के बाद बजरंग व विनेश ने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी मुलाकात की। पेरिस से लौटने के बाद जब विनेश फोगाट दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची थीं तो कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा उनके स्वागत में पहुंचे थे। विनेश के स्वागत में निकाले गए जुलूस में भी दीपेंद्र काफी दूर तक साथ चले थे। उस दौरान बजरंग पूनिया भी साथ थे। तभी से अटकलें लगाई जा रही थीं कि विनेश फोगाट व बजरंग पूनिया कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।