भारत-मॉरीशस संबंध: इतिहास, सहयोग और रणनीतिक साझेदारी पर आधारित दोस्ती
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Narendra Modi with Mauritius President
भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों की जड़ें इतिहास, संस्कृति और आपसी हितों में गहरी हैं। भारतीय महासागर क्षेत्र में स्थित ये दो देश एक मजबूत, स्थायी साझेदारी के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जो दशकों से निरंतर विकसित हो रही है। इन संबंधों की नींव साझा ऐतिहासिक अनुभवों, व्यापारिक हितों और सांस्कृतिक समानताओं पर आधारित है, जबकि वर्तमान में यह द्विपक्षीय व्यापार, रक्षा सहयोग, जलवायु परिवर्तन और समुद्री सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध
भारत और मॉरीशस का ऐतिहासिक संबंध 19वीं शताबदी में शुरू हुआ, जब भारतीय श्रमिकों को ब्रिटिश साम्राज्य के तहत मॉरीशस में चीनी बागानों में काम करने के लिए लाया गया। आज मॉरीशस की अधिकांश जनसंख्या भारतीय मूल की है, और भारतीय संस्कृति ने इस द्वीप राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को गहरे तौर पर प्रभावित किया है। मॉरीशस में हिंदी और भोजपुरी भाषाएं आम हैं, और भारतीय धार्मिक उत्सव जैसे दीवाली, महाशिवरात्रि और गणेश चतुर्थी बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। भारत और मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान निरंतर होता रहा है। भारतीय शास्त्रीय नृत्य, संगीत और साहित्य भी मॉरीशस की सांस्कृतिक धारा का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। इस साझा सांस्कृतिक परंपरा ने दोनों देशों के बीच एक अनूठा और स्थायी संबंध स्थापित किया है।
कूटनीतिक संबंध और उच्च स्तरीय दौरे
1968 में मॉरीशस के स्वतंत्र होने के बाद, भारत ने इस नए राष्ट्र को अपनी संप्रभुता की मान्यता दी और दोनों देशों के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंध स्थापित किए। भारत ने मॉरीशस के साथ कूटनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई उच्चस्तरीय दौरे किए हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारत के शीर्ष नेताओं ने मॉरीशस का दौरा किया, और मॉरीशस के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य नेताओं ने भी भारत की यात्रा की। इन दौरों का मुख्य उद्देश्य व्यापार, निवेश, रक्षा, और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाना रहा है। भारत और मॉरीशस ने संयुक्त राष्ट्र (UN), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है, और दोनों देशों के बीच वैश्विक मंचों पर सहयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। दोनों देश साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साझा करते हैं।
आर्थिक और व्यापारिक सहयोग
भारत और मॉरीशस के बीच आर्थिक संबंध समय के साथ और मजबूत हुए हैं। मॉरीशस भारतीय कंपनियों के लिए अफ्रीकी बाजारों तक पहुँचने का एक प्रमुख हब बन गया है। भारत, बदले में, मॉरीशस को महत्वपूर्ण निवेश और व्यापार का स्रोत प्रदान करता है। दोनों देशों के बीच व्यापार का प्रमुख क्षेत्र मशीनरी, पेट्रोलियम उत्पाद, दवाइयाँ, वस्त्र, और चीनी के रूप में होता है।
भारत-मॉरीशस व्यापार के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। भारत ने अपने Comprehensive Economic Cooperation and Partnership Agreement (CECPA) के तहत मॉरीशस के साथ व्यापारिक संबंधों को और भी मजबूत किया है। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने माल और सेवाओं के व्यापार में तेजी लाने, निवेश को प्रोत्साहित करने और व्यापारिक बाधाओं को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। मॉरीशस को भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार और अफ्रीका में भारतीय निवेश का एक प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है।
विकास सहयोग और तकनीकी सहायता
भारत ने हमेशा मॉरीशस की विकास यात्रा में मदद की है। भारत ने मॉरीशस को बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा, और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है। भारत ने मॉरीशस को लाइन ऑफ क्रेडिट (LoC) भी दिया है, जो कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल किया गया है, जिनमें बंदरगाह विकास, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ और शहरी बुनियादी ढांचा शामिल हैं। भारत ने मॉरीशस में क्षमता निर्माण पर भी विशेष ध्यान दिया है। भारतीय विशेषज्ञों ने विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने में मदद की है। इस सहयोग के परिणामस्वरूप, मॉरीशस के विभिन्न सरकारी और निजी संस्थान भारत से प्रौद्योगिकी और प्रबंधन में मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।
समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग
भारत और मॉरीशस के बीच रक्षा सहयोग भी मजबूत हुआ है। दोनों देशों के पास साझा हित हैं – भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समुद्री सुरक्षा बनाए रखना। भारत ने मॉरीशस को अपनी समुद्री निगरानी और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता और उपकरण प्रदान किए हैं। भारतीय नौसेना मॉरीशस के बंदरगाहों पर नियमित रूप से आकर नौसैनिक अभ्यास करती है, और दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा पर सहयोग बढ़ रहा है।
भारत और मॉरीशस के बीच एक प्रमुख रक्षा सहयोग क्षेत्र संयुक्त समुद्री गश्त, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई और आपदा राहत ऑपरेशंस है। दोनों देशों ने भारतीय महासागर में समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने और अन्य खतरों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाया है।
जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास
मॉरीशस, एक छोटे द्वीप राष्ट्र के रूप में, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से काफी प्रभावित हो सकता है। इसके मद्देनजर, भारत और मॉरीशस ने नवीकरणीय ऊर्जा, जल संसाधन प्रबंधन और आपदा प्रबंधन जैसी पहलों में सहयोग किया है। भारत ने मॉरीशस को सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान की है और दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त रूप से काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
भारत और मॉरीशस ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया है और इस दिशा में कई सहयोगी योजनाओं को लागू किया है।
चुनौतियाँ और तनाव के क्षेत्र
भारत और मॉरीशस के रिश्ते आम तौर पर सकारात्मक रहे हैं, लेकिन कुछ मुद्दों पर मतभेद भी रहे हैं। एक प्रमुख मुद्दा डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) था, जिसे कुछ आलोचकों ने भारत से निवेशों के रास्ते के रूप में देखा था, जिससे करों से बचने का अवसर मिलता था। हालांकि, भारत और मॉरीशस ने हाल के वर्षों में इस समझौते की शर्तों पर पुनर्विचार किया है और अब यह अधिक पारदर्शी और निवेशक मित्रवत है।
इसके अलावा, एक अन्य विवाद का मुद्दा चागोस द्वीपसमूह पर है। मॉरीशस ने इसे अपने क्षेत्र के रूप में दावा किया है, और भारत ने इस दावे का समर्थन किया है। भारत ने ब्रिटेन से द्वीपों की पुन: स्वामित्व को लेकर मॉरीशस के पक्ष में कड़ी स्थिति अपनाई है।
भारत-मॉरीशस संबंधों का भविष्य
भारत और मॉरीशस के रिश्तों का भविष्य और भी उज्जवल दिख रहा है। दोनों देशों के बीच CECPA और अन्य व्यापारिक समझौतों के तहत व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के नए अवसर खुलेंगे। भारत अपनी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाता जा रहा है, और मॉरीशस के लिए यह एक प्रभावी सहयोगी के रूप में उभरने का अवसर है।
समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी सहयोग, जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के रिश्ते और अधिक गहरे और व्यापक होंगे। भारत, एक बढ़ती वैश्विक शक्ति के रूप में, मॉरीशस के लिए एक भरोसेमंद साझेदार बना रहेगा, और मॉरीशस के लिए भारत का समर्थन भारतीय महासागर में अपनी शक्ति और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।
भारत और मॉरीशस के संबंध एक आदर्श साझेदारी का उदाहरण पेश करते हैं, जो पारस्परिक सहयोग, रणनीतिक दृष्टिकोण और साझा ऐतिहासिक बंधनों पर आधारित है। आने वाले वर्षों में ये दोनों देश अपने संबंधों को और मजबूत करेंगे, और भारतीय महासागर क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देंगे।
Dec 20 2024, 19:00