/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1735358461339531.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1735358461339531.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1735358461339531.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz s:us
बांग्लादेश को ट्रंप ने दिया बड़ा झटका, आर्थिक मदद पर लगाई रोक, फिर भी क्यों खुश हो रहें यूनुस

#donald_trump_halts_all_us_aid_to_bangladesh

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश की यूनुस सरकार को बड़ा झटका दिया है। ट्रंप ने बांग्लादेश को दी जाने वाली अमेरिकी मदद पर तत्काल रोक लगा दी है। सत्ता संभालने के बाद ट्रंप ने कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी है। इससे पहले उन्होंने यूक्रेन की विदेशी सहायता निलंबित की थी।

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी ने बांग्लादेश में अपनी सभी सहायता और प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इस फैसले को बांग्लादेश की यूनुस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।हालांकि, अमेरिका ने रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए दी जाने वाली सहायता राश‍ि को जारी रखा है। अमेरिका के रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए जारी सहायता रखने से मोहम्‍मद यूनुस सरकार थोड़ा खुश है।

अमेरिका बांग्‍लादेश को जलवायु संकट, रोहिंग्‍या शरणार्थी, हेल्‍थ, मानवाधिकारों से लेकर शिक्षा तक के लिए पैसा देता था। ट्रंप प्रशासन का रोहिंग्याओं से जुड़ी समस्‍या के प्रति फोकस है। अमेरिका रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए मानवीय सहायता देने वाले देशों में अग्रणी है। साल 2017 में जब से रोहिंग्‍या संकट शुरू हुआ है तब से लेकर अब तक 2.4 अरब डॉलर की सहायता उसने दी है। यही नजह है कि दुनिया भर के देशों का हुक्‍का पानी बंद करने के बावजूद ट्रंप ने रोहिंग्‍याओं के लिए दी जा रही आर्थिक मदद को आगे भी जारी रखा है। ऐसे में मोहम्‍मद यूनुस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को धन्‍यवाद कहा है।

शेख हसीना के जाने के बाद से ही बांग्‍लादेश आर्थिक संकटों के दौर से गुजर रहा है। दुनियाभर की कंपनियों ने अपने ऑर्डर रद कर दिए हैं। यही नहीं बिजली का भी देश में संकट चल रहा है। अब ट्रंप के इस आदेश ने बांग्‍लादेश की मुश्किलें काफी बढ़ा दी हैं।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को एक व्यापक आदेश में केवल इजरायल और मिस्र को छोड़कर, यूक्रेन सहित सभी विदेशी सहायता पर रोक लगा दी है। इस आदेश से सामान्य सहायता से लेकर सैन्य सहायता तक सब कुछ प्रभावित करेगा। इसमें केवल आपातकालीन खाद्य सहायता और इजरायल, मिस्र के लिए सैन्य मदद को छूट दी गई है।

ट्रंप की सख्ती के बाद कोलंबिया का यू-टर्न, प्रवासियों की वापसी के लिए राष्ट्रपति पेट्रो ने भेजा विमान

#columbiauturnafterustrump sanctions

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी सत्ता में वापसी के बाद से ही अनधिकृत अप्रवासियों का मुद्दा फिर से चर्चा में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप देश भर से अवैध प्रवासियों को ढूंढ-ढूंढ के बाहर निकाल रहे हैं।ट्रंप के इस कदम के खिलाफ, कोलंबिया ने अपना सिर उठाया और डिपोर्टेशन फ्लाइट्स की अनुमति अपने देश में नहीं दी। लेकिन, 24 घंटे के अंदर ही ट्रंप ने कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया पर टैरिफ और अन्य प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी, जिसके बाद कोलंबिया ने अमेरिकी शर्तों को मानते हुए निर्वासन उड़ानों को स्वीकार करने पर सहमति जता दी। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका से प्रवासियों को वापस लाने के लिए विशेष विमान भेजने का फैसला किया है। अमेरिका से जंजीरों में बांधकर अमानवीय तरीके प्रवासियों को भेजे जाने की तस्वीरे सामने आने और इस मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप के साथ तनातनी के बाद कोलंबिया ने ये फैसला लिया है।कोलंबिया सरकार ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि उनके नागरिकों को बेइजज्त करके अमेरिका से ना निकाला जाए। इस संबंध में कोलंबिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने अपने बयान में 'सम्मानजनक वापसी' शब्द पर विशेष जोर दिया है।

कोलंबियाई राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि गुस्तावो पेट्रो के निर्देशन में कोलंबिया सरकार ने डिपोर्टेशन फ्लाइट से देश में आने वाले अपने नागरिकों की सम्मानजनक वापसी की सुविधा के लिए राष्ट्रपति विमान उपलब्ध कराया है। पेट्रो ने अपने निर्वासित नागरिकों की सम्मानजनक वापसी चाहते हैं। अमेरिका से कोलंबियाई नागरिकों की वापसी के लिए एक विशेष टीम का गठन भी किया गया है। कोलंबियाई सरकार अमेरिका से बातचीत कर रही है ताकि निर्वासित लोगों के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित हो सके। बयान से साफ है कि कोलंबियाई सरकार अपने नागरिकों के सम्मानजनक व्यवहार को लेकर बेहद गंभीर है।

इससे पहले कोलंबिया में पहले अपने निर्वासित नागरिकों को वापस लेने से मना कर दिया था। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने पूर्व में अमेरिका द्वारा अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने के तरीके की आलोचना की थी और कहा कि उनकी सरकार अमेरिका से निर्वासित प्रवासियों को ले जाने वाली उड़ानों को तब तक स्वीकार नहीं करेगी, जब तक ट्रंप प्रशासन उनके साथ 'सम्मानजनक' व्यवहार करने वाला प्रोटोकॉल नहीं बनाता। एक्स पर लिखे संदेश में पेट्रो ने कहा, 'प्रवासी अपराधी नहीं है और उसके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। इंसान इसका हकदार भी है। यही कारण है कि मैंने कोलंबियाई प्रवासियों को ले जा रहे अमेरिकी सैन्य विमानों को वापस कर दिया।

कोलंबिया की सरकार ने बदला फैसला

इससे नाराज होकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया के खिलाफ टैरिफ लगाने और अन्य जवाबी कदम उठाने का एलान कर दिया था। इसके कुछ ही घंटों बाद कोलंबिया ने भी अमेरिका पर आयात शुल्क बढ़ाए जाने का फैसला किया था। इससे दोनों मुल्कों में तनातनी बढ़ गई थी। हालांकि, अब कोलंबिया की सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। माना जा रहा है कि इसी के चलते कोलंबिया की सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा।

क्या हो सकते थे कोलंबिया पर गंभीर परिणाम?

अगर, कोलंबिया ने ट्रंप की शर्तें नहीं मानी होती, तो देश को गंभीर आर्थिक और राजनयिक नुकसान झेलना पड़ सकता था।

1.टैरिफ का असर: कोलंबिया से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सभी सामानों पर 25% टैरिफ लगने का खतरा था। यह टैरिफ एक सप्ताह में बढ़कर 50% तक हो सकता था। कोलंबिया की अर्थव्यवस्था, जो अपने 33% निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार पर निर्भर है, इस टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित होती।

2.वीजा प्रतिबंध: कोलंबियाई सरकारी अधिकारियों और उनके सहयोगियों के वीज़ा रद्द हो सकते थे। इसका असर कोलंबिया की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों और राजनयिक संबंधों पर पड़ता।

3.सख्त सीमा जांच: कोलंबियाई नागरिकों की अमेरिकी सीमा पर कड़ी जांच होती। इससे व्यापार, यात्रा और प्रवासियों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता।

4.आर्थिक प्रतिबंध: कोलंबिया की वित्तीय गतिविधियों, बैंकों और व्यापार पर कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते थे। इससे कोलंबिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगता।

5.राजनयिक अलगाव: अमेरिका और कोलंबिया के बीच व्यापार और राजनयिक संबंध प्रभावित हो सकते थे। कोलंबिया, जो अमेरिका को अपना सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार मानता है, अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ सकता था।

बेरमो अनुमंडल मुख्यालय तेनुघाट सहित आसपास के क्षेत्रों में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाई गई
पेटरवार (बोकारो)
मिथलेश कुमार बेरमो अनुमंडल मुख्यालय तेनुघाट सहित आसपास के क्षेत्रों में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाई गई।
बेरमो अनुमंडल मुख्यालय में इन पदाधिकारियों के द्वारा झंडोतोलन किया गया।  इस अवसर पर जिला जज प्रथम अनिल कुमार द्वारा व्यवहार न्यायालय तेनुघाट परिसर में झंडोत्तोलन किया गया। अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश मछुआ द्वारा अनुमंडल पदाधिकारी कार्यालय और आवास, शहीद पार्क, चिल्ड्रन पार्क में,  अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी वशिष्ठ नारायण सिंह द्वारा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी आवास और कार्यालय में तिरंगा फहराया गया।    तेनुघाट उपकारा में उपकारा अधीक्षक अरुणाभ के द्वारा, पुलिस निरीक्षक महेश प्रसाद सिंह के द्वारा पुलिस निरीक्षक कार्यालय तेनुघाट और मोहन गंझू चौक पर, तेनुघाट ओपी प्रभारी सुनील कुमार के द्वारा ओपी परिसर मे, अधिवक्ता संघ कार्यालय पर अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष वेंकट हरि विश्वनाथन, तेनुघाट डिग्री कॉलेज में प्राचार्य सुदामा तिवारी के द्वारा, तेनुघाट पंचायत में मुखिया नीलम श्रीवास्तव, जवाहर नवोदय विद्यालय तेनुघाट में प्राचार्य विपिन कुमार द्वारा, डीएवी पब्लिक स्कूल तेनुघाट में प्राचार्या स्तुति सिन्हा द्वारा झंडा फहराया गया।  वहीं किरण बेबीज पैराडाइज विद्यालय में प्राचार्या अनु प्रिया के द्वारा, प्रेस क्लब में बीरेंद्र प्रसाद के द्वारा झंडोतोलन किया गया। तेनुघाट शिविर संख्या 2 भारत माता मंदिर और झारखंड पेंशन कल्याण समाज तेनुघाट में अध्यक्ष इंदेश्वरी चौबे ने झंडा फहराया।     
     इस अवसर पर बेरमो अनुमंडल के मुख्य समारोह चिल्ड्रन पार्क में अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश मछुआ ने झंडोत्तोलन किया। झंडोत्तोलन के बाद अनुमंडल पदाधिकारी तथा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी वशिष्ठ नारायण सिंह ने परेड का निरीक्षण किया। उसके बाद अनुमंडल पदाधिकारी ने जनता को संबोधन किया।
         बताते चलें कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडोत्तोलन कार्यक्रम में जवाहर नवोदय विद्यालय तेनुघाट, डीएवी पब्लिक स्कूल, कस्तूरबा बालिका उच्च विद्यालय पेटरवार, कस्तूरबा बालिका उच्च विद्यालय गोमियां सहित अन्य विद्यालय के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। 
       इस अवसर पर विद्यालयों में बच्चों ने कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। 
       वहीं तेनुघाट व्यवहार न्यायालय में जिला जज प्रथम अनिल कुमार, कुटुंब न्यायालय प्रेमनाथ पांडेय, जिला जज द्वितीय सूर्य मणि त्रिपाठी, जिला जज तृतीय फहीम किरमानी, एसीजेएम मनोज कुमार प्रजापति, एसडीजेएम रश्मि अग्रवाल, सब जज द्वितीय राजेश रंजन कुमार, मुंसिफ शिवराज मिश्रा, अधिवक्ता रमेंद्र कुमार सिन्हा, सुभाष कटरियार, जीवन सागर, मुकेश कुमार सहित अन्य लोग के द्वारा उपस्थित बच्चों को गिफ्ट दे प्रोत्साहित किया गया। वहीं चिल्ड्रेन पार्क में परेड, झांकी, नृत्य प्रस्तुत करने वाले सभी को अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश मछुआ, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी वशिष्ठ नारायण सिंह, कार्यपालक दंडाधिकारी कनिष्क कुमार आदि के द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।   
       वहीं किरण बेबीज पैराडाइज विद्यालय में बच्चों के द्वारा नृत्य, संगीत प्रस्तुत कर दर्शकों को प्रसन्न किया।
गणतंत्रता दिवस के अवसर पर तेनुघाट जेल में जेल अदालत एवं कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन
पेटरवार (बोकारो)
मिथलेश कुमार गणतंत्रता दिवस के अवसर पर तेनुघाट जेल में जेल अदालत एवं कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
      कानूनी जानकारी देते हुए प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी राजेश रंजन कुमार ने बंदियों को सबसे पहले गणतंत्र दिवस की बधाई दी। इसके बाद सभी को बताया कि जेल से बाहर निकलकर एक अच्छे नागरिक बने। उन्होंने बताया कि हमें स्वतंत्रता सेनानी ने अंग्रेजो से लड़कर आजादी दिलाई। हमें भी इसी प्रकार देश की सेवा कर अपने, अपने परिवार और देश का नाम रौशन करना चाहिए।
बंदियों को प्रदान किए जाने वाले विभिन्न विधिक सहायता के बारे में बताते हुए कहा गया कि नालसा नई दिल्ली एवं झालसा रांची द्वारा बंदियों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम समय-समय पर चलाए जा रहे हैं। जिनके माध्यम से उन बंदियों को उचित विधिक सहायता प्रदान की जाती है। इसी के तहत प्रत्येक महीने जेल अदालत का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से कारा में संसीमित बंदियों को निरंतर विधिक सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बंदियों के बीच से ही पारा लीगल वॉलिंटियर्स की नियुक्ति की गई है। जो निरंतर बंदियों के संपर्क में रहकर उनकी समस्याओं को कारा प्रशासन के माध्यम से विधिक सेवा प्राधिकार तक पहुंचाते हैं। जहां अनुमंडल विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा त्वरित संज्ञान लेते हुए उनकी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि वैसे बंदी जो स्वयं के खर्च पर अपना अधिवक्ता रख पाने में असमर्थ हैं, उनके लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर लीगल एड डिफेंस काउंसिल के तहत अधिवक्ताओं की प्रतिनियुक्ति की गई है, जो उन बंदियों के केस में संबंधित न्यायालय में निरंतर पैरवी करते हैं।  आगे बताया कि हमें नशा से बचने की जरूरत है। अक्सर नशा करने के कारण लोगों से गलतियां होती हैं और उन्हें उसका नुकसान उठाना होता है। मोबाईल का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए इससे हमारे आंख पर और दिमाग पर भी असर पड़ता है।
         मंच संचालन करते हुए अधिवक्ता सुभाष कटरियार ने बंदियों को कानूनी जानकारियां देते हुए बताया कि पूरे देश में गणतंत्र दिवस मनाया गया है।
बंदियों को बताया कि जेल में आप सुधार के लिए आए हैं, इसलिए आप यहां रहकर अपने आप को सुधार कर बाहर निकले। उन्होंने कहा कि यह जरुरी नहीं है कि आप गुनाह किए हो। कभी कभी होता है कि आवेश में आकर कुछ गलती हो जाती है।
     स्वागत भाषण जेल अधीक्षक अरुणाभ और धन्यवाद ज्ञापन जेलर नीरज कुमार ने किया। वहीं अधिवक्ता सुजीत कुमार जायसवाल ने भी बंदियों को कानूनी जानकारियां दी। मौके पर विजय कुमार, मनोज प्रजापति, इश्तियाक अंसारी, संजय मंडल, सी दास आदि उपस्थित थे।
अमेरिका में रह रहे सिख क्यों भड़के? बोले- ये हमारी आस्था के खिलाफ

#ushomelandsecurityraidgurudwaraangerssikh_organizations

अमेरिका में मौजूद अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कमर कस ली है। ट्रंप के राष्ट्रपति बने के बाद से अवैध प्रवासियों को ढूंढ़ने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं और उनके खिलाफ लगातार कड़ी कार्रवाई जारी है। इसी के तहत अब अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी के अधिकारी अब गुरुद्वारों में भी अवैध अप्रवासियों की तलाश कर रहे हैं। अमरीकी पुलिस ने न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी में कुछ गुरुद्वारों में जांच की है। पुलिस ने गुरुद्वारों में जाने के पीछे तर्क दिया है कि धार्मिक स्थलों में प्रवासी छुप सकते हैं। पुलिस के धार्मिक स्थलों की शुचिता का ख्याल ना करने पर सिख संगठनों ने चिंता जताई है। कुछ सिख संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे अपने धर्म की पवित्रता के लिए खतरा माना है।

ट्रंप ने बदले नियम

डोनाल्ड ट्रंप के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद, कार्यवाहक होमलैंड सिक्योरिटी सचिव बेंजामिन हफमैन ने एक निर्देश में बाइडेन प्रशासन के उन दिशानिर्देशों को रद्द कर दिया जो इमिग्रेशन और कस्टम्स एन्फोर्समेंट (आईसीई) और कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन (सीबीपी) की कार्रवाई को तथाकथित ‘संवेदनशील’ क्षेत्रों में रोकते थे। इन ‘संवेदनशील’ क्षेत्रों में पूजा स्थल जैसे गुरुद्वारे और चर्च शामिल थे। इस बदलाव से एजेंसियों को गुरुद्वारों और चर्च जैसे पूजा स्थलों में जाने की इजाजत मिल गई है।

होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, यह कार्रवाई सीबीपी और आईसीई के कर्मचारियों को हमारे इमिग्रेशन कानूनों को लागू करने और उन अपराधियों को पकड़ने का अधिकार देती है, जो अवैध रूप से हमारे देश में आए हैं। प्रवक्ता ने कहा, अपराधी अब अमेरिका के स्कूलों और चर्चों में छिपकर बच नहीं पाएंगे। ट्रंप प्रशासन हमारे हाथ नहीं बांधेगा और सामान्य समझ के इस्तेमाल पर भरोसा करेगा।

अमेरिकी अधिकारियों ने गुरुद्वारे की ली तलाशी

इसी क्रम में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) के अधिकारियों ने रविवार को न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी जैसे शहरों में गुरुद्वारों का दौरा किया। अवैध अप्रवासियों की मौजूदगी की जांच के लिए की गई इस कार्रवाई सपर सिख संगठनों में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड ने इस कदम पर गहरी चिंता जताते हुए कि इससे सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होती है। साथ ही अप्रवासी समुदाय के भीतर भी डरावना संदेश जाता है।एक अन्य संगठन ने कहा कि बिना वारंट या वारंट के साथ भी गुरुद्वारों की निगरानी करना अस्वीकार्य है। ये हमारी आस्था पर हमला है और इससे धार्मिक क्रियाकलाप प्रभावित होंगे।

सहयोग न करने वाले देशों पर लगाएंगे प्रतिबंध

अमेरिकी संसद के निचले सदन के स्पीकर माइक जॉनसन ने चेतावनी दी है कि जो भी देश अमेरिका से निर्वासित हुए अपने नागरिकों को वापस लेने में सहयोग नहीं करेगा, उस पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे। बता दें कि ट्रंप सरकार ने अमेरिका से अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करना शुरू कर दिया है। कोलंबिया ने पूर्व में अपने निर्वासित नागरिकों को वापस भेजने के अमेरिका के तरीके से नाराजगी जाहिर करते हुए अपने नागरिकों को वापस लेने से मना कर दिया था। जिसके बाद ट्रंप सरकार ने कोलंबिया पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्देश दिया तो कोलंबिया की सरकार ने यू-टर्न लेते हुए अपने निर्वासित नागरिकों को वापस लेने का फैसला किया

यूट्यूब के 5 नए धमाकेदार फीचर्स: बिना इंटरनेट के चलेंगे शॉर्ट्स, हाई क्वालिटी साउंड और बहुत कुछ!

यूट्यूब, दुनिया का सबसे बड़ा वीडियो प्लेटफॉर्म, समय-समय पर अपने यूजर्स के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए नए फीचर्स रोलआउट करता रहता है. हाल ही में, यूट्यूब ने प्रीमियम यूजर्स के लिए 5 नए और शानदार फीचर्स पेश किए हैं, जो न केवल मनोरंजन को आसान बनाएंगे बल्कि टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग का अनुभव भी देंगे. आइए इन फीचर्स पर नजर डालते हैं.

हाई क्वालिटी साउंड

यूट्यूब ने प्रीमियम यूजर्स के लिए 256kbps बिटरेट पर ऑडियो सपोर्ट का फीचर जोड़ा है. इससे म्यूजिक और वीडियो का साउंड आउटपुट पहले से कहीं बेहतर हो गया है. यूट्यूब म्यूजिक पर यह सुविधा पहले से मौजूद थी, लेकिन अब इसे यूट्यूब वीडियो पर भी उपलब्ध कराया गया है.

शॉर्ट्स के लिए PiP मोड

अब यूट्यूब शॉर्ट्स को “पिक्चर इन पिक्चर” मोड पर देखा जा सकता है. यह फीचर आपको मल्टी-टास्किंग की सुविधा देता है. उदाहरण के लिए, आप किसी दूसरे ऐप पर काम करते हुए शॉर्ट्स का आनंद ले सकते हैं.

ऑफलाइन शॉर्ट्स

iOS यूजर्स के लिए यूट्यूब ने ऑटोमैटिक डाउनलोड फीचर पेश किया है. इसके जरिए आप बिना इंटरनेट के भी शॉर्ट्स देख सकते हैं. यह फीचर खासतौर पर उन लोगों के लिए उपयोगी है, जो इंटरनेट की कमी के कारण कंटेंट देखने में असमर्थ रहते हैं.

Ask Music फीचर

यूट्यूब म्यूजिक में “Ask Music” फीचर पेश किया गया है. इस फीचर की मदद से आप किसी खास म्यूजिक को केवल एक वॉयस कमांड से खोज और प्ले कर सकते हैं.

Ask Chat फीचर

iPhone यूजर्स के लिए “Ask Chat” बटन जोड़ा गया है. इसकी मदद से आप वीडियो में दिख रहे कंटेंट से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं. ये नए फीचर्स यूट्यूब प्रीमियम को और अधिक आकर्षक और उपयोगी बनाते हैं. हाई क्वालिटी ऑडियो, PiP मोड, और ऑफलाइन शॉर्ट्स जैसी सुविधाएं न केवल मनोरंजन को आसान बनाती हैं, बल्कि यूजर्स को बेहतर तकनीकी अनुभव भी प्रदान करती हैं. यूट्यूब का यह कदम इसे अन्य प्लेटफॉर्म्स से अलग और यूजर्स के अनुकूल बनाता है.

बांग्लादेश पर डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा एक्शन, ढाका को दी जाने वाली सभी मदद तत्काल प्रभाव से बंद

डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश के खिलाफ सबसे बड़ा एक्शन लिया है। ट्रंप ने बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी तरह की मदद को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। ट्र्ंप के कार्यकारी आदेश में बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी प्रकार की सहायता को तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया गया है।

इस आदेश में बांग्लादेश को दी जाने वाली मदद रोकने के साथ ही सभी प्रकार के प्रोजेक्ट पर भी स्टे लगा दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि बांग्लादेश में चल रहे सभी कार्यों को भी तत्काल प्रभाव से रोका जा रहा है। USAID ने एक पत्र जारी करके यह जानकारी दी है। इसमें अनुदान, अनुबंध समेत सभी तरह के सहायता कार्यक्रम को तत्काल रोकने की बात कही गई है।

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे जुर्म का मुद्दा उठाया था और ट्रंप प्रशासन से बांग्लादेश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। इसके कुछ ही दिनों में अमेरिका ने बांग्लादेश के खिलाफ यह कड़ी कार्रवाई की है।

हालांकि यूएसएस ने बांग्लादेश के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई वजह नहीं बताई है। मगर ट्रंप का यह फैसला बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यूएसएड अमेरिकी एजेंसी है। जो विभिन्न देशों को स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, आपता और मानवीय सहायता जैसे मद में अरबों डॉलर की सहायता देती है। अमेरिका के इस कदम से बांग्लादेश को बड़ा झटका लगा है।

स्वर्णमढ़ित 'बग्गी' का पुनरुद्धार: राष्ट्रपति मुर्मू और इंडोनेशियाई अतिथि को कर्तव्य पथ पर लाने में हुआ उपयोग

#therevialofthegoldplatedchariotusedinrepublicday_today

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उनके इंडोनेशियाई समकक्ष प्रबोवो सुबियांटो, गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि, को रविवार को पारंपरिक घोड़े से खींची जाने वाली ‘बग्गी’ में सवार होकर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर लाया गया। 1984 में बंद की गई यह बग्गी पिछले साल वापस लौटी। इसने राष्ट्रपति मुर्मू और उनके फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रों, जो पिछले साल मुख्य अतिथि थे, को कर्तव्य पथ पर पहुंचाया।

परंपरा

सोने की परत चढ़ी, घोड़े से खींची जाने वाली यह बग्गी एक काले रंग की गाड़ी है, जिस पर सोने से राष्ट्रीय प्रतीक (चार शेर) उकेरे गए हैं। भारतीय और ऑस्ट्रियाई घोड़ों की मिश्रित नस्ल द्वारा खींची जाने वाली इस गाड़ी में सोने की परत चढ़ी रिम भी है। राष्ट्रपति, जो भारत के राष्ट्राध्यक्ष हैं, और मुख्य अतिथि को ले जाने वाली बग्गी को ‘राष्ट्रपति के अंगरक्षक’ या राष्ट्रपति के अंगरक्षक, भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठ रेजिमेंट द्वारा अनुरक्षित किया जाता है।

बग्गी को क्यों बंद कर दिया गया था ?

ज्ञानी जैल सिंह ने 1984 में राष्ट्रपति बग्गी का इस्तेमाल किया था। उस वर्ष अक्टूबर में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसके कारण सुरक्षा कारणों से यह परंपरा बंद कर दी गई। इसके बाद राष्ट्रपति लिमोसिन में आने लगे, जब तक कि बग्गी को लगभग 40 साल बाद, जनवरी 2024 में वापस नहीं लाया गया।

2014 में, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बग्गी का इस्तेमाल किया, लेकिन बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए, जो 29 जनवरी को आयोजित किया जाता है, और गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है। प्रणब मुखर्जी के उत्तराधिकारी रामनाथ कोविंद ने 2017 में शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति की गाड़ी से गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया।

गणतंत्र दिवस

26 जनवरी को, राष्ट्र 1950 में इस तिथि पर संविधान के लागू होने का स्मरण करता है, जिसने 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लगभग तीन साल बाद भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया। संविधान सभा द्वारा तैयार संविधान को 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था। 26 जनवरी 1950 में इसे लागू किया गया, वही 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 'पूर्ण स्वराज' (पूर्ण स्वतंत्रता) की घोषणा के उपलक्ष्य में चुना गया था। दूसरी ओर, 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत-इंडोनेशिया के बीच स्वास्थ्य और रक्षा समेत कई समझौतों पर हस्ताक्षर, जानें कितना अहम है दोनों देशों का संबंध

#mousexchangedbetweenindiaand_indonesia

भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय संबंध नई ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं। रिश्तों को और मजबूत बनाने के लिए आज दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए हैं। गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो भारत दौरे पर हैं। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के साथ बैठक की। बैठक से पहले पीएम मोदी ने प्रबोवो का गर्मजोशी से स्वागत किया और दोनों नेताओं ने हाथ मिलाए।

बैठक के बाद अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि, इंडोनेशिया भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि देश था। यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि जब हम गणतंत्र के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, तो इंडोनेशिया एक बार फिर इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा है। मैं राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो का भारत में स्वागत करता हूं।

रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का निर्णय

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि 2018 में उनकी इंडोनेशिया यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपने रिश्तों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदलने का निर्णय लिया था। अब, राष्ट्रपति प्रबोवो के साथ मिलकर, रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और दोनों देशों के बीच मिलकर काम करने पर चर्चा की गई है। उन्होंने समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-निरोध और डी-रेडिकलाइजेशन जैसे मुद्दों पर भी सहयोग बढ़ाने की बात की।

दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 30 अरब डॉलर से अधिक

पीएम मोदी ने यह भी बताया कि भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले साल दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 30 अरब डॉलर से अधिक पहुंच गया है। इसके साथ ही, भारत और इंडोनेशिया ने समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में एक नए समझौते पर भी हस्ताक्षर किए, जो अपराध की रोकथाम, खोज एवं बचाव, और क्षमता निर्माण में सहयोग को मजबूत करेगा। यह मुलाकात और समझौते दोनों देशों के बीच रिश्तों को और गहरा करने में मददगार साबित होंगे।

क्या बोले राष्ट्रपति प्राबोवो?

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियांतो ने कहा कि मैं भारत की अपनी पहली राजकीय यात्रा में मुझे दिए गए सम्मान के लिए अपनी सर्वोच्च कृतज्ञता दोहराना चाहता हूं। आज राष्ट्रपति ने मेरा बहुत सम्मान के साथ स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी, उनकी सरकार मेरे और मेरी सरकार के बीच बहुत गहन और बेहद स्पष्ट चर्चा हुई।

भारत और इंडोनेशिया के बीच समझौते

• रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन पर मिलकर काम करेंगे।

• दोनों देश समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने में सहयोग करेंगे।

• फिनटेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति।

• भारत इंडोनेशिया के साथ स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां शेयर करेगा।

• दोनों देशों की आपदा प्रबंधन एजेंसियां संयुक्त अभ्यास करेंगी।

• इंडोनेशिया के प्रम्बानन हिंदू मंदिर के संरक्षण में भारत सहयोग देगा।

मुंबई हमले का दोषी तहव्वुर राणा भारत लाया जाएगा, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से प्रत्यर्पण की मंजूरी

#us_supreme_court_clears_mumbai_attack_tahawwur_rana_extradition

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हमले का दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने मामले में उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका खारिज कर दी है। भारत कई साल से पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद शुक्रवार को इसको लेकर फैसला आया है। राणा 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में दोषी है।

अगस्त 2024 में अमेरिकी कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत भेजने का आदेश दिया था। निचली अदालत ने पिछले साल सितंबर में ही तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया था। मगर राणा ने निचली अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

13 नवंबर 2024 को राणा ने निचली अदालत के प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को खारिज कर दिया था। राणा के पास प्रत्यर्पण से बचने का ये आखिरी मौका था। इससे पहले उसने सैन फ्रांसिस्को की एक अदालत में अपील की थी, जहां उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। अमेरिकी अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजा जा सकता है।

तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने 26/11 के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी। हेडली के इशारे पर ही पूरी साजिश को अंजाम दिलवा रहा था। राणा डेविड का राइट हैंड था। बताया जाता है कि कंट्रोल रूम में जो शख्स बैठा हुआ था, वो तहव्वुर राणा ही था। मुंबई हमले के दोषी राणा के भारत आने के बाद जांच एजेंसियां 26/11 की साजिश को बेपर्दा करेगी। इसमें किसका क्या रोल था, ये साफ होगा। इसके अलावा इसमें कौन कौन से लोग शामिल थे, जिनके नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं, उनके नाम भी सामने आएंगे।

मुंबई हमले की 405 पन्नों की चार्जशीट में राणा का नाम भी आरोपी के तौर पर दर्ज है। इसके मुताबिक राणा आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा का मेंबर है। चार्जशीट के मुताबिक राणा हमले के मास्टरमाइंड मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली की मदद कर रहा था। मुंबई पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, राणा आतंकियों को हमले की जगह बताने और भारत में आने के बाद रुकने के ठिकाने बताने में मदद कर रहा था। राणा ने ही ब्लूप्रिंट तैयार किया था, जिसके आधार पर हमले को अंजाम दिया गया। राणा और हेडली ने आतंकवादी साजिश रचने का काम किया था। चार्जशीट में बताया गया कि मुंबई हमले की साजिश की प्लानिंग में राणा का रोल बहुत बड़ा रोल था।

बांग्लादेश को ट्रंप ने दिया बड़ा झटका, आर्थिक मदद पर लगाई रोक, फिर भी क्यों खुश हो रहें यूनुस

#donald_trump_halts_all_us_aid_to_bangladesh

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश की यूनुस सरकार को बड़ा झटका दिया है। ट्रंप ने बांग्लादेश को दी जाने वाली अमेरिकी मदद पर तत्काल रोक लगा दी है। सत्ता संभालने के बाद ट्रंप ने कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी है। इससे पहले उन्होंने यूक्रेन की विदेशी सहायता निलंबित की थी।

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी ने बांग्लादेश में अपनी सभी सहायता और प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इस फैसले को बांग्लादेश की यूनुस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।हालांकि, अमेरिका ने रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए दी जाने वाली सहायता राश‍ि को जारी रखा है। अमेरिका के रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए जारी सहायता रखने से मोहम्‍मद यूनुस सरकार थोड़ा खुश है।

अमेरिका बांग्‍लादेश को जलवायु संकट, रोहिंग्‍या शरणार्थी, हेल्‍थ, मानवाधिकारों से लेकर शिक्षा तक के लिए पैसा देता था। ट्रंप प्रशासन का रोहिंग्याओं से जुड़ी समस्‍या के प्रति फोकस है। अमेरिका रोहिंग्‍या मुस्लिमों के लिए मानवीय सहायता देने वाले देशों में अग्रणी है। साल 2017 में जब से रोहिंग्‍या संकट शुरू हुआ है तब से लेकर अब तक 2.4 अरब डॉलर की सहायता उसने दी है। यही नजह है कि दुनिया भर के देशों का हुक्‍का पानी बंद करने के बावजूद ट्रंप ने रोहिंग्‍याओं के लिए दी जा रही आर्थिक मदद को आगे भी जारी रखा है। ऐसे में मोहम्‍मद यूनुस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को धन्‍यवाद कहा है।

शेख हसीना के जाने के बाद से ही बांग्‍लादेश आर्थिक संकटों के दौर से गुजर रहा है। दुनियाभर की कंपनियों ने अपने ऑर्डर रद कर दिए हैं। यही नहीं बिजली का भी देश में संकट चल रहा है। अब ट्रंप के इस आदेश ने बांग्‍लादेश की मुश्किलें काफी बढ़ा दी हैं।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को एक व्यापक आदेश में केवल इजरायल और मिस्र को छोड़कर, यूक्रेन सहित सभी विदेशी सहायता पर रोक लगा दी है। इस आदेश से सामान्य सहायता से लेकर सैन्य सहायता तक सब कुछ प्रभावित करेगा। इसमें केवल आपातकालीन खाद्य सहायता और इजरायल, मिस्र के लिए सैन्य मदद को छूट दी गई है।

ट्रंप की सख्ती के बाद कोलंबिया का यू-टर्न, प्रवासियों की वापसी के लिए राष्ट्रपति पेट्रो ने भेजा विमान

#columbiauturnafterustrump sanctions

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी सत्ता में वापसी के बाद से ही अनधिकृत अप्रवासियों का मुद्दा फिर से चर्चा में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप देश भर से अवैध प्रवासियों को ढूंढ-ढूंढ के बाहर निकाल रहे हैं।ट्रंप के इस कदम के खिलाफ, कोलंबिया ने अपना सिर उठाया और डिपोर्टेशन फ्लाइट्स की अनुमति अपने देश में नहीं दी। लेकिन, 24 घंटे के अंदर ही ट्रंप ने कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया पर टैरिफ और अन्य प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी, जिसके बाद कोलंबिया ने अमेरिकी शर्तों को मानते हुए निर्वासन उड़ानों को स्वीकार करने पर सहमति जता दी। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका से प्रवासियों को वापस लाने के लिए विशेष विमान भेजने का फैसला किया है। अमेरिका से जंजीरों में बांधकर अमानवीय तरीके प्रवासियों को भेजे जाने की तस्वीरे सामने आने और इस मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप के साथ तनातनी के बाद कोलंबिया ने ये फैसला लिया है।कोलंबिया सरकार ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि उनके नागरिकों को बेइजज्त करके अमेरिका से ना निकाला जाए। इस संबंध में कोलंबिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने अपने बयान में 'सम्मानजनक वापसी' शब्द पर विशेष जोर दिया है।

कोलंबियाई राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि गुस्तावो पेट्रो के निर्देशन में कोलंबिया सरकार ने डिपोर्टेशन फ्लाइट से देश में आने वाले अपने नागरिकों की सम्मानजनक वापसी की सुविधा के लिए राष्ट्रपति विमान उपलब्ध कराया है। पेट्रो ने अपने निर्वासित नागरिकों की सम्मानजनक वापसी चाहते हैं। अमेरिका से कोलंबियाई नागरिकों की वापसी के लिए एक विशेष टीम का गठन भी किया गया है। कोलंबियाई सरकार अमेरिका से बातचीत कर रही है ताकि निर्वासित लोगों के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित हो सके। बयान से साफ है कि कोलंबियाई सरकार अपने नागरिकों के सम्मानजनक व्यवहार को लेकर बेहद गंभीर है।

इससे पहले कोलंबिया में पहले अपने निर्वासित नागरिकों को वापस लेने से मना कर दिया था। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने पूर्व में अमेरिका द्वारा अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने के तरीके की आलोचना की थी और कहा कि उनकी सरकार अमेरिका से निर्वासित प्रवासियों को ले जाने वाली उड़ानों को तब तक स्वीकार नहीं करेगी, जब तक ट्रंप प्रशासन उनके साथ 'सम्मानजनक' व्यवहार करने वाला प्रोटोकॉल नहीं बनाता। एक्स पर लिखे संदेश में पेट्रो ने कहा, 'प्रवासी अपराधी नहीं है और उसके साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। इंसान इसका हकदार भी है। यही कारण है कि मैंने कोलंबियाई प्रवासियों को ले जा रहे अमेरिकी सैन्य विमानों को वापस कर दिया।

कोलंबिया की सरकार ने बदला फैसला

इससे नाराज होकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया के खिलाफ टैरिफ लगाने और अन्य जवाबी कदम उठाने का एलान कर दिया था। इसके कुछ ही घंटों बाद कोलंबिया ने भी अमेरिका पर आयात शुल्क बढ़ाए जाने का फैसला किया था। इससे दोनों मुल्कों में तनातनी बढ़ गई थी। हालांकि, अब कोलंबिया की सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। माना जा रहा है कि इसी के चलते कोलंबिया की सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा।

क्या हो सकते थे कोलंबिया पर गंभीर परिणाम?

अगर, कोलंबिया ने ट्रंप की शर्तें नहीं मानी होती, तो देश को गंभीर आर्थिक और राजनयिक नुकसान झेलना पड़ सकता था।

1.टैरिफ का असर: कोलंबिया से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सभी सामानों पर 25% टैरिफ लगने का खतरा था। यह टैरिफ एक सप्ताह में बढ़कर 50% तक हो सकता था। कोलंबिया की अर्थव्यवस्था, जो अपने 33% निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार पर निर्भर है, इस टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित होती।

2.वीजा प्रतिबंध: कोलंबियाई सरकारी अधिकारियों और उनके सहयोगियों के वीज़ा रद्द हो सकते थे। इसका असर कोलंबिया की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों और राजनयिक संबंधों पर पड़ता।

3.सख्त सीमा जांच: कोलंबियाई नागरिकों की अमेरिकी सीमा पर कड़ी जांच होती। इससे व्यापार, यात्रा और प्रवासियों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता।

4.आर्थिक प्रतिबंध: कोलंबिया की वित्तीय गतिविधियों, बैंकों और व्यापार पर कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते थे। इससे कोलंबिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगता।

5.राजनयिक अलगाव: अमेरिका और कोलंबिया के बीच व्यापार और राजनयिक संबंध प्रभावित हो सकते थे। कोलंबिया, जो अमेरिका को अपना सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार मानता है, अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ सकता था।

बेरमो अनुमंडल मुख्यालय तेनुघाट सहित आसपास के क्षेत्रों में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाई गई
पेटरवार (बोकारो)
मिथलेश कुमार बेरमो अनुमंडल मुख्यालय तेनुघाट सहित आसपास के क्षेत्रों में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाई गई।
बेरमो अनुमंडल मुख्यालय में इन पदाधिकारियों के द्वारा झंडोतोलन किया गया।  इस अवसर पर जिला जज प्रथम अनिल कुमार द्वारा व्यवहार न्यायालय तेनुघाट परिसर में झंडोत्तोलन किया गया। अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश मछुआ द्वारा अनुमंडल पदाधिकारी कार्यालय और आवास, शहीद पार्क, चिल्ड्रन पार्क में,  अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी वशिष्ठ नारायण सिंह द्वारा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी आवास और कार्यालय में तिरंगा फहराया गया।    तेनुघाट उपकारा में उपकारा अधीक्षक अरुणाभ के द्वारा, पुलिस निरीक्षक महेश प्रसाद सिंह के द्वारा पुलिस निरीक्षक कार्यालय तेनुघाट और मोहन गंझू चौक पर, तेनुघाट ओपी प्रभारी सुनील कुमार के द्वारा ओपी परिसर मे, अधिवक्ता संघ कार्यालय पर अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष वेंकट हरि विश्वनाथन, तेनुघाट डिग्री कॉलेज में प्राचार्य सुदामा तिवारी के द्वारा, तेनुघाट पंचायत में मुखिया नीलम श्रीवास्तव, जवाहर नवोदय विद्यालय तेनुघाट में प्राचार्य विपिन कुमार द्वारा, डीएवी पब्लिक स्कूल तेनुघाट में प्राचार्या स्तुति सिन्हा द्वारा झंडा फहराया गया।  वहीं किरण बेबीज पैराडाइज विद्यालय में प्राचार्या अनु प्रिया के द्वारा, प्रेस क्लब में बीरेंद्र प्रसाद के द्वारा झंडोतोलन किया गया। तेनुघाट शिविर संख्या 2 भारत माता मंदिर और झारखंड पेंशन कल्याण समाज तेनुघाट में अध्यक्ष इंदेश्वरी चौबे ने झंडा फहराया।     
     इस अवसर पर बेरमो अनुमंडल के मुख्य समारोह चिल्ड्रन पार्क में अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश मछुआ ने झंडोत्तोलन किया। झंडोत्तोलन के बाद अनुमंडल पदाधिकारी तथा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी वशिष्ठ नारायण सिंह ने परेड का निरीक्षण किया। उसके बाद अनुमंडल पदाधिकारी ने जनता को संबोधन किया।
         बताते चलें कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडोत्तोलन कार्यक्रम में जवाहर नवोदय विद्यालय तेनुघाट, डीएवी पब्लिक स्कूल, कस्तूरबा बालिका उच्च विद्यालय पेटरवार, कस्तूरबा बालिका उच्च विद्यालय गोमियां सहित अन्य विद्यालय के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। 
       इस अवसर पर विद्यालयों में बच्चों ने कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। 
       वहीं तेनुघाट व्यवहार न्यायालय में जिला जज प्रथम अनिल कुमार, कुटुंब न्यायालय प्रेमनाथ पांडेय, जिला जज द्वितीय सूर्य मणि त्रिपाठी, जिला जज तृतीय फहीम किरमानी, एसीजेएम मनोज कुमार प्रजापति, एसडीजेएम रश्मि अग्रवाल, सब जज द्वितीय राजेश रंजन कुमार, मुंसिफ शिवराज मिश्रा, अधिवक्ता रमेंद्र कुमार सिन्हा, सुभाष कटरियार, जीवन सागर, मुकेश कुमार सहित अन्य लोग के द्वारा उपस्थित बच्चों को गिफ्ट दे प्रोत्साहित किया गया। वहीं चिल्ड्रेन पार्क में परेड, झांकी, नृत्य प्रस्तुत करने वाले सभी को अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश मछुआ, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी वशिष्ठ नारायण सिंह, कार्यपालक दंडाधिकारी कनिष्क कुमार आदि के द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।   
       वहीं किरण बेबीज पैराडाइज विद्यालय में बच्चों के द्वारा नृत्य, संगीत प्रस्तुत कर दर्शकों को प्रसन्न किया।
गणतंत्रता दिवस के अवसर पर तेनुघाट जेल में जेल अदालत एवं कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन
पेटरवार (बोकारो)
मिथलेश कुमार गणतंत्रता दिवस के अवसर पर तेनुघाट जेल में जेल अदालत एवं कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
      कानूनी जानकारी देते हुए प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी राजेश रंजन कुमार ने बंदियों को सबसे पहले गणतंत्र दिवस की बधाई दी। इसके बाद सभी को बताया कि जेल से बाहर निकलकर एक अच्छे नागरिक बने। उन्होंने बताया कि हमें स्वतंत्रता सेनानी ने अंग्रेजो से लड़कर आजादी दिलाई। हमें भी इसी प्रकार देश की सेवा कर अपने, अपने परिवार और देश का नाम रौशन करना चाहिए।
बंदियों को प्रदान किए जाने वाले विभिन्न विधिक सहायता के बारे में बताते हुए कहा गया कि नालसा नई दिल्ली एवं झालसा रांची द्वारा बंदियों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम समय-समय पर चलाए जा रहे हैं। जिनके माध्यम से उन बंदियों को उचित विधिक सहायता प्रदान की जाती है। इसी के तहत प्रत्येक महीने जेल अदालत का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से कारा में संसीमित बंदियों को निरंतर विधिक सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बंदियों के बीच से ही पारा लीगल वॉलिंटियर्स की नियुक्ति की गई है। जो निरंतर बंदियों के संपर्क में रहकर उनकी समस्याओं को कारा प्रशासन के माध्यम से विधिक सेवा प्राधिकार तक पहुंचाते हैं। जहां अनुमंडल विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा त्वरित संज्ञान लेते हुए उनकी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि वैसे बंदी जो स्वयं के खर्च पर अपना अधिवक्ता रख पाने में असमर्थ हैं, उनके लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर लीगल एड डिफेंस काउंसिल के तहत अधिवक्ताओं की प्रतिनियुक्ति की गई है, जो उन बंदियों के केस में संबंधित न्यायालय में निरंतर पैरवी करते हैं।  आगे बताया कि हमें नशा से बचने की जरूरत है। अक्सर नशा करने के कारण लोगों से गलतियां होती हैं और उन्हें उसका नुकसान उठाना होता है। मोबाईल का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए इससे हमारे आंख पर और दिमाग पर भी असर पड़ता है।
         मंच संचालन करते हुए अधिवक्ता सुभाष कटरियार ने बंदियों को कानूनी जानकारियां देते हुए बताया कि पूरे देश में गणतंत्र दिवस मनाया गया है।
बंदियों को बताया कि जेल में आप सुधार के लिए आए हैं, इसलिए आप यहां रहकर अपने आप को सुधार कर बाहर निकले। उन्होंने कहा कि यह जरुरी नहीं है कि आप गुनाह किए हो। कभी कभी होता है कि आवेश में आकर कुछ गलती हो जाती है।
     स्वागत भाषण जेल अधीक्षक अरुणाभ और धन्यवाद ज्ञापन जेलर नीरज कुमार ने किया। वहीं अधिवक्ता सुजीत कुमार जायसवाल ने भी बंदियों को कानूनी जानकारियां दी। मौके पर विजय कुमार, मनोज प्रजापति, इश्तियाक अंसारी, संजय मंडल, सी दास आदि उपस्थित थे।
अमेरिका में रह रहे सिख क्यों भड़के? बोले- ये हमारी आस्था के खिलाफ

#ushomelandsecurityraidgurudwaraangerssikh_organizations

अमेरिका में मौजूद अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कमर कस ली है। ट्रंप के राष्ट्रपति बने के बाद से अवैध प्रवासियों को ढूंढ़ने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं और उनके खिलाफ लगातार कड़ी कार्रवाई जारी है। इसी के तहत अब अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी के अधिकारी अब गुरुद्वारों में भी अवैध अप्रवासियों की तलाश कर रहे हैं। अमरीकी पुलिस ने न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी में कुछ गुरुद्वारों में जांच की है। पुलिस ने गुरुद्वारों में जाने के पीछे तर्क दिया है कि धार्मिक स्थलों में प्रवासी छुप सकते हैं। पुलिस के धार्मिक स्थलों की शुचिता का ख्याल ना करने पर सिख संगठनों ने चिंता जताई है। कुछ सिख संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे अपने धर्म की पवित्रता के लिए खतरा माना है।

ट्रंप ने बदले नियम

डोनाल्ड ट्रंप के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद, कार्यवाहक होमलैंड सिक्योरिटी सचिव बेंजामिन हफमैन ने एक निर्देश में बाइडेन प्रशासन के उन दिशानिर्देशों को रद्द कर दिया जो इमिग्रेशन और कस्टम्स एन्फोर्समेंट (आईसीई) और कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन (सीबीपी) की कार्रवाई को तथाकथित ‘संवेदनशील’ क्षेत्रों में रोकते थे। इन ‘संवेदनशील’ क्षेत्रों में पूजा स्थल जैसे गुरुद्वारे और चर्च शामिल थे। इस बदलाव से एजेंसियों को गुरुद्वारों और चर्च जैसे पूजा स्थलों में जाने की इजाजत मिल गई है।

होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, यह कार्रवाई सीबीपी और आईसीई के कर्मचारियों को हमारे इमिग्रेशन कानूनों को लागू करने और उन अपराधियों को पकड़ने का अधिकार देती है, जो अवैध रूप से हमारे देश में आए हैं। प्रवक्ता ने कहा, अपराधी अब अमेरिका के स्कूलों और चर्चों में छिपकर बच नहीं पाएंगे। ट्रंप प्रशासन हमारे हाथ नहीं बांधेगा और सामान्य समझ के इस्तेमाल पर भरोसा करेगा।

अमेरिकी अधिकारियों ने गुरुद्वारे की ली तलाशी

इसी क्रम में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) के अधिकारियों ने रविवार को न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी जैसे शहरों में गुरुद्वारों का दौरा किया। अवैध अप्रवासियों की मौजूदगी की जांच के लिए की गई इस कार्रवाई सपर सिख संगठनों में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड ने इस कदम पर गहरी चिंता जताते हुए कि इससे सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होती है। साथ ही अप्रवासी समुदाय के भीतर भी डरावना संदेश जाता है।एक अन्य संगठन ने कहा कि बिना वारंट या वारंट के साथ भी गुरुद्वारों की निगरानी करना अस्वीकार्य है। ये हमारी आस्था पर हमला है और इससे धार्मिक क्रियाकलाप प्रभावित होंगे।

सहयोग न करने वाले देशों पर लगाएंगे प्रतिबंध

अमेरिकी संसद के निचले सदन के स्पीकर माइक जॉनसन ने चेतावनी दी है कि जो भी देश अमेरिका से निर्वासित हुए अपने नागरिकों को वापस लेने में सहयोग नहीं करेगा, उस पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे। बता दें कि ट्रंप सरकार ने अमेरिका से अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करना शुरू कर दिया है। कोलंबिया ने पूर्व में अपने निर्वासित नागरिकों को वापस भेजने के अमेरिका के तरीके से नाराजगी जाहिर करते हुए अपने नागरिकों को वापस लेने से मना कर दिया था। जिसके बाद ट्रंप सरकार ने कोलंबिया पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्देश दिया तो कोलंबिया की सरकार ने यू-टर्न लेते हुए अपने निर्वासित नागरिकों को वापस लेने का फैसला किया

यूट्यूब के 5 नए धमाकेदार फीचर्स: बिना इंटरनेट के चलेंगे शॉर्ट्स, हाई क्वालिटी साउंड और बहुत कुछ!

यूट्यूब, दुनिया का सबसे बड़ा वीडियो प्लेटफॉर्म, समय-समय पर अपने यूजर्स के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए नए फीचर्स रोलआउट करता रहता है. हाल ही में, यूट्यूब ने प्रीमियम यूजर्स के लिए 5 नए और शानदार फीचर्स पेश किए हैं, जो न केवल मनोरंजन को आसान बनाएंगे बल्कि टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग का अनुभव भी देंगे. आइए इन फीचर्स पर नजर डालते हैं.

हाई क्वालिटी साउंड

यूट्यूब ने प्रीमियम यूजर्स के लिए 256kbps बिटरेट पर ऑडियो सपोर्ट का फीचर जोड़ा है. इससे म्यूजिक और वीडियो का साउंड आउटपुट पहले से कहीं बेहतर हो गया है. यूट्यूब म्यूजिक पर यह सुविधा पहले से मौजूद थी, लेकिन अब इसे यूट्यूब वीडियो पर भी उपलब्ध कराया गया है.

शॉर्ट्स के लिए PiP मोड

अब यूट्यूब शॉर्ट्स को “पिक्चर इन पिक्चर” मोड पर देखा जा सकता है. यह फीचर आपको मल्टी-टास्किंग की सुविधा देता है. उदाहरण के लिए, आप किसी दूसरे ऐप पर काम करते हुए शॉर्ट्स का आनंद ले सकते हैं.

ऑफलाइन शॉर्ट्स

iOS यूजर्स के लिए यूट्यूब ने ऑटोमैटिक डाउनलोड फीचर पेश किया है. इसके जरिए आप बिना इंटरनेट के भी शॉर्ट्स देख सकते हैं. यह फीचर खासतौर पर उन लोगों के लिए उपयोगी है, जो इंटरनेट की कमी के कारण कंटेंट देखने में असमर्थ रहते हैं.

Ask Music फीचर

यूट्यूब म्यूजिक में “Ask Music” फीचर पेश किया गया है. इस फीचर की मदद से आप किसी खास म्यूजिक को केवल एक वॉयस कमांड से खोज और प्ले कर सकते हैं.

Ask Chat फीचर

iPhone यूजर्स के लिए “Ask Chat” बटन जोड़ा गया है. इसकी मदद से आप वीडियो में दिख रहे कंटेंट से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं. ये नए फीचर्स यूट्यूब प्रीमियम को और अधिक आकर्षक और उपयोगी बनाते हैं. हाई क्वालिटी ऑडियो, PiP मोड, और ऑफलाइन शॉर्ट्स जैसी सुविधाएं न केवल मनोरंजन को आसान बनाती हैं, बल्कि यूजर्स को बेहतर तकनीकी अनुभव भी प्रदान करती हैं. यूट्यूब का यह कदम इसे अन्य प्लेटफॉर्म्स से अलग और यूजर्स के अनुकूल बनाता है.

बांग्लादेश पर डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा एक्शन, ढाका को दी जाने वाली सभी मदद तत्काल प्रभाव से बंद

डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश के खिलाफ सबसे बड़ा एक्शन लिया है। ट्रंप ने बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी तरह की मदद को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। ट्र्ंप के कार्यकारी आदेश में बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी प्रकार की सहायता को तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश दिया गया है।

इस आदेश में बांग्लादेश को दी जाने वाली मदद रोकने के साथ ही सभी प्रकार के प्रोजेक्ट पर भी स्टे लगा दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि बांग्लादेश में चल रहे सभी कार्यों को भी तत्काल प्रभाव से रोका जा रहा है। USAID ने एक पत्र जारी करके यह जानकारी दी है। इसमें अनुदान, अनुबंध समेत सभी तरह के सहायता कार्यक्रम को तत्काल रोकने की बात कही गई है।

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे जुर्म का मुद्दा उठाया था और ट्रंप प्रशासन से बांग्लादेश के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। इसके कुछ ही दिनों में अमेरिका ने बांग्लादेश के खिलाफ यह कड़ी कार्रवाई की है।

हालांकि यूएसएस ने बांग्लादेश के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई वजह नहीं बताई है। मगर ट्रंप का यह फैसला बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यूएसएड अमेरिकी एजेंसी है। जो विभिन्न देशों को स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, आपता और मानवीय सहायता जैसे मद में अरबों डॉलर की सहायता देती है। अमेरिका के इस कदम से बांग्लादेश को बड़ा झटका लगा है।

स्वर्णमढ़ित 'बग्गी' का पुनरुद्धार: राष्ट्रपति मुर्मू और इंडोनेशियाई अतिथि को कर्तव्य पथ पर लाने में हुआ उपयोग

#therevialofthegoldplatedchariotusedinrepublicday_today

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उनके इंडोनेशियाई समकक्ष प्रबोवो सुबियांटो, गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि, को रविवार को पारंपरिक घोड़े से खींची जाने वाली ‘बग्गी’ में सवार होकर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर लाया गया। 1984 में बंद की गई यह बग्गी पिछले साल वापस लौटी। इसने राष्ट्रपति मुर्मू और उनके फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रों, जो पिछले साल मुख्य अतिथि थे, को कर्तव्य पथ पर पहुंचाया।

परंपरा

सोने की परत चढ़ी, घोड़े से खींची जाने वाली यह बग्गी एक काले रंग की गाड़ी है, जिस पर सोने से राष्ट्रीय प्रतीक (चार शेर) उकेरे गए हैं। भारतीय और ऑस्ट्रियाई घोड़ों की मिश्रित नस्ल द्वारा खींची जाने वाली इस गाड़ी में सोने की परत चढ़ी रिम भी है। राष्ट्रपति, जो भारत के राष्ट्राध्यक्ष हैं, और मुख्य अतिथि को ले जाने वाली बग्गी को ‘राष्ट्रपति के अंगरक्षक’ या राष्ट्रपति के अंगरक्षक, भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठ रेजिमेंट द्वारा अनुरक्षित किया जाता है।

बग्गी को क्यों बंद कर दिया गया था ?

ज्ञानी जैल सिंह ने 1984 में राष्ट्रपति बग्गी का इस्तेमाल किया था। उस वर्ष अक्टूबर में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसके कारण सुरक्षा कारणों से यह परंपरा बंद कर दी गई। इसके बाद राष्ट्रपति लिमोसिन में आने लगे, जब तक कि बग्गी को लगभग 40 साल बाद, जनवरी 2024 में वापस नहीं लाया गया।

2014 में, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बग्गी का इस्तेमाल किया, लेकिन बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए, जो 29 जनवरी को आयोजित किया जाता है, और गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है। प्रणब मुखर्जी के उत्तराधिकारी रामनाथ कोविंद ने 2017 में शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति की गाड़ी से गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया।

गणतंत्र दिवस

26 जनवरी को, राष्ट्र 1950 में इस तिथि पर संविधान के लागू होने का स्मरण करता है, जिसने 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लगभग तीन साल बाद भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया। संविधान सभा द्वारा तैयार संविधान को 26 नवंबर, 1949 को अपनाया गया था। 26 जनवरी 1950 में इसे लागू किया गया, वही 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 'पूर्ण स्वराज' (पूर्ण स्वतंत्रता) की घोषणा के उपलक्ष्य में चुना गया था। दूसरी ओर, 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत-इंडोनेशिया के बीच स्वास्थ्य और रक्षा समेत कई समझौतों पर हस्ताक्षर, जानें कितना अहम है दोनों देशों का संबंध

#mousexchangedbetweenindiaand_indonesia

भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय संबंध नई ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं। रिश्तों को और मजबूत बनाने के लिए आज दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए हैं। गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो भारत दौरे पर हैं। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के साथ बैठक की। बैठक से पहले पीएम मोदी ने प्रबोवो का गर्मजोशी से स्वागत किया और दोनों नेताओं ने हाथ मिलाए।

बैठक के बाद अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि, इंडोनेशिया भारत के पहले गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि देश था। यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि जब हम गणतंत्र के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, तो इंडोनेशिया एक बार फिर इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा है। मैं राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो का भारत में स्वागत करता हूं।

रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का निर्णय

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि 2018 में उनकी इंडोनेशिया यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपने रिश्तों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदलने का निर्णय लिया था। अब, राष्ट्रपति प्रबोवो के साथ मिलकर, रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और दोनों देशों के बीच मिलकर काम करने पर चर्चा की गई है। उन्होंने समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-निरोध और डी-रेडिकलाइजेशन जैसे मुद्दों पर भी सहयोग बढ़ाने की बात की।

दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 30 अरब डॉलर से अधिक

पीएम मोदी ने यह भी बताया कि भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले साल दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 30 अरब डॉलर से अधिक पहुंच गया है। इसके साथ ही, भारत और इंडोनेशिया ने समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में एक नए समझौते पर भी हस्ताक्षर किए, जो अपराध की रोकथाम, खोज एवं बचाव, और क्षमता निर्माण में सहयोग को मजबूत करेगा। यह मुलाकात और समझौते दोनों देशों के बीच रिश्तों को और गहरा करने में मददगार साबित होंगे।

क्या बोले राष्ट्रपति प्राबोवो?

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबियांतो ने कहा कि मैं भारत की अपनी पहली राजकीय यात्रा में मुझे दिए गए सम्मान के लिए अपनी सर्वोच्च कृतज्ञता दोहराना चाहता हूं। आज राष्ट्रपति ने मेरा बहुत सम्मान के साथ स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी, उनकी सरकार मेरे और मेरी सरकार के बीच बहुत गहन और बेहद स्पष्ट चर्चा हुई।

भारत और इंडोनेशिया के बीच समझौते

• रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन पर मिलकर काम करेंगे।

• दोनों देश समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने में सहयोग करेंगे।

• फिनटेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति।

• भारत इंडोनेशिया के साथ स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां शेयर करेगा।

• दोनों देशों की आपदा प्रबंधन एजेंसियां संयुक्त अभ्यास करेंगी।

• इंडोनेशिया के प्रम्बानन हिंदू मंदिर के संरक्षण में भारत सहयोग देगा।

मुंबई हमले का दोषी तहव्वुर राणा भारत लाया जाएगा, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से प्रत्यर्पण की मंजूरी

#us_supreme_court_clears_mumbai_attack_tahawwur_rana_extradition

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हमले का दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने मामले में उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका खारिज कर दी है। भारत कई साल से पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद शुक्रवार को इसको लेकर फैसला आया है। राणा 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में दोषी है।

अगस्त 2024 में अमेरिकी कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत भेजने का आदेश दिया था। निचली अदालत ने पिछले साल सितंबर में ही तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का रास्ता साफ कर दिया था। मगर राणा ने निचली अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

13 नवंबर 2024 को राणा ने निचली अदालत के प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को खारिज कर दिया था। राणा के पास प्रत्यर्पण से बचने का ये आखिरी मौका था। इससे पहले उसने सैन फ्रांसिस्को की एक अदालत में अपील की थी, जहां उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। अमेरिकी अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजा जा सकता है।

तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने 26/11 के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी। हेडली के इशारे पर ही पूरी साजिश को अंजाम दिलवा रहा था। राणा डेविड का राइट हैंड था। बताया जाता है कि कंट्रोल रूम में जो शख्स बैठा हुआ था, वो तहव्वुर राणा ही था। मुंबई हमले के दोषी राणा के भारत आने के बाद जांच एजेंसियां 26/11 की साजिश को बेपर्दा करेगी। इसमें किसका क्या रोल था, ये साफ होगा। इसके अलावा इसमें कौन कौन से लोग शामिल थे, जिनके नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं, उनके नाम भी सामने आएंगे।

मुंबई हमले की 405 पन्नों की चार्जशीट में राणा का नाम भी आरोपी के तौर पर दर्ज है। इसके मुताबिक राणा आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा का मेंबर है। चार्जशीट के मुताबिक राणा हमले के मास्टरमाइंड मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली की मदद कर रहा था। मुंबई पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, राणा आतंकियों को हमले की जगह बताने और भारत में आने के बाद रुकने के ठिकाने बताने में मदद कर रहा था। राणा ने ही ब्लूप्रिंट तैयार किया था, जिसके आधार पर हमले को अंजाम दिया गया। राणा और हेडली ने आतंकवादी साजिश रचने का काम किया था। चार्जशीट में बताया गया कि मुंबई हमले की साजिश की प्लानिंग में राणा का रोल बहुत बड़ा रोल था।