विनेश फोगाट का कांग्रेस में जाना तय, छोड़ी रेलवे की नौकरी
#phogat_resign_from_railway
भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने रेलवे से इस्तीफा दे दिया है। विनेश के रेलवे की नौकरी छोड़ने के बाद ये तय माना जा रहा है कि वो कांग्रेस में सामिल होनें वाली है साथ ही हरियाणा विधानसभा चुनाव के “दंगल” में दो-दो हाथ करती नजर आएंगी।
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विनेश फोगाट ने रेलवे की सेवा छोड़ने की जानकारी साझा की है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा- "भारतीय रेलवे की सेवा मेरे जीवन का एक यादगार और गौरवपूर्ण समय रहा है। जीवन के इस मोड़ पर मैंने स्वयं को रेलवे सेवा से पृथक करने का निर्णय लेते हुए अपना त्यागपत्र भारतीय रेलवे के सक्षम अधिकारियों को सौप दिया है। राष्ट्र की सेवा में रेलवे द्वारा मुझे दिये गये इस अवसर के लिए मैं भारतीय रेलवे परिवार की सदैव आभारी रहूँगी।"
कुछ दिन पहले दोनों पहलवानों ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी जिसके बाद से दोनों के राजनीति में आने की चर्चाएं तेज हो गई थी। इस मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि विनेश जुलाना और बजरंग पूनिया बादली सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। या फिर दोनों में से कोई एक पहलवान चुनावी मैदान में आ सकता है। राहुल से मिलने के बाद बजरंग व विनेश ने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी मुलाकात की। पेरिस से लौटने के बाद जब विनेश फोगाट दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची थीं तो कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा उनके स्वागत में पहुंचे थे। विनेश के स्वागत में निकाले गए जुलूस में भी दीपेंद्र काफी दूर तक साथ चले थे। उस दौरान बजरंग पूनिया भी साथ थे। तभी से अटकलें लगाई जा रही थीं कि विनेश फोगाट व बजरंग पूनिया कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।

						





 
 हरियाणा में 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने पहली लिस्ट जारी कर दी है। बीजेपी की पहली लिस्ट में 67 उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। टिकट देने से पहले पार्टी ने काफी मंथन किया, तब जाकर नामों पर मुहर लग सकी। बीजेपी ने कई मौजूदा विधायकों और मंत्रियों के टिकट काटे। बीजेपी की इस लिस्ट में कई संदेश छिपे हुए हैं।बताया जा रहा है कि बीजेपी को इन सीटों पर फील्ड से जो फीडबैक मिला था उस आधार पर उम्मीदवारों का बदलाव किया गया है। *सर्वे में जीतने वाले उम्मीदवारों पर ही दांव खेला* बताया जा रहा है कि बीजेपी को इन सीटों पर फील्ड से जो फीडबैक मिला था उस आधार पर उम्मीदवारों का बदलाव किया गया है। बीजेपी ने मौजूदा 9 विधायकों का टिकट काट दिया है। इनमें पलवल से दीपक मंगला, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता, गुरुग्राम से सुधीर सिंगला, बवानी खेड़ा से विशंभर वाल्मीकि, रनिया से कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला, अटेली से सीताराम यादव, पेहवा से पूर्व मंत्री संदीप सिंह शामिल हैं। सोनहा से राज्यमंत्री संजय सिंह, रतिया से लक्ष्मण नापा को भी टिकट नहीं दिया गया है। पार्टी ने सर्वे में जीतने वाले उम्मीदवारों पर ही दाव खेला है। भाजपा ने जिन पांच पूर्व मंत्रियों को टिकट दिए हैं, वह पार्टी के सर्वे में बाकी दावेदारों से काफी आगे थे। *लिस्ट के बाद पार्टी का साथ छोड़ने वाले नेताओं की लाइन लगी* लिस्ट जारी होने के बाद टिकट से वंचित नेताओं और उनके समर्थकों ने बगावती तेवर अपना लिए हैं। पहली लिस्ट के बाद हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ने वाले नेताओं की लाइन लग गई है। पार्टी छोड़ने वालों में कैबिनेट मंत्री से लेकर कई पूर्व विधायक भी शामिल हैं। बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसमें हरियाणा के कैबिनेट मंत्री चौधरी रणजीत सिंह चौटाला का नाम भी शामिल है। उन्होंने रानिया विधानसभा से टिकट नहीं देने पर नाराजगी जताई। यही नहीं रणजीत चौटाला ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। *टिकट बंटवारे के पीछे खास प्लानिंग* बीजेपी नेतृत्व ने जिस तरह से टिकट बंटवारा किया है उसके पीछे खास प्लानिंग मानी जा रही है। पार्टी ने इसी साल जून में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को देखते हुए टिकट बंटवारा किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार लोकसभा चुनाव में राज्य की 10 में से 5 सीट पर ही बीजेपी कब्जा जमाने में सफल रही। बाकी बची 5 सीटें कांग्रेस के खाते में गईं। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां सभी 10 सीटों पर कब्जा जमाया था। 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती। इसके पीछे एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर भी अहम है।
 
 
  
 आज लोग तनाव और दबाद के बीच जी रहे हैं। सुकून को किसी बक्से में बंद कर हम रेस में शामिल हो गए हैं। वास्तव में इंसान की प्रवृति ऐसी नहीं है। हां ये बात अलग है कि कुछ लोगों ने खुद को इस बातावरण में समायोजित कर लिया है। हालांकि, ऐसे लोगों की संख्या भी बहुत बड़ी है जो वातावरण के लिहाज से खुद को नहीं ढाल सकते। यहीं आता है टर्निंग प्वाइंट। यही वो जगह जब लोग खुदखुशी की ओर कदम बढ़ाते हैं। हाल ही मे जारी एक आंकड़े की मानें तो देश में कुल आत्महत्या के केस में सालाना 2 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, भारत में छात्र आत्महत्या की घटनाएं चिंताजनक दर से बढ़ रही हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, छात्र आत्महत्या भारत में फैलती महामारी है। 'छात्र आत्महत्याएं: भारत में फैली महामारी' रिपोर्ट वार्षिक आईसी3 सम्मेलन और एक्सपो 2024 में जारी की गई। जिसमें बताया गया है कि जहां देश में कुल आत्महत्या के केस में सालाना 2 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है, वहीं छात्र आत्महत्या के मामलों में यह वृद्धि 4 पर्सेंट से ज्यादा है। ये हालात तब हैं जब स्टूडेंट्स की स्यूसाइड की पुलिस में रिपोर्ट कम दर्ज कराई जाती है। आईसी3 इंस्टीट्यूट द्वारा सामने आी रिपोर्ट में ये सामने आया है कि पिछले दो दशकों में, छात्र आत्महत्या की घटनाओं में 4 प्रतिशत की सालाना दर से वृद्धि हुई है, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है. साल 2022 में कुल छात्र आत्महत्या के मामलों में 53 प्रतिशत पुरुष छात्रों ने खुदकुशी की. 2021 और 2022 के बीच, छात्रों की आत्महत्या में छह प्रतिशत की कमी आई जबकि छात्राओं की आत्महत्या में सात प्रतिशत की वृद्धि हुई। रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि छात्र आत्महत्या की घटनाएं जनसंख्या वृद्धि दर और कुल आत्महत्या ट्रेंड दोनों को पार करती जा रही हैं। पिछले दशक में जबकि 0-24 साल की आयुवर्ग आबादी 58.2 करोड़ से घटकर 58.1 करोड़ हो गई, वहीं छात्र आत्महत्याओं की संख्या 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई है। राष्ट्रीय अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में स्टूडेंट्स ने सबसे ज्यादा स्यूसाइड किया। राजस्थान का कोटा आत्महत्या के मामलों में हमेशा चर्चा में रहता है, लेकिन इस रिपोर्ट में वह 10वें स्थान पर है। एनसीआरबी द्वारा संकलित डेटा पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी रिपोर्ट (एफआईआर) पर आधारित है। हालांकि, यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि छात्रों की आत्महत्या की वास्तविक संख्या संभवतः कम रिपोर्ट की गई है। इस कम रिपोर्टिंग के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जिसमें आत्महत्या से जुड़ा सामाजिक कलंक और भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत आत्महत्या के प्रयास और सहायता प्राप्त आत्महत्या का अपराधीकरण शामिल है। हालांकि 2017 मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों के लिए आत्महत्या के प्रयासों को अपराध से मुक्त करता है ॉ
 
Sep 06 2024, 14:51
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