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रक्षाबंधन के लिए सजे बाजार, 19 अगस्त को दोपहर 1:43 बजे है शुभ मुहुर्त

भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन देश भर में हर साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है और भगवान से उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की प्रार्थना करती हैं। भाई इस प्रेम रूपी धागे को बंधवा कर जीवनभर उनकी रक्षा करने का संकल्प लेते है। साथ ही अपनी बहन को उपहार देते है। प्रधान पुजारी आशीष मिश्रा ने बताया कि रक्षा बंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा। इस बार भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा, जिसके चलते बहनों को भाइयों के राखी बांधने के लिए कई घंटों का इंतजार करना पड़ेगा। भद्रा का साया 19 अगस्त को सुबह तीन बजे से शुरू होगा और दोपहर 01.43 तक रहेगा।

शास्त्रों के अनुसार भद्रा में बहनों को अपने भाइयों के राखी नहीं बांधनी चाहिए। भद्रा काल के दौरान किसी भी हाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि रावण की बहन सूर्पनखा ने भद्रा काल में भाई रावण को राखी बांधी थी जो कि उसके विनाश का कारण बना। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त को दोपहर 01:43 बजे से शुरू होगा और रात्रि 9:07 बजे तक रहेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग और श्रवण नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है और भगवान शंकर की कृपा प्राप्ति के लिए इस दिन श्रावन माह का अंतिम सोमवार भी रहेगा।

महाभारत काल में कृष्ण और द्रौपदी का एक वृत्तांत मिलता है कि जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया, तब उनकी तर्जनी अंगुली में चोट आ गई और रक्त बहने लगा। ये देखकर द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उसे भगवान श्रीकृष्ण की अंगुली पर पट्टी की तरह बांध दिया था। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। इसके उपरांत भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के चीर-हरण के समय उनकी लाज बचाते हुए भाई होने का धर्म निभाया। तब से ही रक्षा बंधन के दिन भाई की कलाई पर राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई। उन्होंने बताया कि इसके अलावा रक्षाबंधन के बारे में अनेक पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं।

वहीं, रक्षाबंधन को लेकर बाजार में राखी की दुकानें सजने लगी है। जहां पर बहनों ने खरीदारी भी शुरू कर दी गई है। पूरे जनपद में विभिन्न प्रकार की राखी की दुकानें सज गई हैं। भदोही के बाजारों में भी राखी की दुकानें सजी है। जहां बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए हर तरह की राखी उपलब्ध है। दुकानों पर 5 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक कीमत वाली राखी मौजूद है। बच्चों के लिए काटून कैरेक्टर वाली राखियां, म्यूजिक लाइट वाली इलेक्ट्रॉनिक राखियां, कार्टून हीरो राखियां भी आ रही है। कस्टमाइज्ड राखियां - गिफ्ट्स बन रहे हैं। जिसमें राखी पर अपना फोटो,नाम व क‌ई तरह के फोटो है।
भदोही में शिवभक्तों की आस्था का केंद्र हैं बाबा बेरासनाथ, पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं


नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। भदोही में उत्तरवाहिनी मां गंगा के तट पर स्थित बाबा बेरासनाथ के नाम से प्रसिद्ध शिव मंदिर में दूर-दूर से काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। श्रावण मास में और सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ रहती है।ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मगर पंचकोस की कमी की वजह से बेरासनाथ धाम केवल गुप्त काशी के नाम से प्रसिद्ध है।भदोही को काशी-प्रयाग के मध्य क्षेत्र को पवित्र क्षेत्र माना जाता है। इसी क्षेत्र के मध्य काफी धार्मिक केन्द्र हैं, जो अपने आप में कई ऐतिहासिक विरासत सहेजे हुए हैं। साथ ही सभी की अपनी अलग-अलग धार्मिक मान्यताएं हैं। काशी-प्रयाग के मध्य स्थित एक ऐसा शिव मंदिर है, जहां की मान्यता काशी विश्वनाथ से कम नहीं है. मगर भौगोलिक स्थिति की कमी से यह स्थल काशी तो नहींं बन सका, लेकिन गुप्त काशी के नाम से आज भी प्रचलित है। बाबा बेरासनाथ के नाम से प्रसिद्ध शिव मंदिर में काफी संख्या में दूर-दूर से भक्त आते हैं और सभी की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती हैं।गोपीगंज क्षेत्र के बेरासपुर गांव में स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर जो बाबा बेरासनाथ के नाम से क्षेत्र में प्रसिद्ध है।

इस मंदिर की स्थापना के बारे में बताया जाता है कि इस मंदिर का शिवलिंग भी एक कुंए में था। एक बार व्यासजी इसी जगह से जा रहे थे तो उनको यहां किसी दैवीय शक्ति का अहसास हुआ। फिर वे रुक गये और कुंए में स्थित शिवलिंग की पूजा अर्चना करने लगे। उसके बाद ग्रामीणों ने भी पूजा पाठ करना प्रारम्भ कर दिया। व्यास जी के कई वर्ष तक इस जगह रहने पर इस जगह का नाम व्यासपुर रहा, लेकिन कालांतर में गांव का नाम बेरासपुर पड़ गया। गांव के ही बाला प्रसाद पाल 'साहब' के सहयोग से हुआ मंदिर का निर्माण व्यासजी के चले जाने के काफी वर्ष बाद ग्रामीणों ने कुएं में स्थित शिवलिंग को बाहर निकाल कर स्थापित करने की इच्छा जताई, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. फिर कुछ वर्षों तक ग्रामीणों ने कुएं को पाटकर शिवलिंग की जगह ऊपर पूजा-पाठ करना प्रारंभ कर दिया।

मगर मंदिर सही न होने से पूजा करने वालों को काफी दिक्कतें होती थीं। इसी को ध्यान में रखकर गांव के ही महामानव बाला प्रसाद पाल 'साहब' जो रेलवे में कार्यरत थे, उन्होंने बाबा बेरासनाथ मंदिर का जिणोद्धार का वीणा उठाया और वर्ष 1938 में पूरा करा दिया।‌ उस समय भारत-पाकिस्तान का बंटवारा नहीं हुआ था। इस मंदिर के निर्माण में लाहौर से दर्जनों कारीगरों ने आकर इस मंदिर के निर्माण कार्य में सहायता की थी। साथ ही गांव के भी काफी हिन्दू-मुस्लिमों ने भी कार्य किया था।

इस मंदिर को अंदर से देखने से एक अलग स्थापत्य कला का अनुभव होता है। मंदिर को बाहर देखने से मंदिर जैसा लगता है और अंदर गोलाकार है। मंदिर के निर्माण में बाला प्रसाद पाल 'साहब' के सहयोग को गांव कभी नहीं भुला सकता है।इस मंदिर के आध्यात्मिक महत्व के बारे में प्रसिद्ध विद्वान स्व. प्रभुनाथ मिश्र ने अपने काव्य रचना में बताया कि इस जगह काशी की स्थापना होनी थी, मगर पंचकोस जमीन की कमी के कारण यहां काशी की स्थापना नहीं हो सकी और यह क्षेत्र गुप्त काशी के रूप में महात्म्य सहेजा है। स्व प्रभुनाथ मिश्र ने अपनी काव्य रचना में बताया कि जैसे काशी विश्वनाथ के पूर्व तरफ उत्तरवाहिनी गंगा है, वैसे ही बाबा बेरासनाथ धाम के पूर्व तरफ भी उत्तरवाहिनी गंगा बहती है। काशी में उत्तर तरफ से कोई एक पानी का स्त्रोत आकर गंगा में मिलता है, ठीक वैसे ही बेरासनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर एक पानी का स्त्रोत भी गंगा में जाकर मिलता है। मगर पंचकोस की कमी की वजह से बेरासनाथ धाम केवल गुप्त काशी के नाम से प्रसिद्ध है।

इस मंदिर के बारे में गांव के वयोवृद्ध लोग काफी चमत्कारिक घटनाएं बताते हैं। गांव के फूलचंद तिवारी ने इस मंदिर के महात्म्य के बारे में बताया कि बचपन से ही बेरासनाथ मंदिर के महिमा को सुनते चले आ रहे हैं। कई ऐसी घटनाओं को भी देखा जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। फूलचंद ने बताया कि एक बार बारिश न होने से पूरे गांव वाले मिलकर मंदिर के शिवलिंग को पानी से डूबोना चाहते थे। मान्यता है कि बारिश होगी, लेकिन सभी ग्रामीणों के प्रयास के बावजूद भी शिवलिंग पानी से नहीं डूबा. हालांकि बाद में बारिश हुई और लोग काफी प्रसन्न हुए।बेरासनाथ मंदिर के महिमा के बारे में बताते हुए रमेश पांडेय ने कहा कि यह शिव मंदिर हमारे पूर्वजों के समय से भी पहले का है। यहां पर पूजा-पाठ करने वालों की सभी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। यहां पर अपने मनोरथ पूर्ण होने पर दूर दूर के दर्शनार्थी आते हैं। पिछले कई वर्षो से बेरासनाथ मंदिर प्रांगण में शारदीय नवरात्र में भव्य दुर्गा पूजन का आयोजन भी होता है। बेरासनाथ मंदिर प्रांगण में एक भव्य और विशाल पीपल का पेड़ है, जो इस मंदिर की भव्यता को और भी बना देता है।

जिला अस्पताल की ओपीडी में पहुंचे मौसम बीमारियों से पीड़ित 716 लोग

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। मौसम में निरंतर परिवर्तन देखा जा रहा है। इसका असर लोगों की सेहत पर तेजी से पड़ रहा है। शुक्रवार को जिला चिकित्सालय के ओपीडी में मरीजों की भरमार रही। ज्यादातर मरीज, सर्दी, जुकाम, बुखार के पहुंचे, जिन्हें जांच पड़ताल कर दवाई उपलब्ध कराई गई।

716 मरीजों की ओपीडी रही। जनपद में कुछ दिनों से बारिश के बाद धूप खिल रहा है। जिससे असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। बारिश में भीगने के बाद लोग बीमार पड़ रहे है। सर्दी, जुकाम और बुखार के चपेट में तत्काल आ रहे हैं। जिला चिकित्सालय में शुक्रवार को 716 मरीजों की ओपीडी और 43 मरीजों की इमरजेंसी रही।

ज्यादातर मरीज मौसमी बीमारी से ग्रसित रहते। फिजिशियन डॉ प्रदीप कुमार यादव ने बताया कि बदलते मौसम के बीच सतर्कता जरूरी है। क्योंकि कुछ दिनों से बारिश के धूप खिल रही है। इसका असर लोगों की सेहत पर पड़ा है।

भदोही में जिलाधिकारी ने जिला खेल स्टेडियम में अत्याधुनिक जिम का लोकार्पण कर जनपदवासियों को किया समर्पित

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। जिलाधिकारी विशाल सिंह ने जिला खेल कार्यालय स्पोर्ट्स स्टेडियम भदोही के बहुउद्देशीय क्रीड़ा हाल में अत्याधुनिक जिम का लोकार्पण कर इसे जनपद वासियों को समर्पित किया। इस जिम में खेल प्रोत्साहन निधि से लगभग 2 से 4 करोड रुपए मूल्य लागत की अत्याधुनिक मशीनें, जेंट्स व लेडीज टॉयलेट, बैडमिंटन कोर्ट हैं जो शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाने में मदद करेंगी।इस अवसर पर जिलाधिकारी विशाल सिंह ने कहा, "यह जिम जनपद वासियों के लिए एक वरदान है।

यहां पर उपलब्ध आधुनिक मशीनें लोगों को अपने शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाने में मदद करेंगी। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि यह एडवांस जिम भदोहीवासियों के लिए बहुपयोगी सुविधा होगी। यह जिम जनपदवासियों के लिए खुला है और वे यहां पर अपने शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए आएं।

क्रीड़ा अधिकारी अभिज्ञान मालवीय ने मशीनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ये मशीनें शरीर के अलग-अलग अंगों के विकास के लिए डिज़ाइन की गई हैं।जिम में उपलब्ध मशीनों में ट्रेडमिल, साइकिलिंग मशीन आर्म र्कल, शोल्डर प्रेस, बैक एक्सरसाइज, एब्डोमिनल एक्सरसाइज, लेग एक्सटेंशन, बेंच प्रेस, रोड प्लेट डंबल, आदि शामिल हैं।

स्वतंत्रता दिवस पर सरकारी कार्यालयों पर किया गया ध्वजारोहण:पौधारोपण कर शहीदों को किया गया नमन

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। स्वतंत्रता दिवस पर जिले के सरकारी कार्यालय राजनीतिक कार्यालय, विद्यालयों एवं सामाजिक संगठन कार्यालय पर ध्वजारोहण किया गया। ध्वजारोहण के बाद शहीदों को नमन करने के पश्चात गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें वीर शहीदों के कार्य को लोगों को बताया गया।स्वतंत्रता दिवस पर कलेक्ट्रेट पर जिलाधिकारी विशाल सिंह ने ध्वजारोहणकर शहीदों को नमन किया।

पुलिस लाइन में पुलिस अधीक्षक डॉ मीनाक्षी कात्यान ने ध्वजारोहण किया एवं सभागार में आयोजित गोष्ठी में भी शहीदों के बारे में पुलिस जवानों को विस्तृत जानकारी दी । उन्होंने कहा कि वीर शहीद के बलिदान को कभी भुला नहीं जा सकता। इसी तरह जिला पंचायत सभागार में जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी ने ध्वजारोहणकर राष्ट्रगान की।

जिला पंचायत सभागार में आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि आज के ही दिन भारत देश अंग्रेजों से आजाद हुआ था जिसमें हमारे कई वीर सपूतों ने आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने जान की कुर्बानी दी थी। उन्होंने कहा कि आज हम उन वीर सपूतों को बारंबार नमन करते हैं। विकास भवन में मुख्य विकास अधिकारी जिला जेल में जेलर एवं अन्य सरकारी कार्यालय में विभाग अध्यक्षों द्वारा ध्वजारोहण कर शहीदों को नमन किया गया।

युवाओं में तिरंगे वाली टोपी - टी-शर्ट का केज

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर जिले के विभिन्न बाजारों में दुकानें सज गई हैं। बुधवार को दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ दिखी। बाजार में पांच रुपए से लेकर 200 रुपए तक के तिरंगे बिक रहे हैं।

इसके अलावा तिरंगा वाले रिबिन, बिल्ला , टी-शर्ट, हेयरबैंड ,हैंडबैंड, दुपट्टे का क्रेज है। स्कूलों और कॉलेजों में 15 अगस्त को होने वाले कार्यक्रमों की तैयारी शुरू हो गई है। निजी संस्थानों के दफ्तर और सरकारी कार्यालय तिरंगे वाली झालरों से जगमग हो ग‌ए है। ज्ञानपुर, भदोही, सुरियावां, मोढ़,अभोली, दुर्गागंज, ऊंज,वहिदा मोढ़, सीतामढ़ी, जंगीगंज, गोपीगंज, औराई,चौरी के बाजार खरीदार से गुलजार रहे।

दुकानों पर रात दस बजे तक बच्चे - युवा डटे रहे। लोग दुकानों पर जाकर अपनी साइकिल - बाइक पर तिरंगा लगवा रहे हैं।

भदोही में बुढ़वा मंगल के मेले में उमड़ा जनसैलाब

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। श्रावण मास के अंतिम मंगलवार पर आज प्राचीन चकवा महावीर मंदिर व जंगीगंज महावीर मंदिर पर मेला का आयोजन किया गया। सुबह से लोग मंदिर में पहुंचकर कलयुग के राजा हनुमान जी का दर्शन पूजन किया ।

मेले में बच्चों ने जहां झूले का आनंद लिया वहीं जमकर खरीदारी किया गया।बता दें कि विगत कई वर्षों से श्रावण मास के अंतिम मंगलवार पर बुढ़वा मंगल मेला का आयोजन चकवा महावीर मंदिर व महावीर मंदिर जंगीगंज में किया जाता रहा है। आज अंतिम मंगलवार होने पर विशाल मेले का आयोजन किया गया। जहां पर जिले के लोग पहुंचकर कलयुग के राजा हनुमान जी का दर्शन पूजन किया । दर्शन पूजन के पश्चात लोग मेले में घूम-घूम कर स्वादिष्ट व्यंजनों का लुफ्त उठाया और जमकर खरीदारी की ।

मेले में पहुंचे बच्चे भी लगे झूले का आनंद लिया । सुरक्षा व्यवस्था मे थाना पुलिस व पीएसी बल तैनात रही। क्षेत्राधिकारी व अन्य आलाधिकारी मेले का भ्रमण कर सुरक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिस कर्मियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया । मेले में जैसे-जैसे दिन बढ़ता गया भीड़ भी बढ़ती गई।

नगर से सटे चकवा में स्थित महावीर मंदिर की महिमा निराली है। हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर पांडव कालीन माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने ज्यादातर समय यहीं पर गुजारा। मंदिर की देखरेख और नियमित महावीर जी की पूजा करने वाले शास्त्री ब्रजेंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि चकवा में विशालकाय वट वृक्ष से महावीर निकले हैं। बताया कि द्वापर युग में जब पांडव अज्ञातवास पर थे तो लाक्षागृह में आग लगने से पूर्व सभी लोग सुरंग के रास्ते निकलकर यहीं पर आए थे। उन्होंने ने ही यहां पर महावीर की स्थापना की थी। उस समय यहां घना जंगल हुआ करता था।

भदोही में ऐतिहासिक है हरियांव गांव का प्राचीन शिव मंदिर परिक्रमा करने पर बनता है ओमकार का आकार

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। मखमली कालीनों के लिए पूरे विश्व में विख्यात भदोही भी ऐतिहासिक रूप से काफी समृद्ध है। 15वीं शताब्दी में यहां आए बघेल राजवंशों की छावनी आज भी है यहां आज भी राजवंश परिवार से जुड़े लोग रह रहे हैं ।

भदोही के हरिगांव स्थित बघेल छावनी काफी दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। यहां प्राचीन भगवान शिव की नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित है।बता दें कि भदोही के हरिगांव में स्थित बघेल छावनी समृद्धि इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए हैं । यहां स्थित मंदिर परिसर का इतिहास कोणार्क कालीन है । इस मंदिर परिसर में विशाल पीपल के वृक्ष का भी अपना एक इतिहास है।

बघेल परिवार से जुड़ी हुई डॉ ऋचा सिंह बताती है कि इस पीपल के वृक्ष के समीप ही भगवान सूर्य का एक मंदिर था जो की हजारों वर्ष पुराना कोणार्क काल का था । हमारे पति स्वर्गीय अजीत कुमार सिंह ने 1993 में मंदिर का पुनरुद्धार करवाया । जिसका नाम सिद्धपीठ शिवायतन एवं सूर्य मंदिर रखा गया। स्वर्गीय अजीत सिंह ने मंदिर में भगवान शिव के पंचायतन की स्थापना की और भगवान शिव के अंगी देवताओं को भी स्थापित किया।

जिनमें भगवान शिव समेत भगवान श्री कृष्ण भगवान सूर्य भगवती दुर्गा देवी भगवान रामचंद्र भगवान गणेश भगवान नंदी हनुमान जी आदि का विग्रह उपस्थित है । खास बात यह है कि मंदिर जिस स्थान पर चबूतरे पर बना हुआ है उसकी परिक्रमा ओमकार है। यानी परिक्रमा करने पर गोल नहीं ओम का आकार बनता है जो की एक बहुत ही विशिष्ट बात है और पूरे भारतवर्ष में अथवा पूरे विश्व में यह तीसरा ऐसा स्थान है जहां पर ओंकार की परिक्रमा उपस्थित है। इस संबंध में डॉ ऋचा सिंह बताती है कि 2007 में पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम बघेल छावनी पहुंची और मूर्ति की जांच पड़ताल की साथ ही उन्होंने पीपल के वृक्ष की पड़ताल भी की ।

अपनी जांच के बाद उन्होंने बताया कि यह मूर्ति कोणार्क कालीन की हो सकती है जो की छठवीं शताब्दी मानी जाती है । यह पीपल का वृक्ष तकरीबन 700 वर्ष पुराना है । पुरातत्व विभाग के अनुसार यह बहुत ही दुर्लभ प्रतिमा है।

पीएम आवास के लाभार्थी को लाल किले पर परेड कार्यक्रम का मिला आमंत्रण

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। स्वतंत्रता दिवस की 78 वीं वर्षगांठ पर दिल्ली के लाल किले पर आयोजित परेड कार्यक्रम में जिले के प्रधानमंत्री आवास की लाभार्थी को विशिष्ट आमंत्रण मिला है। आकांक्षी ब्लॉक औराई के औराई गांव की चमेला देवी और उसके पति सुखलाल यादव आमंत्रण पत्र मिलने पर खुशी से फूले नहीं समा रहे।

शासन की तरफ से दोनों को जाने और आने के लिए फ्लाइट का टिकट भी दिया गया है।परियोजना निदेशक आदित्य कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार कल्याणकारी योजनाओं से लोगों का जीवन स्तर बेहतर कर रही है। जिसमें कुछ लाभार्थी सरकार की उम्मीदों से बेहतर काम कर रहे हैं। चमेला देवी और उनके पति सुखलाल को प्रधानमंत्री आवास आवंटित हुआ था। दोनों ने आवास को काफी सुंदर बनाया है।

योजनाओं में अपनी बेहतर सहभागिता देने वाले लाभार्थियों को दिल्ली के लाल किला में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। जिसमें आकांक्षी ब्लॉक औराई की चमेला देवी का चयन किया गया है।जिलाधिकारी विशाल सिंह के मार्गदर्शन में सीएम फेलो डॉ. मधु शास्त्री ने लाभार्थी को फ्लाइट टिकट देकर दिल्ली आमंत्रित व सम्मानित किया गया। सीएम फेलो ने बताया कि लाभार्थी दंपती की 12 अगस्त को बाबतपुर एयरपोर्ट से दिल्ली रवानगी होगी। राजकीय अतिथि के रूप में चार दिवसीय दिल्ली दर्शन के बाद 16 अगस्त को वापसी होगी।

घर से बाबतपुर और वापसी में घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। लाभार्थी दंपती ने खुशी जताते हुए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन का आभार जताया।

सावन के चौथे सोमवार पर शिवालयों पर गूंजा-बोल बम, श्रद्धालुओं ने कि बाबा का जलाभिषेक

नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। देवों के देव महादेव के प्रिय माह सावन का आज चौथा सोमवार है। ये दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दौरान व्रत रखने से मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के चौथे सोमवार पर भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने से रुके हुए कार्यों को गति मिलती हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का वास बना रहता है।वहीं आज सावन के चौथे सोमवार पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में महादेव की अर्चना करने पर हर इच्छा पूरी होती है।

बता दें इस दौरान शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में शिव जी की पूजा करने से ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती हैं। सावन के चौथे सोमवार को जिले के शिवालयों में भगवान शंकर का दर्शन करने के लिए सुबह से श्रद्धालुओं की कतार लगी रही । चौथा सोमवार होने के कारण आज अल सुबह से ही मंदिरों में व्रती महिलाओं एवं श्रद्धालुओं की भीड़ पूजन अर्चन किया। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर जिले के शिवालयों पर महिला कांस्टेबल सहित पुलिस बल तैनाती की गई है।बता दें कि जिले के प्रमुख शिवालय बाबा सेमराधनाथ, गोपीगंज क्षेत्र के तिलेश्वर नाथ मंदिर, राजपूत स्थित बाबा पांडवानाथ एवं गोपीगंज नगर स्थित बाबा बड़े शिव धाम के साथ ही ज्ञानपुर नगर स्थित सिद्ध पीठ बाबा हरिहरनाथ मंदिर परिसर में आज सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।

मंदिर परिसर के व्यवस्थापक एवं पुलिस के जवानों द्वारा सभी श्रद्धालुओं को कतारबद्ध कर भगवान शंकर का दर्शन कराते रहे। श्रावण मास का चौथा सोमवार होने के कारण महिलाओं की भीड़ अधिक देखी गई जो सुबह से ही बाबा को जलाभिषेक करने के लिए मंदिर में पहुंच गई । श्रद्धालुओं ने बाबा का दर्शन पूजन एवं जलाभिषेक करने के पश्चात मन्नतें मांगी । सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर गोपीगंज थाना, कोइरौना थाना, ज्ञानपुर कोतवाली पुलिस मंदिर परिसर में तैनात रही । जिले के आला अधिकारी शिवालयों का चक्रमण कर ड्यूटी रत पुलिस कर्मियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया।