तुलसी जयंती मनायी गयी,साहित्यकार हुए शमिल
अमेठी/ओस्लो। भारतीय- नावेर्जीय सांस्कृतिक फोरम द्वारा तुलसी जयंती पर आभाषी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कवि गोष्ठी आयोजित की गयी,जो सुरेशचन्द्र शुक्ल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।सुरेशचन्द्र शुक्ल द्वारा हनुमान चालीसा, गुरु वंदना, राम जन्म तथा जपजी का अनुवाद नावेर्जीय भाषा में किया है और इब्सेन के नाटकों एवं नार्विजन लोककथाओं,कविताओं का अनुवाद हिन्दी में किया है,जिस पर उन्होंने विधिवत प्रकाश डाला ।
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि तेज स्वरूप त्रिवेदी संगीत-नाटक अकादमी दिल्ली एवं प्रो. निर्मला एस. मौर्य (पूर्व कुलपति, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, उ. प्र.) थे। मुख्य वक्ताओं में प्रो. पवन अग्रवाल लखनऊ विश्वविद्यालय, प्रो. हरिशंकर मिश्र, लखनऊ, प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा कुलनुशासक एवं विभागाध्यक्ष हिन्दी विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, श्री हरेराम बाजपेयी इन्दौर, आदि थे। प्रो.पवन अग्रवाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि जनमानस के लोकनायक, आदर्शवादी व्यवस्था एवं मयार्दा स्थापित करने वाले थे राम।
अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन में भारत से डॉ. सुषमा सौम्या, डॉ. कुँवर वीर सिंह मार्तण्ड संपादक साहित्य त्रिवेणी मासिक, डॉ. करुणा पाण्डेय, अखिलेश कुमार निगम डी जी पी लखनऊ, डॉ. ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी कबीर नगर, डॉ. अर्जुन पाण्डेय अमेठी, डॉ. दिग्विजय शर्मा आगरा केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा, डॉ. अमिता आर्य पुणे, शशि पाराशर, अशोक एवं प्रमिला कौशिक तथा विनीता रानी बिन्नी दिल्ली ने काव्यपाठ किया।विदेश से प्रो हरनेक सिंह गिल लंदन, ब्रिटेन, डॉ. राम बाबू गौतम न्यू जर्सी अमेरिका, डॉ. ऋतु ननन पाण्डेय नीदरलैंड, नीरजा शुक्ला कनाडा एवं नार्वे से प्रकाशित हिन्दी पत्रिका स्पाइल-दर्पण के संपादक सुरेशचन्द्र शुक्ल ह्यशरद आलोकह्ण ओस्लो, नार्वे ने काव्य पाठ किया और गोस्वामी तुलसी दास जी के साहित्य से जुड़े अनुभव साझा किए।
संगोष्ठी के अंत में भगवान राम को वैश्विक बताते हुए अवधी साहित्यकार एवं पर्यावरणविद् डॉ.अर्जुन पाण्डेय द्वारा आभाषी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में सम्मिलित सभी के प्रति आभार व्यक्त किया गया।
Aug 14 2024, 17:52