जुलाई महीने में दूसरा एकादशी व्रत 17 को और तीसरा एकादशी व्रत 31 जुलाई को
नयी दिल्ली : जुलाई के महीने में तीन एकादशी तिथियां पड़ रही हैं। ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है। आइए ऐसे में जानते हैं कि जुलाई में किन तारीखों को ये एकादशियां हैं और इनका महत्व क्या है।
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बड़ा महत्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने से जीवन की हर परेशानी का अंत हो जाता है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले बहुत से लोग एकादशी तिथि का व्रत रखते हैं। हर माह में ज्यादातर 2 एकादशी तिथियां आती हैं, एक शुक्ल पक्ष की और एक कृष्ण पक्ष की। लेकिन साल 2024 के जुलाई महीने में एक ही महीने में तीन एकादशी तिथियां हैं।
आइए जानते हैं जुलाई में ये तीनों एकादशी तिथियां कब-कब हैं और इनका महत्व क्या है। जुलाई महीने में तीन एकादशी तिथियां
इस महीने के पहले हफ्ते में योगिनी एकादशी का व्रत रखा गया था।
योगिनी एकादशी 2 जुलाई को थी। अब 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इसके बाद महीने के अंतिम दिन 31 जुलाई को कामिका एकादशी व्रत है। यानि जुलाई में तीन एकादशी तिथियों का संयोग बना है। योगिनी एकादशी का व्रत लिया जा चुका है, आइए अब जानते हैं कि अगर आप देवशयनी और कामिका एकादशी का व्रत रखते हैं तो आपको कैसे परिणाम प्राप्त होते हैं।
17 को देवशयनी एकादशी का महत्व
देवशयनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और शुभ मांगलिक कार्यों को करने पर रोक लग जाती है। चार माह बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और फिर मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इसलिए यह एकादशी बेहद खास मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और साथ ही अंत समय में मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन व्रत रखने से आरोग्य वर भगवान विष्णु आपको देते हैं।
31 को कामिका एकादशी का महत्व
कामिका एकादशी का व्रत रखने से भक्तों के सभी दुख समाप्त होते हैं और सुखों की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से न केवल भगवान विष्णु बल्कि सभी देवताओं, गंधर्व और सूर्य देव की पूजा का भी फल प्राप्त होता है। इस दिन दान करने से आपको पुण्य प्राप्त होता है।
एकादशी व्रत की पूजा विधि
अगर आप एकादशी तिथि का व्रत रख रहे हैं तो आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा स्थल भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। फिर फूल, फल, अक्षत आदि अर्पित करने चाहिए और धूप दीप जलाना चाहिए साथ ही व्रत का संकल्प भी आपको लेना चाहिए। तत्पश्चात भगवान विष्णु के मंत्रों का जप और आरती आपको करनी चाहिए। पूरे दिन व्रत करने के बाद अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत का पारण आपको करना चाहिए।
Jul 17 2024, 15:37