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ईडी ने झारखंड के बहुचर्चित मनरेगा घोटाला मामले में दो कार्यकारी अभियंता की 22.47 लाख रुपये मूल्य की चार अचल संपत्तियां जब्त की
भेलाटांड़ कपूरिया मार्ग स्थित आइसक्रीम दुकान में अचानक लगी भीषण आग , दमकल के सहयोग से पाया गया काबू.
झारखंड डेस्क
धनबाद : जोगता थाना क्षेत्र के भेलाटांड़ फुटबॉल ग्राउंड के पास भेलटांड़ कपूरिया मार्ग स्थित आइसक्रीम की दुकान में शुक्रवार की सुबह अचानक भीषण आग लग गई. आग लगने से लाखों की सम्पत्ति जलकर खाक हो गई. कुछ देर बाद दमकल की टीम मौके पर पहुंच कर आग पर काबू पाया.
घटना के संबंध में भुक्तभोगी दुकानदार ने बताया कि गुरुवार की रात दुकान बंद करने के बाद मैं अपने घर चल गया था. आज सुबह एक व्यक्ति ने फोन पर सूचना दी कि दुकान के अंदर धुँआ निकल रहा है और जब शटर उठाकर देखा तो अंदर धुंए का गुब्बार देंखने को मिला जो धीरे धीरे भीषण आग में तब्दील हो गयी. दुकान के मालिक द्वारा स्थानीय टाटा के फायर ब्रिगेड की गाड़ी के लिए स्थानीय प्रबंधक को जाकर बोला. घटना के 1 घंटे के बाद अग्निशमन विभाग की टीम मौके पर पहुंच कर कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया. हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी.
दुकान में रखा दो डीप फ्रीजर समेत करीबन6लाख की संपत्ति का नुकसान हो गया है. शॉर्ट सर्किट से आग लगने की आशंका जतायी जा रही है.
झारखंड के प्रथम चरण में 4 सीटों पर होगा मुकाबला,नोटिफिकेशन जारी,चारो सीट पर एनडीए और गठबंधन के बीच है सीधा मुकाबला
झारखंड डेस्क
झारखंड की 14 में से चार लोकसभा सीट खूंटी, लोहरदगा, सिंहभूम और पलामू में गुरुवार को नोटिफिकेशन जारी होने के साथ चुनावी प्रक्रिया शुरू हो गया। यहां 25 अप्रैल तक नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए समय दिया गया है।
26 अप्रैल को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 29 अप्रैल तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। इन सीटों पर 13 मई को वोट डाले जाएंगे।
झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय की ओर से जारी सूचना में बताया गया है कि इन चारों सीटों पर कुल 63 लाख 99 हजार 582 लोग मताधिकार का इस्तेमाल कर पाएंगे। इन चार सीटों में खूंटी, लोहरदगा और सिंहभूम अनुसूचित जनजाति और पलामू सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
खास बात यह कि अनुसूचित जनजाति के आरक्षित तीनों सीटों -- खूंटी, लोहरदगा और सिंहभूम में महिला वोटरों की तादाद पुरुषों से ज्यादा है।
देश में लोकसभा के चौथे और झारखंड में पहले चरण की इन चारों सीटों पर होने वाली वोटिंग के जरिए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, चाईबासा की सांसद गीता कोड़ा, पलामू के सांसद बीडी राम, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष समीर उरांव, झारखंड प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत जैसे दिग्गजों के किस्मत का फैसला होने वाला है।
अब तक जो सियासी परिस्थितियां बनी हैं, उसके अनुसार इन चारों सीटों पर भाजपा और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के बीच आमने-सामने का टक्कर है।
खूंटी सीट पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का मुकाबला कांग्रेस के कालीचरण मुंडा से होगा। वर्ष 2019 के चुनाव में भी इस सीट पर इन्हीं दोनों के बीच दंगल हुआ था। अर्जुन मुंडा ने मात्र डेढ़ हजार मतों के फासले से कालीचरण को शिकस्त दी थी।
सिंहभूम सीट पर दो दिग्गज महिला लीडर :*
भाजपा की गीता कोड़ा और झामुमो की जोबा मांझी के बीच मुकाबला है। झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने इस सीट पर पिछली बार कांग्रेस के कैंडिडेट के तौर पर जीत दर्ज की थी। इस बार वह भाजपा की प्रत्याशी हैं। जोबा मांझी बिहार और झारखंड सरकार में चार बार मंत्री रह चुकी हैं। वह सिंहभूम लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार विधायक चुनी गई हैं।
लोहरदगा सीट पर भाजपा ने राज्यसभा के सांसद रहे समीर उरांव को प्रत्याशी बनाया है, जबकि उनके मुकाबले में कांग्रेस ने पूर्व विधायक और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुखदेव भगत को उतारा है।
पलामू सीट पर भाजपा ने राज्य के पूर्व डीजीपी बीडी राम को लगातार तीसरी बार मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला यहां राजद की ममता भुइयां से होगा।
13 मई को होना है खूंटी लोकसभा का मतदान, दो मुंडाओं के बीच होगा कड़ा मुकाबला, यह भाजपा का गढ़ रहा है
जयंत कुमार
खूंटी : झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में खूंटी जनजातियों के लिए सुरक्षित संसदीय सीट है। मौजूदा लोकसभा चुनाव में झारखंड की खूंटी हॉट सीट बना हुआ है क्योंकि एक बार फिर, यहां से दो मुंडाओं के बीच दिलचस्प मुकाबला तय है। हालांकि मैदान में कुछ अन्य खिलाड़ी भी हैं। लेकिन असली मुकाबला बीजेपी के अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा के बीच ही होगा।
झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अर्जुन मुंडा की प्रतिष्ठा एक बार फिर दांव पर लग गई है। 2019 के चुनाव में काफी कम मतों से अर्जुन मुंडा ने जीत हासिल की थी। पिछले चुनाव में अर्जुन मुंडा को जहां 382638 मत मिले थे, वहीं कालीचरण मुंडा को 381193 वोट मिले थे। इस बार फिर अर्जुन मुंडा और कालीचरण मुंडा चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं। ऐसे में यहां का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है।
बता दें कि देश के चौथे चरण में होने वाले चुनाव यानी की 13 मई को खूंटी में मतदान है, और 13 मई को ही राज्य के पहले चरण के चुनाव की शुरुआत होगी। गुरुवार 18 अप्रैल को अधिसूचना जारी होने के साथ ही यहां नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। नामांकन वापस लेने की तारीख 29 अप्रैल को रखी गई है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में अर्जुन मुंडा सबसे बड़ा आदिवासी चेहरा हैं। खूंटी के साथ ही झारखंड के चार लोकसभा सीट लोहरदगा, सिंहभूम और पलामू में 13 मई को ही मतदान होगा।
सबसे पहले खूंटी को झारखंड पार्टी की परंपरागत सीट माना जाता था, पर एनई होरो के निधन और झारखंड पार्टी का जनाधार कम होने के बाद इस सीट पर भाजपा ने अपना वर्चस्व कायम कर लिया। कड़िया मुंडा ने 12 बार लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाया और आठ बार उन्हें सफलता मिली। उन्होंने सबसे पहले 1971 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन एनई होरो से हार गए थे। 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में कड़िया मुंडा ने लगातार जीत हासिल की। इस बीच कांग्रेस भी हाथ आजमाती रही और 1984 में कांग्रेस को सफलता मिली। इंदिरा लहर के कारण कांग्रेस के साइमन तिग्गा यहां से लोकसभा पहुंचे थे।
खूंटी लोकसभा सीट के इतिहास को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि यह झारखंड पार्टी के बाद बीजेपी का गढ़ है। हालांकि 2019 में अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा के बीच जिस तरह की टक्कर थी वह निश्चित तौर पर भाजपा के लिए सबक है। इस बार फिर दोनों आमने-सामने होंगे। वही इस पर एक दिलचस्प बात होगी कि इस सीट पर झारखंड पार्टी के एनोस एक्का भी इस सीट से प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर चुके हैं।
मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने किया बड़ा खुलासा,इस मामले में पूर्व सीएम आइएएस् समेत 22 लोग जा चुके जेल
झारखंड डेस्क
रांची में जमीन घोटाले में करीब डेढ़ साल से मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने गुरुवार को बड़ा खुलासा और बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने इस मामले में अब तक झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, आइएएस छवि रंजन, बड़गाईं अंचल के पूर्व राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद, अमित अग्रवाल, प्रेम प्रकाश समेत 22 आरोपियों को गिरफ्तार कर सलाखों तक पहुंचा दिया है।
वहीं, अब तक 51 छापेमारी व नौ सर्वे में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर करते हुए ईडी ने 1.25 करोड़ रुपये नकदी जब्त की और बैंकों में पड़े 3.56 करोड़ रुपये को फ्रीज भी करवाया। पूरे अनुसंधान के दौरान ईडी ने 266 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्तियों को भी अस्थाई रूप से जब्त किया है।
गुरुवार को जारी प्रेस बयान में ईडी ने जमीन घोटाले में अब तक की गई कार्रवाई की विस्तृत जानकारी दी है। ईडी ने बताया है कि जमीन घोटाले के इस मामले में अब तक तीन चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।
जमीन घोटाले की जांच में सामने आए तथ्यों, खुलासों से संबंधित अलग-अलग 14 बार राज्य सरकार को जानकारी दी जा चुकी है और उन्हें भारतीय दंड विधि से संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करने, कानूनी कार्रवाई करने की अनुशंसा की जा चुकी है। पूरे मामले की जांच जारी है।
ईडी ने जमीन घोटाले में दो दिन पहले गिरफ्तार झामुमो नेता अंतु तिर्की, जमीन कारोबारी विपिन सिंह, प्रियरंजन सहाय व इरशाद अंसारी के लिए कोर्ट से सात दिनों की रिमांड मांगी थी। पीएमएलए की विशेष अदालत ने ईडी को पांच दिनों तक पूछताछ की अनुमति दी। अब ईडी इनसे 22 अप्रैल तक रिमांड पर पूछताछ करेगी।
इसके अतिरिक्त गत नौ अप्रैल को गिरफ्तार उनका सहयोगी सद्दाम हुसैन 20 अप्रैल तक ईडी की रिमांड पर है। एक अन्य सहयोगी अफसर अली उर्फ अफ्सू खान भी 22 अप्रैल तक ईडी की रिमांड पर है। इस तरह जमीन घोटाले में कुल छह आरोपित ईडी की रिमांड पर हैं, जिनसे ईडी पूछताछ कर रही है।
इन सभी आरोपियों पर जमीन के मूल दस्तावेज में हेराफेरी, छेड़छाड़ करने, जालसाजी करने, सीएनटी एक्ट से संबंधित प्रतिबंधित श्रेणी की जमीन की प्रकृति बदलकर गलत तरीके से उसकी खरीद-बिक्री करने का आरोप है। इन जालसाजों ने रांची व कोलकाता स्थित भू-राजस्व विभाग के सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से यह हेराफेरी व जालसाजी की है। ईडी के अनुसार इनमें से कुछ जमीन पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अवैध कब्जे में है।
ईडी ने जारी प्रेस बयान में जानकारी दी है कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बड़गाईं अंचल के पूर्व राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद को बरियातू रोड की 8।86 एकड़ जमीन की गलत तरीके से हड़पने की कोशिश करने, अपराध की आय प्राप्त करने, रखने व छिपाने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
इस मामले में हेमंत सोरेन व उनके चार अन्य सहयोगियों पर ईडी ने 30 मार्च को चार्जशीट दाखिल की थी। ईडी ने उक्त 8.86 एकड़ जमीन को भी अस्थाई रूप से जब्त की थी, जिसकी सरकारी कीमत 31 करोड़ रुपये है।
गोड्डा पुलिस के गोली से हुई युवक की मौत के मामले में प्रशासन का कड़ा एक्शन,आरोपी ASI गिरफ्तार,थाना प्रभारी निलंबित
झारखंड डेस्क
गोड्डा। पुलिस की से मारे गये आदिवासी युवक की मामले में पुलिस प्रशासन ने की कार्रवाई।दोषी निलंबित ASI को गिरफ्तार कर लिया गया है, वहीं मामले में थाना प्रभारी को भी सस्पेंड कर दिया गया है।
दरअसल जबरन वसूली के एक आरोपी की धरपकड़ अभियान के दौरान पुलिस की टीम डांगापाड़ा पहुंची थी, निशिकांत दुबे का आरोप है कि शौच के लिए गये एक युवक को सीने में गोली मार दी गयी।
कथित गोलीबारी में आदिम जनजाति समूह (पीवीटीजी) का 30 वर्षीय एक व्यक्ति मारा गया। इस मामले में आरोपी सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) को गिरफ्तार कर लिया गया है और सुंदर पहाड़ी थाने में उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और शस्त्र अधिनियम की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पुलिस ने एक बयान में बताया कि कथित लापरवाही के लिए पुलिस थाना प्रभारी को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
मृतक के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि पुलिस की गोली लगने से उसकी जान गयी। उन्होंने मांग की जिस पुलिसकर्मी ने उसपर गोली चलायी , उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
गोड्डा के पुलिस अधीक्षक नाथू सिंह मीणा ने बताया कि इस घटना की जांच तथा जरूरी कानूनी कार्रवाई करने के लिए विशेष जांच टीम गठित की गई है। उन्होंने कहा कि मृतक की पहचान बाबा डांगा पारा के निवासी हरि नारायण पहाड़िया के रूप में हुई है। बाबा डांगा पारा झारखंड की राजधानी रांची से करीब 350 किलोमीटर दूर है।
पुलिस ने बयान में कहा, ‘‘ छापे के दौरान पुलिस ने घर से एक व्यक्ति को भागते हुए देखा। सहायक उपनिरीक्षक राजनाथ यादव ने उसे रूकने का आदेश दिया लेकिन उसने भागने की कोशिश की। उसे पकड़ने के क्रम में गोलियां चलीं तथा उस व्यक्ति (हरि नारायण) के बांये कंधे में गोली लग गयी।’’बयान के मुताबिक, इस घायल व्यक्ति को सुंदर पहाड़ी के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया जहां डॉक्टरों ने इलाज के दौरान उसे मृत घोषित कर दिया।
इस बीच, हरि नारायण के भाई कामदेव पहाड़िया (24) ने पुलिस के इस आरोप का खंडन किया कि वह घर से भाग रहा था। कामदेव ने कहा, ‘‘यह घटना नदी के तट पर हुई जहां मेरा भाई शौच कर रहा था। मेरे भाई को जान-बूझकर गोली मारी गयी लेकिन हमें इसकी वजह का पता नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि उनका परिवार उस पुलिसकर्मी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराएगा जिसने उनके भाई पर गोली चलायी। कामदेव ने कहा, ‘‘ मेरा भाई किसान था…..उसकी दो बेटियां और एक बेटा है। वह परिवार में एकमात्र कमाने वाला था। अब उसकी पत्नी एवं बच्चों की देखभाल कौन करेगा?’’
धनबाद लोकसभा: धुआंधार जनसम्पर्क अभियान के बीच भाजपा- गठबंधन दोनों कर रहे जीत दाबा,मतदाता अभी मौन,
बस अब इंतज़ार कीजिये,होगा धनबाद का सांसद कौन..?
धनबाद लोकसभा में जनता के बीच भाजपा और गठबंधन के उम्मीदवार ने अपना दौरा शुरू कर दिया है.जब तक गठबंधन की ओर उम्मीदवार तय नही हुआ था तो ढुल्लू महतो अपने जीत से आश्वस्त थे।जनता से मिल रहे थे.
अपने से बड़ों का आशीर्वाद ले रहे थे। लेकिन पार्टी के अंदर भी विरोध था.यह विरोध खुल कर तब सामने आया जब कृषणा अग्रवाल वनाम ढुलू महतो का विवाद सामने आया.
इसी बीच इंडिया गठबंधन ने अनुपमा सिंह को टिकट दे दिया. अनुपमा सिंह भी अब मैदान में निकल गयी.लोगों से मिल रही है .और सवाल उठा रही है कि पिछले तीन टर्म में बीजेपी ने धनबाद के लिए क्या किया ?
यही सवाल लेकर वह जानता के बीच जा रही है।अनुपमा कहती है धनबाद में एम्स के लिए संसाधन और उपयोगिता था सांसद की उदासीनता से एम्स देवघर चला गया.यहां जो सरकारी अस्पताल है उसमें पर्याप्त सुविधाएं नही है. धनबाद में कोलियरी,आईआईटी आइएसएम सिम्फ़र, डीजीएमएस जैसे कई ख्याति प्राप्त संस्थान है अगर केंद्र सरकार और यहां के सांसद एक्टिव होते तो बोकारो और धनबाद में हवाई अड्डा होता. यहां के लोगों को बुनियादी सुविधाएं नही मिल रही है.
वहीं ढुलू महतो का तर्क है हम एक किसान के बेटा है, यहां के लोगों के दुखदर्द को जानते हैं.हम आप के हर समस्या का समाधान करेंगे.
इन सवालों के बीच इस बार धनबाद लोकसभा क्षेत्र में दिलचस्प मुकाबला होता दिख रहा है.
यूं तो इस सीट से 7 बार भारतीय जनता पार्टी ने और 6 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है.2009 के बाद से लगातार बीजेपी के पशुपतिनाथ सिंह यहां से जीतते आए हैं.
हालांकि 2024 चुनाव के लिए भाजपा ने उनकी जगह ढुलू महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने अनुपमा सिंह पर भरोसा जताया है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस सीट पर मुकाबला कांटे का होने जा रहा है.
कौन हैं बीजेपी के ढुलू महतो ?
जीत की हैट्रिक लगाने के बाद भी जब पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काटकर बीजेपी ने ढुलू महतो पर भरोसा जताया तो लोगों में सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा थी कि आखिर ढुलू महतो कौन हैं. तो चलिए हम आपको विस्तार से बता देते हैं. ढुलू तीन बार से (2009,2014, 2019) बाघमारा विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2009 में वे झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के टिकट पर रेल इंजन पर सवार होकर चुनाव लड़े और जीते. लेकिन 2014 और 2019 में वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और दोनों ही चुनाव में उन्हें सफलता मिली. बाघमारा के चिटाही गांव के रहने वाले ढुलू ने 12वीं तक की पढ़ाई की है. उन्हें बाहुबली नेता कहा जाता है. उन पर हाफ सेंचुरी मुकदमे भी दर्ज है और अलग-अलग मामलों में जेल भी जा चुके हैं।
ढुलू का दावा हम रिकार्ड वोट से जीतेंगे
धनबाद में टाईगर ढुल्लू के नाम से चर्चित बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो धनबाद लोकसभा सीट पर ताल ठोंक कर चुनावी मैदान मैदान में कूद गए हैं। उन्होंने सभी विधानसभा क्षेत्र का चुनावी दौरा शुरू कर दिया है। वह अपने जीत के प्रति काफी आश्वस्त दिख रहे हैं। उन्होंने ने तो सार्वजनिक तौर पर ऐलान भी दिया है कि वह रिकॉर्ड मतों से जीतेंगे और गिनीज बुक में धनबाद का नाम दर्ज करायेंगे। उन्होंने क्षेत्र के सभी मंदिरों में मत्था टेक कर आशीर्वाद प्राप्त कर लिया है।वह स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि भाजपा ने पहली बार गरीब किसान के बेटे को लोकसभा का टिकट दिया है। वह उसपर सौ प्रतिशत खरा उतर कर दिखाएंगे।
कौन हैं कांग्रेस की अनुपमा सिंह ?
बाहुबली नेता ढुलू महतो के सामने कांग्रेस ने अनुपमा सिंह को मैदान में उतारा है. अनुपमा सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद सिंह की पुत्रवधू और बेरमो विधायक कुमार जयमंगल सिंह की पत्नी हैं. राजेंद्र सिंह को बेरमो विधानसभा से तीन बार 2000, 2009 और 2019 में सफलता मिली थी. मई 2020 में उनके निधन के बाद बेरमो सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें उनके बेटे जयमंगल सिंह को जीत मिली. उन्होंने बीजेपी के योगेश्वर महतो को हराया था।
धनबाद में आएगा बदलाव :अनुपमा
धनबाद में कांग्रेस की लोकसभा प्रत्याशी अनुपमा सिंह ने अपने पहले धनबाद दौरे के क्रम में कहा कि यहां की कोयला नगरी पूरे देश को रौशन करती है और यहीं अंधेरा छाया है। और यहां के सभी लोगों के हाथ खाली हैं पर अब यह स्थिति बदलेगी और यहां के हालात भी सुदृढ़ होंगे।वह जीतेंगी और यहां की जन आकांक्षाएं भी पूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि वह यह सीट जीत कर सब को चौंकाएंगी।
कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह ने भाजपा प्रत्याशी और भाजपा पर जमकर हमला बोला। कहा कि भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ कांग्रेस ने एक महिला को मैदान में उतारा है और धनबाद की जनता ने आशीर्वाद दिया तो यहां की जनता की उम्मीद पर खरा उतरूंगी। मेरा मैदान में उतरना भाजपा प्रत्याशी के लिए चुनौती है। कहा कि टिकट बंटवारे में कोई भेदभाव नहीं हुआ है। कांग्रेस में कोई मतभेद नही है। सबसे ज्यादा भाजपा में है और आज भी भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ भाजपा के ही अधिकतर लोग हैं। कहा कि मजदूरों की सेवा करना मैंने अपने ससुर स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद सिंह से सीखा है। मेरे पति विधायक भी मजदूरों के लिए काम करते रहे हैं। मजदूरों की जो भी समस्याएं हैं, चाहे संगठित हो असंगठित हो, उनकी समस्याओं को लेकर संघर्ष करूंगी। उनको न्याय दिलाऊंगी। यहां पर कोयलांचल में जो भी समस्याएं हैं उसको दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
2009, 2014, 2019 का जनादेश
2009 से ही भाजपा धनबाद लोकसभा की इस सीट पर काबिज है. तीनों बार पशुपतिनाथ सिंह को सफलता मिली है. चुनाव दर चुनाव उनकी लोकप्रियता बढ़ती ही गई. ये बात उनको मिले वोटों से समझा जा सकता है. 2009 में उन्हें 2,60,521 (31.99 %) वोट मिले थे. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के चंद्रशेखर दुबे को हराया था. 2014 के चुनाव में पशुपतिनाथ सिंह को 5,43,491 (47.51%) वोट मिले. जो कि पिछले चुनाव से 15.51% ज्यादा था. 2019 के चुनाव का परिणाम देखें तो उन्होंने कांग्रेस के कीर्ति आजाद को हराया था. इस चुनाव में उन्हें 827,234 (66.03%) वोट प्राप्त हुए जो कि 2019 के चुनाव से (18.51%) ज्यादा था. वहीं कीर्ति आजाद को केवल 3,41,040 ( 27.22%) वोट ही मिले थे.
विधानसभा सीट और जातीय समीकरण
2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 26 लाख 84 हजार 487 है. इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें आती हैं. निरसा, धनबाद, चन्दनकियारी (अनुसूचित जाति ), बोकारो, झरिया और सिन्दरी. यहां 62% शहरी तो 38% ग्रामीण मतदाता हैं. ऐसे में शहरी मतदाता का झुकाव जिस भी पार्टी की तरफ होगा उस पार्टी को यहां से जीत मिलेगी.
सीट का इतिहास, कब किसको मिली जीत (1952-2019)
साल पार्टी जीतन वाले प्रत्याशी
1952 कांग्रेस पीसी बोस
1957 कांग्रेस पीसी बोस
1962 कांग्रेस पीसी बोस
1967 निर्दलीय रानी ललिता राज्य लक्ष्मी
1971 कांग्रेस राम नारायण शर्मा
1977 मार्क्सवादी समन्वय समिति एके रॉय
1980 मार्क्सवादी समन्वय समिति एके रॉय
1984 कांग्रेस शंकर दयाल सिंह
1989 कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सवादी एके रॉय
1991 भाजपा रीता वर्मा
1996 भाजपा रीता वर्मा
1998 भाजपा रीता वर्मा
1999 भाजपा रीता वर्मा
2004 कांग्रेस चंद्र शेखर दुबे
2009 भाजपा पशुपतिनाथ सिंह
2014 भाजपा पशुपतिनाथ सिंह
2019 भाजपा पशुपतिनाथ सिंह
गठबंधन के लिए टिकट नही मिलने के कारण वागी नेताओं ने खड़ी कर दी मुशिकलों का दीबार
झारखंड डेस्क
लोकसभा चुनाव में जेएमएम और कांग्रेस के कई ऐसे नेता थे जो इस उम्मीद में थे कि पार्टी उन्हें टिकट देगा लेकिन ऐसे कई नेता गठबंधन दलों से नाराज चल रहे हैं जो गठबंधन उम्मीदवारों के खेल बिगाड़ देंगे।इधर इन बागी नेताओं को झापा भी अपने पाले में लाने के कोशिश में लगे हैं और वे अपने सिम्बल पर चुनाव लड़ने का ऑफर दें रहे हैं।
इधर लोबिन हेम्ब्रम और चमड़ा लिंडा ने तो जेएमएम से खुले आम विद्रोह कर छांव मैदान में उतरने का एलान कर दिया।
इसके अलावे और कई लोग हैं जिन्हें टिकट नही मिला अब वे धीरे-धीरे सभी पार्टियां अपने पत्ते खोल रही हैं, जिन्हें चुनाव लड़ने का संकेत या टिकट नहीं मिल रहा है। वह दूसरी पार्टी में अपनी जुगत लगाने में जुट गए हैं।
झारखंड पार्टी ऐसे नेताओं का सहारा बन रही है। पार्टी की ओर से नाराज नेताओं को समर्थन या अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाने का प्रयास किया जा रहा है। झारखंड पार्टी ने राज्य की 14 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का दावा किया है।
झापा ने खूंटी, दुमका, हजारीबाग, चतरा और चाईबासा में उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। झापा लोकसभा की राजमहल सीट से दावेदारी करने वाले लोबिन हेम्ब्रम और लोहरदगा से ताल ठोंकने वाले चमरा लिंडा को समर्थन या अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाने की कोशिश में जुटी है।
लोबिन जेएमएम के विधायक हैं। उन्होंने निर्दलीय चुनाव में उतरने का दावा किया है। चमरा लिंडा को भी जेएमएम ने कोई खास महत्व नहीं दिया है। इस अवसर का लाभ उठाते हुए झारखंड पार्टी इन नेताओं को अपने पाले में लाना चाहती है।
अल्पसंख्यक भी नाराज,लगाया निपटाने का आरोप
लोकसभा चुनाव में किसी भी राष्ट्रीय पार्टी ने अल्पसंख्यक वर्ग को चुनाव में नहीं उतारा है। इसका विरोध भी दिख रहा है। कांग्रेस के विधायक इरफान अंसारी ने इसको लेकर अपनी चिंता भी जाहिर की है और चेतावनी दी है कि अल्पसंख्यक वोटर को नजरअंदाज करना आत्मघाती हो सकता है।
झारखंड पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष अजीत कुमार कहा कि कांग्रेस, भाजपा और जेएमएम ने अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधित्व स्वीकार नहीं करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि इसका नतीजा यह है कि लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक नेताओं को उम्मीदवार नहीं बनाया गया है। झारखंड पार्टी का जल, जंगल जमीन के साथ मूल उद्देश्य यह भी रहा है कि अल्पसंख्यक वर्ग को राजनीति में प्रतिनिधित्व दिलाया जाए। झारखंड पार्टी का दक्षिणी छोटानागपुर, कोल्हान और संताल परगना के कुछ क्षेत्रों में भी प्रभाव है।
ईडी का दावा अंतु तिर्की के गिरफ्तारी से आएंगे कई राज सामने,डायरी से मिले कई जानकारी
झारखंड डेस्क
ईडी ने दावा किया है कि अंतू तिर्की के अरेस्ट होने के बाद जमीन घोटाले में कई नए फैक्ट्स सामने आ रहे है ।
सद्दाम के यहां से मिली डायरी में ED ने पाया कि खाता संख्या 234 की जमीन के एवज में JMM नेता अंतु तिर्की ने अलग-अलग तारीखों पर लाखों रुपये लिये।
ED की जांच में पाया गया है कि इस केस में गिरफ्तार बड़गाईं अंचल के राजस्व उपनिरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद के यहां से मिले 17 ओरिजनल रजिस्टर की जांच में भानू के साथ मोहम्मद सद्दाम अफसर अली, प्रिय रंजन सहाय , विपिन सिंह समेत अन्य आरोपियों द्वारा मिलकर कई जमीनों पर कब्जा करने के सबूत हैं।
,ED ने किया कई खुलासे का दावा
सद्दाम के यहां मिली डायरी में ED ने पाया कि खाता संख्या 234 की जमीन के एवज में JMM नेता अंतु तिर्की ने अलग-अलग तारीखों पर लाखों रुपये लिये।
18 फरवरी 2022 को सुनीता तिर्की नाम की महिला को 1000 व 24 हजार देने का जिक्र है।
19 फरवरी 2022 को अंतू तिर्की को भी एक व 24 हजार देने का जिक्र है। इसी तारीख को सुनीता तिर्की को 2.25 लाख देने का जिक्र है।
20 फरवरी 2022 को अंतू तिर्की को 25 हजार, 2 लाख, 3 मार्च 2022 को 4 लाख, 24 मार्च 2022 को डेढ़ लाख, 20 अप्रैल 2022 को अंतू तिर्की को किसी ए खान द्वारा 3 लाख, 3 अगस्त 2022 को NEFT के माध्यम से 2 लाख व 20 अक्तूबर 2022 को एक लाख का भुगतान देने का उल्लेख डायरी में है।
अलग-अलग तारीखों पर हुए पैसे की लेन - देंन
डायरी के एक अन्य पन्ने में प्लॉट नंबर 1055 के एक साल के हिसाब-किताब में 36.68 लाख का जिक्र है। इस पन्ने पर भी अंतु तिर्की को भुगतान देने का जिक्र है।
ED ने जांच में पाया है कि 1974 की डीड 2376, जो 1940 की डीड से जुड़ी है, उसके जरिए गाड़ी मौजा की 4.83 एकड़ जमीन पर कब्जा जमाया गया।
ED ने पाया है कि शेखर कुशवाहा, विपिन सिंह, इरशाद अख्तर, अफसर अली, सद्दाम सरकारी रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर जमीन पर कब्जा जमाते थे।
सद्दाम का कोड ‘प्रिया दीदी’ किसके लिए..?
मंगलवार को रांची में जमीन कारोबार से जुड़े सिंडिकेट के ठिकानों पर ED ने छापेमारी की, तब मिल्लत कॉलोनी निवासी इरशाद अख्तर मौके से फरार हो गया था।
परिजनों से जब ED ने इरशाद के बारे में पूछा तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई। तब ईडी की टीम इरशाद की कपड़ा दुकान में ग्राहक बन पहुंची।
ईडी अफसरों ने दुकान के कर्मियों को बताया कि उनके घर में शादी है, ऐसे में लाखों की खरीदारी करनी है।
लाखों के कपड़े पसंद करने के बाद ईडी अफसरों ने मोल-भाव करना शुरू किया।
तब कर्मियों ने फोन कर इरशाद को बुलाया। उसके परिचय देते ही उसे उठा लिया गया। ईडी कार्यालय लाया गया, जहां देर रात तक उससे पूछताछ हुई।
पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि वह कोलकाता के रजिस्टार ऑफ एश्योरेंस के ओरिजनल रजिस्टर से ब्लैंक शीट जुगाड़ करता था। इसके बदले सद्दाम और अफसर अली मोटी रकम देते थे।
बता दें कि सद्दाम के यहां ED ने पहली बार 13 अप्रैल 2023 को छापेमारी की थी। तब कई जमीन के दस्तावेज मिले थे।
सद्दाम के पास से ही 4.83 एकड़ जमीन से जुड़ा पेपर भी मिला था, जिसपर प्रिय रंजन सहाय, विपिन सिंह, शेखर कुशवाहा की टीम काम कर रही थी।
ईडी की टीम जब सद्दाम को गिरफ्तार कर ले जाने लगी तो उसने अपनी पत्नी को कोड में कहा कि वह प्रिया दीदी को कह दे कि वह चिंता न करें।
सद्दाम ने प्रिया दीदी का इस्तेमाल प्रिय रंजन सहाय के लिए किया था कि उस तक संबंधित जमीन के विषय में संदेश पहुंचा दे कि वह चिंता न करें।
इसके बाद सद्दाम की पत्नी ने प्रिय रंजन को अलर्ट कर दिया था। ईडी ने 27 अप्रैल 2023 को जब प्रिय रंजन के यहां छापेमारी की तो उसने सारे दस्तावेज हटा दिए थे।
सद्दाम और प्रियरंजन ने ही ईडी की पूछताछ में यह बात स्वीकार कर ली है।
Apr 19 2024, 20:37