भाजपा को समर्थन देने के बाद एमएनएस के वरिष्ठ नेता कीर्तिकुमार शिंदे ने पार्टी से दिया इस्तीफा
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महायुती गठबंधन को समर्थन देने के बाद एमएनएस के एक वरिष्ठ नेता ने इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया एक्स पर कहा, अलविदा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना।
पार्टी के महासचिव कीर्तिकुमार शिंदे ने पार्टी के साथ अपने लंबे जुड़ाव को याद किया और चेतावनी दी कि राज ठाकरे के इस कदम से मराठी लोगों को कोई फायदा नहीं होगा।
शिंदे ने राज ठाकरे द्वारा भारतीय जनता पार्टी पर ढुलमुल रवैया अपनाने को लेकर उंगली उठाई। शिंदे ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने बीजेपी, मोदी और अमित शाह के खिलाफ मोर्चा खोला था, लेकिन पांच साल बाद राज ठाकरे ने अहम मोड़ पर आकर अपनी राजनीतिक रणनीति पर इतना बड़ा परिवर्तन किया।
नाराज शिंदे ने मांग की है कि राजनीतिक विश्लेषक आपको बताएंगे कि आप कितने सही और कितने गलत हैं? आजकल, राजनेता जो भी चाहें कर सकते हैं। उनकी विचारधारा में विश्वास रखने वाले सेनानियों (कार्यकर्ताओं) को कुचल दिया जाता है। उस के बारे में क्या?
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 10 साल में बीजेपी ने देश को तबाह कर दिया है। बीजेपी पारदर्शिता के दावे के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन आज केंद्र की मोदी सरकार ईडी, सीबीआई और आईटी के बलबूते विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने का प्रयास कर रही है। उन पर दबाव बना रही है कि वो आत्मसमर्पण करे।
शिंदे ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के उन्माद में राज ठाकरे ने अपने लाव रे ते वीडियो (प्ले दैट वीडियो) अभियान के माध्यम से भाजपा के खिलाफ तीखा हमला बोला था।
शिंदे ने कहा, मैं उन सभी रैलियों में शामिल होता था, तथ्यों और भाजपा-मोदी-शाह के खिलाफ व्यक्त किए गए विचारों पर विस्तृत लेख लिखता था और अधिक से अधिक लोगों तक अपना रुख पहुंचाने के लिए ईमानदार प्रयास करता था।
हालांकि राजनीतिक मजबूरियों के कारण राज ठाकरे को भाजपा का पक्ष लेना पड़ा, लेकिन इससे महाराष्ट्र या मराठियों को कोई लाभ होने की संभावना नहीं है और उन्होंने मनसे से अपने इस्तीफे की घोषणा की।
शिंदे ने इन सभी वर्षों में राज ठाकरे और अन्य मनसे नेताओं से मिले प्यार और स्नेह को भी स्वीकार किया और कहा कि वह एक व्यक्तिगत बैठक में उन्हें यही बात बताना चाहते थे, लेकिन अब यह संभव नहीं है। उन्होंने अपील की कि उनका यह कदम गलत नहीं होना चाहिए।
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शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा मामले में विजिलेंस विभाग की टीम ने उनके निजी सहायक विभव कुमार के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है।बिभव कुमार की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। विजिलेंस विभाग ने विभव कुमार की नियुक्ति को सही नहीं माना है। विजिलेंस विभाग के स्पेशल सेक्रेटरी वाईवीवीजे राजशेखर ने आदेश जारी किया है। निदेशालय का कहना है कि विभव कुमार की नियुक्ति अवैध और अमान्य थी। डायरेक्टोरेट ऑफ विजिलेंस(डीओवी) ने अपने आदेश में कहा कि विभव कुमार की नियुक्ति केंद्रीय सिविल सेवा के नियमों का उल्लंघन करके की गई थी। आदेश के मुताबिक, विभव कुमार का अपाइंटमेंट निर्धारित प्रक्रिया और नियमों का ईमानदारी से पालन करे बिना किया गया था। इसलिए ऐसी नियुक्ति अवैध और अमान्य है। विशेष सचिव सतर्कता वाई. वी. वी. जे. राजशेखर ने उनके खिलाफ 2007 के एक लंबित मामले का हवाला देते हुए आदेश पारित किया है। आदेश में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकरण इसके द्वारा केंद्रीय सिविल सेवा (अस्थायी सेवा) नियम, 1965 के नियम 5 के प्रावधानों के संदर्भ में बिभव कुमार की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है। विभव प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में हैं। ईडी ने 8 अप्रैल को विभव से शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में घंटों तक पूछताछ की थी। इससे पहले दिल्ली जल बोर्ड घोटाले में भी फरवरी के पहले सप्ताह में ईडी विभव के घर पर रेड कर चुकी है। जांच एजेंसी विभव कुमार से करीब 4 घंटों तक पूछताछ की थी। दूसरी बार ईडी ने विभव कुमार से पूछताछ की थी। इससे पहले पिछले साल भी जांच एजेंसी ने समन भेजकर केजरीवाल के निजी सचिव बुलाया था और इंक्वायरी की थी। ईडी के अधिकारियों ने कहा था कि विभव ने अपने मोबाइल नंबर का आईएमईआई सितंबर 2021 से जुलाई 2022 के बीच 4 बार बदला था। विभव कुमार का बयान पीएमएलए के प्रावधानों के तहत दर्ज किया गया था। विभव कुमार से पहले दिल्ली सरकार में मंत्री रहे राजकुमार आनंद भी पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उनके घर ईडी का छापा पड़ा था। उन्होंने आम आदमी पार्टी तक को करप्ट बताया था।

Apr 11 2024, 12:57
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