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*लोकसभा चुनाव 2024 : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा ने बदली फैजाबाद सीट पर सियासी हवा*

#faizabad_lok_sabha_constituency  फैजाबाद, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। दशकों से लोगों की नज़र इस सीट पर बनी रही है। बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भव्य राम मंदिर के निर्माण तक का सफर इस सीट ने तय किया है। अयोध्या शहर पहले फैजाबाद जिले में हिस्सा था। आज फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार 6 नवम्बर 2018 को छोटी दीपावली के दिन इस स्थान का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया। लेकिन, संसदीय सीट अभी फैजाबाद के नाम से ही है। फैजाबाद सीट पर कभी कांग्रेस का डंका बजता था। 2009 के चुनावों में यहां कांग्रेस अंतिम बार जीती थी। आखिरी के दो चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कारण किसी से छुपा नहीं है। जी हां, राम मंदिर के मुद्दे ने इस सीट पर बीजेपी की राह आसान की। यही वजह है कि इस बार इस सीट से बीजेपी के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। *पिछले दो चुनावों का हाल* भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद न सिर्फ जिले की फैजाबाद संसदीय सीट पर सियासी हवा बदल गई है बल्कि पूरे यूपी में भी माहौल बना हुआ है। फैजाबाद सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह को जीत मिली थी। पिछले 10 साल से बीजेपी का यहां पर दबदबा बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यह सीट भी अपने नाम कर लिया था। पूर्व विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह ने सपा के प्रत्याशी मित्रसेन यादव को 2,82,775 मतों के अंतर से हराया था। जबकि 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह उनके बेटे आनंद सेन को हराया, लेकिन इस बार हार-जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की ओर से लल्लू सिंह तथा समाजवादी पार्टी की ओर से आनंद सेन यादव मैदान में थे। आनंद पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के बेटे हैं। लल्लू सिंह को इस चुनाव में 529,021 वोट मिले जबकि आनंद सेन को 463,544 वोट आए। यहां पर मुकाबला अंत तक रोमांचक बना रहा। लल्लू सिंह ने 65,477 मतों के अंतर से यह कड़ा मुकाबला जीत लिया। *फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास* फैजाबाद लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे। कांग्रेस के राजा राम मिश्र ने जीत दर्ज की थी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ब्रिजबासी लाल ने जीत हासिल की। 1967 और 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामकृष्ण सिन्हा लगातार दो बार सांसद रहे। 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के चलते कांग्रेस ने सीट गंवा दी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा दुबारा यहां कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चली हवा के बीच हुए लोकसभा चुनाव में डॉ. निर्मल खत्री ने बड़ी कामयाबी हासिल की। 1889 के चुनाव में सीपीआई की मित्रा सेन ने चुनाव जीता। *1991 के चुनाव में बीजेपी का खुला खाता* राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। वहीं, रामलहर में कांग्रेस को झटके मिलते रहे। 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1999 में वो एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्रसेन यादव यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और सासंद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सफलता पाई। जिसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के लल्लू सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।
*लोकसभा चुनाव 2024 : रामलला के प्राण प्रतिष्ठा ने बदली फैजाबाद सीट पर सियासी हवा*

#faizabad_lok_sabha_constituency  फैजाबाद, उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। दशकों से लोगों की नज़र इस सीट पर बनी रही है। बाबरी मस्जिद विवाद से लेकर भव्य राम मंदिर के निर्माण तक का सफर इस सीट ने तय किया है। अयोध्या शहर पहले फैजाबाद जिले में हिस्सा था। आज फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ सरकार 6 नवम्बर 2018 को छोटी दीपावली के दिन इस स्थान का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया। लेकिन, संसदीय सीट अभी फैजाबाद के नाम से ही है। फैजाबाद सीट पर कभी कांग्रेस का डंका बजता था। 2009 के चुनावों में यहां कांग्रेस अंतिम बार जीती थी। आखिरी के दो चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। कारण किसी से छुपा नहीं है। जी हां, राम मंदिर के मुद्दे ने इस सीट पर बीजेपी की राह आसान की। यही वजह है कि इस बार इस सीट से बीजेपी के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। *पिछले दो चुनावों का हाल* भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद न सिर्फ जिले की फैजाबाद संसदीय सीट पर सियासी हवा बदल गई है बल्कि पूरे यूपी में भी माहौल बना हुआ है। फैजाबाद सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह को जीत मिली थी। पिछले 10 साल से बीजेपी का यहां पर दबदबा बना हुआ है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने यह सीट भी अपने नाम कर लिया था। पूर्व विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह ने सपा के प्रत्याशी मित्रसेन यादव को 2,82,775 मतों के अंतर से हराया था। जबकि 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह उनके बेटे आनंद सेन को हराया, लेकिन इस बार हार-जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी की ओर से लल्लू सिंह तथा समाजवादी पार्टी की ओर से आनंद सेन यादव मैदान में थे। आनंद पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के बेटे हैं। लल्लू सिंह को इस चुनाव में 529,021 वोट मिले जबकि आनंद सेन को 463,544 वोट आए। यहां पर मुकाबला अंत तक रोमांचक बना रहा। लल्लू सिंह ने 65,477 मतों के अंतर से यह कड़ा मुकाबला जीत लिया। *फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास* फैजाबाद लोकसभा सीट पर साल 1957 में पहली बार चुनाव हुए थे। कांग्रेस के राजा राम मिश्र ने जीत दर्ज की थी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस के ब्रिजबासी लाल ने जीत हासिल की। 1967 और 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के रामकृष्ण सिन्हा लगातार दो बार सांसद रहे। 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के चलते कांग्रेस ने सीट गंवा दी। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के अनंत राम यहां से सांसद बने। 1980 में कांग्रेस के जयराम वर्मा दुबारा यहां कांग्रेस की वापसी कराने में सफल रहे। 1984 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में चली हवा के बीच हुए लोकसभा चुनाव में डॉ. निर्मल खत्री ने बड़ी कामयाबी हासिल की। 1889 के चुनाव में सीपीआई की मित्रा सेन ने चुनाव जीता। *1991 के चुनाव में बीजेपी का खुला खाता* राम मंदिर की लहर में 1991 के चुनाव में विनय कटियार ने बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई। वहीं, रामलहर में कांग्रेस को झटके मिलते रहे। 1996 में भी विनय कटियार यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन 1998 के चुनावों में सपा के हाथों विनय कटियार को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, 1999 में वो एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल रहे। 2004 में बसपा से मित्रसेन यादव यहां से चुनाव जीते। इसके बाद 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री उतरे और सासंद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लल्लू सिंह उतारा और सफलता पाई। जिसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के लल्लू सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।
*महाराष्ट्र में एमवीए में हुआ सीटों का बंटवारा, कांग्रेस को मिली 17 सीटें, जानें शरद पवार और उद्धव ठाकरे को क्या मिला*
#seat_sharing_in_mva_maharashtra
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा हो गया है। तीनों दलों के सांगली, भिवंडी और मुंबई नॉर्थ सीट पर टकराव बना हुआ था। हालांकि अब तस्वीर साफ हो गई है। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। इनमें से उद्धव ठाकरे की शिवसेना (बाला साहेब ठाकरे) 21, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) 10 और कांग्रेस 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। सीट शेयरिंग फॉर्मूले की घोषणा के लिए एमवीए ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी (एससीपी) के प्रमुख शरद पवार समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। राकांपा (शरद गुट) प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने हफ्तों की बातचीत के बाद यहां एक संवाददाता सम्मेलन में सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले का एलान किया। *कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी* कांग्रेस नंदरबार, धुले, अकोला, अमरावती, नागपुर, बांद्र, गढ़चिरौली, चंद्रपुर, नांदेड़, जलना, मुंबई नॉर्थ सेंट्रल, पुणे, लातूर, सोलापुर,कोल्हापुर और नॉर्थ मुंबई से लड़ेगी। *शरद पवार की एनसीपी 10 सीटों पर चुनाव लड़ेगी* शरद पवार की पार्टी बारामती, शिरपुर, सतारा, भिवंडी, वर्धा, अहमदनगर दक्षिण, भीड़, मधा, डिंडौरी, रावेर सीट पर लड़ेगी। *उद्धव ठाकरे की शिवसेना 21 सीटों पर चुनाव लड़ेगी* उद्धव ठाकरे का दल जलगांव, परभणी, नासिक, पालघर, कल्याण, ठाणे, रायगढ़, मवाल, धाराशिव, रत्नागिरी, बुलढाणा, शिरडी, संभाजीनगर, सांगली, मुंबई नॉर्थ वेस्ट, मुंबई साउथ, मुंबई नॉर्थ ईस्ट, मुंबई साउथ सेंट्रल, यवतमाल, हिंगोली और हातकणंगले सीटों पर लड़ेगा। बता दें कि तीनों दलों के सांगली, भिवंडी और मुंबई नॉर्थ सीट पर टकराव बना हुआ था। कांग्रेस ने सांगली और भिवंडी सीटों पर अपना दावा छोड़ दिया है। अब सांगली से शिवसेना (यूबीटी) और भिवंडी से एनसीपी (शरद गुट) चुनाव लड़ेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 26 और एनसीपी 22 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उस समय शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन था। उद्धव ठाकरे 2019 में जीती गई सीटों पर दावा कर चुके थे। पांच साल में शिवसेना और एनसीपी में बगावत के बाद बंटवारा हो गया। इसके बाद कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के बीच नए सिरे से सीटों पर तालमेल पर चर्चा हुई। शिवसेना पहले 27 सीटों पर अड़ी थी, बाद में वह 23 लोकसभा सीटों पर दावा करने लगी। अंत में उसने एकतरफा 21 सीटों पर कैंडिडेट घोषित कर दिए थे। प्रकाश अंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन अघाड़ी ऊहापोह के बीच एमवीए से बाहर चली गई और 9 सीटों पर कैंडिडेट उतार दिए। अब कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के कई नेता इससे नाराज होकर पार्टी से अलग हो चुके हैं।
महाराष्ट्र में एमवीए में हुआ सीटों का बंटवारा, कांग्रेस को मिली 17 सीटें, जानें शरद पवार और उद्धव ठाकरे को क्या मिला

#seatsharinginmvamaharashtra

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा हो गया है। तीनों दलों के सांगली, भिवंडी और मुंबई नॉर्थ सीट पर टकराव बना हुआ था। हालांकि अब तस्वीर साफ हो गई है। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। इनमें से उद्धव ठाकरे की शिवसेना (बाला साहेब ठाकरे) 21, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) 10 और कांग्रेस 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।

सीट शेयरिंग फॉर्मूले की घोषणा के लिए एमवीए ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी (एससीपी) के प्रमुख शरद पवार समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। राकांपा (शरद गुट) प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने हफ्तों की बातचीत के बाद यहां एक संवाददाता सम्मेलन में सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले का एलान किया।

कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

कांग्रेस नंदरबार, धुले, अकोला, अमरावती, नागपुर, बांद्र, गढ़चिरौली, चंद्रपुर, नांदेड़, जलना, मुंबई नॉर्थ सेंट्रल, पुणे, लातूर, सोलापुर,कोल्हापुर और नॉर्थ मुंबई से लड़ेगी।

शरद पवार की एनसीपी 10 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

शरद पवार की पार्टी बारामती, शिरपुर, सतारा, भिवंडी, वर्धा, अहमदनगर दक्षिण, भीड़, मधा, डिंडौरी, रावेर सीट पर लड़ेगी।

उद्धव ठाकरे की शिवसेना 21 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

उद्धव ठाकरे का दल जलगांव, परभणी, नासिक, पालघर, कल्याण, ठाणे, रायगढ़, मवाल, धाराशिव, रत्नागिरी, बुलढाणा, शिरडी, संभाजीनगर, सांगली, मुंबई नॉर्थ वेस्ट, मुंबई साउथ, मुंबई नॉर्थ ईस्ट, मुंबई साउथ सेंट्रल, यवतमाल, हिंगोली और हातकणंगले सीटों पर लड़ेगा।

बता दें कि तीनों दलों के सांगली, भिवंडी और मुंबई नॉर्थ सीट पर टकराव बना हुआ था। कांग्रेस ने सांगली और भिवंडी सीटों पर अपना दावा छोड़ दिया है। अब सांगली से शिवसेना (यूबीटी) और भिवंडी से एनसीपी (शरद गुट) चुनाव लड़ेगी।

पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 26 और एनसीपी 22 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उस समय शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन था। उद्धव ठाकरे 2019 में जीती गई सीटों पर दावा कर चुके थे। पांच साल में शिवसेना और एनसीपी में बगावत के बाद बंटवारा हो गया। इसके बाद कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के बीच नए सिरे से सीटों पर तालमेल पर चर्चा हुई। शिवसेना पहले 27 सीटों पर अड़ी थी, बाद में वह 23 लोकसभा सीटों पर दावा करने लगी। अंत में उसने एकतरफा 21 सीटों पर कैंडिडेट घोषित कर दिए थे। प्रकाश अंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन अघाड़ी ऊहापोह के बीच एमवीए से बाहर चली गई और 9 सीटों पर कैंडिडेट उतार दिए। अब कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के कई नेता इससे नाराज होकर पार्टी से अलग हो चुके हैं।

पाकिस्तान में 'टारगेट किलिंग' में भारत की भूमिका पर अमेरिका को दो टूक, कहा-हम बीच में नहीं आने वाले

#usa_on_pakistan_allegations_against_india_about_state_killings

ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि पाकिस्तान में ‘टारगेट किलिंग’ के पीछे भारत का हाथ है। 'द गार्जियन' की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पाकिस्तान ने भी आरोपों को दोहराया है। पाकिस्तान का आरोप है कि भारतीय एजेंट्स ने उसके देश में दो नागरिकों की हत्या की है। इसे लेकर अब अमेरिका की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। अमेरिका ने इन आरोपों पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।इसके अलावा अमेरिका ने कहा कि दोनों पक्षों को तनाव बढ़ाने से बचना चाहिए।

भारत पर पाकिस्तान में टारगेट किलिंग के आरोपों पर जब मीडिया ने अमेरिका से उसका पक्ष जानना चाहा तो विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, हम इस मुद्दे को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट्स का अनुसरण कर रहे हैं। इन आरोपों पर हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। लेकिन निश्चित रूप से, हम इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। हम दोनों पक्षों से अनुरोध करते हैं कि वो तनाव से बचें और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजें।

वहीं, जब मिलर से राजनाथ सिंह की ओर से घर में घुसकर मारने वाले बयान पर सवाल पूछा गया था, जिस पर उन्होंने बातचीत के जरिए समाधान निकालने को कहा। बता दें कि'द गार्जियन' की रिपोर्ट पर भारतीय रक्षामंत्री ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अगर आतंकी भारत से भागकर पाकिस्तान में भी जाता है तो हम घर में घुसकर मारेंगे।

दरअसल, ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' ने हाल ही एक खबर छापी थी। इसमें बताया गया कि साल 2021 से लेकर साल 2024 के बीच 20 आतंकवादियों को पाकिस्तान में घुसकर भारत ने मारा है। इस रिपोर्ट में भारत की खुफिया एजेंसी रॉ पर इन हत्याओं में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। ब्रिटिश अखबार ने दावा किया कि भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का इसके पीछे हाथ है। साथ ही कहा कि यह पूरा काम प्रधानमंत्री ऑफिस से हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके ऑर्डर दे रहे हैं क्योंकि रॉ का कंट्रोल उन्ही के पास होता है। सरकार उन दुश्मनों का विदेशों में खात्मा कर रही है जो भारत के लिए खतरा है। 2019 के बाद से यह सिलसिला जारी है।

द गार्जियन की रिपोर्ट के पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी भारत पर आरोप लगाया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि सियालकोट में शाहिद लतीफ और रियालकोट में मोहम्मद रियाज की हत्याएं भारतीय एजेंट्स योगेश कुमार और अशोक कुमार के द्वारा की गई। अभी तक पाकिस्तान में हुई हत्याओं में साफतौर पर आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी है, इन हत्याओं में अज्ञात हमलावरों पर ही आरोप लग रहे हैं। लेकिन इन अज्ञात हमलावरों का पाकिस्तान के आतंकियों में इस कदर खौफ है कि कोई भी आंतकी सामने नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के सभी आंतकी इस समय अंडरग्राउंड हो गए हैं।

ईडी बनाम केजरीवाल: गिरफ्तारी के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट सुनाएगा फैसला

दिल्ली उच्च न्यायालय मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर आज अपना फैसला सुनाएगा। फैसला दोपहर 2.30 बजे जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा सुनाएंगी।

केजरीवाल को कथित दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। 1 अप्रैल को दिल्ली की राउज़ एवेन्यू अदालत द्वारा उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ाए जाने के बाद  केजरीवाल 15 अप्रैल तक राष्ट्रीय राजधानी की तिहाड़ जेल में बंद हैं।

सोमवार को,( आप) ने दिल्ली में घर-घर अभियान चलाया और लोगों से अपने वोट के माध्यम से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का "बदला" लेने का आग्रह किया। आप के राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने कहा कि पार्टी के 'जेल का जवाब वोट से' का उद्देश्य श्री केजरीवाल की "अवैध" गिरफ्तारी के बारे में जनता में जागरूकता बढ़ाना है। राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने अपील की l दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि  केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली याचिका "प्रचार" के लिए दायर की गई थी और याचिकाकर्ता "भारी कीमत" पाने का हकदार है।

हालांकि ईडी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि  केजरीवाल आगामी चुनावों के आधार पर गिरफ्तारी से छूट का दावा नहीं कर सकते।ईडी ने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली शराब घोटाले में अवैध गतिविधियों से धन की प्राथमिक प्राप्तकर्ता रही है l इन निधियों का एक हिस्सा ,2022 में गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान AAP के चुनावी अभियान में कथित तौर पर ₹45 करोड़ का इस्तेमाल किया गया था।

एजेंसी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए l

केजरीवाल के समर्थक उनकी रिहाई की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आये हैं। रविवार को नई दिल्ली के जंतर मंतर पर आम आदमी पार्टी द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में कई लोगों ने हिस्सा लिया l विरोध प्रदर्शन में पार्टी कार्यकर्ता, समर्थक और स्कूली बच्चे शामिल हुए। उन्होंने देशभक्ति के गीत गाए, भजन गाए और श्री केजरीवाल, जो पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं, से गलत कामों का सबूत मांगा।

आगामी लोकसभा चुनावों के बीच लोग इसे राजनीतिक एजेंडे के रूप में देख रहे हैं जो पार्टी के पक्ष में हो भी सकता है और नहीं भी और वोटों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। हालाँकि आज आने वाला फैसला (आप) पार्टी के सदस्यों और केजरीवाल के आगे का कदम तय करेगा l

निष्ठा सिन्हा

09.04.2024

अमेरिका में एक और भारतीय छात्र की मौत, एक हफ्ते के अंदर ऐसा दूसरा मामला*
#another_indian_student_dies_in_america अमेरिका में भारतीय छात्रों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।अमेरिका में एक और भारतीय छात्र की मौत का मामला सामने आया है। दरअसल बीते महीने लापता हुए भारतीय छात्र मोहम्मद अब्दुल अरफात का शव मिला है। अब्दुल अराफात वर्ष 2023 में क्लीवलैंड स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका गया था। अब अमेरिका के क्लीवलैंड में मृत पाया गया है। एक हफ्ते के अंदर ऐसी दूसरी घटना सामने आई है, जबकि इस साल अभी तक 11 भारतीय छात्रों के साथ ऐसी घटना हुई है। न्यूयॉर्क में भारतीय दूतावास ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि लगभग तीन हफ्ते तक लापता रहे इस छात्र की लाश मिली है। भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘यह जानकर दुख हुआ कि मोहम्मद अब्दुल अरफात, जिनके लिए खोज अभियान चल रहा था, क्लीवलैंड, ओहियो में मृत पाए गए। मोहम्मद अरफ़ात के परिवार के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं। मोहम्मद अब्दुल अरफात की मौत की गहन जांच सुनिश्चित करने के लिए न्यूयॉर्क में भारतीय दूतावास स्थानीय एजेंसियों के संपर्क में है। हम उनके पार्थिव शरीर को भारत लाने के लिए शोक संतप्त परिवार को हर संभव सहायता दे रहे हैं। मोहम्मद अब्दुल अरफात भारत के हैदराबाद के नचारम का निवासी था और वह बीते साल मई में क्लीवलैंड यूनिवर्सिटी से आईटी में मास्टर्स की पढ़ाई करने अमेरिका आया था। अरफात के पिता मोहम्मद सलीम ने बताया कि अरफात से उनकी आखिरी बार 7 मार्च को बात हुई थी, उसके बाद से परिवार के साथ उसका कोई संपर्क नहीं था। उसका मोबाइल फोन भी बंद था। अरफात के साथ रह रहे युवक ने अरफात के पिता को बताया था कि उन्होंने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी। 19 मार्च को अरफात के परिवार को एक अज्ञात कॉल आया, जिसमें कहा गया कि अरफात का ड्रग्स बेचने वाले गैंग ने अपहरण कर लिया है और उन्होंने उसे छोड़ने के एवज में 1200 अमेरिकी डॉलर की मांग की। अरफात के पिता ने बताया कि कॉल करने वाले व्यक्ति ने धमकी दी थी कि अगर फिरौती की रकम नहीं दी गई तो वे अरफात की किडनी बेच देंगे। अमेरिका में भारतीय मूल के छात्रों की मौत का यह पहला या दूसरा मामला नहीं है। ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। 6 अप्रैल को भी उमा सत्य साईं गड्डे नाम के एक भारतीय छात्र की मौत का मामला सामने आया था। वह ओहियो के क्लीवलैंड से पढ़ाई कर रहा था। इस साल अब तक अमेरिका में 11 भारतीय और भारतीय मूल के छात्रों की मौतें हो चुकी हैं। पिछले महीने (मार्च) में अमेरिका में 20 साल के भारतीय छात्र अभिजीत पारुचुरू की हत्या कर दी गई थी। वह आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के बुर्रिपालेम का रहने वाला था। इससे पहले पर्ड्यू विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले भारतीय मूल के छात्र नील आचार्य की भी हत्या की गई थी। इसके अलावा श्रेयस रेड्डी और विवेक सैनी भी मृत पाए गए थे। इसके अलावा नील आचार्य पर्ड्यू यूनिवर्सिटी कैंपस में मृत मिला था। नील आचार्य की मां ने उनके लापता होने की शिकायत की थी, जिसके कुछ दिनों बाद उनकी लाश मिली। वहीं भारतीय अमेरिकी मूल के अकुल धवन का मृत शरीर यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय के बाहर मिला था। वहीं भारतीय अमेरिकी छात्र समीर कामथ का मृत शरीर एक नेचर प्रीजर्व से मिला था। कामथ पर्ड्यू यूनिवर्सिटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहे थे।
*आज से शुरू हुआ चैत्र नवरात्रि, प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा का है विधान, जानें घटस्थापना मुहूर्त और शुभ योग*
#chaitra_navratri_maa_shailputri 
वैदिक पंचांग के प्रत्येक साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल यानी 2024 में चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो रही है और समाप्ति 17 अप्रैल को होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती हैं। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है और माता के आशीर्वाद से व्यक्ति को विभिन्न कष्टों से मुक्ति मिलती है। *चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त* वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर साल चैत्र नवरात्रि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती है और नवमी तिथि को समाप्ति होती है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल 2024 देर रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और समाप्ति अगले दिन यानी 9 अप्रैल दिन मंगलवार को संध्याकाल 8 बजकर 30 मिनट पर होगी। बता दें हिंदू धर्म में उदया तिथि का मान्यता है इसलिए चैत्र नवरात्रि की घटस्थापना 9 अप्रैल दिन मंगलवार को होगी। *घटस्थापना का शुभ मुहूर्त* वैदिक पंचांग के अनुसार, घटस्थापना की शुभ तिथि 9 अप्रैल दिन मंगलवार को सुबह 6 बजकर 2 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक है। मान्यता है कि इस शुभ मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं। या फिर दूसरा शुभ मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट पर है। इस शुभ मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं। *ऐसा है मां शैलपुत्री का स्वरूप* नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री बेहद दयालु और कृपालु हैं। मां शैलपुत्री के मुख पर कांतिमय तेज झलकता है।. मां शैलपुत्री बाएं हाथ में कमल पुष्प और दाएं हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं, इनकी सवारी वृषभ है। मां अपने भक्तों का उद्धार कर दुखों को दूर करती हैं। *मां शैलपुत्री की कथा* दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री माना जाता है। मान्यता है इससे पूर्व उनका जन्म राजा दक्ष की पुत्री सती के रूप में हुआ था। जिनका विवाह भगवान शिव से हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया और उसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया लेकिन भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया। जब देवी सती को इसके बारे में पता चला तो वह अपने पिता के घर बगैर निमंत्रण के ही पहुंच गईं। जहां पर महादेव के प्रति अपमान महसूस होने पर उन्होंने स्वयं को महायज्ञ में जलाकर भस्म कर लिया। जब यह बात भगवान शिव को पता चली तो उन्होंने यज्ञ को ध्वंश करके सती को कंधे पर लेकर तीनों लोकों में विचरण करने लगे। इसके बाद भगवान विष्णु ने भगवान शिव के मोह को दूर करने के लिए सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से काटकर 51 भागों में विभक्त कर दिया। मान्यता है कि माता सती के टुकड़े जहां-जहां पर गिरे वे सभी शक्तिपीठ कहलाए। इसके बाद देवी सती ने शैलराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में दोबारा जन्म लिया, जिन्हें माता शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। *मां शैलपुत्री को अर्पित करें ये भोग* दुर्गाजी के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री को सफेद और शुद्ध भोग्य खाद्य पदार्थ पसंद हैं। इसीलिए पहले नवरात्रि को मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है। अगर घर परिवार को निरोगी जीवन और स्वस्थ शरीर चाहिए तो मां को गाय के शुद्ध घी से बनी सफेद चीजों का भोग लगाएं।
क्या राहुल गांधी ने चुनाव के लिए लिया आतंकवादी संगठन का सहारा, कांग्रेस नेता पर स्मृति ईरानी ने लगाए गंभीर आरोप

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केंद्रीय मंत्री एवं अमेठी सांसद स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वायनाड का चुनाव जीतने के लिए उन्होंने आतंकी संगठन पीएफआई से समर्थन लिया है। अमेठी लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ रहीं ईरानी ने यह भी आरोप लगाया कि अमेठी के लोगों ने 15 साल तक एक ऐसे सांसद को बर्दाश्त किया जिसने उनके लिए कुछ नहीं किया। स्मृति ईरानी सोमवार को मेरठ में एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान ये बातें कहीं।

केंद्रीय मंत्री एवं अमेठी सांसद स्मृति ईरानी सोमवार को एक दिवसीय दौरे पर अमेठी लोकसभा क्षेत्र के सलोन विधानसभा पहुंचीं, जहां पर स्मृति ईरानी ने कार्यक्रम के दौरान गांधी परिवार पर जमकर हमला बोला। ईरानी ने आरोप लगाया कि वायनाड का चुनाव जीतने के लिए राहुल ने आतंकी संगठन पीएफआई से समर्थन लिया है। उन्होंने कहा कि पीएफआई की चार्जशीट को देखने पर पता चलता है कि यह वही संगठन है, जिसने हर जिले में कितने हिंदुओं को मारना है, इसकी लिस्ट बना रखी है।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में राहुल गांधी को हरा चुकी ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी को अमेठी के लोगों को बताना चाहिए कि वह ऐसे संगठन की मदद से वायनाड का चुनाव क्यों लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह कुछ दिन पहले वायनाड में थी और वहां उनको पता चला कि राहुल गांधी ने वायनाड को अपना परिवार घोषित कर दिया है। ईरानी ने कहा कि रंग बदलने की बात उन्होंने सुनी थी, लेकिन पहली बार ऐसा देखने को मिला कि लोग अपना परिवार भी बदलते हैं

इससे पहले गुरूवार को स्मृति ईरानी ने वायनाड से राहुल गांधी पर हमला बोला। स्मृति ने केरल में पीएफआई के राजनीतिक संगठन एसडीपीआई से समर्थन लेने पर राहुल पर निशाना साधा। राहुल गांधी के वायनाड से नामांकन और रोडशो के एक दिन बाद स्मृति ईरानी वायनाड पहुंची थी। जहां उन्हें बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में रोड शो करते हुए राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला था। इस दौरान स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पर दो आरोप लगाए। पहला नामांकन के दौरान रोड शो में मुस्लिम लीग के झंडे छिपाए जाने का और दूसरा राहुल के आतंकी संगठन के राजनीतिक विंग के समर्थन लेने का। इस दौरान स्मृति ने कहा था कि मेरा ये मानना है कि कांग्रेस पार्टी के नामांकन रैली में मुस्लिम लीग के झंडे को छिपाना इस बात का संकेत है कि या तो राहुल गांधी मुस्लिम लीग के समर्थन से शर्मसार हैं या फिर जब वो उत्तर भारत में आएंगे तो मंदिर-मंदिर जाएंगे। तब लोगों से उत्तर भारत में मुस्लिम लीग के साथ उनके गठबंधन को छिपा पाएंगे। मैं वायनाड आकर ये देखकर स्तब्ध हूं कि पीएफआई जैसे आतंकवादी संगठन के बैन के बावजूद उसके राजनीतिक विंग से समर्थन राहुल गांधी अपने चुनाव के लिए ले रहे हैं।

घोषणा पत्र पर पीएम मोदी की टिप्पणी को लेकर चुनाव आयोग पहुंची कांग्रेस, प्रधानमंत्री ने मुस्लिम लीग से जोड़े थे तार

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प्रधानमंत्री मोदी के एक बयान को लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग पहुंची है। दरअसल, कांग्रेस के घोषणा पत्र जारी करने के बाद से ही बीजेपी लगातार हमलावर है। पीएम मोदी से लेकर भाजपा के कई और शीर्ष नेता कांग्रेस के मेनिफेस्टो की तुलना मुस्लिम लीग के घोषणापत्र से कर रहे हैं। जिसके बाद कांग्रेस ने भाजपा के इस बयानों की शिकायत चुनाव आयोग से कर दी है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि उन्होंने ईसी से पीएम मोदी के मुस्लिम लीग वाले बयान से लेकर कई मुद्दों पर शिकायत दर्ज कराई है।

कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को दिल्ली में चुनाव आयोग (ईसी) के कार्यालय पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने पार्टी के घोषणापत्र को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुस्लिम लीग वाली टिप्पणी सहित कई मुद्दों की शिकायत की और कार्रवाई की मांग की। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद समेत कई लोग शामिल थे। 

खुर्शीद ने कहा, "प्रधानमंत्री अपने भाषणों में जो कहते हैं, उससे हमें बहुत दुख होता है। उन्होंने हमारे घोषणापत्र के बारे में जो कहा है वह झूठ का पुलिंदा है। हमें इससे बहुत दुख हुआ है। आप किसी अन्य दल के घोषणापत्र पर असहमति रख सकते हैं। आप इस पर बहस कर सकते हैं। आप उसका विश्लेषण कर सकते हैं। लेकिन एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी की पार्टी जो राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल रही है, उसके घोषणापत्र के बारे में ऐसा कहना झूठ का पुलिंदा है। जबकि एक बहुत अच्छा घोषणापत्र लिखा गया है।

इन मुद्दों पर भी की शिकायत

वहीं, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, हमने कई मुद्दे उठाए। प्रधानमंत्री ने जिस तरह से हमारे घोषणापत्र को मुस्लिम लीग का दर्जा दिया हमने उस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। विश्वविद्यालयों में प्रधानमंत्री के जो होर्डिंग्स लगे हैं, उस पर भी हमने अपनी बात रखी है। भाजपा के त्रिवेंद्रम के उम्मीदवार राजीव चंद्रशेखर के हलफनामे के विषय में भी हमने अपनी बात रखी है। हलफनामे में कई त्रुटियां हैं। जानबूझकर गलतियां की गई हैं। खेड़ा ने कहा, जिन यूट्यूब चैनल को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय बिना बताए बंद कर रही है। यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। चूंकि चुनाव घोषित किए जा चुके हैं। चुनाव आयोग को इसकी सिफारिश करनी चाहिए कि वह किस यूट्यूब चैनल को हटाना चाहे या न हटाना चाहे। मंत्रालय अभी कार्यवाहक सरकार का है। उसके पास यह अधिकार नहीं है कि वह अभिव्यक्ति की आजादी पर इस तरह की पाबंदियां लगाए। 

क्या कहा था पीएम मोदी ने?

बता दें कि पीएम मोदी ने छह अप्रैल को राजस्थान के अजमेर में एक चुनावी रैली के दौरान कांग्रेस के घोषणापत्र को "झूठ का पुलिंदा" कहा और कहा कि दस्तावेज़ के हर पृष्ठ से "भारत को टुकड़ों में तोड़ने की कोशिश की बू आती है"। उन्होंने कहा था कि मुस्लिम लीग की मुहर वाले इस घोषणापत्र में जो कुछ बचा था, उस पर वामपंथियों ने कब्ज़ा कर लिया है। आज कांग्रेस के पास न तो सिद्धांत बचे हैं और न ही नीतियां। ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस ने सब कुछ ठेके पर दे दिया है और पूरी पार्टी को आउटसोर्स कर दिया है।

कांग्रेस न्याय पत्र

कांग्रेस के न्याय पत्र में 5 न्याय, 25 गारंटी और 300 से ज्यादा वादे शामिल है. काग्रेस 48 पन्नों के इस घोषणा पत्र को भारत की जनता की उम्मीदों का घोषणा पत्र बता रही है. घोषणा पत्र के अहम मु्द्दों में मानहानी के जुर्म को अपराधमुक्त करना, इंटरनेट का मनमाने ढंग से बैन करवाने को खत्म करना, शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के अधिकार को बनाए रखने के साथ-साथ सरकार का खाने, पहनावे, प्यार, शादी में दखल न देना शामिल है.