दीपावली यूनेस्को की सूची में शामिल, पीएम मोदी बोले- दिवाली हमारी सभ्यता की आत्मा

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रोशनी का पर्व दीपावली अब आधिकारिक रूप से यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में शामिल हो गया है। यह घोषणा 2025 की सूची के साथ की गई, जिसमें दुनिया भर की 20 सांस्कृतिक धरोहरों को स्थान मिला है। यूनेस्को ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन की इंटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज यानी अमूर्त विश्व धरोहर की सूची जारी की। इसमें घाना, जॉर्जिया, कांगो, इथियोपिया और मिस्र सहित कई देशों के सांस्कृतिक प्रतीक भी शामिल हैं।

पीएम मोदी ने यूनेस्को के फैसले पर दी प्रतिक्रिया

यूनेस्को के निर्णय पर पीएम मोदी ने कहा, भारत और दुनियाभर के लोग उत्साहित हैं। हमारे लिए दीपावली हमारी संस्कृति और लोकाचार से बहुत गहराई से जुड़ी हुई है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह प्रकाश और धार्मिकता का प्रतीक है। यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में दीपावली के शामिल होने से इस त्यौहार की वैश्विक लोकप्रियता और भी बढ़ जाएगी। प्रभु श्री राम के आदर्श हमें अनंत काल तक मार्गदर्शन करते रहें।

भारत कर रहा यूनेस्को की बैठक की मेजबानी

ये फैसला उस समय आया है, जब दिल्ली में यूनेस्को की इंटर-गवर्नमेंटल कमेटी फॉर इंटैन्जिबल हेरिटेज की 20वीं बैठक की मेजबानी कर रही है। यह 8 से 13 दिसंबर तक चलेगी। यह पहली बार है जब भारत इसकी अंतरसरकारी समिति के सत्र की मेजबानी कर रहा है। यह समिति अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के लिए कार्य करती है।

घोषणा के बाद लगे 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय' के नारे

जब यूनेस्को ने घोषणा की कि दीपावली को यूनेस्को के त्योहारों की सूची में शामिल कर दिया गया है, तब वहां मौजूद लोग 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय' के नारे लगाने लगे।

भारत के ये तत्वों भी सूची में हैं दर्ज

वर्तमान में भारत के 15 तत्व यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में दर्ज हैं। इनमें कुम्भ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा, गुजरात का गरबा नृत्य, योग, वैदिक मंत्रपाठ की परंपरा और रामलीला (महाकाव्य 'रामायण' का पारंपरिक प्रदर्शन) शामिल हैं।

सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित रखना है लक्ष्य

यूनेस्को की यह लिस्ट दुनिया की ऐसी सांस्कृतिक और पारंपरिक चीजों को शामिल करती है, जिन्हें छू नहीं सकते लेकिन अनुभव किया जा सकता है। इसे अमूर्त विश्व धरोहर भी कहते हैं। इसका मकसद है कि ये सांस्कृतिक धरोहरें सुरक्षित रहें और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचें।

मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम : राष्ट्रपति ने की मानवाधिकारों को अंतिम पंक्ति तक पहुंचाने की अपील

दिल्ली ब्यूरो

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि प्रत्येक नागरिक की गरिमा और अधिकारों पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। भारत की सांस्कृतिक परंपरा वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर आधारित है जो सार्वभौमिक मानवाधिकारों की भावना को मजबूत करती है। उन्होंने मानवाधिकारों को देश के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों तक पहुंचाने की अपील के।

राजधानी दिल्ली में हुए इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन, आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति बिद्युत रंजन सारंगी, विजया भारती सयानी, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा तथा संयुक्त राष्ट्र महासचिव की समन्वयक अरेती सिएनी सहित तमाम लोग मौजूद रहे। इस मौके पर राष्ट्रपति ने आयोग के हिंदी जर्नल नई दिशाएं और अंग्रेजी जर्नल जर्नल आफ द एनएचआरसी का वर्ष 2024- 25 का संस्करण जारी किया।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत ने सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा पत्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उसकी मूल भावना मानव गरिमा, समानता और स्वतंत्रता भारत की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने मानवाधिकार, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय को एक दूसरे से अविभाज्य बताया था।

राष्ट्रपति ने कहा कि एनएचआरसी ने हाल के वर्षों में अनुसूचित जातियों, जनजातियों, महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों से जुड़े मामलों पर विशेष ध्यान दिया है। आयोग 3000 से अधिक मामलों में स्वप्रेरणा से कार्यवाही कर चुका है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत 2047 का लक्ष्य तभी पूरा होगा जब विकास का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।

उन्होंने कहा कि मानवाधिकार और विकास परस्पर जुड़े हैं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, स्वच्छ पानी, स्वच्छता और सामाजिक सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं सभी नागरिकों तक पहुंचाना मानवाधिकारों की पूर्ति का आधार है। एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल और पीएम श्री स्कूल जैसे संस्थानों ने वंचित वर्गों के छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई है। आवास और खाद्य सुरक्षा योजनाओं से करोड़ों लोगों को लाभ मिला है जिससे उन्हें सम्मानपूर्ण जीवन जीने का आधार मिला है।

उन्होंने कहा कि हाल के श्रम सुधारों और सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों से श्रमिकों के अधिकार और सुदृढ़ हुए हैं। सुदूर और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले सभी नागरिकों तक आवश्यक सुविधाएं पहुंचाना सरकार और समाज की साझा जिम्मेदारी है। समावेशी विकास का अर्थ है कि विकास की यात्रा में कोई भी व्यक्ति पीछे न रह जाए।

जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाएगा इंडिया गठबंधन, जानें क्या है मामला?

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मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ विपक्षी इंडी गठबंधन ने मोर्चा खोल दिया है। संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में मद्रास हाई कोर्ट के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने की पूरी तैयारी हो गई है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) समेत इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को दिया है।

जस्टिस स्वामीनाथन पर ये आरोप

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को विपक्ष ने जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने का जो नोटिस दिया है,उसमें उनपर 'मिसकंडक्ट' का आरोप लगाया गया है। लाइवलॉ की रिपोर्ट के अनुसार विपक्षी सांसदों के नोटिस में जज की निष्पक्षता, पारदर्शिता और धर्मनिरपेक्ष व्यवहार को लेकर सवाल उठाए गए हैं। विपक्ष की यह भी शिकायत है कि जज का बर्ताव एक विशेष समुदाय के सीनियर एडवोकेट और एडवोकेट के प्रति 'पक्षपातपूर्ण' रहा है।

कैसे शुरू हुआ विवाद?

जस्टिस स्वामीनाथन से तमिलनाडु की सत्ताधारी डीएमके इस बात से नाराज है कि उन्होंने न सिर्फ एक मंदिर से जुड़े कथित विवादित स्थल पर परंपरागत दीपक प्रज्वलन का आदेश दिया, बल्कि आदेश तामील नहीं होने पर श्रद्धालुओं को खुद ही दीपक जलाने की अनुमति दे दी और उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित कर दी।

क्या है मामला?

यह कदम थिरुपरनकुंद्रम में पहाड़ी के ऊपर पारंपरिक कार्तिगाई दीपम दीपक जलाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच उठाया गया है. थिरुपरनकुंद्रम एक मंदिर और पास में ही एक दरगाह वाला स्थल है। इस विवाद के पीछे की वजह एक आदेश है जिसमें जस्टिस स्वामीनाथन ने मदुरै जिले के थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ियों पर एक मंदिर में पारंपरिक कार्यक्रम कार्तिगई दीपम जलाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इस पारंपरिक अनुष्ठान से दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का किसी तरह से कोई उल्लंघन नहीं होगा लेकिन तमिलनाडु सरकार ने कानून और व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देते हुए हाई कोर्ट के इस आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया था। डीएमके का कहना है कि जज के ऐसे आदेश से सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इस साल 85 हजार वीजा किए कैंसिल, छात्रों पर सबसे ज्यादा असर

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अमेरिका ने इमिग्रेशन नियम कड़े करने के बाद जनवरी से अब तक 85 हजार वीजा रद्द किए हैं। जिनमें 8 हजार से ज्यादा छात्र शामिल हैं, जो पिछले साल की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने बताया है कि यह कार्रवाई इमिग्रेशन और बॉर्डर सिक्योरिटी पर ट्रम्प प्रशासन के बढ़ते फोकस का हिस्सा है।

डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल जनवरी में राष्ट्रपति बनने के बाद से इमिग्रेशन मुद्दे पर लगातार सख्त रुख अपनाया हुआ है। इसी क्रम में अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार क एक्स पर लिखा, 'जनवरी से अब तक 85,000 वीजा कैंसिल किए गए हैं। प्रेसिडेंट ट्रंप और सेक्रेटरी रुबियो एक आसान से आदेश का पालन करते हैं और वे जल्द ही रुकने वाले नहीं हैं।' पोस्ट में ट्रंप की तस्वीर के साथ 'मेक अमेरिका सेफ अगेन' का स्लोगन दिया गया है। यानी अमेरिका को सुरक्षित बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

रद्द किए गए वीजा में 8 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स के

विदेश विभाग के एक अधिकारी ने कहा, हमने सभी कैटेगरी के 85,000 वीजा रद्द कर दिए हैं। जिनमें 8,000 से ज्यादा छात्र शामिल हैं, जो पिछले साल की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। रद्द किए गए वीजा में से 8 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स के थे। इसकी प्रमुख वजह नशे में गाड़ी चलाना, चोरी और हमला जैसे अपराध थे, जो पिछले साल के लगभग आधे कैंसिलेशन का हिस्सा थे।

वीजा रद्द की क्या हैं वजहें?

वीजा रद्द करने के कारणों में पहले अवधि से अधिक समय रुकना, आपराधिक चिंताएं और आतंकवाद का समर्थन शामिल रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन ने गाजा को लेकर हो रहे छात्र विरोध प्रदर्शनों में शामिल अंतरराष्ट्रीय छात्रों को निशाना बनाया गया है। इन छात्रों को यहूदी-विरोधी करते हुए वीजा पर सख्ती की गई है।

सोशल मीडिया अकाउंट की जांच के बाद मिलेगा H-1B वीजा

इधर, अमेरिका लगातार वीजा नियमों को भी सख्त कर रहा है। 5 दिसंबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीजा नियमों में सख्ती के आदेश दिए थे। इसके तहत H-1B आवेदकों को अपना सोशल मीडिया अकाउंट सार्वजनिक करना होगा, ताकि अमेरिकी अधिकारी आवेदक की प्रोफाइल, सोशल मीडिया पोस्ट और लाइक्स को देख सकें। यदि आवेदक की कोई भी सोशल मीडिया एक्टिविटी अमेरिकी हितों के खिलाफ दिखी तो H-1B वीजा जारी नहीं किया जाएगा। H-1B के आश्रितों (पत्नी, बच्चों और पेरेंट्स) के लिए H-4 वीजा के लिए भी सोशल मीडिया प्रोफाइल को पब्लिक करना जरूरी होगा। ऐसा पहली बार है, जब H-1B वीजा के लिए सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच जरूरी की गई है। नए नियम 15 दिसंबर से लागू होंगे। ट्रम्प प्रशासन ने सभी दूतावासों को निर्देश जारी किए हैं।

नेहरू ने वंदे मातरम् के टुकड़े किए..., अमित शाह ने राज्यसभा में दिया बड़ा बयान

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संसद में वंदे मातरम् पर बहस का आज दूसरा दिन है। बीते दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में इस चर्चा की शुरुआत की थी, जिसके बाद से देश में सियासी घमासान छिड़ गया है। वहीं, आज गृह मंत्री अमित शाह ने भी राज्यसभा में वंदे मातरम् को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा।

राज्यसभा में मंगलवार सुबह 11 बजे से कार्यवाही शुरू हुई। सदन में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर खास चर्चा शुरू हुई। इसकी शुरूआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘वंदे मातरम् के यशोगान के लिए चर्चा के लिए हम यहां आए हैं। चर्चा के जरिए हमारे देश के किशोर, युवा, आने वाली पीढ़ियों तक वंदे मातरम् का योगदान पता चले। हम सब सौभाग्यशाली है कि हमें एतिहासिक पल के साक्षी बन रहे हैं।

अमित शाह ने कहा इस महान सदन में वंदे मातरम् पर चर्चा हो रही है तब कल कुछ सदस्यों ने लोकसभा में सवाल किया था इस चर्चा की जरूरत क्या है। चर्चा की जरूरत वंदे मातरम् के प्रति समर्पण के प्रति जरूरत जब यह बना तब भी थी और अब भी है।

कांग्रेस वंदे मातरम् ध्यान भटकाने का हथियार मान रही-शाह

गृहमंत्री ने कहा, मैं कल देख रहा था कि कांग्रेस के कई सदस्य, वंदे मातरम् की चर्चा को, राजनीतिक हथकंडा या मुद्दों से ध्यान भटकाने का हथियार मान रहे थे। मुद्दों पर चर्चा करने से हम नहीं डरते. संसद का बहिष्कार हम नहीं करते। अगर संसद का बहिष्कार न किया जाए और ससंद चलने दी जाए तो सभी मुद्दों पर चर्चा होगी, हम डरते नहीं हैं और न ही हमारे पास कुछ छिपाने को है। कोई भी मुद्दा हो, हम चर्चा करने को तैयार हैं।

वंदे मातरम की चर्चा को बंगाल चुनाव से जोड़ने पर क्या बोले शाह?

अमित शाह ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि कुछ दल वंदे मातरम की चर्चा को बंगाल चुनाव से जोड़कर उसका महत्व कम करने की कोशिश कर रहे हैं. शाह ने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने इस गीत की रचना बंगाल में की, लेकिन इसका संदेश पूरे भारत में बिजली की तरह फैल गया और आज भी राष्ट्र को एकजुट करता है. अमित शाह ने कहा कि अंग्रेजों ने जब वंदे मातरम पर पाबंदियां लगाईं, तब बंकिम चंद्र ने साफ कहा था कि चाहे उनकी बाकी रचनाएं गंगा में बहा दी जाएं, लेकिन वंदे मातरम की शक्ति अनंत काल तक जीवित रहेगी. शाह के अनुसार, बंकिम चंद्र के ये शब्द आज पूरी तरह सच साबित हुए हैं।

नए सिरे से अपनी समझ को समझने की जरूरत- शाह

गृहमंत्री ने कहा ने कहा कि ये अमर कृति, मां भारती के प्रति समर्पण, भक्ति और कर्तव्य का भाव जागृत करने वाली है। इसलिए जिनको ये नहीं समझ आ रहा है कि आज वंदे मातरम् पर चर्चा क्यों हों रही है, मुझे लगता है कि उन्हें नए सिरे से अपनी समझ को समझने की जरूरत है।

पूर्व पीएम पर साधा निशाना

गृह मंत्री ने आरोप लगाया कि 1937 में वंदे मातरम के 50वें के दौरान जवाहर लाल नेहरू ने गीत को दो अंतरों तक सीमित कर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री ने कहा, वन्दे मातरम् की स्वर्ण जयंती जब हुई, तब जवाहरलाल नेहरू जी ने इसके दो टुकड़े कर इसे दो अंतरों तक सीमित कर दिया। वहीं से तुष्टीकरण की शुरुआत हुई। अगर वन्दे मातरम् के दो टुकड़े कर तुष्टीकरण की शुरुआत नहीं हुई होती तो देश का विभाजन भी नहीं होता।

आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी पर बोला हमला

अमित शाह ने आगे कहा, वन्दे मातरम् के जब 100 साल हुए, तब वन्दे मातरम् बोलने वालों को इंदिरा जी ने जेल में डाल दिया। आपातकाल लगाया गया। विपक्ष के लोगों को, सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में भर दिया गया। अखबारों पर ताले लगा दिए गए। पूरे देश को बंदी बनाकर रख दिया गया।

गांधी परिवार के दोनों सदस्य सदन से नदारद- शाह

जब वंदे मातरम के 150 साल पर लोकसभा में चर्चा हुई, तो यहां पर कांग्रेस की स्थिति देखिए, जिस कांग्रेस पार्टी के अधिवेशनों की शुरुआत गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर वंदे मातरम गाकर करवाते थे, जो गीत कांग्रेस पार्टी की आजादी की लड़ाई का एक मंत्र बना था, उसका महिमामंडन करने के लिए जब लोकसभा में चर्चा हुई तो गांधी परिवार के दोनों सदस्य सदन से नदारद रहे।

सोनिया गांधी को कोर्ट ने जारी किया नोटिस, दिल्ली पुलिस से भी मांगा जवाब, जानें क्या है मामला

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दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी को नोटिस जारी किया है। अदालत ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ कथित रूप से बिना भारतीय नागरिकता लिए वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने के मामले में नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सोनिया गांधी के अलावा दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा है।

राउज़ एवेन्यू सेशंस कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी के खिलाफ केस दर्ज कराने की मांग वाली एक याचिका पर नोटिस जारी किया है। दिल्ली के राउज़ एवेन्यू सेशंस कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को खारिज कर दिया गया था। आरोप है कि सोनिया गांधी ने वर्ष 1980 में कथित रूप से अपने नाम को मतदाता सूची में शामिल कराया था। यह याचिका अधिवक्ता विकस त्रिपाठी ने दायर की है।

नागरिकता मिलने से पहले मतदाता सूची में नाम!

वकील विकास त्रिपाठी ने कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर कर आरोप लगाया है कि सोनिया गांधी को 30 अप्रैल 1983 को भारत की नागरिकता मिली, लेकिन इसके तीन साल पहले यानी 1980 की मतदाता सूची में उनका नाम पहले से मौजूद था। याचिकाकर्ता का कहना है कि मतदाता सूची में नाम केवल उन्हीं का शामिल हो सकता है, जिनके पास भारतीय नागरिकता हो, इसलिए 1980 की लिस्ट में एंट्री अपने आप में संदेह पैदा करती है।

फर्जी कागज के इस्तेमाल का अंदेशा

सवाल उठाया गया है कि जब वह भारतीय नागरिक नहीं थीं, तब 1980 की मतदाता सूची में उनका नाम कैसे जोड़ा गया। याचिकाकर्ता ने पूछा है कि 1980 में उनका नाम जोड़ने के लिए कौन से दस्तावेज दिए गए थे और क्या कोई गलत या फर्जी कागज इस्तेमाल किए गए थे।

सोनिया गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग

दरअसल पिछले दिनों SIR को लेकर जारी विवाद के बीच ऐसे दावा किया गया कि सोनिया गांधी का नाम भारतीय नागरिक बनने से पहले कथित रूप से मतदाता सूची यानी इलेक्टोरल रोल में दर्ज था। याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की है कि इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कराई जाए और अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो सोनिया गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

कानून नियम जरूरी, लेकिन किसी को परेशानी न हो...इंडिगो संकट के बीच पीएम मोदी का बड़ा बयान

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देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो को यात्रियों को पिछले कुछ समय से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। करीब एक हफ्ते में इसकी 4,500 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो चुकी है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिगो संकट पर बड़ा बयान दिया है। पीएम मोदी ने कहा है कि नियम-कानून बनाने का मकसद सिस्टम को बेहतर करना होना चाहिए, न कि आम नागरिकों को परेशान करना।

पीएम मोदी ने एनडीए सांसदों की बैठक के दौरान इंडिगो संकट पर ये बात कही।संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आज संसद परिसर में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल दलों के सांसदों की बैठक हुई।

सांसदों से सभी क्षेत्रों में सुधार का आह्वान

एनडीए संसदीय दल की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने जानकारी दी। उन्होंने कहा, आज की बैठक में बिहार चुनावों में एनडीए की जीत के लिए सभी एनडीए नेताओं ने पीएम मोदी को बधाई दी। पीएम मोदी ने सभी एनडीए सांसदों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए काम करने का मार्गदर्शन दिया। उन्होंने जनता के जीवन को आसान बनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी क्षेत्रों में सुधार करने पर जोर दिया कि उन्हें कोई समस्या न हो।

कानून लोगों पर बोझ नहीं बने

प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत साफ शब्दों में कहा है कि कोई भी ऐसा कानून, नियम नहीं होना चाहिए, जो बिना मतलब नागरिकों को परेशान करें। कानून लोगों पर बोझ नहीं बल्कि उनकी सुविधा के लिए होना चाहिए। पीएम ने कहा कि कानूनों से लोगों की मदद होनी चाहिए। उन्होंने सांसदों से युवाओं से जुड़ने का आह्वान किया।

बड़े एयरपोर्ट्स का जायजा लेंगे बड़े अधिकारी

इधर, इंडिगो एयरलाइन की वजह से हवाई अड्डों पर यात्रियों को हो रही भारी दिक्कतों को देखते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी, डायरेक्टर और ज्वाइंट सेक्रेटरी जैसे बड़े अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे जल्द ही देश के बड़े हवाई अड्डों पर जाकर जमीनी हकीकत का जायजा लें। ये अधिकारी मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, पुणे, गुवाहाटी, गोवा और तिरुवनंतपुरम जैसे हवाई अड्डों का दौरा करेंगे। इसका मकसद यह समझना है कि यात्रियों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

भारत को फिर झटका देंगे ट्रंप! भारत से निर्यात होने वाले चावल पर सख्ती के दिए संकेत

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ मामले में भारत को एक और झटका दे सकते हैं। ट्रंप ने संकेत दिया है कि उनका प्रशासन विदेशी कृषि उत्पादों पर नए टैरिफ लगाने पर विचार कर सकता है, जिसमें भारतीय चावल और कनाडाई उर्वरक शामिल हैं। ट्रंप का ये बयान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हाल ही में भारत दौरे के बाद आया है।

भारत के सस्ते चावल से अमेरिकी उत्पादक परेशान

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी किसानों के लिए 12 अरब डॉलर की मदद करने का ऐलान करते हुए कहा कि भारत से सस्ता चावल आने की वजह से अमेरिका के चावल उत्पादक परेशान हैं और उनके दाम गिर रहे हैं। ये बात उन्हें अमेरिका की बड़ी चावल कंपनी कैनेडी राइस मिल्स की मालकिन और सीईओ मेरिल कैनेडी ने बताई, जिसके बाद ट्रंप ने साफ कहा कि वे भारतीय चावल पर और ज्यादा टैरिफ लगाने का प्लान बना रहे हैं ताकि अमेरिकी किसानों को बचाया जा सके।

अमेरिकी किसानों को ट्रंप ने दिया भरोसा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक लिस्ट दी गई जिसमें भारत, थाईलैंड और चीन जैसे देशों पर अमेरिका में सस्ता चावल डंप करने का आरोप लगा था। लिस्ट देखकर ट्रंप ने नाराजगी जताई और अपने वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से पूछा, “भारत के बारे में बताओ, भारत ऐसा क्यों कर रहा है? क्या चावल पर कोई टैरिफ छूट है?” ट्रंप ने साफ कहा कि अमेरिकी किसानों को बचाने के लिए अब भारतीय चावल पर और सख्त टैरिफ लग सकता है।

ट्रंप बोले- भारतीय चावल की डंपिंग पर ध्यान देंगे

अमेरिकी किसानों ने डोनाल्ड ट्रंप से कहा है कि सब्सिडी वाले चावल के बेशुमार आयात से मार्किट पर असर पड़ रहा है। इससे घरेलू फसलों की कीमतें नीचे जा रही हैं। इस पर ट्रंप ने जवाब दिया कि यह धोखा है और इस पर नए टैरिफ लगाए जा सकते हैं। ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका में भारतीय चावल की डंपिंग पर जरूर ध्यान देंगे।

वंदे मातरम को लेकर प्रियंका का पीएम मोदी पर निशाना, बोले- बंगाल चुनाव की वजह से हो रही चर्चा

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राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर संसद में आज इस पर चर्चा हो रही है। सबसे पहले चर्चा की शुरुआत लोकसभा में हुई। पीएम मोदी ने वंदे मातरम पर लोकसभा में अपना संबोधन दिया। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सदन में वंदे मातरम पर चर्चा में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम विषय भारत की आत्मा का हिस्सा है। इस गीत ने गुलामी में सोए हुए लोगों को जगाया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम 150 सालों से भारत की आत्मा में बस चुका है। ऐसे में आज इस बहस की क्या आवश्यकता है।

प्रियंका गांधी ने वंदे मातरम पर चर्चा में भाग लेते हुए पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री बहुत अच्छे भाषण देते हैं, लेकिन उनमें तथ्य नहीं होते। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार किसी अधिवेशन में वंदे मातरम गाया था। प्रियंका ने जोड़ा कि प्रधानमंत्री यह बताना भूल गए कि टैगोर ने इसे कांग्रेस के अधिवेशन में गाया था।

प्रियंका गांधी का पीएम मोदी पर हमला

प्रियंका गांदी ने गे जोड़ा, प्रधानमंत्री ने कहा कि नेहरू ने नेताजी को पत्र लिखकर वंदे मातरम् के उपयोग पर पुनर्विचार करने को कहा था। इस कथित पत्र से तीन दिन पहले नेताजी ने ही नेहरू को पत्र लिखकर यह मुद्दा लेकर कलकत्ता कांग्रेस में चर्चा करने का आग्रह किया था। उन्होंने नेहरू के पत्र के आगे के पैराग्राफ भी पढ़कर सुनाए, जिसमें लिखा था कि वंदे मातरम् का विवाद साम्प्रदायिक आधार पर खड़ा किया गया था। प्रियंका ने टैगोर का वह पत्र भी पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा था कि स्वतंत्रता सेनानी कविता के सिर्फ दो अनुच्छेद ही गाते हैं और केवल वही उपयोग किए जाने चाहिए।

प्रियंका का सरकार पर तीखा हमला

प्रियंका गांधी ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आप सिर्फ चुनाव के लिए हैं, जबकि हम देश के लिए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहे जितने भी चुनाव हार जाए, लेकिन वह बीजेपी और सरकार की नीतियों के खिलाफ संसद में बैठकर लगातार लड़ती रहेगी। प्रियंका ने कहा कि विपक्ष का कर्तव्य है कि वह जनता की आवाज बने और लोकतंत्र की रक्षा करे, और कांग्रेस इस जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बहसों से बचती है, मुद्दों से ध्यान भटकाती है, जबकि कांग्रेस जनता के असली सवालों को उठाती रहेगी।

बंगाल चुनाव की वजह से हो रही चर्चा-प्रियंका

कांग्रेस सांसद ने कहा कि हम इसे किस तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं। इस सदन में हम अपने राष्ट्रगीत पर भी बहस करेंगे। प्रियंका ने सवाल उठाया है कि आखिर इस बहस की जरूरत क्या है। हम यह बहस आज यहां दो वजह से कर रहे हैं। पहला बंगाल का चुनाव आ रहा है, इस वजह से इसका चुनाव हो रहा है। दूसरी वजह इनकी पुराना मकसद है, जिन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी उन पर दोष थोपना चाहती है। प्रियंका ने कहा कि आपका मकसद उसी अतीत में मंडराने से जो बीत चुका है। प्रियंका ने कहा कि सच्चाई यह है कि पीएम मोदी वह प्रधानमंत्री नहीं है, अब उनका आत्मविश्वास घटने लगा है।

दादा तबीयत तो ठीक है न...पीएम मोदी ने वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान किससे पूछा

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संसद में आज वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर भारत के राष्ट्रीय गीत और इससे जुड़े इतिहास पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में चर्चा की शुरुआत की। इस बीच एक मजेदार वाकया भी सामने आया। जब लोकसभा में पीएम मोदी अपनी बात रख रहे थे, तभी टीएमसी सांसद ने उन्हें टोक दिया। इसके बाद पीएम मोदी ने उनसे मजाक में पूछ लिया कि दादा आपकी तबीयत तो ठीक है न। प्रधानमंत्री मंत्री की बात सुनकर पूरे सदन में ठहाका गूंज गया।

दरअसल पीएम मोदी लोकसभा में वंदे मातरम के महत्व पर बात कर रहे थे। इस दौरान वह वंदे मातरम के रचयिता कवि बंकिम चंद्र चटर्जी को 'बंकिम दा' कहकर संबोधित कर रहे थे। विपक्ष में बैठे टीएमसी सांसद सौगत रॉय को यह पसंद नहीं आया। इस कारण उन्होंने पीएम मोदी को टोक दिया।

सौगत रॉय बोले- बंकिम बाबू कहना चाहिए

सौगत रॉय ने पीएम से कहा, आप बंकिम दा कह रहे हैं। आपको बंकिम बाबू कहना चाहिए।इस पर पीएम ने तुरंत जवाब दिया, धन्यवाद, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं। मैं बंकिम बाबू कहूंगा।

पीएम ने ली सांसद सौगत रॉय की चुटकी

हालांकि, पीएम मोदी यहीं नहीं रूके। उन्होंने टीएमसी सांसद सौगत रॉय की चुटकी ले ली। उन्होंने तृणमूल सांसद सौगत रॉय से एक बार फिर कहा, 'आपको तो दादा कह सकता हूं न? या उसमें भी एतराज हो जाएगा...'।

पीएम ने की कांग्रेस की नीतियों की आलोचना

बाद में पीएम ने अपने पूरे संबोधन में बंकिम चंद्र चटर्जी को बंकिम बाबू ही कहा। उन्होंने आजादी से लेकर आपातकाल और जिन्ना से लेकर बंगाल विभाजन तक का जिक्र किया और कांग्रेस की नीतियों की आलोचना की।