श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज में ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ के तहत जिला स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम सम्पन्न
गोंडा।28 नवम्बर। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रारंभ किए गए “बाल विवाह मुक्त भारत अभियान” के अंतर्गत आज श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज के ललिता शास्त्री सभागार में एक प्रभावशाली जिला स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन समाजशास्त्र विभाग एवं अपराजिता सामाजिक समिति द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. रवीन्द्र कुमार ने दीप प्रज्वलन कर किया। अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में उन्होंने कहा कि— “बाल विवाह समाज के विकास में सबसे बड़ी बाधा है और इसे समाप्त करने हेतु सामूहिक जागरूकता, शिक्षा और सामाजिक सहयोग अत्यंत आवश्यक है।”
कार्यक्रम में महाविद्यालय के अनेक सम्मानित प्राध्यापकों की उपस्थिति ने आयोजन को और अधिक गरिमामयी बनाया। इनमें प्रो. अमन चंद्रा, प्रो. जितेन्द्र सिंह, प्रो. जय शंकर तिवारी, डॉ. पल्लवी, डॉ. रचना श्रीवास्तव डॉ. मनीषा पाल, डॉ हरीश कुमार शुक्ला, डॉ. योगेंद्र नाथ श्रीवास्तव शामिल रहे।
इन सभी शिक्षकों ने बाल विवाह की समस्या, उसके दुष्परिणाम, तथा समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम को सार्थक दिशा प्रदान की।कार्यक्रम के प्रथम सत्र में अपराजिता की टीम द्वारा प्रतिभागियों का पंजीकरण किया गया। तत्पश्चात समाजशास्त्र विभाग एवं कॉलेज प्रशासन द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया, जिसमें विभागाध्यक्ष एवं सदस्यों ने अभियान की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
इसके बाद अपराजिता सामाजिक समिति के प्रोग्राम लीड श्री अभय पांडेय ने “बाल विवाह मुक्त भारत–100 दिवस अभियान” का व्यापक विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि समिति किस प्रकार गांवों, समुदायों एवं विद्यालयों में जागरूकता गतिविधियों का संचालन कर रही है और किस तरह जनभागीदारी के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है।
कार्यक्रम के अगले चरण में वन स्टॉप सेंटर की मैनेजर श्रीमती चेतना सिंह ने बाल विवाह, घरेलू हिंसा, महिला सुरक्षा तथा उपलब्ध कानूनी सहायता सेवाओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार हिंसा या संकट की स्थिति में महिलाएँ एवं बालिकाएँ वन स्टॉप सेंटर की सेवाओं का लाभ लेकर सुरक्षित वातावरण प्राप्त कर सकती हैं। इसके पश्चात जिला बाल संरक्षण अधिकारी (DCPO) श्री चन्द्रमोहन वर्मा ने किशोर न्याय अधिनियम, बाल अधिकारों एवं बाल विवाह से जुड़े कानूनी प्रावधानों पर सारगर्भित उद्बोधन दिया। उन्होंने युवाओं और शिक्षा संस्थानों की भूमिका पर विशेष जोर देते हुए कहा कि— “सामुदायिक भागीदारी के बिना कोई भी सामाजिक बुराई समाप्त नहीं हो सकती।”
इसके बाद अभय पांडेय एवं उनकी टीम द्वारा ही जिले में JRC के साथ मिलकर अपराजिता सामाजिक समिति द्वारा किए जा रहे कार्यों, हस्तक्षेपों और उपलब्धियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने भी सक्रिय रूप से अपनी सहभागिता दर्ज कराई और बाल विवाह उन्मूलन पर आधारित प्रस्तुतियों ने सभा में उपस्थित सभी लोगों को प्रभावित किया।
कार्यक्रम की सफलता में कॉलेज के कई सहयोगी सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। श्री रामभरोस, श्री रमेश तथा अन्य स्टाफ सदस्यों ने कार्यक्रम के संचालन, व्यवस्था और तकनीकी प्रबंधन में विशेष भूमिका निभाई, जिससे कार्यक्रम सुचारू रूप से सम्पन्न हो सका।
समापन सत्र में समाजशास्त्र विभाग की डीन डॉ. शशिबाला तथा अपराजिता सामाजिक समिति की समन्वयक अर्पिता सिंह ने संयुक्त रूप से धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने प्राचार्य प्रो. रवीन्द्र कुमार, सभी प्राध्यापकों, अपराजिता समिति के सदस्यों, छात्रों, तकनीकी टीम तथा सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि— “आज का यह प्रयास तभी सार्थक होगा जब हम सभी समाज में बाल विवाह के विरुद्ध जागरूकता फैलाने का संकल्प लें।”
इस प्रकार, पूरे कार्यक्रम का मुख्य संदेश यही रहा कि जागरूकता, शिक्षा, कानून और सामुदायिक सहयोग—इन चारों के समन्वय से ही बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त किया जा सकता है।

1 hour and 6 min ago
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