प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेंदु मिश्र के निधन पर हुई हिंदी विभाग में शोकसभा
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गोंडा। प्रसिद्ध अवधी साहित्यकार भारतेंदु मिश्र के निधन पर लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज के हिंदी विभाग में शोक सभा हुई। हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. जय शंकर तिवारी ने शोक सभा में भारतेंदु के साहित्यिक योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने जानकारी दी कि लखनऊ में जन्मे और अरसे से दिल्ली में रह रहे 66 वर्षीय भारतेंदु मिश्र कई वर्षों से कैंसर रोग से पीड़ित थे। इसके बावजूद थोड़े बहुत अवरोध के साथ उनकी साहित्य-सेवा चलती रही। 10 अक्टूबर 2025 को वे नश्वर शरीर छोड़ गए।
इस तरह उनके प्रयाण से परिजन, प्रियजन, पुरजन के साथ हिंदी साहित्य-समाज शोकग्रस्त है।
प्रो. तिवारी ने कहा कि उनका इस तरह प्रयाण कर जाना बहुत पीड़ा दे गया। गुरुवर प्रो. शैलेन्द्र नाथ मिश्र के मिलने पर उन्होंने महाविद्यालय आने के लिए कहा था।
उनके द्वारा लिखित 'नई रोसनी' और 'चंदावती' उपन्यास अवधी गद्य के महत्वपूर्ण उपन्यास हैं। अभी विजयादशमी को शैलेंद्र कुमार शुक्ल ने खरखंइचा नाम से जो पत्रिका निकली है उसका प्रवेशांक भारतेंदु मिश्र पर केंद्रित किया है। भौतिक शरीर छोड़कर वे जरूर चले गए हैं, लेकिन उनके काम स्मारक के रूप में लगातार लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि आधुनिक अवधी साहित्य विशेषकर अवधी गद्य के विकास की जब भी चर्चा होगी, भारतेंदु मिश्र को छोड़कर बात पूरी नहीं हो सकेगी। काव्य के क्षेत्र में गीत संग्रह 'पारो', खंडकाव्य 'अभिनवगुप्तपादाचार्य', सात सौ दोहों का संग्रह-सतसई 'कालाय तस्मै नमः', काव्य-संग्रह ' काव्याख्यान', 'अधेड़ हो आई हैं गोले', मुक्तछंद कविता संग्रह 'अध्यापक की डायरी', 'अनुभव की सीढ़ी', 'झुलस रहा कालिदास' मुख्य हैं।
इस अवसर पर हिंदी विभाग के सहा. प्रोफ़ेसर अच्युत शुक्ल ने कहा कि अवधी काव्य के साथ ही अवधी गद्य के क्षेत्र में भारतेंदु का योगदान अविस्मरणीय है। समकालीन संवेदना की अवधी कविताएँ और ललित निबंधों का संग्रह 'कस परजवटि बिसारी', अवधी उपन्यास 'नई रोसनी', 'चंदावती' अवधी डायरी 'हम परजा हन' उल्लेखनीय अवधी गद्य कृतियां हैं। उन्होंने बताया कि डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या और माँ पाटेश्वरी विश्वविद्यालय, बलरामपुर के हिंदी-पाठ्यक्रम में भारतेंदु मिश्र की अवधी कथाकृतियां पाठ्यक्रम में भी शामिल हैं।
विभाग की अतिथि प्राध्यापक डॉ. मुक्ता टंडन और पिंकी शुक्ला ने इस अवसर पर भारतेंदु मिश्र को श्रद्धांजलि दी। मुक्ता टंडन ने भारतेंदु मिश्र के संपादन में प्रकाशित अवधी कहानी-संग्रह 'कथा किहानी' की जानकारी दी। पिंकी शुक्ला ने कहा कि भारतेंदु मिश्र का 'चंदावती' अवधी उपन्यास स्त्री विमर्श का अनूठा उपन्यास है। इसमें 'चंदावती' जैसी साहसी किरदार द्वारा अन्याय के विरुद्ध संघर्ष और पत्रकारिता के शक्ति और महत्त्व को बेहतरीन शैली में चित्रित किया गया है।
इस मौके पर परास्नातक प्रथम और तृतीय सेमेस्टर के हिंदी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।
Oct 11 2025, 18:52