लहर नदी से कभी कुछ कहा था, ना तुम जान पाया ना मैं जान पाया - मंजुल
बलरामपुर।तुलसीपुर नगर में समग्र आवाज समाचार पत्र के बैनर तले राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन एमडीएस रॉयल होटल में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलित करके किया गया, इस मौके पर कार्यक्रम आयोजक रमेश चंद्र गुप्ता संपादक, रूपचंद गुप्ता स्थानीय संपादक संजू गुप्ता ने आए हुए अतिथियों, कवि अतिथियों के स्वागत करने की श्रृंखला में माल्यार्पण करते हुए बैच लगाकर स्वागत किया अंग वस्त्र और श्री रामचरितमानस की पुस्तक भेंट की गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर राम नरेश सिंह मंजुल, विशिष्ट अतिथि आशीष प्रताप सिंह प्रशासनिक प्रबंधन चीनी मिल तुलसीपुर विशिष्ट अतिथि अनिल कुमार लाट,जिलाअध्यक्ष उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल, विशिष्ट अतिथि राजकुमार जायसवाल प्रबंधक मॉडर्न पब्लिक स्कूल, संरक्षक संरक्षक सत्यनारायण मिश्रा पूर्व ब्लाक प्रमुख, श्याम बिहारी अग्रहरि नगर अध्यक्ष उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल, पप्पू चौरसिया, मीना किन्नर सभासद नगर पंचायत जिला अध्यक्ष विश्व हिंदू महासंघ, अक्षत पांडे, महेश गोयल, सुशील कुमार सिंह, को भी आयोजन मंडल द्वारा सम्मानित किया गया।
अतिथियों के सम्मान कार्यक्रम के बाद काव्य पाठ हेतु कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया, जिसमें युवा कवियों ने मंच को शुरुआत उत्साही नवयुवक कवियों से किया गया जिसमें युवा कभी प्रशांत मिश्रा ने पढ़ा हो बंद भले ही आंखों पर नींद कहां आती है, पहले की सारी बातें वो याद बहुत आती है, मनोज मिश्रा युवा कवि ने पढ़ा तुम पुरुषार्थ सिंह बलशाली हो, संसार वाटिका के माली हो, डॉ ओमप्रकाश मिश्रा राष्ट्रीयओज कवि ने पढ़ा गर्ल गफलत में सोने वालों को मैं आज जगह नहीं आया हूं मैं गीत सुनाने आया हूं मैं मीट बनाने आया हूँ, दो अफरोज तालिब ख्याति प्राप्त शायर ने पढ़ा सुकूँ मिलने में दुश्वरी बहुत है, हमारे दर्द से यारी बहुत है, कन्हैया लाल मधुर वरिष्ठ कवि ने पढ़ा दिल की बातें दिल में रखना घाव ये कितने गहरे हैं अपना दर्द किस बतलाना कौन सुने सब बहरे हैं
डॉक्टर अरुण प्रकाश पांडे वरिष्ठ कवि, आशीष आनंद कवि, सुश्री मुन्नू तिवारी, अशोक कुमार सिंह चौहान, गुलाब मुंतज़िर, उत्कर्ष मिश्रा, नीरज गुप्ता, तमाम कवियों ने देर रात तक शामां को बनाए रखा श्रोताओं निधि धारिता से कइयों को देर रात तक सुना और तालिया की गड़गड़ाहट लगी रही।
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ रामनरेश सिंह मंजुल अपनी दो लाइन पढी, लहर नदी से कभी कुछ कहा था, ना तुम जान पाए ना मैं जान पाया मंजुल ने कार्यक्रम का समापन किया, आयोजक रमेश चंद्र गुप्ता, रूपचंद गुप्ता ने आए हुए अतिथियों को श्रोताओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापित की।
Oct 10 2025, 17:18