बंगाल की धरती से मोहन भागवत ने किया हिंदुओं को एकजुट होने का आह्वान, दिया बड़ा बयान

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने पश्चिम बंगाल की धरती से कहा है कि हमें हिंदू समाज को एकजुट और संगठित करने की जरूरत है।उन्होंने हिंदू समाज को जिम्मेदार समुदाय बताते हुए कहा कि वह एकता को विविधता का प्रतीक मानते हैं। संघ प्रमुख ने ये बातें पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्धमान स्थित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

देश का जिम्मेदार समाज हिंदू-भागवत

पश्चिम बंगाल के ब‌र्द्धमान में संघ के मध्य बंग प्रांत की सभा को संबोधित करते हुए हिंदू समाज की एकता पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का उद्देश्य संपूर्ण हिंदू समाज को संगठित करना है, क्योंकि यह समाज भारत की सांस्कृतिक और नैतिक पहचान का प्रतीक है।भागवत ने कहा कि अक्सर लोगों द्वारा यह सवाल उठाया जाता है कि संघ सिर्फ हिंदू समाज पर ही क्यों ध्यान देता है। इसका उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू समाज ही इस देश का जिम्मेदार समाज है, जो उत्तरदायित्व की भावना से परिपूर्ण है। इसलिए, इसे एकजुट करना आवश्यक है।

हिंदू ने विश्व की विविधता को अपनाया-भागवत

भागवत ने कहा, भारतवर्ष एक भौगोलिक इकाई नहीं है इसका आकार समय के साथ घट या बढ़ सकता है। इसे भारतवर्ष तब कहा जाता है जब यह अद्वितीय प्रकृति का प्रतीक हो। भारत का अपना चरित्र है। जिन लोगों को लगा कि इस प्रकृति के साथ नहीं रह सकते, उन्होंने अपना अलग देश बना लिया। जो लोग बचे रहे, वे चाहते थे कि भारत का सार बना रहे। यह सार क्या है? 15 अगस्त 1947 से अधिक पुराना है। यह हिंदू समाज है, जो विश्व की विविधता को अपनाकर फलता-फूलता है। यह प्रकृति विश्व की विविधता को स्वीकार करती है और उसके साथ आगे बढ़ती है। यह एक शाश्वत सत्य है जो कभी नहीं बदलता है।

इतिहास से सबक और समाज में एकता की आवश्यकता

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने ऐतिहासिक आक्रमणों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत पर शासन करने वाले आक्रमणकारियों ने समाज के भीतर विश्वासघात के कारण सफलता पाई। उन्होंने सिकंदर से लेकर आधुनिक युग तक के विभिन्न आक्रमणों का उदाहरण देते हुए कहा कि समाज जब संगठित नहीं रहता, तब बाहरी ताकतें हावी हो जाती हैं। इसलिए, हिंदू समाज की एकजुटता सिर्फ वर्तमान की नहीं, बल्कि भविष्य की भी जरूरत है।

हिंदू पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं-भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि भारत में कोई भी सम्राटों और महाराजाओं को याद नहीं करता, बल्कि अपने पिता का वचन पूरा करने के उद्देश्य से 14 साल के लिए वनवास जाने वाले राजा (भगवान राम) और उस व्यक्ति (भरत) को याद रखता है, जिसने अपने भाई की पादुकाएं सिंहासन पर रख दीं और वनवास से लौटने पर राज्य उसे राज सौंप दिया। उन्होंने कहा, ये विशेषताएं भारत को परिभाषित करती हैं। जो लोग इन मूल्यों का पालन करते हैं, वे हिंदू हैं और वे पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं। हम ऐसे कार्यों में शामिल नहीं होते जो दूसरों को आहत करते हों। शासक, प्रशासक और महापुरुष अपना काम करते हैं, लेकिन समाज को राष्ट्र की सेवा के लिए आगे रहना चाहिए।

बता दें कि पहले ममता बनर्जी सरकार ने आरएसएस की रैली को अनुमति नहीं दी थी। इस पर संघ ने कलकत्ता हाईकोर्ट का रास्ता खटखटाया था, जिसने उन्हें रैली की इजाजत दी।

कौन हैं मोहिनी जिसके लिए अपनी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा छोड़ गए हैं रतन टाटा, वसीयत में बड़ा खुलासा

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हाल ही में रतन टाटा वसीयत खोली गई। इस वसीयत को खोले जाने के बाद चौंकाने वाली बात सामने आई है। जिसमें 500 करोड़ रुपये की रकम को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। उन्होंने अपनी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा यानी लगभग 500 करोड़ रुपये से ज्यादा एक ऐसी शख्सियत को दिया जिसके बारे में दुनिया कम ही जानती है। कहा जाता है कि इस मिस्ट्रीमैन की के संबंध रतन टाटा के साथ करीब 60 साल पुराने हैं। यह खबर टाटा परिवार के लिए भी चौंकाने वाली है। वैसे इस मामले में किसी का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

रतन टाटा की वसीयत में जिस मिस्ट्रीमैन को 500 करोड़ रुपए की संपत्ति देने की बात कही गई है, वो मूल रूप से जमशेदपुर के रहने वाले ट्रैवल सेक्टर के बिजनेसमैन मोहिनी मोहन दत्ता है। वसीयत में देखकर टाटा परिवार के लोग भी काफी स्तब्ध बताए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दत्ता और उनके परिवार के पास ट्रैवल एजेंसी स्टैलियन का स्वामित्व था, जिसे 2013 में ताज ग्रुप ऑफ होटल्स के पार्ट, ताज सर्विसेज के साथ विलय कर दिया गया था। मोहिनी दत्ता और उनके परिवार के पास स्टैलियन में 80% हिस्सेदारी थी, और शेष का स्वामित्व टाटा इंडस्ट्रीज के पास था। उन्होंने थॉमस कुक की पूर्व सहयोगी कंपनी टीसी ट्रैवल सर्विसेज के डायरेक्टर के रूप में भी काम किया है।

रतन टाटा के करीबी लोगों का कहना है कि दत्ता उनके पुराने साथी थे। परिवार समेत उनके करीबी लोग दत्ता को जानते थे। इस बारे में पूछे जाने पर मोहिनी दत्ता ने कोई जवाब नहीं दिया। रतन टाटा की वसीयत के एग्जीक्यूटर्स में उनकी सौतेली बहनें शिरीन और डीना जेजीभॉय भी शामिल हैं। उन्होंने भी इस पर कुछ नहीं कहा। एक और एग्जीक्यूटर डेरियस खंबाटा ने भी कोई टिप्पणी नहीं की। चौथे एग्जीक्यूटर मेहली मिस्त्री ने कहा, मैं इस व्यक्ति के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि संपत्ति के वितरण पर गहन जांच हो सकती है। 74 वर्षीय मोहिनी मोहन दत्‍ता टाटा समूह के पूर्व कर्मचारी हैं। उनका दावा है कि वे रतन टाटा के करीबी थे और उनकी वसीयत से बड़ी राशि मिलने की उम्‍मीद भी कर रहे हैं। दत्‍ता ने रतन टाटा की संपत्ति को स्‍वीकार करने पर सहमति भी जता दी है। दत्‍ता का दावा है कि उनकी मुलाकात 24 साल की उम्र में रतन टाटा से हुई थी। सूत्रों का कहना है कि वैसे तो दत्‍ता ने रतन टाटा की ओर से गिफ्ट की गई संपत्ति को स्‍वीकार करने पर राजी हैं, लेकिन उनका मानना है कि यह रकम करीब 650 करोड़ रुपये होगी। इससे रतन टाटा के हितधारकों में चिंता बढ़ गई है।

ईसाई समाज को लेकर ऐसा क्या बोल गए मोहन भागवत, बिफर गए बिशप

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। अब मोहन भागवत के धर्मांतरण और आदिवासी समुदायों से संबंधित एक बयान पर बवाल मच गया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दावा किया है कि भारत के दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘घर वापसी’ कार्यक्रम की सराहना करते हुए उनसे कहा था कि अगर संघ द्वारा धर्मांतरण पर काम नहीं किया गया होता तो आदिवासियों का एक वर्ग राष्ट्र-विरोधी हो गया होता। कैथोलिक बिशपों के एक निकाय ने भागवत के इस बयान की निंदा की है।

कैथोलिक बिशपों की संस्था सीबीसीआई ने जारी एक बयान में उन खबरों का हवाला दिया, जिनमें कथित तौर पर कहा गया है कि भागवत ने सोमवार को एक कार्यक्रम में दावा किया था कि मुखर्जी ने राष्ट्रपति रहते हुए 'घर वापसी' की सराहना की थी और उनसे कहा था कि यदि संघ ने धर्मांतरण पर काम नहीं किया होता तो आदिवासियों का एक वर्ग ‘‘राष्ट्र-विरोधी’’ हो गया होता। सीबीसीआई ने इन खबरों को चौंकाने वाला बताया। संस्था ने सवाल किया कि मुखर्जी के जीवित रहते भागवत ने इस बारे में कुछ क्यों नहीं बोला। सीबीसीआई कहा, हम 2.3 प्रतिशत ईसाई भारतीय नागरिक इस तरह के छलपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण प्रचार से बहुत आहत महसूस कर रहे हैं।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यह बात इंदौर में राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार के वितरण समारोह में कही है। भागवत ने कहा, डॉ प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे, तब मैं पहली बार उनसे मिलने गया। संसद में घर वापसी को लेकर बहुत बड़ा हल्ला चल रहा थाय़ मैं तैयार हो कर गया कि वे बहुत कुछ पूछेंगे, बहुत बताना पड़ेगा। लेकिन उन्होंने कहा कि आप लोगों ने कुछ लोगों को वापस लाया और प्रेस कॉन्फ्रेंस की.. ऐसा कैसे करते हो आप? ऐसा करने से हो-हल्ला होता है क्योंकि वो राजनीति है। मैं भी अगर आज कांग्रेस पार्टी में होता, राष्ट्रपति नहीं होता, तो मैं भी संसद में यही करता।

आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा, प्रणब मुखर्जी ने फिर कहा लेकिन आप लोगों ने ये जो काम किया है उसके कारण भारत के 30% आदिवासी… मैंने उनकी लाइन पकड़ ली और उनके बोलने के अंदाज से मुझे बहुत खुशी हुई। इस पर मैंने कहा ये लोग ईसाई बन जाते, तो वो बोले ईसाई नहीं, देशद्रोही बन जाते।

बता दें कि ‘घर वापसी’ शब्द का इस्तेमाल आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों मुसलमानों और ईसाइयों के हिंदू धर्म में लौटने के लिए करते हैं।संघ का मानना ये है कि सभी भारतीय मूल रूप से हिंदू हैं और इस प्रकार इस धर्मांतरण का अर्थ अनिवार्य रूप से ‘घर वापसी’ है।

प्रणब मुखर्जी के स्मारक के बगल में होगा मनमोहन सिंह का मेमोरियल, जानें कहां है वो 1.5 एकड़ जमीन

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केन्द्र की मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मेमोरियल के लिए डेढ़ एकड़ जमीन को चिह्नित कर दी है। ये जमीन राष्ट्रीय स्मृति परिसर में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की समाधि के ठीक बगल में है। गृह मंत्रालय और शहरी मामलों के मंत्रालय ने मनमोहन सिंह के परिवार को आधिकारिक रूप से इस फैसले के बारे में सूचित किया है। साथ ही परिवार से एक ट्रस्ट रजिस्टर करने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि ये सार्वजनिक भूमि के आवंटन के लिए अनिवार्य प्रक्रिया है। इस कदम से भूमि आवंटन की कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।

सूत्रों के अनुसार, सिंह के परिवार के सदस्यों से साइट का निरीक्षण करने का अनुरोध किया गया है,लेकिन अभी तक उन्होंने ऐसा नहीं किया है। परिवार अभी शोक में है,इसलिए उन्होंने सरकार के प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं लिया है। सूत्र ने कहा कि मनमोहन सिंह परिवार तय करेगा कि उन्हें किस तरह का स्मारक चाहिए। इसमें समय लग सकता है। परिवार इस पर विचार करेगा कि वे किस तरह का स्मारक बनाना चाहते हैं। फिर वे सरकार को सूचित करेंगे।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने की शुरूआत में ही मनमोहन सिंह के मेमोरियल के लिए जमीन चिह्नित करने के लिए अधिकारियों ने राष्ट्रीय स्मृति परिसर का दौरा किया था। राष्ट्रीय स्मृति यमुना किनारे विकसित की गई है। यह राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और पूर्व राष्ट्रपतियों, पूर्व उपराष्ट्रपतियों और पूर्व प्रधानमंत्रियों के अंतिम संस्कार और स्मारकों के लिए एक सामान्य स्थान है। वर्तमान में परिसर में सात नेताओं के स्मारक हैं। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी,पी वी नरसिम्हा राव,चंद्रशेखर और आई के गुजराल शामिल हैं। अब बचे दो स्थान मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के लिए निर्धारित किए गए हैं।

बता दें कि मनमोहन सिंह की समाधि स्थल के लिए खूब विवाद हुआ था। केंद्र ने कांग्रेस पर दिग्गज नेता की मौत के बाद राजनीति करने का आरोप लगाया था। तो कांग्रेस ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए ‘अपमान’ करने का आरोप लगाया था।

इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे। यहां तक की मनमोहन सिंह के निधन के बाद ही इस मामले पर दोनों दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। जबकि खुद पीएम मोदी से लेकर केंद्र सरकार के सभी बड़े नेताओं की मौजूदगी में मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया था।

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भी थे। उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने आर्थिक विकास देखा। राष्ट्रीय स्मृति परिसर में स्मारक बनाने से लोगों को डॉ. सिंह के जीवन और कार्यों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। यह उनके योगदान को याद रखने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का एक तरीका होगा।

मोहन भागवत पर क्यों भड़के राहुल गांधी? बोले- किसी और देश में बयान दिया होता तो गिरफ्तार हो गए होते
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कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के आजादी वाले बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। राहुल ने कहा कि अगर भागवत ने ये बयान किसी और देश में दिया होता तो ये राजद्रोह के समान होता और भागवत को गिरफ्तार कर लिया गया होता।

कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय के उद्घाटन पर पार्टी से जुड़े नेताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने यह भी कहा, मोहन भागवत हर 2-3 दिन में देश को यह बताने की हिम्मत रखते हैं कि देश की आजादी के आंदोलन और संविधान के बारे में वह क्या सोचते हैं। उन्होंने कल जो कहा वह देशद्रोह की तरह है क्योंकि इसमें कहा गया कि संविधान अमान्य है। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई अमान्य थी।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा, उन्हें (भागवत को) सार्वजनिक रूप से यह कहने की हिम्मत है, किसी अन्य देश में ऐसा होता तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता और उन पर केस चलाया जाता। यह कहना कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली, हर एक भारतीय व्यक्ति का अपमान है। अब समय आ गया है कि हम इस बकवास को सुनना बंद करें, क्योंकि ये लोग सोचते हैं कि वे बस रटते रहेंगे और चिल्लाते रहेंगे।

*खरगे ने साधा निशाना*
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भागवत के असली आजादी वाले बयान की निंदा की और कहा कि यदि वह ऐसे बयान देते रहे तो फिर देश में उनका घूमना-फिरना मुश्किल हो जाएगा। मल्लिकार्जुन खरगे ने आज कांग्रेस के नए मुख्यालय के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि आरएसएस और बीजेपी के लोगों को (1947 में मिली) देश की आजादी याद नहीं है क्योंकि उनके वैचारिक पूर्वजों की ओर से आजादी की जंग में कोई योगदान नहीं दिया गया है।

*भागवत ने क्या कहा था?*
13 जनवरी को भागवत ने कहा था, अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाई जानी चाहिए, क्योंकि कई सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश को असली आजादी इसी दिन हासिल हुई थी।
मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने की प्रक्रिया शुरू, केंद्र सरकार ने परिवार को दिए ये विकल्प

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को निधन हुआ था। अब उनके स्मारक को लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है। भारत सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर उनके परिवार को कुछ विकल्प दिए हैं। इन विकल्पों में राष्ट्रीय स्मृति स्थल समेत कुछ अन्य स्थानों का नाम शामिल है, जहां उनका स्मारक बनाए जाने की संभावना है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, परिवार की ओर से स्मारक की जगह चुनने के बाद, ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। यह ट्रस्ट स्मारक निर्माण की योजना और उसके बाद की सभी गतिविधियों की देखरेख करेगा। परिवार की तरफ से अभी तक किसी खास जगह को लेकर फैसला नहीं लिया गया है। स्मारक की जमीन के लिए ट्रस्ट आवेदन करेगा। जमीन आवंटन के बाद सीपीडब्ल्यूडी के साथ एमओयू पर दस्तखत होंगे। इसके बाद ही स्मारक बनाने का काम शुरू हो सकेगा।

इन जगहों पर बनाया जा सकता है स्मारक

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 को हुआ था। इसके बाद उनके स्मारक को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार ने मांग की थी। सूत्रों के अनुसार, मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए राजघाट, राष्ट्रीय स्मृति स्थल या किसान घाट के पास एक से डेढ़ एकड़ जमीन दी जा सकती है।

शहरी विकास मंत्रालय ने किया दौरा

शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने स्मारक के लिए राजघाट और उसके आसपास के इलाके का दौरा किया है। यह भी संभावना है कि डॉ मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए नेहरू-गांधी परिवार के नेताओं की समाधि के पास जगह दी जाए। यहां पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और संजय गांधी की समाधि है।

बता दें कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर है। बीते दिनोंकांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अंत्येष्टि और स्मारक के लिए स्थान नहीं ढूंढ पाना भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री का जानबूझकर किया गया अपमान है। इस पर बीजेपी की ओर से जवाब भी दिया गया था। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि कोई अपमान नहीं किया गया।

अरविंद केजरीवाल ने RSS चीफ मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी, पूछा ये सवाल
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* दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने चिट्ठी के माध्यम से आरएसएस प्रमुख से कई सवाल किए हैं। अरविंद केजरीवाल ने पूछा है कि बीजेपी ने पिछले दिनों में जो भी गलत किया, क्या आरएसएस उसका समर्थन करती है? अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखकर पूछा कि बड़े स्तर पर दलित, पूर्वांचली के वोट काटे जा रहे हैं क्या आरएसएस का लगता है ये जनतंत्र के लिए सही है? इसके अलावा उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि क्या आरएसएस को नहीं लगता कि बीजेपी जनतंत्र को कमजोर कर रही है। चिठ्ठी के जरिए आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ये भी पूछा है कि बीजेपी के नेता खुलकर पैसे बांट रहे हैं, क्या आरएसएस वोट खरीदने का समर्थन करती है? इससे पहले भी केजरीवाल आरएसएस प्रमुख को चिट्ठी लिखकर बीजेपी पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने पिछले साल सितंबर में भागवत को खत लिखा था और पांच सवाल पूछे थे।
अरविंद केजरीवाल ने RSS चीफ मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी, पूछा ये सवाल

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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने चिट्ठी के माध्यम से आरएसएस प्रमुख से कई सवाल किए हैं। अरविंद केजरीवाल ने पूछा है कि बीजेपी ने पिछले दिनों में जो भी गलत किया, क्या आरएसएस उसका समर्थन करती है?

अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखकर पूछा कि बड़े स्तर पर दलित, पूर्वांचली के वोट काटे जा रहे हैं क्या आरएसएस का लगता है ये जनतंत्र के लिए सही है? इसके अलावा उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि क्या आरएसएस को नहीं लगता कि बीजेपी जनतंत्र को कमजोर कर रही है।

चिठ्ठी के जरिए आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ये भी पूछा है कि बीजेपी के नेता खुलकर पैसे बांट रहे हैं, क्या आरएसएस वोट खरीदने का समर्थन करती है?

इससे पहले भी केजरीवाल आरएसएस प्रमुख को चिट्ठी लिखकर बीजेपी पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने पिछले साल सितंबर में भागवत को खत लिखा था और पांच सवाल पूछे थे।

पंचतत्व में विलीन हुए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, राजकीय सम्मान के साथ दी गई आखिरी विदाई

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्‍कार पूरे राजकीय सम्‍मान के साथ कर दिया गया है, वह पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। दिल्ली के निगम बोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। मनमोहन सिंह की बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी। मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी समेत कांग्रेस के सभी वरिष्‍ठ नेता भी मौजूद रहे।

निगम बोध घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सलामी दी गई। पीएम मोदी ने निगम बोध घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन को श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा अमित शाह, राजनाथ सिंह, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, जेपी नड्डा, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई नेताओं ने पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि दी।

मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को आज सुबह साढ़े आठ बजे के लगभग कांग्रेस मुख्‍यालय में अंतिम दर्शन के लिए लाया गया, जहां कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्‍हें श्रद्धांजलि दी। मनमोहन सिंह की अंतिम यात्रा कांग्रेस मुख्‍यालय 24 अकबर रोड से निगमबोध घाट के लिए निकली। पार्थिव शरीर के साथ मुख्‍य वाहन में राहुल गांधी भी बैठे नजर आए। कांग्रेस मुख्यालय से निगमबोध घाट तक उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई, तो इस दौरान कांग्रेस के कार्यकर्ता ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, मनमोहन आपका नाम रहेगा' और ‘मनमोहन सिंह अमर रहें' नारे लगाते रहे।

दुख की घड़ी में राजनीति से बचना चाहिए', डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के मुद्दे पर कांग्रेस को बीजेपी की नसीहत

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देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए स्थान आवंटन को लेकर देश में सियासी पारा बढ़ा हुआ है। कांग्रेस और सरकार आमने-सामने आ गई है। जहां, कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान करने का आरोप लगा रही है। वहीं भाजपा ने विपक्ष पर मामले में राजनीति करने का आरोप लगाया है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की समाधि को लेकर जारी घमासान के बीच बीजेपी ने कांग्रेस को राजनीति से बचने की नसीहत दी है।

भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन के बाद पूरा देश शोक में है। देश के आर्थिक विकास की आधारशिला रखने वाले व्यक्तित्वों को उचित सम्मान देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसी के मद्देनजर कल कैबिनेट ने अपनी बैठक में निर्णय लिया कि मनमोहन सिंह जी की स्मृति में एक स्मारक और समाधि बनाई जाएगी। इस प्रक्रिया में जो भी समय लगेगा, यह बात कांग्रेस पार्टी को बता दी गई है।

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि सरकार ने स्मारक बनाने का फैसला लिया है। अब भूमि अधिग्रहण ट्रस्ट और भूमि हस्तांतरण की प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद, इसमें जो भी समय लगेगा, जितना भी समय लगेगा, यह काम हो जाएगा। लेकिन, यह बहुत दुख की बात है कि कांग्रेस पार्टी जिसने कभी भी डॉ. मनमोहन सिंह को उनके जीवनकाल में सम्मान नहीं दिया। आज उनकी मृत्यु के बाद भी उनके सम्मान का राजनीतिकरण किया जा रहा है। कम से कम आज दुख की इस घड़ी में राजनीति से बचना चाहिए।

बता दें कि कांग्रेस की मांग है कि जिस जगह पर मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार हो, वहीं पर उनकी समाधि बनाई जाए। जब कि सरकार का कहना है कि उनका अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया जाएगा। समाधि और स्मारक स्थल के लिए भी जगह जल्द आवंटित कर दी जाएगी. जगह देने में हो रही देरी को लेकर कांग्रेस सरकार पर लगातार हमलावर है।

बंगाल की धरती से मोहन भागवत ने किया हिंदुओं को एकजुट होने का आह्वान, दिया बड़ा बयान

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने पश्चिम बंगाल की धरती से कहा है कि हमें हिंदू समाज को एकजुट और संगठित करने की जरूरत है।उन्होंने हिंदू समाज को जिम्मेदार समुदाय बताते हुए कहा कि वह एकता को विविधता का प्रतीक मानते हैं। संघ प्रमुख ने ये बातें पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्धमान स्थित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

देश का जिम्मेदार समाज हिंदू-भागवत

पश्चिम बंगाल के ब‌र्द्धमान में संघ के मध्य बंग प्रांत की सभा को संबोधित करते हुए हिंदू समाज की एकता पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ का उद्देश्य संपूर्ण हिंदू समाज को संगठित करना है, क्योंकि यह समाज भारत की सांस्कृतिक और नैतिक पहचान का प्रतीक है।भागवत ने कहा कि अक्सर लोगों द्वारा यह सवाल उठाया जाता है कि संघ सिर्फ हिंदू समाज पर ही क्यों ध्यान देता है। इसका उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू समाज ही इस देश का जिम्मेदार समाज है, जो उत्तरदायित्व की भावना से परिपूर्ण है। इसलिए, इसे एकजुट करना आवश्यक है।

हिंदू ने विश्व की विविधता को अपनाया-भागवत

भागवत ने कहा, भारतवर्ष एक भौगोलिक इकाई नहीं है इसका आकार समय के साथ घट या बढ़ सकता है। इसे भारतवर्ष तब कहा जाता है जब यह अद्वितीय प्रकृति का प्रतीक हो। भारत का अपना चरित्र है। जिन लोगों को लगा कि इस प्रकृति के साथ नहीं रह सकते, उन्होंने अपना अलग देश बना लिया। जो लोग बचे रहे, वे चाहते थे कि भारत का सार बना रहे। यह सार क्या है? 15 अगस्त 1947 से अधिक पुराना है। यह हिंदू समाज है, जो विश्व की विविधता को अपनाकर फलता-फूलता है। यह प्रकृति विश्व की विविधता को स्वीकार करती है और उसके साथ आगे बढ़ती है। यह एक शाश्वत सत्य है जो कभी नहीं बदलता है।

इतिहास से सबक और समाज में एकता की आवश्यकता

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने ऐतिहासिक आक्रमणों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत पर शासन करने वाले आक्रमणकारियों ने समाज के भीतर विश्वासघात के कारण सफलता पाई। उन्होंने सिकंदर से लेकर आधुनिक युग तक के विभिन्न आक्रमणों का उदाहरण देते हुए कहा कि समाज जब संगठित नहीं रहता, तब बाहरी ताकतें हावी हो जाती हैं। इसलिए, हिंदू समाज की एकजुटता सिर्फ वर्तमान की नहीं, बल्कि भविष्य की भी जरूरत है।

हिंदू पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं-भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि भारत में कोई भी सम्राटों और महाराजाओं को याद नहीं करता, बल्कि अपने पिता का वचन पूरा करने के उद्देश्य से 14 साल के लिए वनवास जाने वाले राजा (भगवान राम) और उस व्यक्ति (भरत) को याद रखता है, जिसने अपने भाई की पादुकाएं सिंहासन पर रख दीं और वनवास से लौटने पर राज्य उसे राज सौंप दिया। उन्होंने कहा, ये विशेषताएं भारत को परिभाषित करती हैं। जो लोग इन मूल्यों का पालन करते हैं, वे हिंदू हैं और वे पूरे देश की विविधता को एकजुट रखते हैं। हम ऐसे कार्यों में शामिल नहीं होते जो दूसरों को आहत करते हों। शासक, प्रशासक और महापुरुष अपना काम करते हैं, लेकिन समाज को राष्ट्र की सेवा के लिए आगे रहना चाहिए।

बता दें कि पहले ममता बनर्जी सरकार ने आरएसएस की रैली को अनुमति नहीं दी थी। इस पर संघ ने कलकत्ता हाईकोर्ट का रास्ता खटखटाया था, जिसने उन्हें रैली की इजाजत दी।

कौन हैं मोहिनी जिसके लिए अपनी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा छोड़ गए हैं रतन टाटा, वसीयत में बड़ा खुलासा

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हाल ही में रतन टाटा वसीयत खोली गई। इस वसीयत को खोले जाने के बाद चौंकाने वाली बात सामने आई है। जिसमें 500 करोड़ रुपये की रकम को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। उन्होंने अपनी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा यानी लगभग 500 करोड़ रुपये से ज्यादा एक ऐसी शख्सियत को दिया जिसके बारे में दुनिया कम ही जानती है। कहा जाता है कि इस मिस्ट्रीमैन की के संबंध रतन टाटा के साथ करीब 60 साल पुराने हैं। यह खबर टाटा परिवार के लिए भी चौंकाने वाली है। वैसे इस मामले में किसी का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

रतन टाटा की वसीयत में जिस मिस्ट्रीमैन को 500 करोड़ रुपए की संपत्ति देने की बात कही गई है, वो मूल रूप से जमशेदपुर के रहने वाले ट्रैवल सेक्टर के बिजनेसमैन मोहिनी मोहन दत्ता है। वसीयत में देखकर टाटा परिवार के लोग भी काफी स्तब्ध बताए जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दत्ता और उनके परिवार के पास ट्रैवल एजेंसी स्टैलियन का स्वामित्व था, जिसे 2013 में ताज ग्रुप ऑफ होटल्स के पार्ट, ताज सर्विसेज के साथ विलय कर दिया गया था। मोहिनी दत्ता और उनके परिवार के पास स्टैलियन में 80% हिस्सेदारी थी, और शेष का स्वामित्व टाटा इंडस्ट्रीज के पास था। उन्होंने थॉमस कुक की पूर्व सहयोगी कंपनी टीसी ट्रैवल सर्विसेज के डायरेक्टर के रूप में भी काम किया है।

रतन टाटा के करीबी लोगों का कहना है कि दत्ता उनके पुराने साथी थे। परिवार समेत उनके करीबी लोग दत्ता को जानते थे। इस बारे में पूछे जाने पर मोहिनी दत्ता ने कोई जवाब नहीं दिया। रतन टाटा की वसीयत के एग्जीक्यूटर्स में उनकी सौतेली बहनें शिरीन और डीना जेजीभॉय भी शामिल हैं। उन्होंने भी इस पर कुछ नहीं कहा। एक और एग्जीक्यूटर डेरियस खंबाटा ने भी कोई टिप्पणी नहीं की। चौथे एग्जीक्यूटर मेहली मिस्त्री ने कहा, मैं इस व्यक्ति के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि संपत्ति के वितरण पर गहन जांच हो सकती है। 74 वर्षीय मोहिनी मोहन दत्‍ता टाटा समूह के पूर्व कर्मचारी हैं। उनका दावा है कि वे रतन टाटा के करीबी थे और उनकी वसीयत से बड़ी राशि मिलने की उम्‍मीद भी कर रहे हैं। दत्‍ता ने रतन टाटा की संपत्ति को स्‍वीकार करने पर सहमति भी जता दी है। दत्‍ता का दावा है कि उनकी मुलाकात 24 साल की उम्र में रतन टाटा से हुई थी। सूत्रों का कहना है कि वैसे तो दत्‍ता ने रतन टाटा की ओर से गिफ्ट की गई संपत्ति को स्‍वीकार करने पर राजी हैं, लेकिन उनका मानना है कि यह रकम करीब 650 करोड़ रुपये होगी। इससे रतन टाटा के हितधारकों में चिंता बढ़ गई है।

ईसाई समाज को लेकर ऐसा क्या बोल गए मोहन भागवत, बिफर गए बिशप

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। अब मोहन भागवत के धर्मांतरण और आदिवासी समुदायों से संबंधित एक बयान पर बवाल मच गया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दावा किया है कि भारत के दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘घर वापसी’ कार्यक्रम की सराहना करते हुए उनसे कहा था कि अगर संघ द्वारा धर्मांतरण पर काम नहीं किया गया होता तो आदिवासियों का एक वर्ग राष्ट्र-विरोधी हो गया होता। कैथोलिक बिशपों के एक निकाय ने भागवत के इस बयान की निंदा की है।

कैथोलिक बिशपों की संस्था सीबीसीआई ने जारी एक बयान में उन खबरों का हवाला दिया, जिनमें कथित तौर पर कहा गया है कि भागवत ने सोमवार को एक कार्यक्रम में दावा किया था कि मुखर्जी ने राष्ट्रपति रहते हुए 'घर वापसी' की सराहना की थी और उनसे कहा था कि यदि संघ ने धर्मांतरण पर काम नहीं किया होता तो आदिवासियों का एक वर्ग ‘‘राष्ट्र-विरोधी’’ हो गया होता। सीबीसीआई ने इन खबरों को चौंकाने वाला बताया। संस्था ने सवाल किया कि मुखर्जी के जीवित रहते भागवत ने इस बारे में कुछ क्यों नहीं बोला। सीबीसीआई कहा, हम 2.3 प्रतिशत ईसाई भारतीय नागरिक इस तरह के छलपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण प्रचार से बहुत आहत महसूस कर रहे हैं।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यह बात इंदौर में राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार के वितरण समारोह में कही है। भागवत ने कहा, डॉ प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे, तब मैं पहली बार उनसे मिलने गया। संसद में घर वापसी को लेकर बहुत बड़ा हल्ला चल रहा थाय़ मैं तैयार हो कर गया कि वे बहुत कुछ पूछेंगे, बहुत बताना पड़ेगा। लेकिन उन्होंने कहा कि आप लोगों ने कुछ लोगों को वापस लाया और प्रेस कॉन्फ्रेंस की.. ऐसा कैसे करते हो आप? ऐसा करने से हो-हल्ला होता है क्योंकि वो राजनीति है। मैं भी अगर आज कांग्रेस पार्टी में होता, राष्ट्रपति नहीं होता, तो मैं भी संसद में यही करता।

आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा, प्रणब मुखर्जी ने फिर कहा लेकिन आप लोगों ने ये जो काम किया है उसके कारण भारत के 30% आदिवासी… मैंने उनकी लाइन पकड़ ली और उनके बोलने के अंदाज से मुझे बहुत खुशी हुई। इस पर मैंने कहा ये लोग ईसाई बन जाते, तो वो बोले ईसाई नहीं, देशद्रोही बन जाते।

बता दें कि ‘घर वापसी’ शब्द का इस्तेमाल आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों मुसलमानों और ईसाइयों के हिंदू धर्म में लौटने के लिए करते हैं।संघ का मानना ये है कि सभी भारतीय मूल रूप से हिंदू हैं और इस प्रकार इस धर्मांतरण का अर्थ अनिवार्य रूप से ‘घर वापसी’ है।

प्रणब मुखर्जी के स्मारक के बगल में होगा मनमोहन सिंह का मेमोरियल, जानें कहां है वो 1.5 एकड़ जमीन

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केन्द्र की मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मेमोरियल के लिए डेढ़ एकड़ जमीन को चिह्नित कर दी है। ये जमीन राष्ट्रीय स्मृति परिसर में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की समाधि के ठीक बगल में है। गृह मंत्रालय और शहरी मामलों के मंत्रालय ने मनमोहन सिंह के परिवार को आधिकारिक रूप से इस फैसले के बारे में सूचित किया है। साथ ही परिवार से एक ट्रस्ट रजिस्टर करने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि ये सार्वजनिक भूमि के आवंटन के लिए अनिवार्य प्रक्रिया है। इस कदम से भूमि आवंटन की कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।

सूत्रों के अनुसार, सिंह के परिवार के सदस्यों से साइट का निरीक्षण करने का अनुरोध किया गया है,लेकिन अभी तक उन्होंने ऐसा नहीं किया है। परिवार अभी शोक में है,इसलिए उन्होंने सरकार के प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं लिया है। सूत्र ने कहा कि मनमोहन सिंह परिवार तय करेगा कि उन्हें किस तरह का स्मारक चाहिए। इसमें समय लग सकता है। परिवार इस पर विचार करेगा कि वे किस तरह का स्मारक बनाना चाहते हैं। फिर वे सरकार को सूचित करेंगे।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने की शुरूआत में ही मनमोहन सिंह के मेमोरियल के लिए जमीन चिह्नित करने के लिए अधिकारियों ने राष्ट्रीय स्मृति परिसर का दौरा किया था। राष्ट्रीय स्मृति यमुना किनारे विकसित की गई है। यह राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और पूर्व राष्ट्रपतियों, पूर्व उपराष्ट्रपतियों और पूर्व प्रधानमंत्रियों के अंतिम संस्कार और स्मारकों के लिए एक सामान्य स्थान है। वर्तमान में परिसर में सात नेताओं के स्मारक हैं। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी,पी वी नरसिम्हा राव,चंद्रशेखर और आई के गुजराल शामिल हैं। अब बचे दो स्थान मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के लिए निर्धारित किए गए हैं।

बता दें कि मनमोहन सिंह की समाधि स्थल के लिए खूब विवाद हुआ था। केंद्र ने कांग्रेस पर दिग्गज नेता की मौत के बाद राजनीति करने का आरोप लगाया था। तो कांग्रेस ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए ‘अपमान’ करने का आरोप लगाया था।

इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे। यहां तक की मनमोहन सिंह के निधन के बाद ही इस मामले पर दोनों दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। जबकि खुद पीएम मोदी से लेकर केंद्र सरकार के सभी बड़े नेताओं की मौजूदगी में मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया था।

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भी थे। उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने आर्थिक विकास देखा। राष्ट्रीय स्मृति परिसर में स्मारक बनाने से लोगों को डॉ. सिंह के जीवन और कार्यों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। यह उनके योगदान को याद रखने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का एक तरीका होगा।

मोहन भागवत पर क्यों भड़के राहुल गांधी? बोले- किसी और देश में बयान दिया होता तो गिरफ्तार हो गए होते
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कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के आजादी वाले बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। राहुल ने कहा कि अगर भागवत ने ये बयान किसी और देश में दिया होता तो ये राजद्रोह के समान होता और भागवत को गिरफ्तार कर लिया गया होता।

कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय के उद्घाटन पर पार्टी से जुड़े नेताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने यह भी कहा, मोहन भागवत हर 2-3 दिन में देश को यह बताने की हिम्मत रखते हैं कि देश की आजादी के आंदोलन और संविधान के बारे में वह क्या सोचते हैं। उन्होंने कल जो कहा वह देशद्रोह की तरह है क्योंकि इसमें कहा गया कि संविधान अमान्य है। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई अमान्य थी।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा, उन्हें (भागवत को) सार्वजनिक रूप से यह कहने की हिम्मत है, किसी अन्य देश में ऐसा होता तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता और उन पर केस चलाया जाता। यह कहना कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली, हर एक भारतीय व्यक्ति का अपमान है। अब समय आ गया है कि हम इस बकवास को सुनना बंद करें, क्योंकि ये लोग सोचते हैं कि वे बस रटते रहेंगे और चिल्लाते रहेंगे।

*खरगे ने साधा निशाना*
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भागवत के असली आजादी वाले बयान की निंदा की और कहा कि यदि वह ऐसे बयान देते रहे तो फिर देश में उनका घूमना-फिरना मुश्किल हो जाएगा। मल्लिकार्जुन खरगे ने आज कांग्रेस के नए मुख्यालय के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि आरएसएस और बीजेपी के लोगों को (1947 में मिली) देश की आजादी याद नहीं है क्योंकि उनके वैचारिक पूर्वजों की ओर से आजादी की जंग में कोई योगदान नहीं दिया गया है।

*भागवत ने क्या कहा था?*
13 जनवरी को भागवत ने कहा था, अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाई जानी चाहिए, क्योंकि कई सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश को असली आजादी इसी दिन हासिल हुई थी।
मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने की प्रक्रिया शुरू, केंद्र सरकार ने परिवार को दिए ये विकल्प

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को निधन हुआ था। अब उनके स्मारक को लेकर प्रक्रिया शुरू हो गई है। भारत सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर उनके परिवार को कुछ विकल्प दिए हैं। इन विकल्पों में राष्ट्रीय स्मृति स्थल समेत कुछ अन्य स्थानों का नाम शामिल है, जहां उनका स्मारक बनाए जाने की संभावना है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, परिवार की ओर से स्मारक की जगह चुनने के बाद, ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। यह ट्रस्ट स्मारक निर्माण की योजना और उसके बाद की सभी गतिविधियों की देखरेख करेगा। परिवार की तरफ से अभी तक किसी खास जगह को लेकर फैसला नहीं लिया गया है। स्मारक की जमीन के लिए ट्रस्ट आवेदन करेगा। जमीन आवंटन के बाद सीपीडब्ल्यूडी के साथ एमओयू पर दस्तखत होंगे। इसके बाद ही स्मारक बनाने का काम शुरू हो सकेगा।

इन जगहों पर बनाया जा सकता है स्मारक

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 को हुआ था। इसके बाद उनके स्मारक को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार ने मांग की थी। सूत्रों के अनुसार, मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए राजघाट, राष्ट्रीय स्मृति स्थल या किसान घाट के पास एक से डेढ़ एकड़ जमीन दी जा सकती है।

शहरी विकास मंत्रालय ने किया दौरा

शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने स्मारक के लिए राजघाट और उसके आसपास के इलाके का दौरा किया है। यह भी संभावना है कि डॉ मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए नेहरू-गांधी परिवार के नेताओं की समाधि के पास जगह दी जाए। यहां पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और संजय गांधी की समाधि है।

बता दें कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर है। बीते दिनोंकांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अंत्येष्टि और स्मारक के लिए स्थान नहीं ढूंढ पाना भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री का जानबूझकर किया गया अपमान है। इस पर बीजेपी की ओर से जवाब भी दिया गया था। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि कोई अपमान नहीं किया गया।

अरविंद केजरीवाल ने RSS चीफ मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी, पूछा ये सवाल
#arvind_kejriwal_wrote_a_letter_to_rss_chief_mohan_bhagwat
* दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने चिट्ठी के माध्यम से आरएसएस प्रमुख से कई सवाल किए हैं। अरविंद केजरीवाल ने पूछा है कि बीजेपी ने पिछले दिनों में जो भी गलत किया, क्या आरएसएस उसका समर्थन करती है? अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखकर पूछा कि बड़े स्तर पर दलित, पूर्वांचली के वोट काटे जा रहे हैं क्या आरएसएस का लगता है ये जनतंत्र के लिए सही है? इसके अलावा उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि क्या आरएसएस को नहीं लगता कि बीजेपी जनतंत्र को कमजोर कर रही है। चिठ्ठी के जरिए आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ये भी पूछा है कि बीजेपी के नेता खुलकर पैसे बांट रहे हैं, क्या आरएसएस वोट खरीदने का समर्थन करती है? इससे पहले भी केजरीवाल आरएसएस प्रमुख को चिट्ठी लिखकर बीजेपी पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने पिछले साल सितंबर में भागवत को खत लिखा था और पांच सवाल पूछे थे।
अरविंद केजरीवाल ने RSS चीफ मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी, पूछा ये सवाल

#arvind_kejriwal_wrote_a_letter_to_rss_chief_mohan_bhagwat 

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने चिट्ठी के माध्यम से आरएसएस प्रमुख से कई सवाल किए हैं। अरविंद केजरीवाल ने पूछा है कि बीजेपी ने पिछले दिनों में जो भी गलत किया, क्या आरएसएस उसका समर्थन करती है?

अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखकर पूछा कि बड़े स्तर पर दलित, पूर्वांचली के वोट काटे जा रहे हैं क्या आरएसएस का लगता है ये जनतंत्र के लिए सही है? इसके अलावा उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि क्या आरएसएस को नहीं लगता कि बीजेपी जनतंत्र को कमजोर कर रही है।

चिठ्ठी के जरिए आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ये भी पूछा है कि बीजेपी के नेता खुलकर पैसे बांट रहे हैं, क्या आरएसएस वोट खरीदने का समर्थन करती है?

इससे पहले भी केजरीवाल आरएसएस प्रमुख को चिट्ठी लिखकर बीजेपी पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने पिछले साल सितंबर में भागवत को खत लिखा था और पांच सवाल पूछे थे।

पंचतत्व में विलीन हुए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, राजकीय सम्मान के साथ दी गई आखिरी विदाई

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्‍कार पूरे राजकीय सम्‍मान के साथ कर दिया गया है, वह पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। दिल्ली के निगम बोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। मनमोहन सिंह की बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी। मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी समेत कांग्रेस के सभी वरिष्‍ठ नेता भी मौजूद रहे।

निगम बोध घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सलामी दी गई। पीएम मोदी ने निगम बोध घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन को श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा अमित शाह, राजनाथ सिंह, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, जेपी नड्डा, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई नेताओं ने पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि दी।

मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर को आज सुबह साढ़े आठ बजे के लगभग कांग्रेस मुख्‍यालय में अंतिम दर्शन के लिए लाया गया, जहां कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्‍हें श्रद्धांजलि दी। मनमोहन सिंह की अंतिम यात्रा कांग्रेस मुख्‍यालय 24 अकबर रोड से निगमबोध घाट के लिए निकली। पार्थिव शरीर के साथ मुख्‍य वाहन में राहुल गांधी भी बैठे नजर आए। कांग्रेस मुख्यालय से निगमबोध घाट तक उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई, तो इस दौरान कांग्रेस के कार्यकर्ता ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, मनमोहन आपका नाम रहेगा' और ‘मनमोहन सिंह अमर रहें' नारे लगाते रहे।

दुख की घड़ी में राजनीति से बचना चाहिए', डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के मुद्दे पर कांग्रेस को बीजेपी की नसीहत

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देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए स्थान आवंटन को लेकर देश में सियासी पारा बढ़ा हुआ है। कांग्रेस और सरकार आमने-सामने आ गई है। जहां, कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान करने का आरोप लगा रही है। वहीं भाजपा ने विपक्ष पर मामले में राजनीति करने का आरोप लगाया है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की समाधि को लेकर जारी घमासान के बीच बीजेपी ने कांग्रेस को राजनीति से बचने की नसीहत दी है।

भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन के बाद पूरा देश शोक में है। देश के आर्थिक विकास की आधारशिला रखने वाले व्यक्तित्वों को उचित सम्मान देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसी के मद्देनजर कल कैबिनेट ने अपनी बैठक में निर्णय लिया कि मनमोहन सिंह जी की स्मृति में एक स्मारक और समाधि बनाई जाएगी। इस प्रक्रिया में जो भी समय लगेगा, यह बात कांग्रेस पार्टी को बता दी गई है।

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि सरकार ने स्मारक बनाने का फैसला लिया है। अब भूमि अधिग्रहण ट्रस्ट और भूमि हस्तांतरण की प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद, इसमें जो भी समय लगेगा, जितना भी समय लगेगा, यह काम हो जाएगा। लेकिन, यह बहुत दुख की बात है कि कांग्रेस पार्टी जिसने कभी भी डॉ. मनमोहन सिंह को उनके जीवनकाल में सम्मान नहीं दिया। आज उनकी मृत्यु के बाद भी उनके सम्मान का राजनीतिकरण किया जा रहा है। कम से कम आज दुख की इस घड़ी में राजनीति से बचना चाहिए।

बता दें कि कांग्रेस की मांग है कि जिस जगह पर मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार हो, वहीं पर उनकी समाधि बनाई जाए। जब कि सरकार का कहना है कि उनका अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया जाएगा। समाधि और स्मारक स्थल के लिए भी जगह जल्द आवंटित कर दी जाएगी. जगह देने में हो रही देरी को लेकर कांग्रेस सरकार पर लगातार हमलावर है।