श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा मानव जीवन की व्यथा मिटाती है-पं निर्मल कुमार शुक्ल।
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संजय द्विवेदी प्रयागराज।श्रीमद् भागवत भगवान श्रीकृष्ण का अक्षराकार स्वरुप है।शास्त्रो में भगवान की अनेक प्रकार की मूर्तियों का वर्णन आता हैं।जिस प्रकार पाषाण की मूर्ति रत्नों की मूर्ति लकड़ी मिट्टी और सोने की बनाई हुई मूर्ति होती है वैसे ही भागवत भगवान् की अक्षरो से बनी हुई मूर्ति है।कल्प वृक्ष स्वर्ग की और चिंता मणि इस धरती लोक की समस्त संपत्ति देने में समर्थ है किन्तु भागवत तो स्वयं भगवान को देने में समर्थ है।जिस घर में प्रतिदिन भागवत पाठ होता है वहां सारी आधि व्याधि समाप्त हो जाती है।भूत प्रेत वाधा ब्रह्म पिशाच आदि बाधाएं भागवत कथा से निर्मूल हो जाती हैं।इस ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं निवास करते हैं यह भगवान का निवास स्थल है।महाराष्ट्र से पधारे हुए रामायण भागवत शिव पुराण गीता आदि सनातन ग्रंथों के विलक्षण व्याख्याकार सुप्रसिद्ध कवि और साहित्यकार मानस महारथी पं निर्मल कुमार शुक्ल ने भागवत कथा के द्वितीय दिवस विशाल श्रोता समाज को भाव विभोर करते हुए उक्त उद्गार व्यक्त किया।पं अमरनाथ दूबे नीबी लोहगरा द्वारा आयोजित इस भव्य कथा महोत्सव में विद्वान वक्ता ने आज देवर्षि नारद के पूर्व जन्म की कथा परीक्षित के जन्म उनके द्वारा कलियुग के दमन फिर श्रृंगी ऋषि द्वारा राजा को सातवे दिन तक्षक नाग द्वारा डसने का शाप और शुकदेव आगमन की कथा का विस्तार से वर्णन किया।आपने श्रृष्टि रचना की कथा वर्णन करते हुए कहा कि भगवान के शरीर से ही पृथ्वी जल वायु अग्नि आदि महाभूत प्रकट होते हैं फिर उन्हीं भगवान के नाभि कमल से ब्रह्मा का प्रादुर्भाव होता है।ब्रह्मा के शरीर से वाराह भगवान का प्राकट्य होता है।वाराह भगवान हिरण्याक्ष का वध करके पाताल लोक से धरती लाते हैं फिर उन्ही ब्रह्मा के शरीर के दक्षिण भाग से महाराज मनु और वाम भाग से देवी सतरूपा का जन्म होता है जिनके द्वारा मानव श्रृष्टि की रचना होती है।मनु के द्वारा प्रकट होने के कारण ही हमें मानव या मनुष्य कहा जाता है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं क्षेत्र के समाज सेवी तथा राजनेता स्व.पं जंगी राम दूबे की पावन स्मृति में उनके सुपुत्र पं अमरनाथ दूबे द्वारा आयोजित इस कथा में आज पं महेन्द्र शुक्ल डा.आशाराम शुक्ल कमलाकांत तिवारी राज हंस तिवारी पं भोलानाथ दूबे नवनीत मिश्र चंद्रमणि मिश्र बलदेव सिंह दिवाकराचार्य त्रिपाठी रामकृष्ण मिश्र अभिराम त्रिपाठी आदि क्षेत्र के विशिष्ट महानुभाव उपस्थित रहे।पं अभय शंकर दूबे हृदय शंकर दूबे अमिय शंकर दूबे व अनिय शंकर दूबे ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। दूबे परिवार ने समस्त क्षेत्रीय श्रृद्धालुओं से अधिकाधिक संख्या में पधारकर इस कथा गंगा में स्नान करने का आग्रह किया है।यह कथा भागीरथी 14 तक प्रतिदिन मध्यान्ह 2/30 से 6 बजे तक प्रवाहित होगी।
Oct 09 2025, 17:07