*गांधी-शास्त्री जयंती पर आयुक्त सभागार में गूंजे देशभक्ति के गीत, अधिकारियों ने ली एकता की शपथ*
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गोंडा। - राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती के अवसर पर आयुक्त सभागार में सादगीपूर्ण किन्तु गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ आयुक्त देवीपाटन मंडल शशि भूषण लाल सुशील द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराकर तथा उपस्थित अधिकारियों व कर्मचारियों को देश की एकता, अखंडता और अहिंसा के मार्ग पर चलने की शपथ दिलाकर किया गया। इसके पश्चात् सभी अधिकारियों व कर्मचारियों ने गांधी जी और शास्त्री जी के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
कार्यक्रम में आयुक्त कार्यालय में तैनात अधिकारी-कर्मचारी सहित छात्राओं और अध्यापिकाओं ने बढ़-चढ़कर सहभागिता की। मंच संचालन के बीच-बीच में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज (जीजीआईसी) की छात्राओं ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत कर समां बांध दिया। वहीं कुछ कर्मचारियों ने भी राष्ट्रगान एवं प्रेरणादायक गीत प्रस्तुत कर माहौल को और अधिक ऊर्जावान बना दिया।
आयुक्त देवीपाटन मंडल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी केवल एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक विचारधारा थे। उन्होंने सत्य, अहिंसा, स्वच्छता, सेवा और त्याग के माध्यम से पूरे विश्व को यह संदेश दिया कि बड़े से बड़ा परिवर्तन शांतिपूर्ण तरीके से भी संभव है। उन्होंने बताया कि गांधी जी कभी भी स्वच्छता कार्य को छोटा नहीं मानते थे और स्वयं हाथ में झाड़ू लेकर लोगों को प्रेरित करते थे। उनका मानना था कि कोई भी काम छोटा नहीं होता, बल्कि सोच छोटी होती है।
आयुक्त ने कहा कि गांधी जी ने भेदभाव का विरोध करते हुए समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए समान अवसर की वकालत की। उन्होंने भारतीय संस्कृति के सनातन मूल्यों—त्याग, करुणा और सेवा—को जीवन का आधार बनाया। गांधी जी की इन्हीं विचारधाराओं को अपनाकर हम आज भी सामाजिक सद्भाव और विकास के नए आयाम स्थापित कर सकते हैं।
इसी क्रम में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि शास्त्री जी का जीवन सादगी, ईमानदारी और अनुशासन का प्रतीक था। उन्होंने “जय जवान, जय किसान” का ओजस्वी नारा देकर भारत को स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर अग्रसर किया। शास्त्री जी ने हमेशा सैनिकों और किसानों को राष्ट्र की रीढ़ बताया और उनके प्रति सम्मान की भावना का संचार किया।
आयुक्त ने कहा कि आज भारत सरकार और प्रदेश सरकार "विकसित भारत 2047" के विजन को साकार करने के लिए कार्य कर रही है। यदि हम गांधी और शास्त्री जी के मूल्यों को अपने आचरण में उतार लें तो यह सपना अवश्य पूरा होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण केवल सरकार का काम नहीं है, बल्कि हर नागरिक का उत्तरदायित्व है। इस अवसर पर उन्होंने कार्यक्रम में गीत प्रस्तुत करने वाली छात्राओं एवं अध्यापिकाओं को पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया।
अपर आयुक्त प्रशासन कमलेश चंद्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि 2 अक्टूबर वह ऐतिहासिक दिन है जब भारत को दो महान विचारों का जन्म हुआ। देश को गांधी व शास्त्री जी जैसे महानायक मिले जिन्होंने कभी अपने लिए नहीं, बल्कि सदा राष्ट्रहित में कार्य किया। उन्होंने कहा कि आजादी के समय भारत अनाज के लिए तरसता था, पर आज हमारा देश दूसरे देशों को अनाज देने की स्थिति में पहुंच गया है। यह वही आत्मनिर्भर भारत है जिसका सपना गांधी जी ने देखा था।
अपर आयुक्त न्यायिक मीनू राणा ने कहा कि गांधी जी हमेशा दूसरों की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझते थे। हमें भी समाज के कमजोर वर्गों के प्रति सहानुभूति और सहयोग की भावना रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गांधी जी का यह विचार आज भी प्रेरणादायक है कि “भविष्य उस पर निर्भर करता है जो हम आज करते हैं।”
कार्यक्रम के दौरान बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं महामंत्री ने भी गांधी जी व शास्त्री जी के आदर्शो व मूल्य के बारे में विचार रखते हुये उन्हें अपने जीवन में अपनाने का संदेश दिया। इस दौरान आयुक्त कार्यालय के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे। सभी ने अहिंसा, स्वच्छता और राष्ट्र सेवा का संकल्प दोहराते हुए कार्यक्रम का समापन किया।
9 hours ago