तहसील के लेखपाल के खिलाफ पट्टाधारकों ने डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन किया
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खजनी गोरखपुर। तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत बनकटा उर्फ भेउसा के ग्रामीणों ने हल्का लेखपाल पर कृषि पट्टा की भूमि में गड़बड़ी करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को तहसील पर प्रदर्शन किया। जहां से अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने पर आज जिलाधिकारी कार्यालय गोरखपुर पहुंच कर प्रदर्शन किया। नाराज पट्टाधारक सुबह 11 बजे से ही तहसील पर अधिकारियों से मिलकर शिकायत करना चाहते थे, लेकिन अधिकारियों की अनुपस्थिति से आक्रोशित हो उठे।
नायब तहसीलदार जाकिर हुसैन मौके पर पहुंचे तो प्रदर्शनकारी ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। समझाने-बुझाने के बाद नायब तहसीलदार ने आश्वस्त किया कि गुरुवार को एसडीएम से मुलाकात कर उन्हें अपनी बात रखने का अवसर दिया जाएगा, तब जाकर मामला शांत हुआ।
मामले में गांव के दीपचंद, लालजी, रीमा, किस्मती, कंवलवासी, अंजोरा, इंद्रावती, मारजादी आदि का कहना है कि
बनकटा गांव के ग्रामीणों से धोखे से हस्ताक्षर कराने के बाद कागजों में हेरफेर किया गया है। खजनी तहसील के लेखपाल पर धोखेबाजी का आरोप खिलाफ प्रदर्शन करते पट्टाधारकों ने बताया कि वर्ष 2002 में 20 लोगों को 10-10 डिसमिल कृषि भूमि का पट्टा दिया गया था।हल्का लेखपाल श्याम कन्हैया ने धोखे से हम सभी से दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करा लिए और अब कागजों में गड़बड़ी कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने नायब तहसीलदार ने समझाया आज एसडीएम से मिलाने का दिया है आश्वासन बताया कि बुधवार को जब कुछ लोग पट्टे की जमीन पर जोताई कर रहे थे तो इसकी सूचना सिकरीगंज पुलिस को दी गई, जिस पर पुलिस ने विवाद को देखते हुए जोताई रुकवा दी।
तहसीलदार धुर्वेश कुमार सिंह ने बताया कि यह मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और दोनों पक्षों को विवादित भूमि पर जाने से रोका गया है। वहीं, थाना प्रभारी कमलेश कुमार ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी, जिस पर विवाद की आशंका को देखते हुए जोताई रुकवा दी गई है। अब कोई कार्य राजस्व विभाग के आदेशानुसार ही होगा।
लेखपाल श्याम कन्हैया ने सभी आरोपों को नकारते हुए बताया कि यह मामला आयुक्त गोरखपुर के न्यायालय में विचाराधीन है। एक पक्ष भूमिधारी है और दूसरा कृषि पट्टाधारी, दोनों पक्षों में विवाद है। वे यह संक्रमणिय भूमिधारी संख्या की व जमीन है जो 1995 के बाद 229बी के तहत बंजर घोषित हुई थी। वर्ष 2002 में कृषि पट्टा दिया गया, जिसे 2011-12 में निरस्त किया गया। फिर 2019 में पुनः कब्जा देने का आदेश हुआ, जिसमें भौतिक परिवर्तन पर रोक लगी है।
इस संदर्भ में एसडीएम खजनी राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि मामला उपर आयुक्त के न्यायालय में विचाराधीन है और यथास्थिति बनाए रखने हेतु स्थगन आदेश है।
Aug 13 2025, 18:25