*बिजली निजीकरण के विरोध में 9 को करेंगे राष्ट्रव्यापी हड़ताल*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही।‌ प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में चल रहे विरोध प्रदर्शन करने वाले विद्युत कर्मचारियों ने 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर देश के विभिन्न प्रांतों समेत प्रदेश में दो विद्युत निगमों के 42 जनपदों में निजीकरण का विरोध अभी भी चल रहा है। जिसे अलग-अलग संगठनों का सहयोग मिल रहा है। अब इन्हीं संगठनों के आह्वान पर 9 जुलाई को हड़ताल किया जाएगा। जिसका किसान संगठन और उपभोक्ता फोरम ने भी सहयोग कर रहे हैं। भदोही में अधीक्षण अभियंता कार्यालय के बाहर बिजली कर्मियों का विरोध प्रदर्शन  हुआ। इसमें विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नवनियुक्त जिला संयोजक तुषार राय ने कहा कि प्रदेश सरकार ने विद्युत वितरण निगमों में घाटे के भ्रामक आंकड़े इसलिए दिए ताकि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का रास्ता साफ हो। इसको लेकर बिजली कर्मियों ने आक्रोश है। कहा कि हम लोग 7 माह से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। खेद है कि उत्तर प्रदेश सरकार वार्ता के लिए तैयार नहीं है। बताया प्रदेश में गलत पावर परचेज एग्रीमेंट के चलते विद्युत वितरण निगमों को निजी बिजली उत्पादन कंपनियों को बिना एक भी यूनिट बिजली खरीदे 6761 करोड़ रुपये सालाना भुगतान करना पड़ रहा है। इसके अलावा निजी घरानों से बहुत महंगी दरों पर बिजली खरीदने के चलते निगमों पर दस हजार करोड़ रुपये प्रति वर्ष का अतिरिक्त भार पड़ रहा है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों पर 14400 करोड़ रुपये का राजस्व बकाया है। कहा कि अगर निजीकरण हो गया तो प्रदेशवासियों का भारी नुकसान होगा। प्रदर्शन के दौरान 9 जुलाई के राष्ट्रव्यापी आंदोलन में सबका सहयोग मांगा गया। सत्य प्रकाश मौर्य, अभिषेक प्रजापति, आरपी यादव, राजेश जायसवाल, सत्य प्रकाश यादव आदि रहे।
*लापरवाही में 114 कोटेदारों की जमानत राशि जब्त* *घटतौली रोकने के लिए शासन स्तर से शुरु की न‌ई व्यवस्था*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। एफसीआई गोदाम से राशन उठाव के बाद ऑनलाइन रिसिव न करने पर जिला पूर्ति अधिकारी ने 114 कोटेदारों की जमानत राशि को जब्त कर लिया है। एक सप्ताह में सुधार न करने पर विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी। जिले की 546 ग्राम पंचायतों और सात नगर निकायों में कुल 718 कोटे की दुकाने हैं। जहां से तीन लाख पात्र गृहस्थी और अंत्योदय कार्ड धारकों को हर महीने निशुल्क राशन दिया जाता है। इससे करीब 12 लाख 90 हजार यूनिट को लाभ मिलता है। राशन वितरण को पारदर्शी बनाने के लिए ई-पॉस मशीन से लेकर ईं-कांटा की व्यवस्था की गई है। एफसीआई गोदाम में राशन उठाव के दौरान घटतौली न हो इसके लिए ऑनलाइन रिसिविंग की सुविधा की गई है। जून 2025 में एफसीआई गोदाम से राशन उठाव के बाद भी 114 कोटेदारों ने ईपीओडी (इलेक्ट्रॉनिक प्रूफ ऑफ डिलिवरी) से पुष्टि नहीं की। कई बार चेतावनी देने के बाद भी ऑनलाइन रिसिविंग न देने पर पूर्ति विभाग ने कोटेदारों की 100-100 रुपये जमानत राशि को जब्त कर लिया। अल्टीमेटम दिया कि एक सप्ताह में अगर ईपीओडी नहीं किया तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

114 कोटेदारों की 100-100 रुपये की जमानत राशि जब्त किया गया है। सभी को हिदायत दी है कि राशन उठाव के बाद ऑनलाइन रिसिव को सही करा लें अन्यथा कार्रवाई की जाएगी। सुनील कुमार,जिला पूर्ति अधिकारी
*35 हजार मवेशियों को लगा गलाघोंटू का टीका, 2.95 लाख का है लक्ष्य*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। बारिश में मवेशियों में गला घोंटू बीमारी तेजी से अपने चपेट में लेती है। करीब तीन हफ्ते पहले शुरू हुए टीकाकरण अभियान में अब तक 35 हजार मवेशियों को टीका लगाया जा चुका है। मार्च तक 2.95 लाख मवेशियों को टीका लगाने का लक्ष्य है। पशुपालन विभाग की तीन अतिरिक्त टीमों सहित कुल 11 टीमें गांव-गांव पहुंचकर मवेशियों का टीकाकरण करेंगी।‌ जिले के 11 पशु अस्पताल के पशुकर्मी टीकाकरण में जुटे हैं। गला घोंटू का टीका लगाने के लिए टीमें गांव-गांव पहुंच रही हैं। बीमारी से बचाव के लिए पशुपालकों को विशेष सावधानी बरतने को कहा जा रहा है। सीवीओ एके सचान ने बताया कि जिले में मवेशियों की साढ़े तीन लाख है। गलाघोंटू पास्चुरेला मल्टोसीडा नामक जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह जीवाणु सांस नली में तंत्र के ऊपरी भाग में होता है। पशुपालक अगर समय से उपचार नहीं कराते तो मवेशी की मौत भी हो जाती है। संक्रमित मवेशी के संपर्क में आने से दूसरे मवेशी भी रोग से ग्रसित हो जाते हैं। इसलिए टीकाकरण जरूरी है।
*चार साल से अधूरी है पेयजल परियोजना*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। औराई ब्लॉक के लक्ष्मणा गांव में जल जीवन मिशन का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। इस गांव में चार साल से पेयजल परियोजना अधूरी है। इससे लक्ष्मणा, कुरौली, चौबेपुर और नवरुतमपुर जैसे गांवों में पानी की सप्लाई होनी है। सभी गांव की करीब आठ हजार की आबादी को लोगों को पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। गांव के अधिकांश घरों में नल कनेक्शन नहीं है, जहां पर नल लगे हैं। वहां महीनों से पानी की सप्लाई नहीं हुई। ग्रामीणों को पीने का पानी दूर-दराज के हैंडपंपों या कुओं से लाना पड़ता है। गर्मी के मौसम में समस्या और भी विकराल हो गई है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक पानी के टंकी का भी निर्माण नहीं हो सका है। कागजों में तो हमें योजना का लाभ मिल गया है, लेकिन हकीकत ये है कि हमारे घर में आज तक एक बूंद पानी नहीं पहुंचा। प्रधान चंद्रकांत दुबे ने बताया कि इसके लिए संबंधित विभाग को कई बार सूचना दी जा चुकी है, लेकिन आज जाएंगे, कल करेंगे यही बोल कर टालमटोल कर रहे हैं।
*चौड़ीकरण में बाधा बने बिजली के खंभे, 87 करोड़ की 11 सड़क परियोजनाओं का काम होना बाकी*



रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में स्वीकृत 87 करोड़ की 11 सड़कों के चौड़ीकरण में बिजली के खंभे बाधा बन गए है। 3.75 मीटर की बजाए अब यह सड़कें 5.50 मीटर चौड़ी हो रही हैं, लेकिन किनारे स्थित बिजली के खंभे निर्माण की रफ्तार को सुस्त कर दिए हैं। खंभे हटाने के लिए निगम का भेजा प्रस्ताव अब तक स्वीकृत नहीं हो सका है। इससे दिसंबर 2025 तक इन सड़कों के पूर्ण होना मुश्किल दिख रहा है। ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों की हालत दयनीय है। जर्जर सड़कों के कारण अक्सर लोग दुर्घटना का शिकार होते हैं। मानसून में इन सड़कों पर जलभराव के चलते राहगीरों को मुसीबत झेलनी पड़ती है। जिले के कई बार गड्ढा मुक्ति को लेकर अभियान भी चले, लेकिन उसमें सिर्फ लोक निर्माण विभाग से जुड़ी सड़कें शामिल रहीं। भदोही, औराई और ज्ञानपुर विधानसभा की तमाम सड़कों की हालत खराब है। पीएमजीएसवाई में पांच से आठ साल बाद ही सड़कें स्वीकृत होती हैं। एक दशक पहले बनी सड़कें अब जर्जर हो चुकी हैं। मई-जून 2024 में केंद्रीय स्तर से 11 ग्रामीण सड़कों की दशा सुधारने के लिए 87 करोड़ स्वीकृत किया गया। इसमें पांच किमी से लेकर करीब आठ किमी लंबी सड़कें हैं। दिसंबर 2024 में इन सड़कों को बनाने का काम शुरू हो गया, लेकिन चौड़ीकरण के कारण सड़क किनारे खंभे और पेड़ निगम की चुनौती को बढ़ा दिए है। 11 सड़कों में दो को छोड़ दिया जाए तो नौ सड़क के किनारे खंभे और पेड़ की अधिकता है। इससे इन मार्ग पर मिट्टी एवं गिट्टी का कार्य भी आधा अधूरा हो सका है। 11 सड़कों का काम चल रहा है। 60 फीसदी से अधिक कार्य हो चुका है।


एफडीआर तकनीकी से बनने वाली सड़कें पांच साल की गारंटी पीरियड में होगी। खंभे और पेड़ हटाने के लिए इस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा गया है। जल्द ही स्वीकृति मिलने पर उसे हटा दिया जाएगा। उम्मीद है कि दिसंबर तक सड़कें पूर्ण हो जाएगी। प्रज्ञा परमिता एक्स‌ईएन ग्रामीण अभियंता
*कुर्सी पर एक घंटे से ज्यादा बैठकर न करें काम* *जिला अस्पताल और सौ शैय्या अस्पताल में हड्डी के मरीजों की संख्या बढ़ी*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। काम करने के तरीके में बदलाव से लोग बीमारी ग्रस्त हो जा रहे हैं। इससे ज्यादातर लोगों में कमर, गर्दन दर्द की समस्या आम हो गई है। अस्पताल में आने वाले हड्डी के 50 फीसदी मरीज दर्द से परेशान है। जिला अस्पताल और सरपतहां स्थित सौ शय्या अस्पताल में रोजाना 125 से 150 हड्डी के मरीजों की ओपीडी होती है। इसमें से 60 से 65 मरीज कमर दर्द, गर्दन दर्द के आते हैं। उनकी फिजियोथिरेपी भी होती है।‌महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय और सरपतहां का सौ शय्या अस्पताल में हड्डी के मरीजों की संख्या इजाफा हुआ है। दोनों अस्पतालों में रोजाना 200 हड्डी के मरीजों की ओपीडी होती है। इसमें से 60 से 65 मरीज कमर दर्द, गर्दन, मांसपेसियों में खिंचाव के पहुंच रहे हैं। जिन्हें डॉक्टर दवा के साथ फिजियोथेरेपी कराने की सलाह भी दे रहे हैं। फिजियोथेरीपी में 15 से 20 मरीजों की संख्या बढ़ी है। दो घंटे से अधिक एक ही स्थान पर बैठ कर काम करना कमर दर्द का सबसे बड़ा कारण है।जिला चिकित्सालय के आर्थाें के डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि कुर्सी पर बैठ कर एक घंटे से ज्यादा काम नहीं करना चाहिए। कंप्यूटर, लैपटाॅप के सामने काम करते वक्त गर्दन को सीधी नहीं रखनी चाहिए। मांसपेशियों में तनाव होना, कुर्सी पर गलत ढंग से बैठना और निष्क्रिय जीवन शैली आदि बीमारी का सबसे बड़ा कारण है।‌काम करते वक्त आराम दायक कुर्सी होनी चाहिए। फिजियोथेरेपिस्टर डॉ. जावेद अख्तर ने बताया कि फिजियोथेरेपी करवाने के लिए मरीजों की संख्या बढ़ी है। ज्यादातर कमर दर्द के मरीज आ रहे हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए योगाभ्यास बहुत जरुरी है।
*अमेरिकी टैरिफ से केवल 10 फीसदी कालीन तैयार* *सीईपीसी के आंकड़ों के अनुसार 55 से 58 फीसदी अमेरिका से व्यापार*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। अमेरिकी की ओर से भारतीय उत्पादों पर लगे 26 प्रतिशत आयात शुल्क पर अमेरिकी की ओर से दिए गए छूट की सीमा समाप्त होने वाली है। आगामी नौ जुलाई को समाप्त हो रही समय-सीमा के पहले निर्यातकों में चिंता के बादल मंडराने लगे हैं। अमेरिका टैरिफ से उत्पन्न हुई समस्या निकट भविष्य में दूर होने की संभावना नहीं नजर आ रही है। अमेरिका जाने वाले कालीन इस समय केवल 10 फीसदी कालीन उत्पादन में है। निर्यातकों का कहना है कि अगर वाणिज्य मंत्रालय की ओर से कुछ न हुआ तो आने वाले दिनों में इसका खास असर कालीन उद्योग पर पड़ने जा रहा है। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दो अप्रैल को भारतीय वस्तुओं पर 26 प्रतिशत आयात शुल्क की घोषणा की थी। इसके बाद से जिससे कालीन उद्योग में उत्पादन में भारी असर पड़ा है। भारत सरकार के अपील पर अमेरिका ने गत 10 अप्रैल 60 दिन की राहत यह कहकर प्रदान की थी कि जो माल तैयार हो, बंदरगाहों पर हो उन्हें अगले 90 दिनों में निर्यात कर तैयार माल से राहत पाया जा सकता है। ये 90 दिन आगामी 10 जुलाई को हो समाप्त हो रहे हैं। जैसे - जैसे 10 जुलाई नजदीक आ रही है। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद सीईपीसी के अनुसार अमेरिका भारत के 55 से 58 प्रतिशत कालीन उत्पादन का खरीदार है। नगर के प्रमुख कालीन निर्यातक सीईपीसी प्रशासनिक सीमित के सदस्य गुप्ता ने बताया कि वाणिज्य मंत्री अमेरिकी टैरिफ को लेकर ही अमेरिकी दौरे पर गए थे। टैरिफ समस्या से छुटकारा नहीं मिला तो भारत के लिए यह सबसे बड़ी समस्या उभर कर आएगी।‌ निर्यातक पंकज बरनवाल ने बताया कि अमेरिका भारतीय कालीनों का सबसे बड़ा खरीदार,यदि टैरिफ की समस्या से नहीं निपटा गया तो आने वाले समय में लाखों लोगों को बेरोजगार करेगा।
*जिस हाईवे की सर्विसलेन से गुजरेंगे कांवड़िए, वहां 13 जगहों पर हो गए गड्ढे* *11 जुलाई से सावन शुरू कांवड़ियों को होगी दिक्कत*



रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। वाराणसी-प्रयागराज हाईवे पर जिले की सीमा में 13 जगहों पर सर्विसलेन पर जलभराव के कारण गड्ढे हो गए हैं। करोड़ों की लागत से बनी इस सर्विसलेन पर लोगों के घरों के नाबदान का पानी भर रहा है। इस कारण बाइक और साइकिल सवार गिर घायल हो रहे है। वाराणसी-प्रयागराज हाईवे पर राजातालाब-हंडिया खंड की लंबाई 72 किमी के आसपास है। करीब 42 किमी का हिस्सा भदोही जिले से होकर गुजरता है। आवागमन के लिए सर्विसलेन का भी निर्माण कराया गया था। लेकिन हाईवे के किनारे के घरों के नाबदान का पानी सीधे सर्विसलेन पर बहाया जाता है। इस कारण सर्विसलेन खराब हो रही है। सबसे अधिक समस्या बाबूसराय के पास हाईवे की उत्तरी और दक्षिणी सर्विसलेन पर है। उसके आगे इटवा में भी कुछ जगहों पर ऐसी ही समस्या है। औराई तहसील रोड के कुछ आगे और माधोसिंह में करीब आधा किमी तक पूरी सर्विसलेन खराब हो चुकी है। कौलापुर के आगे जंगीगंज के बाद भी यही समस्या है। दोनों लेन पर 13 जगहों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं। इस कारण यहां से गुजरने वाले बाइक व साइकिल चालक इन गड्ढों में गिरकर घायल हो जाते हैं। हाईवे का रखरखाव करने वाली कार्यदायी संस्था सर्विसलेन पर नाबदान का पानी बहाने वाले लोगों को नोटिस देकर अपना काम पूरा कर लेती है।


हाईवे के नाले में किसी भी घर या बाजार का नाला नहीं जोड़ा सकता है। नाबदान के पानी का खुद के नाले में निस्तारण किया जाना है। लोगों को क‌ई बार नोटिस दिए जा चुके हैं। इसको लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। स्थायी समाधान निकालने का प्रयास होगा। विपुल चौहान सीनियर इंजीनियर,जीआर इन्फ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड
*60 से बढ़कर 66 रुपए की छात्राओं की भोजन की राशि* *500 छात्राएं पढ़ती है, पांच कस्तूरबा विद्यालयों में जिले की*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली बालिकाओं के डाइट की धनराशि शासन ने छह रुपये बढ़ा दी है। शासन ने प्रति बालिका की डाइट 60 रुपये से बढ़ाकर 66 रुपये कर दी है।0किसी कारणवश शिक्षा से वंचित छह से 14 वर्ष की ड्रॉप आउट छात्राओं को फिर से शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जिले में संचालित पांच कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में 500 छात्राएं पढ़ती हैं। छात्राओं को भोजन देने के लिए अभी तक प्रतिदिन भोजन देने के लिए 60 रुपये की दर से धनराशि आवंटित की जाती थी। इसमें अब छह रुपये की बढ़ोतरी कर 66 रुपये कर दिया गया है। विद्यालय में पढ़ने वाली बालिकाओं के डाइट चार्ट में सुबह के नाश्ते के साथ दोपहर और रात का खाना शामिल है। नाश्ते में दूध, अंडा, मौसमी फल के साथ दूसरे पौष्टिक आहार पोहा आदि को शामिल किया है। दोपहर के खाने में चावल, दाल, सब्जी, रोटी और सलाद दिया जाता है। जबकि रात के खाने में सब्जी, रोटी के साथ मीठे की भी व्यवस्था है।


फिलहाल विभाग की ओर से बढ़ाई गई डाइट की धनराशि बहुत अधिक नहीं है। बढ़ी हुई धनराशि से डाइट के खर्च में सहूलियत होगी। शासन स्तर से भोजन के बजट में वृद्धि की गई है। इससे छात्राओं को दिए जाने वाले भोजन को तैयार कराने में राहत मिलेगी। रितेश, जिला समन्वयक, सर्व शिक्षा अभियान बालिका शिक्षा
*रोडवेज बसों की कमी, निजी में डेढ़ गुना किराया देकर यात्रा के लिए मजबूर*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में भले ही परिवहन निगम ने सवारी न होने हवाला देती हो, लेकिन जिले से होकर निकलने वाली निजी बसों में भर-भर के सवारी जाती हैं। रोडवेज निगम की उदासीनता से जिले की सड़कों पर रोडवेज बसों का टोटा है। रोडवेज बसों का संचालन न होने से लोगों को मजबूरी में निजी बसों का सहारा लेना है। जहां उन्हें डेढ़ गुना अधिक किराया देना पड़ता है। जिले के प्रमुख वाराणसी-चौरी वाया जौनपुर, प्रयागराज रूट पर ही 55 निजी बसों का संचालन होता है। इस रूट पर वाराणसी से भदोही का किराया 60 रुपये तय किया गया है। वहीं सरकारी बस में वाराणसी से भदोही का किराया 40 रुपये ही। ऐसे में डेढ़ गुना अधिक रुपये देकर लोग यात्रा करने को विवश हैं। जिले में रोडवेज बस डिपो न होने से बसों का टोटा रहता है। वाराणसी-प्रयागराज हाईवे स्थित औराई रोडवेज बस स्टेशन को छोड़ दिया जाए तो भदोही और ज्ञानपुर रोडवेज स्टेशन वीरान ही रहती है। ज्ञानपुर रोडवेज बस स्टेशन पर जहां अराजकतत्वों का डेरा लगा रहता है। रोडवेज निगम चालक न मिलने और यात्री न होने का हवाला देती है, लेकिन इसके उलट जिले की सड़कों पर जमकर निजी बसें फर्राटा भर रही हैं। चौरी-वाराणसी रूट के अलावा दुर्गागंज, सुरियावां और मोढ़ जैसे रूटों पर भी निजी बसें दिख जाती हैं। अब प्रश्न यह है कि अगर सरकारी बसों को सवारी नहीं मिल रही हैं तो निजी बसें सवारियों से भर-भर कर कैसे चल रही हैं। निजी बसें जहां सवारी दिखती हैं। वहीं रूक जाती हैं, लेकिन इनका कुछ जगहों पर स्टॉपेज भी बना हुआ है। जिसमें ये चौरी बाज़ार, इंद्रा मिल चौराहा, कंधिया फाटक जैसे स्थानों पर कुछ देर रूक यात्रियों का इंतजार भी करती हैं।


ग्रामीण रूटों पर बसों के संचालन को लेकर प्रयास किया जा रहा है। इस समय कुछ बसें चल भी रही हैं। निजी बसें जगह-जगह रूककर सवारियां ले लेती हैं। वहीं रोडवेज का अपना स्टॉपेज होता है। कुछ बसें बढ़ाए जाने पर विचार चल रहा है। विजय श्रीवास्तव, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, रोडवेज परिवहन निगम।