*चौड़ीकरण में बाधा बने बिजली के खंभे, 87 करोड़ की 11 सड़क परियोजनाओं का काम होना बाकी*



रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में स्वीकृत 87 करोड़ की 11 सड़कों के चौड़ीकरण में बिजली के खंभे बाधा बन गए है। 3.75 मीटर की बजाए अब यह सड़कें 5.50 मीटर चौड़ी हो रही हैं, लेकिन किनारे स्थित बिजली के खंभे निर्माण की रफ्तार को सुस्त कर दिए हैं। खंभे हटाने के लिए निगम का भेजा प्रस्ताव अब तक स्वीकृत नहीं हो सका है। इससे दिसंबर 2025 तक इन सड़कों के पूर्ण होना मुश्किल दिख रहा है। ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों की हालत दयनीय है। जर्जर सड़कों के कारण अक्सर लोग दुर्घटना का शिकार होते हैं। मानसून में इन सड़कों पर जलभराव के चलते राहगीरों को मुसीबत झेलनी पड़ती है। जिले के कई बार गड्ढा मुक्ति को लेकर अभियान भी चले, लेकिन उसमें सिर्फ लोक निर्माण विभाग से जुड़ी सड़कें शामिल रहीं। भदोही, औराई और ज्ञानपुर विधानसभा की तमाम सड़कों की हालत खराब है। पीएमजीएसवाई में पांच से आठ साल बाद ही सड़कें स्वीकृत होती हैं। एक दशक पहले बनी सड़कें अब जर्जर हो चुकी हैं। मई-जून 2024 में केंद्रीय स्तर से 11 ग्रामीण सड़कों की दशा सुधारने के लिए 87 करोड़ स्वीकृत किया गया। इसमें पांच किमी से लेकर करीब आठ किमी लंबी सड़कें हैं। दिसंबर 2024 में इन सड़कों को बनाने का काम शुरू हो गया, लेकिन चौड़ीकरण के कारण सड़क किनारे खंभे और पेड़ निगम की चुनौती को बढ़ा दिए है। 11 सड़कों में दो को छोड़ दिया जाए तो नौ सड़क के किनारे खंभे और पेड़ की अधिकता है। इससे इन मार्ग पर मिट्टी एवं गिट्टी का कार्य भी आधा अधूरा हो सका है। 11 सड़कों का काम चल रहा है। 60 फीसदी से अधिक कार्य हो चुका है।


एफडीआर तकनीकी से बनने वाली सड़कें पांच साल की गारंटी पीरियड में होगी। खंभे और पेड़ हटाने के लिए इस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा गया है। जल्द ही स्वीकृति मिलने पर उसे हटा दिया जाएगा। उम्मीद है कि दिसंबर तक सड़कें पूर्ण हो जाएगी। प्रज्ञा परमिता एक्स‌ईएन ग्रामीण अभियंता
*कुर्सी पर एक घंटे से ज्यादा बैठकर न करें काम* *जिला अस्पताल और सौ शैय्या अस्पताल में हड्डी के मरीजों की संख्या बढ़ी*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। काम करने के तरीके में बदलाव से लोग बीमारी ग्रस्त हो जा रहे हैं। इससे ज्यादातर लोगों में कमर, गर्दन दर्द की समस्या आम हो गई है। अस्पताल में आने वाले हड्डी के 50 फीसदी मरीज दर्द से परेशान है। जिला अस्पताल और सरपतहां स्थित सौ शय्या अस्पताल में रोजाना 125 से 150 हड्डी के मरीजों की ओपीडी होती है। इसमें से 60 से 65 मरीज कमर दर्द, गर्दन दर्द के आते हैं। उनकी फिजियोथिरेपी भी होती है।‌महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय और सरपतहां का सौ शय्या अस्पताल में हड्डी के मरीजों की संख्या इजाफा हुआ है। दोनों अस्पतालों में रोजाना 200 हड्डी के मरीजों की ओपीडी होती है। इसमें से 60 से 65 मरीज कमर दर्द, गर्दन, मांसपेसियों में खिंचाव के पहुंच रहे हैं। जिन्हें डॉक्टर दवा के साथ फिजियोथेरेपी कराने की सलाह भी दे रहे हैं। फिजियोथेरीपी में 15 से 20 मरीजों की संख्या बढ़ी है। दो घंटे से अधिक एक ही स्थान पर बैठ कर काम करना कमर दर्द का सबसे बड़ा कारण है।जिला चिकित्सालय के आर्थाें के डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि कुर्सी पर बैठ कर एक घंटे से ज्यादा काम नहीं करना चाहिए। कंप्यूटर, लैपटाॅप के सामने काम करते वक्त गर्दन को सीधी नहीं रखनी चाहिए। मांसपेशियों में तनाव होना, कुर्सी पर गलत ढंग से बैठना और निष्क्रिय जीवन शैली आदि बीमारी का सबसे बड़ा कारण है।‌काम करते वक्त आराम दायक कुर्सी होनी चाहिए। फिजियोथेरेपिस्टर डॉ. जावेद अख्तर ने बताया कि फिजियोथेरेपी करवाने के लिए मरीजों की संख्या बढ़ी है। ज्यादातर कमर दर्द के मरीज आ रहे हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए योगाभ्यास बहुत जरुरी है।
*अमेरिकी टैरिफ से केवल 10 फीसदी कालीन तैयार* *सीईपीसी के आंकड़ों के अनुसार 55 से 58 फीसदी अमेरिका से व्यापार*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। अमेरिकी की ओर से भारतीय उत्पादों पर लगे 26 प्रतिशत आयात शुल्क पर अमेरिकी की ओर से दिए गए छूट की सीमा समाप्त होने वाली है। आगामी नौ जुलाई को समाप्त हो रही समय-सीमा के पहले निर्यातकों में चिंता के बादल मंडराने लगे हैं। अमेरिका टैरिफ से उत्पन्न हुई समस्या निकट भविष्य में दूर होने की संभावना नहीं नजर आ रही है। अमेरिका जाने वाले कालीन इस समय केवल 10 फीसदी कालीन उत्पादन में है। निर्यातकों का कहना है कि अगर वाणिज्य मंत्रालय की ओर से कुछ न हुआ तो आने वाले दिनों में इसका खास असर कालीन उद्योग पर पड़ने जा रहा है। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दो अप्रैल को भारतीय वस्तुओं पर 26 प्रतिशत आयात शुल्क की घोषणा की थी। इसके बाद से जिससे कालीन उद्योग में उत्पादन में भारी असर पड़ा है। भारत सरकार के अपील पर अमेरिका ने गत 10 अप्रैल 60 दिन की राहत यह कहकर प्रदान की थी कि जो माल तैयार हो, बंदरगाहों पर हो उन्हें अगले 90 दिनों में निर्यात कर तैयार माल से राहत पाया जा सकता है। ये 90 दिन आगामी 10 जुलाई को हो समाप्त हो रहे हैं। जैसे - जैसे 10 जुलाई नजदीक आ रही है। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद सीईपीसी के अनुसार अमेरिका भारत के 55 से 58 प्रतिशत कालीन उत्पादन का खरीदार है। नगर के प्रमुख कालीन निर्यातक सीईपीसी प्रशासनिक सीमित के सदस्य गुप्ता ने बताया कि वाणिज्य मंत्री अमेरिकी टैरिफ को लेकर ही अमेरिकी दौरे पर गए थे। टैरिफ समस्या से छुटकारा नहीं मिला तो भारत के लिए यह सबसे बड़ी समस्या उभर कर आएगी।‌ निर्यातक पंकज बरनवाल ने बताया कि अमेरिका भारतीय कालीनों का सबसे बड़ा खरीदार,यदि टैरिफ की समस्या से नहीं निपटा गया तो आने वाले समय में लाखों लोगों को बेरोजगार करेगा।
*जिस हाईवे की सर्विसलेन से गुजरेंगे कांवड़िए, वहां 13 जगहों पर हो गए गड्ढे* *11 जुलाई से सावन शुरू कांवड़ियों को होगी दिक्कत*



रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। वाराणसी-प्रयागराज हाईवे पर जिले की सीमा में 13 जगहों पर सर्विसलेन पर जलभराव के कारण गड्ढे हो गए हैं। करोड़ों की लागत से बनी इस सर्विसलेन पर लोगों के घरों के नाबदान का पानी भर रहा है। इस कारण बाइक और साइकिल सवार गिर घायल हो रहे है। वाराणसी-प्रयागराज हाईवे पर राजातालाब-हंडिया खंड की लंबाई 72 किमी के आसपास है। करीब 42 किमी का हिस्सा भदोही जिले से होकर गुजरता है। आवागमन के लिए सर्विसलेन का भी निर्माण कराया गया था। लेकिन हाईवे के किनारे के घरों के नाबदान का पानी सीधे सर्विसलेन पर बहाया जाता है। इस कारण सर्विसलेन खराब हो रही है। सबसे अधिक समस्या बाबूसराय के पास हाईवे की उत्तरी और दक्षिणी सर्विसलेन पर है। उसके आगे इटवा में भी कुछ जगहों पर ऐसी ही समस्या है। औराई तहसील रोड के कुछ आगे और माधोसिंह में करीब आधा किमी तक पूरी सर्विसलेन खराब हो चुकी है। कौलापुर के आगे जंगीगंज के बाद भी यही समस्या है। दोनों लेन पर 13 जगहों पर बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं। इस कारण यहां से गुजरने वाले बाइक व साइकिल चालक इन गड्ढों में गिरकर घायल हो जाते हैं। हाईवे का रखरखाव करने वाली कार्यदायी संस्था सर्विसलेन पर नाबदान का पानी बहाने वाले लोगों को नोटिस देकर अपना काम पूरा कर लेती है।


हाईवे के नाले में किसी भी घर या बाजार का नाला नहीं जोड़ा सकता है। नाबदान के पानी का खुद के नाले में निस्तारण किया जाना है। लोगों को क‌ई बार नोटिस दिए जा चुके हैं। इसको लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। स्थायी समाधान निकालने का प्रयास होगा। विपुल चौहान सीनियर इंजीनियर,जीआर इन्फ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड
*60 से बढ़कर 66 रुपए की छात्राओं की भोजन की राशि* *500 छात्राएं पढ़ती है, पांच कस्तूरबा विद्यालयों में जिले की*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली बालिकाओं के डाइट की धनराशि शासन ने छह रुपये बढ़ा दी है। शासन ने प्रति बालिका की डाइट 60 रुपये से बढ़ाकर 66 रुपये कर दी है।0किसी कारणवश शिक्षा से वंचित छह से 14 वर्ष की ड्रॉप आउट छात्राओं को फिर से शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जिले में संचालित पांच कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में 500 छात्राएं पढ़ती हैं। छात्राओं को भोजन देने के लिए अभी तक प्रतिदिन भोजन देने के लिए 60 रुपये की दर से धनराशि आवंटित की जाती थी। इसमें अब छह रुपये की बढ़ोतरी कर 66 रुपये कर दिया गया है। विद्यालय में पढ़ने वाली बालिकाओं के डाइट चार्ट में सुबह के नाश्ते के साथ दोपहर और रात का खाना शामिल है। नाश्ते में दूध, अंडा, मौसमी फल के साथ दूसरे पौष्टिक आहार पोहा आदि को शामिल किया है। दोपहर के खाने में चावल, दाल, सब्जी, रोटी और सलाद दिया जाता है। जबकि रात के खाने में सब्जी, रोटी के साथ मीठे की भी व्यवस्था है।


फिलहाल विभाग की ओर से बढ़ाई गई डाइट की धनराशि बहुत अधिक नहीं है। बढ़ी हुई धनराशि से डाइट के खर्च में सहूलियत होगी। शासन स्तर से भोजन के बजट में वृद्धि की गई है। इससे छात्राओं को दिए जाने वाले भोजन को तैयार कराने में राहत मिलेगी। रितेश, जिला समन्वयक, सर्व शिक्षा अभियान बालिका शिक्षा
*रोडवेज बसों की कमी, निजी में डेढ़ गुना किराया देकर यात्रा के लिए मजबूर*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में भले ही परिवहन निगम ने सवारी न होने हवाला देती हो, लेकिन जिले से होकर निकलने वाली निजी बसों में भर-भर के सवारी जाती हैं। रोडवेज निगम की उदासीनता से जिले की सड़कों पर रोडवेज बसों का टोटा है। रोडवेज बसों का संचालन न होने से लोगों को मजबूरी में निजी बसों का सहारा लेना है। जहां उन्हें डेढ़ गुना अधिक किराया देना पड़ता है। जिले के प्रमुख वाराणसी-चौरी वाया जौनपुर, प्रयागराज रूट पर ही 55 निजी बसों का संचालन होता है। इस रूट पर वाराणसी से भदोही का किराया 60 रुपये तय किया गया है। वहीं सरकारी बस में वाराणसी से भदोही का किराया 40 रुपये ही। ऐसे में डेढ़ गुना अधिक रुपये देकर लोग यात्रा करने को विवश हैं। जिले में रोडवेज बस डिपो न होने से बसों का टोटा रहता है। वाराणसी-प्रयागराज हाईवे स्थित औराई रोडवेज बस स्टेशन को छोड़ दिया जाए तो भदोही और ज्ञानपुर रोडवेज स्टेशन वीरान ही रहती है। ज्ञानपुर रोडवेज बस स्टेशन पर जहां अराजकतत्वों का डेरा लगा रहता है। रोडवेज निगम चालक न मिलने और यात्री न होने का हवाला देती है, लेकिन इसके उलट जिले की सड़कों पर जमकर निजी बसें फर्राटा भर रही हैं। चौरी-वाराणसी रूट के अलावा दुर्गागंज, सुरियावां और मोढ़ जैसे रूटों पर भी निजी बसें दिख जाती हैं। अब प्रश्न यह है कि अगर सरकारी बसों को सवारी नहीं मिल रही हैं तो निजी बसें सवारियों से भर-भर कर कैसे चल रही हैं। निजी बसें जहां सवारी दिखती हैं। वहीं रूक जाती हैं, लेकिन इनका कुछ जगहों पर स्टॉपेज भी बना हुआ है। जिसमें ये चौरी बाज़ार, इंद्रा मिल चौराहा, कंधिया फाटक जैसे स्थानों पर कुछ देर रूक यात्रियों का इंतजार भी करती हैं।


ग्रामीण रूटों पर बसों के संचालन को लेकर प्रयास किया जा रहा है। इस समय कुछ बसें चल भी रही हैं। निजी बसें जगह-जगह रूककर सवारियां ले लेती हैं। वहीं रोडवेज का अपना स्टॉपेज होता है। कुछ बसें बढ़ाए जाने पर विचार चल रहा है। विजय श्रीवास्तव, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, रोडवेज परिवहन निगम।
*इजरायल - ईरान युद्ध से फिलहाल रुकी मेडिकल केयर गिवर की भर्ती* *विदेश जाने में नर्सिंग अभ्यर्थियों की रुचि नहीं, दो महीने से एक भी आवेदन नहीं*






रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जापान, जर्मनी और इस्राइल जैसे देशों में ठीकठाक पैकेज मिलने के बाद नर्सिंग अभ्यर्थी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। करीब दो महीने में एक भी अभ्यर्थी जाने के लिए आवेदन नहीं किया। इस्राइल-ईरान युद्ध के मद्देनजर मेडिकल क्षेत्र के केयर गिवर आवेदन प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है। युवाओं को रोजगार देने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है। देश, प्रदेश के साथ विदेशों में भेजने के लिए व्यवस्था की जा रही है। जापान, जर्मनी और इस्राइल की मांग पर मार्च 2025 में प्रदेश सरकार ने 5000 नर्सिंग अभ्यर्थियों को चयनित करने का निर्देश दिया। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एमएसडीसी) को जिम्मेदारी सौंपी गई। इन भर्तियों के लिए सेवायोजन के संगम पोर्टल पर आवेदन लिए जा रहे थे। करीब दो महीने गुजरने पर भी एक अभ्यर्थी ने आवेदन नहीं किया। इसको लेकर ऐसा लग रहा है कि विदेशों में जाकर अच्छे पैकेज पर काम करने में मेडिकल अभ्यर्थियों में दिलचस्पी नहीं है। ईरान-इस्राइल संघर्ष के कारण फिलहाल इसे रोक दिया गया है। रोक लगने पर अब यह चयन कब तक होगा इसको लेकर अभी कुछ निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।


*2.29‌ से 1.31 लाख तक वेतन* नर्सिंग के अभ्यर्थियों को जर्मनी, जापान और इजरायल में नर्सिंग केयर गिवर और सहायक नर्स की नौकरी के लिए सरकार की तरफ से अनुबंध किया गया। अभ्यर्थियों को हर महीने अच्छा खासा वेतन मिलता। इसके अलावा पासपोर्ट एवं उम्र को लेकर भी क‌ई गाइडलाइन तय की गई थी।


संगम पोर्टल पर एक भी आवेदन नहीं आया है। युद्ध के कारण फिलहाल सभी प्रक्रिया रोक दी गई है। भविष्य में जो निर्देश आएगा उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। शिवानी, जिला सेवायोजन अधिकारी
*डीघ ब्लाॅक के 50 गांवों में नहीं है पशु अस्पताल*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही।‌‌ डीघ ब्लॉक के करीब 50 गांवों में पशु अस्पताल या पशु सेवा केंद्र नहीं हैं। इससे पशुपालकों को मवेशियों का उपचार कराने में परेशानी होती है। उन्हें 10 किमी का चक्कर लगाकर गोपीगंज या 15 किमी दूर डीघ ब्लॉक जाना पड़ता है। परेशानी के साथ-साथ अतरिक्त पैसा भी खर्च करना पड़ता है। यदि घर पर पशुपालक मवेशी का उपचार करने के लिए डॉक्टर को बुलाते हैं। तो उसका अतिरिक्त चार्ज देना पड़ता है। क्षेत्र के कुरमैचा, नवधन, बिछिया, बनकट, सीकी चौरा, विश्वनाथपुर, बरईपुर, बेलहुआ, पूरे नगरी, सोबरी, मुगरी, चौरा कला, भैरोपुर, कूबी, हरदो पट्टी आदि समेत करीब 50 गांव में पशु अस्पताल नहीं है, जबकि इन क्षेत्रों से पराग दुग्ध उत्पादक संघ वाराणसी की कई समितियां हैं। यहां से दूध संकलित करके प्रतिदिन रामनगर चंदौली स्थित पराग के फैक्ट्री में भेजा जाता है। क्षेत्र के घनश्याम बिंद, प्रमोद उपाध्याय, नन्हेलाल यादव, छोटेलाल यादव, राम विलास यादव आदि ने जिलाधिकारी से मांग की है कि नवधन, बरईपुर न्याय पंचायत में पशु अस्पताल खोला जाए। इससे पशुपालकों को मवेशी का उपचार कराने में सहूलियत मिल सके।
*आगे और बढ़ सकती है टोल कंपनी की मुश्किल, लग सकता है जुर्माना* *प्रदेश के टोल कंपनियों की जांच हो तो सरकार को मिल सकता है करोड़ों का राजस्व*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। 62.87 करोड़ की स्टांप चोरी में पकड़ी गई लालानगर टोल प्लाजा की संचालन करने वाली काशी टोलवे प्राइवेट लिमिटेड पर जुर्माना भी लग सकता है। एआईजी स्टांप पंकज सिंह के अनुसार कंपनी पर स्टांप शुल्क का एक से चार फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है। खास बात है कि लालानगर टोल प्लाजा पर पकड़ी गई स्टांप चोरी एक नजीर बन सकती है, क्योंकि प्रदेश में चलने पर 90 फीसदी से अधिक टोल 100 रुपये के स्टांप पर ही संचालित होते हैं। एआईजी स्टांप के अनुसार टोलों के अनुबंधों की जांच हो तो करोड़ों रुपये सरकार को राजस्व के रूप में मिल सकते हैं। वाराणसी-प्रयागराज हाईवे पर लालानगर टोल प्लाजा का संचालन करने वाली काशी टोलवे प्राइवेट लिमिटेड, नेताजी सुभाष प्लेस प्रीतमपुर, नई दिल्ली की कंपनी है। टोल ने 18 मार्च, 2023 को एनएचएआई को 3244 करोड़ रुपये भुगतान कर टोल को 15 साल के लिए लीज पर लिया था। प्रमुख सचिव स्टांप के निर्देशों के बाद टोल के अनुबंध की जांच हुई तो यह लीज अनुबंध यानि की पट्टा अनुबंध की श्रेणी में पाया गया। जिसके बाद रजिस्ट्री विभाग ने 62.87 करोड़ रुपये के स्टांप की चोरी पकड़ी और कलेक्टर स्टांप के तहत मुकदमा भी दर्ज कराया। टोल कंपनी का मुकदमा फिलहाल जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चलेगा। आने वाले दिनों में टोल कंपनी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि जिला मजिस्ट्रेट की अदालत से स्टांप शुल्क की चोरी के आरोपों में कंपनी पर जुर्माना भी लग सकता है। एआईजी स्टांप पंकज सिंह ने बताया कि कलेक्टर स्टांप के तहत मुकदमा दर्ज कराए जाने के बाद अब यह मामला जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चलेगा। वहां से ही टोल कंपनी रजिस्ट्री शुल्क का एक से चार फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है। बताया कि प्रदेश में चलने वाले जितने भी टोल हैं। उसमें करीब 90 फीसदी से अधिक टोल कंपनियां 100 रुपये सामान्य अनुबंध वाले स्टांप पर ही टोल का संचालन कर रही है। ऐसे में अगर सभी टोलों के अनुबंध पत्रों की जांच हो तो हजारों करोड़ रुपये सरकार को राजस्व के रूप में प्राप्त हो। विवादों में रहा है टोल, जनप्रतिनिधि भी खोल चुके हैं मोर्चा लालानगर टोल प्लाजा अक्सर विवादों में रहा है। दो टोलों के बीच की दूरी केवल 35 किमी के अंदर होने को लेकर भी समय-समय पर स्थानीय लोगों द्वारा सवाल खड़ा किया जाता है। इसके अलावा टोल कर्मियों के दुर्व्यवहार को लेकर भी अक्सर सवाल उठते रहे हैं। लालानगर से टोल को हटाने को लेकर जिले के जनप्रतिनिधि भी मोर्चा खोल चुके हैं। इसको हटाने को लेकर केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी से लेकर सीएम तक को पत्रक लिखा गया है।
*22 बाढ़ चौकियां सक्रिय, 11 कंट्रोल रूम से होगी निगरानी* *बारिश के साथ प्रशासन अलर्ट, हर चौकी पर दो - दो कर्मचारी की लगी ड्यूटी*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। बारिश शुरु होते ही प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है। डीएम के निर्देश पर सभी 22 बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है। प्रभावितों की सहायता एवं सुरक्षा के लिए 11 कंट्रोल रुम स्थापित हो गए हैं। इसमें एक कलेक्ट्रेट, तीन तहसील, छह ब्लॉक और एक सीएमओ कार्यालय में स्थापित किया गया है। बाढ़ प्रभावितों के लिए चौकियों के आसपास शरणालय स्थल भी बनाए जाएंगे। जिले में गंगा तटीय इलाका करीब 35 से 40 किमी है। इसमें से कई गांव ऐसे हैं। जहां गंभीर रूप से बाढ़ की स्थिति बनती है। खासकर डीघ ब्लॉक के कोनिया क्षेत्र के छेछुआ, भुर्रा, इटहरा और मवैया थानसिंह, हरिरामपुर गांव बाढ़ की दृष्टिकोण से अति संवेदनशील की श्रेणी में हैं। मानसूनी बारिश धीरे-धीरे शुरु हो गई है। भले ही गंगा का जलस्तर अभी सामान्य है, लेकिन प्रशासन की तरफ से बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है। बाढ़ से प्रभावित होने वाले 212 गांव में विभागीय टीमों को समय-समय पर पहुंचने का निर्देश दिया गया है। एडीएम ने बताया कि प्रभावित लोगों के लिए 22 बाढ़ राहत शिविर स्थापित होंगे। 40 छोटी नाव, 15 बड़ी नाव, 10 मझौली नाव, एक सरकारी नाव, तीन मोटर बोट और 13 गोताखोर को लगाया गया है। उन्होंने बताया कि सभी 22 बाढ़ चौकियों पर दो-दो कर्मचारियों की ड्यूटी लगी है। एक कर्मचारी चौकी पर 12 घंटे रहेगा। जिला स्तरीय बाढ़ कंट्रोल रूम कलेक्ट्रेट में स्थापित किया गया है। जिसका नंबर 05414-250223 और 05414-250308 हैं। इसके अलावा राहत एवं बचाव कार्य में मदद के लिये मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय, सभी छह ब्लॉक कार्यालय और तीनों तहसीलों में बाढ़ राहत कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है।



*यहां स्थापित की गई है बाढ़ चौकियां*

औराई ब्लॉक में डेरवां, खमरिया, द्वारिकापुर, सहसेपुर, डीघ में धनतुलसी, लखनपुर, भदरांव, कटरा, इटहरा, कलिजरा, इनारगांव, बिहरोजपुर में बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। इसी तरह सुरियावां विकास खंड के करियांव, अबरना, सांडा, रामनगर तथा भदोही में सर्रोई, मुंसीलाटपुर, तुलसीचक, मईहरदोपट्टी और ज्ञानपुर विकास खंड में रमईपुर, मतेथु, कसियापुर, श्रीकांतपुर व भगवानपुर में बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। यहां स्थापित की गई है बाढ़ चौकियां ज्ञानपुर। औराई ब्लॉक में डेरवां, खमरिया, द्वारिकापुर, सहसेपुर, डीघ में धनतुलसी, लखनपुर, भदरांव, कटरा, इटहरा, कलिजरा, इनारगांव, बिहरोजपुर में बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। इसी तरह सुरियावां विकास खंड के करियांव, अबरना, सांडा, रामनगर तथा भदोही में सर्रोई, मुंसीलाटपुर, तुलसीचक, मईहरदोपट्टी और ज्ञानपुर विकास खंड में रमईपुर, मतेथु, कसियापुर, श्रीकांतपुर व भगवानपुर में बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं।