विज्ञान और तकनीकी से देश-दुनिया का होगा विकास : चिंतामणी महराज
अम्बिकापुर- ज्ञानी की सर्वत्र पूजा होती है। विज्ञान और तकनीकी से देश-दुनिया और सभ्यता का विकास होता है, जिससे पूरी मानवता का पोषण होता है। यह बातें शुक्रवार को 20वें छत्तीसगढ़ यंग सांइटिस्ट कांग्रेस-2025 के उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य अतिथि सरगुजा सांसद चिंतामणि महराज ने कही। संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय एवं छत्तीसगढ़ कौंसिल ऑफ साईंस एंड टेक्नोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय यंग साईंटिस्ट कांग्रेस को सरगुजिहा में सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्र और कुछ अनुसूचित जातियों में ज्ञान की कमी है। विज्ञान, तकनीकी से उनके जीवन में सुधार लाना है। चिंतामणी महराज ने युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आपके अनुसंधान से ज्ञान का विकास होगा जिससे देश-दुनिया और समाज को लाभ मिलेगा। उन्होंने बलरामपुर के तातापानी, उल्टापानी आदि का सन्दर्भ देते हुए युवा वैज्ञानिकों का आह्वान किया। इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती और संत गहिरा गुरू के तैल चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ और छत्तीसगढ़ी सौन्दर्य से सजे गमछे से किया गया। अतिथियों को स्वागत करते हुए कार्यक्रम के कन्वीनर एच.एस.पी. टोंडे ने कहा कि शोध के इस समागम में नये अनुसंधान होंगे जिससे विज्ञान की बुनियाद मजबूत होती जायेगी।
कार्यक्रम के संरक्षक, संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रेम प्रकाश सिंह ने कहा कि मां महामाया की पवित्र भूमि संत गहिरा गुरू और राजमोहिनी देवी के पावन कार्यों से समृद्ध है। उन्होंने कहा कि दण्डकारण्य और कालिदास की स्मृतियां यहीं से गुजरी हैं। उन्होंने बताया कि प्रतापपुर के पास एस्ट्रो फिजीक्स सेन्टर की तैयारी है। डॉ. पीपी सिंह ने कहा कि इजरायल, इराज और अमेरिका के युद्ध में आतंकवाद के संस्मरण से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि शांति भंग की स्थिति में युद्ध का वरण धर्म बन जाता है। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को आह्वान करते एआई की अधुनातन उपयोग के लिए तैयार होना है। अब हमें विकसित भारत के लिए तैयार होना है।
ज्ञानवीर विश्वविद्यालय सागर के कुलपति प्रो. आरके त्रिवेदी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान के लिए विद्यार्थियों के लिए रीडिंग टूल्स में लैपटॉप, मोबाइल, टैब आदि उपलब्ध हैं। हमारे विद्यार्थी जीवन में सिर्फ अध्यापक ही मेरे सहयोगी होते थे। उन्होंने कहा कि विज्ञान के अनुसंधान से ही आर्थिक, सामाजिक समृद्धि आयेगी। भू विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि हमारा ज्ञात इतिहास ५००० साल का है। शब्दभेदी बाण, गाइडेड मिसाइल, भगवान गणेश आदि के उद्धरण से अवगत कराया। सुश्रुत परम्परा, केमिकल साईंस, फिं गर प्रिंटिंग, स्पेस टेक आदि के बार में बताया। उन्होंने कहा कि ज्ञान के आकाश में सम्भावनायें अपार हैं। बस छलांग लगाने की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि सांसद चिंतामणी महराज, प्रो. आरके त्रिवेदी, डॉ. एस कर्मकार, कुलपति पीपी सिंह, डॉ. शारदा प्रसाद त्रिपाठी को स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में शोध पत्रों का वाचन पॉवर प्वाईंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से हुआ।
छत्तीसगढ़ कौंसिल ऑफ साईंस एंड टेक्नोलॉजी के डायरेेक्टर जनरल के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. वसीम रजा, सह आयोजक, कन्वीनर सीजी कॉस्ट के यंग साईंटिस्ट कांग्रेस के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. जॉयस राय, कार्यक्रम के सह कन्वीनर डॉ. धीरज कुमार यादव एवं डॉ. जुनैद खान, डॉ. अर्णब बनर्जी, डॉ.जयस्तु दत्ता, श्री साई बाबा आदर्श महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव, प्रो. एसके श्रीवास्तव, डॉ. रितेश वर्मा, गुरू घासीदास विश्वविद्यालय के डॉ. आशीष बंजारा आदि उपस्थित रहे।
राज्यभिषेक नहीं, अपना घर चाहिए : कुलसचिव
संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. शारदा प्रसाद त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय और उसकी विरासत से अवगत करते हुए कहा कि 2008 में स्थापित विश्वविद्यालय बुनियादी संसाधनों के लिये जुझ रहा है। उन्होंने कहा कि 14 वर्षों का वनवास तो पूरा हो गया है, मुझे राज्यभिषेक नहीं चाहिए लेकिन अपना घर तो चाहिए। डॉ. त्रिपाठी ने उम्मीद जताते हुए कि वर्तमान सरकार से आश्वासन मिला है अब संसाधनों की कमी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि 24 नये पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। प्राचीन संस्कृति और विरासत से सम्बंधित आर्यावर्त संग्रहालय की स्थापना की तैयारी है।
अनुसंधात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देना हमारा काम : एस. कर्मकार
छत्तीसगढ़ कौंसिल ऑफ साईंस एंड टेक्नालॉजी के डायरेक्टर जनरल डॉ. एस कर्मकार ने कहा कि हमारा काम विज्ञान की शोधात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि बाल वैज्ञानिकों के लिए देश में ६४० प्रतियोगी थे जिसमें 20 श्रेष्ठ मॉडल रहे। इन 20 में छत्तीसगढ़ के चार बाल वैज्ञानिकों को अवसर मिला। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करते हुए नये अनुसंधान के लिए आह्वान किया।
Jun 28 2025, 14:50