नशीली दवाओं के कारोबार का भंडाफोड़: औषधि प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने मेडिकल स्टोर्स पर मारा छापा

रायपुर- छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में औषधि प्रशासन और पुलिस विभाग की संयुक्त कार्रवाई में नशीली और प्रतिबंधित दवाओं के अवैध कारोबार का पर्दाफाश हुआ है। जिले की देवभगत फार्मेसी (दुर्ग शहर) और सिन्हा मेडिकल स्टोर (पाटन क्षेत्र) में औषधि निरीक्षकों की टीम ने पुलिस बल के साथ दबिश दी, जिसमें बिना वैध बिल और दस्तावेजों के नारकोटिक दवाओं का बड़ा जखीरा बरामद किया गया। इस कार्रवाई के बाद दोनों मेडिकल स्टोर्स की औषधि अनुज्ञप्तियां (लाइसेंस) तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई हैं।

बता दें कि यह कार्रवाई राज्य सरकार द्वारा संचालित “अवैध औषधि नियंत्रण अभियान” के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य समाज में स्वास्थ्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना और गैरकानूनी दवा कारोबार पर सख्ती से रोक लगाना है।

सूचना के बाद प्रशासन और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने दी दबिश

गौरतलब है कि औषधि निरीक्षकों को सूचना मिली थी कि दुर्ग के कुछ मेडिकल स्टोर्स में नशीली दवाएं बिना पंजीकरण और नियमन के खुलेआम बेची जा रही हैं। इस पर औषधि प्रशासन ने स्थानीय पुलिस विभाग के साथ मिलकर देवभगत फार्मेसी और सिन्हा मेडिकल स्टोर पर छापा मारा।

जांच के दौरान इन मेडिकल स्टोर्स से शक्तिशाली दर्द निवारक और नशे के लिए प्रचलित ट्रामाडोल (Tramadol), युवा वर्ग द्वारा नशे के तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला कोडीन युक्त (Codeine-based Cough Syrups) कफ सिरप और गैरकानूनी गर्भपात में उपयोग होने वाला एमटीपी किट (Medical Termination of Pregnancy Kits) जैसी दवाएं बरामद कर जब्त की गई हैं।

कार्रवाई के बाद प्रशासन ने दोनों मेडिकल स्टोर्स की औषधि अनुज्ञप्तियाँ तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी हैं। इसके साथ ही औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत विस्तृत कानूनी कार्रवाई जारी है। सूत्रों के अनुसार इन मेडिकल स्टोर्स से जुड़े अन्य व्यापारिक या चिकित्सकीय नेटवर्क की भी जांच की जा रही है।

क्या कहता है प्रशासन ?

औषधि नियंत्रक विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि “प्रदेश में किसी भी हाल में नशीली, प्रतिबंधित या गैरकानूनी दवाओं की बिक्री को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी संस्थान नियमों को ताक पर रखकर जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करेंगे, उन पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।”

विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी दवाएं अक्सर उन क्षेत्रों में खपाई जाती हैं, जहां युवा वर्ग, नशे की लत या सस्ती दवाओं की पहुंच के प्रति संवेदनशील होते हैं। ट्रामाडोल जैसी दवाएं, जो सीमित चिकित्सकीय उपयोग के लिए अनुमोदित हैं, यदि बिना नियंत्रण के खुले बाजार में बिकें, तो यह सामाजिक स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है।

जनता से अपील

प्रशासन ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि यदि किसी भी मेडिकल स्टोर में संदिग्ध गतिविधियां या नशीली दवाओं की अवैध बिक्री होती दिखाई दे, तो तत्काल संबंधित अधिकारियों को सूचना दें।

रायपुर पुलिस का नशे के खिलाफ बड़ा अभियान, 200 से अधिक ठेलों-गुमटियों पर छापेमारी कार्रवाई

रायपुर- रायपुर में नशे के बढ़ते प्रचलन पर लगाम कसने के लिए पुलिस ने गुरुवार को एक व्यापक और संगठित अभियान चलाया। एडिशनल एसपी (क्राइम) संदीप मित्तल की अगुवाई में क्राइम ब्रांच और शहर के पुलिस बल ने एक साथ कई इलाकों में छापेमारी कर बड़ी मात्रा में गोगो पेपर, ई-सिगरेट, हुक्का फ्लेवर, चिलम और अन्य प्रतिबंधित नशीली सामग्री जब्त की। इस कार्रवाई के दौरान 200 से अधिक दुकानों और ठेलों पर दबिश दी गई और 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। नशीले सामानों को मौके पर ही नष्ट भी किया गया।

200 से अधिक ठेलों और दुकानों पर छापे

पुलिस महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. लाल उमेद सिंह के निर्देश पर चलाए गए इस अभियान में राजेंद्र नगर, तेलीबांधा, टिकरापारा, गुढ़ियारी, आजाद चौक, सरस्वती नगर, पंडरी, खमतराई सहित शहर के प्रमुख इलाकों में 200 से अधिक ठेलों, गुमटियों और दुकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। अभियान में 20 से अधिक पुलिस टीमें शामिल थीं, जिन्होंने पूरे शहर में ताबड़तोड़ कार्रवाई की।

छापेमारी के दौरान पुलिस ने नशे में इस्तेमाल किये जाने वाले हजारों प्रतिबंधित सामग्रियां जब्त की गई। इनमें 2600 नग गोगो पेपर, 400 नग रोल पेपर, 550 नग चिलम, 10 पैकेट प्रतिबंधित हुक्का फ्लेवर, 25 नग हुक्का उपकरण, 04 पैकेट प्रतिबंधित सिगरेट, 04 नग सिगार और 200 पाउच प्रतिबंधित गुटखा शामिल है। इसके साथ ही जब्त किये गए सामग्रियों को नष्ट भी किया।


11 लोगों पर FIR दर्ज

छापेमारी के दौरान नशीले सामान बेचते पाए गए 11 दुकानदारों के खिलाफ कोटपा एक्ट और अन्य धाराओं के तहत संबंधित थानों में प्रकरण दर्ज किया गया है। जिन दुकानों से यह सामग्री बरामद हुई, उन्हें तत्काल बंद कराने की कार्रवाई की गई।

गोगो पेपर डीलर के गोदाम पर छापा

अभियान के तहत शंकर नगर स्थित K.K. ट्रेडर्स नामक गोगो पेपर डीलर के गोदाम पर भी छापेमारी की गई, जहां से 6000 नग गोगो पेपर जब्त किए गए। गोदाम संचालक और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों के विरुद्ध भी वैधानिक कार्रवाई की जा रही है। इस पूरे विशेष अभियान का संचालन एएसपी क्राइम संदीप मित्तल, डीएसपी क्राइम संजय सिंह, और एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट प्रभारी निरीक्षक परेश पांडेय ने किया।

पुलिस की अपील

रायपुर पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि यदि वे नशे का अवैध कारोबार या प्रतिबंधित सामग्री की बिक्री होते देखें, तो तुरंत मोबाइल नंबर 94792-16156, 94792-11933 या 1933 पर सूचना दें। सूचना देने वाले की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी। रायपुर पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यह विशेष अभियान आगामी दिनों में और सघन रूप से चलाया जाएगा, ताकि शहर को चल रहे नशे के कारोबार को बंद किया जा सके।

कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे का अंतिम संस्कार : मारवाड़ी शमशान घाट पहुंचे भाजपा महामंत्री पवन साय और मंत्रिमंडल के सदस्य

रायपुर- छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. सुरेंद्र दुबे का कुछ ही देर में अंतिम संस्कार कार्यक्रम शुरू होगा। मरवाही शमशान घाट में नेताओं और कला क्षेत्र के प्रसिद्ध हस्तियों का पहुंचना जारी है. भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय और मंत्रिमंडल के सदस्य पहुंच चुके हैं. वहीं चर्चित कवि कुमार विश्वास, सूफी भंजन गायक पद्मश्री मदन चौहान, कवि सुदीप भोला, गायक-अभिनेता सुनील तिवारी, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह भी मौजूद हैं.


ACI अस्पताल में ली अंतिम सांस

पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे को तबीयत अचानक खराब होने पर उन्हें रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक आने से उनका निधन हो गया.

हास्य और व्यंग से मानवीय संवेदनाओं को छुआ

डॉ. सुरेंद्र दुबे ने हास्य और व्यंग्य जैसी विधाओं को सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि सामाजिक चिंतन का जरिया बनाया. मंच पर उनकी प्रस्तुति, शब्दों का चयन और आत्मविश्वास दर्शकों को प्रभावित करता था. उन्होंने अपनी कविताओं से केवल हँसाया नहीं, बल्कि सामाजिक विसंगतियों, राजनीतिक हलचलों और मानवीय संवेदनाओं को भी छुआ और लोगों को सोचने पर मजबूर भी किया.

पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे की जीवन

8 अगस्त 1953 को बेमेतरा, छत्तीसगढ़ में जन्मे डॉ. दुबे पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक थे, लेकिन पहचान उन्होंने एक साहित्यकार और हास्य कवि के रूप में बनाई. भारतीय साहित्य के साथ ही छत्तीगसढ़ी भाषा में उनकी पकड़ बेहद मजबूत थी. उन्होंने पांच किताबें लिखी हैं और कई मंचो और TV शो पर दिखाई दिए. उन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 2010 में देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

इससे पहले पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे को वर्ष 2008 में काका हाथरसी से हास्य रत्न पुरुस्कार प्राप्त हुआ था. वर्ष 2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, अट्टहास सम्मान और संयुक्त राज्य अमेरिका में लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया सम्मान प्राप्त हो चुके हैं.

विदेशों में भी मिला सम्मान

बता दें, पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने छत्तीसगढ़ की माटी से लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी कविताओं से सबका दिल जीता है. उन्हें अमेरिका (America) के वाशिंगटन (Washington) में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी एसोसीएशन द्वारा आयोजित समारोह में पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे को हास्य शिरोमणि सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया था. नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन की ओर से शिकागो में पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे को छत्तीसगढ़ रत्न सम्मान से भी सम्मानित किया गया था.

पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र की रचनाओं पर देश के 3 विश्वविद्यालयों ने पीएचडी की उपाधि भी प्रदान की है, जो उनकी साहित्यिक और अकादमिक उपलब्धियों की पुष्टि करती है.

रथयात्रा महोत्सव में शामिल हुए राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय शामिल, प्रदेशवासियों के लिए मांगा आशीर्वाद

रायपुर- राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज गायत्री नगर रायपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर में आयोजित महाप्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा महोत्सव में शामिल हुए। राज्यपाल रमेन डेका एवं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना कर ‘छेरा-पहरा‘ की रस्म निभाई। राज्य की प्रथम महिला रानी डेका काकोटी ने श्री जगन्नाथ जी की विधि-विधान से पूजा अर्चना की।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में आयोजित रथ यात्रा में शामिल हुए। रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में विशेष विधि-विधान के साथ महाप्रभु जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकाली गई। रथ यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान की प्रतिमाओं को मंदिर से रथ तक लाया गया और मार्ग को सोने की झाड़ू से स्वच्छ किया गया। इस परंपरा को छेरापहरा कहा जाता है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सभी प्रदेशवासियों को रथ यात्रा की बधाई देते हुए कहा कि यह पर्व ओडिशा के लिए जितना बड़ा उत्सव है, उतना ही बड़ा उत्सव छत्तीसगढ़ के लिए भी है। श्री साय ने कहा कि भगवान जगन्नाथ किसानों के रक्षक हैं। उन्हीं की कृपा से वर्षा होती है, धान की बालियों में दूध भरता है और किसानों के घरों में समृद्धि आती है। मैं भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूं कि इस वर्ष भी छत्तीसगढ़ में भरपूर फसल हो। उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा से मेरी विनती है कि वे हम सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें और हमें शांति, समृद्धि एवं खुशहाली की ओर अग्रसर करें।

मुख्यमंत्री ने सोने की झाड़ू से छेरापहरा की रस्म निभाई

राजधानी रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में पुरी की रथ यात्रा की तर्ज पर यह पुरानी परंपरा निभाई जाती है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छेरापहरा की रस्म पूरी करते हुए सोने की झाड़ू से मार्ग बुहारकर रथ यात्रा का शुभारंभ किया। इसके उपरांत उन्होंने भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को रथ तक ले जाकर विराजित किया।

ओडिशा की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में होती है रथ यात्रा

रथ यात्रा के लिए भारत में ओडिशा राज्य प्रसिद्ध है। ओडिशा का पड़ोसी राज्य होने के कारण छत्तीसगढ़ में भी इस उत्सव का व्यापक प्रभाव है। आज निकाली गई रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा की विशेष विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। मंदिर के पुजारी के अनुसार उत्कल संस्कृति और दक्षिण कोसल की संस्कृति के बीच यह एक अटूट साझेदारी का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान छत्तीसगढ़ का शिवरीनारायण तीर्थ है, जहां से वे जगन्नाथ पुरी में स्थापित हुए। शिवरीनारायण में ही त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के प्रेमपूर्वक अर्पित मीठे बेर ग्रहण किए थे। यहां वर्तमान में नर-नारायण का भव्य मंदिर स्थापित है।

इस अवसर पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक पुरंदर मिश्रा, धर्मलाल कौशिक सहित अन्य गणमान्य नागरिक तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

रेलवे प्रशासन की कार्रवाई, वेंडिंग स्टॉल को किया गया सील

बिलासपुर- रेल यात्रियों को पानी बोतल के लिए ओवरचार्जिंग करने वाले वेंडिंग स्टॉल पर रेलवे प्रशासन ने कड़ा एक्शन लिया. उसलापुर रेलवे स्टेशन में यात्रियों को 15 रुपए में मिलने वाली पानी बोतल 20 रुपए में बेची जा रही थी. इसकी शिकायत मिलने पर जांच की गई तो आरोप सही पाया गया गया, जिसके बाद संबंधित वेंडिंग स्टॉल को सील कर दिया गया. 

जानकारी के मुताबिक, रेलवे प्रशासन के पास उसलापुर रेलवे स्टेशन में यात्रियों से पानी बोतल के लिए ओवरचार्जिंग की शिकायत मिली थी. यहां 15 रुपए में मिलने वाली पानी की बोतल को 20 रुपए में बेचा जा रहा था. इसके बाद रेलवे की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की, जिसमें शिकायत सही पाई गई. उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन करने वाले वेंडिंग स्टॉल को रेलवे प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए सील कर दिया गया.

तेंदूपत्ता बोनस में करोड़ों का घोटाला: EOW-ACB ने 11 अधिकारी-कर्मचारियों को हिरासत में लिया

रायपुर- तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. यह गिरफ्तारी करीब 7 करोड़ रुपये के गबन से जुड़े मामले में की गई है, जिसमें संग्राहकों को दिए जाने वाले बोनस की राशि का बड़ा हिस्सा हड़प लिया गया था. EOW ने आज सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर 30 जून तक पुलिस रिमांड में ले लिया है. इस दौरान पुलिस सभी आरोपियों से मामले में पूछताछ करेगी।

पद के दुरुपयोग और षड्यंत्र का मामला

जांच में सामने आया है कि तत्कालीन वनमंडलाधिकारी अशोक कुमार पटेल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वन विभाग के अन्य अधिकारियों और प्राथमिक लघुवनोपज समितियों के प्रबंधकों व पोषक अधिकारियों के साथ मिलकर वर्ष 2021 और 2022 के तेंदूपत्ता प्रोत्साहन पारिश्रमिक में संग्राहकों को दी जाने वाली राशि का एक बड़ा हिस्सा गबन कर कुछ हिस्सा निजी लोगों के साथ बंदरबांट किया था.

EOW ने इस मामले में भादवि की धारा 409 (विश्वासघात) और 120बी (षड्यंत्र) के तहत अपराध क्रमांक 26/2025 दर्ज किया था.

गिरफ्तार किए गए आरोपी

EOW ने सबूतों के आधार पर जिन 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनमें शामिल हैं:

वन विभाग के 4 अधिकारी/कर्मी:

  1. चैतूराम बघेल (उप वनक्षेत्रपाल)
  2. देवनाथ भारद्वाज (उप वनक्षेत्रपाल)
  3. पोड़ियामी इड़िमा उर्फ हिडमा (उप वनक्षेत्रपाल)
  4. मनीष कुमार बारसे (वनरक्षक)

7 लघुवनोपज समिति के प्रबंधक/सहयोगी:

  1. पायम सत्यनारायण उर्फ शत्रु
  2. मोहम्मद शरीफ
  3. सी.एच. रमना (चिटूरी)
  4. सुनील नुप्पो
  5. रवि कुमार गुप्ता
  6. आयतू कोरसा
  7. मनोज कवासी

सभी आरोपियों के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है.

पहले ही हो चुकी है DFO की गिरफ्तारी

उल्लेखनीय है कि इस घोटाले के मुख्य आरोपी और तत्कालीन वनमंडलाधिकारी अशोक कुमार पटेल को पहले ही 17 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया जा चुका है. EOW अधिकारियों के अनुसार, प्रकरण की जांच अभी जारी है, और जल्द ही इस गबन से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी कार्रवाई की जाएगी.

दिवगंत डॉ. सुरेंद्र दुबे के घर पहुंचे CM विष्णुदेव साय, अर्पित की विनम्र श्रद्धांजलि, परिजनों को बंधाया ढांढस…

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे के निवास पर पहुंचकर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने दिवंगत कवि के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया और कहा कि इस कठिन समय में राज्य सरकार पूरी तरह उनके साथ खड़ी है।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओ. पी. चौधरी, धमतरी नगर निगम के महापौर रामू रोहरा सहित अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारीगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ सरकार का कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला, अब संगठनों को तीन साल तक शासन से पत्राचार की मिलेगी अधिमान्यता, राजपत्र में हुआ प्रकाशन

रायपुर- छत्तीसगढ़ सरकार ने शासकीय कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए एक बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य के शासकीय कर्मचारी संगठन अपने निर्धारित कार्यकाल के अनुसार सरकारी मान्यता प्राप्त कर सकेंगे। इस फैसले के तहत सरकार ने “छत्तीसगढ़ शासकीय सेवक (सेवा संघ) नियम, 2025” को अधिसूचित कर दिया है, जिससे लंबे समय से कर्मचारियों की लंबित मांग पूरी हो गई है।

यह अधिसूचना सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी की गई है, जिसे छत्तीसगढ़ राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित किया गया है। राज्य सरकार ने इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लागू किया है। अधिसूचना के अनुसार, कोई भी कर्मचारी संगठन तभी मान्यता प्राप्त होगा जब वह संबंधित शासकीय सेवकों के वर्ग का कम से कम 20% प्रतिनिधित्व करता हो।

राज्य सरकार उक्त प्रतिनिधित्व की पुष्टि के लिए संगठन से दस्तावेज मांग सकती है और उसकी जांच कर सकती है। यदि सभी शर्तें पूर्ण पाई जाती हैं, तो ऐसे संगठन को तीन वर्ष अथवा उसके वर्तमान कार्यकाल (जो भी पहले हो) तक के लिए पत्राचार की अस्थायी मान्यता प्रदान की जाएगी।


फेडरेशन ने जताया आभार

छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रदेश संयोजक कमल वर्मा ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव के प्रति इस कर्मचारी हितैषी निर्णय के लिए आभार व्यक्त किया है।

प्रदेश संयोजक कमल वर्मा, प्रदेश प्रवक्ता जी.आर. चंद्रा और चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि फेडरेशन विगत 6 वर्षों से पंजीयक, फर्म्स एवं सोसायटी द्वारा निर्धारित कार्यकाल के अनुसार कर्मचारी संगठनों को मान्यता देने की मांग कर रहा था। इस मुद्दे को लेकर फेडरेशन ने आंदोलन भी किया था।

बता दें कि कर्मचारी संगठनों के पंजीयन के दौरान पंजीयक, फर्म्स एवं सोसायटी द्वारा कार्यकाल निर्धारित किया जाता है। पूर्व में शासन द्वारा वर्ष 2015 में जारी निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक वर्ष दिसंबर तक चार बिंदुओं में जानकारी देने पर ही संगठन को मान्यता प्रदान की जाती थी। इस प्रक्रिया में अत्यधिक समय लगने के कारण कई बार संगठनों को केवल 3 से 4 माह की मान्यता ही प्राप्त हो पाती थी। जटिल प्रक्रिया के कारण कई संगठनों को वर्षों से मान्यता नहीं मिल पाई थी।

कमल वर्मा ने आगे बताया कि वर्तमान सरकार के गठन के बाद, फेडरेशन ने निहारिका समिति के समक्ष भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। समिति ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव अविनाश चंपावत एवं उप सचिव शैलभ साहू ने फेडरेशन से सतत् संपर्क में रहते हुए इस ऐतिहासिक निर्णय को अंतिम रूप तक पहुंचाया। फेडरेशन ने अधिकारियों के प्रति भी विशेष आभार व्यक्त किया है।

कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेष पांडे को मिली धमकी, कॉलर ने कहा- मंजू पांडेय को समझा देना 20 लाख दे दे, वरना बेटी को कर लूंगा अगवा

बिलासपुर- कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेष पांडे को एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन पर धमकी देते हुए 20 लाख रुपये की मांग की है। फोन करने वाले ने शैलेष पांडे से कहा कि सहकारिता की उप पंजीयक मंजू पांडेय को समझा दो रकम दे दे, नहीं तो मंजू पांडेय की बेटी को अगवा कर लेगा। साथ ही उसने अश्लील गाली-गलौज भी की। इस मामले की शिकायत शैलेष पांडे ने सकरी थाना में दर्ज कराई है। जिसके बाद पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के अनुसार, पूर्व विधायक शैलेष पांडे ने सकरी पुलिस को दिए लिखित आवेदन में बताया कि 25 जून 2025 दोपहर करीब 11:40 बजे, उन्हें उनके मोबाइल नंबर 9425564330 पर अज्ञात मोबाइल नंबर से फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को “बच्चु, बिहार से” बताते हुए कहा कि “मंजू पांडेय को समझा देना कि वह मुझे 20 लाख रुपये दे दे, वरना उसकी बेटी जो दिल्ली में पढ़ाई कर रही है, उसे मैं अगवा कर लूंगा।” इसके बाद उसने अश्लील गालियां दीं और धमकी भरे शब्दों का इस्तेमाल किया।

शैलेष पांडे की शिकायत पर आरोपी मोबाइल धारक के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 296 और 351(2) बीएनएस के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।

इस मामले को लेकर पूर्व विधायक शैलेश पांडेय ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि सहकारिता की उप पंजीयक मंजू पांडेय से रकम मांगने और उसकी बेटी को उठाने की बात आरोपी में उनसे क्यों की।

वन कर्मियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटने वाले 6 ग्रामीण गिरफ्तार, पुलिस की जांच जारी

बालोद- डौंडी परिक्षेत्र के पेवारी गांव में परकुलेसन टैंक का निरीक्षण करने गए डिप्टी रेंजर, वन पाल, दो फॉरेस्ट गार्ड पर हमला मामले में पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में पुलिस की जांच जारी है. घटना में शामिल अन्य आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी हो सकती है।

बालोद एसपी योगेश पटेल ने बताया, ग्रामीणों के हमले से डिप्टी रेंजर समेत 4 वनकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए थे. घायलों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डौंडी में इलाज कराया गया, जिसके बाद वन विभाग के आला अधिकारी थाने पहुंचे और 6 नामजद के साथ अन्य ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज कराया. मामले की गंभीरता को देखते हुए डौंडी पुलिस ने मामला दर्ज कर 6 लोगों को गिरफ्तार कर ज्यूडिशियल रिमांड पर जेल भेज दिया है. गिरफ्तार आरोपियों में सोमनाथ, बेदूराम, अर्जुन, तुलसीराम, तुलाराम और भोलाराम शामिल हैं. साथ ही अन्य लोगों की जांच के बाद गिरफ्तारी की बात कही जा रही है.

बता दें कि डौंडी परिक्षेत्र के ग्राम पेवारी में वन विभाग भू-जल स्तर बढ़ाने शासन की महत्वाकांक्षी योजना के तहत परकुलेसन टैंक का निर्माण कराया जा रहा था. जिस जगह कार्य कराया जा रहा वह जमीन वन विभाग की है, जिस पर ग्रामीणों ने कब्जा किया हुआ था. इस जमीन को कब्जा मुक्त कराकर वन विभाग काम करा रहा था.

कुछ लोगों को गांव में वन अधिकारी पट्टे का वितरण भी किया जा चुका है. इसी वजह से ग्रामीण चाहते थे कि जिस जमीन पर उन्होंने कब्जा किया है उसका पट्टा मिल जाए, लेकिन वन विभाग के काम कराने से भविष्य में उनको पट्टा नहीं मिल पाएगा. इसी डर से ग्रामीणों ने वन विभाग के सरकारी काम में बाधा डालते हुए वन कर्मियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था और बंधक भी बना लिया था.