ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से भारत पहुंचे 110 भारतीय छात्र, इजराइल के साथ जंग के बीच सरकार की बड़ी पहल

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ईरान और इजरायल के बीच में जारी जंग लगातार भीषण होती जा रही है। इजराइल जहां ईरान में राजधानी तेहरान, न्यूक्लियर साइट और सैन्य ठिकानों को टारगेट कर रहा है। वहीं ईरान भी इजरायल में सैन्य ठिकानों को तबाह करने में लगा है। जंग के बीच हजारों भारतीय ईरान और इजरायल में फंसे हुए हैं। अकेले ईरान में ही 10 हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हैं जिनमें आधे से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं। भारत सरकार ने युद्ध के बीच से भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन सिंधु लॉन्च किया है।

110 भारतीय छात्रों का पहला बैच ईरान से लौट

ऑपरेशन सिंधु के तहत 110 भारतीय छात्रों का पहला बैच ईरान से लौट आया है। 110 से छात्रों को युद्धग्रस्त ईरान से आर्मेनिया ले जाया गया था। इसके बाद उनकी फ्लाइट गुरुवार तड़के दिल्ली में उतरी। भारतीय स्टूडेंट्स को लेकर ईरान से आया विमान आज तड़के दिल्ली लैंड किया। 110 छात्रों ने मंगलवार को भारतीय दूतावास की ओर से की गई व्यवस्था के तहत ‘ऑपरेशन सिंधु’ के अंतर्गत आर्मेनिया की सीमा पार की थी।

वापस लौटे छात्रों में 54 लड़कियां भी शामिल

ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से लौटे 110 छात्रों को लेकर इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट देर रात 3 बजकर 43 मिनट पर दिल्ली लैंड हुई। इन 110 छात्रों में 94 जम्मू-कश्मीर से हैं जबकि 16 लोग अन्य 6 राज्यों से है। ईरान से लौटने वाले छात्रों में 54 लड़कियां भी शामिल हैं। सकुशल देश वापस आने के बाद इन छात्रों के चेहरे पर खुशी का साफ झलक रही थी

जंग के बीच लौट रहे छात्र

इजरायल और ईरान के बीच जारी युद्ध ने मिडिल ईस्ट में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। हालिया हमलों और जवाबी कार्रवाई से क्षेत्र में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है, जिसमें आम नागरिकों और विदेशी नागरिकों की जान खतरे में पड़ गई है। ईरान की राजधानी तेहरान समेत कई इलाकों में मिसाइल और ड्रोन हमले हो रहे हैं। इसी संघर्ष के चलते भारत सहित कई देशों ने अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान शुरू किया है।

ईरान से लौटे भारतीय छात्रों ने ईरान के हालात बयां किए। ये सभी छात्र ईरान के उर्मिया से लौटे हैं। सभी छात्र उर्मिया यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। छात्रों ने बताया कि हालत बेहद खराब है और उम्मीद जताई कि हालत ठीक होंगे और उनकी पढ़ाई फिर से जारी हो सकेगी।

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल मुनीर के साथ लंच करेंगे ट्रंप, मोदी ने ठुकराया न्योता

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आज पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से मुलाकात करने वाले हैं। व्हाइट हाउस की ओर से बुधवार के लिए जारी राष्ट्रपति ट्रंप के शेड्यूल में लिखा है कि वो कैबिनेट रूम में पाकिस्तानी जनरल के साथ लंच करेंगे।

लंच से पहले पीएम मोदी की दो टूक

अमेरिका में दोपहर के इस भोज से पहले भारत ने अमेरिका को दो टूक संदेश दिया है। पीएम मोदी ने फोन पर बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' को पाकिस्तान के अनुरोध के बाद रोका गया था। इसमें अमेरिकी मध्यस्थता या व्यापार सौदे की पेशकश जैसी कोई वजह नहीं थी। यही नहीं पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के निमंत्रण को भी ठुकरा दिया और कहा कि कनाडा से लौटते समय उनका वाशिंगटन में रुकना संभव नहीं है।

अमेरिका में भारत के खिलाफ मुनीर के जहरीले बोल

वहीं, ट्रंप के साथ लंच के एक दिन पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने वॉशिंगटन में पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदाय को संबोधित करते हुए भारत के खिलाफ फिर से जहर उगला। मुनीर ने क्षेत्रीय वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए भारत से 'सभ्य राष्ट्र की तरह' संवाद करने की अपील भी की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता से इनकार किया। आतंकियों के जनाजे पर श्रद्धांजलि देने वाले सैन्य अधिकारियों के मुखिया ने भारत पर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। भारत ने पाकिस्तान के इन आरोपों को “दृढ़ता से खारिज” कर दिया है।

आतंकवाद पर ना हो डबल स्टैंडर्ड, पीएम मोदी ने कनाडा से दुनिया को दिया बड़ा संदेश

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री

नरेंद्र मोदी ने कनाडा में जी 7 में भाग लिया। जहां उन्होंने आतंकवाद पर दुनिया को बड़ा संदेश दिया है।उन्होंने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद पर दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

पाकिस्तान पर प्रहार

पीएम मोदी ने कनाडा के कनानास्किस में जी 7 में भाग लिया। कनाडा में जी 7 की बैठक के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान पर तीखे प्रहार किए।उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को हुआ आतंकवादी हमला केवल पहलगाम पर हमला नहीं था, बल्कि प्रत्येक भारतीय की आत्मा, पहचान और सम्मान पर भी हमला था। इसके आगे उन्होंने कहा कि यह पूरी मानवता पर हमला था।

कोई भी देश आतंकवाद को पालने से पहले सौ बार सोचें-पीएम मोदी

जी 7 में पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। यह उन सभी देशों के खिलाफ है जो लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखते हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए, हमारी सोच और नीतियां स्पष्ट होनी चाहिए। ताकि कोई भी देश आतंकवाद को पालने से पहले सौ बार सोचें। उन्होंने कहा कि अगर कोई देश आतंकवाद का समर्थन करता है, तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी। उन्होंने कहा कि एक तरफ हम हर तरह के प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार रहते हैं लेकिन दूसरी ओर आतंकवाद का खुलेआम समर्थन करने वाले देशों को पुरस्कृत किया जाता है।

भारत-पाक के बीच सीजफायर में अमेरिकी ने मध्यस्थता नहीं थी', पीएम मोदी ने ट्रंप को कर दिया साफ

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कनाडा में आयोजित जी7 शिखर सम्मलेन को बीच में ही छोड़कर अमेरिका लौटे डोनाल्ड ट्रंप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बात की है। पीएम मोदी और ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत हुई। दोनों के बीच 35 मिनट तक वार्ता हुई। इस बातचीत के दौरान ट्रंप के दावे पर पीएम मोदी ने दो टूक जवाब दिया है। पीएम मोदी ने ट्रंप को बताया कि भारत ने ना कभी मध्यस्थता स्वीकार की थी, न करता है और न ही कभी करेगा। दरअसल, ट्रंप कई बार ये दावा कर चुके हैं कि उन्होंने पिछले महीने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान मध्यस्थता की थी।

ट्रंप ने यूएस आने का दिया न्योता

ट्रंप ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या वह कनाडा से लौटने पर अमेरिका आ सकते हैं? प्रधानमंत्री ने पूर्व कार्यक्रमों का हवाला देते हुए ऐसा करने में असमर्थता जताई।

‘भारत-पाक संघर्ष में किसी की भी मध्यस्थता नहीं थी’

इस दौरान आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बात हुई। इस दौरान पीएम मोदी ने साफ किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पड़ोसी मुल्क के आह्वान के बाद दोनों देशों की आपसी सहमति से ही हुआ। इसमें किसी की भी मध्यस्थता नहीं थी और न ही किसी ट्रेड डील पर बात हुई थी।

कनाडा में दोनों नेताओं में होनी थी मुलाकात

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर हुई करीब 35 मिनट तक हुई इस बातचीत के बारे में विस्तार से बताया है। मिसरी ने बताया कि G7 समिट से इतर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात होनी तय थी। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप को जल्दी वापस अमेरिका लौटना पड़ा, जिस कारण यह मुलाकात नहीं हो पाई। इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह पर आज दोनों लीडर्स की फोन पर बात हुई। उन्होंने बताया कि यह बातचीत लगभग 35 मिनट चली, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद भारत-पाकिस्तान तनाव पर विस्तार से चर्चा हुई।

G7 समिट में पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने मार्क कार्नी से की मुलाकात,जानें भारत-कनाडा संबंधों पर क्या कहा?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G7 समिट में शामिल होने लेने के लिए कनाडा के पहुंचे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने जी7 शिखर सम्मेलन के इतर कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस दौरान उन्होंने भारत कनाडा संबंधों को महत्वपूर्ण बताया। बता दें कि बीते 10 सालों में पीएम मोदी की यह पहली कनाडा यात्रा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कनाडा के कानानास्किस शहर में चल रहे 51वें जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान पीएम ने कहा कि मैं भारत को G-7 समिट में इनवाइट करने के लिए आपका (कनाडाई पीएम) बहुत आभारी हूं। मैं भाग्यशाली भी हूं कि मुझे 2015 के बाद एक बार फिर कनाडा आने और कनाडा के लोगों से जुड़ने का अवसर मिला है।

इन मुद्दों पर चर्चा

इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने भारत-कनाडा संबंधों को बेहतर बनाने, व्यापार, निवेश, स्वच्छ ऊर्जा और तकनीकी सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की। इसके अलावा वैश्विक और क्षेत्रीय विषयों पर भी विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान पीएम ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। पिछले दिनों जी-20 समिट की अध्यक्षता के रूप में भारत ने दुनिया के लिए कई इनिशेटिव लिए थे। G-7 में उस पर काम करने की दिशा में हम आगे बढ़े हैं।

कार्नी को चुनाव में शानदार जीत की दी बधाई

मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने मार्क कार्नी को चुनाव में शानदार जीत के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा है कि दोनों नेता मिलकर भारत-कनाडा संबंधों को और आगे बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा, भारत-कनाडा के बीच संबंध बहुत अहम हैं, और हमें कई क्षेत्रों में मिलकर ऐसे कदम उठाने चाहिए जिनसे दोनों देशों को लाभ हो।

भारत कनाडा संबंधों पर क्या बोले पीएम मोदी?

पीएम मोदी दोनों देशों के संबंधों को लेकर कहा कि भारत और कनाडा के संबंध काफी महत्वपूर्ण हैं. कनाडा की कई कंपनियों को भारत में निवेश है। दोनों देशों को मिलकर लोकतंत्र, मानवता को मजबूत करना होगा। आगे आने वाले समय में भारत और कनाडा एक साथ प्रगति करेंगे।

मुलाकात के बाद पीएम मोदी का पोस्ट

पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट में कहा, 'प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ शानदार बैठक हुई। जी7 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के लिए उन्हें और कनाडाई सरकार को बधाई दी।' पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत और कनाडा लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन में विश्वास रखते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि व्यापार, ऊर्जा, अंतरिक्ष, स्वच्छ ऊर्जा, खनिज, उर्वरक और दूसरे कई क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच अपार संभावनाएं हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 समिट बीच में ही छोड़ा, खुद ही बताई वजह

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जी-7 समिट को बीच में ही छोड़कर चले गए। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वह इजरायल ईरान के बीच संघर्ष विराम की बातचीत को लेकर वापस वॉशिंगटन लौट गए हैं। लेकिन उन्होंने ऐसे किसी भी कयास को अफवाह बताया है। ट्रंप ने कहा कि कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन से उनके जल्दी जाने के पीछे इजरायल और ईरान के बीच संभावित युद्ध विराम वजह नहीं है, बल्कि वास्तव में "इससे कहीं ज्यादा बड़ा" है।

मैक्रों के बयान पर भड़के अमेरिकी राष्ट्रपति

दरअसल, ट्रंप के जाने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्रंप पर तंज कसते हुए कहा था कि वे इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर पर काम करने के लिए गए हैं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि अगले कुछ घंटों में चीजें बदल जाएंगी, लेकिन "चूंकि अमेरिका ने आश्वासन दिया है कि वे युद्धविराम करेंगे और चूंकि वे इजरायल पर दबाव डाल सकते हैं, इसलिए चीजें बदल सकती हैं।" इमैनुएल मैक्रों के इसी बयान के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति भड़क गये।

इमैनुएल हमेशा गलत ही होते हैं-ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर अपनी भड़ास निकालते हुए लिखा है कि "गलत... इमैनुएल मैक्रों को कोई आइडिया नहीं है कि मैं वॉशिंगटन क्यों जा रहा हूं। लेकिन ये निश्चित तौर पर युद्धविराम से नहीं जुड़ा हुआ है। उससे भी ज्यादा कोई बड़ी बात है। चाहे जानबूझकर हो या अनजाने में, इमैनुएल हमेशा गलत ही होते हैं। बने रहिए!"

ईरान को दी चेतावनी

ट्रम्प ने ईरान के लोगों से तेहरान को खाली करने के लिए भी कहा है। ट्रंप ने कहा है कि अगर ईरान अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर सहमत होता है, तो मौजूदा संकट से बचा जा सकता था। उन्होंने कहा कि यह समझौता गतिरोध पर पहुंच गया है। ट्रंप का कहना है कि जब तक तनाव कम करने की दिशा में कदम नहीं उठाया जाता तब तक संघर्ष और ज्यादा बढ़ने का खतरा बना रहेगा।

आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा में जी7 शिखर सम्मेलन को नाटकीय ढंग से एक दिन पहले ही छोड़ दिया और वाशिंगटन वापस चले गए।

एअर इंडिया की फ्लाइट के यात्रियों को बीच रास्ते में उतारा गया, सैन फ्रांसिस्को से आ रहे विमान में तकनीकी खराबी

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अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को से मुंबई जाने वाली एयर इंडिया की एक फ्लाइट के इंजन में तकनीकी खराबी आ गई। जिसके बाद मंगलवार तड़के सुबह कोलकाता एयरपोर्ट पर यात्रियों को विमान से नीचे उतारना पड़ा। विमान के एक इंजन के खराबी की वजह से यह विमान कोलकाता से मुंबई के लिए उड़ान नहीं भर सका। कोलकाता से मुंबई के लिए एयर इंडिया दूसरी फ्लाइट का इंतेजाम करना पड़ा।

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एअर इंडिया की फ्लाइट AI180 निर्धारित समय के अनुसार सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट से रवाना हुई। हालांकि, कोलकाता एयरपोर्ट पर सुबह 12:45 बजे पहुंचने पर इसके बाएं इंजन में तकनीकी खराबी आ गई। चार घंटे से अधिक समय बाद सुबह 5:20 बजे एक बताया गया कि सभी यात्रियों को विमान से उतरना होगा। 

कोलकाता में तकनीकी जांच में खराबी का पता चला

सैन फ्रांसिस्को से शुरू हुई यह लंबी दूरी की उड़ान सुचारू रूप से कोलकाता पहुंची, जहां यह नियमित रूप से ईंधन भरवाने और तकनीकी जांच के लिए रुकती है। हालांकि, कोलकाता हवाई अड्डे पर तकनीकी टीम ने विमान के इंजन में एक गंभीर खराबी का पता लगाया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि इंजन में ओवरहीटिंग और संभावित मेकैनिकल गड़बड़ी है। इसके कारण पायलट ने उड़ान रद्द करने का फैसला लिया। सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सभी 240 यात्रियों और चालक दल के 14 सदस्यों को तुरंत विमान से सुरक्षित बाहर निकाला गया।

दिल्ली आ रहे प्लेन में आई तकनीकी खराबी

इससे पहले सोमवार को एयर इंडिया के एक और विमान में तकनीकी खराबी आ गई थी जिस वजह से जहाज को वापस लौटना पड़ा। दिल्ली के लिए एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर बोइंग विमान के उड़ान भरने के कुछ ही देर में उसमें तकनीकी समस्या आ गई जिसकी वजह उसे वापस हॉन्गकॉन्ग लौटना पड़ा। एयरलाइन की ओर से इस मामले में एक बयान जारी किया गया जिसमें उसने बताया कि फ्लाइट संख्या AI 315 ने हॉन्गकॉन्ग में सेफ लैंडिंग की, सभी यात्री सकुशल उतर गए भी। बाद में फ्लाइट का निरीक्षण किया गया।

अहमदाबाद हादसे के बाद डर का माहौल

घटना पांच दिन पहले अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाले एअर इंडिया के विमान एआई-171 के उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्रावास भवन से टकराने के बाद हुई। दुर्घटनाग्रस्त हुए एअर इंडिया के विमान में 230 यात्री, 10 केबिन क्रू सदस्य और दो पायलट सहित 242 लोग सवार थे। ब्रिटिश नागरिक विश्वास कुमार रमेश को छोड़कर सभी की मौत हो गई थी।

जी-7 में पहुंचे डोनाल्ड ट्रंप, पीएम मोदी से हो सकती है मुलाकात

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इस बार जी-7 की बैठक कनाडा में हो रही है। दुनिया की कुछ सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों के नेता कनाडा के रॉकीज में ग्रुप ऑफ सेवन शिखर सम्मेलन के लिए पहुंच रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 15 से 17 जून तक आयोजित इस शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। ट्रंप जी 7 बैठक में हिस्सा लेने कनाडा पहुंच चुके हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज कनाडा पहुंचेंगे। कनाडा में जी7 की बैठक से इतर पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात होने की संभावना है। हालांकि, किसी औपचारिक बैठक की संभावना की पुष्टि नहीं की गई है।

पीएम मोदी ने कहा- सहयोगी देशों के नेताओं से बातचीत को उत्सुक

पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा, 'शिखर सम्मेलन वैश्विक मुद्दों और ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर विचारों के आदान-प्रदान के लिए जगह देगा। मैं सहयोगी देशों के नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए भी उत्सुक हूं।' ऑपरेशन सिंदूर के सीजफायर को लेकर ट्रंप जिस तरह से लगातार बयानबाजी करते रहे हैं, उससे पीएम मोदी के साथ इस तरह की किसी भी संभावित मुलाकात की अहमियत और बढ़ गई है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है।

जी7 समिट में इस बार क्या है एजेंडा?

इस साल कनाडा जी 7 की अध्यक्षता कर रहा है। इस समिट के एजेंडे में वैश्विक शांति और सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता, विकास और डिजिटल डेवलपमेंट जैसे मुद्दे हैं। इसके अलावा जी7 के सदस्य देशों के लीडर्स और ऑफिसर्स साल में कई बैठकें करते हैं, जिनमें कई समझौते होते हैं और दुनिया की बड़ी घटनाओं पर आधिकारिक बयान जारी किए जाते हैं। शुरुआत में जी7का एजेंडा आर्थिक चुनौतियों और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों का हल निकालना था। बाद में राजनीतिक और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी इसमें शामिल हो गए। वैश्विक मुद्दों पर जी7 के फैसलों का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है।

पीएम मोदी को मिला साइप्रस का सर्वोच्च सम्मान, अब तक 20 से ज्यादा देशों में हुए सम्मानित

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया है। साइप्रस ने सोमवार को पीएम मोदी को देश के सर्वोच्च सम्मान 'ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III' से नवाजा। राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने राष्ट्रपति भवन में यह सम्मान दिया।ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय साइप्रस की ओर से प्रदान किया जाने वाला नाइटहुड सम्मान है, जिसका नाम साइप्रस के प्रथम राष्ट्रपति आर्कबिशप मकारियोस तृतीय के नाम पर रखा गया था।

भारत-साइप्रस की भरोसेमंद दोस्ती का सम्मान-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने पुरस्कार प्राप्त करने के बाद कहा कि साइप्रस के ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय’ सम्मान को प्राप्त करके मैं बहुत खुश हूं। मैं इसे हमारे देशों के बीच की मित्रता को समर्पित करता हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने 140 करोड़ भारतीयों को यह सम्मान समर्पित करते हुए कहा कि यह भारत-साइप्रस की भरोसेमंद दोस्ती का सम्मान है।

साझेदारी नई ऊंचाइयों को छुएगी-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हमारी सक्रिय साझेदारी नई ऊंचाइयों को छुएगी। हम मिलकर न केवल अपने दोनों देशों की प्रगति को मजबूत करेंगे बल्कि एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित विश्व के निर्माण में भी योगदान देंगे।

पीएम मोदी का 21वां अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार

यह 21वां अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार था, जो प्रधानमंत्री मोदी को किसी अन्य देश द्वारा दिया गया है। इससे पहले मार्च में मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'द ग्रांड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार एंड की ऑफ द इंडियन ओशन' से सम्मानित किया था। इसके बाद अप्रैल में श्रीलंका की सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी को 'श्रीलंका मित्र विभूषण सम्मान' से सम्मानित किया था। पिछले साल दिसंबर में कुवैत ने प्रधानमंत्री मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था। कुवैत के अमीर अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल सबा ने प्रधानमंत्री मोदी को 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित किया था।

केन्द्र सरकार ने जारी की जनगणना की अधिसूचना, पूरी तरह होगा डिजिटल, तैयार किए जाएंगे मोबाइल एप

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भारत सरकार ने जनगणना को लेकर औपचारिक ऐलान कर दिया है। गृह मंत्रालय ने सोमवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी, जिसके बाद अब जनगणना की तैयारियों को अंतिम रूप देने का काम शुरू हो गया है।सरकारी बयान के अनुसार, यह जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। 

16 भाषाओं में उपलब्ध होंगे मोबाइल एप

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि जनगणना 2027 में होगी और इसे 2 चरणों में कराई जाएगी। इसके लिए लोगों से हर स्तर पर जानकारी ली जाएगी। मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग करते हुए यह डिजिटल माध्यम से कराई जाएगी। इसके लिए मोबाइल एप तैयार किए जाएंगे और उसी में जनगणना से जुड़ी सभी जानकारी एकत्र की जाएगी। एप 16 भाषाओं में उपलब्ध होंगे।

पहली बार जाति गणना

गृह मंत्री शाह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था, 16वीं जनगणना में पहली बार जाति गणना शामिल होगी। 34 लाख गणक और सुपरवाइजर, 1.3 लाख जनगणना पदाधिकारी आधुनिक मोबाइल और डिजिटल उपकरणों के साथ यह कार्य करेंगे। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख और हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में 1 अक्तूबर, 2026 से और देश के बाकी हिस्से में 1 मार्च, 2027 से जातियों की गणना और जनगणना का कार्य शुरू होगा।