केन्द्र सरकार ने जारी की जनगणना की अधिसूचना, पूरी तरह होगा डिजिटल, तैयार किए जाएंगे मोबाइल एप

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भारत सरकार ने जनगणना को लेकर औपचारिक ऐलान कर दिया है। गृह मंत्रालय ने सोमवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी, जिसके बाद अब जनगणना की तैयारियों को अंतिम रूप देने का काम शुरू हो गया है।सरकारी बयान के अनुसार, यह जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। 

16 भाषाओं में उपलब्ध होंगे मोबाइल एप

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि जनगणना 2027 में होगी और इसे 2 चरणों में कराई जाएगी। इसके लिए लोगों से हर स्तर पर जानकारी ली जाएगी। मोबाइल एप्लीकेशन का उपयोग करते हुए यह डिजिटल माध्यम से कराई जाएगी। इसके लिए मोबाइल एप तैयार किए जाएंगे और उसी में जनगणना से जुड़ी सभी जानकारी एकत्र की जाएगी। एप 16 भाषाओं में उपलब्ध होंगे।

पहली बार जाति गणना

गृह मंत्री शाह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था, 16वीं जनगणना में पहली बार जाति गणना शामिल होगी। 34 लाख गणक और सुपरवाइजर, 1.3 लाख जनगणना पदाधिकारी आधुनिक मोबाइल और डिजिटल उपकरणों के साथ यह कार्य करेंगे। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख और हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में 1 अक्तूबर, 2026 से और देश के बाकी हिस्से में 1 मार्च, 2027 से जातियों की गणना और जनगणना का कार्य शुरू होगा।

पीएम मोदी के साइप्रस दौरे का दूसरा दिन, जानें भारत के लिए क्यों है अहम

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प्रधानमंत्री मोदी कनाडा में जी-7 बैठक में भाग लेने आज कनाडा पहुंचेंगे। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी दो देशों के कूटनीतिक यात्रा भी करेंगे। इनके दौरे में एक देश साइप्रस तो दूसरा क्रोएशिया है। प्रधानमंत्री मोदी कनाडा जाने से पहले साइप्रस पहुंचे। पीएम मोदी के साइप्रस दौरे का आज दूसरा दिन है। साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस राष्ट्रपति भवन में मोदी का स्वागत करेंगे। जिसके बाद वे प्रतिनिधिमंडल स्तर की चर्चा करेंगे। इसके बाद मोदी G7 समिट में हिस्सा लेने के लिए कनाडा रवाना हो जाएंगे।

व्यापार जगत के लोगों के साथ बैठक

पीएम मोदी रविवार दिन में साइप्रस की राजधानी निकोसिया पहुंचे थे। मोदी ने रविवार को साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के साथ निकोसिया में व्यापार जगत के लोगों के साथ गोलमेज बैठक में हिस्सा लिया। उन्होंने बैठक में भारत और साइप्रस के व्यापार जगत के नेताओं को संबोधित किया। व्यापार, निवेश और रक्षा जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने का आह्वान किया, जिसमें विकास की अपार संभावनाएं हैं। व्यापार जगत के नेताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों में विकास की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

भारत के लिए क्यों अहम है साइप्रस?

साइप्रस, एक छोटा यूरोपीय देश होते हुए भी पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच में स्थित होने के कारण रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील है। इसका उत्तरी हिस्सा 1974 से तुर्की के सैन्य कब्जे में है। उसे केवल तुर्की ही “Northern Cyprus Turkish Republic (NCTR)” के नाम से मान्यता देता है। दुनिया का बाकी कोई भी देश उसे वैध नहीं मानते हैं। पीएम मोदी ने जिस इलाके का दौरा किया है, वह ठीक उसी सीमा के नज़दीक है जहां से तुर्की ने कब्जा किया है। इससे साफ होता है कि यह कोई संयोग नहीं बल्कि एक साफ-साफ संदेश है।

आज से 3 देशों की यात्रा पर पीएम मोदी, पहले साइप्रस जाएंगे, ऑपरेशन सिंदूर के बाद कितना अहम है दौरा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विदेश यात्रा पर रवाना हो गए हैं। इस दौरान वो तीन देशों की यात्रा करेंगे। वे साइप्रस से इस दौरे की शुरुआत करेंगे, फिर कनाडा और क्रोएशिया जाएंगे। इस दौरान वे 27 हजार 745 किमी का सफर तय करेंगे।पीएम 15-16 जून को साइप्रस में रहेंगे। 16 और 17 जून को कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इसके बाद वे 18 जून को क्रोएशिया जाएंगे। 19 जून को भारत लौट आएंगे।

पीएम मोदी रविवार सुबह साइप्रस के लिए रवाना हुए। राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी 15-16 जून को साइप्रस की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे।मोदी साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले 1983 में इंदिरा गांधी और 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने इस देश का दौरा किया था।

साइप्रस में पीएम का शेड्यूल

मोदी राजधानी निकोसिया में राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडोलाइड्स से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा लिमासोल में व्यापारिक नेताओं को संबोधित करेंगे। साइप्रस में 2015 तक 2700 भारतीय रहते थे। एक अनुमान के मुताबिक, 10 साल में यह संख्या बढ़कर 4 हजार हो गई है।

दौरे से पहले क्या बोले पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि तीन देशों की यात्रा करना मेरे लिए सौभाग्य होगा। क्योंकि सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ जो लड़ाई भारत ने छेड़ी थी, उसमें इन देशों ने बहुत सहयोग दिया। उन्होंने कहा कि इन सहयोगी देशों का आभार जताने के लिए यह बिल्कुल सही अवसर है।

पीएम का विदेश दौरा कूटनीतिक तौर पर बेहद अहम

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम मोदी का ये विदेश दौरा कूटनीतिक तौर पर बेहद अहम माना जा रहा। उनका लक्ष्य सीमा पार आतंकवाद और आतंकी समूहों के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन बनाना है।भारत ने मई में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की थी। उस कार्रवाई में सीमा पार आतंकवाद को ही निशाना बनाया गया था।

केदारनाथ में गौरीकुंड के पास एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, पायलट समेत 7 की मौत, मृतकों में एक बच्चा भी

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केदारनाथ में एक बार फिर बड़ा हादसा हुआ है।रविवार सुबह-सुबह केदारनाथ रूट पर हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। हेलिकॉप्टर में पायलट सहित कुल 7 लोग सवार थे। इस हादसे में 7 लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है। हादसा खराब मौसम के कारण हुआ है। घटना के बाद एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच गई है।

जो हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ है वो आर्यन कंपनी का है। गौरीकुंड और त्रिजुगीनारायण के बीच यह हादसा हुआ है। घटना सुबह 5.30 बजे की बताई जा रही है। वहीं इस हादसे को लेकर उत्तराखंड एडीजी लॉ एंड ऑर्डर डॉ. वी मुरुगेशन ने जानकारी देते हुए बताया कि देहरादून से केदारनाथ जा रहा हेलिकॉप्टर गौरीकुंड में लापता हो गया।

सीएम धामी ने जताया दुख

गौरीकुंड के पास हुए इस हादसे पर सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि जनपद रुद्रप्रयाग में हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने का अत्यंत दुःखद समाचार प्राप्त हुआ है। एसडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन एवं अन्य रेस्क्यू दल राहत एवं बचाव कार्यों में जुटे हैं। बाबा केदार से सभी यात्रियों के सकुशल होने की कामना करता हूं।

इससे पहले कराई गई थी इमरजेंसी लैंडिंग

इससे पहले, सात जून को केदारघाटी के बडासू हेलिपैड से केदारनाथ के लिए टेकऑफ करते समय हेलिकॉप्टर में तकनीकी खामी आने पर पायटल ने रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर इमरजेंसी लैंडिंग करा दी। इस दौरान पायलट के पीठ में चोट आई। हेलिकॉप्टर में सवार सभी पांच यात्री सुरक्षित थे। पायलट को अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है।

आठ मई को भी हुआ था हेलिकॉप्टर क्रैश

चारधाम यात्रा के दौरान यात्री परेशानी से बचने और चढ़ाई न करने के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग करते हैं। हाल के दिनों में केदारनाथ में ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इससे पहले, उत्तरकाशी जिले में आठ मई की सुबह एक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। इस हादसे में पायलट समेत छह लोगों के मौत हो गई थी। जबकि एक घायल को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया था। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस-प्रशासन के साथ ही आपदा प्रबंधन की टीम मौके पर पहुंची।

शुभांशु शुक्ला के मिशन स्पेस की नई डेट आई सामने, जानें Axiom-4 कब हो रही लॉन्च

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एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्चिंग पर ताजा अपडेट आया है। मिशन को लगातार टाले जाने के बाद अब आखिरकार इसरो ने लॉन्चिंग की तारीख का ऐलान कर दिया है। इसरो ने बताया है कि 19 जून को एक्सिओम-4 मिशन को लॉन्च किया जाएगा।यह मिशन भारत के लिए गर्व का क्षण होगा, क्योंकि वे राकेश शर्मा के बाद दूसरे भारतीय होंगे, जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर कदम रखेंगे। इससे पहले शुभांशु शुक्ला का एक्सिओम-4 मिशन कई बार टल चुका है।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने "एक्स" पर एक पोस्ट के जरिए जानकारी देते हुए बताया कि "भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ले जाने वाले एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्च तारीख अब 19 जून 2025 के लिए फिर से निर्धारित की गई है। साथ ही स्पेस एक्स टीम ने पुष्टि की है कि लॉन्च को पहले स्थगित करने वाले सभी मुद्दों पर पूरी तरह से काम किया गया है।" सिंह ने कहा कि आगे का कोई भी अपडेट समय के अनुसार साझा किया जाएगा।

मिशन में देरी की क्या है वजह

वहीं, इस स्पेस मिशन में क्यों हो रही देरी, इसरो और नासा ने इसकी कई वजहें बताई हैं। सिर्फ खराब मौसम और लिक्विड ऑक्सीजन सिलेंडर में लीकेज ही कारण नहीं हैं। एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्चिंग में देरी की एक और बड़ी वजह सामने आई है।नासा की टीम ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के ज्वेज्दा सर्विस मॉड्यूल में हवा के रिसाव को बढ़ता हुआ पाया है। इसरो के विशेषज्ञों ने भी इस बात को माना है। उनका कहना है कि मई 2025 से हो रही देरी का यह भी एक कारण है। इसरो और नासा की टीमों ने कहा कि जब तक चीजें ठीक नहीं हो जातीं, तब तक मिशन को रोकने का फैसला लिया गया है।

कई बार टली लॉन्चिंग

इस मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को 29 मई को उड़ान भरनी थी। जिसे बाद में 8 जून, 10 जून और 11 जून को टाल दिया गया था। 11 जून के बाद फिर परेशानी सामने आई और लॉन्चिंग को टाल दिया गया। हालांकि, अब 19 जून को लॉन्चिंग की जाएगी।

इजरायल ने भारत का गलत नक्शा किया पोस्ट, लगी लताड़ तो मांगी माफी

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भारत कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जिसके कुछ हिस्सों पर पाकिस्तान और चीन ने दशकों से अवैध रूप से कब्ज़ा कर रखा है, वो देश का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेंगे। इस बीच इजरायल रक्षा बल ने शुक्रवार को भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का गलत नक्शा पोस्ट कर दिया था। इस नक्शे में जम्मू और कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। हालांकि, गलती का एहसास होने पर आईडीएफ ने माफी मांगी। इस नक्शे पर जब विरोध जताया गया तो इजरायली सेना को मांफी मांगनी पड़ी।

इजरायली रक्षा बलों ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक नक्शा शेयर किया। इसके जरिए तेल अवीव की ओर से ईरान को वैश्विक खतरा बताया गया, इसी में भारत का नक्शे का गलत चित्रण किया गया। इजरायल सेना ने पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और भारत (गलत नक्शे के साथ) सहित एशिया के अधिकांश हिस्सों की सीमाओं को दिखाते हुए कहा था कि ईरान एक वैश्विक खतरा है। इजरायल अंतिम लक्ष्य नहीं है, यह सिर्फ शुरुआत है। हमारे पास कार्रवाई करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।

सोशल मीडिया पर भड़के भारतीय यूजर्स

इस नक्शे में जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा और अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा दिखाया गया। साथ-साथ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को नेपाल से जोड़ा गया। कई भारतीय अकाउंट्स से मामले को लेकर काफी नाराजगी जताई गई। उन्होंने इस गलती को इजराइल के सामने रखा और उन्हें गलती का एहसास कराते हुए इजराइली सेना से पोस्ट को वापस लेने की बात कही। कुछ ने तो इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को भी टैग किया।

इजराइली बल ने मांगी माफी

जिसके बाद इजराइल रक्षा बलों ने कहा कि यह पोस्ट क्षेत्र का चित्रण है। यह नक्शा सीमाओं को सटीक रूप से चित्रित करने में विफल रहा है। हम किसी भी तरह की गलती और अपराध के लिए क्षमा चाहते हैं। यह माफी मूल पोस्ट के लगभग 90 मिनट बाद आई।

भारत सरकार ने अब तक नहीं दी प्रतिक्रिया

भारत ने हमेशा से यह स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जिसके कुछ हिस्सों पर पाकिस्तान और चीन ने दशकों से अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, देश का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा। मई में पहलगाम हमले और फिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद पीएम मोदी ने भी यही बात दोहराई थी

मिडिल ईस्ट में बढ़ा तनाव, अब ईरान ने इजरायल पर 150 मिसाइल से किया हमला

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मिडिल ईस्ट इस वक्त गंभीर उथल-पुथल से गुजर रहा है। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ती जंग की स्थिति ने पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बना दिया है। दोनों देश अब युद्ध के कगार पर हैं। पहले इजराइल ने हमला कर जंग की शुरुआत की तो ईरान ने भी जवाबी हमले किए। शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर ताबड़तोड़ हमले किए थे। इसके जवाब में ईरान ने शनिवार सुबह इजरायल पर मिसाइल हमले किए, जिसमें विशेष रूप से इजरायल के उत्तरी क्षेत्र को निशाना बनाया गया।

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ईरान ने इजराइल की मदद करने वाले देशों के चेताया

इजराइल ने शुक्रवार को ईरानी परमाणु ठिकानों पर जोरदार हमला करके जंग की शुरुआत की। इस हमले में 70 से ज्यादा लोगों की मौत और 350 से ज्यादा घायल हुए। जवाब में ईरान ने भी 150 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से 6 सीधे तेल अवीव के दिल में आ गिरीं। ईरान के हमले को देखते हुए इजरायल के उत्तरी क्षेत्र में सायरन बजने लगे हैं और वहां की सरकार ने लोगों से बंकरों में शरण लेने का आग्रह किया है। वहीं ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर कोई देश इजराइल की मदद करेगा, तो उसके क्षेत्रीय सैन्य अड्डे भी निशाने पर होंगे, जो सीधे अमेरिका को धमकी मानी जा रही है।

ईरानी रॉकेट से एक की मौत, 20 से ज्यादा घायल

ईरान के रॉकेट हमले ने तेल अवीव के दक्षिण में रिशोन लेज़ियोन के रिहायशी इलाके को निशाना बनाया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इजरायल की आपातकालीन सेवाओं ने बताया कि मलबे में कई लोग फँसे थे, और बचाव कार्य जारी है। मौके पर भारी संख्या में पैरामेडिक्स तैनात हैं।

इजराइल ने भी की जवाबी कार्रवाई

इजरायली सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की और दावा किया कि उसने ईरान के दो प्रमुख एयरबेस पर हमला कर दिया है। इस हमले से पहले इजरायल ने ईरान के सैन्य कमांडरों और न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दुनिया के सामने यह कहते हुए अपना स्टैंड रखा कि यह सिर्फ इजराइल की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि ईरानी जनता की आज़ादी के लिए भी है। उन्होंने ईरानी लोगों से अपील की कि वे अब इस्लामिक शासन के खिलाफ आवाज उठाएं।

देश में कोरोना संक्रमण के सक्रिय मामले सात हजार के पार, एक हफ्ते में 30 लोगों की जान गई

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देश में कोरोना वायरस का संक्रण तेजी से फैल रहा है। कोरोना के एक्टिव केसों में लगातार इजाफा हो रहा है। इसके अलावा मौतों का आंकड़ा भी हर रोज बढ़ता जा रहा है। देश में एक्टिव केसों की संख्या 7154 पहुंच गई है। एक हफ्ते से औसतन हर दिन 400 नए केस सामने आए। केरल में सबसे अधिक कोरोना के एक्टिव केस और मौतें सामने आई हैं। वहीं, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा ऐसे राज्य है, जहां एक भी कोरोना के एक्टिव केस नहीं हैं।

केरल और गुजरात में तेजी से फैल रहा संक्रमण

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार देश भर में कोरोना के एक्टिव मामलों का आंकड़ा 7154 है। हालांकि 10,976 लोगों की रिकवरी भी हुई है। एक हफ्ते से औसतन हर दिन 400 नए केस सामने आए। हालांकि, बुधवार को केवल 33 केस दर्ज हुए हैं। केरल में सबसे ज्यादा 2165 मामले हैं। गुजरात की बात करें तो केरल के बाद यह दूसरे नंबर पर है, जहां कोरोना के एक्टिव मामले सबसे अधिक हैं। इस राज्य में कोरोना के एक्टिव केस 1358 हैं।

बाकी राज्यों का हाल

बाकी के राज्यों की बात की जाए, तो दिल्ली में अब तक कुल एक्टिव केस 714 है। वहीं 1748 एक्टिव केस की रिकवरी की जा चुकी है। पश्चिम बंगाल में एक्टिव केसों की संख्या 747 है। उत्तर प्रदेश में अब तक 251 एक्टिव मामले सामने आए हैं। वहीं महाराष्ट्र में 629 और कर्नाटक में 395 कोरोना के एक्टिव मामले सामने चुके हैं।

अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में कोई केस नहीं

भारत में अभी भी ऐसे दो राज्य है, जहां कोरोना के एक भी एक्टिव केस नहीं हैं। हालांकि इन राज्यों में कोरोना पहले ही दस्तक दे चुका है। अरुणाचल प्रदेश में अब तक कुल 3 एक्टिव मामले सामने आए थे लेकिन उनकी रिकवरी की जा चुकी है। इसी तरह त्रिपुरा में केवल एक एक्टिव केस था। उसको भी रिकवरी हो चुकी है। इस तरह इन दोनों राज्यों में आज के समय कोरोना के एक भी एक्टिव केस नहीं हैं।

एक हफ्ते में 30 लोगों की गई जान

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, बीते एक हफ्ते में 30 लोगों की जान जा चुकी है। सिर्फ बुधवार को ही कोरोना के कारण 3 लोगों ने दम तोड़ा। नए वैरिएंट से अब तक 77 मौतें हुई हैं। बुधवार को 3 लोगों ने जान गंवाई। महाराष्ट्र में 2, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 1-1 मरीज की मौत हुई है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 21 मौतें हुई हैं।

न्यूक्लियर डील करो वरना और होगी तबाही', ईरान को ट्रंप की धमकी

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इजराइल ने ईरान पर बड़ा हमला किया। इजरायल के हमलों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी ईरान को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि 'कुछ भी न बचे' उससे पहले ईरान जल्द से जल्द परमाणु समझौते के लिए तैयार हो जाए। 

आने वाले समय में और भी बहुत कुछ होगा-ट्रंप

ट्रंप ने एक पोस्ट में कहा, मैंने ईरान को सौदा करने के लिए कई मौके दिए। मैंने ईरान से सख्त शब्दों में कहा, बस करो लेकिन चाहे उन्होंने कितनी भी कोशिश की हो, चाहे वो कितने भी करीब क्यों न पहुंचे हों, वो इसे पूरा नहीं कर पाए। मैंने ये भी कहा कि अमेरिका दुनिया में अब तक के सबसे बेहतरीन और सबसे घातक सैन्य उपकरण बनाता है और इजराइल के पास इसका बहुत ज्यादा भंडार है। आने वाले समय में और भी बहुत कुछ होगा।

एक समझौता करना चाहिए, इससे पहले कि कुछ भी ना बचे-ट्रंप

ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, पहले से ही बहुत सारी मौतें और विनाश हो चुके हैं, लेकिन इस नरसंहार को समाप्त करने के लिए अभी भी समय है, अगले पहले से ही योजनाबद्ध हमले और भी क्रूर हैं। उन्होंने कहा, ईरान को एक समझौता करना चाहिए, इससे पहले कि कुछ भी न बचे, और जिसे कभी ईरानी साम्राज्य के रूप में जाना जाता था उसे बचाना चाहिए।

उन्हें पता नहीं था कि क्या होने वाला है-ट्रंप

ट्रंप ने आगे कहा, कुछ ईरानी कट्टरपंथियों ने बहादुरी से बात की, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि क्या होने वाला था। वे सभी अब मर चुके हैं, और यह और भी बदतर हो जाएगा! पहले से ही बहुत ज़्यादा मौतें और विनाश हो चुका है, लेकिन इस नरसंहार को समाप्त करने के लिए अभी भी समय है, अगले पहले से ही योजनाबद्ध हमलों के साथ और भी ज़्यादा क्रूर। अब और मौत नहीं, और विनाश नहीं, बस करो, इससे पहले कि यह हो जाए बहुत देर हो चुकी है। भगवान आप सबका भला करे!

स्वदेशी 'रुद्रास्त्र' ड्रोन का सफल परीक्षण, सेना की बढ़ेगी ताकत

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भारतीय सेना की निगरानी शक्ति और सटीकता के साथ वार करने की सक्षमता में जबरदस्त इजाफा होने वाला है। भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित हाइब्रिड वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग (वीटीओएल) ड्रोन "रुद्रास्त्र" का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण राजस्थान के पोखरण फायरिंग रेंज में किया गया। पूरा परीक्षण एसडीएएल लिमिटेड (SDAL Limited) की तरफ से किया गया है। यह ड्रोन 170 किमी से अधिक की रेंज और अचूक निशाना लगाने की क्षमता रखता है। यह भारतीय सेना की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाएगा और दुर्गम इलाकों में भी ऑपरेशन संभव बनाएगा।

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लगभग डेढ़ घंटे तक हवा में बने रहने की क्षमता

परीक्षण के दौरान 'रुद्रास्त्र' ड्रोन ने कुल 170 किलोमीटर की दूरी तय की। इसमें लक्ष्य क्षेत्र के ऊपर मंडराना और लगभग डेढ़ घंटे तक हवा में बने रहना शामिल है। ड्रोन से गिराया गया गोला जमीन के ठीक ऊपर हवा में फटा। यह सतह से बेहद कम ऊंचाई पर फटा और सेना की जरूरत के अनुसार एक बड़े इलाके में तय किए गए लक्ष्यों को नष्ट करने में सफल रहा।

क्या है रुद्रास्त्र?

रुद्रास्त्र एक हाइब्रिड वीटीओएल यानी वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग करने वाला ड्रोन है। यानी यह किसी भी मैदान से सीधा ऊपर उड़ान भर सकता है और बिना रनवे के आसानी से उतर सकता है। ये ड्रोन दुश्मन की तोपों और अन्य फायरिंग पोजीशन को निशाना बना सकते हैं। ये दुश्मन के इलाके में काफी अंदर तक जाकर हमला करने में सक्षम हैं। इस ड्रोन में कई आधुनिक तकनीकें शामिल हैं।

देश की निगरानी होगी मजबूत

रुद्रास्त्र यूएवी ड्रोन के सेना में शामिल होने के बाद ऐसे इलाके जहां सेना की तैनाती मुश्किल होती है। वहां इन ड्रोन को तैनात किया जा सकता है। इससे देश की निगरानी मजबूत होगी, जिससे कोई भी दुश्मन देश में घुसने की कोशिश नहीं करेगा। वहीं दूसरी तरफ इस ड्रोन की मदद से खुफिया जानकारी हासिल करना आसान हो जाएगा। यह मिशन पूरा कर सुरक्षित लॉन्च पॉइंट पर वापस लौट आया। यही इसकी सबसे बड़ी खासियत मानी जा रही है।

आतंकी ठिकानों और घुसपैठ की कोशिश रोकने में होगा इस्तेमाल

भारतीय सेना आधुनिक युद्ध की चुनौतियों से निपटने के लिए स्वदेश में निर्मित हथियारों पर ज्यादा फोकस कर रही है। मानव रहित सिस्टम पर खास ध्यान दिया जा रहा है। आक्रामक हथियारों के मामले में सेना ऐसे स्वदेशी ड्रोन पर ध्यान दे रही है, जो दुश्मन के इलाके में 50 से 100 किलोमीटर तक अंदर जाकर सटीक हमला कर सके। इनका इस्तेमाल आतंकवादी ठिकानों और घुसपैठ की कोशिशों को रोकने के लिए भी किया जाएगा। इसके जरिए दुश्मन की उन पोजीशन को भी टारगेट किया जाएगा जहां से आतंकियों की घुसपैठ करवाने के लिए कवर फायर दी जाती है।