चिल्फी घाटी में 2 किमी का लगा जाम : दो सड़क दुर्घटनाओं के बाद वाहनों की लंबी कतार, यात्रियों की बढ़ी परेशानी

कवर्धा- चिल्फी घाटी में फिर से जाम लगा है. शुक्रवार को दो सड़क हादसों के बाद पिछले 10-12 घंटे से भीषण जाम की स्थिति बन गई है. लगभग 2 किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतार लग गई है. छोटे वाहनों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मौके पर पहुंची चिल्फी पुलिस लगातार स्थिति को नियंत्रित करने में जुटी हुई है. 

जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को घाटी के नागबोरी मोड़ पर एक ट्रेलर और कंटेनर की टक्कर हो गई, जिसके कुछ ही देर बाद घाटी में ही एक ट्रक ने ट्रेलर को पीछे से टक्कर मार दी. दोनों घटनाओं के बाद से एनएच-30 पर दोनों ओर बस, ट्रक और यात्री वाहनों की लगभग दो किलोमीटर लंबी कतार लग गई है. जाम के चलते यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.  

बता दें कि चिल्फी घाटी के नागबोरी मोड़ में आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है, जिससे लोगों को अक्सर परेशानी उठानी पड़ती है. रायपुर से जबलपुर जाने के लिए नेशनल हाईवे 30 ही एकमात्र मार्ग है, जिस पर रोज़ाना हजारों वाहन गुजरते हैं. भारी यातायात के चलते इस रास्ते पर जाम की समस्या आम हो गई है.

निलंबित IAS रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया जेल से रिहा, छत्तीसगढ़ से रहेंगे बाहर

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित डीएमएफ और कोयला घोटाले में फंसे 6 आरोपियों को आज बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट से सशर्त अंतरिम जमानत मिलने के बाद सौम्या चौरसिया, निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर बिश्नोई को रायपुर केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया है. करीब दो साल बाद सभी आरोपी जेल से बाहर आए हैं. कोर्ट ने शर्त लगाई है कि सभी रिहा आरोपी अब छत्तीसगढ़ से बाहर रहेंगे.

जानिए कोयला घोटाला मामला

ED का आरोप है कि कोयले के परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने समेत कई तरीकों से करीब 570 करोड़ रुपए से अधिक का कोयला घोटाला किया गया है. इस मामले में 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन करने का आदेश खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को जारी किया था. सिंडिकेट बनाकर अवैध वसूली की जाती थी. पूरे मामले का मास्टरमाइंड कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया. जो व्यापारी 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा करता था उसे ही खनिज विभाग पीट पास और परिवहन पास जारी करता था. इस तरह से स्कैम कर कुल 570 करोड़ रुपए की वसूली की गई. ईडी की रेड में पहले आईएएस समीर बिश्नोई फिर कोल कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को गिरफ्तार किया गया था.

ये हैं कोयला घोटाले के आरोपी

निलंबित IAS रानू साहू और समीर बिश्नोई, पूर्व मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, संदीप नायक लक्ष्मीकांत, शिव शंकर नाग, मोइनुद्दीन कुरैशी, रोशन सिंह, निखिल चंद्राकर, परेश कुर्रे, राहुल कुमार, वीरेंद्र जायसवाल, हेमंत जायसवाल और चंद्र प्रकाश जायसवाल जेल में बंद हैं।

क्या है DMF घोटाला

ED की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है. इस केस में यह तथ्य निकलकर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है. टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया. ED के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर के साथ मिलकर करोड़ों रुपए कमाए गए.

25 से 40 प्रतिशत का कमीशन

ED की जांच से पता चला कि ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं को भारी मात्रा में कमीशन का भुगतान किया है, जो कांट्रैक्ट का 25% से 40% तक था. रिश्वत के लिए दी गई रकम की एंट्री विक्रेताओं ने आवासीय (अकोमोडेशन) के रूप में की थी. एंट्री करने वाले और उनके संरक्षकों की तलाशी में कई आपत्तिजनक विवरण, कई फर्जी स्वामित्व इकाई और भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ है. तलाशी अभियान के दौरान 76.50 लाख कैश बरामद किया गया. वहीं 8 बैंक खाते सीज किए. इनमें 35 लाख रुपए हैं. इसके अलावा फर्जी डमी फर्मों से संबंधित विभिन्न स्टाम्प, अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए हैं.

ED और ACB-EOW दोनों कर रही मामले की जांच

बता दें कि DMF वित्त पोषित एक ट्रस्ट है, जिसे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में खनन से संबंधित परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए काम करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है. DMF (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन) घोटाला मामले में ED (प्रवर्तन निदेशालय) और छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो दोनों जांच कर रही है. दोनों की जांच में यह सामने आया है कि जिला खनिज निधि में भ्रष्टाचार हुआ है. आरोप है कि राज्य सरकार के अधिकारियों और राज नेताओं की मिलीभगत से DMF ठेकेदार द्वारा सरकारी खजाने से रकम निकाली गई.

ईडी की जांच में क्या मिला? 

अधिकारियों के मुताबिक, ईडी की जांच से पता चला है कि राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में रानू साहू के रायगढ़ और कोरबा जिलों में कलेक्टर रहने के दौरान डीएमएफ में कथित अनियमितताएं की गई थी और उन्हें कथित तौर पर डीएमएफ के तहत काम आवंटित किए गए ठेकेदारों से भारी रिश्वत मिली थी. जब रानू साहू कोयला समृद्ध क्षेत्रों में कलेक्टर थीं, तब वारियर संबंधित विभाग में तैनात थीं और उन्होंने डीएमएफ में अनियमितताओं को बढ़ावा दिया. ईडी ने दावा किया था कि छत्तीसगढ़ में डीएमएफ से जुड़े खनन ठेकेदारों ने आधिकारिक कार्य निविदाएं प्राप्त करने के बदले राज्य के अधिकारियों और राजनीतिक लोगों को भारी मात्रा में अवैध रिश्वत दी, जो अनुबंध मूल्य का 25-40 प्रतिशत है. ईओडब्ल्यू ने ईडी से मिली जानकारी के आधार पर पिछले साल जनवरी में कथित डीएमएफ घोटाले के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की थी. 

कल जेल से बाहर आएंगे सौम्या, रानू समेत 6 आरोपी, लेकिन छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित डीएमएफ और कोयला घोटाले के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. आरोपी सौम्या चौरसिया, निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर बिश्नोई समेत 6 आरोपियों की 31 मई को जमानत होगी. करीब दो साल बाद सभी आरोपी जेल से बाहर आएंगे पर छत्तीसगढ़ से बाहर रहना पड़ेगा. 

बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने बताया, सुप्रीम कोर्ट ने 8 लोगों की बेल ग्रांट की है, जिसमें 06 लोगों की जमानत हो चुकी है. सूर्यकांत तिवारी और निखिल चंद्राकर की सुनवाई बाकी है. बाकीं 6 लोगों की रिहाई का आदेश जारी हो चुका है. समीर बिश्नोई, रानू साहू, सौम्या चौरसिया, शशिकांत तिवारी, नायक और जयसवाल की रिहाई शनिवार को जेल प्रशासन करेगा.

भारत निर्वाचन आयोग की 21 नई पहल: 100 दिनों में निर्वाचन प्रबंधन और मतदाता सुविधा में ऐतिहासिक सुधार

रायपुर- भारत निर्वाचन आयोग ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के कार्यभार संभालने के पहले 100 दिनों में निर्वाचन प्रबंधन को और अधिक पारदर्शी, कुशल और मतदाता अनुकूल बनाने के उद्देश्य से 21 नई पहलों की शुरुआत की है। 19 फरवरी 2025 से 29 मई 2025 के दौरान लागू इन सुधारों ने देशभर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और सशक्त किया है।

इन सुधारों के माध्यम से निर्वाचन प्रक्रिया में तकनीकी सुधार, प्रशिक्षण कार्यक्रम, कानूनी ढांचे को मजबूती और हितधारकों के साथ समन्वय को प्राथमिकता दी गई है। इन सुधारों की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

1. मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या: प्रति मतदान केंद्र अधिकतम 1,200 मतदाता सुनिश्चित कर भीड़ प्रबंधन और सुविधाजनक मतदान का प्रावधान।

2. अतिरिक्त मतदान बूथ: ऊँची इमारतों और कॉलोनियों में नए मतदान बूथ की स्थापना, जिससे शहरी क्षेत्रों में सुगम मतदान अनुभव।

3. निर्वाचक नामावली का अद्यतनीकरण: मृत्यु पंजीकरण डेटा को सीधे रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) के डेटाबेस से लिंक कर सत्यापन उपरांत नामावली को अद्यतन करने की प्रक्रिया।

4. मतदाता सूचना पर्ची: मतदाता के क्रमांक और भाग संख्या को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा ताकि मतदाताओं को आसान जानकारी मिले।

5. मोबाइल जमा सुविधा: मतदान केंद्रों के ठीक बाहर मोबाइल जमा करने की सुविधा, जिससे मतदान केंद्र के भीतर निष्पक्षता और गोपनीयता सुनिश्चित हो।

6. सर्वदलीय बैठकें: पूरे देश में CEO, DEO और ERO स्तर पर 4,719 बैठकें आयोजित, जिनमें 28,000 से अधिक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

7. ECI की बैठकें: राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों (AAP, BJP, BSP, CPI(M), NPP) के प्रमुखों के साथ सीधे संवाद और चर्चा।

8. क्षमता निर्माण: बिहार, तमिलनाडु और पुडुचेरी में IIIDEM द्वारा बूथ लेवल एजेंटों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम।

9. प्रचार दूरी नियम में बदलाव: राजनीतिक दल अब मतदान केंद्र से 100 मीटर की दूरी पर बूथ स्थापित कर सकेंगे (पहले 200 मीटर की बाध्यता थी)।

10. ECINET डैशबोर्ड: हितधारकों के लिए सभी सेवाओं को एकीकृत करने हेतु नया प्लेटफार्म, जो 40 से अधिक ऐप्स/वेबसाइट्स को समाहित करेगा।

11. यूनिक EPIC नंबर: डुप्लिकेट EPIC नंबर की समस्या के समाधान के लिए नया तंत्र विकसित किया गया है।

12. हितधारक पहचान: निर्वाचक नामावली और चुनाव प्रक्रिया में शामिल 28 प्रमुख हितधारकों की पहचान और प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, 1951, नियम 1960 और ECI के निर्देशों के अनुरूप कार्य।

13. प्रशिक्षण सामग्री: अधिनियमों, नियमों और निर्वाचन आयोग के निर्देशों के आधार पर हितधारकों के लिए प्रशिक्षण प्रस्तुतियों का विकास।

14. कानूनी ढांचे को मजबूत करना: निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर तालमेल और कानूनी सहायता को सशक्त बनाना।

15. BLO पहचान पत्र: बूथ लेवल अधिकारियों को मानक फोटो पहचान पत्र प्रदान कर उनकी पहचान और कार्य प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाना।

16. IIIDEM, नई दिल्ली में क्षमता निर्माण: 3,500 से अधिक बूथ लेवल सुपरवाइजर्स का प्रशिक्षण; आगामी 45 दिनों में 20 बैचों में लगभग 6,000 BLOs/सुपरवाइजर्स को प्रशिक्षण; अगले कुछ वर्षों में 1 लाख+ BLO सुपरवाइजर्स को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य।

17. मीडिया प्रशिक्षण: सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के CEO कार्यालयों के मीडिया अधिकारियों के लिए विशेष ओरिएंटेशन कार्यक्रम।

18. पुलिस प्रशिक्षण: बिहार के पुलिस अधिकारियों के लिए IIIDEM में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर चुनाव प्रक्रिया को सुचारु बनाने में सहयोग।

19. बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली: निर्वाचन कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली लागू।

20. ई-ऑफिस रोलआउट: निर्वाचन प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण और कार्यप्रणाली को और अधिक सहज और प्रभावी बनाने हेतु ई-ऑफिस की शुरुआत।

21. नियमित ECI-CEO बैठकें: सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ नियमित बैठकें आयोजित कर समन्वय, पारदर्शिता और कुशल प्रबंधन को और अधिक सशक्त किया गया।

ये सभी 21 पहलें मतदाता सुविधा, पारदर्शिता और निर्वाचन प्रक्रिया की दक्षता को निरंतर मजबूत करने के लिए आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

जनसुविधाओं का ध्यान, समस्याओं का तत्परता से समाधान और गुणवत्तापूर्ण सेवा से ही सुशासन: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि सुशासन तिहार का उद्देश्य सरकार द्वारा बीते डेढ़ वर्ष में किए गए कार्यों की जमीन हकीकत का मूल्यांकन और जनता जनार्दन से संवादकर फीडबैक प्राप्त करना है। राज्य शासन का लक्ष्य जनसेवा है और इसके लिए प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारी को सजगता और संवेदनशीलता से काम करने की जरूरत है। जनसुविधाओं का ध्यान, समस्याओं का तत्परता से समाधान और गुणवत्तापूर्ण सेवा से ही सुशासन है। मुख्यमंत्री श्री साय ने यह बातें कोंडागांव कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान कहीं।

मुख्यमंत्री ने बस्तर क्षेत्र में वनोपज आधारित रोजगार पर जोर देते हुए कहा कि इमली एवं रेशम कोकून जैसे उत्पादों पर विशेष रणनीति बनाकर वैल्यू एडिशन करें, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अधिकाधिक अवसर प्राप्त हों। उन्होंने रेशम, मधुमक्खी पालन, लाख उत्पादन जैसे उत्पादों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। स्थानीय स्तर पर निर्मित वस्तुओं के प्रचार-प्रसार एवं विपणन के माध्यम से व्यवसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने जनसामान्य से उज्ज्वला योजना के अंतर्गत बड़ी संख्या में प्राप्त आवेदनों के मद्देनजर अधिकारियों को रिफिलिंग प्रतिशत बढ़ाने एवं गैस सब्सिडी के प्रचार-प्रसार हेतु विशेष प्रयास करने के निर्देश दिए। राजस्व प्रकरणों, विशेषकर सीमांकन से संबंधित मामलों को 15 जून के पूर्व निराकृत करने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर संभाग में मक्का प्रमुख फसल है, इसे उन्न्त तकनीक से जोड़कर उत्पादकता में वृद्धि की जाए। उन्होंने कहा कि जैविक सुगंधित धान की खेती को बढ़ावा देने हेतु कलेक्टर व्यक्तिगत रुचि लेकर कार्य करें तथा सर्टिफिकेशन, मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग के लिए भी विशेष प्रयास करें।

प्रमुख सचिव सुबोध सिंह ने त्रुटि सुधार कार्यों, विशेषकर नाम वर्तनी संबंधी त्रुटियों को शीघ्र सुधारने के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत कोंडागांव जिले में अप्रारंभ आवासों की संख्या अधिक होने पर इसका त्वरित निराकरण तथा राजमिस्त्री की कमी को देखते हुए स्थानीय युवाओं को इसका प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने बीजापुर में आत्मसमर्पित माओवादियों को राजमिस्त्री प्रशिक्षण दिए जाने की सराहना करते हुए इसे अन्य जिलों को भी अपनाने का सुझाव दिया।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए गए कि फॉरेस्ट क्लियरेंस, रिटेंडर प्रक्रिया, मुआवजा प्रकरणों का शीघ्र निराकरण किया जाए, जिससे निर्माण कार्यों में तेजी लाई जा सके।

बैठक में बस्तर सांसद महेश कश्यप, केशकाल विधायक नीलकंठ टेकाम, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव डॉ. बसवराजू एस., कमिश्नर डोमन सिंह, आई.जी. सुंदरराज पी., तीनों जिलों के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, सीईओ जिला पंचायत, वनमंडलाधिकारी सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ में फिर मिले कोरोना के नए मरीज, एक नर्स समेत दो संक्रमित, कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं

रायपुर- छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण में एक बार फिर से बढ़ोतरी हुई है। राजधानी रायपुर में तीन दिन बाद दो नए कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान हुई है। इसके साथ ही रायपुर में एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 4 हो गई है, जबकि पूरे प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या अब 5 हो चुकी है।

जानकारी के अनुसार, आज जिन दो लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, उनमें एक पुरुष (74 वर्ष) और एक महिला (42 वर्ष) शामिल हैं। पुरुष संक्रमित टाटीबंद क्षेत्र का रहने वाला है, जबकि महिला प्रेम नगर, मोवा इलाके की निवासी है। हैरानी की बात यह है कि दोनों ही मरीज़ों की कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है। इससे संक्रमण के स्थानीय स्तर पर फैलने की आशंका भी जताई जा रही है।

आज जो दो कोरोना मरीज पाए गए हैं। इनमें से एक मरीज़ की पहचान एम्स रायपुर की कोरोना ओपीडी में हुई, जबकि दूसरी संक्रमित महिला राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल हॉस्पिटल (मेकाहारा) की नर्स है।


संक्रमण से बचने बरते सावधानी

लोगों से आग्रह है कि वे सावधानी बरतें, भीड़-भाड़ वाले इलाके में मास्क का उपयोग करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। साथ ही कोरोना के शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत परीक्षण कराएं और आवश्यक हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।

हिंदी पत्रकारिता में चुनौतियां और संभावनाएं: शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन

जगदलपुर- हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा बस्तर में हिंदी पत्रकारिता चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर बस्तर के विभिन्न मीडिया संस्थानों के संपादक, रिपोर्टर, कैमरामैन, इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया से जुड़े मीडियाकर्मी, शिक्षाविद एवं पत्रकारिता के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.

हिंदी पत्रकारिता दिवस का महत्व

गौरतलब है कि हिंदी पत्रकारिता दिवस हर वर्ष 30 मई को मनाया जाता है। यह दिन भारत में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत की स्मृति में मनाया जाता है। सन् 1826 में इसी दिन उदन्त मार्तण्ड नामक पहले हिंदी समाचार पत्र का प्रकाशन कलकत्ता से शुरू हुआ था। इस ऐतिहासिक पहल के साथ हिंदी पत्रकारिता का उद्भव हुआ, जिसने आगे चलकर भारतीय समाज में सामाजिक चेतना, स्वतंत्रता संग्राम और लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज का दिन हिंदी पत्रकारिता के मूल्यों, संघर्षों और उसकी सामाजिक भूमिका को पुनः स्मरण करने का अवसर है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि बस्तर जैसे जनजातीय और भौगोलिक दृष्टि से जटिल क्षेत्र में पत्रकारिता करना अत्यंत साहसिक कार्य है। यहां के पत्रकार जिन विषम परिस्थितियों में काम करते हैं, वह उनके समर्पण और सेवा भावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पत्रकार बहुआयामी व्यक्तित्व होता है, जो समाज की नब्ज पहचानकर उसे शब्द देता है, परिवर्तन की आवाज बनता है और नागरिकों को जागरूक करने में अहम भूमिका निभाता है.

मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित वरिष्ठ संपादक दिलशाद नियाजी ने कहा कि पत्रकारिता एक मिशन है, न कि केवल एक पेशा। बस्तर जैसे संवेदनशील और दूरस्थ क्षेत्रों में पत्रकारों को कई सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। उन्होंने कहा कि एक पत्रकार को केवल समाचार संकलन नहीं, बल्कि प्रकाशन, वितरण, और जनविश्वास को बनाए रखने की भी जिम्मेदारी निभानी होती है.

बस्तर जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार मनीष गुप्ता ने कहा कि हमें सुंदर बस्तर के निर्माण के लिए सचेत, शोधपरक और संवेदनशील पत्रकारिता को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने जोर दिया कि पत्रकार को अपने पूरे करियर में अध्ययनशील बने रहना चाहिए, क्योंकि बिना ज्ञान के पत्रकार किसी विषय पर न्याय नहीं कर सकता। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रबंधन से आग्रह किया कि पत्रकारिता में पीजी कोर्स और शोध पीठ की स्थापना की जाए, ताकि क्षेत्रीय और ग्रामीण पत्रकारों को भी अकादमिक रूप से प्रशिक्षित किया जा सके.

वरिष्ठ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार नरेश मिश्रा ने कहा कि पत्रकारों को चुनौतियों से डरने की बजाय उन्हें स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि निराश न हों, बल्कि अवसर मिलने पर कुछ नया और बेहतर करने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता पर सवाल उठाना लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन मीडिया को लेकर नकारात्मक धारणाएं बनाना अनुचित है.

कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रज्ञा गुप्ता और आशुतोष तिवारी ने किया। कुलसचिव डॉ. राजेश लालवानी ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के प्रयासों की जानकारी दी। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. संजय डोंगरे, जनसंपर्क अधिकारी डॉ. विनोद कुमार सोनी, सत्यवान साहू, इंदु बेक, विमलेश साहू समेत विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। यह संगोष्ठी न केवल पत्रकारिता के छात्रों के लिए ज्ञानवर्धक रही, बल्कि बस्तर क्षेत्र में हिंदी पत्रकारिता की चुनौतियों और संभावनाओं को गहराई से समझने का अवसर भी प्रदान कर गई.

स्कूल फीस के नाम पर अभिभावकों से लाखों रुपये की ठगी, फरार आरोपी लेखापाल गिरफ्तार

बिलासपुर- स्कूल फीस के नाम पर लाखों रुपये की ठगी करने वाले लेखापाल को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी ने सेंट जेवियर हाई स्कूल में पढ़ने वाले 27 छात्रों के अभिभावकों से करीब 8 लाख रुपये अपने निजी खाते में ट्रांसफर करवा लिया था और फिर फरार हो गया था। स्कूल प्रबंधन की शिकायत पर पुलिस ने धारा 408,420 भा. द.वि.66(घ) आई. टी.एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए आरोपी को पकड़ा। यह मामला कोटा थाना क्षेत्र का है।

जानकारी के अनुसार, कोटा के रानीसागर स्थित सेंट जेवियर हाइ स्कूल के प्राचार्य ने थाने में शिकायत किया, कि पूर्व में स्कूल में पदस्थ लेखापाल जाशिल एस.एम. जेहान निवासी मध्य नगरी चौक बिलासपुर के द्वारा स्कूल में पढ़ने वाले 27 विद्यार्थी के अभिभावकों से स्कूल फीस के नाम पर ठगी की गई है, आरोपी अपने खाते में करीब 8 लाख 2 हजार रु स्कूल फीस के नाम पर ली, लेकिन रकम स्कूल में जमा नहीं की और पैसे लेकर फरार हो गया है।

मामले की रिपोर्ट पर कोटा पुलिस ने आरोपी जाशिल एस.एम. जेहान को कोटा पुलिस ने उसके घर मध्य नगरी चौक से गिरफ्तार किया है और उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

विश्व तंबाकू निषेध दिवस कल : तंबाकू सेवन के आंकड़े चिंताजनक, लोगों को जागरूक करने प्रदेशभर में होंगे कई कार्यक्रम

रायपुर- विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर 31 मई को छत्तीसगढ़ में तंबाकू सेवन की सामाजिक, आर्थिक एवं स्वास्थ्यगत हानियों के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस वर्ष की थीम “अपील का पर्दाफाश: तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीति को बेनकाब करना” रखी गई है, जो युवाओं को निशाना बनाकर किए जा रहे भ्रामक विज्ञापनों व प्रचार-प्रसार की नीतियों को उजागर करने पर केंद्रित है।

आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष तंबाकू सेवन के कारण लगभग 13.5 लाख लोगों की असमय मृत्यु होती है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS) के अनुसार छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या में से 39.1 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं, जबकि 21.9 प्रतिशत लोग कार्यस्थलों पर भी इसका उपयोग करते पाए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे तंबाकू उत्पादों की आसान उपलब्धता और लुभावने प्रचार जिम्मेदार हैं।

राज्य सरकार की सक्रिय तंबाकू नियंत्रण नीति

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003 के तहत तंबाकू नियंत्रण के लिए जिला स्तर पर निरंतर अभियान चलाए जा रहे हैं। विद्यालयों, महाविद्यालयों और सार्वजनिक स्थलों को तंबाकू मुक्त बनाए जाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य के 19000 से अधिक शैक्षणिक संस्थान तंबाकू मुक्त घोषित किए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक जिले की 5 ग्राम पंचायतों को धूम्रपान मुक्त घोषित करने की पहल शुरू की गई है। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर रोक लगाने सतत कार्रवाई की जा रही है। वर्ष 2024-25 में COTPA के उल्लंघन पर 10221 व्यक्तियों पर कार्रवाई करते हुए ₹12,98,010 का जुर्माना वसूला गया है। साथ ही सभी जिला अस्पतालों में तंबाकू परामर्श केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जो प्रभावित व्यक्तियों को परामर्श और चिकित्सकीय सहायता प्रदान कर रहे हैं।

शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थानों को 100 % तंबाकू मुक्त बनाएंगे : मंत्री

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा है कि सभी शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य संस्थानों को 100 प्रतिशत तंबाकू मुक्त घोषित करने की योजना पर काम किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में डिजिटल निगरानी प्रणाली का उपयोग कर पारदर्शिता एवं कार्यक्षमता बढ़ाई जाएगी। उन्होंने समाज के सभी वर्गों, विभागों और शैक्षणिक संस्थानों से इस अभियान में सक्रिय सहभागिता की अपील की है। उन्होंने कहा कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों से यह स्पष्ट है कि राज्य प्रशासन तंबाकू नियंत्रण को लेकर गंभीर है और जनस्वास्थ्य की रक्षा के लिए निरंतर प्रयासरत है। युवाओं और समाज के सभी वर्गों को इस अभियान में सम्मिलित होकर एक स्वस्थ और तंबाकू मुक्त समाज के निर्माण में सहयोग देना चाहिए।

तंबाकू का धुआं आसपास के लोगों को भी करता है प्रभावित

स्वास्थ्य सेवाएं की आयुक्त सह संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि तंबाकू का धुआं केवल उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि आसपास के लोगों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करता है। सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान निषेध के नियमों को और अधिक सख्ती से लागू किया जाएगा। भविष्य में प्रवर्तन कार्रवाइयों को और कठोर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।

रायपुर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव : सीएम साय को कुलपति ने दिया न्योता

रायपुर- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, छत्तीसगढ़ शासन और प्रकृति की ओर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में 6, 7 एवं 8 जून को कृषि महाविद्यालय परिसर रायपुर में ‘‘फलों के राजा’’ आम के राष्ट्रीय महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इस महोत्सव में आम की 200 से अधिक किस्मों एवं आम से बने 56 व्यंजनों का प्रदर्शन किया जाएगा. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने आज उनके निवास कार्यालय में भेंट कर राष्ट्रीय आम महोत्सव के शुभारंभ समारोह में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया. मुख्यमंत्री साय ने आम महोत्सव में शामिल होने के लिए सहर्ष मंजूरी दी.

डॉ. चंदेल ने मुख्यमंत्री साय को कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कार्यरत 27 कृषि विज्ञान केन्द्रों में कार्यरत वैज्ञानिकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन एवं पेंशन में आ रही समस्याओं के संबंध में भी अवगत कराया. साथ ही इन समस्याओं के निराकरण के लिए राज्य शासन की ओर से वित्तीय मदद दिए जाने का अनुरोध किया. उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित महाविद्यालयों से सेवानिवृत्त होने वाले प्राध्यापकों एवं अन्य कमर्चारियों को पेंशन देने के लिए भी राज्य सरकार की ओर से वित्तीय सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया. मुख्यमंत्री साय ने डॉ. चंदेल को इन समस्याओं के निराकरण के लिए सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया.

राष्ट्रीय आम महोत्सव में आम की विभिन्न किस्मों की प्रतियोगिता आयोजित की जा एगी, जिसमें छत्तीसगढ़ एवं देश के विभिन्न राज्यों के आम उत्पादक शामिल होंगे. इस अवसर पर आम से बने विभिन्न व्यंजनों की प्रतियोगिता भी आयोजित है. आम की सजावट प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है, जिसमें विद्यालयीन एवं महाविद्यालयीन विद्यार्थी, महिलाएं तथा अन्य सामान्यजन भी पंजीयन कर भागीदारी कर सकते हैं. इस महोत्सव में पंजीयन एवं प्रवेश पूर्णतया निःशुल्क है. राष्ट्रीय आम महोत्सव में संस्थागत एवं व्यक्तिगत प्रतियोगी भी सहभागी हो सकते हैं.

आयोजन के प्रथम दिवस 6 जून को सुबह 9 बजे से 12 बजे तक प्रविष्टियों का पंजीयन किया जाएगा. इसके बाद सामान्यजनों के लिए प्रदर्शनी अवलोकनार्थ तीनों दिन रात 9 बजे तक खुली रहेगी. प्रदर्शनी में आम की विभिन्न किस्मों के फल, आम के विभिन्न उत्पाद एवं आम के पौधे भी विक्रय के लिए उपलब्ध रहेंगे. द्वितीय दिवस 7 जून को आम उगाने वाले कृषकों एवं जिज्ञासुओं के लिए 12 बजे से 4 बजे तक तकनीकी मार्गदर्शन एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया है, जिसमें छत्तीसगढ़ में उच्च गुणवत्ता के आम की विभिन्न किस्मों का उत्पादन, आम के विभिन्न उत्पाद एवं उनके विपणन के साथ ही आम उत्पादन हेतु छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओं की भी जानकारी प्रदान की जाएगी. तृतीय दिवस 8 जून को आम उत्पादक कृषकों एवं उद्यामियों की सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी 12 से 4 बजे तक आयोजित होगा.

राष्ट्रीय आम महोत्सव के अंतिम दिन प्रदर्शनी के अवलोकन के साथ ही प्रतिभागियों के लिए पुरस्कार वितरण एवं सम्मान समारोह का आयोजन भी किया जायेगा. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय फल ‘‘आम’’ जो कि आम जनता का प्रिय फल है उसकी समस्त सामान्य एवं खास किस्मों, विशिष्ट उत्पादों एवं भविष्य में अधिक उत्पादन के लिए रोजगार के साधनों की जानकारी नागरिकों, महिलाओं, विद्यार्थियों, नव उद्यमियों एवं कृषकों को प्रदान करना है. राष्ट्रीय आम महोत्सव के अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रतिभागी न्यूनतम 5 से 10 आम प्रति किस्म के साथ भाग ले सकते हैं. आम से बने विभिन्न व्यंजनों की प्रतियोगिता में न्यूनतम 250 ग्राम आम के उत्पाद के साथ पंजीयन कर इस प्रतियोगिता में शामिल हो सकते हैं.