हाईकोर्ट से बड़ी राहत : प्रधानपाठक के निलंबन पर लगी रोक, जांच समिति के फैसले को दी थी चुनौती

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पंडो जनजाति के प्रधानपाठक मानसिंह पंडो के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है. दरअसल, मानसिंह पंडो के जाति प्रमाण पत्र की वैधता को लेकर सवाल उठे थे. उनके खिलाफ शिकायत थी कि उन्होंने अनुसूचित जनजाति के विशेषाधिकार का अनुचित लाभ उठाया है. मामले में जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र परीक्षण समिति ने जांच के बाद उनके जाति प्रमाण पत्र को अमान्य घोषित कर दिया था. 

कार्रवाई से नाराज मानसिंह पंडो ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने प्राथमिक सुनवाई के बाद राज्य सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांगा है. कोर्ट ने अगली सुनवाई तक निलंबन पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है.


गौरतलब है कि मानसिंह पंडो के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया था. अब कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अगली सुनवाई तक उनके निलंबन पर रोक लगा दी गई है.

बिलासपुर में चोर गिरोह का आतंक, 3 सूने मकानों में बोला धावा, इधर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के नाम पर 6 लाख की ठगी

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर से अपराध की दो बड़ी वारदातें सामने आई हैं. पहली घटना में एक दंपति पैसों को दोगुना करने का लालच देकर युवक से 6 लाख रुपए की ठगी कर ली. वहीं दूसरी ओर शहर में गाउन गैंग का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस गिरोह ने रेलवे कर्मचारियों के तीन सूने मकानों को निशाना बनाते हुए लाखों रुपए के जेवरात, नकदी पर हाथ साफ किया और फरार हो गए.

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के नाम पर 6 लाख की ठगी 

कम समय में ज्यादा पैसे कमाने और उसे दोगुना करने का लालच देकर स्कैमर्स लगातार लोगों से पैसे ऐंठ रहे हैं. मामला सकरी थाना क्षेत्र का है, जहां पति-पत्नी और उनके साथ ने मिलकर युवक प्रमोद को क्रिप्टोकंपनी में निवेशक कर दोगुना प्रॉफिट होने का झांसा दिया. आरोपी नरोत्तम खुद को क्रिप्टोकंपनी का सीईओ और अपनी पत्नी पूजा को मार्केटिंग मैनेजर बताता था. झांसे में लेकर युवक प्रमोद जायसवाल से 5 लाख रुपए नकद और 1 लाख रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कराए गए.

युवक ने जब पैसे की मांग की तो आरोपियों ने कंपनी को घाटा होने और पैसे डूबने की बात कहकर मना कर दिया. जिसके बाद पीड़ित युवक प्रमोद ने पुलिस थाना में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 34 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. 

चोर गैंग का आतंक

न्यायधानी में कुछ दिनों पहले गाउन पहना हुआ चोर गैंग सक्रिय है. जयरामनगर के एक ज्वेलरी शॉप में चोरी की घटना हुई थी, जिसमें चोरों ने इसी तरह गाउन और मुखौटा पहनकर चोरी को अंजाम दिया गया था. सीसीटीवी फुटेज में चोरों की करतूत कैद हुई थी.

तोरवा क्षेत्र के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी जूनियर एचआईजी- 46 निवासी के. निखिलेश कुमार रेलवे में ऑपरेटिंग विभाग सीटीसी के पद पर कार्यरत है, बीते 22 मई को वे अपने परिवार के साथ आंध्र प्रदेश गए थे. लौटने पर उनके मकान का कुंदा टूटा हुआ था. अज्ञात चोरों ने घर में रखे सोने का हार, दो कंगन, सोने की चूड़ी, दो अंगूठी, सोने की चैन, लॉकेट, मंगलसूत्र और 20 हजार नकद पार कर दिया.

इसी तरह हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में ही रहने वाले एस के भट्टाचार्य के मकान का ताला तोड़कर चोरों ने अलमारी में रखे सोने चांदी के जेवर और 25000 रुपए नगद चोरी कर ली. वहीं कॉलोनी में रहने वाले माइकल मिंज के मकान में भी चोरों ने धावा बोला और सूने मकान का ताला तोड़कर चांदी का गिलास लेकर भाग गए.


बता दें कि इससे पहले भी जयरामनगर के एक ज्वेलरी शॉप में चोरी की घटना हुई थी, जिसमें चोरों ने इसी तरह गाउन और मुखौटा पहनकर चोरी को अंजाम दिया गया था. इस मामले में भी सीसीटीवी फुटेज में चोरों की करतूत कैद हुई थी. मामले में पुलिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच कर रही है.

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय और रायपुर प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में मार्गदर्शन शिविर का आयोजन

रायपुर- कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय तथा रायपुर प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में पत्रकारिता, जनसंचार, विज्ञापन और जनसंपर्क जैसे महत्वपूर्ण विषयों में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों एवं जनसामान्य के लिए एक दिवसीय "मार्गदर्शन (काउंसलिंग) शिविर" का आयोजन किया जा रहा है।

इस शिविर का उद्देश्य छत्तीसगढ़ में मीडिया एवं जनसंचार विषयों के प्रति जनजागृति बढ़ाना, जनसंचार के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसरों की जानकारी देना एवं विद्यार्थियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन प्रदान करना है।

शिविर के संयोजक डॉ राजेंद्र मोहंती ने बताया कि "छत्तीसगढ़ में जनसंचार शिक्षा के प्रति जागरूकता को लेकर मार्गदर्शन के माध्यम से यह पहल किया जा रहा है जिसका उद्देश्य संचार जगत के गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के बारे में लोगों को जानकारी प्रदान करना है।"

रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने बताया कि "संचार के क्षेत्र में आज अपार संभावनाएं है और जनसामान्य में इस विधा को लेकर जानकारी उतनी नहीं है जिससे लोग जागरूक हो सके और अपने भविष्य के लिए इस क्षेत्र को विकल्प के रूप में शामिल कर सके इसीलिए इस शिविर का आयोजन किया जा रहा है।"

कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय एवं प्रेस क्लब रायपुर ने इस आयोजन में सभी संबंधितों से सक्रिय सहभागिता की अपेक्षा की है, जिससे यह शिविर अधिकतम प्रतिभागियों तक पहुंचकर उन्हें मार्गदर्शन प्रदान कर सके।

शिविर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, मीडिया क्षेत्र में रोजगार और करियर के अवसर, प्रमुख विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में उपलब्ध पाठ्यक्रमों की जानकारी दी जाएगी। साथ ही इस शिविर के माध्यम से प्रतिभागियों को प्रेस क्लब रायपुर से प्रत्यक्ष संवाद का भी अवसर मिलेगा। इस मार्गदर्शन शिविर में संचार जगत में रुचि रखने वाले विद्यार्थी, उनके अभिभावक एवं मीडिया विशेषज्ञ शामिल हो सकते है।

दुर्ग के कौड़ीकसा में आर्सेनिक पानी से फैल रही बीमारी पर हाई कोर्ट लिया संज्ञान, किया कोर्ट कमिश्नर नियुक्त…

बिलासपुर- हाई कोर्ट की वेकेशन बेंच ने दुर्ग जिले के कौड़ीकसा गांव में आर्सेनिक पानी के इस्तेमाल से फैल रही बीमारियों पर संज्ञान लिया है. कोर्ट ने सुनवाई के बाद कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर जांच करने और वास्तविक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए.

सुनवाई के दौरान लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव ने शपथपत्र प्रस्तुत कर बताया कि गांव में लगभग 20 साल पहले ही फिल्टर प्लांट लगा दिया गया था, जिससे लोगों को साफ पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. वर्तमान में इस क्षेत्र के दिए जा रहे पानी में आर्सेनिक की समस्या नहीं है. बीमारी के जो भी मामले हैं, वे पुराने हो सकते हैं. इस पर कोर्ट ने वकील विक्रम शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर गांव जाने और वहां स्थिति की पड़ताल के बाद रिपोर्ट देने के निर्देश दिए.

उल्लेखनीय है कि दुर्ग संभाग मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर अंबागढ़ चौकी के पास कौड़ीकसा नामक गांव में आर्सेनिक युक्त जहरीले पानी से बीमारी फैलने पर कोर्ट ने संज्ञान लिया. इस गांव की जनसंख्या लगभग 2500 है, जिसमें किसी के घर में चर्म रोग है तो किसी के घर में अन्य रोगों से लोग पीड़ित होने की जानकारी सामने आई है.

साय मंत्रिपरिषद की बैठक 4 जून को…

रायपुर- साय मंत्रिपरिषद की बैठक 4 जून को दोपहर 12 बजे से मंत्रालय में होगी. साय मंत्रिपरिषद की इस 29वीं बैठक का एजेंडा फिलहाल सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि मानसून के आगमन के साथ खेती-किसानी की समस्याओं पर चर्चा करते हुए निर्णय लिए जाएंगे.

मुख्यमंत्री ने 'सावरकर सौरभ' स्मारिका का किया विमोचन

रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने निवास कार्यालय में स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर आधारित स्मारिका 'सावरकर सौरभ' का विमोचन किया। स्मारिका 'सावरकर सौरभ' का प्रकाशन अखिल भारतीय साहित्य परिषद, छत्तीसगढ़ द्वारा सावरकर जयंती के अवसर पर किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने 'सावरकर सौरभ' स्मारिका के प्रकाशन पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद, छत्तीसगढ़ के सदस्यों को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि वीर सावरकर हमारे देश के सच्चे सपूत थे। उन्होंने मातृभूमि की सेवा में असंख्य कष्ट सहते हुए स्वतंत्रता की अलख जगाई। उनके साहसपूर्ण जीवन के प्रेरणादायी संस्मरणों से सभी को प्रेरणा मिलेगी।

मुख्यमंत्री को 'सावरकर सौरभ' के संपादक और अखिल भारतीय साहित्य परिषद छत्तीसगढ़ के प्रांत संयोजक प्रभात मिश्र ने बताया कि इस स्मारिका में स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवनकाल की घटनाओं को संपादित कर स्मारिका का रूप दिया गया है। स्मारिका में विभिन्न लेखकों ने वीर सावरकर के जीवन के विभिन्न आयामों को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं।

इस अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद, छत्तीसगढ़ से रामेश्वर शर्मा, शिवरतन गुप्ता, मनीष शर्मा, संतोष बरलोटा, भास्कर किन्हेकर , अभय मिश्रा, कौशल साहू सहित अन्य गणमान्य जन उपस्थित थे।

यात्रियों की बढ़ेगी परेशानी, रेलवे ने रद्द की 5 ट्रेनें

रायपुर- दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल के अंतर्गत बेल्लमपल्ली यार्ड में तीसरी लाइन कनेक्टीविटी हेतु प्री-एनआई व एनआई का कार्य किया जाएगा. इसके फलस्वरुप 5 ट्रेनें 16 से 20 जून के मध्य रद्द रहेगी. रद्द होने वाली ट्रेनों में पटना चर्लपल्ली एक्सप्रेस, चर्लपल्ली-रक्सौल एक्सप्रेस शामिल है. रेलवे प्रशासन द्वारा अधोसंरचना विकास के कार्यों को शीघ्र पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. इसी संदर्भ में अधोसंरचना विकास हेतु दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल के अंतर्गत बल्लारशाह व काजीपेट सेक्शन के मध्य बेल्लमपल्ली यार्ड में तीसरी लाइन कनेक्टीविटी हेतु प्री-एनआई व एनआई का कार्य किया जाएगा.

इस कार्य के फलस्वरूप कुछ यात्री गाड़ियों का परिचालन प्रभावित रहेगा. इस कार्य के पूर्ण होते ही गाडियों के परिचालन में गतिशीलता आयेगी. एनआई वर्क के कारण 5 ट्रेनें रद्द रहेगी. इसमें 16 व 18 जून को पटना से रवाना होने वाली गाडी संख्या 03253 पटना-चर्लपल्ली एक्सप्रेस, 18 जून को चर्लपल्ली से रवाना होने वाली गाडी संख्या 07255 चर्लपल्ली-पटना एक्सप्रेस, 20 जून को चर्लपल्ली से रवाना होने वाली गाडी संख्या 07256 चर्लपल्ली-पटना एक्सप्रेस रद्द रहेगी. वहीं 16 जून को चर्लपल्ली से रवाना होने वाली गाडी संख्या 07005 चर्लपल्ली-रक्सौल एक्सप्रेस और 19 जून को रक्सौल से रवाना होने वाली गाडी संख्या 07006 रक्सौल-चर्लपल्ली एक्सप्रेस कैंसिल रहेगी.

अंबेडकर अस्पताल की अव्यवस्था पर हाई कोर्ट में जवाब नहीं दे पाई सरकार, महाधिवक्ता ने मांगा और समय…

बिलासपुर- राजधानी रायपुर के अंबेडकर अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं और मरीजों को हो रही परेशानी को लेकर सामने आई मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने सचिव से जबाव मांगा था, लेकिन सरकार अपना जवाब नहीं दे पाई. महाधिवक्ता ने और समय की मांग की. जिसे चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की बेंच स्वीकार कर लिया.

दरअसल, 27 मई को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन में सुनवाई हुई थी, जिसमें मीडिया रिपोर्ट में प्रकाश में लाए गए मामले पर संज्ञान लेकर लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की थी. रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रदेश के सबसे सरकारी अस्पताल में टूटी हुई हड्डियों, दुर्घटनाओं में फ्रैक्चर, गंभीर चोटों और कैंसर के रोगियों को सर्जरी के लिए एक या दो दिन नहीं बल्कि 15 से 20 दिन तक इंतजार करना पड़ता है. कई बार मरीजों को ऑपरेशन थियेटर में ले जाने के बाद वापस लाया जाता है. इससे गंभीर रोगियों की जान का जोखिम बढ़ गया है.

मरीजों के साथ मौजूद परिजनों का कहना है कि डॉक्टर और स्टाफ उन्हें बिना बताए ऑपरेशन थियेटर से वापस भेज देते हैं. ऐसा एक-दो बार नहीं, बल्कि कई बार होता है. अगर वे इसका विरोध करते हैं, तो उन्हें निजी अस्पताल में जाकर इलाज कराने को कहा जाता है. मजबूरी में लोग इलाज होने तक मरीजों के साथ अस्पताल में ही रहते हैं.

अंबेडकर अस्पताल में छोटे-बड़े ऑपरेशन थियेटर मिलाकर कुल 29 ऑपरेशन थियेटर हैं. सभी में सर्जरी के लिए सिर्फ 1-2 डॉक्टर हैं. अस्पताल में रोजाना दुर्घटना, कैंसर और गंभीर बीमारियों से पीड़ित दर्जनों मरीज आते हैं. कई मरीज ऐसे हैं जो एक महीने से ऑपरेशन का इंतजार कर रहे हैं. आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के पास अपनी बारी का इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता. कई बार मरीजों के परिजन अपना आपा खो देते हैं. डॉक्टरों और प्रबंधन के साथ तीखी नोकझोंक होती है. मारपीट तक की नौबत आ जाती है.

हाइ कोर्ट ने उपरोक्त मामले के मद्देनजर सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने कहा था. लेकिन समय पर अपेक्षित हलफनामा संबंधित सचिव द्वारा प्रस्तुत नहीं किया जा सका. महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने कहा हलफनामा तैयार किए जाने की बात कहते हुए इसे प्रस्तुत करने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया. महाधिवक्ता के अनुरोध को स्वीकार करते हुए बैंच ने इस मामले को 10 जून को सूचीबद्ध किया है.

राज्य सूचना आयुक्त चयन प्रक्रिया पर हाईकोर्ट की रोक, अनुभव की नई शर्त बनी वजह

बिलासपुर- राज्य सूचना आयुक्त के दो रिक्त पदों पर चल रही चयन प्रक्रिया पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति संजय जायसवाल की एकल पीठ ने इस प्रक्रिया पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह निर्णय 25 वर्ष के कार्य अनुभव की नई शर्त को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के बाद लिया।

जानकारी के अनुसार, मामले में तीन याचिकाकर्ता अनिल तिवारी, डीके सोनी और राजेंद्र उपाध्याय ने यह आपत्ति जताई थी कि राज्य सूचना आयुक्त के दो पदों के लिए अधिसूचना 4 मार्च को जारी की गई। इसके बाद 19 मार्च तक आवेदन मंगाए गए। उस समय जारी विज्ञापन में कार्य अनुभव की कोई सीमा निर्धारित नहीं थी। लेकिन 9 मई को इंटरव्यू से ठीक पहले जारी एक पत्र में सर्च कमेटी ने आवेदनकर्ताओं के लिए विधि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंपर्क या प्रशासन जैसे क्षेत्रों में 25 वर्ष या उससे अधिक का अनुभव अनिवार्य कर दिया।

इस नए नियम की वजह से 172 आवेदकों में से केवल 51 आवेदकों को ही इंटरव्यू के लिए चयनित किया गया। इससे असंतुष्ट होकर तीन अभ्यर्थियों (अनिल तिवारी, डीके सोनी और राजेंद्र उपाध्याय) ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों ही पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस संजय जायसवाल ने अगली सुनवाई 9 जून तक चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।

माओवाद के समूल नाश और बस्तर के समग्र विकास के लिए देश के बुद्धिजीवियों का आह्वान

रायपुर- बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा के उन्मूलन की मांग को लेकर आज रायपुर में एक महत्त्वपूर्ण प्रेस वार्ता आयोजित की गई। इस वार्ता को प्रो. एस.के. पांडे (पूर्व कुलपति), अनुराग पांडे (सेवानिवृत्त IAS), बी. गोपा कुमार (पूर्व उप-सॉलिसिटर जनरल) और शैलेन्द्र शुक्ला (पूर्व निदेशक, क्रेडा) ने संबोधित किया।

इन चार वक्ताओं द्वारा अपने वक्तव्य में बस्तर के नागरिकों की दशकों पुरानी पीड़ा, माओवादी हिंसा का वास्तविक स्वरूप, और तथाकथित 'बुद्धिजीवी' वर्ग द्वारा माओवाद के वैचारिक महिमामंडन पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।

प्रो. एस.के. पांडे ने कहा कि बस्तर पिछले चार दशकों से माओवादी हिंसा की चपेट में है, जिसमें हजारों निर्दोष आदिवासी नागरिक, सुरक्षाकर्मी, शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और ग्राम प्रतिनिधि मारे जा चुके हैं। South Asia Terrorism Portal के आँकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि केवल छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा से 1000 से अधिक आम नागरिकों की जान जा चुकी है, जिनमें बहुसंख्यक बस्तर के आदिवासी हैं।

अनुराग पांडे ने कहा कि ‘शांति वार्ता’ की बात तभी स्वीकार्य हो सकती है जब माओवादी हिंसा और हथियारों का त्याग करें। इसके साथ ही जो संगठन और व्यक्ति माओवादियों के फ्रंटल समूहों के रूप में कार्य कर रहे हैं, उनकी पहचान कर उन पर भी वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सलवा जुडूम को बार-बार निशाने पर लेना माओवादी आतंक को नैतिक छूट देने का प्रयास है, जबकि बस्तर की जनता स्वयं इस हिंसा का सबसे बड़ा शिकार है।

प्रेस को सम्बोधित करते हुए बी. गोपा कुमार ने कहा कि जो लोग ‘शांति’ की बात कर रहे हैं, उन्हें पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि माओवादी हिंसा पूरी तरह बंद हो। अन्यथा यह सब केवल रणनीतिक प्रचार (propaganda) का हिस्सा मात्र है। उन्होंने कहा कि 2004 की वार्ताओं के बाद जिस प्रकार 2010 में ताड़मेटला में नरसंहार हुआ, वह एक ऐतिहासिक चेतावनी है, जिसे नहीं भूलना चाहिए।

वार्ता के अंत में शैलेन्द्र शुक्ला ने यह स्पष्ट किया गया है कि शांति, विकास और न्याय – ये तीनों केवल तभी संभव हैं जब माओवाद को निर्णायक रूप से समाप्त किया जाए। सरकार से यह अपेक्षा की गई है कि वह माओवादी आतंकवाद के विरुद्ध अपनी कार्रवाई को सतत और सशक्त बनाए रखे, और माओवादी समर्थक संगठनों को वैधानिक रूप से चिन्हित कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

मुख्य मांगे-

  •  सरकार नक्सल आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखे, और सुरक्षा बलों के प्रयासों को और भी मजबूत बनाए। कार्रवाइयाँ और अधिक सशक्त और सतत रहें।
  •  माओवादी और उनके समर्थक संगठनों को शांति वार्ता के लिए तभी शामिल किया जाए, जब वे हिंसा और हथियारों को छोड़ने के लिए तैयार हों।
  •  नक्सलवाद और उनके फ्रंटल संगठनों का समर्थन करने वाले व्यक्तियों और संगठनों पर उचित कार्रवाई की जाए।
  •  बस्तर की शांति और विकास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि इस क्षेत्र को नक्सल आतंकवाद से मुक्त किया जा सके।

पत्रकार वार्ता के दौरान एक सार्वजनिक पत्र भी जारी किया गया, जो निम्नलिखित संस्थाओं एवं प्रमुख व्यक्तित्वों द्वारा हस्ताक्षरित है:

Intellectual Forum of Chhattisgarh, Bharat Lawyers Forum, Society For Policy and Strategic Research, Center For Janjatiya Studies and Research, Forum For Awareness of National Security, Bastar Shanti Samiti, Shakti Vigyan Bharti, Call For Justice, The 4th Pillar, Writers For The Nation, Chhattisgarh Civil Society, Janjati Suraksha Manch, Avsar Foundation, बस्तर सांस्कृतिक सुरक्षा मंच सहित कुल 15+ मंच।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में शामिल हैं:

Justice Rakesh Saksena, Major General Mrinal Suman, Brig. Rakesh Sharma, Dr. T.D. Dogra, Mr. Rakesh Chaturvedi (Rtd. IFS), Dr. Varnika Sharma, Prof. B.K. Sthapak, Shyam Singh Kumre (Retd. IAS), और अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा नीति विशेषज्ञों का एक विस्तृत समूह, जिनमें Adv. Sangharsh Pandey, Adv. Kaustubh Shukla, Smt. Kiran Sushma Khoya, Prof. Dinesh Parihar, Mr. Vikrant Kumre जैसे नाम उल्लेखनीय हैं।