राज्य सूचना आयुक्त चयन प्रक्रिया पर हाईकोर्ट की रोक, अनुभव की नई शर्त बनी वजह

बिलासपुर- राज्य सूचना आयुक्त के दो रिक्त पदों पर चल रही चयन प्रक्रिया पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति संजय जायसवाल की एकल पीठ ने इस प्रक्रिया पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह निर्णय 25 वर्ष के कार्य अनुभव की नई शर्त को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के बाद लिया।

जानकारी के अनुसार, मामले में तीन याचिकाकर्ता अनिल तिवारी, डीके सोनी और राजेंद्र उपाध्याय ने यह आपत्ति जताई थी कि राज्य सूचना आयुक्त के दो पदों के लिए अधिसूचना 4 मार्च को जारी की गई। इसके बाद 19 मार्च तक आवेदन मंगाए गए। उस समय जारी विज्ञापन में कार्य अनुभव की कोई सीमा निर्धारित नहीं थी। लेकिन 9 मई को इंटरव्यू से ठीक पहले जारी एक पत्र में सर्च कमेटी ने आवेदनकर्ताओं के लिए विधि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंपर्क या प्रशासन जैसे क्षेत्रों में 25 वर्ष या उससे अधिक का अनुभव अनिवार्य कर दिया।

इस नए नियम की वजह से 172 आवेदकों में से केवल 51 आवेदकों को ही इंटरव्यू के लिए चयनित किया गया। इससे असंतुष्ट होकर तीन अभ्यर्थियों (अनिल तिवारी, डीके सोनी और राजेंद्र उपाध्याय) ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका पर सुनवाई करते हुए दोनों ही पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस संजय जायसवाल ने अगली सुनवाई 9 जून तक चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।

माओवाद के समूल नाश और बस्तर के समग्र विकास के लिए देश के बुद्धिजीवियों का आह्वान

रायपुर- बस्तर क्षेत्र में माओवादी हिंसा के उन्मूलन की मांग को लेकर आज रायपुर में एक महत्त्वपूर्ण प्रेस वार्ता आयोजित की गई। इस वार्ता को प्रो. एस.के. पांडे (पूर्व कुलपति), अनुराग पांडे (सेवानिवृत्त IAS), बी. गोपा कुमार (पूर्व उप-सॉलिसिटर जनरल) और शैलेन्द्र शुक्ला (पूर्व निदेशक, क्रेडा) ने संबोधित किया।

इन चार वक्ताओं द्वारा अपने वक्तव्य में बस्तर के नागरिकों की दशकों पुरानी पीड़ा, माओवादी हिंसा का वास्तविक स्वरूप, और तथाकथित 'बुद्धिजीवी' वर्ग द्वारा माओवाद के वैचारिक महिमामंडन पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।

प्रो. एस.के. पांडे ने कहा कि बस्तर पिछले चार दशकों से माओवादी हिंसा की चपेट में है, जिसमें हजारों निर्दोष आदिवासी नागरिक, सुरक्षाकर्मी, शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और ग्राम प्रतिनिधि मारे जा चुके हैं। South Asia Terrorism Portal के आँकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि केवल छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा से 1000 से अधिक आम नागरिकों की जान जा चुकी है, जिनमें बहुसंख्यक बस्तर के आदिवासी हैं।

अनुराग पांडे ने कहा कि ‘शांति वार्ता’ की बात तभी स्वीकार्य हो सकती है जब माओवादी हिंसा और हथियारों का त्याग करें। इसके साथ ही जो संगठन और व्यक्ति माओवादियों के फ्रंटल समूहों के रूप में कार्य कर रहे हैं, उनकी पहचान कर उन पर भी वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सलवा जुडूम को बार-बार निशाने पर लेना माओवादी आतंक को नैतिक छूट देने का प्रयास है, जबकि बस्तर की जनता स्वयं इस हिंसा का सबसे बड़ा शिकार है।

प्रेस को सम्बोधित करते हुए बी. गोपा कुमार ने कहा कि जो लोग ‘शांति’ की बात कर रहे हैं, उन्हें पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि माओवादी हिंसा पूरी तरह बंद हो। अन्यथा यह सब केवल रणनीतिक प्रचार (propaganda) का हिस्सा मात्र है। उन्होंने कहा कि 2004 की वार्ताओं के बाद जिस प्रकार 2010 में ताड़मेटला में नरसंहार हुआ, वह एक ऐतिहासिक चेतावनी है, जिसे नहीं भूलना चाहिए।

वार्ता के अंत में शैलेन्द्र शुक्ला ने यह स्पष्ट किया गया है कि शांति, विकास और न्याय – ये तीनों केवल तभी संभव हैं जब माओवाद को निर्णायक रूप से समाप्त किया जाए। सरकार से यह अपेक्षा की गई है कि वह माओवादी आतंकवाद के विरुद्ध अपनी कार्रवाई को सतत और सशक्त बनाए रखे, और माओवादी समर्थक संगठनों को वैधानिक रूप से चिन्हित कर उन पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

मुख्य मांगे-

  •  सरकार नक्सल आतंकवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखे, और सुरक्षा बलों के प्रयासों को और भी मजबूत बनाए। कार्रवाइयाँ और अधिक सशक्त और सतत रहें।
  •  माओवादी और उनके समर्थक संगठनों को शांति वार्ता के लिए तभी शामिल किया जाए, जब वे हिंसा और हथियारों को छोड़ने के लिए तैयार हों।
  •  नक्सलवाद और उनके फ्रंटल संगठनों का समर्थन करने वाले व्यक्तियों और संगठनों पर उचित कार्रवाई की जाए।
  •  बस्तर की शांति और विकास के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि इस क्षेत्र को नक्सल आतंकवाद से मुक्त किया जा सके।

पत्रकार वार्ता के दौरान एक सार्वजनिक पत्र भी जारी किया गया, जो निम्नलिखित संस्थाओं एवं प्रमुख व्यक्तित्वों द्वारा हस्ताक्षरित है:

Intellectual Forum of Chhattisgarh, Bharat Lawyers Forum, Society For Policy and Strategic Research, Center For Janjatiya Studies and Research, Forum For Awareness of National Security, Bastar Shanti Samiti, Shakti Vigyan Bharti, Call For Justice, The 4th Pillar, Writers For The Nation, Chhattisgarh Civil Society, Janjati Suraksha Manch, Avsar Foundation, बस्तर सांस्कृतिक सुरक्षा मंच सहित कुल 15+ मंच।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में शामिल हैं:

Justice Rakesh Saksena, Major General Mrinal Suman, Brig. Rakesh Sharma, Dr. T.D. Dogra, Mr. Rakesh Chaturvedi (Rtd. IFS), Dr. Varnika Sharma, Prof. B.K. Sthapak, Shyam Singh Kumre (Retd. IAS), और अधिवक्ताओं, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा नीति विशेषज्ञों का एक विस्तृत समूह, जिनमें Adv. Sangharsh Pandey, Adv. Kaustubh Shukla, Smt. Kiran Sushma Khoya, Prof. Dinesh Parihar, Mr. Vikrant Kumre जैसे नाम उल्लेखनीय हैं।

राजधानी में दिनदहाड़े लूट : ग्राहक बनकर आए तीन बदमाश, सराफा दुकान से सोने की तीन चेन लूटकर हुए फरार, आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस

रायपुर- राजधानी रायपुर में आज दिनदहाड़े लूट की घटना से इलाके में दहशत का माहौल है। एक सराफा दुकान से तीन अज्ञात बदमाश चार तोले सोने की चेन लूटकर फरार हो गए। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने आरोपियों की तलाश में शहर में नाकेबंदी कर दी है। पूरा मामला खम्हारडीह थाना क्षेत्र के शक्तिनगर इलाके का है।

जानकारी के अनुसार, शक्तिनगर क्षेत्र में स्थित सराफा कारोबारी पन्नालाल गोलछा की दुकान में आज दोपहर तीन युवक ग्राहक बनकर आए। युवकों ने दुकानदार से कहा कि वे सोने की चेन खरीदना चाहते हैं। इस पर दुकान संचालक ने तीन सोने की चेन उन्हें दिखाने के लिए काउंटर से बाहर निकाले। जैसे ही चेन युवकों के हाथ में आई, उनमें से एक ने अचानक चेन को उठाकर भाग निकले। बाकी दो युवक भी उसके पीछे-पीछे तेजी से भाग निकले।

लूटी गई चेन की कुल वजन लगभग चार तोला बताया जा रहा है, जिसकी बाजार कीमत लाखों में आंकी जा रही है। घटना की सूचना मिलते ही खम्हारडीह थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की। दुकान में लगे CCTV कैमरों में तीनों आरोपियों की तस्वीरें कैद हो चुकी है। पुलिस फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान करने और उनकी लोकेशन ट्रेस करने का प्रयास कर रही है।

आरोपियों की तलाश जारी, मुख्य मार्गों पर पुलिस ने की नाकेबंदी

आरोपियों की तलाश में पुलिस ने शहर के सभी मुख्य मार्गों पर नाकेबंदी कर दी है। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और टोल नाकों पर भी जांच अभियान तेज कर दिया गया है। प्रारंभिक जांच में आशंका जताई जा रही है कि आरोपी पूर्व से योजना बनाकर आए थे और किसी गिरोह से जुड़े हो सकते हैं। विधानसभा सीएसपी वीरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि थाना खम्हारडीह इलाके के शक्तिनगर में सराफा कारोबारी के दुकान में वारदात हुई है। तीन आरोपियों ने घटना को अंजाम दिया है। करीब 10-10 ग्राम की तीन सोने की चेन छीनकर फरार हुए हैं। पुलिस टीम पूरे मामले की जांच कर रही है। जल्द आरोपियों को पकड़ा जाएगा।

छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स की कार्यकारिणी का विस्तार, 80 से अधिक व्यापारी-उद्योगपतियों को मिली उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी, देखें सूची…

रायपुर- छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष सतीश थौरानी ने अपनी कार्यकारिणी का विस्तार किया है। इस विस्तार के तहत प्रदेश भर के प्रमुख व्यापारियों और उद्योगपतियों को चेम्बर के उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

नवनियुक्त उपाध्यक्षों की सूची में वासुदेव जोतवानी, प्रकाश लालवानी, अमरदास खट्टर, राजकिशोर नत्थानी, आशीष लुक्कड़, राजकुमार राठी, अश्वनी विग, संतोष जैन समेत 80 से अधिक नाम शामिल हैं, जो प्रदेश के अलग-अलग शहरों और सेक्टर्स का प्रतिनिधित्व करते हैं।

देखिये उपाध्यक्षों की सूची-

जबलपुर से रायपुर के बीच चलेगी नई ट्रेन, व्यापार और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

रायपुर- रेल यातायात को और अधिक सुगम बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. मध्यप्रदेश में तीन नई ट्रेन सेवाओं की शुरूआत की जा रही है. इसमें से एक ट्रेन जबलपुर से रायपुर, छत्तीसगढ़ के बीच चलेगी. इसकी घोषणा केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने की है. रेल मंत्री ने बताया कि इन नई ट्रेन सेवाओं से व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. नई ट्रेन की सौगात मिलने से प्रदेशवासियों में हर्ष की लहर है.


इन शहरों के बीच चलेगी नई ट्रेनें

रीवा-सतना-जबलपुर-पुणे: उत्तर मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र के पुणे तक अब यात्रा और आसान होगी.

जबलपुर-रायपुर (वाया नैनपुर, बालाघाट, गोंदिया): इस मार्ग से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच कनेक्टिविटी मजबूत होगी.

ग्वालियर-गुना-भोपाल-बेंगलुरु: यह ट्रेन सेवा उत्तर और मध्य भारत को दक्षिण भारत के टेक्नोलॉजी हब बेंगलुरु से जोड़ेगी.

पूर्व CM अजीत जोगी की पुण्यतिथि पर निकाली गई सद्भावना रैली, अमित-रेणु जोगी समेत सैकड़ों समर्थकों ने मूर्ती विवाद को लेकर प्रशासन को सौंपा ज्ञापन

गौरेला पेण्ड्रा मरवाही- पूर्व सीएम स्व. अजीत जोगी की पुण्यतिथि पर आज उनके पुत्र अमित जोगी ने सद्भावना रैली निकाली. इस दौरान उन्होंने अजीत जोगी के मूर्ति हटाने के विवाद को लेकर प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए अल्टीमेटम भी दिया है. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि स्व. अजीत जोगी की मूर्ती जहां पर लगाई गई थी, उनकी मूर्ती को उसी जगह वापिस ससम्मान लगाने की मांग की है.

यह रैली गौरेला के जोगी निवास से पूर्व सीएम स्व. अजीत जोगी की समाधि स्थल तक निकाली गई. जिसमें अमित जोगी, उनकी मां रेणु जोगी, पत्नी ऋचा जोगी सहित बड़ी संख्या में सहित तमाम जोगी समर्थकों ने भी शामिल होकर प्रशासन के सामने अपनी मांग रखी.

अमित जोगी ने कहा कि नगरपालिका गौरेला में लगे CCTV में आरोपियों को मूर्ति लाते हुए देखा जा सकता है. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए 7 दिनों का दिया अल्टीमेटम दिया गया है. वहीं स्व. अजीत जोगी की मूर्ति उसी जगह विधिवत लगाए जाने को लेकर प्रशासन को दिया 30 दिनों का समय दिया गया है.

अमित जोगी ने कहा कि आज हम शान्ति पूर्ण आंदोलन और प्रदर्शन कर रहे है. लेकिन अगर नियत समय पर उसी जगह मूर्ति नहीं लगाई गई, तो हम उग्र आंदोलन करेंगे.

वहीं प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने शहर में चाक चौबंद व्यवस्था की थी. गौरेला जोगी निवास से कलेक्टर कार्यालय तक जगह-जगह प्रशासन ने बेरिकेडिंग की थी. सुरक्षा के मद्देनजर SDM पेंड्रारोड ऋचा चंद्रकार अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओम चंदेल सहित भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा.

जल जीवन मिशन में लापरवाही पर बड़ी कार्रवाई, 70 ठेकेदारों को नोटिस जारी, जल्द काम पूरे नहीं करने पर होगी कड़ी कार्रवाई

रायपुर- राज्य सरकार की प्राथमिकता वाली योजना जल जीवन मिशन के तहत कार्यों में हो रही लापरवाही अब ठेकेदारों पर भारी पड़ने लगी है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने मुंगेली जिले में समय-सीमा में काम पूर्ण नहीं करने वाले 70 ठेकेदारों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। विभाग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि जल्द अधूरे काम पूरे नहीं किए गए तो संबंधित ठेकेदारों के विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

विभागीय सख्ती की यह कार्रवाई जल जीवन मिशन के सचिव मोहम्मद कैसर अब्दुल हक के हालिया मुंगेली प्रवास के बाद सामने आई है। दौरे के दौरान उन्होंने कलेक्टर कुंदन कुमार के साथ जिले के विभिन्न गांवों में मिशन के अंतर्गत चल रहे पेयजल परियोजनाओं का निरीक्षण किया। निरीक्षण में यह पाया गया कि कई योजनाएं तय समय-सीमा से पीछे चल रही है और कार्यों में ठेकेदारों की लापरवाही व उदासीनता प्रमुख कारण बनकर उभरी है।

सचिव हक ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि ग्रामीण क्षेत्रों को समय पर शुद्ध पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। ऐसे में कार्यों की गति तेज की जाए और लापरवाह ठेकेदारों के विरुद्ध सख्त रुख अपनाया जाए.

राज्यपाल डेका ने तीन गांव को लिया गोद, अब इन गांवों में होगा समावेशी मानव-केंद्रित विकास

रायपुर- राज्यपाल रमेन डेका ने एक नई पहल करते हुए, प्रदेश के तीन गांवों को गोद लेने का संकल्प लिया है। बेमेतरा जिले के टेमरी, गरियाबंद जिले के मड़वा डीह, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के सोनपुरी गांव को गोद लेने के लिए चयन किया गया है। इन गांवों में केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न फ्लेगशिप योजनाओं के हेतु समुदाय को शामिल करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय विकास की पहल की जाएगी। इसके लिए पृथक से कोई राशि का आबंटन नहीं किया जाएगा, बल्कि विभिन्न योजनाओं में उपलब्ध राशि के समुचित उपयोग एवं निगरानी से ही यह कार्य किया जाएगा। गांवों को गोद लेने से सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में ‘मानव-केंद्रित‘ दृष्टिकोण के साथ गांवों के समावेशी विकास के उद्देश्य पर अधिक जोर दिया जा सकेगा।

राज्यपाल श्री डेका द्वारा जिन गांवो को गोद लिया जा रहा है उनमें जल संरक्षण, हरित आवरण बढ़ाना, शिक्षा ,स्वास्थ्य एवं पोषण, आजीविका, सामाजिक सुरक्षा, सतत् कृषि, विरासत एवं संस्कृति के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। जल संरक्षण के लिए अमृत सरोवर बनाने एवं नरेगा एवं जल जीवन मिशन से कार्य कराए जाने, कैम्पा, नरेगा, वृक्षारोपण अभियान के जरिए हरित आवरण बढ़ाने, प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में विद्यार्थियों के शाला छोड़ने की दर को कम करने के लिए स्कूलों में अभिभावकों के साथ मीटिंग करने, पुस्तकालयों में शिक्षाप्रद एवं आकर्षक पुस्तकें रखे जाने, एनसीसी, स्कूलों का जीर्णोंद्धार आदि कार्यो पर ध्यान दिया जाएगा। ग्रामीणों के स्वास्थ्य की बेहतरी एव्ं पोषण के लिए टी बी उन्मूलन, स्वच्छता अभियान, आईसीडीएस, पर जोर रहेगा। ग्रामीणों की आजीविका बढ़ाने के लिए एनआरएलएम, स्व सहायता समूह, कौशल प्रशिक्षण, ग्रामीण उद्यमिता सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में बुजुर्गों एवं दिव्यांगों की देखभाल, नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाएगा। कृषि में सुधार के लिए जैविक खेती, पारंपरिक कृषि, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, विरासत और संस्कृति-स्थानीय और ग्रामीण पर्यटन, विरासत स्थल के संरक्षण हेेतु सामुदायिक प्रयास किए जाएंगे।

इसके अलावा गोद लिए गए गांवों की निगरानी समय-समय पर की जाएगी और विभिन्न परियोजनाओं के परिणाम के रूप में मापने योग्य संकेतकों का मूल्यांकन किया जाएगा जैसे भूजल स्तर में वृद्धि, हरित क्षेत्र में वृद्धि, प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में विद्यार्थियों में शाला छोड़ने की दर आदि। कुल मिलाकर गोद लिए गए गांव संबंधित जिला प्रशासन के लिए गांव के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय विकास हेतु एक समावेशी मानव केंद्रित दृष्टिकोण रखने के लिए मार्ग दर्शक के रूप में कार्य करेंगे।

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष अगस्त में नई दिल्ली में आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन में सभी राज्यपालों को प्रधानमंत्री फ्लेगशिप योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में प्रत्येक जिले के अधिकारियों के साथ चर्चा करने के लिए निर्देशित किया गया था। इसी निर्देश के परिपालन में राज्यपाल श्री डेका लगातार प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा कर केन्द्र की फ्लेगशिप योजनाओं के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन का फीडबैक ले रहे हैं। इसी दौरान उन्होंने कुछ गांवों को आदर्श गांव की तर्ज पर विकसित करने का संकल्प लिया।

भारतीय शिक्षा बोर्ड हरिद्वार अब छत्तीसगढ़ में माशिमं के समकक्ष मान्य, आदेश जारी

रायपुर- भारतीय शिक्षा बोर्ड हरिद्वार अब छत्तीसगढ़ में माध्यमिक शिक्षा मंडल के 10वीं एवं 12वीं बोर्ड के समकक्ष मान्य होगा। माशिमं सचिव ने यह आदेश आज जारी कर दिया है। अब छत्तीसगढ़ में चार बोर्ड हो जाएंगे, जिनमें आईसीएसई, सीबीएसई, सीजी बोर्ड और ओपन स्कूल भी शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर की पाठ्यचर्या समिति की बैठक में प्रदत्त अनुशंसा एवं प्रस्ताव को कार्यपालिका समिति की बैठक में समिति ने भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय, स्कूल शिक्षा विभाग एवं साक्षरता विभाग, नई दिल्ली द्वारा जारी अधिसूचना और भारतीय विश्वविद्यालय संघ के पत्र के आधार पर “भारतीय शिक्षा बोर्ड, हरिद्वार, उत्तराखण्ड की हाईस्कूल (कक्षा 10वीं) एवं इण्टरमीडिएट (कक्षा 12वीं) परीक्षाओं को मंडल की हाईस्कूल एवं हायर सेकण्डरी परीक्षाओं की समकक्षता प्रदान किए जाने का निर्णय लिया है। अब “छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल, रायपुर द्वारा भारतीय शिक्षा बोर्ड, हरिद्वार, उत्तराखण्ड की हाईस्कूल (कक्षा 10वीं) एवं इण्टरमीडिएट (कक्षा 12वीं) परीक्षाओं को छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल, रायपुर द्वारा आयोजित हाईस्कूल (कक्षा 10वीं) एवं हायर सेकण्डरी (कक्षा 12वीं) परीक्षाओं के समकक्ष मान्य किया गया है।

कार्य के दौरान संविदा बिजली कर्मचारी की मौत: विभागीय साथियों ने कैंडल मार्च कर दी श्रद्धांजलि

रायपुर- छत्तीसगढ़ की बिजली व्यवस्था में अहम योगदान देने वाले संविदा कर्मचारियों की सुरक्षा एक बार फिर सवालों के घेरे में है. अंबिकापुर क्षेत्र के मैनपाट वितरण केंद्र में कार्यरत संविदा बिजली कर्मचारी सुनील कुमार टोप्पो की ड्यूटी के दौरान हुई दुर्घटना में मौत हो गई.

21 मई 2025 को 33 केवी लाइन में काम करते समय वह पोल से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया था. उन्हें तत्काल रायपुर के डीकेएस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान 27 मई की रात 10 बजे उनका निधन हो गया.

लगातार हो रही दुर्घटनाओं से बिजली कर्मचारियों में आक्रोश

विद्युत विभाग में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के लिए यह कोई पहला मामला नहीं है. अब तक 30 संविदा कर्मचारी कार्यस्थल पर बिजली संबंधी हादसों में जान गंवा चुके हैं, जबकि 95 से अधिक कर्मचारी दुर्घटनाओं के चलते अपंग हो चुके हैं. इस घटना ने विभागीय लापरवाही और सुरक्षा उपायों की पोल खोलकर रख दी है.

कैंडल मार्च निकालकर दी गई श्रद्धांजलि

29 मई 2025 को, छत्तीसगढ़ विद्युत संविदा कर्मचारी संघ के बैनर तले रायपुर स्थित विद्युत सेवा भवन, डंगनिया मुख्यालय में शोकसभा और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. संघ के प्रदेश अध्यक्ष हरिचरण साहू, महामंत्री कमलेश भारद्वाज, समस्त रीजन अध्यक्ष, महासंघ व अन्य संगठनों के पदाधिकारी एवं संविदा कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे. सभी ने कैंडल मार्च निकालकर स्व. सुनील कुमार टोप्पो को नम आंखों से अंतिम विदाई दी.

50 लाख मुआवजा और अनुकंपा नियुक्ति की मांग

श्रद्धांजलि सभा के बाद सभी संविदा कर्मियों ने छत्तीसगढ़ पॉवर कंपनी के अध्यक्ष के नाम ज्ञापन सौंपा. इसमें दो प्रमुख मांगें की गईं:

  1. परिजनों को 50 लाख रुपये का मुआवजा
  2. परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति

साथ ही यह भी कहा गया कि यह मौत पहली नहीं है, बल्कि लंबे समय से संविदा कर्मचारियों की उपेक्षा और असुरक्षा का परिणाम है. इसलिए कंपनी प्रबंधन से द्विपक्षीय वार्ता की मांग भी ज्ञापन में रखी गई.

संविदा कर्मचारियों की तीन प्रमुख मांगें

  1. नियमितीकरण: संविदा कर्मचारियों को पूर्व की तरह कंपनी के नियमों के अनुसार जल्द से जल्द नियमित किया जाए.
  2. अनुकंपा नियुक्ति: कार्य के दौरान या सामान्य मृत्यु की स्थिति में परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति मिले.
  3. सुरक्षा व्यवस्था: फील्ड में कार्य करने वाले सभी नियमित, संविदा या बाह्य स्त्रोत कर्मचारियों के लिए सुरक्षा उपकरणों और निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि विद्युत दुर्घटनाओं को शून्य किया जा सके.