सीधी में दर्दनाक घटना: पोते की चिता में कूदकर दादा ने दी जान, बुजुर्ग पोते और बहू की मौत से थे सदमे में
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सीधी में एक बुजुर्ग ने पोते की जलती चिता में कूदकर जान दे दी। उसके पोते ने शुक्रवार को पत्नी की कुल्हाड़ी मारकर हत्या के बाद सुसाइड कर लिया था। इस घटना से बुजुर्ग सदमे में था। घटना बहरी थाना क्षेत्र के सिहोलिया गांव की है।
पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को अभय राज यादव (34) ने अपनी पत्नी सविता यादव (30) की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी थी। अभय राज ने पत्नी के गले पर कुल्हाड़ी से 5 वार किए थे। इसके बाद खुद फांसी से लटककर आत्महत्या कर ली थी। दोनों का अंतिम संस्कार शुक्रवार रात करीब 9 बजे किया जा रहा था। अभय राज के दादा रामावतार यादव (65) पोते और बहू की जलती चिता में कूद गया।
ग्रामीण ने देखा चिता के बगल में अधजला शव शनिवार सुबह करीब 9 बजे एक ग्रामीण को खेत के पास जलती चिता के बगल में एक अधजला शव मिला। जिसकी जानकारी ग्रामीण ने परिजन को दी। शव की पहचान रामावतार के रूप में हुई। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।
गांववालों के अनुसार, रामावतार अपने पोते और बहू की मौत से सदमे में था। अभय राज और सविता के दो बच्चे हैं। परिवार में अब बेटा मुन्ना यादव (8 साल) और रागनी यादव (5 साल) है।
पत्नी ने नशा करने से रोका तो की थी हत्या अभय राज के पड़ोसी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि अभय राज और सविता के बीच अक्सर झगड़े होते थे। 5 दिन पहले अभय राज ने सविता को बुरी तरह पीटा था। वह नशे का आदी था। गांजा और कोरेक्स के साथ शराब का नशा करता था। सविता नशे का विरोध किया करती थी। इसी बात को लेकर दोनों के बीच शुक्रवार को भी झगड़ा हुआ था। सविता ने नशा करके घर आने से मना किया तो उसने कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। वह मुंबई में रहकर दीवार पेंटिंग का काम करता था। बीच-बीच में गांव आते रहता था।
अभय राज से गहरा लगाव था... अभय राज के परिजन शिवेश यादव ने बताया कि मैं अक्सर नर्मदापुरम में रहता हूं। मुझे शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे हत्या और सुसाइड की जानकारी लगी थी। शनिवार सुबह यहां पहुंचे तो ये दूसरी घटना का पता चला।
रामावतार का अभय राज से गहरा लगाव था। दो-तीन साल पहले हमारे एक और बड़े पिता की मौत हो गई थी। उनके बच्चों की भी मौत हो गई थी। इस वजह से वह काफी परेशान रहते थे। ऐसा लगता है कि वे मानसिक संतुलन खो चुके थे। फिर उन्होंने चिता में कूदकर जान दे दी।
सभी के सो जाने के बाद चिता के पास गए रामावतार के दूसरे पोते अवधेश ने बताया कि दादा जी अभय राज को बहुत मानते थे। वह उन्हीं के साथ रहते थे। कोई भी काम होता था, तो पैसे उन्हीं को देकर उनसे करवाते थे। कल भाई और भाभी के अंतिम संस्कार के लिए हम सब जा रहे थे, लेकिन दादा जी ने वहां जाने से मना कर दिया।
उन्होंने कहा, मुझसे यह सब नहीं देखा जाएगा। रात में सभी साथ थे। हमने खाना दिया तो उन्होंने मना कर दिया। रात करीब 12 बजे तक जागे। फिर सभी सो गए। हमने सुबह देखा तो उनका कहीं पता नहीं चला। घर के सभी लोगों ने पहले आसपास के कुएं में देखा, फिर लोगों से पूछताछ की। जब कहीं नहीं मिले तब अभय की चिता के पास गए थे।
Mar 09 2025, 16:21