तेरह दिन पहले तेलंगाना के नागरकुर्नूल में बन रहे कैनाल में फंसे झारखंड के संदीप और 7 अन्य श्रमिक के परिवार वाले कर रहे हैं दुआ
अब तक नही हुआ रेस्क्यू,बचे होने की उम्मीद एक प्रतिशत,तालाश है जारी
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झारखंड के रहने वाले संदीप साहू की बहन संदीपा पिछले 13 दिनों से अपने भाई की सलामती की दुआ कर रही हैं। संदीप और 7 अन्य श्रमिक तेलंगाना के नागरकुर्नूल में बन रही श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल में फंसे हुए हैं। यह हादसा 22 फरवरी को हुआ, जब सुरंग की छत का एक हिस्सा अचानक ढह गया।
13 दिनों के बाद भी कोई सफलता नहीं मिल पाई है, जिसके चलते केरल पुलिस के शव खोजने वाले विशेष प्रशिक्षित कुत्तों (कैडेवर डॉग्स) को बचाव अभियान में शामिल किया गया है।
इन कैडेवर डॉग्स को विशेष रूप से लापता लोगों और शवों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। अधिकारियों के अनुसार, केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुरोध पर इन कुत्तों को भेजा गया है।
केरल सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार, दो कैडेवर डॉग्स और उनके प्रशिक्षकों को गुरुवार सुबह हैदराबाद भेजा गया। इन कुत्तों की सूंघने की क्षमता इतनी तेज होती है कि वे सुरंग के अंदर फंसे लोगों या उनके अवशेषों का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
बचाव अभियान में तेजी लाने के लिए एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल), भारतीय सेना, नौसेना और अन्य एजेंसियां लगातार जुटी हुई हैं। हालांकि, अब तक मजदूरों की स्थिति को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है।
शुरुआत में, बचाव कार्य में कई तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली। एनडीआरएफ, भारतीय सेना, नौसेना और अन्य एजेंसियों के विशेषज्ञ लगातार प्रयास कर रहे हैं कि मजदूरों को किसी तरह सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
बचाव अभियान में रोबोटिक्स और वैज्ञानिक भी शामिल
अब बचाव कार्य को और उन्नत करने के लिए रोबोटिक्स विशेषज्ञों और राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की टीम भी सुरंग में भेजी गई है। दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने सुरंग के अंदर जाकर अध्ययन किया ताकि यह समझा जा सके कि वहां किस स्तर का कंपन या अन्य खतरे मौजूद हैं।
इस बीच, एक रोबोटिक्स कंपनी की टीम को भी सुरंग में भेजा गया, जिससे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या रोबोट की मदद से अंदर की स्थिति का आकलन किया जा सकता है और फंसे लोगों तक पहुंचा जा सकता है।
रेस्क्यू ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती टनल में बढ़ते सिल्ट (गाद) और पानी का स्तर है। तेलंगाना सरकार के अनुसार, फंसे हुए श्रमिकों के बचने की संभावना केवल 1% है।
SLBC टनल प्रोजेक्ट का इतिहास काफी पुराना है, जिसकी शुरुआत 1978 में हुई थी। यह प्रोजेक्ट कृष्णा नदी के पानी को पहाड़ी जिलों की ओर मोड़ने के लिए बनाया जा रहा है, ताकि वहां पीने के पानी की समस्या का समाधान हो सके।
हालांकि, टनल निर्माण में कई बार देरी हुई है, और हाल के वर्षों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण यह खतरनाक साबित हुआ है। टनल के ऊपरी स्लैब से हर मिनट 5 से 8 हजार लीटर पानी गिर रहा है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि टनल में पानी की तेज रफ्तार और मलबे के कारण श्रमिकों की जान को खतरा है। रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाने के लिए नई जगह खुदाई की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
सोशल एक्टिविस्ट नैनाला गोवर्धन ने सरकार पर आरोप लगाया है कि श्रमिकों को कम वेतन पर जोखिम भरे काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
इस घटना ने श्रमिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर गंभीर सवाल उठाए हैं, और सरकार को इस मामले में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
Mar 07 2025, 19:24