जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति में हो रही देरी के खिलाफ आयोग दफ्तर के बाहर अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन
जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी के खिलाफ आयोग के दफ्तर के बाहर सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया.
अभ्यर्थियों का धैर्य टूट रहा है और इसकी बानगी दिखी जब प्रदर्शनकारी छात्रों ने आयोग की शवयात्रा निकाली और मुंडन कराया. यह स्थिति क्यों आई है, समझाने की जरूरत नहीं है.
जेपीएससी अध्यक्ष का पद खाली होने से वैसे तो 1700 से ज्यादा सरकारी पदों पर नियुक्तियां लंबित है लेकिन एक ऐसी भी भर्ती है जो सीधे जनहित से जुड़ी है. लोगों के भोजन की आवश्यकता से जुड़ी है.
दरअसल, प्रतिवर्ष हम और आप ये रिपोर्ट्स देखते और पढ़ते हैं कि मिलावटी दूध, मक्खन, दही और मेवा दुकानों में धड़ल्ले से बेचा जा रहा था. जहरीली मिठाइयां बेची जाती है. केमिकल युक्त आइसक्रीम हो या दूषित गोलगप्पा. इन्हें खाकर लोग न केवल बीमार पड़ते हैं बल्कि जान भी गंवा बैठते हैं. हर साल यही होता है. कार्रवाई के नाम पर दो-चार दुकानें सील की जाती है. कुछ लाइसेंस कैंसिल होते हैं. थोड़ा मुआवजा दिया जाता है और मामला खत्म. इस पर रोकथाम के लिए वो नहीं किया जा रहा जो किया जाना चाहिए.
खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाया जा रहा. बुनियादी समस्या ही हल नहीं की जा रही है. ये भी जेपीएससी का ही जिम्मा है. लेकिन, आप कहेंगे कि जेपीएससी का काम तो सरकारी पदों पर नियुक्तियां करना है, वो मिलावट कैसे रोकेगी? कन्फ्यूज मत होइए. हम आपको पूरी बात समझाते हैं.
फूड सेफ्टी ऑफिसर जांचते हैं भोजन की गुणवत्ता!
दरअसल, आप जो भोजन खा रहे हैं. वो शुद्ध और खाने लायक है या नहीं ये जांचना एफएसओ यानी फूड सेफ्टी ऑफिसर का काम होता है. इनकी नियुक्तियां करता है जेपीएससी माने झारखंड लोक सेवा आयोग.
प्रत्येक जिले में एक फूड सेफ्टी ऑफिसर होना चाहिए लेकिन, झारखंड में इनकी भारी कमी है.
वर्ष 2015 में माने 9 साल पहले झारखंड गठन के बाद पहली और आखिरी बार 24 फूड सेफ्टी ऑफिसर की बहाली की गई थी. इसके बाद से इस पद पर नियुक्तियां नहीं हुई. 2023 में 52 पदों पर भर्ती के लिए वेकैंसी निकाली गई थी लेकिन मामला 2 साल से लंबित है क्योंकि ये वर्ष 2025 है.
झारखंड में फूड सेफ्टी ऑफिसर के कई पद खाली हैं जिसका नतीजा ये हुआ है कि स्वीट्स शॉ़प, रेस्तरां और होटलों में धड़ल्ले से मिलावटी, बासी और जहरीला खाद्य पदार्थ बेचा जा रहा है. इस पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं है. फूड सेफ्टी ऑफिसर का काम केवल खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच करना ही नहीं होता है बल्कि वे उनका उत्पादन, प्रसंस्करण और भंडारण कैसे किया जा रहा है, इसकी भी निगरानी भी करते हैं.
खाद्य उद्योग के विकास के लिए जरूरी मानक और दिशा-निर्देशों का पालन करवाना भी फूड सेफ्टी ऑफिसर का काम होता है. इनके और भी बहुत जरूरी काम हैं जिनको आगे जानेंगे.
पहले यह जान लेते हैं कि फूड सेफ्टी ऑफिसर की भर्ती के लिए प्रक्रिया की शुरुआत कब की गई थी. इसे कितना वक्त बीत गया है? इतनी देरी क्यों हो रही है?
जून 2023 में बहाली के लिए निकाला गया था विज्ञापन
फूड सेफ्टी ऑफिसर यानी एफएसओ के 52 पदों पर बहाली के लिए 2 जून 2023 को जेपीएससी ने नोटिफिकेशन जारी किया था. 15 जून से 14 जुलाई 2023 तक आवेदन जमा कराया गया.
17 जुलाई तक परीक्षा शुल्क का भुगतान कर लेना था.
27 जुलाई तक जरूरी दस्तावेज आयोग के भेजने थे. ये सब होने के बाद जेपीएससी ने कहा कि 27 मई 2024 को परीक्षा होगी. 9 से 11 जून तक डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन होगा. 10 से 12 जून के बीच इंटरव्यू होना था. 27 मई को परीक्षा ली गई. मॉडल आंसर की 5 जून 2024 को जारी किया गया. इस पर अभ्यर्थियों से 10 जून तक आपत्तियां मांगी गई.
ये सब होने के बाद आज तक फाइनल आंसर की जारी नहीं किया गया.
पूरी प्रक्रिया को संपन्न हुए तकरीबन 1 साल बीतने को है और अभ्यर्थी आज भी परिणाम का इंतजार कर रहे हैं. उनका धैर्य जवाब दे रहा है. यही वजह है कि जब बीते मंगलवार को जेपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए प्रदर्शन हुआ तो इसमें बड़ी संख्या में एफएसओ के अभ्यर्थी भी शामिल हुए और विरोध जताया.
फूड सेफ्टी ऑफिसर आपके लिए क्या काम करते हैं?
जाते-जाते जानिए कि फूड सेफ्टी ऑफिसर आपके लिए क्या काम करते हैं. ये खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं. खाद्य पदार्थ में किसी भी प्रकार की मिलावट करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करते हैं. खाद्य पदार्थों के उत्पादन, प्रसंस्करण और भंडारण के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन हो, यह सुनिश्चित करते हैं.
विषाक्त भोजन से होने वाली बीमारियों की रोकथाम में स्वास्थ्य विभाग की मदद करते हैं.
किसी खाद्य पदार्थ में मिलावट न सही लेकिन मेकिंग के दौरान इस्तेमाल की गई चीज अनहेल्दी तो नहीं है, इसकी भी जांच करते हैं. ये अधिकारी उपभोक्ताओं को विश्वास दिलाते हैं कि कौन सा खाद्य पदार्थ सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण है. अब आप जब भी फैमिली के साथ किसी रेस्तरां, होटल या फिर गोलगप्पे के ठेले में ही स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ उठा रहे हों तो सोचिएगा कि क्या ये किसी खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी की नजरों से होकर गुजरा है. यदि नहीं तो भी सोचिएगा कि ऐसा क्यों है.
क्योंकि, अधिकारियों की भारी कमी है. जेपीएससी नई नियुक्तियां नहीं कर रहा.
हाईकोर्ट ने जेपीएससी से कई बार मांगी प्रगति रिपोर्ट
गौरतलब है कि पिछले साल दैनिक हिंदी अखबार प्रभात खबर में मिलावटी भोजन को लेकर एक रिपोर्ट छपी थी.
हाईकोर्ट ने इस खबर को संज्ञान में लिया और इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. फिर जेपीएससी और सरकार से सवाल किया कि आखिर क्यों खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पा रही है. भोजन की गुणवत्ता की जांच करने वाले पदाधिकारी कहां हैं. उनकी नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है. पिछले साल जुलाई में जब झारखंड हाईकोर्ट ने जवाब मांगा तो जेपीएससी ने कहा कि मॉडल आंसर की जारी किया जा चुका है. जल्दी ही रिजल्ट देंगे.
दिसंबर में दोबारा हाईकोर्ट ने यही सवाल किया.
एफएसओ बहाली प्रक्रिया की प्रगति रिपोर्ट मांगी तो आयोग ने कहा कि अध्यक्ष ही नहीं है. सही तो कहा है. 22 अगस्त 2024 से ही जेपीएससी अध्यक्ष का पद खाली है. 7 महीने बीतने को है. झारखंड में चुनाव हो गए. नई सरकार बन गई. मंत्रिमंडल का गठन हो गया और कई नियुक्तियां भी हो गई. बस जेपीएससी अध्यक्ष के लिए ही योग्य व्यक्ति नहीं मिल पा रहा है.
हो सकता है कि सरकार वाकई गंभीर हो
शायद सही अधिकारी की तलाश पूरी नहीं हुई हो. जेपीएससी और जेएसएससी के अतीत को देखते हुए हेमंत सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती हो. सारी बातें जायज है लेकिन मुश्किल वक्त की है. 7 महीने हो गये.
फूड सेफ्टी ऑफिस की नियुक्ति प्रक्रिया 2 साल से लंबित है. होली आने वाली है. अधिकारी नहीं होंगे तो मिठाइयों की
गुणवत्ता कौन जांचेगा.
Feb 15 2025, 14:34