गुजरात में समान नागरिक संहिता: समानता की ओर एक बड़ा कदम या सांस्कृतिक चुनौती?
गुजरात सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए एक समिति का गठन किया है। इस समिति का उद्देश्य राज्य में यूसीसी की आवश्यकता का आकलन करना और विधेयक का मसौदा तैयार करना है। समिति का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई करेंगी। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताया है।
यूसीसी क्या है?
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का उद्देश्य भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान व्यक्तिगत कानून स्थापित करना है, जो धर्म, लिंग या यौन अभिविन्यास के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा। यह विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार, और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर समान कानूनी ढांचा प्रदान करेगा।
समिति का गठन
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई है। इस समिति में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, अधिवक्ता, शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं। समिति को 45 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। इसके बाद, सरकार यूसीसी के कार्यान्वयन पर निर्णय लेगी।
यूसीसी की आवश्यकता
यूसीसी का उद्देश्य समाज में समानता लाना और नागरिकों को समान कानूनी अधिकार देना है। विभिन्न धर्मों और समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों के कारण असमानताएँ उत्पन्न होती हैं। यूसीसी इन भेदभावों को समाप्त करके एक समान कानूनी ढांचा स्थापित करेगा।
यूसीसी के लाभ
1.समानता: यूसीसी से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलेंगे, जिससे जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव समाप्त होगा।
2. साधारण प्रक्रिया: यूसीसी से कानूनी प्रक्रिया में सरलता आएगी, जिससे न्याय की उपलब्धता तेज होगी।
3. सामाजिक एकता: यह विभिन्न समुदायों को एक समान कानूनी ढांचे में लाकर सामाजिक एकता को बढ़ावा देगा।
यूसीसी के विरोधी विचार
1. धार्मिक स्वतंत्रता: यूसीसी के विरोधी इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर आक्रमण मानते हैं, क्योंकि यह विभिन्न धर्मों की परंपराओं को प्रभावित कर सकता है।
2. सांस्कृतिक विविधता: कुछ लोगों का कहना है कि हर समुदाय की अपनी विशेषताएँ और परंपराएँ हैं, जिनकी रक्षा के लिए अलग-अलग कानूनों की आवश्यकता है।
अन्य राज्यों का यूसीसी पर रुख
1. उत्तराखंड: उत्तराखंड सरकार ने देश का पहला राज्य बनते हुए यूसीसी को लागू किया। यह एक आदर्श मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
2. गोवा: गोवा में 1961 से औपनिवेशिक युग का यूसीसी लागू है, जो केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लागू था।
3. झारखंड और आदिवासी समुदाय: केंद्र सरकार और राज्य सरकारें आदिवासी समुदायों की परंपराओं को संरक्षित करने का आश्वासन देती रही हैं।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि यूसीसी लागू करने से महंगाई और बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस ने यह भी मांग की है कि समिति में मुस्लिम समुदाय के धार्मिक नेताओं को भी शामिल किया जाए।
गुजरात सरकार का यूसीसी के लिए समिति का गठन एक बड़ा कदम है, जो देश में समानता और न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। हालांकि, इसका प्रभाव समाज पर कैसे पड़ेगा, यह एक बड़ा सवाल है। यूसीसी के समर्थक इसे सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में महत्वपूर्ण मानते हैं, जबकि इसके विरोधी इसे धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं। आगामी रिपोर्ट और सरकार का निर्णय इस दिशा में बहुत महत्वपूर्ण होंगे।
Feb 04 2025, 19:32