वक्फ कानून में संशोधन के सभी 14 प्रस्ताव पास, विपक्ष के सभी सुझाव संसदीय समिति से खारिज
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वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा कर रही ज्वाइंट पार्लियामेंट कमेटी यानी जेपीसी ने सोमवार को बीजेपी और एनडीए के सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया। संसदीय समिति ने सोमवार को सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया। इस दौरान विपक्ष द्वारा पेश किए गए हर बदलाव को ठुकरा दिया गया।जेपीसी की अगली बैठक 29 जनवरी को होगी।विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है।
जेपीसी की बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि 44 संशोधनों पर चर्चा हुई। 6 महीने के दौरान विस्तृत चर्चा के बाद, हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे। यह हमारी अंतिम बैठक थी इसलिए समिति द्वारा बहुमत के आधार पर 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया है। विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे। हमने उनमें से प्रत्येक संशोधन को आगे बढ़ाया और इस पर वोटिंग हुई। मगर उनके के समर्थन में 10 वोट पड़े और इसके विरोध में 16 वोट पड़े। इसके बाद विपक्षी दलों को संशोधन को अस्वीकार कर दिया गया।
जगदंबिका पाल पर तानाशाही का आरोप
वहीं, विपक्षी सांसदों ने जेपीसी की बैठकों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया नष्ट होने का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद और जेपीसी के सदस्य कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि जेपीसी बैठक के दौरान उनकी बात नहीं सुनी गई और जगदंबिका पाल तानाशाही तरीके से काम कर रहे हैं। उन्होंने पूरी प्रक्रिया को हास्यास्पद करार दिया।
जगदंबिका पाल ने आरोपों को खारिज किया
हालांकि जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से हुई और बहुमत के आधार पर फैसले लिए गए। विधेयक में जो अहम संशोधन प्रस्तावित हैं, उनमें से एक ये है कि मौजूदा कानून में प्रावधान है कि वक्फ संपत्तियों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते, लेकिन प्रस्तावित विधेयक में इसे हटा दिया गया है।
संशोधन विधेयक में कई प्रस्ताव
वक्फ संशोधन विधेयक वक्फ बोर्डों के प्रशासन के तरीके में कई बदलावों का प्रस्ताव करता है, जिसमें गैर-मुस्लिम और (कम से कम दो) महिला सदस्यों को नामित करना शामिल है। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद में (यदि संशोधन पारित हो जाते हैं) एक केंद्रीय मंत्री और तीन सांसद, साथ ही दो पूर्व न्यायाधीश, चार 'राष्ट्रीय ख्याति' वाले लोग और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होने चाहिए, जिनमें से किसी का भी इस्लामी धर्म से होना आवश्यक नहीं है। इसके अलावा, नए नियमों के तहत वक्फ परिषद भूमि पर दावा नहीं कर सकती।
Jan 27 2025, 16:22