अमेरिकी नागरिकता पर ट्रंप के आदेश से घबराए लोग, वक्त से पहले बच्चों की डिलीवरी कराने की लगी होड़
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डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत एक के बाद एक कई कार्यकारी आदेशों को जारी करते हुए की। इन आदेशों में से एक गैर-अमेरिकी माता-पिता के बच्चों को जन्म के साथ अपने आप मिलने वाली अमेरिकी नागरिकता के प्रावधान को खत्म करना भी शामिल था। अभी तक अमेरिका के कानून के मुताबिक वहां जन्म लेने वाला हर शख्स अमेरिकी नागरिक होता था, यानी कि उसे जन्मजात अमेरिकी नागरिकता मिलती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। ट्रंप ने बर्थराइट सिटिजनशिप के अधिकार को बदलने के आदेश पर दस्तखत भी कर दिए हैं। ऐसे में जन्म से मिलने वाली नागरिकता की परिभाषा बदलने का वहां रह रहे भारतीयों समेत अन्य देशों के लोगों पर प्रभाव पड़ सकता है।
30 दिन बाद अमेरिका में जन्मे बच्चों की नागरिकता को लेकर नया नियम लागू हो जाएगा और अमेरिकी प्रशासन नई शर्तों के साथ ही ऐसे बच्चों को नागरिकता देगा। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप आदेश एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करने के 30 दिन के बाद शुरू होगा, यानी जो बच्चे 20 फरवरी के बाद जन्म लेंगे उन्हें अमेरिका की जन्मजात नागरिकता नहीं मिलेगी। इसी के चलते कई परिवार चाहते हैं कि उनके बच्चे 20 फरवरी से पहले जन्म ले और बर्थराइट सिटिजनशिप हासिल करें। ऐसे में वहां बीते कुछ घंटों के भीतर सिजेरियन डिलीवरी की बाढ़ आ गई है। अस्पतालों के बाहर बच्चों की डिलीवरी कराने के लिए लंबी लाइन लग गई है।
अखबार की रिपोर्ट में न्यू जर्सी के एक मेटरनिटी क्लिनिक के हवाले से कहा गया है कि बीते कुछ समय से असामान्य रूप से ज्यादा प्रीटर्म डिलीवरी के लिए अनुरोध मिल रहे हैं। इनमें से ज्यादातर कॉल करने वाली या क्लिनिक में आने वाली महिलाएं भारतीय हैं, जो आठ या नौ महीने की गर्भवती हैं और 20 फरवरी से पहले सी-सेक्शन कराने की मांग कर रही हैं। इनमें कुछ महिलाओं का प्रेग्नेंसी पीरियड काफी कम है। अखबार ने एक डॉक्टर एसडी राम के हवाले से लिखा है कि एक महिला जो केवल सात महीने की गर्भवती थी। वह पति के साथ आई और प्रीटर्म डिलीवरी के लिए अनुरोध किया। उसकी डिलीवरी मार्च में ड्यू है।
टेक्सास में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ एस जी मुक्कला ने बताया, पिछले 2 दिनों में मैंने ऐसे 15 से 20 कपल्स से इस संबंध में बात की है। साथ ही मैंने उन्हें यह बताने की कोशिश की कि भले ही सी-सेक्शन करना संभव है लेकिन समय से पहले बच्चे का जन्म मां और बच्चे दोनों के लिए बेहद रिस्की है। ऐसे प्री-मैच्योर बच्चे अविकसित फेफड़े, भोजन संबंधी समस्याएं, जन्म के समय कम वजन, तंत्रिका संबंधी जटिलताएं समेत कई शारीरिक समस्याओं का शिकार हो सकते हैं।
चूंकि एच1बी वीजा होल्डर्स में 70 फीसदी से ज्यादा भारतीय हैं और ट्रंप एच1बी वीजा को लेकर भी नियम सख्त करने जा रहे हैं, ऐसे में भारतीयों के पास भविष्य में अमेरिका में रहने के लिए बच्चा पैदा करने के सिवाय कोई और चारा ही नहीं बचा है। मां और बच्चे के लिए जोखिम के बावजूद, कई लोगों को लगता है कि स्थिरता पाने के लिए और अमेरिका में रहने के लिए उनके पास यही एक मौका है। खासकर ऐसे लोग जो लंबे समय से ग्रीन कार्ड पाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने देश में सत्ता संभालने के बाद 20 जनवरी को बर्थराइट पॉलिसी में बदलाव करने के आदेश पर हस्ताक्षर किए। जिसके तहत अब संविधान में 14वें संशोधन के तहत अमेरिका में पैदा हुए सभी बच्चे जन्मजात नागरिकता के हकदार नहीं है। बल्कि जन्मजात नागरिकता हासिल करने के लिए बच्चे की मां या पिता का अमेरिकी नागरिक होना जरूरी है।
आदेश कहता है इन परिस्थितियों में अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगीः-
- अमेरिका में पैदा हुए बच्चे की मां यदि अवैध रूप से वहां रह रही हो।
- पिता अगर बच्चे के जन्म के समय अमेरिका का नागरिक या वैध स्थायी निवासी न हो।
- बच्चे के जन्म के समय मां अमेरिका की वैध, लेकिन अस्थायी निवासी हो।
-पिता, बच्चे के जन्म के समय अमेरिका के नागरिक या वैध स्थायी निवासी न हो।
हालांकि, ये आदेश जारी होने के अगले दिन डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान जब एच-1 बी वीज़ाधारकों के भविष्य से जुड़ा सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, मुझे ये पसंद है कि हमारे देश में प्रतिस्पर्धी लोग आएं। जहां तक एच-1बी वीजा की बात है, तो मैं इसको अच्छे से समझता हूं। मैंने इस प्रोग्राम का इस्तेमाल किया है। हमें चाहिए कि यहां अच्छा काम करने वाले लोग आएं। हमें जरूरत है कि हमारे देश में अच्छे लोग आएं और हम ये एच-1 बी प्रोग्राम के जरिए करते हैं।
10 hours ago