आज पुण्यतिथि पर विशेष : मधुशाला के रचयिता हरिवंश राय बच्चन जिन्होंने शराब नहीं पी, लेकिन लिख डाली अमर कृति
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मुंबई : मधुशाला जैसी अमर कृति लिखने वाले हरिवंश राय बच्चन स्वयं शराब नहीं पीते थे। मधुशाला में उनकी स्वलिखित भूमिका में वह इसकी पुष्टि करते हैं। कहते हैं कि मैं तो क्या मेरे खानदान में मांस-मदिरा वर्जित है। हम अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ हैं। अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ कैसे बने, इसका रोचक इतिहास है। इसके लिए हमें मधुशाला के साथ ही सुल्तानपुर गजेटियर पर नजर डालनी होगी।
सुल्तानपुर गजेटियर के मुताबिक, तेरहवीं शताब्दी में सुल्तानपुर के शासक राय जगत सिहं कायस्थ थे। उस समय अवध और आसपास के जनपदों के शासक दिल्ली सल्तनत के अधीन थे। उसी समय बस्ती जिले में एक रियासत थी अमोढ़ा। वहां के शासक एक पांडेय जी थे। उनके कोई पुत्र नहीं था। एक कन्या थी, जो अत्यंत रूपवती थी। उधर, गोरखपुर जनपद का शासक एक डोम था।
उसने अमोढ़ा के पंडित जी को संदेश भेजा कि वह उनकी कन्या से विवाह करेगा और तिथि निश्चित करते हुए बताया कि उस दिन बारात लेकर आएगा। पंडित जी की रियासत छोटी थी। डोम शासक की रियासत काफी बड़ी थी। वह काफी शक्ति संपन्न था। पंडित जी उसकी सेना से मुकाबला करते तो निश्चित रूप से हार जाते।
काफी सोच विचार के बाद पंडित जी ने सुल्तानपुर के शासक राय जगतसिंह कायस्थ को अपनी व्यथा लिख भेजी।.
जगत सिहं ने उन्हें संदेश दिया कि डोम राजा को बारात लेकर आने दीजिए। उससे मैं निपट लूंगा। डोम राजा निश्चित तिथि पर अपनी सेना के साथ बारात लेकर चला, लेकिन वह अमोढ़ा पहुंचता, इसके पहले ही जगत सिंह और उनकी सेना ने उसका रास्ता रोक लिया। जगत सिंह ने डोम राजा को युद्ध में पराजित कर दिया। वह मारा गया। इसके बाद जगत सिहं अमोढ़ा पहुंचे। अमोढ़ा के पंडित जी ने जगत सिंह को गले से लगाते हुए उन्हें अपना जनेऊ पहना दिया और कहा कि आज से आप मेरे वारिस हैं। आप अमोढ़ा के भी शासक हैं। अब आप कायस्थ नहीं ब्राह्मण हैं। इसके बाद से जगत सिहं सुल्तानपुर और अमोढ़ा दोनों रियासतों के स्वामी हो गए।
पांडे जी के वचन के अनुरूप उन्होंने खुद को उनका उत्तराधिकारी मानते हुए मांस-मदिरा को छोड़ दिया। उनके वंशज अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ कहे जाने लगे, जिनके खानदान में यह कहा जाता था कि यदि कोई शराब और मांस का सेवन करेगा तो उसे कुष्ठरोग हो जाएगा।
जब बच्चन जी ने मधुशाला उमर लिखी तो लोग समझते थे कि वह भयंकर दारूबाज होंगे, लेकिन बच्चन जी कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाते थे। अंत में उन्होंने मधुशाला की भूमिका में यह लिख कर स्पष्ट किया कि वह शराब नहीं पीते हैं। उनके खानदान में शराब और मांस का सेवन वर्जित है, क्योंकि वह अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ हैं। अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ उत्तर प्रदेश के अवध इलाके के प्रतापगढ़ के बाबूपट्टी और अगल-बगल के गांवों में रहते हैं।
प्रतापगढ़ सुल्तानपुर से मिला हुआ है और बाबूपट्टी के कुछ किमी की दूरी के बाद ही सुल्तानपुर जिले की सीमा शुरू हो जाती है। राय जगत सिहं के वंशज बस्ती, सुल्तानपुर और प्रतापगढ़ में अमोढ़ा के पांडेय कायस्थ के नाम से जाने जाते हैं।


Jan 19 2025, 14:46
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