उत्तर प्रदेश स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी परिषद जनपद अयोध्या द्वारा होगा आयोजन
अयोध्या।जनपद अयोध्या के प्रख्यात स्वाधीनता संग्राम सेनानियों की अग्रिम पंक्ति में प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी बाबू महाबीर प्रसाद गुप्ता बिगुलर की पुण्यतिथि पर शनिवार 11 जनवरी को अपरान्ह 12ः00 बजे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिषद जनपद अयोध्या द्वारा एक श्रद्धांजलि सभा के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।
सेनानी परिषद के सचिव सचिव मनोज मेहरोत्रा के अनुसार इस श्रद्धांजलि सभा में जनपद के तमाम जनप्रतिनिधि गण, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, बुद्धिजीवीगण, अधिवक्ता बंधु ,पत्रकार बंधु तथा सेनानी वंशजगण उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगें।
जनपद में स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद तमाम राष्ट्रीय पर्वों, राष्ट्रीय त्योहारों पर अपने बिगुल के जोशीले धुन से लोगों में उत्साह भरने वाला बिगुल अचानक 11 जनवरी 1983 को मौन हो गया , जनपद स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान जन-जन में हुंकार भर देने वाला बिगुल हमेशा के लिए खामोश हो गया और हमारे बीच से आजादी के जुझारू योद्धा एवं अमर सेनानी महाबीर प्रसाद गुप्त बिगुलर ने अपनी आँखे सदैव के लिए मूंद लीं थीं, अपने स्वतंत्रता आन्दोलनों से सदैव अंग्रेजों तथा उनकी हूकूमत की आँखों की किरकिरी बनें श्री बिगुलर की स्मृतियाँ आज भी लोगों के हृदय में तरोताजा हैं।सेनानी महाबीर प्रसाद गुप्ता बिगुलर ने जंग-ए-आजादी में अपने बिगुल तथा अपनी लेखनी के माध्यम से क्रांति का बिगुल बजा अंग्रेजी हुकूमत की नींद हराम कर रखी ।
स्वतंत्रता सेनानी महाबीर प्रसाद गुप्ता को ‘‘बिगुलर’’ की उपाधि से विभूषित करते हुए, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने उन्हें एक ताम्र का बिगुल और बिगुलर की उपाधि उन्हें प्रदान किया था, तभी से वे ‘‘बिगुलर’’ के नाम से जाने पहचाने जाने लगे।
पत्रकारिता और नाटक को भी उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अस्त्र के रूप में इस्तेमाल किया था, वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी गणेश शंकर विद्यार्थी के समाचार पत्र प्रताप के फैजाबाद में संवाददाता भी थे और हाकर भी, जिसके लिए उन्हें अनेकों बार ब्रिटिश पुलिस का कोपभाजन भी बनना पड़ा। उन्होंने भारतवर्ष और गरीब किसान, मां भारती नामक आदि कई नाटकों को निर्देशित ही नहीं किया वरन् उसमें अभिनय करके समाज में जनजागरण अभियान भी छेड़ा था। आजादी की लड़ाई के दौरान वे झण्डा कप्तान के नाम से भी चर्चित थे।
सन् 1932 का दौर था सेनानी महाबीर प्रसाद जेल में कैद थे। अंग्रेज सरकार का गवर्नर जेल में आया, उसके सम्मान में कैदियों की परेड, जेलर ने आयोजित की। परेड में शामिल होने से इन्कार करने पर इन्हें काल कोठरी में डालकर यातनाएं दी गईं। फिर इन्हें कैम्प कारागार लखनऊ स्थानान्तरित कर दिया गया जहाँ 186 सेनानी कैद थे। वहीं जेलर ने इटावा के सेनानी अच्छेलाल को इतनी यातनाएं दी कि सेनानी अच्छेलाल की मृत्यु हो गयी। सेनानी ‘‘बिगुलर’’ ने वैदिक रीति से इस शहीद का अंतिम संस्कार कराया। इस कृत्य पर उन्हें लखनऊ से इन्हें इटावा जेल भेज दिया गया, जहाँ से जब वे रिहा हुए तो 1933 में पुनः इन्हें तीन महीने की नजरबन्दी की सजा दे दी गयी। 1938 में सेनानी महाबीर प्रसाद ने ‘स्वतंत्रता बैण्ड ग्रुप’ की स्थापना की । और जेल से रिहा होने के बाद एक बार फिर अपनी लेखनी और जन जागृति के नाटकों के माध्यम से लोगों में आजादी के प्रति भाव पैदा करते हुए अंग्रेजों के खिलाफ आम जन को भड़काना शुरू कर दिया।ये वीर सेनानी आज हमारे बीच नहीं है। इलाज के दौरान 11 जनवरी सन् 1983 को हैजा जैसी बीमारी से पीड़ित होकर अयोध्या स्थित कालरा अस्पताल में यह सेनानी हमारे बीच से चल बसा, बस शेष रह गयीं तो सेनानी ‘बिगुलर’ की स्मृतियाँ। इसकी जानकारी केशव बिगुलर संयुक्त सचिव स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी परिषद् जनपद अयोध्या ने दी है।
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