बांग्लादेश फिर से लिख रहा इतिहास, शेख मुजीबुर रहमान की विरासत मिटाने की तैयारी, भारत का दे रहा हवाला

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तख्तापलट के बाद बांग्लादेश बदल रहा है। पड़ोसी देश में अब इतिहास की किताबों को फिर से लिख रहा है। खासतौर से 1971 के मुक्ति संग्राम के बारे में फिर से लिखा जा रहा है। इतिहास की नई पाठ्यपुस्तकों में बताया जाएगा कि 1971 में 6 मार्च को बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा बंगबंधु मुजीबुर रहमान ने नहीं, बल्कि जियाउर रहमान ने की थी। नई पाठ्यपुस्तकों से मुजीब की ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि भी हटा दी गई है।

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डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्राथमिक और माध्यमिक छात्रों के लिए नई किताबों में यह जानकारी होगी कि जियाउर रहमान ने 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी।रिपोर्ट के मुताबिक, नई पाठ्यपुस्तकों में कई बदलाव होंगे और इनको छापने का काम अभी चल रहा है। किताबों को एक जनवरी से छात्रों को वितरित किया जाना था। वर्ष 2010 से (जब शेख हसीना दूसरी बार सत्ता में आई थीं) पाठ्यपुस्तकों में लिखा गया कि शेख मुजीबुर रहमान ने 26 मार्च, 1971 को पाकिस्तानी सेना की ओर से गिरफ्तार किए जाने से ठीक पहले एक वायरलेस संदेश के जरिए स्वतंत्रता की घोषणा की थी।

बांग्लादेश के नेशनल करिकुलम एंड टेक्स्ट बुक बोर्ड (एनसीटीबी) के अध्यक्ष प्रोफेसर एकेएम रियाजुल हसन ने कहा कि 2025 शैक्षणिक वर्ष के लिए नई पुस्तकों में बताया जाएगा कि '26 मार्च 1971 को जियाउर रहमान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की और 27 मार्च को उन्होंने बंगबंधु की ओर से स्वतंत्रता की एक और घोषणा की।' उन्होंने कहा कि यह जानकारी निशुल्क वितरित की जाने वाली किताबों में शामिल कर ली गई है, जिनमें घोषणा का उल्लेख किया गया है।

अतिरंजित और थोपे गए इतिहास को हटाने की कोशिश

पाठ्यपुस्तकों में बदलाव की प्रक्रिया में शामिल रहे रिसर्चर राखल राहा ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों से अतिरंजित और थोपे गए इतिहास को हटाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि 'पाठ्यपुस्तकों में बताया गया था कि शेख मुजीबुर रहमान ने पाकिस्तानी सेना द्वारा गिरफ्तार किए जाने वायरलेस संदेश में बांग्लादेश की आजादी का एलान किया था, लेकिन ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला, जिसके बाद ही इसे हटाने का फैसला किया गया है।' आवामी लीग के समर्थक मानते हैं कि शेख मुजीबुर रहमान ने देश की आजादी का एलान किया था और जियाउर रहमान ने, जो उस समय सेना में थे, मुजीब के निर्देश पर केवल घोषणा पढ़ी थी।

बांग्लादेश भारत का दे रहा हवाला

एनसीटीबी के अध्यक्ष रियाजुल ने कहा कि टेलीग्राम को संविधान में संशोधन के माध्यम से शामिल किया गया था। उन्होंने कहा, ''तत्कालीन भारतीय नेता और तत्कालीन सूचना मंत्रालय की ओर से तैयार की गई स्वतंत्रता के बाद की पहली डॉक्यूमेंट्री 'स्वतंत्रता संग्राम के दस्तावेज' जियाउर रहमान की ओर से घोषणा करने के पक्ष में सबूत दिखाती है।''

सत्ता में बैठे लोगों के अनुसार बदला जाता रहा है इतिहास

रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले कक्षा एक से 10 तक की पाठ्यपुस्तकों में स्वतंत्रता की घोषणा किसने की, इसकी जानकारी सत्ता में रहने वाली सरकार के अनुसार बदल दी जाती थी। एनसीटीबी के पूर्व अधिकारी बताते हैं कि 1996-2001 तक जब एएल सत्ता में थी किताबों में कहा गया कि शेख मुजीब ने स्वतंत्रता की घोषणा की और जियाउर रहमान ने घोषणा पढ़ी। इसके बाद 2001-2006 तक जब बीएनपी सत्ता में थी तो बताया गया कि जियाउर ने घोषणा की थी। हालांकि, वे यह नहीं बता सके कि 1996 से पहले पाठ्यपुस्तकों में क्या लिखा जाता था।

मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने की कोशिश

बांग्लादेश के नोटों से शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर हटाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। बीते साल 5 अगस्त को शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने और उनके देश छोड़कर जाने के बाद से ही शेख मुजीबुर रहमान की विरासत को मिटाने की कोशिश की जा रही है। शेख मुजीबुर रहमान की हत्या वाली तारीख 15 अगस्त को मिलने वाले अवकाश को भी खत्म कर दिया गया है। गौरतलब है कि जिया उर रहमान की पत्नी खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी ने ही शेख हसीना की सरकार को सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका निभाई थी।

पाकिस्तान ने बांग्लादेश को कहा 'बिछड़ा हुआ भाई', भारत के साथ रिश्ते पर भी बड़ा बयान

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शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश में बहुत कुछ बदल रहा है। अब तक एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन लगते ढाका और इस्लामाबाद करीब आ रहे हैं। इसी महीने दोनों देशों के नेताओं ने इजिप्ट में मुलाकात की, जो पिछले कुछ महीनों में दूसरी भेंट थी। बांग्लादेश की आजादी के बाद से पहली बार उनके बीच समुद्री व्यापार भी शुरू हुआ, और सैन्य प्रैक्टिस की भी बात हो रही है। इस बीच पाकिस्तान ने बांग्लादेश को लेकर बड़ा बयान दिया है।

पाकिस्तान ने बांग्लादेश को अपना बिछड़ा हुआ भाई बताया है। यह बयान पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार का है। डार ने कहा कि वह बांग्लादेश की यात्रा करेंगे और पाकिस्तान हर संभव तरीके से उनके साथ सहयोग करेगा। पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार ने अफगानिस्तान को भी अपना भाई बताया।

यही नहीं, पाकिस्तान के डिप्टी पीएम इशाक डार ने भारत से द्विपक्षीय रिश्ते सुधारने की गुजारिश की है।पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि संबंधों को बेहतर करने के लिए दो लोगों की जरूरत होती है। यह एकतरफा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि भारत के साथ संबंधों को बेहतर करने में मदद करने के लिए माहौल बनाया जाए।

दरअसल, हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के करीब दो हफ्ते बाद पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार का ये बयान सामने आया है। शहबाज से मुलाकात के दौरान मोहम्मद यूनुस ने 1971 के मुद्दों को हल करने का आग्रह किया था। वहीं, शहबाज ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की थी। इस दौरान शहबाज ने भी बांग्लादेश को अपना भाई बताया था. पाकिस्तानी पीएम ने कहा था कि हम वास्तव में अपने भाई देश बांग्लादेश के साथ हमारे रिश्ते मजबूत करना चाहते हैं।

बता दें कि अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना की सत्ता जाने के बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार आ गई, जिसके नेता मोहम्मद यूनुस हैं।उनकी विदेश नीति ढाका की पुरानी पॉलिसी से एकदम अलग लग रही है। एक तरफ वे भारत से तनाव को उकसा रहे हैं, दूसरी तरफ पाकिस्तान से दशकों पुरानी दुश्मनी को मिटा रहे हैं। कई अहम मुद्दों पर नई दिल्ली को किनारे रख ढाका ने इस्लामाबाद का साथ देना शुरू कर दिया है।

चीन में एचएमपीवी की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य संस्था का बयान: घबराने की कोई बात नहीं

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चीन में एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) के फैलने की अटकलों के बीच, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने कहा है कि "घबराने की कोई बात नहीं है", दूरदर्शन ने रिपोर्ट किया । संस्था के महानिदेशक अतुल गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि देश में अभी तक श्वसन संबंधी बीमारी एचएमपीवी का कोई मामला सामने नहीं आया है।

चीन में एचएमपीवी के प्रकोप के बारे में खबरें आई हैं और यह गंभीर है। हमें ऐसा नहीं लगता, मैं स्पष्ट कर दूं, यह किसी भी अन्य श्वसन वायरस की तरह है जो ज्यादातर बुजुर्गों और 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है," गोयल ने कहा। उन्होंने कहा कि सर्दियों के दौरान श्वसन संबंधी बीमारियां आम हैं और भारत के अस्पताल इनसे निपटने के लिए सुसज्जित हैं। गोयल ने संवाददाताओं से कहा, "विशेष रूप से दवाओं की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसके खिलाफ एंटी-वायरल दवाएं नहीं हैं। अस्पतालों में या आईसीएमआर के आंकड़ों के अनुसार कोई बड़ा मामला नहीं है। घबराने की कोई बात नहीं है।"

इससे पहले एएनआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया था कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) देश में श्वसन और मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों की बारीकी से निगरानी कर रहा है। हालांकि चीन में एचएमपीवी प्रकोप की रिपोर्ट की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एनसीडीसी ने कथित तौर पर कहा है कि वह इस मामले के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के संपर्क में है। विशेष रूप से, शीत लहर और वायु गुणवत्ता सूचकांक की स्थिति के कारण, सर्दियों के मौसम में श्वसन संबंधी बीमारियों को लेकर चिंताएं आम तौर पर देश में मौजूद रहती हैं।

चीनी रोग नियंत्रण प्राधिकरण ने दिसंबर के अंत में घोषणा की थी कि वह अज्ञात मूल के निमोनिया के लिए एक निगरानी प्रणाली स्थापित कर रहा है क्योंकि सर्दियों में कुछ श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में वृद्धि होने की उम्मीद है, रॉयटर्स ने बताया। देश के इस कदम का उद्देश्य अज्ञात रोगजनकों को संभालने के लिए प्रोटोकॉल की पहचान करने और स्थापित करने में अधिकारियों की सहायता करना था। कथित तौर पर इस प्रणाली पर चीन का कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि इसकी तैयारी का स्तर पांच साल पहले की तुलना में बेहतर है, जब COVID-19 पहली बार सामने आया था।

क्या महाराष्ट्र में फिर करवट लेगी सियासत? 'सामना' में सीएम फडणवीस की तारीफ

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महाराष्ट्र की राजनीति में उठा-पटक का माहौल बना रहता है। कब कौन किस करवट बैठ जाए, ये कहना मुश्किल होता है। एक समय था जब बीजेपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना साथ हुआ करते थे। फिर सियासत बदली और शिवसेना का बंटवारा हुआ। उद्धव सेना विपक्ष में चली गई। अब फिर से महाराष्ट्र की सियासत में कुछ उलटफेर होने के संकेत दिख रहे हैं। बीते कुछ समय से पानी पी-पीकर भाजपा को कोसने वाली उद्धव की शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस की तारीफ की है।

दरअसल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नये साल के पहले दिन नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले का दौरा किया। नए साल के मौके पर फडणवीस ने नक्सल प्रभावित जिले में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। नए साल के पहले दिन देवेंद्र फडणवीस के गढ़चिरौली दौरे का खास महत्व हो गया है। इसके साथ ही फडणवीस का दौरा काफी चर्चा में है। शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जमकर तारीफ की गई है। संपादकीय में लिखा गया है कि फडणवीस ने नए साल में काम की शुरुआत गढ़चिरौली जिले से की। फडणवीस ने गढ़चिरौली से विकास के एक पर्व की शुरुआत की। इसके बाद शिवसेना के सांसद संजय राउत ने भी सीएम की तारीफ को लेकर जवाब दिया है।

सामना ने कहा कि फडणवीस ने जो कहा है अगर वह सच है तो यह गढचिरौली ही नहीं, पूरे महाराष्ट्र के लिए पॉजिटिव होगा। सामना के संपादकीय की मानें तो शिवसेना को यकीन है कि देवेंद्र फडणवीस गढ़चिरौली में कुछ नया करेंगे। सामना में लिखा, ‘गढ़चिरौली में गरीबी की वजह से नक्सलवाद बढ़ा। पढ़-लिखकर ‘पकौड़े’ तलने के बजाय, हाथों में बंदूकें लेकर आतंक मचाने, दहशत निर्माण करने की ओर युवाओं का झुकाव हुआ। इस संघर्ष में केवल खून ही बहा। पुलिस वाले भी मारे गए और बच्चे भी मारे गए। अब अगर मुख्यमंत्री गढ़चिरौली में इस तस्वीर को बदलने का निर्णय लेते हैं तो हम उन्हें बधाई देते हैं। हमें उम्मीद है कि फडणवीस गढ़चिरौली में कुछ नया करेंगे और आदिवासियों की जिंदगी बदल देंगे। अगर गढ़चिरौली में संविधान का राज आ रहा है तो मुख्यमंत्री फडणवीस प्रशंसा के पात्र हैं।

“लगता है फडणवीस गढ़चिरौली में कुछ नया करेंगे”

मुखपत्र में आगे लिखा कि कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि ‘संभावित संरक्षक मंत्री’ सीएम फडणवीस गढ़चिरौली में कुछ नया करेंगे। वहां के आदिवासियों की जिंदगी बदलेंगे। उन्होंने लिखा कि गढ़चिरौली में अब तक कुछ भी नहीं हुआ है। वहां के लोग नक्सलवादियों के विरोध में उंगली नहीं उठा सकते। उन्हें इन दोनों मोर्चों पर काम करते हुए नक्सलियों के विरोध को तोड़ना है और साथ ही विकास कार्यों को भी अंजाम देना है। फडणवीस की मौजूदगी में जाहल की महिला नक्सली तारक्का समेत 11 नक्सलियों का समर्पण किया है। साथ ही आजादी के बाद यानी 77 साल बाद पहली बार अहेरी से गरदेवाड़ा तक एसटी बस चली है, निश्चित रूप से मुख्यमंत्री के ‘मिशन गढ़चिरौली’ के बारे में बहुत कुछ कहती है।

संजय राउत के बदले सुर

सामना में छपे संपादकीय को लेकर शिवसेना उद्धव के नेता संजय राउत ने कहा कि मैंने 10 नक्सलियों के हथियार डालने और भारतीय संविधान को स्वीकार करने की तस्वीरें देखी हैं। अगर कोई ऐसा करता है तो इसकी सराहना की जानी चाहिए। अगर गढ़चिरौली जैसे जिले का विकास होता है तो यह पूरे राज्य के लिए अच्छा है। अगर गढ़चिरौली महाराष्ट्र का स्टील सिटी बन जाता है तो इससे बेहतर कुछ नहीं है। यह सब देवेंद्र फडणवीस की पहल के बाद किया गया है और कोई इसकी सराहना नहीं कर रहा है, तो यह सही नहीं है। शिवसेना नेता ने कहा कि हम हमेशा अच्छी पहल की सराहना करते हैं। हमने पीएम मोदी की भी आलोचना की है, लेकिन जब वे कुछ अच्छा करते हैं तो हम उसकी सराहना भी करते हैं।

क्यों अहम है यह तारीफ

सामान में फडणवीस की यह तारीफ ऐसे वक्त में हुई है, जब महाराष्ट्र की सियासत में अटकलों का बाजार गर्म है। एक अटकल यह है कि शरद पवार और अजित पवार में सुलह हो सकती है। दोनों एक साथ आ सकते हैं। पवार फैमिली के लोग भी इसके लिए बैटिंग कर रहे हैं। खुद शरद पवार से दिसंबर में अजित पवार मिल चुके हैं। दूसरी ओर अटकल यह है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एकसाथ आ सकते हैं। अटकलें तो यह भी हैं कि उद्धव ठाकरे इंडिया गठबंधन में नाराज चल रहे हैं। उद्धव की शिवसेना को भाजपा का साथ छोड़ने का पछतावा है।

यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को मिली मृत्युदंड, मदद के लिए सामने आया यह मुस्लिम देश, जानें क्या है वजह

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यमन में एक युवक की हत्या के मामले में भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई गई है। उन्हें एक महीने में फांसी दी जानी है। निमिषा की सजा माफ कराने के लिए भारत सरकार ने कोशिशें तेज कर दी हैं। इस बीच भारत की मदद के लिए एक मुस्लिम देश आगे आया है। निमिषा प्रिया के केस में ईरान ने भारत की मदद करने की पेश की है।ईरान ने कहा है कि वह हरसंभव मदद करेगा।

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ईरान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों से कहा, ‘हम इस मुद्दे को उठाएंगे। ऐसा लगता है कि उस पर गैर-इरादतन हत्या का आरोप लगाया गया है। मानवीय आधार पर हम इस मामले में जो भी कर सकते हैं, करेंगे। बता दें कि निमिषा प्रिया को जुलाई 2017 में दोषी ठहराया गया था। यमन के राष्ट्रपति ने गत माह निमिशा को मौत की सजा को बरकरार रखा है। भारत ने कहा है कि वह इस मामले में नर्स की मदद करने के लिए उसके परिवार और संबंधितों के संपर्क में है और सभी तरह के कानूनी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। प्रिया (37) अभी यमन की राजधानी सना की जेल में बंद है। यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की मौत कथित तौर पर बेहोशी की दवा की ‘ओवरडोज’ से हुई थी, जो प्रिया ने उससे अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए दी थी।

ईरान क्यों करना चाहता है मदद

ईरान ने यह पेशकश ऐसे वक्त में की है, जब अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कच्चे तेल के निर्यात पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा रखा है। अमेरिकी प्रतिबंधों से प्रताड़ित ईरान ने भारत से मदद की गुहार लगाई है। ईरान ने भारत से फिर से तेल खरीदने की अपील की है। इसके अलावा उसने ईरानी नागरिकों को भारतीय वीजा पाने में ढील देने को भी कहा है। ईरान का कहना है कि इससे भारत और भारतीय नागरिकों के साथ उसकी दोस्ती गहरी होगी। हालांकि, भारत की तरफ से ईरान के इन दो प्रस्तावों पर अभी तक स्पष्ट रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। भारत के लिए मध्य पूर्व में ईरान का महत्व काफी ज्यादा है।

भारत ने क्यों बंद किया ईरान से तेल खरीदना

ईरान 2018 से कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। पिछले डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत, अमेरिका ने ईरान पर 1500 से ज्यादा प्रतिबंध लगाए हैं। नतीजतन, 2019 में, अमेरिका के दबाव में, भारत ने ईरान से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया था, जिसका दोतरफा व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "2018 में प्रतिबंध लगाए जाने से पहले हमारे भारत के साथ अच्छे आर्थिक संबंध थे। हम समझते हैं कि भारत को प्रतिबंधों का पालन क्यों करना पड़ रहा है, लेकिन व्यापार में साल-दर-साल गिरावट आ रही है, जो अच्छी बात नहीं है।"

पीएम मोदी ने बाइडेन की पत्नी को दिया इतना महंगा गिफ्ट, कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश

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राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके परिवार को 2023 में विदेशी नेताओं से हजारों डॉलर के गिफ्ट मिले। इसमें जो बाइडेन को सबसे महंगा गिफ्ट भारत की ओर से दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन की पत्नी और यूएस की प्रथम महिला जिल बाइडेन को 20 हजार अमेरिकी डॉलर (लगभग 17,15,440 रुपये) का उपहार भेंट किया था। पीएम मोदी ने बाइडन की पत्नी को 7.5 कैरेट का हीरा गिफ्ट किया था। 2023 में जो बाइडेन परिवार को दिया गया ये सबसे महंगा तोहफा है।

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विदेश मंत्रालय की तरफ से प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई। विदेश मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी किए गए वार्षिक लेखा-जोखा के अनुसार, पीएम मोदी की ओर से दिया गया 7.5 कैरेट का हीरा 2023 में राष्ट्रपति के परिवार के किसी भी सदस्य को मिला सबसे महंगा उपहार है। मंत्रालय के दस्तावेज के अनुसार, पीएम मोदी द्वारा भेंट किया गया 20 हजार अमेरिकी डॉलर का हीरा ‘व्हाइट हाउस’ के ईस्ट विंग में रखा गया है जबकि राष्ट्रपति तथा प्रथम महिला को मिले अन्य उपहार अभिलेखागार में भेज दिए गए हैं।

राष्ट्रपति के परिवार को मिले अन्य गिफ्ट

पीएम मोदी के अलावा बाइडेन और उनके परिवार को यूक्रेन के राजदूत से 14,063 अमेरिकी डॉलर का एक ‘ब्रोच’, मिस्र के राष्ट्रपति तथा प्रथम महिला से 4,510 अमेरिकी डॉलर का एक ‘ब्रेसलेट’, ब्रोच और फोटो एल्बम भी मिली।

राष्ट्रपति बाइडन को भी मिले कई महंगे गिफ्ट

अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन को स्वयं कई महंगे उपहार मिले। इनमें दक्षिण कोरिया के वर्तमान में महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक येओल से 7,100 अमेरिकी डॉलर का एक फोटो एल्बम, मंगोलियाई प्रधानमंत्री से 3,495 अमेरिकी डॉलर की मंगोल योद्धाओं की मूर्ति, ब्रुनेई के सुल्तान से 3,300 अमेरिकी डॉलर का चांदी का कटोरा, इज़राइल के राष्ट्रपति से 3,160 अमेरिकी डॉलर की चांदी की ट्रे और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से 2,400 अमेरिकी डॉलर का कोलाज शामिल हैं।

संपत्ति का अधिकार संवैधानिक अधिकार, मुआवजे से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
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* सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि संपत्ति का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है और कानून के अनुसार पर्याप्त मुआवजे का भुगतान किए बिना किसी व्यक्ति से उसकी संपत्ति नहीं ली जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु-मैसूरु इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण में मुआवजे के मामले में सुनवाई के दौरान कही। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन ने कहा कि संविधान (44वां संशोधन) अधिनियम, 1978 के कारण संपत्ति का मौलिक अधिकार समाप्त कर दिया गया, हालांकि यह एक कल्याणकारी राज्य में एक मानवाधिकार और संविधान के अनुच्छेद 300-ए के तहत एक संवैधानिक अधिकार बना हुआ है।अनुच्छेद 300-ए के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से केवल कानून के अधिकार के तहत ही वंचित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला कर्नाटक हाई कोर्ट के नवंबर 2022 के एक फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर दिया गया, जो बेंगलुरु-मैसूर इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर प्रोजेक्ट (बीएमआईसीपी) के तहत भूमि अधिग्रहण से संबंधित था।सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि 2003 में कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरियाज डेवलपमेंट बोर्ड (केआईएडीबी) द्वारा परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रारंभिक अधिसूचना जारी की गई थी। नवंबर 2005 में अपीलकर्ताओं की भूमि का कब्जा ले लिया गया। बेंच ने कहा कि पिछले 22 वर्षों से भूमि मालिकों को उनकी संपत्ति के बदले कोई मुआवजा नहीं मिला। यह देरी राज्य और केआईएडीबी के अधिकारियों के सुस्तीपूर्ण रवैये के कारण हुई। *जानें क्या है मामला* जनवरी 2003 में, प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) ने एक अधिसूचना जारी की थी और नवंबर 2005 में अपीलकर्ताओं की जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में पाया कि प्रोजेक्ट के लिए लोगों की जमीन पर कब्जा किया गया और उन्हें इस के लिए मुआवजा भी नहीं दिया गया। बिना मुआवजे के लोगों को उनकी जमीन से वंचित कर दिया गया। कोर्ट ने कहा पिछले 22 साल से इन जमीन मलिकों ने कई बार अदालत के दरवाजे खटखटाए। बेंच ने कहा कि अवमानना कार्यवाही में नोटिस जारी होने के बाद ही, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी (एसएलएओ) ने 22 अप्रैल, 2019 को अधिग्रहित भूमि के बाजार मूल्य का निर्धारण करने के लिए 2011 में प्रचलित दिशानिर्देश मूल्यों को ध्यान में रखते हुए मुआवजा निर्धारित किया गया था। *मुआवजे में देरी पर कड़ी टिप्पणी* साथ ही कोर्ट ने कहा, अगर साल 2003 के बाजार मूल्य के तहत लोगों को मुआवजा देने की इजाजत दी गई तो यह न्याय का मजाक उड़ाने और अनुच्छेद 300-ए के तहत संवैधानिक प्रावधानों का मजाक बनाने जैसा होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अदालत की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए, विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी (SLAO) को निर्देश दिया कि वो 22 अप्रैल 2019 के बाजार मूल्य के हिसाब से लोगों को उनकी जमीन का मुआवजा दें।
दिल्ली में आपदा सरकार, शीशमहल, पीएम मोदी ने आप सरकार पर यूं बोला हमला

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दिल्ली में फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी की कई विकास योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने अशोक विहार स्थित स्वाभिमान अपार्टमेंट में झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास परियोजना के तहत लाभार्थियों को फ्लैटों की चाबियां सौंपी और इससे पहले उन्होंने लाभार्थियों से बातचीत की। इस दौरान पीएम मोदी ने बिना नाम लिए दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आप सरकार पर बड़ा हमला बोला।

10 सालों से दिल्ली एक बड़ी आपदा से घिरी-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली की आप सरकार पर हमला करते हुए कहा कि बीते 10 सालों से दिल्ली एक बड़ी आपदा से घिरी है। अन्ना हजारे जी को सामने करके कुछ कट्टर बेईमान लोगों ने दिल्ली को आपदा में धकेल दिया। दिल्ली देश की राजधानी है लेकिन यहां शराब के ठेकों में घोटाला, बच्चों के स्कूल में घोटाला, गरीबों के इलाज में घोटाला, भर्तियों के नाम पर घोटाला किए गए। उन्होंने कहा कि जो लोग दिल्ली के विकास की बात करते थे, वे तो आपदा बनकर दिल्ली पर टूट पड़े।

दिल्ली में 'आप-दा' सरकार- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि मैं तो दिल्ली वालों को मुफ्त इलाज की सुविधा देने वाली 'आयुष्मान भारत' योजना का लाभ देना चाहता हूं। आप-दा सरकार को दिल्ली वालों से बड़ी दुश्मनी है। पूरे देश में आयुष्मान योजना लागू है, लेकिन इस योजना को आप-दा वाले यहां (दिल्ली) लागू नहीं होने दे रहे। इसका नुकसान दिल्ली वालों को उठाना पड़ रहा है।

दिल्ली सरकार के पास कोई विजन नहीं- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़े काम जो दिल्ली में होते हैं वो केंद्र सरकार के जिम्मे है। ज्यादातर सड़के, मेट्रो, बड़े अस्पताल, बड़े कॉलेज कैंपस ये सब केंद्र सरकार ही बना रही है। लेकिन यहां की आपदा सरकार के पास जिस भी काम का दायित्व है, उसपर भी यहां ब्रेक लगी हुई है। दिल्ली को जिस आपदा ने घेर रखा है, उसके पास कोई विजन नहीं है। ये कैसी आपदा है। इसका एक और उदाहरण हमारी यमुना जी हैं। जब मैंने लाभार्थियों से पूछा की छठ पूजा कैसी रही तो वो सिर पर हाथ मारकर कह रहे थे कि छठ पूजा का हाल क्या कहें। हम घर के पास ही छोटा-मोटा पूजा करके मां से माफी मांग लेते हैं। इनकी बेशर्मी देखो ये कहते हैं कि यमुना की सफाई से वोट नहीं मिलेगा। मतलब वोट नहीं मिलेगा तो यमुना की सफाई नहीं करेंगे। इस आपदा ने दिल्ली वालों के जीवन को टैंकर माफिया के हवाले कर दिया है।

शीश महल का जिक्र कर केजरीवाल पर निशाना

पीएम मोदी ने कहा कि देश भाली-भांति जानता है कि मोदी ने कभी अपने लिए घर नहीं बनाया है। लेकिन बीते 10 वर्षों में चार करोड़ से अधिक गरीबों को घर देकर उनका सपना पूरा किया है। मैं भी कोई शीश महल बना सकता था, लेकिन मेरे लिए तो मेरे देशवासियों को पक्का घर मिले यही एक सपना था। मैं आप सबको भी कहता हूं कि आप जब भी लोगों के बीच जाएं लोगों से मिले और अभी भी जो लोग झुग्गी झोपड़ी में रहते हैं, मेरे तरफ से उनको वादा करके आना, मेरे लिए आप ही मोदी हैं, आप वादा करके आना आज नहीं तो कल उनके लिए पक्का मिलेगा।

कोरोना के बाद चीन में नए वायरस ने डराया, तेजी से फैल रहा, कई इलाकों में इमरजेंसी घोषित

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कोरोना महामारी का प्रकोप लोग अभी भूले नहीं है। उस वक्त एक जानलेवा वायरस ने पूरी दुनिया की रफ्तार को रोक दिया था। करोड़ो लोग इसका शिकार हुए और लाखों को अपनी जान से हाथ तक धोना पड़ा। कोरोना वायरस चीन के वुहान से निकला था। अब करीब पांच साल के बाद एक बार फिर चीन में एक और खतरनाक वायरस ने दस्तक दे दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दिनों चीन में ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस का प्रकोप देखने को मिल रहा है। बताया जा रहा है कि इस खतरनाक वायरस के कारण चीन के अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इतना ही नहीं,ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस के कारण मरीज बड़ी संख्या में मर भी रहे हैं।

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ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों में खांसी-जुकाम और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण नजर आ रहे है। जिन लोगों को पहले से सांस की कोई बीमारी है उनको ज्यादा खतरा बताया जा रहा है। चूंकि ये वायरस संक्रामक है और एक से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है ऐसे में चीन का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है और वायरस की रोकथाम के लिए बड़े पैमाने पर टेस्टिंग भी चल रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन में इस वायरस से इमरजेंसी जैसे हालात है।

चीन का यह सच सोशल मीडिया पर अब आग की तरफ फैल रहा है। कई रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा है कि यह नया वायरस तेजी से फैल रहा है। चीन पर नजर रखने वाले कुछ लोगों का तो यह भी दावा है कि अस्पताल और श्मशान घाट भी अब भर चुके हैं। लोग इस वायरस की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। ऐसे कई वीडियो को ऑनलाइन शेयर किया गया है। इनमें अस्पतालों में भीड़ दिखाई दे रही है।

ऑनलाइन शेयर किए गए वीडियो में अस्पतालों में भीड़ दिखाई दे रही है। कुछ यूजर्स का कहना है कि चीन में एचएमपीवी, इन्फ्लूएंजा ए, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और कोविड-19 समेत कई वायरस एक साथ फैल रहे हैं। चीन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। हालांकि, अब भी इस वायरस को लेकर बहुत कुछ सही से बता नहीं रहा।

वहीं, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट की मानें तो चीन के रोग नियंत्रण प्राधिकरण ने शुक्रवार को कहा कि वह अज्ञात तरीके के निमोनिया के लिए एक निगरानी प्रणाली चला रहा है। सर्दियों में सांस संबंधी रोगों के मामले बढ़ने की आशंका है। एक खास सिस्टम स्थापित करने का मकसद अधिकारियों को अज्ञात रोगजनकों से निपटने के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करने में मदद करना है।

क्या है यह एचएमपीवी वायरस

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) भी कोरोना की ही तरह से श्वसन पथ को संक्रमित करता है, हालांकि कोरोना के इतर इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है। यह न्युमोवायरिडे परिवार के मेटापन्यूमोवायरस क्लास से जुड़ा है। इसे सबसे पहले 2001 में डच शोधकर्ताओं ने खोजा था। यह वायरस तब सामने आया था रिसर्चर जब श्वसन संक्रमण यानी सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित बच्चों के नमूनों का अध्ययन कर रहे थे। अध्ययनों से पता चला है कि यह वायरस कम से कम छह दशकों से मौजूद है। यह एक सामान्य श्वसन रोगजनक़ के रूप में पूरी दुनिया में फैल गया है। यह मुख्य रूप से खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों से फैलता है। संक्रमित लोगों के साथ निकट संपर्क और दूषित वातावरण के संपर्क में आने से भी संचरण हो सकता है। चीनी सीडीसी की वेबसाइट के अनुसार, इस वायरस का संक्रमण काल तीन से पांच दिनों का होता है। एचएमपीवी द्वारा प्रेरित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बार-बार होने वाले संक्रमणों को रोकने के लिए बहुत कमजोर होती है। हालांकि यह पूरे साल पाया जा सकता है, लेकिन यह सर्दी और वसंत में सबसे अधिक पाया जाता है।

2023 में अमेरिका में भी बढ़े थे मामले

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका के कई हिस्सों में साल 2023 की शुरुआत में फिर उसी साल के मई-जून के महीनों में एचएमपीवी के कारण संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े थे। जानकारी के अनुसार अमेरिका में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के लिए लगभग 11 प्रतिशत पीसीआर और 20 प्रतिशत एंटीजन टेस्ट रिपोर्ट सकारात्मक आए थे।

महामारी से पहले के स्तर की तुलना में इसकी पॉजिटीविटी दर में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को इस वायरल संक्रमण के जोखिमों को देखते हुए बचाव के लिए उपाय करते रहने की आवश्यकता है।

भोपाल गैस कांड का जहरीला कचरा नष्ट करने पर बवाल, इंदौर के पास पीथमपुर में प्रदर्शन, पुलिस ने किया लाठीचार्ज

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भोपाल गैस कांड के कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध तेज हो गया है। यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा लाने के विरोध में पीथमपुर में जमकर हंगामा मच गया है। हजारों की तादाद में लोग सड़क पर उतर आए हैं। बेकाबू पब्लिक को संभालने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा है।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 40 साल पहले हुई गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को अब जलाने की प्रक्रिया शुरू हो रही है। धार के पीथमपुरा में इस कचरे को ले जाकर खत्म किया जाना है। हालांकि, इसको लेकर मध्य प्रदेश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन चल रहा है। जनता यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले इस जहरीले कचरे को धार के पीथमपुरा में ट्रांसफर किए जाने का विरोध कर रही है। आज सुबह से पूरा पीथमपुर बंद है। कहीं पर भी दुकानें नहीं खुली हैं। लोगों ने स्वेच्छा से दुकानों को बंद रखा है। लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है। शुक्रवार की सुबह गुस्साए लोगों को हटाने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

बंद को आम लोगों का पूरा समर्थन

सभी संगठन, संस्थाएं एक मंच पर आकर इसका विरोध कर रही हैं। इंदौर से कई संस्थाओं और सामाजिक संगठनों के लोग पीथमपुर गए हैं। बंद को रहवासियों का पूरा साथ मिला है। हर जगह बंद का असर नजर आ रहा है। कोई भी सड़कों पर कारोबार करता नजर नहीं आ रहा। लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि कचरा जलाना शुरू किया तो आंदोलन और भी भड़क जाएगा।

सीएम की अपील का नहीं दिखा असर

कल सीएम मोहन यादव ने विरोध कर रहे लोगों को संतुष्ट करने का प्रयास किया लेकिन उसका कोई असर नहीं दिखा। भोपाल से इंदौर आए 337 टन विषैले कचरे को लेकर जारी विरोध के बीच इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में एक बैठक आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि हमें भी शहर की चिंता है। रातभर हमने सरकार को सोने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जहरीले कचरे से जनता भयग्रस्त न हो, शंका का समाधान जरूरी है। उन्होंने सभी से बात की लेकिन उनकी बात से भी आंदोलन पर खासा असर नहीं पड़ा। सुबह होते ही लाखों लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए निकल गए।