आरएसएस की शाखा में आए थे आंबेडकर और गांधी', संघ का बड़ा दावा

#rssmediawingclaimsbabasahebambedkarhadjoinedthe_branch

Image 2Image 3Image 4Image 5

देश के संविधान के निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पिछले दिनों शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में केन्द्रीय गृहमंत्री के दॉक्टर बीआर अंबेडकर पर दिए गए बयान के बाद पक्ष और विरक्ष में जमकर घमासान मचा। अंबेडकर को लेकर जारी सियासी विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बड़ा दावा किया है। आरएसएस ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि महात्मा गांधी और बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर संघ की शाखाओं में शामिल हो चुके हैं। संघ के मुताबिक, गांधी 1934 में संघ के एक शिविर में पहुंचे थे जबकि आंबेडकर ने 1940 में संघ की एक शाखा में भेंट दी थी। बता दें कि आरएसएस ने अपने दावे के समर्थन में पेपर की एक कटिंग भी दिखाई है।

देश के संविधान के निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 85 साल पहले महाराष्ट्र में आरएसएस की एक शाखा का दौरा किया था। संघ की संचार शाखा विश्व संवाद केंद्र (वीएसके) ने बृहस्पतिवार को इसका खुलासा करते हुए दावा किया कि इस दौरान आंबेडकर ने स्वयंसेवकों से संबोधित करते हुए कहा था कि कुछ मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद वह आरएसएस को आत्मीयता की भावना से देखते हैं।

विश्व संवाद केंद्र के विदर्भ प्रांत ने एक बयान में कहा, डॉ. आंबेडकर ने 2 जनवरी, 1940 को सतारा जिले के कराड में आरएसएस की शाखा का दौरा किया था। यहां उन्होंने स्वयंसेवकों को संबोधित भी किया था। वीएसके ने संबंधित समाचार की एक क्लिपिंग के साथ कहा कि 9 जनवरी, 1940 को पुणे के मराठी दैनिक केसरी में डॉ. आंबेडकर के आरएसएस शाखा में आने के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी।

“आंबेडकर और आरएसएस के बारे में गलत सूचना फैलाई गई”

बयान के मुताबिक, आरएसएस ने अपनी अब तक की यात्रा में कई चुनौतियों का सामना किया है और संगठन पर कई आरोप लगाए गए हैं, लेकिन उसने इन सभी आरोपों को गलत साबित किया है तथा एक सामाजिक संगठन के रूप में अपनी पहचान को फिर से पुष्ट किया है। इसमें कहा गया है कि आरएसएस पर विभिन्न कारणों से तीन बार प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन हर बार यह बेदाग निकला। बयान के अनुसार, आरएसएस पर दलित विरोधी होने के आरोप लगे और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर तथा आरएसएस के बारे में गलत सूचना फैलाई गई। लेकिन अब डॉ. आंबेडकर और आरएसएस के बारे में एक नया दस्तावेज सामने आया है, जो दोनों के बीच संबंधों को उजागर करता है।

“स्वयंसेवक नियमित रूप से आंबेडकर के संपर्क में थे”

वीएसके ने अपने बयान में कहा कि नौ जनवरी, 1940 को पुणे के मराठी दैनिक ‘केसरी’ में डॉ. आंबेडकर के आरएसएस शाखा का दौरा करने के बारे में एक खबर प्रकाशित हुई थी। बयान में उस समाचार की एक प्रति भी संलग्न की गई है। खबर में आरएसएस विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी की लिखी किताब ‘डॉ. आंबेडकर और सामाजिक क्रांति की यात्रा’ का संदर्भ दिया गया है, जिसमें आरएसएस और डॉ. आंबेडकर के बीच संबंधों के बारे में बताया गया है। खबर के अनुसार, किताब के आठवें अध्याय की शुरुआत में ठेंगड़ी कहते हैं कि डॉ. आंबेडकर को आरएसएस के बारे में पूरी जानकारी थी। अध्याय के मुताबिक, संघ के स्वयंसेवक नियमित रूप से आंबेडकर के संपर्क में रहते थे और उनसे चर्चा करते थे।

वीएसके ने किताब के हवाले से कहा, डॉ. आंबेडकर यह भी जानते थे कि आरएसएस हिंदुओं को एकजुट करने वाला एक अखिल भारतीय संगठन है। वह इस बात से भी वाकिफ थे कि हिंदुत्व के प्रति वफादार संगठनों, हिंदुओं को एकजुट करने वाले संगठनों और आरएसएस के बीच अंतर है। आरएसएस के विकास की गति को लेकर उनके मन में संदेह था। इस दृष्टि से डॉ. आंबेडकर और आरएसएस के बीच संबंधों का विश्लेषण करने की आवश्यकता है।

दिल्ली चुनाव में पीएम मोदी की एंट्री! जाने जहां रैली करेंगे वहां की सीट का सियासी समीकरण

#pmmodiashokviharrallywazirpurvidhansabha

Image 2Image 3Image 4Image 5

दिल्ली में फरवरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को दिल्ली में चुनावी शंखनाद करेंगे। पीएम मोदी इस दौरान राष्ट्रीय राजधानी को कई विकास योजनाओं की सौगात देंगे। पीएम मोदी झुग्गीवासियों के लिए विशेष तोहफा लेकर आएंगे। वे उन्हें फ्लैट की चाबियां सौंपेंगे, जिससे झुग्गी में रहने वाले लोगों को बेहतर और सुरक्षित आवास मिल सकेगा। ये कदम दिल्ली में प्रधानमंत्री के आवासीय योजनाओं के तहत किया जा रहा है और इससे लाखों गरीब परिवारों को राहत मिल सकती है।

पीएम दोपहर करीब 12 बजकर 10 मिनट पर दिल्ली के अशोक विहार स्थित स्वाभिमान अपार्टमेंट में इन-सीटू स्लम पुनर्वास परियोजना के अंतर्गत झुग्गियों के निवासियों के लिए नवनिर्मित फ्लैटों का दौरा करेंगे। इसके बाद करीब 12 बजकर 45 मिनट पर प्रधानमंत्री दिल्ली में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। पीएम मोदी दिल्ली के अशोक विहार में झुग्गी बस्तियों के निवासियों के लिए 1,675 नवनिर्मित फ्लैटों का उद्घाटन करेंगे और पात्र लाभार्थियों को स्वाभिमान अपार्टमेंट की चाबियां भी सौंपेंगे।

नजफगढ़ के रोशनपुरा में आज पीएम मोदी वीर सावरकर कॉलेज की आधारशिला रखेंगे। इस कॉलेज का नाम वीर सावरकर के सम्मान में रखा गया है जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारतीय इतिहास के महान नेताओं में से एक थे। पीएम मोदी द्वारका में सीबीएसई के एकीकृत कार्यालय परिसर का भी उद्घाटन करेंगे, जिस पर करीब 300 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसमें कार्यालय, ऑडिटोरियम, उन्नत डाटा सेंटर और व्यापक जल प्रबंधन प्रणाली के अलावा अन्य सुविधाएं शामिल हैं। पर्यावरण के अनुकूल इस इमारत का निर्माण उच्च पर्यावरणीय मानकों के अनुसार किया गया है और इसे भारतीय हरित भवन परिषद के प्लेटिनम रेटिंग मानकों के अनुसार डिजाइन किया गया है।

पीएम का आज का दौरा दिल्ली में आगामी चुनावों के ध्यान में रखते हुए अहम माना जा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी की रैली शुक्रवार को अशोक विहार में होगी। वहां जाने के लिए प्रधानमंत्री का काफिला 30 फुट की रोड से गुजरेगा। इस रोड पर दोनों तरफ आवासीय कॉलोनी हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री के लिए लगने वाला रूट दिल्ली पुलिस के एक बड़ी चुनौती है। दिल्ली पुलिस ने रैली के दौरान लोगों को घरों की छतों पर आने और खिड़की खोलने पर रोक लगा दी है। दिल्ली पुलिस मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले मेट्रो से जाएंगे। इसके बाद वह मॉडल डाउन से सड़क मार्ग से जाएंगे। इस दौरान पीएम का काफिला एक गांव से गुजरेगा। इस गांव में करीब 3 से 4 किलोमीटर का संकरा रोड है। ये घनी आबादी वाला जगह है। पीएम के रूट को देखते हुए पुलिस ने यहां रहने वाले दो से ढाई हजार परिवारों का पुलिस वेरीफिकेशन किया है। सभी का पता किया है कि कहां के रहने वाले हैं और कब से रह रहे हैं।

पीएम मोदी की रैली के क्या हैं मायने?

पीएम मोदी की अपनी पहली रैली के जरिए दिल्ली में बीजेपी की जीत की मजबूत आधारशिला रखने की स्ट्रेटैजी है। झुग्गी के बदले मकान देने के प्रोजेक्ट का शुभारंभ कर के सीधे पीएम मोदी की दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मजबूत बन चुके झुग्गी वोट बैंक को साधने की रणनीति है। केंद्र सरकार ने इससे पहले एमसीडी चुनाव के दौरान राजेंद्र नगर के कठपुतली कॉलोनी और कालकाजी के गोविंदपुरी में भी ‘जहां झुग्गी वहीं मकान’ योजना के तहत झुग्गी वालों को मकान उपलब्ध किए थे।

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर बीजेपी की झुग्गी में रह रहे लोगों के विश्वास को जीतने की रणनीति है। उत्तरी-पश्चिमी दिल्ली में अशोक विहार के आसपास में कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर झुग्गियों में रहने वालों की आबादी काफी ज्यादा है। अशोक विहार का इलाका वजीरपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत और चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में आता है। चांदनी चौक बीजेपी का गढ़ रहा है, लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने इस लोकसभा में बीजेपी को धूल चटाई है। ऐसे में बीजेपी ने पीएम मोदी की पहली रैली इसी इलाके में रखी है, ताकि आम आदमी पार्टी को इस बार चुनौती दी जा सके।

जहां पीएम मोदी की रैली, वहां के समीकरण

पीएम मोदी की पहली रैली अशोक विहार में रखी गई है, जो वजीरपुर विधानसभा सीट के तहत आता है। दिल्ली का यह इलाका आजादी के बाद बसा है। वजीरपुर विधानसभा क्षेत्र के तहत अशोक विहार, भारत नगर, केशवपुरम गांव आदि आते हैं। वजीरपुर विधानसभा सीट पर पहली बार 1993 में चुनाव हुए थे तब यहां कांग्रेस के दीपचंद बंधु विधायक चुने गए थे। इसके बाद से वजीरपुर सीट पर सात बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और अब आठवीं बार होने जा रहा है। इस सीट पर अभी तक का ट्रैक देखें तो 1993 और 1998 में कांग्रेस जीती थी। इसके बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के मांगेराम गर्ग विधायक चुने गए थे। इसके बाद 2008 में कांग्रेस के हरी शंकर गुप्ता विधायक बने, लेकिन पांच साल बाद फिर यह सीट कांग्रेस के हाथों से निकल गई और बीजेपी ने अपना कब्जा जमाया।

2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के महेंद्र नागपाल विधायक बने, लेकिन 2015 में आम आदमी पार्टी अपना कब्जा जमाने में कामयाब रही। इसके बाद 2020 में आम आदमी पार्टी के राजेश गुप्ता जीतकर दिल्ली की विधानसभा पहुंचे। वजीरपुर विधानसभा सीट पर अभी तक सबसे ज्यादा कब्जा कांग्रेस का रहा है। कांग्रेस यह सीट तीन बार जीतने में कामयाब रही है तो बीजेपी और आम आदमी पार्टी दो-दो बार ही जीत सकी हैं।

इनके बीच होगा मुकाबला

वजीरपुर विधानसभा सीट के लिए इस बार मुकाबला काफी रोचक होने जा रहा है। कांग्रेस ने अपनी तेज तर्रार प्रवक्ता रागिनी नायक को वजीरपुर सीट से प्रत्याशी बनाया है तो आम आदमी पार्टी ने अपने दो बार के विधायक राजेश गुप्ता पर ही भरोसा जताया है। बीजेपी ने अभी तक वजीरपुर विधानसभा सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, लेकिन जिस तरह से पीएम मोदी ने अपनी पहली रैली के लिए वजीरपुर के अशोक विहार को चुना है, उसके सियासी मायने को समझा जा सकता है। वजीरपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी हर हाल में कमल खिलाने की कवायद करेगी।

कड़ाके की ठंड और घने कोहरे की चपेट में उत्तर भारत, विजिबिलिटी हुई जीरो, विमान और ट्रेनें प्रभावित

#visibility_plummets_amid_dense_fog_across_north_india

देशभर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। देश की राजदानी दिल्ली और एनसीआर समेत पूरा उत्तर भारत कोहरे की चपटे में है। उत्तर भारत के कई हिस्सों में घना कोहरा छाया रहा। इससे दृश्यता और तापमान में गिरावट आई। इस वजह से ट्रेन और विमान परिचालन प्रभावित हुआ। आईएमडी के पिछले 24 घंटों के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में अधिकतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से तीन डिग्री कम रहा। ऐसे ही न्यूनतम तापमान 7.6 डिग्री सेल्सियस रहा।

Image 2Image 3Image 4Image 5

इस बीच मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली में 8 जनवरी तक कोहरा छाया रहने की संभावना है, जबकि 6 जनवरी को हल्की बारिश भी हो सकती है। राजधानी में पहाड़ों से आ रही बर्फीली हवाओं ने कंपकंपी बढ़ा दी है और शीतलहर का दौर जारी है। ऐसे में अधिकतम तापमान के साथ न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। कई इलाकों में पारा छह डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इससे लोगों को ठिठुरन महसूस हुई।

दिल्ली में घने कोहरे की स्थिति के बीच दिल्ली हवाई अड्डे के अधिकारियों की तरफ से एक एडवाइजरी जारी की गई। घने कोहरे के कारण दिल्ली एयरपोर्ट पर विजिबिलिटी जीरो है। इसी वजह से पायलटो को दिल्ली एयरपोर्ट के रनवे पर टेक ऑफ और लैंडिंग में मुश्किल आ रही है। कुछ फ्लाइट्स को दिल्ली एयरपोर्ट पर कैंसिल कर दिया गया है। घने कोहरे के कारण दिल्ली एयरपोर्ट पर डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट दोनों ही प्रभावित हैं।

फ्लाइटरडार24 के मुताबिक, स्पाइसजेट, इंडिगो और एयर इंडिया सहित कई एयरलाइंस की उड़ानें प्रभावित हुईं। दिल्ली हवाई अड्डे पर आगमन उड़ानों के लिए औसतन पांच मिनट और प्रस्थान उड़ानों के लिए 11 मिनट की देरी रिकॉर्ड की गई। इस बीच स्पाइसजेट ने कहा कि खराब मौसम के कारण अमृतसर और गुवाहाटी आने और जाने वाली सभी उड़ानें प्रभावित हैं। इंडिगो ने दिल्ली, अमृतसर, लखनऊ, बंगलूरू और गुवाहाटी के मार्गों पर विशेष ध्यान देते हुए एक यात्रा सलाह जारी की। एयरलाइंस ने यात्रियों से अपनी यात्रा की योजना बनाते समय ताजा अपडेट लेने का कहा। यह चेतावनी भी दी गई कि यदि दृश्यता खराब रही तो उड़ानें रद्द हो सकती हैं।

इस बीच दिल्ली से रवाना होने वाली और दिल्ली आने वाली ट्रेनें भी देरी से चल रही हैं, जबकि कुछ मार्गों पर समय में बदलाव किया जा रहा है। आज घने कोहरे के कारण सड़कों पर गाड़ियों की स्पीड भी धीमी दिखाई दी। मौसम विभाग की तरफ से कोहरे को लेकर ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया गया था।

पीएम मोदी ने अजमेर शरीफ दरगाह पर भेजी चादर, हाजी सलमान चिश्ती ने किया स्वागत

#pmmodisendschadartoajmersharif_dargah

अजमेर की गरीब नवाज हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 813वां उर्स शुरू हो गया है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल की तरह इस साल भी अजमेर शरीफ स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर भेजी है।4 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की चादर अजमेर शरीफ दरगाह में मजार पर चढ़ाई जाएगी। बता दें कि पीएम मोदी ने 11वीं बार अजमेर शरीफ की दरगाह पर चादर भेजी है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री तथा संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू 4 जनवरी को अजमेर आएंगे जहां वे ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के मौके पर पीएम मोदी की चादर पेश करेंगे।

Image 2Image 3Image 4Image 5

पीएम मोदी ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को चादर सौंप दी है। अब अल्पसंख्यक मंत्री पहले (3 जनवरी) निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर जाएंगे। भेंट की गई चादर को निजामुद्दीन औलिया में ले जाने के बाद अजमेर शरीफ दरगाह पर ले जाया जाएगा।

'देश की सभ्यता निभा रहे पीएम मोदी'- नसरुद्दीन चिश्ती

इसको लेकर अजमेर दरगाह प्रमुख नसरुद्दीन चिश्ती की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की चादर का हम खैर-मकदम करते हैं। ये देश की परंपरा रही है कि साल 1947 के बाद से जो भी पीएम हुए हैं, उन्होंने ख्वाजा गरीब नवाज के दरबार में अकीदत के तौर पर चादरें भेजी हैं। साल 2014 से पीएम मोदी भी इस परंपरा को निभा रहे हैं। इसी के साथ नरेंद्र मोदी हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता को भी निभा रहे हैं। नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा, हमारी सभ्यता यह कहती है कि हर मजहब, धर्म और संप्रदाय और हर मजहब के संतों का सम्मान होना चाहिए। इस परंपरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निभा रहे हैं और बहुत ही अदब के साथ वह इस दरबार में 10 साल से चादर भेज रहे हैं।

आप ने कसा तंज

वहीं, पीएम मोदी की तरफ चादर चढ़ाए जाने पर तमाम विपक्षी दल तंज कसते नजर आ रहे हैं।दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पीएम मोदी की तरफ से चढ़ाई जाने वाली चादर चढ़ाने पर तंज कसा है, उन्होंने कहा कि अब बीजेपी बदल रही है क्या? पहले दिल्ली में इमामों की तनख्वाह की मांग कर रहे थे , अब दरगाह में चादर चढ़ा रहे हैं।

अजमेर की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा

बता दें कि पीएम मोदी की दी गई चादर को अजमेर शरीफ दरगाह की मजार पर ऐसे समय में चढ़ाई जाएगी, जब पिछले दिनों हिंदू राष्ट्र सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका पर अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी।

बांग्लादेश से घुसपैठ के लिए ममता बनर्जी ने बीएसएफ पर लगाए गंभीर आरोप, केजरीवाल ने दिया साथ

#mamata_banerjee_claim_bsf_infiltrating_illegal_bangladeshis_in_india_arvind_kejriwal_support

भारत में बड़ी संख्या में बांग्‍लादेशी घुसपैठ‍िए रह रहे हैं। दिल्‍ली से लेकर महाराष्‍ट्र तक जब इनकी तलाश शुरू हुई तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। अब इन्‍हें पकड़-पकड़कर बांग्‍लादेश भेजा जा रहा है। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देश की रक्षा कर रहे जवानों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि बीएसएफ बांग्लादेश से घुसपैठ करा रही है। इतना ही नहीं, द‍िल्‍ली के पूर्व मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी ममता का साथ देते दिख रहे हैं। केजरीवाल ने आरोप आरोप लगाया है कि केंद्र की बीजेपी सरकार जानबूझकर बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ करवा रही है।

Image 2Image 3Image 4Image 5

ममता बनर्जी ने गुरुवार को केंद्रीय बलों पर राज्य को अस्थिर करने के लिए बांग्लादेशी आतंकवादियों को बंगाल में घुसने देने का आरोप लगाकर खलबली मचा दी। इसे केंद्र की 'नापाक योजना' बताते हुए बनर्जी ने कहा कि बांग्लादेश सीमा की रक्षा करने वाली बीएसएफ बंगाल में घुसपैठ की इजाजत दे रही है। पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा बीएसएफ अलग-अलग इलाकों से बंगाल में घुसपैठ करा रही है। बीएसएफ महिलाओं पर अत्याचार भी कर रही है। मैं डीजीपी से कहूंगी कि वे जांच करें कि किन जगहों से लोगों को बीएसएफ ने घुसने दिया है, क्योंकि सीमा हमारे हाथ में नहीं है। अगर कोई आरोप लगाता है कि टीएमसी घुसपैठ करवा रही है तो मैं कहूंगी कि सीमा बीएसएफ के अधीन है और बीएसएफ ही ये सब कर रही है, इसलिए हमें दोष न दें और घुसपैठ के लिए टीएमसी पर आरोप न लगाएं। यह भी पढ़े -मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल एसटीएफ ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दो युवकों को किया गिरफ्तार।

ममता बनर्जी ने कहा- टीएमसी, बीएसएफ की सुरक्षा नहीं कर रही है। लेकिन पुलिस के पास सारी जानकारी है। केंद्र के पास सारी जानकारी है। राजीव कुमार ने मुझे कुछ जानकारी दी है और मुझे कुछ स्थानीय जानकारी भी मिली है। मैं इस संबंध में एक पत्र लिखूंगी। मैं यहां और बांग्लादेश में भी शांति चाहती हूं। हमारे बीच कोई दुश्मनी नहीं है। अगर मुझे नजर आएगा कि कोई मेरे राज्य में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है तो मैं विरोध करूंगी।

इधर, दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी रोहिंग्या के मुद्दे पर लगातार बीजेपी पर हमला बोल रही है। इसी क्रम में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा, इससे ऐसा लगता है कि केंद्र की बीजेपी सरकार जानबूझकर बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ करवा रही है। क्या केंद्र सरकार जानबूझकर बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ करवा रही है या फिर बीजेपी सरकार सीमा की सुरक्षा करने में विफल है?

वहीं, आप नेता ने एक अन्य पोस्ट में एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि बीजेपी के झूठ को उसकी ही दिल्ली पुलिस ने बेनकाब कर दिया है. वीडियो में एक रिपोर्टर दिल्ली पुलिस कमिश्नर से पूछ रहा है कि क्या दिल्ली में अवैध रूप से बसे बांग्लादेशियों से आम आदमी पार्टी का कोई संबंध है? इस पर पुलिस कमिश्नर कहते हैं कि, ‘हमें इस संबंध में अभी तक ऐसा कोई एंगल नहीं मिला है।’

बांगलादेश में ISKCON: भक्ति, सेवा और सांस्कृतिक धरोहर के विस्तार पर संकट का घेरा

Image 2Image 3Image 4Image 5

ISKCON का मतलब है अंतरराष्ट्रीय श्री कृष्ण चेतना सोसाइटी (ISKCON), यह वैश्विक आध्यात्मिक संगठन 1966 में आचार्य श्री कृष्णप्रेम स्वामी प्रभुपाद द्वारा स्थापित किया गया था। यह आंदोलन भगवद गीता की शिक्षाओं और भगवान श्री कृष्ण की पूजा पर आधारित है और दुनिया भर में फैल चुका है, जिसमें बांगलादेश भी शामिल है।

बांगलादेश में ISKCON के मुख्य पहलू :

1.स्थापना और विकास:

ISKCON ने 1970 के दशक में बांगलादेश में अपनी उपस्थिति स्थापित की थी, और तब से इस संगठन ने अपनी गतिविधियों का विस्तार किया है, जो भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और भक्ति योग (भक्ति के माध्यम से आत्मा के परम लक्ष्य तक पहुँचने की विधि) को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। बांगलादेश में यह आंदोलन मुख्य रूप से हिंदू समुदाय को आकर्षित करता है, लेकिन विभिन्न धर्मों के लोगों में भी इसे रुचि मिली है।

2. मंदिर और केंद्र:

बांगलादेश में ISKCON के कई मंदिर और केंद्र हैं, खासकर राजधानी ढाका में। ये केंद्र पूजा, आध्यात्मिक अध्ययन और सामुदायिक गतिविधियों के स्थान हैं। ढाका का केंद्र सबसे प्रमुख है और यह धार्मिक त्योहारों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मानवतावादी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होता है।

3. सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियाँ:

बांगलादेश में ISKCON विभिन्न त्योहारों और कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण रथ यात्रा है, जिसे ढाका में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण और उनके साथियों की रथ यात्रा का प्रतीक है, और वर्षों से यह लोकप्रियता में बढ़ा है। इसके अलावा, ISKCON ढाका में कीर्तन , भगवद गीता अध्ययन समूह और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है जो आध्यात्मिक चेतना को बढ़ावा देने का काम करते हैं।

4. मानवतावादी प्रयास:

ISKCON बांगलादेश में भी मानवतावादी गतिविधियों में शामिल है, जैसे फूड फॉर लाइफ (जीवन के लिए भोजन) कार्यक्रम के तहत मुफ्त भोजन वितरण और स्थानीय समुदायों को शैक्षिक और चैरिटेबल कार्यक्रमों के माध्यम से समर्थन। इन प्रयासों का उद्देश्य गरीबी और भूख को कम करना है, साथ ही साथ निःस्वार्थ सेवा का आध्यात्मिक संदेश फैलाना है।

5. चुनौतियाँ और स्वीकार्यता:

सकारात्मक योगदानों के बावजूद, ISKCON को बांगलादेश में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से क्योंकि देश में मुस्लिम समुदाय बहुमत में है और यहां धार्मिक प्रथाएं काफी पारंपरिक हैं। कभी-कभी संगठन को विरोध या संदेह का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह अपनी समावेशी और शांतिपूर्ण शिक्षाओं के माध्यम से बढ़ता जा रहा है और नए अनुयायियों को आकर्षित कर रहा है।

6. आध्यात्मिक प्रभाव:

वर्षों के दौरान, बांगलादेश में ISKCON की उपस्थिति ने भगवद गीता की शिक्षाओं और वैष्णववाद की प्रथाओं में रुचि को पुनर्जीवित किया है। कई लोग इस आंदोलन को आकर्षित करते हैं, जो भगवान के पवित्र नाम का जाप, शाकाहार और भक्ति और सेवा से जीवन जीने पर बल देता है।

बांगलादेश में ISKCON की उपस्थिति देश के आध्यात्मिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मंदिरों, त्योहारों, मानवतावादी कार्यों और आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से, ISKCON ने भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं को फैलाने और भक्ति और सेवा की संस्कृति को बढ़ावा देने में योगदान किया है। कुछ चुनौतियों के बावजूद, यह आंदोलन बांगलादेश में कई लोगों को प्रेरित करता है और भविष्य में इसके और अधिक विस्तार की संभावना है।

40 साल बाद जहरीले कचरे से मुक्त हुआ भोपाल, जानें क्या है पूरी कहानी

#bhopalgastragedytoxicwaste_removal

Image 2Image 3Image 4Image 5

भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है। नए साल यानी एक जनवरी 2025 को पूरे 40 साल 30 दिन बाद मध्य प्रदेश सरकार आखिरकार यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन (एमटी) जहरीले कचरे को ठिकाने लगाने की कार्रवाई शुरू कर रही है। इस केमिकल कचरे को यूनियन कार्बाइड के बंद पड़े फैक्टरी वाले इलाके से हटाकर नष्ट करने के लिए दूसरी जगह ले जाया जा रहा है।

भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद जहरीले कचरे को शिफ्ट किया गया है। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 337 टन जहरीला कचरा भोपाल से पीथमपुर पहुंचाया गया। कचरे को ले जाने के लिए 250 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। विशेषज्ञों की निगरानी में इसे 12 कंटेनर में भरकर ले जाया गया। 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार ‘यूनियन कार्बाइड' कारखाने में पड़े इस कचरे को इंदौर के पास पीथमपुर की एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में नष्ट किया जाएगा। केंद्र सरकार ने 4 मार्च को कचरा निपटारा के लिए 126 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।

कचरे को ले गया 40 वाहनों का काफिला

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह कचरा 40 वाहनों के काफिले में फैक्ट्री से बाहर निकाला गया. करीब एक किलोमीटर लंबे इस काफिले में 12 बड़े ट्रक शामिल थे। इस कचरे को सुरक्षित रूप से ले जाने के लिए पांच जिलों में हाई अलर्ट लगाया गया। कचरे के ट्रांसफर के दौरान सुरक्षा के लिए 1,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया।

हाई कोर्ट ने दी सख्त चेतावनी

इस जहरीले कचरे के निस्तारण को लेकर अब भी स्थानीय लोगों में डर का माहौल है। पीथमपुर में रहने वाले लोग भी इससे चिंतित हैं। हालांकि, एमपी गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह का कहना है कि कचरे का निपटान वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होगा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के सख्त रुख के बाद इस कचरे को हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई। अदालत ने अधिकारियों से पूछा था कि क्या वे किसी और त्रासदी का इंतजार कर रहे हैं। कोर्ट ने कचरे के निपटान के लिए चार हफ्तों की समय सीमा तय की थी।

भोपाल में उस रात हुआ क्या था?

आज से चार दशक पहले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसी त्रासदी हुई, जिससे पूरी दुनिया कांप उठी थी। 2-3 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से लीक हुई मिथाइल आइसोसाइनेट ने पांच हजार से ज्यादा लोगों की जिंदगी छीन ली थी। लाखों लोग प्रभावित हो गए थे। यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से निकली गैस 40 किलोमीटर दूर तक में फैल गई थी। शहर की एक चौथाई आबादी गैस चेंबर में तब्दील हो गई थी। सबसे अधिक बच्चों पर गैस का प्रभाव पड़ा था। जिस रात यह घटना घटी थी। उसके कई दिनों बाद तक भोपाल से लोगों का पलायन चलता रहा। हजारों लोग सैकड़ों किसोमीटर दूर चले गए। यहां से जाने के बाद बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों में भर्ती हुए थे। इस उन्माद के बीच साहस और हौसले की भी कमी नहीं थी। बड़ी संख्या में लोगों ने प्रभावित लोगों को निकालने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी थी।

कितना खतरनाक है यह कचरा?

बताया जाता है कि इस गैस लीक के चलते फैक्टरी के आसपास बड़ी मात्रा में फैली चीजें जहरीली हो गईं। खासकर कीटनाशक उत्पादन के बाद जो बचा हुआ कचरा फैक्टरी के सौर वाष्पीकरण तालाब (जहां सूरज की रोशनी से भाप बनाकर गंदे पानी को खत्म कर दिया जाता हो और ठोस पदार्थों को अलग इकट्ठा कर लिया जाता था) में पड़ा था, उसे गैस लीक के बाद जहां-तहां ही छोड़ दिया गया। इसका असर यह हुआ कि जहरीली गैस के प्रभाव में आने के बाद यह कचरा और ज्यादा खतरनाक हो गया। इसका असर फैक्टरी के आसपास मौजूद जल स्रोतों पर भी पड़ा और बड़ी संख्या में क्षेत्र में लगे हैंडपंपों को सील किया जा चुका है।

यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के पास जो कचरा पड़ा है, उसमें कीटनाशक- सेविन के बायप्रोडक्ट शामिल हैं। इसके अलावा अधूरे उत्पादन के चलते कुछ केमिकल्स और इसे बनाने में लगा कच्चे केमिकल भी कचरे में शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इतने वर्षों में यह कचरा जानलेवा केमिकल्स का भंडार बन चुका है। इसमें भारी धातुएं, जैसे निकेल और मैंगनीज की मौजूदगी है। इसके अलावा लेड, मरकरी और क्लोरिनेटेड नैप्थलीन शामिल हैं, जो कि कचरे के जहरीले होने की असली वजह हैं। यह केमिकल कैंसर जैसी बीमारी को जन्म दे सकते हैं। इसके अलावा यह बच्चों के विकास और मानव शरीर में कई और तरह की बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।

अब तक यह साफ नहीं है कि इस कचरे ने भोपाल में कितने क्षेत्र पर असर डाला है। हालांकि, एक एनजीओ ने 2004 में कहा था कि यूनियन कार्बाइड प्लांट से 5 से 10 किलोमीटर की दूरी तक कई हैंडपंपों में जहरीले केमिकल पाए जाने की बात सामने आई है। भारत के राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान की रिपोर्ट में भूमिगत जल के डरावने स्तर तक जहरीले होने की बात सामने आने के बाद सरकार ने कई हैंडपंपों को सील कर दिया था।

राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का एलान, मनु भाकर-गुकेश समेत चार खिलाड़ियों को मिलेगा खेल रत्न

#khel_ratna_award_for_manu_bhaker_d_gukesh

खेल मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 का एलान गुरुवार को कर दिया गया है। युवा एवं खेल मंत्रालय ने उन एथलीटों की सूची जारी कर दी है, जिन्हें खेल रत्न से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू 17 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में विजेताओं को सम्मानित करेंगी। समितियों द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर मनु भाकर, डी गुकेश, हरमनप्रीत सिंह और पैरा एथलीट प्रवीण कुमार को सरकार ने खेल रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। बता दें कि कुछ दिन पहले मनु भाकर का नाम खेल रत्न पुरस्कार मिलने वाले एथलीटों की अनुशंसित सूची में शामिल ना होने से विवाद खड़ा हो गया था। हालांकि बाद में मनु ने खुद माना था कि शायद उन्हीं के पक्ष से गलती हो गई थी।

Image 2Image 3Image 4Image 5

पेरिस ओलंपिक में दो ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की महिला निशानेबाज मनु भाकर और विश्व शतरंज चैंपियनशिप के विजेता भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश सहित चार खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। मनु और गुकेश के अलावा भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पैरालंपियन प्रवीण कुमार को भी खेल रत्न पुरस्कार दिया जाएगा। खेल मंत्रालय ने बयान में कहा, समिति की सिफारिशों और सरकार की जांच के आधार पर खिलाड़ियों, कोच, विश्वविद्यालयों को पुरस्कार देने का फैसला किया गया है।

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक्स में शूटिंग में 2 मेडल जीतकर इतिहास रचा था। वो एक ही ओलंपिक की एकल प्रतियोगिताओं में 2 अलग-अलग मेडल जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बनी थीं। उन्हीं खेलों में हरमनप्रीत सिंह ने अपनी कप्तानी में भारतीय हॉकी टीम को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था। ये लगातार दूसरा मौका था जब भारत ने ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता। वहीं डी गुकेश कुछ सप्ताह पहले ही शतरंज के इतिहास के सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन बने। उन्होंने महज 18 वर्ष की उम्र में विश्व विजेता होने का तमगा हासिल किया था। वहीं, प्रवीण कुमार ने हाई जंप T64 इवेंट में देश को गोल्ड मेडल जिताया था। प्रवीण कुमार ने एशियन रिकॉर्ड तोड़ते हुए ये उपलब्धि हासिल की थी।

शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को लेकर आतिशी को लिखा पत्र, दिल्ली की सीएम बोलीं- ये वैसे ही जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे

#cmatishitargetshivrajsinghchouhanallegationsonfarmers_issue

Image 2Image 3Image 4Image 5

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को किसानों के हितों को लेकर एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने जो योजनाएं शुरू की हैं उन्हें दिल्ली में अभी तक लागू नहीं किया गया है और इस वजह से किसानों को नुकसान हो रहा है। इस पर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी का भी जवाब आ गया है। आतिशी ने पलटवार करते हुए तीखा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी का किसानों के बारे में बात करना वैसे ही है जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे रहा हो।

शिवराज सिंह के आरोपों पर आतिशी का पलटवार

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की चिट्ठी पर जवाब दिया है। आतिशी ने गुरुवार को शिवराज सिंह चौहान के आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि जितना बुरा हाल किसानों का बीजेपी के समय हुआ, उतना कभी नहीं हुआ। बीजेपी का किसानों के बारे में बात करना वैसे ही है जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे रहा हो। उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, 'पंजाब में किसान आमरण अनशन पर बैठे हैं, मोदी जी से कहिए उनसे बात करें। किसानों से राजनीति करना बंद करो। बीजेपी राज में ही किसानों पर गोलियां और लाठियां चलाई गईं।'

शिवराज ने क्या कहा था?

इससे पहले अतिशी को लिखे चिट्ठी में शिवराज ने लिखा, दिल्ली में केजरीवाल और आतिशी ने कभी किसानों के हित में उचित निर्णय नहीं लिए। केजरीवाल ने हमेशा चुनावों से पहले बड़ी बड़ी घोषणाएं कर राजनैतिक लाभ लिया है। केजरीवाल ने सरकार में आते ही जनहितैषी निर्णयों को लेने के स्थान पर अपना रोना रोया है। उन्होंने आगे लिखा, 10 वर्षो से दिल्ली में आप की सरकार है, लेकिन पूर्व सीएम केजरीवाल ने हमेशा किसानों के साथ केवल धोखा किया है। केंद्र सरकार की किसान हितैषी योजनाओं को आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में लागू नहीं किया। दिल्ली के किसान केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री चिट्ठी में आगे लिखते हैं, दिल्ली में आप सरकार का किसानों के प्रति गैर जिम्मेदाराना रवैया है।

वर्शिप एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख मुकर्रर, कानून को लागू करने की मांग की गई

#scagreedtohearpetitiontoimplementprovisionsofplacesofworshipact

Image 2Image 3Image 4Image 5

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 से जुड़ी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। चीफ जस्टिस की पीठ ने आदेश दिया कि ओवैसी की याचिका को केस से जुड़ी सभी पेंडिंग याचिकाओं के साथ जोड़ दिया जाए और इसकी सुनवाई 17 फरवरी को होगी।

ओवैसी के वकील निज़ाम पाशा ने अदालत से कहा कि इस मुद्दे पर कई याचिकाएं लंबित हैं और इस नई याचिका को भी उनके साथ जोड़ा जाए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस याचिका को पहले से पेंडिंग याचिका के साथ टैग कर देंगे। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के प्रभावी अमल के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट में एआईएमआईएम न प्रमुख और सांसद असदुद्दीन याचिका दाखिल की गई है। एक्ट के तहत यह प्रा‌वधान किया गया है कि 15 अगस्त 1947 को किसी धार्मिक स्थल के धार्मिक चरित्र जिस स्थिति में था उसी स्थिति में उसे बनाए रखा जाएगा।

ओवैसी ने एडवोकेट फुजैल अहमद अय्यूबी के जरिए पिछले साल 17 दिसंबर, को एक याचिका दायर की थी. हालांकि, 12 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने 1991 के इस कानून के खिलाफ इसी तरह की कई याचिकाओं पर कार्रवाई करते हुए सभी कोर्ट्स को नए केसों पर विचार करने और धार्मिक स्थलों, खासतौर पर मस्जिदों तथा दरगाहों को वापस लेने के लिए लंबित केसों में कोई अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक लगा दिया था। कोर्ट की स्पेशल बेंच तब 6 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से दाखिल मुख्य याचिका भी शामिल थी, जिसमें पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, के अलग-अलग प्रावधानों को चुनौती दी गई थी।

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट

साल 1991 का यह कानून किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप के बदले जाने पर रोक लगाता है और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप को उसी रूप में बनाए रखने का प्रावधान करता है जैसा वह आजादी के समय 15 अगस्त 1947 को था। ओवैसी के वकील ने कोर्ट के समक्ष बताया कि उन्होंने अपनी याचिका में केंद्र को कानून का प्रभावी क्रियान्वयन तय करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। ओवैसी ने अपनी याचिका में उन कई केसों का भी जिक्र किया हैं जहां कई कोर्ट की ओर से हिंदूवादी संगठनों की याचिकाओं पर मस्जिदों के सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था।