दिल्ली से लेकर तक अवैध बांग्लादेशियों पर कसा शिकंजा, गिरफ्तार कर भेजा जा रहा वापस

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अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशियों पर शिकंजा कसा जा रहा है। दिल्ली के बाद महाराष्ट्र में कई परिवारों से पूछताछ की गई है और कई लोगों को गिरफ्तार किया है। साथ ही साथ उनको बांग्लादेश वापस भेजने की भी कार्रवाई की गई है। इधर देश की राजधानी दिल्ली में भी पुलिस अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है। दिल्ली की साउथ डिस्ट्रिक्ट पुलिस ने 7 बांग्लादेशियों को पकड़कर डिपोर्ट कर दिया है। पकड़े गए बांग्लादेशियों में 5 महिलाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा साउथ वेस्ट जिला पुलिस ने भी 8 बांग्लादेश निवासियों को डिपोर्ट किया है। साउथ डिस्ट्रिक्ट पुलिस ने झुग्गी झोपड़ी और संदिग्ध इलाकों में सर्च आपरेशन चलाया था।

महाराष्ट्र एटीएस ने सूबे के कई जिलों में रेड की और अवैध बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया है। महाराष्ट्र एटीएस ने 9 अवैध बंग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है, जिनके ऊपर 5 एफआईआर दर्ज की गई है। दिसंबर महीने में ही एटीएस ने कुल 19 एफआईआर अवैध बंगलादेशियों के खिलाफ दर्ज की हैं और 43 लोगों को गिरफ्तार किया है। नववर्ष की पूर्व संध्या पर बिना आधिकारिक पहचान पत्र के रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ स्पेशल ड्राइव में 9 बांग्लादेशी पकड़े गए हैं।

दरसअल, एटीएस ने मुंबई के पूर्वी उपनगर विक्रोली सहित महाराष्ट्र के नाशिक,अकोला, नांदेड़ औरंगाबाद में चार दिन से सर्च ऑपरेशन चला रही थी, जिसमें उसे सफलता मिली है। गरिफ्तार आरोपियों पर अवैध रूप से भारत में दाखिल होने सहित फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के आरोप हैं। इनके पास पुलिस को फर्जी आधार कार्ड से लेकर मतदान पत्र तक मिले हैं।

वहीं, दिल्ली पुलिस राजधानी में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है। इसी ऑपरेशन के तहत सभी थाना इलाकों में घर-घर जाकर पुलिस वेरिफिकेशन कर रही है। वेरिफिकेशन कैंपेन में हर घर में जाकर पुलिस पड़ताल करती है। लोगों को वेरीफिकेशन फॉर्म, जिसे दिल्ली पुलिस की भाषा में पर्चा 12 कहा जाता है, दिया जाता है। यह उन लोगों को दिया जाता है जो पश्चिम बंगाल या दूसरे राज्यों से आकर यहां बसने की बात बताते हैं। पुलिस उनके पश्चिम बंगाल के एड्रेस को वेरीफाई करवा रही है ताकि अवैध बांग्लादेशियों का पता लगाया जा सके।

दरअसल पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि अवैध बांग्लादेशी पहले पश्चिम बंगाल में दाखिल होते हैं और फिर वहां के फर्जी कागजात बनाकर दिल्ली आ जाते हैं। पुलिस जब पूछताछ करती है तब यह अवैध बांग्लादेशी अपने आप को पश्चिम बंगाल का रहने वाला बताते हैं। इसके चलते इन पर कार्रवाई करना पुलिस के लिए मुश्किल हो जाता है। इस वेरिफिकेशन के जरिए कई अवैध बांग्लादेशियों को पुलिस ने गिरफ्तार करके वापस बांग्लादेश भेजा है।

बता दें कि हाल ही में दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो इन अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के फर्जी कागजातों की मदद से आधार कार्ड बनवा रहे थे। दिल्ली पुलिस को आशंका है कि एजेंटों की मदद से हजारों बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान भारतीय नागरिक बनकर दिल्ली में रह रहे हैं।

ताइवान को चीन में मिलने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती” नए साल पर जिनपिंग की चेतावनी

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पिछले कुछ वर्षों में चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ गया है। चीन साफ तौर पर कहता रहा है कि वह ताइवान को अपने नियंत्रण में लेने के लिए बल प्रयोग से पीछे नहीं हटेगा। इस बीच टीन ने एक बार फिर अपनी बात दोहराई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने मंसूबे बताए हैं। राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने नए साल पर दिये गए अपने संदेश में कहा कि चीन के साथ ताइवान के पुन: एकीकरण को कोई कभी नहीं रोक सकता। उन्होंने अर्थव्यवस्था में जारी मंदी को लेकर देश में बढ़ती चिंताओं और अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बीच यह बात कही।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को नववर्ष 2025 की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा, हम चीनी लोग ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों ओर एक ही परिवार के सदस्य हैं। कोई भी हमारे संबंधों को कभी तोड़ नहीं सकता। उनका यह संदेश चीन के सरकारी प्रसारक पर प्रसारित किया गया। चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और एक चीन नीति को मजबूती से लागू करता है। जिनपिंग के शासन में ताइवान को चीन में मिलाने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए गए। अपने तीसरे पंचवर्षीय कार्यकाल के तहत शासन कर रहे शी ने हाल के वर्षों में ताइवान को चीन के साथ फिर से मिलाने के प्रयासों को तेज करने के लिए इसे एक प्रमुख सैन्य और राजनयिक पहल बनाया।

बीजिंग की विदेश नीति को लेकर जिनपिंग ने कहा, चीन वैश्विक शासन सुधारों को बढ़ावा देने और विश्व शांति व स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा, आज बदलाव और उथल-पुथळ की दुनिया के बीच चीन एक जिम्मेदार देश के रूप में वैश्विक सुधारों को बढ़ावा दे रहा है और वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच एकता और सहयोग को मजबूत कर रहा है।

शी के नए साल के संदेश का एक अन्य मुख्य ध्येय चीनी जनता को अर्थव्यवस्था के बारे में आश्वस्त करना था, जो कि कोविड-19 के बाद काफी धीमी हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप आकर्षक रियल एस्टेट क्षेत्र धराशायी हो गया है और देश भर में व्यवसायों के बंद होने के कारण लोगों की नौकरी चली गई है। शी ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और यह प्रगति के पथ पर है। उन्होंने कहा कि 2024 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 130 ट्रिलियन-युआन (लगभग 18.08 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अनाज उत्पादन 70 करोड़ टन से अधिक हो गया है। चीन ई-वाहनों के अपने निर्यात को बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ ने उससे आयात पर भारी शुल्क लगा दिया है।

मणिपुर में फिर तनाव, कुकी महिलाओं और सुरक्षाबलों के बीच झड़प

#securityforcesclashwithmobofkukiwomenin_manipur

मणिपुर में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन द्वारा राज्य में हो रही जातीय हिंसा पर माफी मांगने के बीच कांगपोकपी जिले में मंगलवार को पुलिस और कुकी महिलाओं के बीच झड़प की खबर सामने आई है। मणिपुर के कांगपोकपी जिले में कुकी-जो समुदाय की महिलाओं की मंगलवार को सुरक्षा बलों के साथ झड़प हो गयी, जिससे राज्य में नए साल से पहले फिर से तनाव बढ़ गया।

पुलिस ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया कि यह घटना थम्नापोकपी के पास उयोकचिंग में उस समय हुई, जब भीड़ ने सेना, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की संयुक्त टीम की तैनाती में बाधा डालने की कोशिश की गई। पुलिस के मुताबिक, संयुक्त बलों ने हल्का बल प्रयोग के साथ भीड़ को तितर-बितर कर दिया और अब हालात शांतिपूर्ण और नियंत्रण में है। पुलिस ने बताया कि सुरक्षा बलों को इलाके पर नियंत्रण रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पहाड़ी पर तैनात किया गया था।

स्थानीय लोगों ने दावा किया कि ट्विचिंग के सैबोल गांव में सुरक्षा बलों के बल प्रयोग में कई लोग घायल हो गए। ट्विचिंग कुकी-नियंत्रित पहाड़ियों और मैतेई प्रभुत्व वाली इंफाल घाटी के बीच तथाकथित बफर जोन में स्थित है।

आंसू गैस के इस्तेमाल का आरोप

वहीं, कुकी समुदाय के एक नेता ने आरोप लगाया कि स्थिति तब बिगड़ गई जब सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल कर दिया। उसके बाद तो युद्ध के मैदान जैसा हाल हो गया। हम अपनी चिंताओं को व्यक्त करने आए थे कि युद्ध की रणनीति का सामना करने गए थे।

सीएम ने जातीय हिंसा पर मांगी थी माफी

झड़प की यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब कुछ घंटे पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्य में हो रही हिंसा के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने राज्य में हो रही जातीय हिंसा पर कहा कि यह पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। मैं राज्य के लोगों से पिछले 3 मई से आज तक जो कुछ भी हुआ उसके लिए खेद व्यक्त करना चाहता हूं। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया। कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया। मुझे दुख है। मैं माफी मांगता हूं। लेकिन अब मुझे उम्मीद है कि पिछले तीन से चार महीनों में शांति की दिशा में प्रगति देखने के बाद, मुझे विश्वास है कि 2025 तक राज्य में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।

सवालों के घेरे में है ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी, बांग्लादेश से आई घुसपैठिया भारत में कैसे बन गई ग्राम प्रधान?

#who_is_lovely_khatun_she_came_from_bangladesh_became_the_gram_pradhan

पश्चिम बंगाल के रशीदाबाद की ग्राम पंचायत की मुखिया लवली खातून की नागिरकता को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। उन पर बांग्लादेशी नागरिक होने का आरोप लगाया गया है, जिसमें यह दावा किया गया है कि उन्होंने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके भारतीय नागरिकता प्राप्त की। आरोप है कि पंचायत प्रधान ने कथित तौर पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ा था और तृणमूल के समर्थन से प्रधान पद पर काबिज हुई थी। यह मामला तब सामने आया जब स्थानीय लोगों ने उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई।

मालदा जिले में टीएमसी के नेतृत्व वाली रशीदाबाद ग्राम पंचायत की मुखिया लवली खातून को लेकर कहा जा रहा है कि वो बांग्लादेशी अप्रवासी हैं। इतना ही नहीं उनपर आरोप है कि वो बिना पासपोर्ट के अवैध रूप से भारत में घुसी थीं। मीडिया रिपोर्ट्स में लवली खातून का असली नाम नासिया शेख बताया जा रहा है।इस संदर्भ में उनकी राजनीतिक पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, भी सक्रिय हो गई है और मामले की जांच आरंभ कर दी है। इसी बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन आरोपों पर एक रिपोर्ट भी मांगी है।

रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अपने पिता का नाम बदलकर शेख मुस्तफा रख लिया है, जो दस्तावेजों में दर्ज है। उन्हें वर्ष 2015 में मतदाता पहचान पत्र प्राप्त हुआ और वर्ष 2018 में जन्म प्रमाण पत्र मिला। रिपोर्ट के अनुसार, लवली के पिता का असली नाम जमील बिस्वास है।

लवली खातून के विरुद्ध उच्च न्यायालय में चंचल निवासी रेहाना सुल्ताना द्वारा याचिका प्रस्तुत की गई थी। चंचल की रहने वाली रेहाना सुल्ताना ने 2024 में कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। रेहाना ने 2022 में ग्राम पंचायत चुनाव लड़ा था लेकिन वो लवली खातून से चुनाव हार गईं थीं। सुल्ताना के वकील अमलान भादुड़ी ने कहा,'याचिका दाखिल करने वाली रेहाना सुल्ताना ने टीएमसी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था लेकिन लवली खातून से हार गईं, जिन्होंने कांग्रेस और वाम गठबंधन की उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। खातून के चुनाव जीतने के बाद एक या दो महीने के भीतर वह टीएमसी में शामिल हो गईं। उन्होंने आरोप लगाया है कि खातून बांग्लादेशी अप्रवासी हैं। उनके अनुसार, खातून के नाम पर जारी आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाए गए हैं। उन्होंने आगे कहा, हम स्थानीय पुलिस स्टेशन और प्रशासन के पास गए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस स्थिति में, हमने 2024 में कलकत्ता हाईकोर्ट का सहारा लिया।

अरविंद केजरीवाल ने RSS चीफ मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी, पूछा ये सवाल
#arvind_kejriwal_wrote_a_letter_to_rss_chief_mohan_bhagwat
* दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने चिट्ठी के माध्यम से आरएसएस प्रमुख से कई सवाल किए हैं। अरविंद केजरीवाल ने पूछा है कि बीजेपी ने पिछले दिनों में जो भी गलत किया, क्या आरएसएस उसका समर्थन करती है? अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखकर पूछा कि बड़े स्तर पर दलित, पूर्वांचली के वोट काटे जा रहे हैं क्या आरएसएस का लगता है ये जनतंत्र के लिए सही है? इसके अलावा उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि क्या आरएसएस को नहीं लगता कि बीजेपी जनतंत्र को कमजोर कर रही है। चिठ्ठी के जरिए आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ये भी पूछा है कि बीजेपी के नेता खुलकर पैसे बांट रहे हैं, क्या आरएसएस वोट खरीदने का समर्थन करती है? इससे पहले भी केजरीवाल आरएसएस प्रमुख को चिट्ठी लिखकर बीजेपी पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने पिछले साल सितंबर में भागवत को खत लिखा था और पांच सवाल पूछे थे।
अरविंद केजरीवाल ने RSS चीफ मोहन भागवत को लिखी चिट्ठी, पूछा ये सवाल

#arvind_kejriwal_wrote_a_letter_to_rss_chief_mohan_bhagwat 

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने चिट्ठी के माध्यम से आरएसएस प्रमुख से कई सवाल किए हैं। अरविंद केजरीवाल ने पूछा है कि बीजेपी ने पिछले दिनों में जो भी गलत किया, क्या आरएसएस उसका समर्थन करती है?

अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखकर पूछा कि बड़े स्तर पर दलित, पूर्वांचली के वोट काटे जा रहे हैं क्या आरएसएस का लगता है ये जनतंत्र के लिए सही है? इसके अलावा उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि क्या आरएसएस को नहीं लगता कि बीजेपी जनतंत्र को कमजोर कर रही है।

चिठ्ठी के जरिए आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने ये भी पूछा है कि बीजेपी के नेता खुलकर पैसे बांट रहे हैं, क्या आरएसएस वोट खरीदने का समर्थन करती है?

इससे पहले भी केजरीवाल आरएसएस प्रमुख को चिट्ठी लिखकर बीजेपी पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने पिछले साल सितंबर में भागवत को खत लिखा था और पांच सवाल पूछे थे।

मालदीव में विपक्ष ने लगाया मुइज्जू को हटाने की साजिश का आरोप, जोड़ा भारत का नाम

#indianameaddedconspiracytoremovemuizzubytheoppositionin_maldives

करीब एक साल पहले भारत के पड़ोसी देश मालदीव में सत्‍ता परिवर्तन। जिसके बाद मोहम्‍मद मुइज्जू की सरकार सत्‍ता में आई। सरकार गठन के बाद ही मुइज्जू के मंत्रियों ने भारत के खिलाफ जहर उगलना भी शुरू कर दिया। हालांकि मुइज्जू को जल्द पता चल गया की भारत से पंगा लेना उनके लिए आसान नहीं है। मुइज्जू की भाषा बदली, जिसको बाद दोनों देशों के रिश्ते पटरी पर आने लगे। इस बीच अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में एक हैरान करने वाला दावा किया है। जिसमें दावा किया गया कि भारत ने मुइज्‍जू की सरकार को गिराने की साजिश रची

अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव की विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के नेताओं ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को हटाने की साजिश के लिए भारत से सहायता मांगी। रिपोर्ट के मुताबिक कथित तौर पर भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का एक एजेंट मालदीव के विपक्षी नेताओं के संपर्क में था, ताकि जनवरी में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के कुछ ही महीनों बाद उन्हें सत्ता से हटाया जा सके।

साजिश में भारत की खुफिया एजेंसी की कथित संलिप्तता

डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव नामक इस योजना का विवरण देने वाले आंतरिक दस्तावेज में वरिष्ठ सैन्य और पुलिस अधिकारियों को रिश्वत देने तथा तीन प्रभावशाली आपराधिक गिरोहों से संपर्क करने की योजना का खुलासा है। कथित तौर पर भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) से जुड़े व्यक्तियों के साथ जनवरी 2024 में चर्चा शुरू हुई। हालांकि, महीनों की गुप्त वार्ता के बाद अपर्याप्त समर्थन से महाभियोग की साजिश विफल हो गई।

द वाशिंगटन पोस्ट के दावे के मुताबिक अमेरिका में भारतीय दूतावास में रॉ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी शिरीष थोरेट और पत्रकार-राजनेता सवियो रोड्रिग्स के साथ मिलकर मुइज्जू को हटाने की चर्चा की। रिपोर्ट के मुताबिक थोरेट और रोड्रिग्स ने योजना के अस्तित्व की पुष्टि की, लेकिन यह नहीं बताया कि वे भारत सरकार की ओर से काम कर रहे थे या नहीं। भारत ने अभी तक इसपर कोई टिप्पणी नहीं की है।

साजिश के तहत भारत से मांगे गए 6 मिलियन डॉलर

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मालदीव में विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पर महाभियोग चलाने की साजिश रची थी। इस साजिश में सांसदों को रिश्वत देना और आपराधिक गिरोहों की भर्ती करना शामिल था। रिपोर्ट में यह भी आरोप है कि इस साजिश के लिए भारत से 6 मिलियन डॉलर (करीब 50.40 करोड़ रुपये) की मांग की गई थी। हालांकि, साजिश सफल नहीं हुई।

पूर्व राष्ट्रपति ने किया भारत का समर्थन

अब इस मामले में विपक्षी नेता मोहम्‍मद नशीद का बयान सामने आया है। मालदीव के पूर्व राष्‍ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अब इस रिपोर्ट को कोरी बकवास करार दिया है। इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत के दौरान उन्‍होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत कभी इस तरह से सत्‍ता परिवर्तन में सहायता करने के लिए तैयार होगा। मेरे साथ कभी भी ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई। वाशिंगटन पोस्‍ट ने डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव नाम के एक दस्तावेज का हवाला देते हुए दावा किया कि मालदीव के विपक्ष ने मुइज्‍जू के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए वोट देने के लिए 40 सांसदों को रिश्वत देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें मुइज़ू की अपनी पार्टी के सांसद भी शामिल हैं।

चीनी हैकर्स ने अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट में लगाई सेंध, कई वर्कस्टेशन और दस्तावेजों को खंगाला*
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चीनी हैकर्स के अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट को हैक करने का मामला सामने आया है। अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट पर हाल ही में चीनी स्टेट-स्पॉन्सर्ड हैकर्स की ओर से किए गए साइबर हमले का खुलासा हुआ है। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, चीन के स्टेट स्पॉन्सर्ड हैकर ने ट्रेजरी डिपार्टमेंट के थर्ड-पार्टी सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर के सिस्टम में सेंध मारकर कई इम्पलॉयी वर्कस्टेशन और कुछ अनक्लासीफाइड डॉक्यूमेंट हासिल किए हैं। यह सेंधमारी दिसंबर की शुरुआत में हुई थी। यह साइबर हमला 8 दिसंबर को हुआ था। इस दौरान एक थर्ड-पार्टी सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर बियॉन्ड ट्रस्ट ने ट्रेजरी डिपार्टमेंट को सूचना दी कि हैकर्स ने उनकी सिक्योरिटी को बायपास करके कई वर्कस्टेशन का रिमोट एक्सेस हासिल कर लिया है। इस दौरान हैकर्स ने सर्विस की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होने वाली चाबियों में से एक को चुरा लिया था डिपार्टमेंट ने सांसदों को एक लेटर लिखकर इसके बारे में बताया है। डिपार्टमेंट ने इस सेंधमारी को ‘बड़ी घटना’ बताते हुए जानकारी दी है कि एफबीआई और बाकी एजेंसियां मिलकर जांच कर रही हैं कि इसका क्या नतीजा हो सकता है। ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने अभी तक यह जानकारी नहीं दी है कि कितने वर्कस्टेशन प्रभावित हुए हैं। किस प्रकार के दस्तावेज़ या डेटा को एक्सेस किया गया है। हालांकि, डिपार्टमेंट ने बताया है कि अब तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि हैकर्स के पास ट्रेजरी की जानकारी का निरंतर एक्सेस है। ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने इस सर्विस को ऑफलाइन कर दिया है। उनका दावा है कि हैकर्स के पास अब डिपार्टमेंट की किसी भी जानकारी का नियंत्रण नहीं है। ट्रेजरी डिपार्टमेंट के एक स्पोक्सपर्सन ने अलग बयान में कहा कि ट्रेजरी अपने सिस्टम्स के खिलाफ सभी खतरों को बहुत गंभीरता से लेती है। पिछले चार साल में ट्रेजरी ने अपना साइबर डिफेंस को बेहतर बनाया है। हम अपने फाइनेंशियल सिस्टम को ऐसे हैक से बचाने के लिए प्राइवेट और पब्लिक दोनों सेक्टर के पार्टनर्स के साथ मिलकर काम करेंगे। इस घटना ने अमेरिका और चीन के बीच साइबर हमलों से संबंधित विवादों को और गहरा दिया है। हाल ही में सॉल्ट टाइफून नाम के साइबर हमले में चीनी जासूसों ने कई अमेरिकी टेलिकम्युनिकेशन कंपनियों के नेटवर्क को हैक किया। इन हमलों के तहत लोगों के कॉल रिकॉर्ड और निजी संवाद को चीन सरकार के अधिकारियों तक पहुंचाया गया। शुक्रवार को व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने खुलासा किया कि इस साइबर जासूसी से प्रभावित कंपनियों की संख्या 9 तक पहुंच गई है।
पाकिस्तान में सुलझेंगे राजनीतिक मतभेद! सरकार एवं इमरान खान की पार्टी के बीच होगी बैठक
#imran_khan_pti_pakistan_govt_to_meet_on_jan_2
* पाकिस्तान सरकार और इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने सियासी मदभेदों को सुलझाने की पहल की है। राजनीतिक मतभेदों को सुलझाने के लिए पाकिस्तान सरकार और इमरान खान की पीटीआई के बीच महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। यह बैठक गुरुवार को संसद भवन में सुबह 11 बजे होने वाली है, जिसे नेशनल असेंबली स्पीकर सरदार अयाज सादिक ने बुलाया है। वह दोनों पक्षों के बीच बातचीत करवाना चाह रहे हैं, जिससे मतभेद सुलझाए जा सकें। यह बैठक 23 दिसंबर को शुरू हुई बातचीत पर आधारित होगी और इसका उद्देश्य राजनीतिक स्थिरता की दिशा में एक कदम बढ़ाना है। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई आंतरिक विचार-विमर्श के बाद आगामी सत्र के दौरान लिखित रूप में दो प्रमुख मांगें पेश करने की तैयारी कर रही है। इन मांगों में नौ मई, 2023 की हिंसक घटनाओं और इस्लामाबाद में 26 नवंबर को पीटीआई कार्यकर्ताओं पर की गई कार्रवाई की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन और 72 वर्षीय खान सहित सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई शामिल है। नेशनल असेंबली के पूर्व स्पीकर और पीटीआई नेता असद कैसर ने इन मांगों को दोहराते हुए कहा कि पार्टी नौ मई और 26 नवंबर की घटनाओं की जांच के लिए आयोग के गठन की मांग पर अडिग है। उन्होंने खान की रिहाई की जरूरत पर भी जोर दिया। दोनों पक्षों के बीच 23 दिसंबर को हुई पहली वार्ता को सकारात्मक बताया गया था और इस दौरान उन्होंने वार्ता जारी रखने पर सहमति जताई थी। सरकारी पक्ष का नेतृत्व करने वाली नौ सदस्यीय समिति में उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, प्रधानमंत्री के राजनीतिक सलाहकार राणा सनाउल्लाह, सेनटर इरफान सिद्दीकी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के राजा परवेज अशरफ और नवीद कमर, इत्तेहकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी (आईपीपी) के नेता अलीम खान, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्वैद (पीएमएल-क्यू) के नेता चौधरी सलीक हुसैन, बलूचिस्तान अवामी पार्टी के सरदार खालिद माग्सी और मुताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान के नेता डॉ. खालिद मकबूल सिद्धिकी शामिल हैं।
पिता प्रणब मुखर्जी को लेकर भाई-बहन आमने-सामने, जानें क्या है पूरा मामला
#brother_abhijeet_response_to_sister_sharmishtha_congress_behaviour
कांग्रेस में कथित आंतरिक कलह और वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी को लेकर शर्मिष्ठा मुखर्जी का बयान चर्चा में है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा का कहना है कि कांग्रेस में दरार आ चुकी है। उन्होंने डॉ मनमोहन सिंह के निधन के बाद भी कांग्रेस की आलोचना करते हुए टिप्पणी की थी। अब पूरे प्रकरण में प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत ने बयान दिया है।

*प्रणब मुखर्जी को सबकुछ कांग्रेस की वजह से मिला*
अभिजीत मुखर्जी ने अपनी बहन शर्मिष्ठा मुखर्जी के दावों को खारिज कर दिया है। अभिजीत ने कहा कि उनके पिता को सार्वजनिक जीवन में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद समेत जो कुछ भी हासिल हुआ है वो कांग्रेस की बदौलत हुआ है। पूर्व सांसद ने कहा कि उनके पिता का निधन कोविड काल में हुआ था। उस समय कई पाबंदियां भी थी, इसलिए सीडब्ल्यूसी की बैठक को बुलाकर श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकी थी। हालांकि, बाद में सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई तो उसमें श्रद्धांजलि अर्पित की गई थी।

*मनमोहन सिंह जैसे व्यक्ति की मृत्यु पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए*
समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह जैसे व्यक्ति की मृत्यु पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। वह एक अर्थशास्त्री और ऐसे व्यक्तित्व थे जिनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। अभिजीत मुखर्जी ने आगे कहा कि मेरे पिता की भाषा में,एक सच्चे सज्जन,मैंने मनमोहन सिंह को कभी गुस्सा करते नहीं देखा। जब भी मैं उनसे मिला,वह मुस्कुराते ही मिले,एक शांत व्यक्तित्व और एक पिता तुल्य व्यक्ति। पूर्व कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को उस समय स्थिर किया जब वह डांवाडोल थी, उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव रखी। डॉ. मनमोहन सिंह जैसा सुधारक शायद फिर कभी नहीं आएगा।

*अभिजीत मुखर्जी ने कोविड-19 के प्रतिबंध का दिया हवाला*
अपनी बहन के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि 2020 में प्रणब मुखर्जी के निधन के दौरान कोविड-19 के प्रतिबंध लागू थे। प्रणब मुखर्जी का 84 वर्ष की आयु में कोविड-19 पॉजिटिव होने के बाद निधन हो गया था। समाचार एजेंसी से बात करते हुए,अभिजीत मुखर्जी ने कांग्रेस का बचाव करते हुए कहा कि जब मेरे पिता का निधन हुआ,तब कोविड-19 का समय था। कई प्रतिबंध थे,जिस कारण लोग इकट्ठा नहीं हो सके। यहां तक कि तत्कालीन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रशासन ने परिवार के सदस्यों को भी आने की अनुमति नहीं दी थी। केवल 20 परिवार और दोस्त ही वहां मौजूद थे।

*शर्मिष्ठा ने जताई थी नाराजगी*
इससे, पहले प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद सिंह के सम्मान में कार्य समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित किए जाने का हवाला देते हुए कहा था कि उनके पिता के निधन पर कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी को बुलाने और श्रद्धांजलि अर्पित करने की भी जहमत नहीं उठाई थी। शर्मिष्ठा ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन के बाद 27 दिसंबर को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा था ‘जब मेरे बाबा का निधन हुआ तो कांग्रेस ने शोक सभा के लिए सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाने की भी जहमत नहीं उठाई। एक वरिष्ठ नेता ने मुझसे कहा था कि राष्ट्रपतियों के लिए ऐसा नहीं किया जाता। यह पूरी तरह से बकवास है, क्योंकि बाद में मुझे बाबा की डायरी से पता चला कि के. आर. नारायणन के निधन पर सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई गई थी और शोक संदेश खुद बाबा ने ही तैयार किया था।